पिछली पोसà¥à¤Ÿ से आगे…..
हम सब इतने खà¥à¤¶ हà¥à¤¯à¥‡ की बिना कà¥à¤› पूछे ताछे बस निकाल पड़े, चलते चलते लगà¤à¤— 2 किमी बाद à¤à¤• गाà¤à¤µ मैं पहà¥à¤šà¥‡ जहां पता चला की टाईगर फॉल तक सिरà¥à¤« आधे घंटे मैं पहà¥à¤š जाओगे। अगर कोई जाना चाहे तो उस गाà¤à¤µ से कोई गाइड वागेरह à¤à¥€ मिल सकता हैं, या फिर होटल वाला उसका इंतेजाम करा देंगे। और यहीं हमसे गलती हो गयी हमको लगा की शायद थोड़ी दूर ही होगा और आसानी से पाहà¥à¤š जाà¤à¤‚गे। लेकिन जब चलते चलते शाम हो गयी तो पता अपनी गलती का पता चला लेकिन रासà¥à¤¤à¤¾ इतना मनà¤à¤¾à¤µà¤¨ था की बिलà¥à¤•ल पछतावा नहीं हो राहा था। जो लोग टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤•िग कर चà¥à¤•े हैं या जाते रहते हैं उनà¥à¤¹à¥‡ मालूम ही होगा की à¤à¤¸à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर यह नजारें ही थकान उतारते हैं, और जब थक जाते हैं तो आगे बढà¥à¤¨à¥‡ की हिमà¥à¤®à¤¤ à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥€ से मिलती हैं। खैर, कहने को तो यह टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤•िग कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं थी, लेकिन हम लोगों के लिठतो बहà¥à¤¤ थी। करीब 2-3 घंटे के बाद à¤à¥€ जब कहीं कà¥à¤› नहीं दिखा तो थक हार कर वहीं पसर गठफिर सोचने लगे की शायद या तो रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤Ÿà¤• गठहैं या फिर कोई छोटा मोटा à¤à¤°à¤¨à¤¾ होगों को हमे नहीं दिख रहा॥ दरअसल उन पहाड़ियों से पूरा नज़ारा तो दिख रहा था बस वही à¤à¤°à¤¨à¤¾ नहीं दिख रहा था। फिर हम लोगों को अपनी गलती का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हà¥à¤† और वापस लोटने को निशचय किया तà¤à¥€ à¤à¤• बूढ़े बाबा मिले जिनहोने बताया की वो रोज़ ही करीबन 10 – 15 किमी इसी रासà¥à¤¤à¥‡ पर आते रहते हैं और वो à¤à¤°à¤¨à¤¾ थोड़ा सो नीचे होने की वअजह से नहीं दिख रहा, तà¤à¥€ मेरे दो दोसà¥à¤¤ उन बाबा के साथ हो लिठजबकि हम चारो की हालत खराब थी। और हम वहीं उन लोगों का इंतज़ार करने लगे। फिर हम ने सोचा की चलो थोड़ा थोड़ा ऊपर की ओर चलते हैं जिससे हम à¤à¥€ कहीं ठिकाना ढूंढकर थोड़ा विशà¥à¤°à¤¾à¤® कर लेंगे। वहीं ऊपर ही थोड़ा ढूंढने पर à¤à¤• बà¥à¤¡à¤¼à¥‡ बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— की छोटी से कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ थी जहां जाकर थोड़ा पानी पिया और उन बाबा से वहाठके बारे मैं बातें करने लगे।
थोड़ी देर बाद जब अंधेरा होने लगा तो हमें अब सोनू और नीरज की चिंता होने लगी कà¥à¤¯à¥‚ंकी वो लोग अब तक नहीं आठथे। तब हम लोगों ने पहले उनà¥à¤¹à¥‡ ढूंढने का फैसला किया। वहीं थोड़ी ऊपर à¤à¤• हारा à¤à¤°à¤¾ घास का मैदान था तो हम लोगों ने वहीं डेरा डाल लिया और सोचा के उन दोनों का यहीं इंतज़ार करेंगे। तà¤à¥€ सोनू का फोन आया और उसने बताया की वो लोग ऊपर आ रहें हैं और शायद रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥‚लकर जंगल मैं à¤à¤Ÿà¤• गठहैं। इसलिठहमारा वहीं इंतज़ार करना। तà¤à¥€ पीछे से कà¥à¤› लोगों का à¤à¤• à¤à¥à¤‚ड जिसमे 2-3 बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— और कà¥à¤› नौजवान लोग थे जो अपनी गायों को नीचे ले जा रहे थे हमारे पास से गà¥à¤œà¤¼à¤°à¤¾à¥¤ हम लोगों ने उनसे मदद मांगने की सोची और उनसे कहा की हमारे दो दोसà¥à¤¤ नीचे गठथे और अà¤à¥€ तक वापस नहीं आà¤à¥¤ कà¥à¤¯à¤¾ आप हमारी उनको ढूंढने मैं मदद करेंगे। वैसे कà¥à¤› à¤à¥€ कहों पहाड़ी लोगो का दिल बहà¥à¤¤ बड़ा होता हैं और यह लोग हमेशा मदद के लिठतैयार रहते हैं, उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ कहाठठीक हैं मैं अपने लड़के को à¤à¥‡à¤œ देता हूठऔर वो तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को ढूंढकर ले आà¤à¤‚गे। तब कहीं जाकर जान मैं जान आई, वरना हमें तो यही लगा था की अब तो इसी जंगल मैं रात काटनी पड़ेगी। अब हम लोगों को à¤à¤• और मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤ ने आ पकड़ा और यह थी “ठंडâ€, कà¥à¤¯à¥‚ंकी हम लोग दोपहर को निकले थे इसलिठगरम कपड़े नहीं लाये थे, और कपड़ो के नाम पर सिरà¥à¤« à¤à¤• टà¥à¤¶à¤¿à¤°à¥à¤Ÿ थीखैर किसी तरह लकड़िया इकटà¥à¤ ी कर के आग जलायी और सिकने लगे, जैसे जैसे अंधेरा बदता जा रहा था वैसे वैसे हमारी हालत à¤à¥€ खराब à¤à¥€ होती जा रही थी, à¤à¤• तो ठंड ऊपर से दोसà¥à¤¤ à¤à¥€ खो गà¤à¥¤
काफी देर इंतज़ार करने के बाद कà¥à¤› शोर सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ दिया, और देखा तो सोनू और नीरज उनही गाà¤à¤µ वाले लड़कों के साथ चले आ रहे थे, उस वक़à¥à¤¤ उन दोनों को देखकर जान मैं जान आई अब वापस होटल चलने का समय आ गया था, सो हम सब लड़के वापस चल दिये और वो जो गाà¤à¤µ वाले लड़के थे पता नहीं किस सà¥à¤ªà¥€à¤¡ से गठके दिखने ही बंद हो गà¤à¥¥ लेकिन कà¥à¤› à¤à¥€ हो उन लोगों ने हमारी काफी मदद की थी। अब वो गाà¤à¤µ à¤à¥€ आ गया था जो रासà¥à¤¤à¥‡ मैं पड़ा था, टाà¤à¤—े बà¥à¤°à¥€ तरह थकी हà¥à¤¯à¥€ थी और जवाब दे रही थी लेकिन हम लोग बस चले जा रहे थे। गाà¤à¤µ पार करने के बाद à¤à¤• बड़ा ही खतरनाक रासà¥à¤¤à¤¾ आता हैं, जाते वक़à¥à¤¤ तो आसानी से चले गठकà¥à¤¯à¥‚ंकी दिन निकला हà¥à¤¯à¤¾ था लेकिन अब रात होने का कारण कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं दिख रहा था। रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ के à¤à¤• तरफ गहरी खाई और दूसरी तरफ हलà¥à¤•ी सी चड़ाई। रासà¥à¤¤à¤¾ काफी संकरा था की सिरà¥à¤« à¤à¤• आदमी ही चल सकता था, लेकिन उस समय हमें याद आई अपने अपने मोबाइल मैं टॉरà¥à¤š की। इनहि टॉरà¥à¤š की सहायता से हम लोगों ने दो दो के तीन गà¥à¤°à¥à¤ª बना लिठऔर सावधानी से चलने लगे। अब तीन टॉरà¥à¤š थी, पहले वाले के पास तीसरे वाले के पास और पांचवे के पास। बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से हमने वो 1-1\12 किमी का रासà¥à¤¤à¤¾ पार किया और होटल पहà¥à¤à¤šà¤•र चैन के सांस ली। रात करींब 9 बजे होटल पहà¥à¤‚चे और धड़ाम से बिसà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ मैं गिर गà¤à¥¤ नीरज और सोनू तो टाईगर फॉल के दरà¥à¤¶à¤¨ कर चà¥à¤•े थे इसलिठखà¥à¤¶ थे बाकी सब à¤à¤• दूसरे की गलतियाठनिकालने मैं वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो गà¤à¥¤ खैर खाना मंगवाया गया और खा पीकर सबने खटिया पकड़ ली।
14 ओकà¥à¤Ÿà¥à¤¬à¤° – सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ सब उठगठऔर दूर पहाड़ियों से सूरज देवता के दरà¥à¤¶à¤¨ करने लगे, सचमà¥à¤š बड़ा ही मनà¤à¤¾à¤µà¤¨ नज़ारा था। नहा धोकर हमने होटल वाले से आस पास की जगहो के बारे मैं पूछा तो कà¥à¤› ढंग का नहीं लगा तो सबने विचार किया के चलो मसूरी चलते हैं, आज रात वहीं रà¥à¤•ेंगे। इसके बाद सबने नाशà¥à¤¤à¤¾ कर के थोड़ी बहà¥à¤¤ फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ करने के बाद पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर दिया। अब हम लोगों की मंज़िल थी यमà¥à¤¨à¤¾ पल और केंपटी फॉल, पहले ही इरादा कर लिया था की टाईगर फॉल का बदला केंपटी फॉल मैं लेंगे। नाशà¥à¤¤à¤¾ करके तो चले ही थे इसलिठकहीं रà¥à¤•े नहीं॥ रà¥à¤•े सीधा यमà¥à¤¨à¤¾ पल जाकर जब सबको जोरों से à¤à¥‚क की तलब लगी। यमà¥à¤¨à¤¾ पल को पार करते ही किनारे पर दाहिने हाथ पर à¤à¤• छोटी सी दà¥à¤•ान हैं खाने के बारे मैं यूहीं पूछ लिया तो पता चला के खाना à¤à¥€ मिल जाà¤à¤—ा॥ अब सबको à¤à¥‚ख à¤à¥€ ज़ोरों से लगी थी इसलिठमांगा लिया। खाने मैं थाली थी जिसमे दाल, चावल और गोà¤à¥€ की सबà¥à¤œà¥€ थी। और पूछने पर पता चला की मछà¥à¤²à¥€ की सबà¥à¤œà¥€ à¤à¥€ मिलेगी और वो à¤à¥€ ताज़ा। दà¥à¤•ान के मालिक ने बताया की सीज़न मैं यहाठपर काफी à¤à¥€à¤¡à¤¼ रहती हैं जिसकी वजह से बाकी दà¥à¤•ानें à¤à¥€ खà¥à¤²à¥€ रहती हैं, लेकिन अब सब बंद हैं शायद बाद मैं खà¥à¤² जाये |
वहाठपर शायद राफà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग à¤à¥€ होती होगी कà¥à¤¯à¥‚ंकी जगह जगह बोरà¥à¤¡ à¤à¥€ लगे हà¥à¤¯à¥‡ थे। खैर खाना खाया और जब दाम पूछे तो सब दंग रह गà¤à¥¤ à¤à¤• थाली का दाम था 20 रॠजिसमे दाल, चावल, गोà¤à¥€ की सबà¥à¤œà¥€ और 4 रोटी। और 1 पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ फिश करी सिरà¥à¤« 50 रॠकी कà¥à¤² मिलकर 200 -250 का खरà¥à¤šà¤¾ रहा होगा। जिसमे कोलà¥à¤¡ डà¥à¤°à¤¿à¤‚क और चिपà¥à¤¸ वागेरह à¤à¥€ थे। à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ खाना और इतने कम दाम में तो शायद हमने पूरे टूर में नहीं खाया। खाने वाले का शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ अदा करके हम लोग मसूरी की तरफ वापस चल दिये॥ और पहाड़ों की सà¥à¤‚दरता के मज़े लेते रहे। शायद à¤à¤°à¥‡ पेट में वो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अचà¥à¤›à¥‡ लग रहे थे। शाम करीब 3 बजे हम लोग केंपटी फॉल पहà¥à¤‚चे और बिना à¤à¤• पल गवाà¤à¤ दौड़ पड़े फॉल की तरफ, मैं तो अà¤à¥€ 10 दिन पहले à¤à¥€ आया था लेकिन तब फॉल में नहाया नहीं था इसीलिठमà¥à¤à¥‡ सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जलà¥à¤¦à¥€ थी। 2-3 घंटे तसलà¥à¤²à¥€ से हम सब à¤à¤°à¤¨à¥‡ का आनंद लेते रहे लेकिन जैसे ही शाम बढà¥à¤¨à¥‡ लगी हम लोग की ठिठà¥à¤°à¤¨ बदने लगी और à¤à¤• à¤à¤• करके सब बाहर आ गà¤à¥¥ अब दूसरा काम था मसूरी पहà¥à¤à¤šà¤•र à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ सा कमरा लेना और इस काम को सोनू बड़िया कर सकता था, कà¥à¤¯à¥‚ंकी वो à¤à¥€ 2-3 बार मसूरी आ चà¥à¤•ा था। मसूरी पहà¥à¤‚चर हमने “दीप होटल “ मैं à¤à¤• कमरा लिया। होटल काफी अचà¥à¤›à¤¾ था, साफ सूथरा और पारà¥à¤•िंग à¤à¥€ थी।
केवल 700 रॠमें हमने à¤à¤• कमरा लिया जिसमे 1 डबल बेड, à¤à¤• छोटा बेड और à¤à¤• सोफा सेट था। हम लोगों के लिठये काफी था। मसूरी à¤à¥€ मेरा पहले देखा हà¥à¤¯à¤¾ था और मेरे दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ मसूरी मैं कà¥à¤› खास दिलचसà¥à¤ªà¥€ नहीं थी। तो इसलिठसोचा के खाना खाकर ही घूमेंगे। जो मसूरी की सबसे फ़ेमस जगह थी वो तो हम देख ही चà¥à¤•े थे इसलिठकमरे मैं ही पड़े रहे॥ खाना खाकर हम लोग मॉल रोड घूमने निकाल पड़े॥ हलà¥à¤•ी हलà¥à¤•ी ठंड और ऊपर से मॉल रोड की चहल पहल। वैसे तो मॉल रोड को देखकर à¤à¤¸à¤¾ लगता ही नहीं की किसी हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर हैं, लेकिन जो बात चकराता में थी वो यहा नहीं। काफी घूम घामकर अब वक़à¥à¤¤ वापस जाकर सोने का था सो हम लोग वापस होटल जाकर अगले दिन का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाने लगे, मेरे दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ तो मसूरी कà¥à¤› खास पसंद नहीं आया था तो मà¥à¤à¤¸à¥‡ बोले की कल कहीं बड़िया जगह चलेंगे और फिलहाल के लिठसो गà¤à¥¤
अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ मसूरी से ही चाय नाशà¥à¤¤à¤¾ करके जलà¥à¤¦à¥€ ही मसूरी से निकाल गठथे अगला पड़ाव था देहारादून मैं रोबà¥à¤¬à¥‡à¤°à¥à¤¸ केव जिसे हिनà¥à¤¦à¥€ मैं गà¥à¤šà¥à¤šà¥à¤ªà¤¾à¤¨à¥€ à¤à¥€ कहते, खैर अब यह तो पता नहीं लेकिन जब देहारादून पहà¥à¤à¤š तो बड़ी पूछ ताछ करने के बाद आखिर हम लोग गà¥à¤šà¥à¤›à¥ पानी पहà¥à¤à¤š ही गये। ठीक तरह से तो रासà¥à¤¤à¤¾ याद नहीं लेकिन रोबà¥à¤¬à¥‡à¤°à¥à¤¸ केव मसूरी – देहारादून के रासà¥à¤¤à¥‡ मैं पड़ता हैं।
गà¥à¤šà¥à¤šà¥ पानी या रोबà¥à¤¬à¥‡à¤°à¥à¤¸ केव à¤à¤• पà¥à¤°à¤•ृतिक गà¥à¤«à¤¾ नà¥à¤®à¤¾ हैं, जो दो तरफ से ऊंची ऊंची पहाड़ियाठहैसे घिरी हà¥à¤¯à¥€ हैं और कहीं कहीं रासà¥à¤¤à¤¾ इतना संकरा हैं के सिरà¥à¤« à¤à¤• ही आदमी ही निकाल सकता हैं। इस के बीच मैं à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक जलधारा निकाल रही हैं, शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ मैं यह जलधारा घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ नीचे होती हैं लेकिन कहीं कहीं छाती अक à¤à¥€ पहà¥à¤à¤š जाती हैं। पिछली दो बार की देहारादून की यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं में मैं सिरà¥à¤« सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ ही देख पाया था लेकिन जब आखिरी बार आया था तो तय करके गया था की इस बार रोबà¥à¤¬à¥‡à¤°à¥à¤¸ केव जरूर देख कर जाऊंगा॥
इस गà¥à¤«à¤¾ का मेरे हिसाब से कोई अंत नहीं हैं, हाठजहां तक मैं जा सकता था गया, à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ खतà¥à¤® मिलता तो उसके ऊपर से कोई और रासà¥à¤¤à¤¾ मिल जाता। जहां à¤à¥€ रासà¥à¤¤à¤¾ खतà¥à¤® मिलता à¤à¤• छोटा सा पà¥à¤°à¤•ृतिक à¤à¤°à¤¨à¤¾ बना होता। बस, हमने à¤à¥€ आव देखा न चाव और घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ चले गठलेकिन जब लगा के अब आगे नहीं जा पाà¤à¤‚गे जो वहीं रà¥à¤•कर मजे लेने लगते।
जहां à¤à¥€ à¤à¤°à¤¨à¤¾ सा मिलता या थोड़ा गहरा पानी मिलता वहीं रà¥à¤•कर मौज मसà¥à¤¤à¥€ करते॥
यह सब चलता रहता अगर घड़ी में समय न देखा होता। दरअसल हम लोगों को आज ही निकालना था और कोशिश यही थी की रात तक किसी à¤à¥€ तरह घर पहà¥à¤‚चा जाà¤à¥¥ लेकिन मà¥à¤à¥‡ पता था की कितनी à¤à¥€ कोशिश कर लो 10 – 11 बजे से पहले नहीं पहà¥à¤à¤š पाà¤à¤‚गे। रोबà¥à¤¬à¥‡à¤°à¥à¤¸ केव के बाहर कà¥à¤› दà¥à¤•ाने à¤à¥€ मोजूद हैं जिनमे चाय नाशà¥à¤¤à¤¾ और मैगी आसानी से उपलबà¥à¤§ होती हैं। रोबà¥à¤¬à¥‡à¤°à¥à¤¸ केव मैं जाने का पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ 15 रॠके हिसाब से टिकिट लेना पड़ता हैं। खैर शाम 4 बजे जब हम लोग थक गठतो वापस चल पड़े दिलà¥à¤²à¥€ की और। रात को मà¥à¤œà¥à¤œà¤«à¤°à¤¨à¤—र मैं खाना खाकर सà¥à¤¬à¤¹ 3 बजे तक दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¥ तो इस तरह हमारी यह यातà¥à¤°à¤¾ अपने समापन को आई थी हम लोग सोमवार की सà¥à¤¬à¤¹ दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤‚चे थे इसलिठअब सबको अपने अपने काम पर जाना था।
अगले महीने कौसनी जा रहे हैं
धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¥
good narration with nice photos.
keep it up
thnks praveen ji..
बढ़िया यात्रा विवरण, योगेश भाई. चकराता वाकई एक बेहतरीन जगह है भीडभाड से दूर. टाइगर फॉल अपने नाम को पूरी तरह से सार्थक करता है. अपनी यात्रा में हमने सोचा था यहाँ जाकर झरने में स्नान करेंगे…पर इसकी दहाड़ सुनकर और देखकर नहाना तो दूर की बात, संदीप जाटदेवता और नीरज जाट जैसे महारथी भी एक समय के लिए काँप गए थे…हेहे…:)…अगली बार जरुर जाईयेगा…रोब्बर्स केव पसंद आया…साझा करने के लिए शुक्रिया…
जी हाँ
चकराता काफी उम्दा जगह हैं, जाना हो तो समय निकालकर
टाइगर फॉल अपने नाम की तरह ही हैं, हम तो खैर देख नहीं पाए लेकिन मेरे जिन दोस्तों ने देखा उन्होने इसकी भयंकरता के बारे मैं हमे बताया था।
सरपट यात्रा रही आपकी और कई जगह घूमे | ७०० में एक बड़ा कमरा मिलना घुमक्कड़ों के लिए अच्छी खबर है | टाइगर फॉल अगर दोबारा जाएँ तो गाइड करना सही रहेगा | कौसानी से आप हो आयी या अभी यात्रा होनी है | टिप्पणियों का जवाब दें, समय मिलने पर | जय हिन्द |
नन्दन जी उस समय शायद ऑफ सीज़न रहा होगा इसीलिए
जी अगर आप टाइगर फॉल सड़क द्वारा जाएंगे तो शायद जरूरत न पड़े, लेकिन पैदल वाले रास्ते परे जरूर पड़ेगी।
अभी कौसनी ही जा रहें हैं, अगले हफ्ते का कार्यक्रम हैं। जल्द ही आपके सामने पेश होंगे।
बहुत बढ़िया रही आपकी यात्रा और यह लेख……टाइगर फाल के पास भटक कर खूब रोमांचक अनुभव भी हुआ….तो केम्पटी फाल में नहाकर मस्ती उसके बाद रोबर्स केव ने आपका मजा ही दुगना कर दिया होगा….| मसूरी में ७०० रूपये में कमरा अच्छा मिल गया आपको….|
देहरादून यात्रा में एक बार रोबर्स केव जा चुका हूँ….पर उस समय यह वीराने में था…कोई दुकान नहीं, कोई टिकिट नहीं….उस समय इस गुफा में जाने वाले हम ही लोग थे और पूरी गुफा में हमें पानी ज्यादा से ज्यादा घुटनों तक मिला …गुफा में ठन्डे और गर्म पानी की दो धाराए बहती हैं…..|
बहुत बढ़िया….रोमांचक और फटाफट रही आपकी यात्रा
धन्यवाद रितेश जी,
रोब्बेर्स केव में अब काफी भीड़ भाड़ देखी जा सकती हैं..गुफा के अंदर हम लोग गरम और ठंडे पानी की धाराएँ नहीं देख पाये, चलो अगली बार ही सही।
आपके कमेंट के लिए शुक्रिया।
चकराता वाकई में बहुत सुंदर है , मेरे दादा जी वहाँ फोरेस्ट डिपार्टमेंट में थे | रॉबरर्स केव मेरी पासिंदिदा जगह है |
जी महेश जी, चकराता की खूबसूरती वाकई लाजवाब हैं। उस दिन के बाद रोब्बेर्स केव मेरी भी पसंदीदा जगह बन गयी है।
Very nice description, good photos Thanks.
धन्यवाद शर्मा जी॥
सफर में कोई साथी खो जाये (यानि बिछुड़ जाये) और कुछ घंटे बाद मिल भी जाये तो यात्रा अविस्मरणीय हो जाती है। एक बार हम दोनों पति – पत्नी अपने दोनों छोटे – छोटे बच्चों को लेकर सहारनपुर में ही मेला गुघाल देखने गये थे। एक बच्चे का हाथ मेरे हाथ में था और एक का पत्नी के हाथ में । कुछ देर बाद गरदन घुमा कर देखा तो पत्नी और छोटा बच्चा कहीं नज़र नहीं आये। घंटा भर तलाश किया पर भीड़ में कुछ पता नहीं चला ! परेशान होकर वापस जाने लगा तो बेटा बोला, “अब मम्मी तो खो ही गई, कम से कम झूला तो झुला दो !” मुझे भी लगा कि चलो, बच्चा ठीक ही कह रहा है ! बाद में पत्नी और छोटा बच्चा पार्किंग में ही स्कूटर के पास खड़े हुए प्रतीक्षा करते हुए मिल गये !
सही कहा आपने सुशांत जी,
हमारी यात्रा इसी वजह से यादगार रही हैं।
Hi Yogesh!
Just found out about the Robber’s caves through your post.
Will definitely go check them out next time.
aapka chakratta tour padhkar bahut achcha laga, vaise me bhi ek din ke liye chakratta gaya the May2016 me, chakratta ek cantonment area he aur bahut hi peaceful he. chakratta kewal ek ya do din ke liye theek he fir aadmi boar ho jaata he.