….2    देवà¤à¥‚मी उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ यातà¥à¤°à¤¾ – केदारनाथ-बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ से अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ ले 23-अकà¥à¤Ÿà¥‚बर-2010 की सà¥à¤¬à¤¹ मैं वहां से केदारनाथ के लिये रवाना हà¥à¤†à¥¤ हलकी बूनà¥à¤¦à¤¾à¤¬à¤¾à¤¨à¥à¤¦à¥€ हो रही थी, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ गेट खोलते हà¥à¤ आशिरà¥à¤µà¤šà¤¨ कहे और शà¥à¤°à¥€à¤—ौरहरीजी मà¥à¤à¥‡ ‘विश’ करने नंगे पाà¤à¤µ ही आ गये। उनकी सहृदयता व सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ ने मà¥à¤à¥‡ अनà¥à¤¦à¤° तक à¤à¤¿à¤—ो दिया जिसे मैं अब à¤à¥€ महसूस करता हूà¤à¥¤ उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी से निकलते ही खड़ी चढाई के कारण कà¥à¤› सà¥à¤ªà¥€à¤¡ में रहते हà¥à¤, तीखे मोड़पर बारिश व अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¥‡ के कारण गहरे खडà¥à¤¡à¥‡ में पिछला टायर उछला व बॉडी से टकराहट की आवाज आनेपर गाड़ी में नà¥à¤•à¥à¤¸à¤¾à¤¨ होने की आशंका के साथ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पर कà¥à¤·à¥‹à¤ हà¥à¤† कि मैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं नीचे गीयर मे ही सावधानीपूरà¥à¤µà¤• गाड़ी चलाता हूà¤à¥¤ गाड़ी के धीरे होते ही à¤à¤• नवयà¥à¤µà¤• अनà¥à¤¨à¤¯ करने लगा कि उसकी बस छूट गई है और उसे शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में किसी साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार परीकà¥à¤·à¤¾ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होना है इसलिये मैं उसे साथ ले चलूं। मेरे कहने पर कि शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र मेरे रासà¥à¤¤à¥‡ में नहीं पड़ेगा तो उसने आगे घनसà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥€ या किसी अनà¥à¤¯ उपयà¥à¤•à¥à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से बस पकड़वाने की गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¶ की। वह 75-80 कि.मी.तक साथ रहा और देवà¤à¥‚मी के विषय में अपनी आपबीती कई बातें बतायी। सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बाशिनà¥à¤¦à¥‡ लहसà¥à¤¨ का खूब उपयोग करते हैं। इसकी गनà¥à¤§ के कारण ठणà¥à¤¡ मे à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ बार-बार दरवाजे के शीशे को नीचे करना पड़ रहा था। बà¥à¤¦à¥à¤§à¤•ेदार होते हà¥à¤ तिलवाड़ा पहूंचने पर मà¥à¤à¥‡ मà¥à¤–à¥à¤¯ सड़क-मारà¥à¤— मिला। यहां तक जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° सड़क की हालत खराब थी कहीं-कहीं तो इतनी कि केवल नाम की ही सड़क थी। गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी से कà¥à¤› पहले कालीमठके लिये रासà¥à¤¤à¤¾ फ़टता है। मेरा विचार कालीमठमें रातà¥à¤°à¥€-विशà¥à¤°à¤¾à¤® का था जो अà¤à¥€ 10 किलोमीटर दूर था परंतॠमà¥à¤–à¥à¤¯ मारà¥à¤— की अचà¥à¤›à¥€ सड़क से आते हà¥à¤¯à¥‡ बà¥à¤°à¥€ सड़क होने की बात मन से निकल चà¥à¤•ी थी और अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ गहराते के कारण मैं बिना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ विचार किये कालीमठकी ओर चल पड़ा। रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ ही दà¥à¤°à¥à¤—म था, कहीं-कहीं तो à¤à¤¸à¤¾ लगता था कि सड़क कà¤à¥€ कोई बनी ही नहीं होगी। चढाई इतनी दà¥à¤°à¥à¤—म कि दूसरे दिन वहां से लौटते समय सैकेणà¥à¤¡-गीयर में चलती गाड़ी में पहला गीयर लगाते समय गाड़ी का मोशन खतà¥à¤® होने पर कचà¥à¤šà¥‡ रसà¥à¤¤à¥‡ व à¤à¥€à¤—ी मिटà¥à¤Ÿà¥€ में कार का टायर ‘सà¥à¤²à¤¿à¤ªâ€™ करने लगा व नà¥à¤¯à¥‚टà¥à¤°à¤² पर गाड़ी के पीछे लà¥à¤¢à¤•ने को टायर के पीछे बड़े पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ का डालना à¤à¥€ उसे रोक नहीं पा रहा था। उस वकà¥à¤¤ वहां का à¤à¤• फौजी बाशिनà¥à¤¦à¤¾ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी तक जाने के लिये साथ था। जिनके सहयोग से मैं इस कठिन परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से निकल पाया। कà¥à¤› दूर आगे जाते ही वह फौजी यह कहते हà¥à¤¯à¥‡ उतर गया कि यहाठसे शॉरà¥à¤Ÿà¤•ट रसà¥à¤¤à¤¾ है और वह पैदल जलà¥à¤¦à¥€ पहूà¤à¤š जायेगा। कà¥à¤¯à¤¾ केवल सहायता के लिये वह मेरे साथ आया था !
कालीमठव महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€, महासरसà¥à¤µà¤¤à¥€, महाकाली आदि मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ के लिठपैदल पà¥à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ से à¤à¤• नदी को पार करना पड़ता हैं। गाड़ीयाठसड़क पर इस पार खड़ी रहतीं हैं। दà¥à¤°à¥à¤—म रसà¥à¤¤à¥‡, ऑफ सीजन तथा हाल ही में हà¥à¤ˆ पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक आपदा के कारण मà¥à¤à¥‡ वहाठकोई अनà¥à¤¯ यातà¥à¤°à¥€ नहीं मिला। वैसे à¤à¥€ यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दà¥à¤°à¥‚ह पंथ के शकà¥à¤¤à¤¿ साधकों का सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤ है और उस विशिषà¥à¤Ÿ पंथ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ के लिये तिथि वार नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का बड़ा महतà¥à¤µ रहता है जो शायद उस दिन उपयà¥à¤•à¥à¤¤ नहीं था। जिसपà¥à¤°à¤•ार लिंग़ पूजा शंकरजी के निमितà¥à¤¤ की जाती है। यहां योनि पूजा शकà¥à¤¤à¤¿-रूपा à¤à¤—वती के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ की जाती है। खाना किसी à¤à¥€ दà¥à¤•ान पर नहीं मिला और जो ऑरà¥à¤¡à¤° देने पर उपलबà¥à¤§ करते हैं पकाते हैं उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥€ देर होने के कारण असमरà¥à¤¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤•ट की। शांतीकà¥à¤‚ज से लिये पैकेटों का मैनें उपयोग किया। वैसे à¤à¥€ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में मà¥à¤à¥‡ कà¤à¥€ à¤à¥‚ख का आà¤à¤¾à¤¸ नही हà¥à¤†à¥¤ यहाठकी हवा व पानी ही शायद पूरà¥à¤£ आहार है। कई वरà¥à¤· पहले दूरदरà¥à¤¶à¤¨ पर हिमालय में साधनारत किसी साधू से साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ में, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने केवल दो आà¤à¤µà¤²à¥‡ व उसपर गंगाजल का सेवन, पूरे दिन की आहारपूरà¥à¤¤à¥€ की परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¤à¤¾ का जिकà¥à¤° किया गया था। जिसपर अनायास ही अब विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करने का मन होने लगा।
24-अकà¥à¤Ÿà¥‚बर-2010 की सà¥à¤¬à¤¹ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ देव समीति के होटल कमरे मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर तैयार हो मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ मे धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की और मठपà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ दà¥à¤•ान में चाय पीकर केदारनाथ के लिये रवाना हà¥à¤†à¥¤ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी में शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सड़क के किनारे ही ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। चौक पर काफी गहमा-गहमी और दà¥à¤•ानों की सघनता के कारण मनà¥à¤¦à¤¿à¤° जाने की सीढीयाठही नजर नहीं आती। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° तक गाड़ी से जाने का à¤à¤• अनà¥à¤¯ घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° सड़क मारà¥à¤— है। पूछने पर सबने मà¥à¤à¥‡ उसी मारà¥à¤— का जिकà¥à¤° किया। मैनें मनà¥à¤¦à¤¿à¤° दरà¥à¤¶à¤¨ का विचार तà¥à¤¯à¤¾à¤— नाशà¥à¤¤à¥‡ के लिये गाड़ी पारà¥à¤• की तो शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ की कृपासà¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¤• पणà¥à¤¡à¤¾ आया और सीढीयों के रासà¥à¤¤à¥‡ का जिकà¥à¤° करते हà¥à¤ अलà¥à¤ª समय में ही दरà¥à¤¶à¤¨ होना व पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की महतà¥à¤¤à¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨ करने लगा। सीढीयाठऊà¤à¤šà¥€ व काफी थी। दो तीन जगह रà¥à¤•ते हà¥à¤¯à¥‡ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पहूà¤à¤šà¤•र मन बड़ा पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ शिव-सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ कर शांती मिली। हलà¥à¤•े व उतà¥à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¤ मन के साथ नीचे आ वहां से रवाना हà¥à¤†à¥¤ रामपà¥à¤° के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤š, खाना खाया और चाय पी। यहाठविसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ सड़क बड़े चौक का रूप ले लेती है। चौक यातà¥à¤°à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ की विरलता के कारण शायद और à¤à¥€ बड़ा लग रहा था। यहाठसे गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ 5 किलोमीटर है और वहां से 14 किलोमीटर की पैदल चढाई पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ केदारनाथ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है। कार रà¥à¤•ने पर à¤à¤• घोड़ेवाला लड़का आया और अगली सà¥à¤¬à¤¹ घोड़े से केदारनाथ दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठअनà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ करने की बात करने लगा परंतॠà¤à¤¾à¤¡à¤¼à¥‡ की दर अगले दिन जो खà¥à¤²à¥‡à¤—ी वह लेने की बात पर अड़ा रहा जो कि यातà¥à¤°à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ के आधार पर कम-जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ होती रहती है, मोल-à¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ खूब होता है। मैं गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ के लिये रवाना हो गया। वहां चौक में पारà¥à¤•िंग वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ है परंतॠकाफी गाड़ीयाठखड़ी थी। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ को गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¶ करने पर उनका रवैयà¥à¤¯à¤¾ अचà¥à¤›à¥€ अतिरिकà¥à¤¤ राशि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का देख मैनें करीबन 500 मीटर पहले सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पारà¥à¤•िंग सà¥à¤¥à¤² पर गाड़ी को पारà¥à¤• करना उचित समà¤à¤¾à¥¤ यहाठसतत बहते गरà¥à¤® पानी का कà¥à¤£à¥à¤¡ ‘गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡â€™ है और इसी के नाम पर ही इस सà¥à¤¥à¤²/कसà¥à¤¬à¥‡ का नाम गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ है। । à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि माठगौरी ने अपने पति शिव के à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के लिये 28(14+14) किलोमीटर की थकान निवृति के लिये गरà¥à¤® पानी का इंतजाम किया हो। अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने को था। मैने कà¥à¤£à¥à¤¡ के पास पीठसे बैग उतार व उसपर पहने कपड़े रकà¥à¤–े और कà¥à¤£à¥à¤¡ में काफी समय, आधे घणà¥à¤Ÿà¥‡ से à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ गरà¥à¤® पानी में रहा। बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥‡ ठणà¥à¤¡à¥‡ मौसम में अनवरत बहते गरà¥à¤® पानी के कà¥à¤£à¥à¤¡ में रहने का आननà¥à¤¦ ही अरà¥à¤µà¤šà¤¨à¥€à¤¯ है। इसमें नहा कर केदारनाथ दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये जाने की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है और दरà¥à¤¶à¤¨ कर वापिस आने पर इसमें नहाने से सफर की थकान उतर जाती है। कà¥à¤£à¥à¤¡ के चारों तरफ कई मंजिलों के सघन आवास आदि निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हैं। निकट ही रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤£à¥à¤Ÿ है जहां मदà¥à¤°à¤¾à¤¸à¥€ तौर तरीके की अचà¥à¤›à¥€ चाय पी। अनà¥à¤¯ संकड़े रसà¥à¤¤à¥‡, मकानों के बगल से, बीच अहातों से, सीढीयों से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ मà¥à¤–à¥à¤¯ पतली सड़क पर आया और देवलोक नामक होटल में पहली मंजिल पर à¤à¤• कमरा लिया। बैग रखकर बाहर आ किसी अनà¥à¤¯ रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤£à¥à¤Ÿ में खाना खाया व फोन करने कि लिये निकटसà¥à¤¥ पीसीओ में गया। घर पर सà¤à¥€ चिंतित थे और लौटने के लिये कह रहे थे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दो दिन पहले ही दूरदरà¥à¤¶à¤¨ पर समाचार था कि बरà¥à¤« गिरने के कारण केदारनाथ का रासà¥à¤¤à¤¾ अवरोधित है। दूसरे दिन घोड़े से यातà¥à¤°à¤¾ के समय घोड़ेवाले ने बताया कि à¤à¤• दिन पहले ही बरà¥à¤« के कारण कई महिला-यातà¥à¤°à¥€ रोने लग गई थी और रामबाड़ा से ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लौटना पड़ा था। यह बाबा केदारनाथ की मà¥à¤à¤ªà¤° कृपा थी कि रासà¥à¤¤à¥‡ पर गिरी बरà¥à¤« à¤à¥€ पिघल चà¥à¤•ी थी और मà¥à¤à¥‡ उनका दरà¥à¤¶à¤¨ मिला। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° घोड़ेवाले नेपाल से थे जो सीजन में यातà¥à¤°à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ से और अनà¥à¤¯ समय नीचे कसà¥à¤¬à¥‹à¤‚ में वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ ढोने, विशेषकर कंसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤•à¥à¤¸à¤¨ में काम आनेवाली बजरी, पतà¥à¤¥à¤°, सिमेणà¥à¤Ÿ आदि से उपारà¥à¤œà¤¨ कर अपने देश à¤à¥‡à¤œà¤¤à¥‡ हैं। पीसीओ में उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई कॉलों का अहम पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ होता है। पीसीओ मालिक से बातें करते अंतरंगता हो गई और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• घोड़ेवाले को दूसरे दिन सà¥à¤¬à¤¹ सात बजे रवाना होकर मà¥à¤à¥‡ केदारनाथ दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये अनà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ करा दिया। उससे उसका टोकन मà¥à¤à¥‡ दिलवा दिया, यह कहते हà¥à¤¯à¥‡ कि दरà¥à¤¶à¤¨ यातà¥à¤°à¤¾ पूरà¥à¤£ होने पर उसे लौटा दूं। 24-अकà¥à¤Ÿà¥‚बर-2010 की सà¥à¤¬à¤¹ चार बजे उठकर फà¥à¤°à¥‡à¤¶ हो पेसà¥à¤Ÿ कर गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ के गरà¥à¤® पानी में घणà¥à¤Ÿà¥‡à¤à¤° से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही बिताया होगा। टटà¥à¤Ÿà¥‚वाले टटà¥à¤Ÿà¥à¤“ं को जोड़े से चलाते हैं। सात बजे तक अनà¥à¤¯ à¤à¤• यातà¥à¤°à¥€ नहीं मिलने की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में à¤à¥€ वह दूसरे टटà¥à¤Ÿà¥‚ को खाली ही लेकर चल पड़ा। टटà¥à¤Ÿà¥‚वाले सà¥à¤µà¤¯à¤‚ पैदल ही चलते हैं चाहे दूसरा टटà¥à¤Ÿà¥‚ खाली ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना चल रहा हो। सामने पहाड़ों के हिमाचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ शिखर, दाहिनी तरफ सैकड़ों फिट नीचे गहराई में बहती मनà¥à¤¦à¤¾à¤•िनी, रासà¥à¤¤à¥‡ के लिये कहीं कटे पहाड़ की छत व पतली धार मे बहता पानी, बड़े ही आननà¥à¤¦à¤¿à¤¤ करने वाले दृशà¥à¤¯ थे। जूतों के अनà¥à¤¦à¤° जà¥à¤°à¤¾à¤¬à¥‹à¤‚ को बेधते हà¥à¤¯à¥‡ तीर सी ठणà¥à¤¡à¥€ हवा पंजों को सà¥à¤¨à¥à¤¨ कर दे रही थी। रासà¥à¤¤à¥‡ में बाबा केदारनाथ के जयघोष से वातावरण गà¥à¤‚जायमान था। हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ का निरंतर आवागमन था जो फाटा से आते हैं। हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾ से गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ ‘मिस’ करना पड़ता है। रामबाड़ा में खचà¥à¤šà¤°à¤µà¤¾à¤²à¥‡ अपनी निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ दà¥à¤•ानों पर रà¥à¤•ते हैं और खचà¥à¤šà¤°à¥‹à¤‚ को गà¥à¤¡à¤¼ खिलाते हैं तबतक यातà¥à¤°à¥€ चाय अलà¥à¤ªà¤¾à¤¹à¤¾à¤° लेते हैं। यहाà¤à¤¤à¤• आधी दूर आ चà¥à¤•े होते हैं। इसके बाद की कषà¥à¤Ÿà¤•ारी यातà¥à¤°à¤¾ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ या ‘à¤à¤¡à¤µà¥‡à¤‚चर’ समà¤à¤•र पूरी होती है। टटà¥à¤Ÿà¥‚ से उतरने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ करीबन आठसौ मीटर दूर शà¥à¤°à¥€ केदारनाथ बाबा का मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है। यहाठबैल के थà¥à¤¹ रूप में शिवजी की पूजा होती है। कहते हैं कि शिवजी पाणà¥à¤¡à¤µà¥‹à¤‚ से नहीं मिलने की इचà¥à¤›à¤¾ से बैल बनकर उनके à¤à¥à¤£à¥à¤¡ में विचर रहे थे। à¤à¥€à¤® ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पहचाना तो वे धरती के अनà¥à¤¦à¤° जाने लगे और लपककर पकड़ने की कोशिश में à¤à¥€à¤® के हाथ उनका थà¥à¤¹ आ गया। मà¥à¤à¤¹ उनका काठमाणà¥à¤¡à¥ नेपाल में निकला जहाठवे पशà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पूजे जाते हैं। केदारनाथ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° विशाल पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है। शिवजी के अनà¥à¤¯ मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ की तरह दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जल, दà¥à¤—à¥à¤§, घी, बेलपतà¥à¤°, पà¥à¤·à¥à¤ª आदि अरà¥à¤ªà¤£ सहित पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ के कारण à¤à¥€à¤¡ हो ही जाती है जिसमें पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर जगह बनानी पड़ती है। पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ की सहायता से पूजा कर गरà¥à¤à¤—ृह से बाहर आ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° परिसर में कà¥à¤› समय बिता बाजार में जलेबी पकौड़ी का नाशà¥à¤¤à¤¾ किया। बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥‡ वातावरण में गरà¥à¤® नमकीन सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ लगती है, दर दो सौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ किलो तक थी। करीब à¤à¤• किलोमीटर में फैली बरà¥à¤« से धवल समतल जैसा दिखता मैदान, उतà¥à¤¤à¤‚ग पहाड़ों के हिमाचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ शिखर, हम मैदानवासियों के लिये विसà¥à¤®à¤¯à¤•ारी आननà¥à¤¦à¤¦à¤¾à¤¯à¤• सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ था। पहाड़ पर नीचे उतरते समय की टटà¥à¤Ÿà¥à¤“ं से यातà¥à¤°à¤¾ बहà¥à¤¤ तकलीफदेह होती है। रामबाड़ा के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ तो रकाब पर उठंग रहते हà¥à¤¯à¥‡ à¤à¥€ हर सीढी पर à¤à¤Ÿà¤•े से होते कमर दरà¥à¤¦ के कारण पूरा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केवल शेष रासà¥à¤¤à¥‡ की तरफ ही रहा। वातावरण, पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ आदि सब गौण थे, था केवल आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• संतोष और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¥¤ शिव व शकà¥à¤¤à¤¿ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दà¥à¤°à¥à¤—म सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर ही होते हैं। मेरे बहनोई शà¥à¤°à¥€ बेणीशंकरजी ने कई बार अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ की है। वे बताते हैं कि लौटते समय की कषà¥à¤Ÿà¤•ारी यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¸à¤¾ कषà¥à¤Ÿ किसी पाप का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤«à¤² ही लगता था परंतॠअगले वरà¥à¤· पà¥à¤¨: वहाठजाने कि लिठमन लालायित हो जाता। मैं होटल से ‘चेक-आउट’ कर चà¥à¤•ा था परंतॠइचà¥à¤›à¤¾ कर रही थी कि गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही लेटने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ करूà¤à¥¤ खचà¥à¤šà¤°à¥‹à¤‚ के बेस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर उतर मैं किसी पतà¥à¤¥à¤° पर बैठगया। अपने अनà¥à¤¯ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से निवृत हो घोड़ेवाले ने मेरा बैग उठाते हà¥à¤ कहा कि वह कà¥à¤› दूर बाजार में आगे तक मेरे साथ चलेगा। केदारनाथ यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान उसका सेवाà¤à¤¾à¤µ à¤à¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ नहीं जा सकता। धीरे-धीरे चलते हà¥à¤¯à¥‡ मैं कार तक आ गया। गà¥à¤œà¤°à¥€ धूप के कारण कार गरà¥à¤® थी। बैठते ही आराम महसूस कर सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के लिये चल पड़ा। जाते समय रà¥à¤•े चायवाले के पास चाय पीने के लिये रà¥à¤•ते ही वह पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• बोला कि अरे आप इतनी जलà¥à¤¦à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ कर आये, अब आप रात यहीं सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में बिताईयेगा। मैने कहा कि आपने ही तो मà¥à¤à¥‡ तà¥à¤°à¤¿à¤œà¥à¤—ीनारायण जाने के लिये पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया था। कà¥à¤¯à¤¾ इस समय जाने के लिये वहाठका रासà¥à¤¤à¤¾ खराब है? नहीं नहीं सड़क है। बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾, तà¥à¤°à¤¿à¤œà¥à¤—ीनारायण में रà¥à¤• जाइयेगा। वहाठकाली-कमलीवाले की अचà¥à¤›à¥€ धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ है। वह à¤à¤• तीस-पैतीस साल का यà¥à¤µà¤• था और जाते समय सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों से बात करते वकà¥à¤¤ किसी के इस सà¥à¤à¤¾à¤µ पर कि दैविक अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ को किसी के साथ ‘शेयर’ नहीं करने चाहिये, उसने तपाक से à¤à¤—वदà¥à¤—ीता के अठारहवें अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ को उदà¥à¤§à¥ƒà¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ बात काटी कि ईशà¥à¤µà¤° कथा को जितनी बार हो सके कहना चाहिये। उससे गीता की बात सà¥à¤¨ मà¥à¤à¥‡ उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤®à¤¿à¤¶à¥à¤°à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ पूछने पर उसने अवनत मà¥à¤– से यदा-कदा शà¥à¤°à¤µà¤£ की बात बतायी। उसके पास चाय पीने के लिये रà¥à¤•ने का यह à¤à¥€ à¤à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• बनà¥à¤§à¤¨ था। यहाठसे तà¥à¤°à¤¿à¤œà¥à¤—ीनारायण बारह किलोमीटर है जिसका रासà¥à¤¤à¤¾ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी के रासà¥à¤¤à¥‡ मे कà¥à¤› दूर जाने पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ ही फटता है। पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ समय में गंगोतà¥à¤°à¥€ से केदारनाथ के लिये पैदल यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान तà¥à¤°à¤¿à¤œà¥à¤—ीनारायण à¤à¤• अहम पड़ावसà¥à¤¥à¤² था जो अब सà¥à¤—म सड़क मारà¥à¤— निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के कारण मà¥à¤–à¥à¤¯ मारà¥à¤— से दूर हो गया है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि शिव-पारà¥à¤µà¤¤à¥€ का यहाठविवाह हà¥à¤† था जिसका हवन वेदी कà¥à¤£à¥à¤¡ आज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ है। यहाठसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रूदà¥à¤°-कà¥à¤£à¥à¤¡, विषà¥à¤£à¥-कà¥à¤£à¥à¤¡, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®-कà¥à¤£à¥à¤¡ व सरसà¥à¤µà¤¤à¥€-कà¥à¤£à¥à¤¡ में नहाने व तरà¥à¤ªà¤£ पिणà¥à¤¡à¤¦à¤¾à¤¨ आदि करà¥à¤®à¤•ाणà¥à¤¡ करने की अहमनà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है। मà¥à¤à¥‡ सड़क मारà¥à¤— होने के अवशेष चिनà¥à¤¹ ही मिले। कार सेकेणà¥à¤¡ गीयर तक ही चल पा रही थी। सघन विरल हरियाली, ऊà¤à¤šà¥‡ पेडों पर कूदते बनà¥à¤¦à¤°, पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कलरव का आननà¥à¤¦ लेता खरामा खरामा चल रहा था कि निरà¥à¤œà¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में बाà¤à¤ˆ ओर à¤à¤• बालक, कà¥à¤› चार-पाà¤à¤š वरà¥à¤· का, हरियाली की à¤à¥à¤°à¤®à¤Ÿ में, मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ सौमà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• मेरी ओर हाथ हिलाते हà¥à¤¯à¥‡ दिखा। उसकी मोहक मà¥à¤¸à¥à¤•ान, कद से कà¥à¤› सà¥à¤¥à¥‚लकाय होने (बौने जैसे) व निरà¥à¤œà¤¨ में अकसà¥à¤®à¤¾à¤¤ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होने से मैं सनà¥à¤¨ हो सà¥à¤¤à¤®à¥à¤à¤¿à¤¤ सा उसे देखता रहा और कार चलती रही। आकांकà¥à¤·à¤¾ है कि यह सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ जीवनपरà¥à¤¯à¤‚त बनी रहे। पहाड़ के किनारे चौड़े रासà¥à¤¤à¥‡ पर लमà¥à¤¬à¥‡ पेडों की सघन हरियाली में बनà¥à¤¦à¤°à¥‹à¤‚ के à¤à¥à¤£à¥à¤¡ को देख मैनें खिड़की से बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ निकाले तो वे सब à¤à¤¾à¤— लिये। रà¥à¤•कर नीचे उतरा तो वे सब और दूर चले गये। मैने तीन-चार जगह कà¥à¤› दूरी से बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ को रकà¥à¤–ा और रवाना हो कà¥à¤› दूर से देखा तो काफी बनà¥à¤¦à¤°à¥‹à¤‚ ने आकर बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ ले लिये थे परंतॠकिसी के à¤à¥€ हाथ में à¤à¤• से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ नहीं थे। गाà¤à¤µ के पास पहूà¤à¤šà¤¤à¥‡ ही à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ साथ चलते व निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ देते हà¥à¤¯à¥‡ कि बाà¤à¤ मोड़कर वहाठसे कार घूमाकर वहाठखड़ी कर दीजीये, पूछने लगा कि कहाठसे आये हैं? कहाठरूकेंगें? काली-कमली धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ मे कà¥à¤¯à¤¾ बà¥à¤•िंग है? हमारे पास à¤à¥€ रà¥à¤•ने का इंतजाम है आदि आदि। निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¤ जगह पर रà¥à¤•ते ही 10-15 वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ और आ गये और मेरे कà¥à¤²-गौतà¥à¤°, जनà¥à¤® गाà¤à¤µ-शहर, पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के नामादि पूछते हà¥à¤¯à¥‡ अपने बही खातों में लिखी परिवार वंशावली को बताने लगे। ये विशà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ के वंशज थे जो विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हैं मिनटों में किसी पूरà¥à¤µà¤œ के वहां आने की तिथि सहित वंशावली-विवरण निकालने में। सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® मिले पणà¥à¤¡à¥‡ ने मà¥à¤à¥‡ बताया कि यहाठकिसी à¤à¥€ विशिषà¥à¤Ÿ कà¥à¤² परिवारों की पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¤—िरी के लिये पणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ में विà¤à¤¾à¤œà¤¨-निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ नहीं हà¥à¤µà¤¾ हà¥à¤† है। करीबन 10-15 मिनट की खोजपरक बातों के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ यह कहते हà¥à¤¯à¥‡ मà¥à¤à¥‡ साथ ले चल पड़ा कि ये मेरे अमà¥à¤• कमरे में रà¥à¤•े हà¥à¤¯à¥‡ हैं किसी को अपनी बही में इनके किसी पूरà¥à¤µà¤œ का नाम मिले तो वहाठआकर इनसे पूजा-कारà¥à¤¯ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ कर लें। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° परिसर के सामने कà¥à¤› हटकर ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर गाà¤à¤µ की तरह बना पकà¥à¤•ा कमरा था। पास ही अलग-अलग लेटà¥à¤°à¥€à¤¨ व बाथरूम थे। मोबाइल कनैकà¥à¤Ÿà¥€à¤µà¤¿à¤Ÿà¥€ थी नहीं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पास ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ चायवाले को खाना बनाने के लिये कहला दिया। करीब आधे घणà¥à¤Ÿà¥† के बाद ही à¤à¤• पणà¥à¤¡à¤¾ अपनी बही के साथ आया जिसमें करीब 47 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ मेरे दादा शà¥à¤°à¥€ रामबिलासजी का वहाठआने व मेरे नाम के साथ हमारी वंशावली विवरण दरà¥à¤œ थी। जानकर खà¥à¤¶à¥€ होनी सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• थी। उनहोंने सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ आ पूजा करवाना निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ किया। अब मà¥à¤à¥‡ जानकारी मिली कि वसà¥à¤¤à¥à¤¤: यह मनà¥à¤¦à¤¿à¤° वामन अवतार à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ का है जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बलि राजा से तीन पैर à¤à¥‚मी का दान माà¤à¤—ा था और इस बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ रूप मे शिव-पारà¥à¤µà¤¤à¥€ का विवाह समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करवाया था। पास दà¥à¤•ान पर लकड़ी के चà¥à¤²à¥à¤¹à¥‡ पर बनते à¤à¥‹à¤œà¤¨ के पास ही मैं बैठगया और दà¥à¤•ानदार से बातें करते हà¥à¤¯à¥‡ फà¥à¤²à¥à¤•े सेकने में मदद कर वहीं थाली ले à¤à¥‹à¤œà¤¨ पाकर बिलà¥à¤•à¥à¤² गाà¤à¤µ जैसे माहौल का आननà¥à¤¦ मिला। 25-अकà¥à¤Ÿà¥‚बर-2010 । सà¥à¤¬à¤¹ उनसे गरà¥à¤® पानी का इंतजार नहीं करते हà¥à¤¯à¥‡ बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥‡ पानी में नहा, मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पिछले दà¥à¤µà¤¾à¤° से अनà¥à¤¦à¤° गया, मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° अà¤à¥€ बनà¥à¤¦ ही था। बीच मे हवन कà¥à¤£à¥à¤¡ पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ था जिससे गरà¥à¤®à¥€ पाने, पà¥à¤°à¤¾à¤¤:दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये गाà¤à¤µ वालों का आना जाना जारी था। बदà¥à¤°à¥€ केदार मनà¥à¤¦à¤¿à¤° समिति टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ की ओर से नियà¥à¤•à¥à¤¤, मà¥à¤–à¥à¤¯ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ अपने आसन पर थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यथापà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ जानकारी दे दानपेटी की ओर इशारा कर दिया। वहाठबैठशिवाषà¥à¤Ÿà¤• सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ कर आà¤à¤– खोलते ही अब हवन वेदी पर बैठे पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ ने दो-तीन बार सà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾ करवा हाथ फैला दिये और à¤à¤• अनà¥à¤¯ की ओर इशारा कर सतà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ (लकड़ी डालने वाले) को दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ की अनà¥à¤¶à¤‚सा की। मैं हवन कà¥à¤£à¥à¤¡ की पà¥à¤°à¤¦à¤•à¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ के लिये आगे बढा तो कोने में सारंजाम जमाये à¤à¤• कृशकाय शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤µà¤°à¥à¤£ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ ने अपने पास आने कि लिये इशारा किया, अनदेखी कर आगे बढा तो फिर कहा, फिर à¤à¤• किताब हाथ में लेकर पà¥à¤¨: आगà¥à¤°à¤¹ किया। मै पीछे आ उनको पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® कर दस रà¥. देने लगा। उनहोंने किताब देते हà¥à¤¯à¥‡ आगà¥à¤°à¤¹à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• कहा कि इस विषà¥à¤£à¥à¤¸à¤¹à¤¸à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤® का पाठकरते हà¥à¤¯à¥‡ अपनी यातà¥à¤°à¤¾ पूरà¥à¤£ करूà¤à¥¤ रà¥. नहीं लिये। आगà¥à¤°à¤¹ पर इनकार का सà¥à¤µà¤° रà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤° होता चला गया। पणà¥à¤¡à¥‡ ने शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• करà¥à¤®à¤•ाणà¥à¤¡-पूजा करवाई। तब तक यातà¥à¤°à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¥€ बस आ गई और पूरा मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤—ण गहमा-गहमी पूरà¥à¤£ हो गया, सà¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯à¤—ण वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो गये। चायवाले के पास चाय पीते समय à¤à¤• यà¥à¤µà¤• आया और अपनी बस छूट जाने की बात बताते हà¥à¤¯à¥‡ रामपà¥à¤° तक साथ ले चलने के लिये पूछा। वह वहाठबैंक में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ था। शीघà¥à¤° ही हम दोनों रवाना हà¥à¤¯à¥‡à¥¤
contd…..
आपका विस्तृत लेख पढके फिर से बहुत हर्ष हुआ! आपने सभी स्थानों का वर्णन बड़े ही सुन्दर ढंग से किया है! आगे का लेख जल्दी ही पढने की अभिलाषा है! धन्यवाद्!
धन्यवाद कि आपको मेरा लेख पसन्द आया और इसे जाहिर करने में आपने कोई देर नहीं की।
मुझे धार्मिक स्थल घूमना बहुत अच्छा लगता है! ऋषिकेश पहुचकर जो शांति का अनुभव करता हूँ उसे देखकर ऋषिकेश से आगे जाने की तीव्र इच्छा होती है! गंगोत्री, यमुनोत्री, पञ्च प्रयाग, पञ्च केदार, पञ्च बद्री जाना मेरा एक सपना, जिसे मैं जल्दी ही पूरा करना चाहता हूँ! देखो कब अवसर मिलता है! फिलहाल तो आपके जैसे भाग्यशाली लोगो के यात्रा वर्णन पढके खुदको आपके साथ घूमता हुआ अनुभव करता हूँ! आपसे अनुरोध है की इसी तरह घूमिये और लिखये! काफी अच्छा लगा आपका लेख पढके!
हमारे धार्मिक स्थल घूमने की दृष्टि से भी बहुत अच्छे हैं विशेषकर हिमालय की तलहटी में में स्थित उत्तरांचल, हिमाचल, जम्मू आदि। मेरे एक मित्र के बड़े भाई श्री गिरीश रामावत जो बीकानेर रहते हैं, करीबन 15 वर्ष पूर्व उत्तराखण्ड में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ गये थे। वे तब से प्रतिवर्ष बद्रीनाथ या गंगोत्री अवश्य जाते हैं। मुझे उनसे प्रेरणा मिली स्वयं कार-ड्राईव करते हुये जाने की। इन स्थानों की ‘विजिट’ को अगर समय सीमा में बान्धकर नहीं जायेंगें तो और आनन्द आयेगा चाहे यात्रा के बीच से ही वापिस आना पड़े। आपकी प्रतिक्रिया के लिये धन्यवाद !
आपका यात्रा अनुभव बहुत ही रोचक एवं प्रेरणादायक है क्या आप बता सकते हैं की केदारनाथ शिखर पर मंदिर के पास ठहरने के लिए होटेल्स या धर्मशाला की व्यवस्था है
केदारनाथ में रात्री विश्राम के लिये काफी सुविधा है। कई भक्त तो 15-20 तक वहीं रुकते हैं। बिड़ला धर्मशाला, भारत सेवा संघ आश्रम, गायत्री भवन, जोधपुर हाउस, हिमाचल हाउस, नेपाल हाउस, महाराष्ट्र मण्डल आदि अनेक रुकने के स्थान हैं।
I was waiting for this post..I loved your last post so much. Thanks for sharing your wonderful journey with us (esp. the spiritual one) …
Thanks for your comment and appreciation. The Uttarakhand is very rich in spiritual experiences. We find the instances of very old time, before the Jesus born, scattered in Uttarakhand.
How can I post a comment in Hindi?
MS Office supports typing in ROMAN words resulting in Hindi (Devnagari LIPI). This can be done by enabling some functions in Windows, which can be got done from your Computer Engineer.
हिन्दी में कमैंट करने के लिये, आप पहले अलग से हिन्दी में टाइप कर लो, फ़िर उसे कोपी पेस्ट कर दो बस एक दम आसान इसके लिये जीमेल में भी विकल्प है, बाराह के नाम से भी एक साफ़्टवेयर है, एपिक के ब्राउजर में भी हिन्दी टाइप कर सकते हो,
http://www.google.com/transliterate/ . This is easiest way to type in Hindi without downloading anything.
Enjoyed your each and every lines. very well explained.
waiting for next post.
Thanks.
बेहतरीन पोस्ट, ऐसी जगह पर मोबाइल कम ही काम करता है, त्रियुगीनारायण में पैदल मार्ग की ओर एक पत्थर पर खडे होकर मोबाइल का नेटवर्क काम करता है, कुछ ऐसा ही माजरा चोपता में भी है, आप की पोस्ट अच्छी लगी, मैं कई बार इन जगह जा चुका हूं, आप सबको जल्द ही गौमुख से केदारनाथ पैदल यात्रा पर ले जाऊंगा, आप की अगली किश्त का इंतजार है,
‘कमेण्ट’ के लिये धन्यवाद। आपके पैदल यात्रा वृतांत की अपेक्षा है।
अगली पोस्ट का ज्यादा इंतजार नहीं कराइयेगा,
प्रयास है कि इसी महीने भेज सकूं।
श्रीनिवास जी, अपने तो कमल कर दिया और करते रहेंगे. आपकी यात्रा के सामने मेरी यात्रा कुछ भी नहीं है. और आपका लेखन तो पूरा साहित्यिक है. आपने मेरी कालीमठ की यादें ताज़ा कर दी. आपका बहुत बहुत धन्यवाद. मैं २००९ में, केदार-बद्री जाते समय वहां गया था और एक दिन वहां रुका भी था, मंदिर समिति की अतिथिशाला में. अति सुन्दर स्थान है.
सबसे पहले, एक ऐसी अद्भुत अनुभव बांटने के लिए एक बड़ा धन्यवाद | मुझे विशेषाधिकृत महसूस हो रहा है. फिर से धन्यवाद.
If I can suggest, I think have some titles and a little more structure can make it easy to read.
बेसब्री से अगले प्रकरण के इंतजार में |
“The Uttarakhand is very rich in spiritual experiences. We find the instances of very old time, before the Jesus born, scattered in Uttarakhand.”
Sir, can you please suggest some of those places. I am very keen to visit.
– Vikas Kakkar
Amateur Travelleler