पà¥à¤°à¤¿à¤¯ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚,
संकरी सी उस सड़क पर तीन चार किमी चल कर हमें दूर से à¤à¤• बà¥à¤°à¥à¤œ दिखाई देना शà¥à¤°à¥ हà¥à¤†à¥¤Â रासà¥à¤¤à¥‡ में जो – जो à¤à¥€ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• टाइप के à¤à¤µà¤¨ हमें दिखाई दे रहे थे, हम गाइड से पूछ रहे थे कि à¤à¤ˆ, इनको कब दिखाओगे? वह हमें लारे-लपà¥à¤ªà¥‡ देता रहा कि लौटते हà¥à¤ देखेंगे पर वापसी के समय हम और किसी मारà¥à¤— से वापिस लाये गये।   चलो खैर, अलà¥à¤Ÿà¥€à¤®à¥‡à¤Ÿà¤²à¥€ हम उस à¤à¥€à¤®à¤•ाय à¤à¤µà¤¨ के निकट जा पहà¥à¤‚चे जो दूर से à¤à¤• छोटा सा बà¥à¤°à¥à¤œ महसूस हो रहा था। वहां लिखा था – रानी रूपमती का महल !  वहां हमने थोड़ी देर तक इमली वाले ठेले पर इमली के रेट को लेकर बहस की। ये मांडू की विशेष इमली थी जिसके बारे में मà¥à¤•ेश ने बताया कि ये सिरà¥à¤« यहां मांडू की जलवायॠका ही पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª है कि यहां ये इमली उगती है। मैं अपने जनà¥à¤® से लेकर आज तक इमली के नाम पर अपने परचून वाले की दà¥à¤•ान पर जो इमली देखता आया हूं, वह तो छोटे – छोटे बीज होते हैं जिनके ऊपर कोकाकोला रंग की खटास चिपकी हà¥à¤ˆ होती है और बीज आपस में à¤à¤• दूसरे से पेपà¥à¤¸à¥€ कलर के धागों से जà¥à¥œà¥‡ रहते हैं। वह ये तो इमली के फल थे जिनके à¤à¥€à¤¤à¤° बीज होने अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ थे। बाहर से इस फल पर इतने सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° रोयें थे कि बस, कà¥à¤¯à¤¾ बताऊं = à¤à¤•दम सॉफà¥à¤Ÿ à¤à¤‚ड सिलà¥à¤•ी ! दूर से देखो तो आपको लगेगा कि शायद बेल बिक रही है, पर पास जाकर देखें तो पता चलता है कि इमली के फल की शकà¥à¤²-सूरत बेल के फल से कà¥à¤› à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ है और साथ में रोयें à¤à¥€ हैं! जब रेट को लेकर सौदा नहीं पटा तो हम टिकट लेकर रानी रूपमती के महल या मंडप की ओर बॠचले जो नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी से 305 मीटर की ऊंचाई पर à¤à¤• पहाड़ी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह मà¥à¤à¥‡ किसी à¤à¥€ à¤à¤‚गिल से महल या मंडप अनà¥à¤à¤µ नहीं हà¥à¤†à¥¤Â अब जैसा कि पà¥à¤¨à¥‡ को मिला है, ये मूलतः सेना के उपयोग में आने वाली à¤à¤• मचान हà¥à¤† करती थी जिसमें मधà¥à¤¯ में à¤à¤• बड़ा परनà¥à¤¤à¥ नीची छत वाला हॉल व उसके दोनों ओर दो कमरे थे। पर बाद में उसमें विसà¥à¤¤à¤¾à¤° करके ऊपर बà¥à¤°à¥à¤œ व दो गà¥à¤‚बद बनाये गये। ये बà¥à¤°à¥à¤œ वासà¥à¤¤à¤µ में आकरà¥à¤·à¤• पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती है। ये सब काम सिरà¥à¤« इसलिये कराने पड़े थे चूंकि रानी रूपमती को नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के दरà¥à¤¶à¤¨ किये बिना खाना नहीं खाना होता था, अतः वह यहां से ३०५ मीटर नीचे घाटी में à¤à¤• चांदी की लकीर सी नज़र आने वाली नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की धारा को देख कर संतोष कर लिया करती थीं और à¤à¤¤à¤¦à¤°à¥à¤¥ नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ यहां आया करती थीं। इसी कारण बाज़ बहादà¥à¤° ने इसमें कà¥à¤› परिवरà¥à¤¤à¤¨ कराकर इसे इस योगà¥à¤¯ कर दिया कि जब रूपमती यहां आयें तो वह रानी से कà¥à¤› अचà¥à¤›à¥‡ – अचà¥à¤›à¥‡ गानों की फरमाइश कर सकें और चैन से सà¥à¤¨ सकें। जैसा कि आज कल के लड़के – लड़कियां मंदिर में जाते हैं तो à¤à¤—वान के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के अलावा à¤à¤• दूसरे के à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ लेकर जाते हैं, à¤à¤¸à¥‡ ही रानी रूपमती और बाज बहादà¥à¤° à¤à¥€ यहां आकर पà¥à¤°à¤£à¤¯ – पà¥à¤°à¤¸à¤‚गों को परवान चà¥à¤¾à¤¤à¥‡ थे। खैर जी, हमें कà¥à¤¯à¤¾!Â
मांडू में इन à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ के दरà¥à¤¶à¤¨ करते समय यह सदैव सà¥à¤®à¤°à¤£ रखना चाहिये कि ये लगà¤à¤— छटी शताबà¥à¤¦à¥€ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हैं जो परमार राजाओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाये गये थे, सैंकड़ों वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक तिरसà¥à¤•ृत à¤à¥€ पड़े रहे हैं, न जाने कितने यà¥à¤¦à¥à¤§ और षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤°à¥‹à¤‚ की गाथाà¤à¤‚ अपने अनà¥à¤¦à¤° समेटे हà¥à¤ हैं। जितने à¤à¥€ विदेशी आकà¥à¤°à¤¾à¤‚ता यहां इस देश में आये हैं – चाहे वे मà¥à¤—ल हों, खिलजी हों, गौरी हों – उनका इतिहास सतà¥à¤¤à¤¾, धन और सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ लोलà¥à¤ªà¤¤à¤¾ का इतिहास रहा है, इन à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ की उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने सिपहसालारों के हाथों मरमà¥à¤®à¤¤ करवाई, अतः वह हिनà¥à¤¦à¥‚ व अफगान – मà¥à¤—ल सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯à¤•ला के नमूने मान लिये गये। हमारे सहारनपà¥à¤° में à¤à¥€ à¤à¤• à¤à¤µà¤¨ मैने देखा जिस की वाहà¥à¤¯ दीवारों पर सदियों पहले से, बेइंतहाशा खूबसूरत, रंग-बिरंगे à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿ चितà¥à¤° उकेरे हà¥à¤ दिखाई देते थे। ये à¤à¤µà¤¨ किसी अपरिचित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त संपतà¥à¤¤à¤¿ है, यह सोच कर मैने कà¤à¥€ उस à¤à¤µà¤¨ की फोटो नहीं खींचीं यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ मन हमेशा करता रहा। फिर à¤à¤• दिन देखा कि उन सब à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿ चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ और पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤° को उखाड़ा जा रहा है। तीन चार दिन बाद उस दीवार पर टाइलें लगाई जा रही थीं! बाबा और पिता के देहानà¥à¤¤ के बाद बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने à¤à¤µà¤¨ का मालिकाना हक पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हà¥à¤ पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की इस अमूलà¥à¤¯ निधि को कचरा समठकर फेंक दिया और वहां टाइलें फिट करा लीं ! निशà¥à¤šà¤¯ ही सौ-पचास साल बाद इस à¤à¤µà¤¨ को à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ और यूरोपीय सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला का नायाब नमूना घोषित कर दिया जायेगा।  हमारे गाइड ने à¤à¥€ बार-बार हमें बताया कि मांडू परमार राजाओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बसाया गया दà¥à¤°à¥à¤— और राजधानी थी जिसे मांडवगॠकहा जाता था। पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ में तोड़ – फोड़ करके किसी को जामी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ नाम दे दिया गया तो किसी को अशरà¥à¤«à¥€ महल घोषित कर दिया गया।
मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के इतिहास को पà¥à¤¤à¥‡ हà¥à¤ यही आà¤à¤¾à¤¸ हà¥à¤† है कि गौरी, खिलजी, अफगान, मà¥à¤—ल आकà¥à¤°à¤¾à¤‚ता यहां आते रहे, अपने पिता और बाबा के मरने की धैरà¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ न कर पाने के कारण उनकी हतà¥à¤¯à¤¾ करते रहे और उनका सिंहासन हथियाते रहे। यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का अपहरण करके जबरदसà¥à¤¤à¥€ उनको अपने हरम की शोà¤à¤¾ बनाते रहे, दसवीं शती में बसाई गई राजा à¤à¥‹à¤œ की इस नगरी के à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ में अपनी इचà¥à¤›à¤¾ व आवशà¥à¤¯à¤•तानà¥à¤¸à¤¾à¤° तोड़-फोड़ कराते हà¥à¤, अपनी अपसंसà¥à¤•ृति के अनà¥à¤•ूल मनमाने परिवरà¥à¤¤à¤¨ करते रहे और अब ये ’à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯-अफगान-मà¥à¤—ल-खिलजी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ कला’ के नमूने माने जा रहे हैं। खैर जी, हमें कà¥à¤¯à¤¾?
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रूपमती पैवेलियन के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° से ऊपर मंडप तक की यातà¥à¤°à¤¾ S आकार की सरà¥à¤ªà¤¿à¤²à¤¾à¤•ार सड़क से होकर पैदल ही पूरà¥à¤£ करनी होती है। जो विदेशी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• सड़क पर घूमते – फिरते ऊपर जाना चाहते हैं, वह सड़क से जाते हैं और हमारे जैसी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनता जो रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर ओवरबà¥à¤°à¤¿à¤œ के बजाय पटरी पार करके दूसरे पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर जाने में ही समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ मानती है, वह ऊबड़-खाबड़ सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से होकर फटाफट ऊपर पहà¥à¤‚च जाते हैं। शिवम और संसà¥à¤•ृति हमें इसी ऊबड़-खाबड़ सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से ऊपर लेगये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को वैसे à¤à¥€ बनà¥à¤¦à¤°à¥‹à¤‚ की तरह से उछल-कूद करने में कतई कषà¥à¤Ÿ नहीं होता है। हम ऊपर पहà¥à¤‚च कर अपनी सांसों पर काबू कर ही रहे थे कि मà¥à¤‚डेर से नीचे सड़क पर सैंकड़ों की संखà¥à¤¯à¤¾ में सà¥à¤•ूली बालिकाà¤à¤‚ और बालक पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¬à¤¦à¥à¤§ होकर आते दिखाई दिये जो शायद किसी à¤à¤œà¥à¤•ेशनल टà¥à¤…र के ततà¥à¤µà¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ में लाये गये थे। इतने सारे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ – बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के आगमन से अब ये मंडप à¤à¥à¤¤à¤¹à¤¾ हवेली नहीं, बलà¥à¤•ि à¤à¤• पिकनिक सà¥à¤¥à¤² बन गया था जहां हर किसी के हाथ में à¤à¤• मोबाइल कैमरा नज़र आ रहा था।
इस à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² का जायज़ा लेने के बाद हम पà¥à¤¨à¤ƒ नीचे पारà¥à¤•िंग तक पहà¥à¤‚चे, इमली वाले से पà¥à¤¨à¤ƒ रेट को लेकर बहस की और कार में बैठकर आगे चल पड़े। अब सड़क के किनारे दाईं ओर हमें दो à¤à¤µà¤¨ दिखाई दिये – à¤à¤• छोटा और à¤à¤• बड़ा ! कार रोक कर देखा कि इमली वालों की ठेलियां यहां à¤à¥€ मौजूद थीं । पà¥à¤¨à¤ƒ उनसे रेट पूछे गये। उन à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ के बारे में पता चला कि वे दाई महल के रूप में जाने जाते हैं। इन à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ की खास बात ये थी ये सड़क से यदि जोर से आवाज़ दें तो उन à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ की ओर से हमारी आवाज़ गूंज कर वापिस लौट आती है। पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी को यह जानकर विशेष पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ होगी कि हमने वहां ’वनà¥à¤¦à¥‡ मातरमà¥â€Œâ€™ के खूब नारे लगाये और दाइयों ने à¤à¥€ अपने महल में से हमारे नारों का बखूबी पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥à¤¤à¥à¤¤à¤° दिया। अब यह बात जà¥à¤¦à¤¾ है कि वहां अब दाइयां नहीं रहतीं, हमारी आवाज़ उन à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ में से ही लौट कर हमें वापिस मिल रही थी । जब नूरजहां ही नहीं रहीं जो काफी पà¥à¤°à¥‡à¤—à¥à¤¨à¥‡à¤‚ट रहा करती थीं तो दाइयों का ही कà¥à¤¯à¤¾ काम! हां, वहां पर हमें लंगूर काफी अधिक संखà¥à¤¯à¤¾ में दिखाई दिये पर उनको किसी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• से कà¥à¤› लेना देना है, à¤à¤¸à¤¾ लग नहीं रहा था। सामान छीनने à¤à¤ªà¤Ÿà¤¨à¥‡ की उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कोई कोशिश नहीं की !  इस मामले में हमारे लंगूर उन विदेशी आकà¥à¤°à¤¾à¤‚ताओं से कई गà¥à¤¨à¤¾ बेहतर साबित हà¥à¤ जो दूसरों के महल, मंदिर और यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ छीनने में ही अपनी वीरता मानते थे।  जानवर अगर à¤à¥‚खा न हो तो किसी से रोटी à¤à¥€ नहीं छीनता !   इससे पहले कि मांडू दरà¥à¤¶à¤¨ के अपने किसà¥à¤¸à¥‡ को आगे बà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जाये, à¤à¤• नज़र इस बोरà¥à¤¡ पर डालिये जो हमें मांडू सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€ राम मंदिर के आंगन में लगा हà¥à¤† मिला था। यह शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® मंदिर इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ है कि यह देश का à¤à¤•मातà¥à¤° à¤à¤¸à¤¾ मंदिर है जहां शà¥à¤°à¥€ राम चतà¥à¤°à¥à¤à¥à¤œ रूप में विराजमान हैं। इन मंदिर में यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के ठहरने की सामानà¥à¤¯ सी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है जो तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकती है पर परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के लिये नहीं !
यहां से आगे बà¥à¥‡ तो नंबर आया बाज बहादà¥à¤° के महल का ! अब सच कहूं तो या तो मà¥à¤à¥‡ अकà¥à¤² नहीं है कि मैं पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• इमारतों की खूबसूरती को पहचान पाऊं या फिर शायद ये इमारत खूबसूरत थी ही नहीं ! यह à¤à¥€ संà¤à¤µ है कि कà¤à¥€ खूबसूरत रही होगी पर à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ राजा का महल कैसे खूबसूरत बना रह सकता है जो अकबर की फौज के आगमन की आहट सà¥à¤¨ कर ही अपनी तथाकथित पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ रानी रूपमती को उसके हाल पर छोड़ कर à¤à¤¾à¤— गया हो? बेचारी रूपमती ने बाज बहादà¥à¤° के à¤à¤¾à¤— जाने के बाद मà¥à¤—ल आकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¾à¤“ं के हाथों जितने जà¥à¤²à¥à¤® सहे और अनà¥à¤¤ में à¤à¤• मà¥à¤—ल के हरम में जीवन बिताने के बजाय ज़हर खाकर पà¥à¤°à¤¾à¤£ तà¥à¤¯à¤¾à¤— देना बेहतर समà¤à¤¾, यह सब वरà¥à¤£à¤¨ सà¥à¤¨à¤•र तो पतà¥à¤¥à¤° दिल इंसान के à¤à¥€ आंसू निकल आयेंगे। पर हां, à¤à¤• बात वहà¥à¤¤ विशिषà¥à¤Ÿ थी यहां पर ! यहां हमें à¤à¤• चबूतरे पर बैठा हà¥à¤† à¤à¤• वृदà¥à¤§ मिला जो बांसà¥à¤°à¥€ बजा रहा था। मैने उसकी बांसà¥à¤°à¥€ रिकारà¥à¤¡ की थी जो आपको सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ का बहà¥à¤¤ मन है। हमारे कहने पर उसने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में à¤à¤• गीत गाकर सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ और फिर वही गीत बांसà¥à¤°à¥€ पर à¤à¥€ बजा कर सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤Â   उसकी बांसà¥à¤°à¥€ उस पूरे महल में गूंज रही थी।
मांडू का सच – à¤à¤• कविता जो शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® मंदिर के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में लिखी थी !
शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® मंदिर के बाहर अशरà¥à¤«à¥€ महल के पास à¤à¤• ढांचा
शà¥à¤°à¥€ राम, लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ व सीता – संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® की à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अकेली चतà¥à¤°à¥à¤à¥à¤œ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾
शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® मंदिर में यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये नियम
बाज़ बहादà¥à¤° के महल में बांसà¥à¤°à¥€ की सà¥à¤µà¤° लहरी !
बाज़ बहादà¥à¤° / रेवा कà¥à¤‚ड और हमारा दावत सà¥à¤¥à¤²
इस महल में हमारे गाइड ने à¤à¥€ à¤à¤• कमरे में हमें खड़ा कर दिया और कहा कि मैं दूसरे कमरे में जाकर à¤à¤• गीत गाउंगा, आप सà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‡à¤—ा ! मजबूरी में इंसान कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ नहीं करता, हमें à¤à¥€ ये गीत सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ पड़ा! बाज बहादà¥à¤° के महल से बाहर निकले तो हमें लगा कि इस गाइड का हमें कà¥à¤› लाठनहीं मिल पा रहा है, यह सिरà¥à¤« खानापूरà¥à¤¤à¤¿ में लगा हà¥à¤† है। इसको साथ में रख कर हम वासà¥à¤¤à¤µ में अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ में कोई वृदà¥à¤§à¤¿ नहीं कर पायेंगे अतः हमने उसे धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ सहित विदा कर दिया! शायद उसने 250 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ लिये थे मà¥à¤•ेश à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡ से ! दर असल मांडू में जहां-जहां à¤à¥€ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ शà¥à¤²à¥à¤• दिया गया सब मेरे मेज़बान महोदय ने ही दिया था, अतः मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤› पता नहीं। (à¤à¤¸à¥‡ मेज़बान सिरà¥à¤« हमारे हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में ही होते हैं।) खैर, महल से बाहर निकले तो सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ निरà¥à¤£à¤¯, जो निरà¥à¤µà¤¿à¤°à¥‹à¤§ रूप से लिया गया था, वह ये कि सब को à¤à¥‚ख लगी है, अतः फौरन से पेशà¥à¤¤à¤° दसà¥à¤¤à¤°à¤–ान लगा कर शाही मेहमानों के लिये खाना पेश किया जाये! à¤à¤• तरफ बाज़ बहादà¥à¤° का महल, दूसरी ओर रेवा कà¥à¤‚ड, तीसरी ओर à¤à¤• छायादार वृकà¥à¤· के पकà¥à¤•े चबूतरे पर दरी और चादर बिछाई गई और कार में से खाना निकाल कर लाये। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ कविता हमारी आवशà¥à¤¯à¤•ता से बहà¥à¤¤ अधिक खाना बना कर लाई थीं पर हम ठहरे जनà¥à¤® जनà¥à¤® के à¤à¥‚खे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€, अतः पूरी और सबà¥à¥›à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर à¤à¤¸à¥‡ टूट पड़े कि à¤à¥‹à¤œà¤¨ की आशा में आस-पास मंडरा रहे तीन कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ सोचने लगे कि उनके हिसà¥à¤¸à¥‡ का à¤à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¥€ शायद हम लोग ही खा जायेंगे। पर नहीं, कविता जैसी धरà¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£ नारियों के होते यह कैसे संà¤à¤µ था? मां अनà¥à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤¾ के à¤à¤‚डारे में से इन तीनों कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के हिसà¥à¤¸à¥‡ की à¤à¥€ à¤à¤• -à¤à¤• पूरी निकल आई जिसे खाकर शायद कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने à¤à¥€ अपनी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में हमें आशीष दिया होगा।
खाना खाकर अपनी मूछों पर ताव देते हà¥à¤ मैं रेवा कà¥à¤‚ड की ओर बà¥à¤¾ तो देखा कि à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मां-बाप अपने बेइंतहाशा सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के साथ रेवा कà¥à¤‚ड के तट पर अपनी बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सी कार के आस-पास खड़े हैं। उनकी à¤à¤• ननà¥à¤¹à¥€à¤‚ सी, पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ सी बिटिया कार की छत से दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का नज़ारा ले रही थी और उसका बड़ा à¤à¤¾à¤ˆ कार की खिड़की में से à¤à¤¾à¤‚क रहा था। मैने उन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के पिता से आंखों – आंखों मे ही बात करके अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ ली कि उनके बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की फोटो लेना चाहता हूं ! मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ’गो अहैड’ सिगà¥à¤¨à¤² दिया और मैंने उनके कà¥à¤› चितà¥à¤° खींच डाले ! अब आगे कहां जायें?  मà¥à¤•ेश बोले, अब à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ जगह चलते हैं जिसे देख कर आप धनà¥à¤¯ हो जायेंगे !  मैने कहा कि मैं तो आया ही इसलिये हूं कि धनà¥à¤¯ हो सकूं ! बस, कार को पà¥à¤¨à¤ƒ जामी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के पास वाली सड़क पर आगे बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ हम जा पहà¥à¤‚चे – जहाज महल! वाह, à¤à¤ˆ वाह ! कà¥à¤¯à¤¾ अदà¥à¤à¥à¤¤ वासà¥à¤¤à¥à¤•ला का नमूना है ये जहाज महल à¤à¥€ !  मà¥à¤à¥‡ उस समय तो ये समठनहीं आया था कि इसे जहाज महल नाम कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दिया गया होगा परनà¥à¤¤à¥ सहारनपà¥à¤° आकर जब मांडू के बारे में पà¥à¤¾ तो यह पता चला कि जहाज महल को देखना हो तो सामने तवेली महल से देखना चाहिये। बिलà¥à¤•à¥à¤² à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है कि à¤à¤• जहाज समà¥à¤¦à¥à¤° में लंगर डाले खड़ा है। सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• ही है कि यदि आपको à¤à¤¸à¤¾ आà¤à¤¾à¤¸ चाहिये तो जहाज महल देखने के लिये आपको वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠमें जाना चाहिये जब वहां पानी की कोई कमी न हो !
जहाज महल से दिखाई दे रहा कपूर तालाब और बागीचा
पॠलीजिये, कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ लिखा है जहाज महल के बारे में ।
जहाज महल का बारीकी से वासà¥à¤¤à¥à¤•ला के दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ोण से वरà¥à¤£à¤¨ करना अपने बस की बात नहीं ! काश, निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ सिंह और डी.à¤à¤². इस à¤à¤µà¤¨ के बारे में विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से लिखें और हमें समà¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कि किस चीज़ का कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ महतà¥à¤µ है। शेर – चीतों – तेंदà¥à¤“ं का वरà¥à¤£à¤¨ सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ हो तो पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ वाधवा की à¤à¥€ सेवायें ली जा सकती हैं। इस बहॠमंजिला इमारत को हम उलट-पà¥à¤²à¤Ÿ कर हर दिशा से देखते रहे और à¤à¤¸à¥‡ गरà¥à¤¦à¤¨ हिलाते रहे जैसे सब समठमें आ गया हो। मैं तो तीन बार फोटो खींचने के चकà¥à¤•र में à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡ परिवार से à¤à¤¸à¥‡ बिछड़ गया जैसे रामगॠके मेले में बचà¥à¤šà¥‡ अपने मां-बाप से बिछà¥à¥œ जाते हैं और फिर à¤à¤• बॉलीवà¥à¤¡ की फिलà¥à¤® बन जाती है। पर अफसोस, इससे पहले कि मेरे बिछड़ने को लेकर कोई कहानी लिखी जाती, मà¥à¤•ेश मà¥à¤à¥‡ मिस कॉल दे देते थे कि बंधà¥, कहां हो? तीन बार जब à¤à¤¸à¤¾ हो गया तो उनको समठआ गया होगा कि मेरी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी मेरी अरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚गिनी होने के बावजूद à¤à¥€ मेरे साथ कहीं घूमने कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं जाना चाहती हैं ! वह बेचारी मà¥à¤à¥‡ कहां ढूंढती फिरेंगी जंगलों और कंदराओं में?
इस परिसर में न केवल जहाज महल मौजूद था, बलà¥à¤•ि हिंडोला महल, चंपा बावड़ी आदि à¤à¥€ थीं । हिंडोला महल के बारे में कहा जाता है कि इसमें à¤à¥‚ले में à¤à¥‚लने जैसा सा आà¤à¤¾à¤¸ होता है। हो सकता है à¤à¤ˆ, होता हो पर मà¥à¤à¥‡ तो नहीं हà¥à¤†à¥¤Â चंपा बावड़ी के बारे में बताया गया कि यहां पानी में चंपा की खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ आती थी इसलिये इसका नाम चंपा बावड़ी पड़ गया। इन à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ में जल-मल निकासी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ बहà¥à¤¤ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• है। मांडू दà¥à¤°à¥à¤— चूंकि ऊंची पहाड़ी पर बसा हà¥à¤† था, वहां पानी का शाशà¥à¤µà¤¤ अकाल न हो, इसके लिये बड़ी समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ पूरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की हà¥à¤ˆ थी जिसे आजकल लोग rainwater harvesting कहते हैं । पानी बरबाद बिलà¥à¤•à¥à¤² न हो, à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जाता था।
चंपा बावड़ी की सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर जरा गौर फरमाइयेगा !
हिंडोला महल के बाहर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में लीन शिवमà¥â€Œ !
यहां से निकले तो मà¥à¤•ेश ने कहा कि नीलकंठेशà¥à¤µà¤° मंदिर à¤à¥€ यहीं कहीं था, चलिये वह à¤à¥€ देखते हैं। कार में बैठकर आगे निकले तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• दà¥à¤•ान के आगे कार रोक दी और मांडू दरà¥à¤¶à¤¨ नाम से à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤•ा खरीद कर मà¥à¤à¥‡ à¤à¥‡à¤‚ट कर दी! जामी मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ की दूसरी ओर से बस-सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड के सामने से हम निकले तो à¤à¤• और à¤à¤µà¤¨ दिखाई दिया – छपà¥à¤ªà¤¨ महल! हे à¤à¤—वान ! इनà¥à¤¦à¥Œà¤° में छपà¥à¤ªà¤¨ दà¥à¤•ान और यहां छपà¥à¤ªà¤¨ महल और कविता के घर में जाओ तो छपà¥à¤ªà¤¨ à¤à¥‹à¤— ! ये मालवा वाले à¤à¥€ बस !  कार रोक कर मà¥à¤•ेश ने कहा कि अगर देखना चाहें तो देख आइये इसे à¤à¥€ फटाफट, हम कार में ही हैं। मैं तेजी से उस तथाकथित छपà¥à¤ªà¤¨ महल की जीरà¥à¤£ शीरà¥à¤£ सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की ओर लपका – सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दोनों ओर मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ थीं, उनकी फोटो खींचते खींचते ऊपर पहà¥à¤‚चा तो à¤à¤• सजà¥à¤œà¤¨ बोले कि टिकट ले लीजिये। मैने कहा कि अà¤à¥€ हम लोग जरा जलà¥à¤¦à¥€ में हैं अतः परिवार वालों से पूछ लेता हूं कि देखना चाहेंगे कà¥à¤¯à¤¾à¥¤Â अगर सब लोग हां कहेंगे तो टिकट ले लेंगे। वह बोले कि अगर टिकट नहीं लेना है तो आप फोटो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ खींच रहे हैं? मैने कहा कि à¤à¤¸à¤¾ कोई नोटिस तो यहां लगा हà¥à¤† मैने देखा नहीं कि बिना टिकट के फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ निषिदà¥à¤§ है और अगर निषिदà¥à¤§ है à¤à¥€ तो मà¥à¤à¥‡ पता ही नहीं कि ’निषिदà¥à¤§â€™ का कà¥à¤¯à¤¾ मतलब होता है। और वैसे à¤à¥€, मैं जरा जलà¥à¤¦à¥€ में हूं, à¤à¤• मारने का मेरे पास फालतू टैम नहीं है, अतः बाय-बाय, नमसà¥à¤¤à¥‡, टाटा !
छपà¥à¤ªà¤¨ महल की सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर रखे गये कला अवशेष !
अब हम पà¥à¤¨à¤ƒ कार को ले चले नीलकंठेशà¥à¤µà¤° के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये। रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• सूखी हà¥à¤ˆ नदी के पà¥à¤² पर से गà¥à¥›à¤° रहे थे तो मैने कहा कि “वाह, कà¥à¤¯à¤¾ सीन है!” बस, मà¥à¤•ेश ने वहीं पूरी ताकत से बीच सड़क पर बà¥à¤°à¥‡à¤• मार दिया। हमारे पीछे à¤à¤• मोटर साइकिल आ रही थी, बेचारा बाइक वाला सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ में à¤à¥€ नहीं सोच सकता था कि हम à¤à¤¸à¥‡ चलते चलते बीच सड़क पर गाड़ी रोक देंगे अतः वह रà¥à¤• नहीं पाया तो जोर से कार में अपनी बाइक दे मारी ! अब गलती तो अपनी ही थी, उसे कà¥à¤¯à¤¾ कहते? बाहर निकल कर देखा तो कार का बंपर पिचका हà¥à¤† देख कर मà¥à¤•ेश का à¤à¥€ मूड पिचक गया। मैने à¤à¤• ईंट लेकर बंपर को अंदर की ओर से बाहर धकेला तो वह तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ वापिस ओरिजिनल शकà¥à¤² में आगया। आजकल कारों में पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• के बंपर आने लगे हैं जो चोट सहने के बजाय अंदर घà¥à¤¸ जाते हैं। हमारे पड़ोसियों के घर में à¤à¥€ à¤à¤• कà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ था। रात को कोई अजनबी आवाज़ सà¥à¤¨ कर वह तà¥à¤°à¤‚त अपने मालिकों की खाट के नीचे घà¥à¤¸ कर अपनी पीठरगड़ने लगता था और पड़ोसियों की आंख खà¥à¤² जाती थी। डर कर ही सही, कà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ जगा तो देता था। यही हाल आजकल के बंपरों का है। खैर, हमारी कार के बंपर में बस à¤à¤• खरोंच सी रह गई थी सो मà¥à¤•ेश को थोड़ी सी डांट पड़ी (किसने डांटा, ये मैं नहीं बताऊंगा, ये अनà¥à¤¦à¤° की बात है!) और हम सब खà¥à¤¶à¥€-खà¥à¤¶à¥€ आगे चल पड़े।
नीलकंठेशà¥à¤µà¤° मंदिर सड़क से नीचे सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से उतर कर जाना होता है, सड़क से गà¥à¤‚बद आदि दिखाई नहीं देता।  अतः à¤à¤• बारगी तो पता ही नहीं चलता कि हम मंदिर पीछे छोड़ आये हैं। कà¥à¤› आगे जाकर फिर लौटे और मंदिर का रासà¥à¤¤à¤¾ पहचान कर मà¥à¤•ेश ने गाड़ी पà¥à¤¨à¤ƒ रोकी और हम सब सीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ उतर कर नीचे मंदिर में पहà¥à¤‚चे। मंदिर के पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® से à¤à¥€ नीचे लोहे की सीà¥à¥€ से उतर कर शिवलिंग की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गई है जहां à¤à¤• पंडित जी धूनी जमाये बैठे थे। बाहर आंगन में à¤à¤• कà¥à¤‚ड था, जिसमें यदि पानी पूरा à¤à¤° चà¥à¤•ा हो तो à¤à¤• सरà¥à¤ªà¤¾à¤•ार आकृति से होकर पà¥à¤¨à¤ƒ नीचे जाता रहता है। बचà¥à¤šà¤¾ लोगों को इस सरà¥à¤ªà¤¾à¤•ार आकृति से घूम घूम कर पानी का जाना बड़ा à¤à¤¾ रहा था अतः इसी खेल में लगे हà¥à¤ थे। मंदिर की दीवार पर उरà¥à¤¦à¥‚ / फारसी / अरबी में कà¥à¤› लिखा हà¥à¤† था जो हम पॠनहीं सकते थे। पर घर आकर à¤à¤• विवरण मिला है – कह नहीं सकता कि यह इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का हिनà¥à¤¦à¥€ रूपानà¥à¤¤à¤° है या कहीं और à¤à¥€ कà¥à¤› लिखा हà¥à¤† था।
तवां करदन तमामी उमà¥à¤°, मसरूफे आबो गिल । के शायद यकदमे साहिब दिले, ईजां कà¥à¤¨à¤¦ मंजिल॥
(अपनी तमाम उमà¥à¤° मिटà¥à¤Ÿà¥€ और पानी के काम में इसी à¤à¤• आशा के साथ गà¥à¥›à¤¾à¤° दी कि
कोई सहृदय मनà¥à¤·à¥à¤¯ यहां कà¥à¤·à¤£ à¤à¤° के लिये विशà¥à¤°à¤¾à¤® करे ! )
मंदिर की दीवारों पर उतà¥à¤•ीरà¥à¤£ संदेश ! पता नहीं ये संदेश जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ हैं या मंदिर !
पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ ले लो जी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ ! पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦, इमली, शरीफा, फूल सब कà¥à¤› इस महिला के पास उपलबà¥à¤§ है।
मंदिर तक पहà¥à¤‚चने के लिये इन सीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से नीचे उतरना होता है।
अब शाम होने लगी थी और थकान à¤à¥€ काफी हो गई थी, अतः बिना कहीं और रà¥à¤•े हमने वापसी की यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥ की। धार पहà¥à¤‚चे तो मà¥à¤•ेश और कविता की इचà¥à¤›à¤¾ थी कि मैं उनके घर पर ही रà¥à¤•ूं और अगले दिन धार शाखा वहीं से चला जाऊं। परनà¥à¤¤à¥ इंदौर के होटल में मेरा सामान रखा हà¥à¤† था और अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ धार आना हो तो à¤à¥€ होटल से चैक आउट करके ही पà¥à¤¨à¤ƒ धार आना चाहिये था ताकि होटल का बिल अनावशà¥à¤¯à¤• रूप से न बà¥à¤¤à¤¾ रहे। मेरी विवशता को समà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ इनà¥à¤¦à¥Œà¤° जाने वाली à¤à¤• तीवà¥à¤°à¤—ामी बस में बैठा दिया जो टूटी फूटी सड़क पर मंथर गति से चलती हà¥à¤ˆ रातà¥à¤°à¤¿ ८ बजे तक मà¥à¤à¥‡ इंदौर ले आई।
अब मेरे पास सिरà¥à¤« डेॠदिन का समय बाकी था यानि पूरा सोमवार और आधा मंगलवार ! इन दोनों दिनों में मैने कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ किया, कहां – कहां घूंमा – यह सारा विवरण लेकर पà¥à¤¨à¤ƒ आपकी सेवा में हाजिर होऊंगा। तब तक के लिये पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® !