घुमक्कड़ की दिल्ली : हवेली मिर्ज़ा ग़ालिब

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ग़ालिब के रहते इस हवेली की असल पैमाइश तकरीबन 400 स्क्वायर यार्ड्स (square yards) थी. नाजायज कब्जों की वजह से इस हवेली के अंदर और चारों ओर दुकानों और दूसरे कारोबारी इस्तेमाल के चलते हवेली ने अपना वज़ूद लगभग खो-सा दिया. साल 1999 में दिल्ली सरकार ने इस हवेली के कुछ हिस्से को नाज़ायज़ कब्जों से छुड़ाकर इसे फिर से पुराने रंग-रूप में लाने की कोशिश की. और इस तरह ग़ालिब की हवेली “ग़ालिब स्मारक” के तौर पर वज़ूद में आयी.

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