डाँगमाल के मैनग्रोव जंगलों के विचरण में बीती वो सुबह…..
मैनग्रोव के जंगल दलदली और नमकीन पानी वाले दुष्कर इलाके में अपने आपको किस तरह पोषित पल्लवित करते हैं ये तथ्य भी बेहद दिलचस्प है। अपना भोजन बनाने के लिए मैनग्रोव को भी फ्री आक्सीजन एवम् खनिज लवणों की आवश्यकता होती है। चूंकि ये पानी में हमेशा डूबी दलदली जमीन में पलते हैं इसलिए इन्हें भूमि से ना तो आक्सीजन मिल पाती है और ना ही खनिज लवण। पर प्रकृति की लीला देखिए जो जड़े अन्य पौधों में जमीन की गहराइयों में भोजन बनाने के लिए फैल जाती हैं वही मैनग्रोव में ऊपर की ओर बरछी के आकार में बढ़ती हैं। इनकी ऊंचाई 30 सेमी से लेकर 3 मीटर तक हो सकती है। जड़ की बाहरी सतह में अनेक छिद्र बने होते हैं जो हवा से आक्सीजन लेते हैं और नमकीन जल में घुले सोडियम लवणों से मैनग्रोव को छुटकारा दिलाते हैं। मैनग्रोव की पत्तियों की संरचना भी ऍसी होती है जो सोडियम लवण रहित जल को जल्द ही वाष्पीकृत नहीं होने देती।
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