लचà¥à¤›à¥€à¤µà¤¾à¤²à¤¾, यानि फà¥à¤² मसà¥à¤¤à¥€
लचà¥à¤›à¥€à¤µà¤¾à¤²à¤¾ देहरादून से लगà¤à¤— 18 किलोमीटर पहले à¤à¤• पिकनिक सà¥à¤¥à¤² है जहां पर, अगर परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• जनता न हो तो, निसà¥à¤¸à¥€à¤® शांति है। हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°-देहरादून मारà¥à¤— पर रेलवे लाइन के लिये बनाये गये subway (जो अब फà¥à¤²à¤¾à¤ˆ ओवर बनने जा रहा है, निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤—ति पर है। ) की बगल में मà¥à¤–à¥à¤¯ राजमारà¥à¤— से दाईं ओर जंगल की ओर à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ जाता है। लगà¤à¤— १ किमी आगे पहà¥à¤‚च कर यह पिकनिक सà¥à¤¥à¤² है। à¤à¤• अदद नदी के मारà¥à¤— में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ ऊंचाई की दीवारें खड़ी कर – कर के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ गहराईओं के “सà¥à¤µà¤¿à¤®à¤¿à¤‚ग पूल†बना लिये गये हैं। बचà¥à¤šà¥‡ कम गहराई वाले “सà¥à¤µà¤¿à¤®à¤¿à¤‚ग पूल†में नहा सकते हैं, उससे अधिक गहरा वाला महिलाओं के हित में बनाया गया है और सबसे अधिक गहरा, यानि पांच फीट गहरा पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के लिये है पर ये वासà¥à¤¤à¤µ में नदी ही है जिसके तल को विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ गहराइयां पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर दी गई हैं। महिलाओं वाला सà¥à¤µà¤¿à¤®à¤¿à¤‚ग पूल लगà¤à¤— खाली ही पड़ा था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सारी महिलाà¤à¤‚ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ वाले सà¥à¤µà¤¿à¤®à¤¿à¤‚ग पूल में ही थीं।
मैं और दोनों बचà¥à¤šà¥‡ फटाफट अपने अपने कपड़े उतार कर पानी में उतर गये। शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ने हमारे सामान की रकà¥à¤·à¤¾ के नाम पर पानी में आने से साफ इंकार कर दिया। वह सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर नहाने के मामले में बहà¥à¤¤ संकोच करती हैं। घंटा – डेॠघंटा पानी में कूदते – फांदते, हम लोग गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤® ऋतॠसे लड़ते रहे। फà¥à¤² मसà¥à¤¤à¥€ करने के बाद, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी को उनके अड़ियलपने के लिये कोसते हà¥à¤ हम सब पà¥à¤¨à¤ƒ गाड़ी में बैठे और देहरादून की ओर चल पड़े। हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में जब हमने देहरादून जाने की बात तय की थी तो शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ने छोटे à¤à¤¾à¤ˆ की पतà¥à¤¨à¥€ को फोन करके पूछ लिया था कि वह देहरादून में घर पर ही मिलेंगे या नहीं! उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जब कहा कि दोपहर को लंच पर पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करेंगे तो हमने लचà¥à¤›à¥€à¤µà¤¾à¤²à¤¾ में लंच लेने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ नहीं किया और सीधे देहरादून में à¤à¤¾à¤ˆ के घर की ओर रà¥à¤– करना ही उचित समà¤à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दो बजने वाले थे। लचà¥à¤›à¥€à¤µà¤¾à¤²à¤¾ में पानी में ही हमने दो घंटे बिता दिये थे इसका à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हमें घड़ी पर नज़र डालने से ही हà¥à¤†à¥¤Â
छोटे à¤à¤¾à¤ˆ के घर पहà¥à¤‚च कर बचà¥à¤šà¥‡ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के साथ मसà¥à¤¤, दोनों महिलाà¤à¤‚ रसोई की दिशा में और हम दोनों à¤à¤¾à¤ˆ बैठक में बैठकर गप-शप करने लगे। इस बिना पूरà¥à¤µ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ मà¥à¤²à¤¾à¤•ात से हर कोई अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ था। खाना खाते-खाते यह तय पाया गया कि थोड़ी देर में, जब धूप थोड़ी कम हो जायेगी तो बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾ टैंपिल देखने चलेंगे। बड़ी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° जगह है। à¤à¤¾à¤ˆ का घर देहरादून में अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯à¥€à¤¯ बस अडà¥à¤¡à¥‡ (ISBT) के पास है और बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾ टैंपिल उनके घर से बहà¥à¤¤ नज़दीक है।
बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾ टैंपल पर पिकनिक

धरà¥à¤® चकà¥à¤° जिसके मधà¥à¤¯ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ यंतà¥à¤° को घà¥à¤®à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है।

बà¥à¤¦à¥à¤§ मंदिर परिसर में शॉपिंग कामà¥à¤ªà¥à¤²à¥‡à¤•à¥à¤¸
मंदिर के लिये चलते समय दोनों कारें ले ली गईं ताकि आराम से बैठकर जा सकें और वापसी में हम सड़क से ही सहारनपà¥à¤° की ओर रà¥à¤– कर सकें, घर तक दोबारा कार लेने के लिये न आना पड़े। हां, इतना अवशà¥à¤¯ था कि à¤à¤• कार में सब बड़े लोग थे जबकि दूसरी कार में सिरà¥à¤« बचà¥à¤šà¥‡ ही थे।
मेरा विचार था कि बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¾ टैंपिल मेरे 1980 में देहरादून छोड़ देने के बाद असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आया है किनà¥à¤¤à¥ जब मैने à¤à¤¾à¤ˆ से पूछा तो उसने बताया कि पहले ये इतना लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ नहीं हà¥à¤† करता था अतः हम लोग पहले यहां आया नहीं करते थे। पिछले कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से, जब से ISBT यहां पास में बनी है और इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में जनसंखà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ बॠगई और बाज़ार à¤à¥€ बन गये तो लोगों को पता चला कि à¤à¤¸à¤¾ कोई सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सा मंदिर à¤à¥€ यहां आसपास में है। कà¥à¤²à¥‡à¤®à¥‡à¤‚टाउन में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ इस बौदà¥à¤§ मठके बारे बाद में मैने जानने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया तो इसके महतà¥à¤µ की अनà¥à¤à¥‚ति हà¥à¤ˆà¥¤ यह मठतिबà¥à¤¬à¤¤ के विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ बौदà¥à¤§ मठकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•ृति है और इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसके मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤µà¤¨ की दीवारों पर मौजूद à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤° हैं, कलाकृतियां हैं जिनके माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ के जीवन की अनेकानेक घटनाओं को अंकित किया गया है। (इनका चितà¥à¤° लेना मना है)। इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ वरà¥à¤· 1965 में हà¥à¤† बताया जाता है। लगà¤à¤— पचास कलाकार तीन वरà¥à¤· तक इन दीवारों पर सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® रंग के पेंट से कलाकृतियां बनाते रहे हैं तब जाकर यह कारà¥à¤¯ पूरा हà¥à¤†à¥¤ बहà¥à¤¤ दूर से ही इस मंदिर का सà¥à¤¤à¥‚प दिखाई देता है जो 220 फीट ऊंचा है। यह जापान की वासà¥à¤¤à¥à¤•ला शैली पर आधारित है। इस मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤µà¤¨ में पांच मंजिलें हैं और हर मंजिल पर à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ की व अनà¥à¤¯ अनेकानेक पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की गई हैं। यह मानव की सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤—त कमजोरी है कि वह जिस कला को देखकर पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठमें चकित रह जाता है, बाद में उसी कला के और à¤à¥€ अगणित नमूने सामने आते रहें तो धीरे-धीरे उसका उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ à¤à¥€ कम होता जाता है। बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से वह हर चीज़ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ नहीं कर पाता। पहली मंजिल पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कलाकृतियों और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤“ं को देखने में हमने जितना समय लगाया उससे थोड़ा सा जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय में हमने बाकी चारों मंजिलें देख लीं ! शायद इसकी à¤à¤• मà¥à¤–à¥à¤¯ वज़ह ये है कि हम उन सब कलाकृतियों को समठनहीं पा रहे थे और हमें सब कà¥à¤› à¤à¤• जैसा सा लग रहा था। कोई गाइड यदि वहां होता जो à¤à¤•-à¤à¤• चीज़ का महतà¥à¤µ समà¤à¤¾à¤¤à¤¾ तो अलग बात होती।
मà¥à¤–à¥à¤¯ मंडप में से निकल कर सीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ उतर कर लॉन में आये तो बायें ओर à¤à¥€ à¤à¤• सà¥à¤¤à¤‚ठदिखाई दिया। लॉन में à¤à¤• धरà¥à¤®à¤šà¤•à¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया है। आपने तिबà¥à¤¬à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने हाथ में à¤à¤• धरà¥à¤®à¤šà¤•à¥à¤° लिये हà¥à¤ और उसे हाथ की हलà¥à¤•े से दी जाने वाली जà¥à¤‚बिश से निरंतर घà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ देखा होगा। वे पोरà¥à¤Ÿà¥‡à¤¬à¤² धरà¥à¤®à¤šà¤•à¥à¤° वासà¥à¤¤à¤µ में इसी धरà¥à¤®à¤šà¤•à¥à¤° की अनà¥à¤•ृतियां हैं। इस सà¥à¤¤à¥‚प में लगà¤à¤— 500 लामा धारà¥à¤®à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करते हैं। बताया जाता है कि तिबà¥à¤¬à¤¤ के बाद यह à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ का सबसे बड़ा सà¥à¤¤à¥‚प है।
मंदिर के मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤µà¤¨ के दाईं ओर à¤à¤• शॉपिंग कांपà¥à¤²à¥‡à¤•à¥à¤¸ दिखाई दिया जिसमें दो-तीन दà¥à¤•ानों में रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट और बाकी में gifts and novelties की दà¥à¤•ानें हैं। आप अपने साथ इस सà¥à¤¤à¥‚प की यादें ले जाना चाहें तो अनेकानेक कलाकृतियां और दैननà¥à¤¦à¤¿à¤¨ उपयोग की वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ बेचने वाली दस-बारह दà¥à¤•ानें यहां पर हैं।
इस मंदिर कांपà¥à¤²à¥‡à¤•à¥à¤¸ में हम लगà¤à¤— दो-ढाई घंटे घूमते-फिरते रहे। शाम ढलने के साथ ही यहां पर à¤à¥€à¥œ बà¥à¤¤à¥€ चली गई और यह à¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² कम और परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² अधिक लगने लगा जहां पर देहरादून वासी अपनी शाम बिताने आ जाया करते हैं।
घर वापसी (कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ सिंह की या अमर सिंह की नहीं, हमारे परिवार की)
रातà¥à¤°à¤¿ में पहाड़ी रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¥€ वाहन चलाने में मà¥à¤à¥‡ या बेटे को कोई दिकà¥à¤•त नहीं होती है तथापि हमारी महिला वरà¥à¤— की राय थी कि या तो हम रात को देहरादून में ही रà¥à¤• जायें या फिर अनावशà¥à¤¯à¤• देर किये बिना वापिस चल पड़ें। रà¥à¤•ना वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• नहीं था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सोमवार को बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ और और मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ अपनी अपनी वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¤¤à¤¾à¤à¤‚ थीं अतः हम सब बाय-बाय, टाटा करके अपनी कार में बैठे और सहारनपà¥à¤° की ओर चल पड़े। देहरादून से सहारनपà¥à¤° की दूरी लगà¤à¤— 70 किमी है जो अपने वाहन से लगà¤à¤— à¤à¤• घंटा बीस मिनट में आसानी से पूरी हो जाती है। बिना कहीं रà¥à¤•े हम अपने पूरे दिन की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बार-बार याद करते हà¥à¤ मजे से रातà¥à¤°à¤¿ 8.30 पर सहारनपà¥à¤° आ पहà¥à¤‚चे। à¤à¤¸à¤¾ लग ही नहीं रहा था कि हम कल शाम ही सहारनपà¥à¤° से निकले थे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इतनी सारी जगह गये, इतने सारे लोगों से मà¥à¤²à¤¾à¤•ात हà¥à¤ˆà¤‚ कि à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था मानों कई दिनों से घूम रहे हैं।
सहारनपà¥à¤° में जब पà¥à¤¨à¤ƒ जनता रोड पर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने लगे तो पतà¥à¤¨à¥€ ने कहा कि थकान के कारण खाना बनाने का मन नहीं है और कहीं होटल में à¤à¥€ खाने का मन नहीं है अतः कà¥à¤¯à¤¾ किया जाये! हम तीनों ने बिना à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ à¤à¥€ गंवाये उतà¥à¤¤à¤° दिया, à¤à¥‚खे रहने का à¤à¥€ मन नहीं है।“ अतः सरà¥à¤µà¤¸à¤®à¥à¤®à¤¤à¤¿ से यह पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ पास हà¥à¤† कि दही लेते हà¥à¤ घर में घà¥à¤¸à¥‡à¤‚ और पà¥à¤²à¤¾à¤µ बना लिया जाये। खिचड़ी तेरे चार यार, दही – पापड़ – घी – अचार।
आपने हम सब को इतनी विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾ से à¤à¥‡à¤²à¤¾, इसके लिये आप पाठक-शिरोमणि की उपाधि से अलंकृत किये जाते हैं। आपका हारà¥à¤¦à¤¿à¤• अà¤à¤¿à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¨ !





नये बस अडडे के पास टर्नर रोड पर ही मामाजी रहते है लेकिन मैं अब तक इस स्थल को नहीं देख पाया, अबकी बार इसे जरुर देखा जायेगा।
hamesha ki tarah bahuth accha lekh !
आपके विशिष्ट तथा चुटीले अंदाज़ में प्रस्तुत यह लेख बहुत ही सुन्दर बन पड़ा है तथा मनमोहक छायाचित्र इसको शोभा को द्विगुणित कर रहे हैं। अब सहारनपुर एक्सप्रेस कहाँ जाने के लिए तैयार है?
ऊपर वाली कमेन्ट में टंकण की गलती से “इसकी” की जगह “इसको” लिखा गया है। असुविधा के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।
Res S S ,
It is very much clear that talent has no limits, what a talent sir, what are the comments (ghar wapsi), and ( khichari tere —-), these are the proverb which cannot be used by every one, I will say only this,
LIKHNE KO TO LIKHTEN HAIN BAHUT SE SITAMGAR,
PAR SS KA LIKHNE KA HAI ANDAJE-BYAN AUR,
Waitng for another post,
Baldev swami
बुद्धा टेम्पल के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए कोटि कोटि धन्यवाद | बहुत करीबी मित्र है दून का तो न जाने कितनी बार गाडी दौराई हमने | अभी अमरीका से आ रहा है सोमवार को तो उससे पूछूँगा की उसने अभी तक देखा है या नहीं | रात के दो बजे हंसूंगा तो पडोसी पुलिस को बुला लेंगे, पर मैने दोनों लेख पढ़ ही डाले इसलिए मैं शाबाशी का हकदार हूँ |
जहाँ तक दही का सवाल है तो अभी बुधवार को दिवाली मन कर लौटते हुए , हमने भी यही प्लान रखा | पुलाव और दही, थोड़ी मिर्चा के साथ |