इस सड़क की एक और विशेषता यह है कि उस सड़क पर पर्यटकों की भरमार होने के कारण स्कूटर, मोटर साइकिल, हाथ ठेली पर ऊनी वस्त्र बेचने वाले हर रोज़ सुबह-शाम भरपूर मात्रा में दिखाई देते हैं। रात को हम खाना खा कर लौटे तो भी वहां बहुत भीड़ लगी थी और सुबह आठ बजे तक वहां ऐसे दुकानदारों का अंबार लग चुका था। कुछ स्कूल भी आस-पास रहे होंगे क्योंकि छोटे-छोटे, प्यारे – प्यारे, दूधिया रंग के कश्मीरी बच्चे भी स्कूली वेषभूषा में आते-जाते मिले। कुछ छोटे बच्चों को जबरदस्ती घसीट कर स्कूल ले जाया जाता अनुभव हो रहा था तो कुछ अपनी इच्छा से जा रहे थे। भारतीय सेना की एक पूरी बटालियन वहां स्थाई कैंप बनाये हुए थी। हमारे होटल के बिल्कुल सामने सड़क के उस पार सेना के सशस्त्र जवान केबिन बना कर उसमें पहरा दे रहे थे। मुझे आश्चर्य हो रहा था कि यहां तो बिल्कुल शान्ति है फिर इतनी सतर्कता की क्या जरूरत है? पर जैसा कि एक सेना के अधिकारी ने मुझे अगली सुबह गप-शप करते हुए बताया कि यहां शांति इसीलिये है क्योंकि हर समय सेना तैयार है। अगर हम गफलत कर जायें तो कब कहां से हिंसा वारदात शुरु हो जाये, कुछ नहीं कहा जा सकता। दो दिन बाद, 18 मार्च को हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच में एक दिवसीय क्रिकेट मैच था । हमारा ड्राइवर प्रीतम प्यारे गुलमर्ग से लौटते समय बहुत तनाव में था क्योंकि दोपहर तक पाकिस्तान का पलड़ा भारी नज़र आ रहा था। वह बोला कि अगर पाकिस्तान मैच जीत गया तो शाम होते – होते कश्मीर की स्थिति विस्फोटक हो जायेगी ।
Newly concept …nicely directed & well narrated by the little one..!!
Keep exploring & keep on posting..
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