
इनà¥à¤¦à¥Œà¤° – सैंटà¥à¤°à¤² मà¥à¤¯à¥‚ज़ियम और ज़ू दरà¥à¤¶à¤¨
संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ के मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° से अनà¥à¤¦à¤° घà¥à¤¸à¤¾ तो देखा कि टिकट खिड़की बनà¥à¤¦ है। मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤µà¤¨ के बाहर à¤à¥€ नाना पà¥à¤°à¤•ार की सैंकड़ों मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ वहां पर सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ देख कर मैने कैमरा निकाला और बकौल ननà¥à¤¦à¤¨ à¤à¤¾, नà¥à¤°à¥€à¤•à¥à¤·à¤£-पà¥à¤°à¥€à¤•à¥à¤·à¤£ शà¥à¤°à¥ हो गया। à¤à¤• सजà¥à¤œà¤¨ मेरे पास आकर बोले, कैमरे का टिकट ले लीजियेगा, अपना à¤à¥€à¥¤ अà¤à¥€ थोड़ी ही देर में टिकट काउंटर खà¥à¤² जायेगा। मैने पूछा कि तब तक मैं कà¥à¤¯à¤¾ करूं? इंतज़ार करना पड़ेगा? वह बोला, “नहीं, नहीं, आराम से देखिये, जहां à¤à¥€ चाहें, फोटो खींचिये। मेन बिलà¥à¤¡à¤¿à¤‚ग में à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कà¥à¤› है। रासà¥à¤¤à¤¾ इधर से है।” धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ कह कर मैं बेधड़क इधर-उधर घूमता फिरता रहा और à¤à¤• डेॠघंटे में पूरा संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ उलट-पà¥à¤²à¤Ÿ कर देख डाला।
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