यातà¥à¤°à¤¾: कà¤à¥€ ख़à¥à¤¶à¥€ कà¤à¥€ ग़म
औंढा में हमसे अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•ृत जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पैसे खरà¥à¤š हो गà¤, और अंततः हमारी जेब पूरी तरह से खाली हो गई, लेकिन हमें पूरा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ था की तहसील पà¥à¤²à¥‡à¤¸ है, इतना बड़ा तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है, रोजाना देश के कोने कोने से परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• आते हैं à¤à¤•ाध à¤.टी.à¤à¤®. तो होगा ही….लेकिन जब हम बस सà¥à¤Ÿà¥‰à¤ª पर आये और हमने à¤.टी.à¤à¤®. का पता किया तो हमारे होश फाखà¥à¤¤à¤¾ हो गठपता चला की औंढा में à¤à¤• à¤à¥€ à¤.टी.à¤à¤®. नहीं है, हमें औंढा से परली जाना था जो की लगà¤à¤— साढ़े तीन घंटे का रासà¥à¤¤à¤¾ था, हमारे पास सिरà¥à¤« दो सौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ थे और बस का किराया था 300 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ लेकिन हम हिमà¥à¤®à¤¤ करके बस में बैठगठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि फिर परली के लिठबस कà¥à¤› घंटों के बाद ही थी.
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