घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ तो हमने धारà¥à¤®à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं से ही की थी, लेकिन जब से घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ तथा अनà¥à¤¯ वेब साईटों पर यातà¥à¤°à¤¾ वरà¥à¤£à¤¨ पढने का शौक लगा तà¤à¥€ से परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर जाने के लिये हमेशा ललचाते रहते थे लेकिन लंबे समय तक à¤à¤¸à¥€ कोई योजना बन नहीं पाई।
फिर जब घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर रितेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी की मनाली की शà¥à¤°à¤‚खला आई, उसने मà¥à¤à¥‡ इतना पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया की मैने उस शà¥à¤°à¤‚खला की à¤à¤• à¤à¤• पोसà¥à¤Ÿ को चार पांच बार पढा और हमने मन ही मन पकà¥à¤•ा निरà¥à¤£à¤¯ कर लिया की अब तो पहाड़ों पर जाना ही है।
मà¥à¤à¥‡ याद है जब घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ की ओर से नंदन जी ने मेरा फोन पर साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार (इंटरवà¥à¤¯à¥) लिया था तो मà¥à¤à¤¸à¥‡ à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया गया था की आप ने अब तक परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ की सैर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नही की तो मैने उनà¥à¤¹à¥‡ बताया था की मेरी हमसफ़र कविता जी को ठंड बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लगती है और वे सामानà¥à¤¯ से थोड़ी सी à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ठंड को बरà¥à¤¦à¤¾à¤¶à¥à¤¤ नहीं कर पाती हैं, चà¥à¤‚की मà¥à¤à¥‡ पहाड़ों के मौसम की जानकारी नहीं थी और मैं सोचा करता था की वहां बारहों महीने सà¥à¤¬à¤¹ शाम हर समय बस ठंड ही ठंड लगती रहती है। मेरे इस जवाब पर नंदन जी ने मà¥à¤à¥‡ बताया की à¤à¤¸à¥€ बात नहीं है की पहाड़ों पर हमेशा ही ठंड लगती है, वहां à¤à¥€ धूप निकलती है और खास कर गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में तो दिन में तेज धूप निकलती है और गरà¥à¤®à¥€ होती है, उनकी इस बात से मेरे हिमाचल जाने के निरà¥à¤£à¤¯ को और बल मिला, खैर वहां जाने के बाद हमने à¤à¥€ अनà¥à¤à¤µ किया की नंदन जी बिलà¥à¤•à¥à¤² सही कह रहे थे।

सैर के लिये तैयार टीम
2013 की मई के महीने में जब इंदौर में जबरà¥à¤¦à¤¸à¥à¤¤ गरà¥à¤®à¥€ शà¥à¤°à¥ हà¥à¤ˆ तो à¤à¤• गरà¥à¤® दोपहर को कविता के मन में किसी ठंडी जगह जाने की इचà¥à¤›à¤¾ जागà¥à¤°à¤¤ हà¥à¤ˆ और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ उसी समय औफ़िस फोन लगाया और अपनी कà¥à¤²à¥à¤²à¥-मनाली जाने की इचà¥à¤›à¤¾ जाहीर की, सà¥à¤¨à¤•र मà¥à¤à¥‡ तो बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खà¥à¤¶à¥€ हà¥à¤ˆ लेकिन अगले ही पल ये खà¥à¤¶à¥€ फ़ीकी पड़ गई कà¥à¤¯à¥‹à¤‚की उस समय कà¥à¤› नहीं हो सकता था, इतने कम समय में टà¥à¤°à¥ˆà¤¨, होटल आदी का आरकà¥à¤·à¤£ मिलना, लगà¤à¤— असंà¤à¤µ था अत: उस समय मन को मारना पड़ा लेकिन 2014 मई के लिठये टूर पकà¥à¤•ा हो गया।
2014 में फ़रवरी से ही मैने हिमाचल के लिये तैयारी शà¥à¤°à¥ कर दी थी। कालोनी के à¤à¤• सहà¥à¤•रà¥à¤®à¥€ मितà¥à¤° पिछले ही वरà¥à¤· यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² à¤à¤¸à¥‹à¤¸à¤¿à¤à¤¶à¤¨ ओफ़ इंडीया के फ़ैमिली à¤à¤¡à¤µà¥‡à¤‚चर कैंप में शामिल होकर मनाली जाकर आठथे, और उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ जो यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के कैंप के अनà¥à¤à¤µ बताठथे वे बड़े सà¥à¤–द थे अत: मैंने à¤à¥€ ये निरà¥à¤£à¤¯ लिया की हम लोग à¤à¥€ यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² की सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ लेकर उनके कैंप में ही जायेंगे (यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के बारे में विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से इस शà¥à¤°à¤‚खला की पोसà¥à¤Ÿ-3 में जानकारी देने की कोशिश करà¥à¤‚गा)। निरà¥à¤£à¤¯ होते ही फ़टाफ़ट यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² की सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ ली तथा टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ à¤à¤µà¤‚ शिमला में होटल का रिजरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ करवा लिया।
यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² कैंप में हमारा 4 रात तथा 5 दिन (19 से 23 मई) का पैकेज था तथा यह कैंप कà¥à¤²à¥à¤²à¥ तथा मनाली के बीच पतलीकà¥à¤¹à¤² कसà¥à¤¬à¥‡ के पास à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी के किनारे लगा था, जहां रहकर हम मनाली तथा उसके आसपास के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ घà¥à¤® सकते थे, लेकिन मैने इस यातà¥à¤°à¤¾ को विसà¥à¤¤à¤¾à¤° देते हà¥à¤ इसमें शिमला को à¤à¥€ जोड़ लिया और निरà¥à¤£à¤¯ लिया की हम लोग पहले अपने तरिके से शिमला घà¥à¤®à¤•र 19 तारिख को कैंप में शामिल हो जाà¤à¤‚गे, अत: 16 मई को रतलाम से अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ के लिठसà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ à¤à¤•à¥à¤¸à¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ में सवार हो गà¤, टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ का समय शाम 06.05 का था। टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ आई और अपने तय समय पर चल पड़ी।
सà¥à¤¬à¤¹ आठबजे के लगà¤à¤— टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ पहà¥à¤‚ची, हमें यहां से कालका पहà¥à¤‚चना था तथा वहां से कालका-शिमला टोय टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ से शिमला। अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ में दो घंटे के इनà¥à¤¤à¥›à¤¾à¤° के बाद हमें कालका के लिये टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ मिली जिसने हमें 11 बजे कालका पहà¥à¤‚चा दिया जहां से टोय टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ (हिमालयन कà¥à¤µà¤¿à¤¨) 12.10 बजे थी।

अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ रेलà¥à¤µà¥‡ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨

अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ से कालका की ओर
जितनी उतà¥à¤¸à¥à¤•ता हमें हिमाचल घà¥à¤®à¤¨à¥‡ की थी उतनी ही इस टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ में सफ़र करने की à¤à¥€ थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚की वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से इस विशà¥à¤µ विरासत टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ तथा इसके रूट के बारे में पढते सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ आ रहे थे।

कालका रेलà¥à¤µà¥‡ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨
कालका शिमला रेलवे का इतिहास:-
शिमला को रेल लिंक से जोड़ने का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ नवमà¥à¤¬à¤°,1847 में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया गया जोकि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯Â उप महादà¥à¤µà¥€à¤ª मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ- थाने के मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठपà¥à¤°à¤¥à¤® रेलगाड़ी से à¤à¥€ 6 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ दिया गया था। इस पूरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤®à¤¾à¤¨ के दो दशक के à¤à¥€à¤¤à¤° शिमला को सरकारी तौर पर बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ इंडिया की गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®à¤•ालीन राजधानी घोषित किया गया तथा इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में टेलीगà¥à¤°à¤¾à¤« सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ पहà¥à¤‚चने के साथ गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दौरान लगà¤à¤— à¤à¤• चौथाई आबादी इस छोटे शहर की तरफ रूख करने लगी। 19वीं शताबà¥à¤¦à¥€ के अंतिम दौर में इस लाइन का कारà¥à¤¯ जब पूरी तरह से आरंठहà¥à¤†, विशà¥à¤µ के इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के साधन समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ लोगों के लिठरेल यातà¥à¤°à¤¾ का आकरà¥à¤·à¤£ निरंतर बà¥à¤¤à¤¾ गया ।
बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ शासन की गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®à¤•ालीन राजधानी शिमला को कालका से जोड़ने के लिठ1896 में दिलà¥à¤²à¥€ अंबाला कंपनी को इस रेलमारà¥à¤— के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ सौंपी गई थी। समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 656 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कालका (हरियाणा) रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ को छोड़ने के बाद टà¥à¤°à¥‡à¤¨ शिवालिक की पहाड़ियों के घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° रासà¥à¤¤à¥‡ से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ 2,076 मीटर ऊपर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शिमला तक जाती है। 24 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 2008 को इसे यà¥à¤¨à¥‡à¤¸à¥à¤•ो दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विशà¥à¤µ धरोहर घोषित किया गया।
दो फीट छह इंच की इस नैरो गेज लेन पर नौ नवंबर, १९०३ से आजतक रेल यातायात जारी है। कालका-शिमला रेलमारà¥à¤— में 103 सà¥à¤°à¤‚गें और 869 पà¥à¤² बने हà¥à¤ हैं। इस मारà¥à¤— पर 919 घà¥à¤®à¤¾à¤µ आते हैं, जिनमें से सबसे तीखे मोड़ पर टà¥à¤°à¥‡à¤¨ 48 डिगà¥à¤°à¥€ के कोण पर घूमती है।
करà¥à¤¨à¤² बड़ोग की आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ की रोचक कहानी:-
सà¤à¤µà¤¤: इस मारà¥à¤— में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ सà¥à¤°à¤‚गें व पà¥à¤² इस लाइन को और अधिक महतà¥à¤µ देते है। सà¤à¥€ सà¥à¤°à¤‚गें 1900 और 1903 के बीच बनी है और सबसे लमà¥à¤¬à¥€ सà¥à¤°à¤‚ग बड़ोग सà¥à¤°à¤‚ग है जोकि 1 कि.मी. से अधिक लमà¥à¤¬à¥€ है। इस सà¥à¤°à¤‚ग के पिछे à¤à¥€ à¤à¤• रोचक कहानी है, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने इस रेल टà¥à¤°à¥ˆà¤• पर जब काम शà¥à¤°à¥‚ किया तो à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर à¤à¤• बड़ी पहाड़ी की वजह से टà¥à¤°à¥ˆà¤• को आगे ले जाने में दिकà¥à¤•तें आने लगीं, à¤à¤• बार तो हालात यह बन गठकि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने इस टà¥à¤°à¥ˆà¤• को शिमला तक पहà¥à¤‚चाने का काम बीच में ही छोड़ने का मन बना लिया, फ़िर à¤à¤• अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ ईंजिनीयर करà¥à¤¨à¤² à¤à¤¸. बड़ोग को इस कारà¥à¤¯ के लिये नियà¥à¤•à¥à¤¤ किया गया। करà¥à¤¨à¤² बड़ोग ने अपने उचà¥à¤š अधिकारियों से पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा पाने तथा कारà¥à¤¯ को आसानी से तथा कम समय में पà¥à¤°à¥à¤£ करने की गरज से à¤à¤• यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपनाई उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ यह निरà¥à¤£à¤¯ लिया की पहाड़ी के दोनों सिरों से à¤à¤• साथ खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ की जाà¤à¤—ी और फिर à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर दोनों तरफ़ की सà¥à¤°à¤‚गों के सिरे मिल जाà¤à¤‚गे और काम आसानी से तथा कम समय में पà¥à¤°à¤¾ हो जायेगा।
बड़ोग अपनी अà¤à¥€à¤¯à¤¾à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤•िय गणनाओं के आधार पर मजदà¥à¤°à¥‹à¤‚ को खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ के दिशा निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ देते रहे, लेकिन ईशà¥à¤µà¤° को कà¥à¤› और ही मंजà¥à¤° था, उनकी सारी गणनाà¤à¤‚ विफ़ल हो गईं और कई पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के बाद à¤à¥€ दोनों तरफ़ की सà¥à¤°à¤‚गों के छोर आपस में नहीं मिल पाà¤à¥¤ अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने के बाद यह माना गया कि सà¥à¤°à¤‚ग के दोनों सिरे आपस में नही मिल पाà¤à¤‚गे। इस विफलता के लिठइंजीनियर करà¥à¤¨à¤² बड़ोग को जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° ठहराया गया तथा दंडà¥à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प उन पर 1 रूपये का जà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¾ किया गया। विफ़लता के दंश, बदनामी तथा कà¥à¤‚ठा से परेशान होकर तथा कारà¥à¤¯ की असफलता से हतोतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होकर बड़ोग ने उसी अधà¥à¤°à¥€ सà¥à¤°à¤‚ग के अंदर जाकर पहले अपने पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पालतॠकà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ तथा बाद में अपने आपको गोली मार ली। इसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ तथा गांव का नाम उनके नाम पर बड़ोग रखा गया।
आज à¤à¥€ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤°à¤‚ग से 1 कि.मी. ऊपर घने ओक à¤à¤µà¤‚ पाइन से घिरी इस असफ़ल सà¥à¤°à¤‚ग को देखा जा सकता है। कहते हैं की करà¥à¤¨à¤² बड़ोग का à¤à¥‚त आज à¤à¥€ यदा कदा इस पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ सà¥à¤°à¤‚ग के आसपास घà¥à¤®à¤¤à¥‡ हà¥à¤ दिखाई दे जाता है। करà¥à¤¨à¤² बड़ोग की आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ के बाद नई सà¥à¤°à¤‚ग का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ उसी पहाड़ी पर à¤à¤• किलोमीटर दà¥à¤° अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर मà¥à¤–à¥à¤¯ अà¤à¥€à¤¯à¤‚ता à¤à¤š.à¤à¤¸. हैरिंगटन के परà¥à¤¯à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ में पà¥à¤¨: पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकिया गया जो पà¥à¤°à¥à¤£à¤¤: सफ़ल हà¥à¤† और आज टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ इसी सà¥à¤°à¤‚ग से होकर गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ है।

बड़ोग सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨

वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ बड़ोग सà¥à¤°à¤‚ग

पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ असफ़ल सà¥à¤°à¤‚ग
लगà¤à¤— सौ वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ, यह दà¥à¤°à¥à¤—म कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° जहां पर मामूली कृषि कारà¥à¤¯ किया जाता था, में उस समय कà¥à¤› परिवरà¥à¤¤à¤¨ आया जब सà¥à¤Ÿà¥€à¤® दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चलने वाले पाइल डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤°à¥‹à¤‚,फावड़ों,सà¥à¤°à¤‚ग खोदने वाले उपकरणों सहित करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देखा गया। कालका-शिमला रेलवे लाइन का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ संसार के सबसे चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€à¤ªà¥‚रà¥à¤£ इंजीनियरिंग कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में से था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जब यह पूरà¥à¤£ होगा तो यह 96.54 कि.मी. परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ टà¥à¤°à¥ˆà¤• को कवर करेगा और कालका से 640 मीटर अति उषà¥à¤£à¤¤à¤¾ से अधिक ठंड वाले कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤§à¥à¤¦à¤• शिमला की ओर 2,060 मीटर की ऊंचाई तक जाà¤à¤—ा।
इस लाइन की उस समय निरà¥à¤®à¤¾à¤£ लागत 1,71,07,748 रूपये थी। इस लाइन को बनाना जितना मंहगा था इसका अनà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤£ à¤à¥€ उतना ही मंहगा। टिनी कोचों के साथ टाà¤à¤¯ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ कटी हà¥à¤ˆ à¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और तिरछी छतों के बीच से होकर गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ हैं। इस मारà¥à¤— में यातà¥à¤°à¤¾ करने का अपना ही सà¥à¤–द अनà¥à¤à¤µ है और परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की इस यातà¥à¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मोड़ पर à¤à¤• नया अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ जà¥à¥œà¤¤à¤¾ है। जैसे-जैसे गाड़ी आगे बà¥à¤¤à¥€ है, पारà¥à¤¶à¥à¤µ में इंजन की सीटी के साथ गाड़ी की आवाज गूंजती रहती है। यह लाइन à¤à¥‚री पहाड़ियों, बांस, कैकà¥à¤Ÿà¥à¤¸ à¤à¤µà¤‚ उà¤à¤°à¥€ हà¥à¤ चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से होती हà¥à¤ˆ अलपाइन के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बीच से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ हà¥à¤ˆ हिमालय की तलहटी तक पहà¥à¤‚चती है। लाइन के साथ-साथ à¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ तथा पाइन वृकà¥à¤· बीच-बीच में दिखाई पड़ते है। लमà¥à¤¬à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान मनोहारी दृशà¥à¤¯ निरंतर दिखते रहते है, शिमला से पहले के कà¥à¤› किलोमीटर यह ओक और रोडोडेंडà¥à¤°à¤¨ के घने जंगलों से होकर गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ है।
पहाड़ों का सीना चीरकर बनाया गया यह परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ रेल मारà¥à¤— सचमà¥à¤š देखने लायक है, जीवन में कम से कम à¤à¤• बार इस टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ में बैठकर सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला के बेजोड़ नमà¥à¤¨à¥‡ इस रेल मारà¥à¤— का अनà¥à¤à¤µ हर किसी को अवशà¥à¤¯ लेना चाहिये। 15 से 20 किलोमीटर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घंटा की कछà¥à¤ की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से चलने वाली इस टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ में बैठकर आप हिमाचल के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ को करीब से तथा इतà¥à¤®à¥€à¤¨à¤¾à¤¨ से निहारने का मौका पा सकते हैं। यह टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ कालका से शिमला के 96 किलोमीटर के सफ़र को 6 से 7 घंटे में तय करती है। वैसे टैकà¥à¤¸à¥€ या बस के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ कालका से शिमला मातà¥à¤° 3 घंटे में पहà¥à¤‚चा जा सकता है लेकिन फिर à¤à¥€ शिमला जाने वाले हर परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• की इचà¥à¤›à¤¾ इसी टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ से शिमला जाने की होती है और जिसे इस टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ का टिकट मिल जाता है वह अपने आप को à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ समà¤à¤¤à¤¾ है। मैनें à¤à¥€ इस रà¥à¤Ÿ की à¤à¤• टोय टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ हिमालयन कà¥à¤µà¤¿à¤¨ में रिजरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ करवा लिया था।
तय समय पर टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ कालका से चल पड़ी। यह à¤à¤• पांच डिबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ की छोटी सी चेयर कार टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ थी जिसमें शीशे की बड़ी बड़ी खिड़कीयां विशेष रà¥à¤ª से परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के दà¥à¤°à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤µà¤²à¥‹à¤•न के लिये लगाई गईं हैं ताकी यातà¥à¤°à¥€ बाहर के खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत नज़ारों को बिना परेशानी के देख सकें।
पहली बार पहाड़ों पर जा रहे थे अत: मन में दो बातों की उतà¥à¤¸à¥à¤•ता थी की पहली यह की पहाड़ कब तथा कहां से शà¥à¤°à¥ होंगे और दà¥à¤¸à¤°à¥€ यह की ठंडा मौसम कहां से शà¥à¤°à¥ हो जाà¤à¤—ा, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚की कालका तक तो जमीन पà¥à¤²à¥‡à¤¨ ही थी और जबरà¥à¤¦à¤¸à¥à¤¤ गरà¥à¤®à¥€ à¤à¥€ लग रही थी।

खिलौना रेलगाड़ी

कालका सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से चलने की तैयारी में

थोड़ी सी पेट पूजा

खिलौना रेल अंदर से…

शिमला पहà¥à¤‚चने का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹…

चल पड़ी रेल पहाड़ों की ओर…
टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ कालका सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से निकलकर शहर से होते हà¥à¤ जा रही थी तà¤à¥€ कà¥à¤› दà¥à¤°à¥€ तय करते ही अनà¥à¤à¤µ हो गया की पहाड़ कालका शहर से ही शà¥à¤°à¥ हो जाते हैं और कालका से निकलते ही ठंडी हवा के à¤à¥‹à¤‚के à¤à¥€ शà¥à¤°à¥ हो गà¤, खैर हम तो यह सोचकर ही रोमांचित हà¥à¤ जा रहे थे की हम टोय टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ में बैठकर शिमला जा रहे हैं।
कालका के बाद टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ लगातार उंचाई पर चढती जा रही थी, न ढलान न समतल सिरà¥à¥ž चढाई। मन में ढेर सारा रोमांच, हिमाचल में होने का à¤à¤¹à¥à¤¸à¤¾à¤¸, छोटी सी खिलौना रेलगाड़ी, सà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ मौसम, ठंडी हवाओं के à¤à¥‹à¤‚के, खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत वादियां, घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° टà¥à¤°à¥‡à¤•, हर दो मिनट के बाद à¤à¤• सà¥à¤°à¤‚ग तथा कई सारे पà¥à¤², छोटे छोटे तथा सà¥à¤‚दर रेलà¥à¤µà¥‡ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ जो की आम रेलà¥à¤µà¥‡ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ से à¤à¤•दम अलग थे, आकरà¥à¤·à¤• तथा मनमोहक डिज़ाईनों में बने सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ à¤à¤µà¤¨ सब कà¥à¤› इतना अचà¥à¤›à¤¾ लग रहा था जैसे ये हकीकत न होकर कोई सपना हो।
हमलोग तथा टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ में सवार सà¤à¥€ सहयातà¥à¤°à¥€ इस सफ़र का à¤à¤°à¤ªà¥‚र आनंद ले रहे थे, हर कोई इन अनमोल नज़ारों को अपने कैमरों में कैद कर लेना चाहता था, फोटोगà¥à¤°à¤¾à¥žà¥€ की तो जैसे होड़ लगी हà¥à¤ˆ थी। अà¤à¥€ तो शिमला दूर था, सोच रहे थे यहीं इतना सà¥à¤‚दर लग रहा है तो शिमला कैसा होगा?

पिछे छà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ कालका….

चलती का नाम गाड़ी

पिछे छà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ कालका

घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° सड़क

कोटी सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ तथा पिछे से à¤à¤¾à¤‚कती सà¥à¤°à¤‚ग

मà¥à¤¸à¤¾à¥žà¤¿à¤°à¥€ का लà¥à¤¤à¥à¥ž

मà¥à¤¸à¤¾à¥žà¤¿à¤°à¥€ का लà¥à¤¤à¥à¥ž

टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ के समानांतर सड़क

टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ से दिखाई देता à¤à¤• पहाड़ी गांव तथा साथ साथ चलती सड़क

सनवारा सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨

सनवारा सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨

विशà¥à¤°à¤¾à¤® के कà¥à¤·à¤£

घने जंगलों तथा पहाड़ों से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ टà¥à¤°à¥ˆà¤¨

टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ रà¥à¤•ी और फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ शà¥à¤°à¥

सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ सफ़र और ये मौसम हà¥à¤¸à¥€à¤‚

सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ सफ़र और ये मौसम हà¥à¤¸à¥€à¤‚

à¤à¤• अनà¥à¤¯ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨

बड़ोग

टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ से दिखाई देता सोलन शहर

आखिर शिमला पहà¥à¤‚च ही गà¤
कालका शिमला रेलà¥à¤µà¥‡ के मधà¥à¤¯ आनेवाले सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ की सà¥à¤šà¥€ :
 0 किमी    कालका
 6 किमी    टकसाल
11 किमी    गà¥à¤®à¥à¤®à¤¨
17 किमी    कोटी
27 किमी    सनवारा
33 किमी    धरà¥à¤®à¤ªà¥à¤°
39 किमी    कà¥à¤®à¤¾à¤°à¤¹à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€
43 किमी    बड़ोग
47 किमी    सोलन
53 किमी    सलोगड़ा
59 किमी    कंडाघाट
65 किमी    कनोह
73 किमी    कैथलीघाट
78 किमी    शोघी
85 किमी    तारादेवी
90 किमी    टोटॠ(जतोग)
93 किमी    समर हिल
96 किमी    शिमला
इस खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत सफ़र का आनंद उठाते हà¥à¤ शाम करीब 6.30 पर हम शिमला रेलà¥à¤µà¥‡ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर पहà¥à¤‚च गà¤. आगे की कहानी पढने तथा शिमला दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये इनà¥à¤¤à¥›à¤¾à¤° किजीठअगले रविवार का……
आà¤à¤¾à¤°: जानकारी तथा कà¥à¤› चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के लिये (www.ambalarail.com, wikipedia and google)
Mukesh Bhai,
So finally to the hills & what a great debut. Actually you were lucky to get a reservation in Himalayan Queen. I tried it so many times but always in vain however, by your courtesy I finally enjoyed the ride. While driving upto Shimla, the train often comes in scene & its mere sight is so sensational, you & kids must have had a great time enjoying the ride.
As usual your log is very refreshing and informative. Too many photos make the log more meaningful. It is actually needed to fix too many genuine photos to improve the charm of a travelogue. Well done & keep going. Waiting to read your experience at the YHAI Camping expedition, eagerly.
Keep traveling
Ajay
Ajay ji,
Thank you very much for your sweet words. It’s great to see your comment on my debut post after a couple of months. YHAI camp experience was awesome…..
Thanks.
Mukesh Bhai,
It was your`Great Debut, to the Hills, I meant.
Thanks
मुकेश जी ,कालका -शिमला रेलवे के बारे इतनी जानकारी, और सुन्दर चित्रों से भरी पोस्ट को साँझा करने के लिए बहुत धन्यवाद।
एक छोटो सी गलतफहमी के चलते मैं आपसे अम्बाला में मिल नहीं पाया जिसका मुझे अभी तक अफ़सोस है। आप जैसे सज्जन मित्र से मिलकर मुझे बहुत ख़ुशी होती। मेरे अनुसार आप को अम्बाला रविवार पहुंचना था लेकिन आप शनिवार को आये और जब मैंने फ़ोन किया तब तक आप कालका पहुँच चुके थे. आप अम्बाला में दो घंटे ठहरे और यदि आपने फ़ोन किया होता तो मैं तुरंत पहुंच जाता। मेरा ऑफिस भी स्टेशन से सिर्फ एक किलोमीटर की दुरी पर है।
चलो फिर कभी मुलाकात होगी ………….
अगली पोस्ट के इंतजार में ………….
नरेश जी,
मधुर शब्दों से लिखी आपकी इस सुमधुर टिप्पणी के लिये आभार. हमने भी आपको अम्बाला में बहुत मिस किया. एक दिन पहले ही आपसे फोन पर बात हुई थी और मैने आपको अपना प्लान बताया था, फिर अम्बाला पहुंचने वाले दिन सुबह से ही आपके फोन का इंतज़ार कर रहा था, फिर मैने सोचा की आप कहीं व्यस्त होंगे और मैने आपको डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा. चलिये कोई बात नहीं रब ने चाहा तो फिर कभी मिलेंगे।
धन्यवाद .
परम प्रिय मुकेश भालसे परिवार,
आज मेल बॉक्स में घुमक्कड़ डॉट कॉम से आई हुई मेल देखी ! बैंक की व्यस्तताओं के चलते घुमक्कड़ी का शौक अक्सर ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहता है आज कल । परन्तु कालका – शिमला toy train के बारे में नई पोस्ट आई है – यह देख कर लिंक को क्लिक कर दी दिया। मुकेश भालसे का नाम देखा तो बांछें खिल गईं और पूरी पोस्ट और सभी फोटो देख डालीं । कालका शिमला रेल यात्रा का वर्णन मैं भी घुमक्कड़ डॉट कॉम पर कर चुका था – https://www.ghumakkar.com/shimla-by-toy-train/ तो जानने की उत्सुकता थी कि आपकी निगाह ने क्या – क्या नई चीज़ें देखीं और अनुभव कीं ! मि. बरोग के बारे में आपने जो जानकारी दी, उसका तो मुझे बिल्कुल भी पता नहीं था। मैने वह असफल सुरंग भी नहीं देखी! मेरे विचार में कुछ वर्ष पहले जम्मू काश्मीर के बीच में रेल मार्ग के लिये जो सुरंग बनाई जा रही थी, वह भी असफल हो गई थी पर सौभाग्य से किसी ने उसमें आत्म-हत्या नहीं की।
अगली पोस्ट का इंतज़ार रहेगा। यूथ हॉस्टल वाले मेरी आयु के घुमक्कड़ को यूथ मानने को तत्पर हों तो मैं भी सदस्यता ग्रहण कर लूं !
आदरणीय सुशांत जी,
प्रणाम.
आपकी कमेंट देखकर हमारी भी बांछें खिल गईं, सुंदर तथा प्रभावी टिप्पणी के लिये धन्यवाद.
युथ होस्टल में सदस्यता लेने के लिये उम्र का कोई बंधन नहीं है, और आपको ये सोचने की आवश्यकता ही क्या है, आप किसी युवा से कम हैं क्या? मेरे खयाल से युवावस्था का उम्र से कोई लेना देना नहीं है, मनुष्य की सोच तथा उसका द्रष्टिकोण उसको युवा बनाता है. हमारे मनाली कैंप में एक पुरा ग्रुप (लगभग 28 परिवार) एस.बी.आई. के सेवानिव्रत्त अधिकारीयों का था जिनमें से कुछ लोग तो 70+ थे.
तो आप YHAI में सादर आमंत्रित हैं.
धन्यवाद.
pleased to read…. waiting for next..
Mr. Singh Thanks a lot for your encouraging comment.
प्रिय मुकेश जी…..नमस्कर
सर्वप्रथम आपको धन्यवाद कि आप मेरी पोस्ट से प्रोह्त्साहित होकर आप इस यात्रा पर निकल पड़े और आपने ख़ूब एन्जॉय किया…….
आपका लेख कालका-शिमला पर्वतीय रेल – एक अद्भुत सफ़र वास्तव में एक अद्भुत लेख लगा और फोटो तो शानदार लगे ही….
हम भी एक बार शिमला से वापिसी में इस पर्वतीय रेल से यात्रा कर चुके है…और वास्तव में इस रेल से यात्रा करना अपने आप में एक अद्भुत अनुभव है | आपने अपने लेख कालका-शिमला पर्वतीय रेल के बारे में काफी विस्तार से वर्णन किया काफी कुछ नई जानकारी हमे मिली ….उसके लिए धन्यवाद |
कल ही हम भी अपनी सिक्किम (गंगटोक) और दार्जीलिंग की यात्रा समाप्त करके वापिस लौटे है आज आप के लेख के माध्यम से फिर एक नई यात्रा का लुफ्त मिलने वाला है |
अगले लेख की प्रतीक्षा में ……
रीतेश…..
रितेश जी,
इस उत्साहवर्धक टीप्पणी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद. आपकी सिक्किम दार्जीलिंग यात्रा के बारे में जानने की उत्सुकता है, अब जल्दी से फ़ुर्सत निकालकर लिखना शुरु कर दिजिए.
धन्यवाद.
Very Interesting………..waiting for next
Thanks Santosh ji for your lovely comment.
सुबह आठ बजे के लगभग ट्रैन अम्बाला पहुंची, हमें यहां से कालका पहुंचना था तथा वहां से कालका-शिमला टोय ट्रैन से शिमला। अम्बाला में दो घंटे के इन्तज़ार के बाद हमें कालका के लिये ट्रैन मिली जिसने हमें 11 बजे कालका पहुंचा दिया जहां से टोय ट्रैन (हिमालयन क्विन) 10.10 बजे थी।
I think, Toy Train (Himalay Queen) time is 12.10.
संतोष जी,
यह एक टायपो मिस्टेक थी, ध्यान आकर्षित करवाने के लिये आभार. जल्द ही पोस्ट में सुधार कर दिया जाएगा.
धन्यवाद.
Dear Mukesh Bhai,
Great Photography and a beautiful write up. You refreshed the memories of my Honeymoon train journey by Shivalik Express from Kalka to Shimla. It was a great and memorable journey.
Thank you for sharing this. I will wait for your coming log. Hope the same will be published before 06.07.2014. I will be on my Amarnath Yatra and summer tour to Ladakh from 06.07.14 to 20.07.14.
Dear Anupam,
Thanks you very much for your lovely comment and words of appreciation. In our coach also there were 2-3 honeymoon couples and they were enjoying the beauty of surroundings and their togetherness.
Best of luck for your Amarnath Yatra, may you get the darshan of almighty. Sorry for getting delayed in replying.
Thanks.
Long time Mukesh. Very happy to see your post on hills and after reading it, I faintly remember the conversation we had. Glad that you made it to hills and I can only say that you are going to keep coming back at it, such is the charm.
When we took this train, it was more like a regular old-world train. I think there are multiple trains and the this one looks more suited for tourists with bigger windows.
Didn’t know about Barog though we frequented a close-by place few years back. A relative had a house in Subathu and that was a big enough excuse to head out. You wont believe that I have not been to Himachal (if I do not count a special visit I did in 2013 July/Aug) for close to 4 years. I have not been to the Himalayan Expressway, Oh…
Thanks again Mukesh for the lovely write-up.
I think we could have optimized on the number of photos. One of them (leaving Kalka behind) seems like a duplicate. When you make the time-change of the train, please also review the pictures.
When do we get to read the next part ?
Nandan,
Thank you very much for the comment. Yes we finally made it, and you are right now fond of the hills and keep on talking about those snow capped mountains and that unforgettable charm of Himachal.
I have already made necessary corrections in the post and also I am trying my best to reduce the photos from next post.
Thanks,
Wow, makes me remember my many journeys by this train. Amazing
Thanks Sandeep for the comment …….
Hi मुकेश जी
काफी लम्बे अंतराल के बाद आपकी कोई पोस्ट पड़ने को मिली और वो भी आपकी पहली पर्वर्तीय यात्रा के संस्मरणों की !
हिमाचल के पहाढ़ तो अपने आप में खूबसूरत हैं ही, और यहाँ अनेक पाठक इन जगहों पर पहले भी जा ही चुके होंगे, लेकिन आपके विवरण ने सभी के मन में एक नई उमंग भर दी है और मैं ऊपर के कमेंट्स में नोट कर रहा था कि इस पोस्ट के माध्यम से वो सब अपनी स्मृतियों को ताजा कर रहे थे, ये आपके लेखन की वास्तविक सफलता है !
FB पर पिछले दिनों में आपके द्वारा डाले गए चित्रों से आपकी मनाली यात्रा की सूचना तो थी ही बस इंतज़ार केवल इतना था कि आपकी पोस्ट कब आती है ! इस यात्रा के आगाज़ का वर्णन आपने बखूबी किया है, ट्रेन का विवरण मजेदार है और मुझे विश्वास है कि आपके साथ-साथ आगे और भी मजा आने वाला है !
अवतार सिंह जी,
सबसे पहले विलंब से कमेन्ट करने के लिए क्षमा। आपने पोस्ट पढ़ी और इतने सुन्दर शब्दों में कमेन्ट की उसके लिए आपको हार्दिक धन्यवाद। ऐसे ही उत्साहवर्धन करते रहें, घूमते रहें घुमाते रहें, और अब तो अच्छे दिन भी आ गए हैं। बड़े दिनों से आपको भी नहीं पढ़ा है, कब लिख रहे हैं?
Wah mukesh bhai wah Maza as gaya aur romanchit ho utha Jab revival hota hai purani yaado ka to romanchit Hona swabhavik hai.ek Baat main bhi Share karna chahunga kalka me kalka mail k aane ke baad mt. Shivalik train khulti hai.uske baad dusri train hai.us me ek ladies coach bhi lagta hai.puri train bhari thi aur mera reservations nahi that tabhi 2lady aaee aur lady coach guard se kahkar khulwaya.Maine wife aur bachcho ko bithaya par guard mujhe baithne nahi de raha tha tab mere request par mujhe soghi tak lady coach me baithne ki anumatee dee par main shimla tak usi me chala gaya.bahut achchha tour that ab jaa raha hoon aage padhne.
राजेश प्रिया जी,
जवाब देने में देरी के लिए माफ़ी चाहता हुं. आप शुरु से ही मेरे मार्गदर्शक तथा शुभचिंतक रहे हैं, अत: आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुमुल्य है. आप जैसे मित्रों की वजह से ही ये शौक अब तक जीवित है, और आप लोगों की प्रेरणा से ही ये संभव हो पाता है. जानकर प्रसन्नता हुई की अन्तत: आपको भी शिमला तक बैठ कर जाने के लिए जगह मिल ही गई, अंत भला तो सब भला….
धन्यवाद.
MUKESH BHALSEJI
NAMSTE,
MAI UMSHANKAR PANCHAL ,98 KALANI NAGAR, INDORE ME RAHTA HU
MUJHE BHI GHUMNE KA BAHUT SHOK HAI. MAIN BHI FAMILY KE SATH 11,MAY,2008 KO SHIMLA,KULLU MANALI KI YAATRA PER GAYA THA. AAPKA BLOG PAD KAR PHIR SE SHIMLA,KULLU MANALI GHUMNE KI ICHCHHA HO RAHI. MANLI BAHUT HI SUNDER HILL STATION HAI MAN KARTA THA KUCHH DIN AUR RUKNA CHAHIYE THA.PL.APKA MOBILE NO.
DEEJIYE.
MY MOBILE NO.9826420109
पांचाल जी,
बड़ी खुशी होती है जब घुमक्कड़ पर अपने आस पास के लोग दस्तक देते हैं, आप इन्दौर से हैं जानकर बड़ा अच्छा लगा. मेरा सेल नंबर है – 7898909043. आप कभी भी मुझे फ़ोन लगा सकते हैं, और फोन क्या हम लोग तो आपस में मिल भी सकते हैं. आपके फोन का इंतज़ार रहेगा.
धन्यवाद.
Dear Mukesh ji,
I’m from Indore. It was indeed a great pleasure to read your blog. I was casually searching some info about Simla-Kullu-Manali tour & found your descriptive blog. Thanks for sharing such a interesting info in detail. Also thanks for introducing me with YHAI. I’ve submitted my application yesterday through on-line portal. I’ve noted down your mobile number & would like to call you once. In fact I’d like to meet you by this week end if possible.
Thanks once again.
Pawan Nirban
bhalse ji aapka number chahiye tha aapse baat krna thi bahut hi khubsurat varnan kiya aapne trip ka mja aagya