नमसà¥à¤•ार घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ परिवार | अतà¥à¤¯à¤‚त हरà¥à¤· के साथ पेश है हमारा मासिक साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार अकà¥à¤Ÿà¥‚बर २०१२ माह के विशिषà¥à¤Ÿ लेखक, रीतेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी के साथ | पर इससे पहले थोडा सा चलतें है बीते समय की ओर | पिछले बारह महीनों के अगर विशिषà¥à¤Ÿ लेखकों के फेहरिसà¥à¤¤ पर निगाह दौडाई जाठतो आप देखेंगे की अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में लिखने वाले 5 नाम है (शासà¥à¤°à¥€à¤¯ देवसà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾, निखिल à¤à¤¾à¤ˆ, पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¼à¥‡à¤¸à¤° मनीष खमेसरा, गà¥à¤°à¥Â डी à¤à¤² और पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡Â महेश सेमवाल) और हिंदी में लिखने वाले ४ नाम है  और वो हैं रोमांटिक रीतेश, मनॠघà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी, मौसिकार मनीष कà¥à¤®à¤¾à¤° और जीवट संदीप जाट  | इस सूची में मैंने  साइलेंट सौल पà¥à¤°à¥‡à¤® तिवारी साहब,  माकूल मà¥à¤•ेश जी  और à¤à¤¾à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विशाल को समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ नहीं किया है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये लोग दोनों à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ठमें लिख चà¥à¤•ें हैं |  हालांकि अगर गणित को छोड़ दिया जाठतो ये तीनो à¤à¥€ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में ही लिखते हैं | तो कà¥à¤² मिला कर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लेखक है  | पर हिंदी के ४ लेखक कà¥à¤² १२ में से , à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही सारà¥à¤¥à¤• अंक है , और इस मशाल के नवीनतम पटà¥à¤Ÿà¥‡à¤¦à¤¾à¤° हैं रीतेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी | इसमें कोई संदेह नहीं की रीतेश जी ने अपनी संगठित और संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ लेखों से इस मशाल को कई कदम आगे बढाया है और विशिषà¥à¤Ÿ लेखक के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के लिठवो पूरी तरह से तैयार थे | घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ की हिंदी रचनाओं का सà¥à¤¤à¤° रीतेश जी ने बढाया है | हर लेख में पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤° में सà¤à¥€ जानकारियों को à¤à¤• लयबदà¥à¤§ तरीके से पेश करना, सहलेखकों की रचनाओं पर विवेकपूरà¥à¤£  टिपणà¥à¤£à¥€ करना अपने आप में à¤à¤• बड़ी बात है पर उससे à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मà¥à¤à¥‡ ये लगता है की रितेश जी à¤à¤• सà¥à¤šà¤¿à¤‚तित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के सरदार है | इमेलà¥à¤¸ , चैटà¥à¤¸ और फिर उनसे बात करके इस बात की पूरà¥à¤£Â पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ हो गयी | घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़, हिंदी लेखन और इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ पर à¤à¤• संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ आचरण के सà¥à¤¥à¤®à¥à¤¬à¥‹à¤‚ के लिठरीतेश जी का योगदान à¤à¤• गरà¥à¤µ की बात है और बिना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जदà¥à¤¦à¥‹-जदेह के पेश है अकà¥à¤Ÿà¥‚बर २०१२ माह के घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ विशिषà¥à¤Ÿ लेखक रीतेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ के साथ बातचीत | Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – रीतेश जी, नमसà¥à¤•ार और बहà¥à¤¤ बहà¥à¤¤ बधाई |
रीतेश – नमसà¥à¤•ार नंदन जी और समसà¥à¤¤ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ टीम | मेरे लिठबहà¥à¤¤ ख़à¥à¤¶à¥€ की बात है |Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – आपके परिवार में कौन कौन है, थोडा अपने परिवार जन को  घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ समूह से परिचित करवाà¤à¤‚ |Â
रीतेश - सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के पाठकों और लेखकों को मेरा नमसà¥à¤•ार । मैं à¤à¤• सयà¥à¤•à¥à¤¤ परिवार में रहता हूà¤, मेरे घर में सबसे बड़ी मेरी दादी जी, उसके बाद मेरी माता, पिताजी हैं । हम चार à¤à¤¾à¤ˆ हैं, जिसमें सबसे बड़ा मैं (रीतेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ ) हूà¤Â , मेरे जिंदगी और मेरे हर सफ़र के साथी मेरी धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ रशà¥à¤®à¤¿ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ और मेरे दो बचà¥à¤šà¥‡ जिसमे बड़ी बेटी अंशिता गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ (सात साल) और छोटा बेटा अकà¥à¤·à¤¤ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ (तीन साल) हैं ।  आपको मेरी बात कà¥à¤› आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ में डाल सकती हैं कि मेरे दोनो बचà¥à¤šà¥‹ का जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨Â à¤à¤• दिनांक (29 मई) पर पड़ता हैं ।Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – कà¥à¤¯à¤¾ बात है | फिर तो जनà¥à¤®-दिन मनाने में सहूलियत रहती होगी | हे हे | आपके लेखों से थोडा बहà¥à¤¤ अंदाज़ा तो लगता ही है, आपकी à¤à¤• छोटे à¤à¤¾à¤ˆ शायद नोयडा (राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजधानी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°) में रहते हैं |
रीतेश - हम दो à¤à¤¾à¤ˆ आगरा में और दो à¤à¤¾à¤ˆ आगरा से बाहर रहते हैं , हम सà¤à¥€ की शादी हो चà¥à¤•ी हैं । मेरे साथ अकà¥à¤¸à¤° मेरा छोटा à¤à¤¾à¤ˆ अनà¥à¤œ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ मेरे साथ ही घूमने जाता हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसे à¤à¥€ घूमने का शौक हैं और वो à¤à¥€ कà¤à¥€-कà¤à¥€ घà¥à¤®à¥à¤®à¤•ड़ पर आये लेख पढ़ता रहता हैं ।Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – आपकी पà¥à¤°à¥‹à¤«à¤¾à¤‡à¤² कहती है की आप कंपà¥à¤¯à¥‚टर से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हà¥à¤ हैं अपने काम धंदे के सिलसिले में, थोडा और बताà¤à¤‚ इस बारे में |Â
रीतेश - मैंने कोमरà¥à¤¸ से B.COM के साथ कंपà¥à¤¯à¥‚टर कोरà¥à¤¸ किया हà¥à¤† हैं । कंपà¥à¤¯à¥‚टर à¤à¤•ाउंट में लगà¤à¤— महारत हासिल की हà¥à¤¯à¥€Â हैं ।Â
 यह सही हैं की मैं अपने पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¶à¤¨ में नमà¥à¤¬à¤°à¥à¤¸ और कंपà¥à¤¯à¥‚टरस से डील करता हूà¤Â । मेरा मà¥à¤–à¥à¤¯ काम कंपà¥à¤¯à¥‚टर à¤à¤•ाउंट, सेलà¥à¤¸ टैकà¥à¤¸, इनà¥à¤•म टैकà¥à¤¸ और अनà¥à¤¯ सोफà¥à¤µà¥‡à¤¯à¤° में काम करना और सलाह देना होता हैं । मेरी दिनचरà¥à¤¯à¤¾ लगà¤à¤— वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ ही रहती हैं । सà¥à¤¬à¤¹ आठबजे से शाम आठबजे तक मैं आपका कारà¥à¤¯ तीन शिफà¥à¤Ÿ में करता हूà¤Â । दोपहर के समय लगà¤à¤— छह घंटे में à¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ सà¥à¤¤à¤° के कंपनी में पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन के साथ-साथ कंपà¥à¤¯à¥‚टर à¤à¤•ाउंट का कारà¥à¤¯ रहता हैं । बाकी समय मेरे पास पारà¥à¤Ÿ टाइम जॉब रहती हैं, इस पà¥à¤°à¤•ार से मेरा काम मेरी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ पर रहता हैं । घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी मेरा शौक हैं और शौक के लिठकिसी न किसी तरह समय तो निकाल ही लेता हूà¤Â । घूमने के लिठसबसे पहले आपने साथ जाने वाले को तैयार करता हूà¤, उसके जगह की तलाश, फिर पà¥à¤²à¤¾à¤¨ तैयार करने के बाद कम से कम समय का अवकाश अपने कारà¥à¤¯ से लेकर घूमने निकल पड़ता हूà¤Â । मेरा उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ साल में कम से कम à¤à¤• बार घूमने जाना तो होता हैं और उसे मैं पूरा तो कर ही लेता हूठऔर जब मौका और समय मिले तो घूमने निकल ही जाता हूà¤Â  । वापिस आने के बाद अपने अपूरà¥à¤£ कारà¥à¤¯ को पूरा करने में समय देता हूà¤Â  ।
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – अपने बचपन के बारे में कà¥à¤› बताइà¤. आप हमेशा से ही शांत सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µ के थे या कà¤à¥€ शरारतें à¤à¥€ किया करते थे?
रीतेश - बचपन के बारे में कà¥à¤¯à¤¾ बताऊ आपको । मेरा बचपन मà¥à¤ से बेहतर मेरे माताजी और पिताजी जानते है । खैर मेरा बचपन आगरा के घनी आबादी में बीता हैं, जहाठपर हम लोग किराà¤Â के  à¤à¤• मकान में रहते थे । बचपन में रोज सà¥à¤•ूल जाना, गली के बचà¥à¤šà¥‹ के साथ कà¥à¤°à¤¿à¤•ेट खेलना, पढ़ना (यही काम थोड़ा कम पसंद था, फिर à¤à¥€ पढ़ाई करता था), बजारो में घूमना आदि कà¥à¤› दिनचरà¥à¤¯à¤¾ रहती थी । बचपन में मैं थोड़ा चंचल सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का था और अकà¥à¤¸à¤° शैतानी à¤à¥€ किया करता था पर अब नहीं करता । उसके बाद अपना मकान हो जाने के कारण कॉलोनी पहà¥à¤à¤š तो सà¤à¥€ दोसà¥à¤¤ छूट गठपर शरारते नहीं छोड़ी । यहाठपर à¤à¥€ सà¥à¤•ूल के बाद à¤à¥€ दिन धमा-चौकड़ी, कà¥à¤°à¤¿à¤•ेट, खो-खो, कबडà¥à¤¡à¥€, छà¥à¤ªà¤¾-छà¥à¤ªà¥€, बेडमिनà¥à¤Ÿà¤¨Â आदि कà¥à¤› लगा रहता था । जितना हम लोग खेलते थे उतना अब आजकल के बचà¥à¤šà¥‡ अब कॉलोनी की गली खेलते हà¥à¤Â नहीं दिखाई देते । दिन à¤à¤° धमा-चौकड़ी के बाद फिर देर रात पढ़ना आदि कà¥à¤› मेरे बचपन के हिसà¥à¤¸à¥‡ थे । धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦Â नंदन जी आपने तो मेरे बचपन की सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® यादे ताजा करा दी  ।Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ –  घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़  तक  आप  कैसे  पहà¥à¤‚चे  ?Â
रीतेश - कही जाने से पहले किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के बारे में जानकारी लेने के लिठगूगल में किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की खोज का सहारा लिया तो घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ की इस साईट पर पहà¥à¤à¤š गà¤Â । इस साईट पर यातà¥à¤°à¤¾ लेखो जानकारी और अनà¥à¤à¤µ के साथ पढ़कर मैं यहाठसे बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤† और तà¤à¥€ से यहाठसे जà¥à¤¡à¤¼ गया । शà¥à¤°à¥‚-शà¥à¤°à¥‚ में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में ही केवल लेख आते थे जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मैं जैसे तैसे पढ़ ही लेता था । सबसे पहले यहाठपर मैंने शायद कोई होटल का रिवà¥à¤¯à¥‚ पढ़ा था अब याद नहीं वो कौन सी पोसà¥à¤Ÿ थी । 2010 में मनाली जाने से पहले यहाठपर काफी खोज बीन की थी जिससे मà¥à¤à¥‡ वहाठके बारे में काफी जानने को मिला था ।Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – यहाà¤Â पर  लिखना शà¥à¤°à¥‚  करने के  पीछे कà¥à¤¯à¤¾Â पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾Â थी?
रीतेश –  मनीष कà¥à¤®à¤¾à¤° और उसके बाद संदीप जाट के लेख हिंदी में आने शà¥à¤°à¥‚ हो गठथे, जो मà¥à¤à¥‡ काफी अचà¥à¤›à¤¾ लगा । उस समय मैं माउंट आबू और उदयपà¥à¤° की यातà¥à¤°à¤¾ से लौट कर ही आया था और घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर हिंदी में लेख पढ़कर मेरे मन में à¤à¥€ यहाठपर हिंदी में अपनी माउंट आबू और उदयपà¥à¤° यातà¥à¤°à¤¾ को लिखने का खà¥à¤¯à¤¾à¤² मन में आया  । उस समय घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर यही दोनो लेखक हिंदी में लिखा करते थे तो मैंने सोचा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न मैं à¤à¥€ यहाठपर अपनी राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिंदी अपनी यातà¥à¤°à¤¾ अनà¥à¤à¤µ को आप लोगो के साथ बाà¤à¤Ÿ संकू ।Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – जी,  मनीष कà¥à¤®à¤¾à¤° उन अगà¥à¤°à¤£à¥€ लेखकों में हैं जहाठतक घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर हिंदी में लिखने का पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है | उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यहाठलिखने के लिठकाफी  मेहनत की मैने | हे हे |  इस बारे में उनके साथ हà¥à¤ साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार में थोड़ी बहà¥à¤¤ चरà¥à¤šà¤¾ है |  इससे पहले आपने कà¤à¥€ किसी मंच पर या फिर अपने लिठकà¤à¥€ लिखा है ?Â
रीतेश - इससे पहले मैंने कà¤à¥€ à¤à¥€ कà¥à¤› नहीं लिखा था फिर à¤à¥€ हिमà¥à¤®à¤¤ करके पहला लेख यहाठलिख ही दिया । सबसे पहले घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर मैंने माउंट आबू और उदयपà¥à¤° की यातà¥à¤°à¤¾ के बारे में लिखा था, तब से मेरा लिखने का आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ जाग गया और अपने लेख को बेहतर तरीके से लिखना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया और अब तक मेरा यहाठलिखना अनवरत चालू हैं । मà¥à¤à¥‡ अपने पूरà¥à¤£ अनà¥à¤à¤µ, समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¥€ और थोड़ा समय अà¤à¤¾à¤µ के कारण लिखने में काफी समय लग जाता हैं, जिसके लिठमैं अपने पाठकों और लेखकों से माफ़ी चाहूà¤à¤—ा ।
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – हालांकि सà¤à¥€ आतà¥à¤° रहतें हैं की लेख फटाफट छपे पर कà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤Ÿà¥€ पर समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ नहीं होना चाहिठ, तो मेरे हिसाब से तो आप उस गति से लिखे जिसमे आप सà¥à¤²à¤à¤¤à¤¾ से लिख सकें |Â
रीतेश - ओके नंदन जी | à¤à¤• छोटी से बात जोड़ना चाहूà¤à¤—ा की मेरा पहला लेख पहले घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर छपा , उसके बाद मेरी निजी बà¥à¤²à¥‰à¤— पर | :-)Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ - आप घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का शौक कब से रखते हैं? यह बचपन से लगी हà¥à¤ˆ लत है या फिर आपने बड़े होने पर आपने इसे अपनाया है?
रीतेश –  वैसे तो बचपन से ही मैं अपने परिजनों के साथ पता नहीं कहाà¤-कहाठगया पर अपने होश में (उस समय à¤à¥€ काफी छोटा था) सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® मैं अपने माता पिताजी और उनके मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ वैषà¥à¤£à¥‹ देवी और उसके बाद हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° गया था । इस यातà¥à¤°à¤¾ से मैं बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤† और घूमने के à¤à¥‚त मेरे सर पर चढ़ गया, पर छोटा होने के कारण माता पिता के बिना नहीं जा सकता था । फिर इस यातà¥à¤°à¤¾ काफी साल बाद सन 1995 में अपने आठमितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ सà¥à¤µà¤›à¤¨à¥à¤¦ रूप से मैं वैषà¥à¤£à¥‹ देवी और पतà¥à¤¨à¥€à¤Ÿà¥‰à¤ª अपने परिजनों के बिना गया । उसके बाद मैं अकà¥à¤¸à¤° अपने मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ नई-नई जगह सोचकर जाने लगा । अब तक मैं देश की काफी नामी-गिरामी सà¥à¤¥à¤² घूम चà¥à¤•ा हूठऔर आशा हैं की आगे à¤à¥€ घूमता रहूगा । आजकल यदि साथ में घूमने वाले मितà¥à¤° जाठतो बहà¥à¤¤ हैं अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ मैं अपने परिवार के साथ ही घूमने जाता हूà¤Â । वैसे नंदन जी ! घूमना यह कोई लत नहीं बलà¥à¤•ि मेरा शौक हैं, मैं अपना समय के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° और पूरà¥à¤£ सहूलियत से घूमता हूà¤Â  ।
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – माफ़ कीजियेगा रीतेश जी, पर हर शकà¥à¤¸ अपनी हर लत के बारे में à¤à¤¸à¤¾ ही कहता है | हे हे |Â
रीतेश – हे हेÂ
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ - चलिठथोडा घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी को विराम देतें हैं और बात करतें हैं आपके शहर के बारे में |  ताजमहल के शहर में रहना कैसा लगता है ? आगरा से  अपने रिशà¥à¤¤à¥‡Â के  बारे  में  कà¥à¤›  बताइठ.
रीतेश -विशà¥à¤µ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ मानचितà¥à¤° में आगरा का नाम काफी बड़े अचà¥à¤›à¤°à¥‹ में लिया जाता हैं और विशà¥à¤µ में लगà¤à¤— हर किसी की इचà¥à¤›à¤¾ होती की à¤à¤• बार वो ताजमहल अवशà¥à¤¯ देखे । तो à¤à¤¸à¥‡ विशà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤¦à¥à¤§ ताजमहल के शहर आगरा में रहना हमारे लिठगौरव की बात हैं । आगरा से हमारा रिशà¥à¤¤à¤¾ बचपन से ही जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤¯à¤¾ हैं, यहाठकी गलियों में पले और बड़े हà¥à¤ है ।बचपन में जहाठहम किराठपर रहते थे वहाठकी छत से रोज ताजमहल और लालकिला देखा करते थे । आजकल आपने काम के सिलसिले में रोज शहर ने इधर-उधर जाना पड़ता हैं तो आगरा के इनà¥à¤¹à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• के देखते हà¥à¤ गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हैं । पहले के मà¥à¤•ाबले आगरा में अब काफी विकास हो चà¥à¤•ा हैं, जैसे अचà¥à¤›à¥€ सड़के, साफ सà¥à¤§à¤°à¥€ गलिया, बड़े-बड़े बाजार, मॉल आदि । आगरा दिलà¥à¤²à¥€ से वैसे तो राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤¯ राजमारà¥à¤— दो से पहले से ही जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† था पर पर यमà¥à¤¨à¤¾ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸à¤µà¥‡ बन से आगरा के विकास को काफी गति मिली हैं । आगरा में रहकर हम लोग मà¥à¤¶à¥à¤•िल से ही यहाठके सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• देखने जा पाते हैं । खैर मैं अपने शहर आगरा से पà¥à¤¯à¤¾à¤° करता हूà¤, यहाठपर घूमना रहना मà¥à¤à¥‡ पसंद हैं । हमारे आगरा शहर का नारा हैं “Green Agra Clean Agra”  ।
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ - घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी पर लौटते हà¥à¤,  जà¥à¤²à¤¾à¤ˆÂ २००à¥Â से  अब तक का आपका सफ़र घà¥à¤®à¤¾à¤•à¥à¤•र पर  कैसा  रहा ?
रीतेश - जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ २००ॠसे अब तक घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर मेरा सफ़र बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ गà¥à¤œà¤°à¤¾ हैं । इससे पहले मैं अनà¥à¤¯ बà¥à¤²à¥‰à¤—स पर कà¤à¥€-कà¤à¥€Â यातà¥à¤°à¤¾ लेख पढ़ लिया करता था । जब से घà¥à¤®à¥à¤®à¤•ड़ से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हूà¤, तब से इसका यातà¥à¤°à¤¾ लेख पढ़ने का à¤à¤• चसà¥à¤•ा लग गया । नित रोज नठऔर रोमांचक लेख मà¥à¤à¥‡ यहाठपर पढ़ने को मिला करते थे और आज à¤à¥€ मिलते हैं । मेरी अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ उतनी अचà¥à¤›à¥€ नहीं हैं जितनी अचà¥à¤›à¥€ हिंदी हैं, इसलिठसबसे पहले हिंदी के लेख पढ़ने में मेरी रूचि रहती थी । पर आजकल मेरी कोशिश रहती हैं की समय मिलने पर अधिक से अधिक लेख (हिंदी या अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€) पढ़ कर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ कर सकूà¤Â । घà¥à¤®à¥à¤®à¥à¤•ड़ पर बिताठसमय के दौरान मà¥à¤à¥‡ काफी अचà¥à¤›à¥‡ मितà¥à¤° मिले जैसे संदीप और नीरज जाट जी (जिनका बà¥à¤²à¥‰à¤— मैं पहले पढ़ता आ रहा हूठऔर इनसे अकà¥à¤¸à¤° चेटिंग और फोन बात होती रहती ), आप सà¥à¤µà¤‚ , मà¥à¤•ेश और कविता à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡ जी, विशाल राठौर जी, मनॠपà¥à¤°à¤•ाश तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी (जिनसे फोन और चेटिंग से बात होती रहती हैं ), साइलेंटसोल जी, महेश सेमवाल जी, पà¥à¤°à¤µà¥€à¤¨ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी (जिनसे चेटिंग से बात होती रहती हैं) और à¤à¥€ कोई नाम रह गया हो कृपया मà¥à¤à¥‡ माफ कर देना जी । बस यह समà¤à¥‹ कि इस समय मà¥à¤à¥‡ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ से à¤à¤• लगाव सा हो गया ।
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ –  इतने सालों में  आपने  घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर  बहà¥à¤¤  सारे बदलाव देखें होंगे . कà¥à¤›Â कहना चाहेंगे इनके बारे  में?
रीतेश - बदलाव तो समय की मांग हैं । समयनà¥à¤¸à¤¾à¤° बदलाब या तो करने पड़ते हैं या फिर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ हो जाते हैं । यहाठघà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर मैंने बीते साल से काफी नठलेखक इस साईट जà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥‡ हà¥à¤ देखा हैं और उनका अनà¥à¤à¤µ उनके लेखो के रूप में हमको पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो रहे हैं  । पहले और अब के लेखो में लिखने के तरीके में काफी बदलाव आ गया हैं अब लेखक अपने लेख में पूरा अनà¥à¤à¤µ और विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से लिखने की कोशिश करते हैं । पढ़ने वालो की संखà¥à¤¯à¤¾ में à¤à¥€ इजाफा हà¥à¤† हैं साथ ही साथ टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ à¤à¥€ करने लगे हैं और लेख पढ़ते के साथ-साथ टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करते-करते यहाठके लेखो से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर लिखने à¤à¥€ लगे हैं । अब घà¥à¤®à¥à¤®à¤•ड़ पर हर महीने à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ लेख को विशिषà¥à¤ लेख और अचà¥à¤›à¥‡ लेखक को विशिषà¥à¤ लेखक से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया जाने लगा हैं । घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ लोग आपस में जानने पहचाने लगे हैं और लेखकों खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ à¤à¥€ मिलने लगी हैं । बस इतना ही कहना चाहूà¤à¤—ा घà¥à¤®à¥à¤®à¥à¤•ड़ के बदलाव के बारे में यदि कà¥à¤› आपको मालूम हो आप हमे à¤à¥€ अवगत कराà¤Â ।
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – आपने काफी कà¥à¤› कह ही दिया है | à¤à¤• बदलाव जिससे मैं सà¤à¥€ पाठकों को अवगत करना चाहूà¤à¤—ा की कà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤Ÿà¥€ के तरफ और धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया जा रहा है | कà¥à¤› लेखों को  समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•ीय समीकà¥à¤·à¤¾ के तहत ले जाया जाता है और फिर लेखकों को सà¥à¤à¤¾à¤µ दिठजातें हैं | हर नया लेखक तो करीब करीब इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से गà¥à¤œà¤° ही रहा है |Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ - अकà¥à¤Ÿà¥‚बर २०१२ का विशिषà¥à¤Ÿ लेखक बन कर आपको कैसा लग रहा है ?
रीतेश –  यदि कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बिना किसी फल की इचà¥à¤›à¤¾ किये अपने करà¥à¤® में लगा रहता हैं और उसे अपने करà¥à¤® के फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प कोई उपाधी या पारितोषक मिल जाठतो ठीक वैसा ही विशिषà¥à¤Ÿ लेखक की उपाधी मिलने पर मà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ ही पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾, गरà¥à¤µ और आतà¥à¤®à¤¿à¤• संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ हैं । यह मेरे लिठहरà¥à¤· और गरà¥à¤µ का विषय की मà¥à¤à¥‡ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के इस रंगमंच पर मेरी रचनाओं को लोगो ने सराहा और पसंद किया, साथ-साथ मà¥à¤à¥‡ इस घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ परिवार से काफी पà¥à¤¯à¤¾à¤° और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिला हैं, जिसके लिठमैं आà¤à¤¾à¤°à¥€ रहूà¤à¤—ा । मà¥à¤à¥‡ इस उपाधी से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किये जाने पर मैं आप सà¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ टीम का और अपने साथियों को हारà¥à¤¦à¤¿à¤• धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करता हूठ। मà¥à¤à¥‡ लगता हैं कि विशिषà¥à¤Ÿ लेखक बन जाने से मेरी कà¥à¤› जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ और बढ़ गयी हैं, आगे à¤à¥€ आप लोगो का अपनी रचनाओं से अपनी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की जानकारी देता रहूà¤à¤—ा ।
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – रीतेश जी, कोई सवाल मेरे लिठ?
रीतेश - नंदन जी ,  मेरे मन मैं à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤• दो सवाल उमड़ रहे शायद मेरे घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ साथियो के मन में à¤à¥€ उमड़ रहे हो……कृपया आप उनका जबाब दीजिये…..
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – बताà¤à¤‚Â
रीतेश - इस गहन अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤œà¤¾à¤² में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़.कॉम की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के बारे में कà¥à¤› पà¥à¤°à¤•ाश डालिठ?
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – फ़रवरी  २००ॠमें शेखावाटी (राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨) में घà¥à¤®à¤¤à¥‡ हà¥à¤, अपने सहयातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से बात करते हà¥à¤ खà¥à¤¯à¤¾à¤² आया की किस तरह से सही, सचà¥à¤šà¥€ और निजी यातà¥à¤°à¤¾Â अनà¥à¤à¤µ / संसà¥à¤®à¤°à¤£ लोगो तक पहà¥à¤šà¤¾à¤ˆ जाठ| ये कोई नया कांसेपà¥à¤Ÿ नहीं था पर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ गंतवà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठअनà¥à¤à¤µ समà¥à¤à¤‚दित जानकारी मिलनी असंà¤à¤µ थी | दो चार अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में बà¥à¤²à¥‰à¤— थे और वो सà¤à¥€ निजी बà¥à¤²à¥‰à¤— थे, ढेर सारी टूरिसà¥à¤Ÿ वाली साईट थीं पर वो सब à¤à¤• ही बात बोलती थीं | आपको शायद ताजà¥à¤œà¥à¤¬ होगा की फ़रवरी २००८ में आदितà¥à¤¯ ने दिलà¥à¤²à¥€- कानपूर-लखनऊ पर à¤à¤• रोड रेवेऊ लिखा जिसपर आज à¤à¥€ कस के टिपà¥à¤ªà¤£à¤¿à¤¯à¤¾ आती हैं | करीब करीब ८०,००० बार ये लेख देखा जा चूका है और करीब करीब ३०० के आस पास कमेनà¥à¤Ÿ है इस पोसà¥à¤Ÿ पर | पहले खà¥à¤¦ लिखना शà¥à¤°à¥‚ किया, फिर दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को साम-दाम-दंड-à¤à¥‡à¤¦ (जहाठजो फिट हà¥à¤†) लगा कर लिखने को बोला , उसके बाद तो कहतें है की लोग जà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥‡ गà¤, कारवां बनता गया |Â
रीतेश - धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ नंदन जी | इस कारवां में जो लà¥à¤¤à¥à¤«à¤¼ है वो शायद कहीं और नहीं |Â
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ - अपने घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़/पाठक साथियों से कà¥à¤› कहना चाहेंगे ?
रीतेश -  अपने घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ साथियों से कहने के लिठमेरे पास कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं हैं, फिर कहना चाहूà¤à¤—ा की यहाठपर à¤à¤• लेखक अपने अनà¥à¤à¤µ, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ और अपने सोच के आधार पर लेख लिखता हैं । यदि आपने लेख पढ़ा हैं और पसंद आया तो उसके पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¨ हेतॠटिपà¥à¤ªà¤£à¥€ जरà¥à¤° करे, न पसंद की दशा में मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤, शालीन à¤à¤¾à¤·à¤¾ में टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करनी चाहिठ। जहाठतक संà¤à¤µ हो अपने लेख में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खींचे गठफोटो/चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करे यदि जरà¥à¤°à¤¤ पर पड़े तो बाहर के चितà¥à¤° उसके लिंक और धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ सहित डाले । अपने लेख में किसी à¤à¤¸à¥‡ विषय वसà¥à¤¤à¥/ चितà¥à¤° का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— न करे जिससे किसी के धरà¥à¤® और मन को ठेस पहà¥à¤šà¤¤à¥€ हो । मैं तो चाहता हूठकि आप खूब घूमने जाठपर घूमने के बाद यहाठपर हम सब से अपनी यातà¥à¤°à¤¾ की कहानी और बाते हमसे जरà¥à¤° बाà¤à¤Ÿà¥‡ । लगता है कà¥à¤› न कहने कि कह कर à¤à¥€ कà¥à¤› अधिक लिख दिया…..LOL । आप सà¤à¥€ का साथ हमेशा घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ परिवार से बना रहे । धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ !
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ – धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ रीतेश जी, हमसे बात करने के लिà¤, अपने बारे में इतना सब साà¤à¤¾ करने के लिठऔर घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ की इस कारवां की मशाल को लेकर आगे  बढ़ते हà¥à¤ |Â
आप इसी तरह लिखते रहे, पढतें रहें, घà¥à¤®à¤¤à¥‡ रहें और घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी को आगे बढ़ातें रहें |Â








Nice Interview. Congratulaitons to Ritesh Ji and Nandan Ji
Surindre Sharma,
Thank you very much for Congratulation……
Congratulations Ritesh.
It’s really nice to know you as a person also.
@Nandan, the thought behind this site is really good. There are many blogs available but this is very unique. Thank you for this platform.
It’s a really nice concept to introduce a person, whom you have never met before (most of the time) and only know through his/her write up, till 15th morning every month.
Amitava Ji……
Thanks a lot …..!
Badhai ho!
Aapke bare mein aur jaan kar khushi huyi.
isi tarah ghumte rahiye aur apne lekhon ke jariye hamein bhi ghumate rahiye.
विनय जी……
आपका बहुत – बहुत धन्यवाद ….| आगे भी मेरी ऐसी ही कोशिश जारी रहेगी….|
Ritesh,
Its a great beginning of the day on ghumakkar with the interview of our beloved author and friend. This interview enabled us to know some untouched aspects of your life, your spirit of ghumakkari and your great thoughts.
Your contribution in enriching the treasure of Hindi posts on ghumakkar can never be forgotten. Your enchanting posts are liked by everyone on ghumakkad and they are the precious gems of ghumakkar. Your Manali and Rohtang series left an immortal image on our mind and soul.
Nandan,
Thank you very much for presenting to us the interview of such a great ghumakkar. Thiswas a fabulous interview. I want to ask you a question, from where do you get such interesting, particular and straight questions for interviews?
Thanks.
Mukesh Ji….
I am very thankful for your such a lovely comment & Thanks for Congratulation. Your comment always encourage me. you are also good writer and I like your writing ……
Thanks again …
रितेश भाई, माह के विशिष्ट लेखक चुने जाने पर हार्दिक बधाई! प्रस्तुत लेख ने आपके व्यक्तित्व और जीवन व घुमक्कड़ी के प्रति आपके नज़रिए से वाकिफ कराया इसके लिए नंदन जी को हार्दिक धन्यवाद. ना सिर्फ आपके विस्तृत सुरुचिपूर्ण लेख बल्कि अन्य लेखों पर आपकी सटीक टिप्पणियाँ भी पाठकों द्वारा काफी पसंद की जाती हैं. आप ऐसे ही घूमते और घुमाते रहें हमारी ईश्वर से यही कामना है…
विपिन भाई…..
बधाई देने ले लिए आपका दिल से बहुत-बहुत आभार….| मुझे आपका लिखना भी बहुत अच्छा लगता हैं…..आगे भी आप लोगो से ऐसे टिप्पणी द्वारा सहयोग की कामना करते हैं…….हम और आप दोनो ही घुमते रहेगे और घूमाते रहेगे….मेरी भी ईश्वर से ऐसी ही प्राथर्ना हैं…..| धन्यवाद….
नंदन जी द्वारा यह एक अच्छा प्रयास है. इस तरह से हमे घुमक्कड परिवार के सद्स्यो के बारे मे जानकारी मिलती है.
रितेश भाई,
बहुत बहुत बधाई हो. वैसे तो जैसा फ़िल्मी सितारे कहते हैं “आप लोगों का प्यार ही मेरे लिए सबसे बड़ा इनाम/सम्मान है, लेकिन इनाम तो सचमुच इनाम ही होता है. स्टेज पर जब अपना नाम सुनाई देता है, तो उस खुशी को शब्दों में बयान ही नहीं किया जा सकता” मैं समझ सकता हूँ, कि जब इस स्टेज पर आपको अपना नाम “दिखाई” दिया होगा तो कितना रोमांच महसूस किया होगा आपने….
हाँ – तो हम लोगो का प्यार तो आप रेगुलरली ले ही रहे थे अब Offcialy भी घुमक्कड (घुमक्कड – मतलब हम सब, वो भी जो लेख नहीं लिख पाते सिर्फ पढते हैं या कमेन्ट करते हैं.) की तरफ से आप ये सम्मान प्राप्त होने पर हार्दिक बधाई…
जय राम जी की ….
संजय कौशिक जी…..
आप लिखते नहीं तो क्या हुआ पर आप अपनी टिप्पणी से हम लोगो का मनोबल ऊँचा उठाने में हमारी मदद तो करते ही हो….खैर जल्द आप भी लिखने लगोगे …..|
बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया…..आप लोगो का प्यार और साथ हमेशा ऐसा ही बना रहे ……|
धन्यवाद….!
संजय जी
जब से आपने मेरी अमरनाथ वाली पोस्ट पर बाबा के दर्शन किये है तबसे आज तक गायब हो गए थे. आज फिर रितेश जी को बधाई देने आ गए . आशा करता हूँ कि सब ठीक है आपके समक्ष और आप एक खुशाल जिंदगी गुजार रहे हो. समय मिले तो घुमाक्कर पर लेख पढ़िए और कमेन्ट किया कीजिये.
धन्यवाद.
Aap sabhi ko Awara ki tarf say pranam,mai aap sab kay liye aparichit hu kyo ki yaha pahli bar likh raha hu.Agar aap mujhay izazat day to mai agali bar apna pura vivran likhunga.
@ नंदन जी…….@विभा जी……
मुझे विशिष्ट लेखक के सम्मान से मनोनीत करने व अच्छे प्रश्नों के द्वारा मेरा साक्षत्कार लेने और उस घुमक्कड़ पर प्रकाशित करने के लिए आपका और आपकी एडिटर टीम का तहेदिल से बहुत-बहुत शुक्रिया…..और आभार व्यक्त करता हूँ….. | आगे भी मेरी ऐसी कोशिश जारी रहेगी की आप लोगो और अपने घुमक्कड़ साथियों के अपने लेखन से लुभाता रहू…..
धन्यवाद मेरे प्रश्न का उत्तर देने के लिए…..
सधन्यवाद …..
रीतेश गुप्ता…….आगरा ! वन्देमातरम
नंदनजी रीतेश से परिचय कराने के लिये धन्यवाद. रीतेश एक बहुत सुलझे हुए व सरल व्यक्ति है… अच्छे कमैट दे कर सब का हौसला बढ़ाते है व विवादों से दूर रहते हैं… पिछले कुछ समय से इनकी लेखनी में भी बहुत सुधार हुआ है..व चित्रों की गुणवत्ता भी बढ़ी है.
रीतेशजी एक लेखक होने के साथ अच्छे व्यक्ति भी है…आशा है उनसे कभी मुलाकात अवश्य होगी..
नंदन से कुछ ज्यादा सवाल पूछने चाहिये थे… ताकि उनके बारे में भी कुछ जाना जा सके
S.S. Ji…..
लगता हैं आपने मेरी कुछ ज्यादा ही प्रशंसा कर दी……मेरे स्वभाव जैसा हैं घुमक्कड़ पर भी मैं वैसा ही हूँ….मुझे जो लगता हैं वोही लिखता और कहता हूँ….| इतनी प्रशंसा करने लायक आपने मुझे समझा उसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद…..|
हाँ ! एक बात के लिए और धन्यवाद कहना चाहूँगा की आपने मेरा नाम यहाँ पर बिल्कुल (रीतेश गुप्ता) सही लिखा हैं…..|
S.S. जी….बाकी के सवाल अब आप ही पूछ लेना जब आप मिलो …मुझे भी उस दिन की प्रतीक्षा रहेगी जब आप और हम मिले….
धन्यवाद ……!
रितेश जी ,
आपके बारे में जो कुछ जानने की इच्छा थी वो आज पूरी हुई .नंदन जी ने भी इस साक्षात्कार के माध्यम से बहुत ही अच्छे प्रश्न किये .जिस मंच पर हम एक दुसरे को कंमेंटके माध्यम से जानते है
उनके बारे में और जानने की इच्छा को शांत करता यह शानदार साक्षात्कार सचमुच नंदन जी और विभा दोनों ही बधाई के पात्र है .
एक बार फिर से बधाई हो रितेश जी .
कविता जी……
बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद…..| आपके साक्षात्कार के बारे में आपके विचार जानकर बहुत अच्छा लगा….. सचमुच नंदन जी और विभा दोनों ही बधाई के पात्र है…|
धन्यवाद….
Hello Ritesh ji,
Congratulation .Apke baare me jaankar accha laga. Aur apne jo question Ghumakkar ke baare me puccha wo mere mind me kab se chal raha tha,accha hua aapne puch liya.
Nandan ji- Very nice interview
Thanks
Abheeruchi ji….
Thank you very much for Congratulation.
Thanks
रितेश जी राम राम, अरे भाई छा गए हो, भाई वाह, बहुत खुशी हुई ये देखकर की आप माह के विशिष्ट लेखक चुने गए हो. बधाई हो बहुत बहुत, और आपका साक्षात्कार पढकर तो मज़ा आ गया. पुनः बधाई…वन्देमातरम..
प्रवीन जी….राम राम….
आपका बहुत-बहु धन्यवाद मुझे बधाई देने के लिए …
आपको नवरात के लिए शुभकामनाये
धन्यवाद
आपको भी माता के नवरात्रों की बहुत बहुत बधाई, जय माता की, जगदम्ब…
रितेश जी,
विशिष्ट लेखक चुने जाने के लिए मेरी ओर से हार्दिक बधाई. हाल में बीते समय में आपने बहुत अच्छे, महत्वपूर्ण जानकारी वाले लेख लिखे हैं. मेरा मन यही कह रहा था कि इस बार आपको ही यह उपाधि दी जानी चाहिए. मन की बात को सच साबित करने के लिए संपादकीय विभाग को धन्यवाद. रितेश जी, ऐसे ही लिखते रहे और मुझ जैसे घुम्मकड़ परिवार के सदस्यों को पढने का अवसर देते रहें. पुन हार्दिक बधाई.
आनंद भारती जी……
आप बहुत दिनों बाद दिखे यहाँ पर मुझे बहुत खुशी हुई…..आप लोगो की सहयोग की हमेशा कामना करते हैं हम लोग …..| बहुत अच्छा लगा जानकार की आपके मन में मेरे प्रति इस तरह के भाव थे….|आगे भी आप लोगो को अपने लेख से लुभाता रहू….ऐसी ही कोशिश जारी रहेगी…….
इस मौके पर बधाई देने के लिए आपका बहुत बहुत-बहुत धन्यवाद…
रितेश जी
फिर से आपको घुमक्कर पर विशिष्ट लेखक का सम्मान मिलने के लिए बहुत बहुत बधाई. ए वन क्वालिटी मतलब रितेश के लेख ऐसा मेरा मानना है . आपके लेखो में भाव और विवरण बहुत जबरदस्त होता है. मैंने आपसे बहुत कुछ सिखा है और सीखता रहूँगा.
साक्षात्कार बहुत अच्छा था और आपको जानते हुए भी यह पढ़ने में मुझे मजा आया. आप दिल से एक नेक इंसान भी है. जो हमेशा सही है उसका पक्ष लेते हो. आपके परिवार की बारे में भी जानकार अच्छा लगा है.
आपकी जिंदगी सुखद रहे और आप घूमते रहो और अपने लेखो द्वारा घुमाते रहो.
Nandan jee ,
Thanks for nice interview.
विशाल जी…..
आप मेरे एक अच्छे मित्रों में से एक हो….और हम यहाँ पर एक दूसरे से सीखते है……| आप के लेख भी अब A one Quality के ही हैं…..|
सुन्दर और भाव पूर्ण शब्दों में बधाई देने के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद …….
आपको नवरात के लिए शुभकामनाये….
Congratulations once again, Ritesh bhai. It is a pleasure to know more about you and your family. You are already close to us through your writing and after reading this interview, you have become even closer. It is amazing how Nandan is able to elicit so many details in such an unobtrusive manner.
ऋतेश भाई, मेरा एक सुझाव है, बुरा मत मानिये। आप का प्रोफाइल चित्र की बदल डालिए। इस इंटरव्यू के साथ जो तस्वीरें पब्लिश की गाई है, उसमे आप जवान और handsome दीखते हैं।
D.L. ji….
Its my pleasure that you have commenting ……..big thanks for congratulation to me.
आप बड़े हैं तो आपने मुझे अपना समझ के एक अच्छी सलाह ही दी तो उसे मैं जरुर मानूगा ….जल्द ही अपना Gravatar बदल दूँगा….|आपका सुझावों और सलाह क हमेशा स्वागत हैं….|
एक बार फिर से बधाई देने और सलाह के लिए आपका धन्यवाद…..|
रीतेश
नमस्कार पाठक गणों – इस लेख में वर्तनी की त्रुटियाँ हैं उसके लिए मेरी तरफ से माफ़ी है | कल से सोच रहा हूँ की इसे सुधरा जाए पर समय नहीं मिल पाया, प्रयास ज़ारी रहेगा |
और अब चलतें हैं टिप्पणियों की ओर
@ रितेश जी – बहुत बहुत धनयवाद हमसे इत्मीनान से बात करने के लिए और सभी इमेल्स, चैट्स जिससे इस साक्षात्कार को ये आकार मिला | जय हिन्द |
@ रस्तोगी जी – आपका सहयोग और उत्साहवर्धन घी का काम करता है इसलिए हवन बंद न होने दें | और मुझे नंदन पुकारिए |
@ तिवारी जी – सम्मुख मिलेंगे जब आप यहाँ आयेंगे तो सब पर्दा फाश हो जाएगा | वैसे अब हर साक्षात्कार में एक प्रशन छापने का प्रावधान कर दिया गया है | वैसे बातचीत करते वक़्त तो सभी बारे में चर्चा हो ही जाती है | वैसे भी आप लोगों से क्या छिपा है | लोल |
@ Surinder Sharma – Thank you Sir.
@ Amitava – Thank you. It is sustainable only because of the efforts and contributions from all of us.
@ Mukesh – Thank you. The credit for the question is shared by entire Editorial team, led by Vibha. I would pass the compliment.
@ Kavita – Thank you.
@ Abhee – Thank you.
@ Anand – Thanks from entire team.
@ Vishal – Please call me Nandan. :-). Thanks. It was nice meeting you the other day at Andheri.
@ DL – Really ? Guess, I can do more. May be there is a ‘Hard Talk’ version coming up some day. he he.
Hi Ritesh,
Congrats once again.
This interview hasgiven us so many more information about a vishishtha ghumakkar…. really enjoyed it.
Thanks, Auro.
Hi Auro,
Thank u very much for Congratulation…..
Ritesh
रितेश – माह का विशिष्ट लेखक बनने पर पुनः बधाई स्वीकार करें. बहुत अच्छा लगा आपके बारे में जानकर.
नंदन – मातृभाषा में इतना अच्छा साक्षात्कार , आपको भी बधाई.
दीपेंद्र जी….
आपकी बधाई हमने स्वीकार कर ली हैं….अब आप हमारा धन्यवाद स्वीकार करे….
धन्यवाद….
Thank you Auro, Deependra.
Congratulations Ritesh!
With time, Ghumakkar is getting more Hindi authors into the community. We are so glad that Google got you introduced to Ghumakkar and that now, Google will again have your name cached in it because of your stories @ Ghumakkar :)
It is so nice to see that you have had such a wonderful journey here and we wish to see many more stories from you!
Goodluck and Keep travelling!
Cheers!
Archana ji…..
Thanks you very much for congratulation…….|
प्रिय रितेश गुप्ता जी एवं नन्दन जी,
मुझे पहले इस बात की अनुभूति नहीं थी कि यात्रा संस्मरण और साक्षात्कार में रोचकता को लेकर भी प्रतियोगिता आयोजित कराई जा सकती है। नन्दन द्वारा साक्षात्कार लिया जाना सचमुच में गौरव की बात है। रितेश जी को विशिष्ट लेखन सम्मान पाने के लिये हार्दिक बधाई !
सुशान्त सिंहल
प्रिय सुशान्त जी…..नमस्कार जी..
काफी दिनों बाद नजर आये….देखकर अच्छा लगा ……अब आप आये हैं तो जल्दी से अपनी रचनाये भी यहाँ पर डालिए….|
मेरा साक्षात्कार पढ़ने और उस पर टिप्पणी करने के लिए और साथ-साथ बधाई देने लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद….|
धन्यवाद…
नंदन जी मातृभाषा हिन्दी में इतना अच्छा साक्षात्कार दिखाने के लिये कोटि-कोटि धन्यवाद,
रितेश जी, माह का विशिष्ट लेखक बनने पर शुभकामना, आपके बारे में बहुत कुछ जाना, बहुत अच्छा लगा,
आज ही रुपकुन्ड की यात्रा सहित कई और स्थल की यात्रा करके लौटा हूँ,
23 को आगरे के ताजमहल में आमने-आमने बैठकर, मैं सपरिवार आपका साक्षात्कार लूँगा। तैयार रहियेगा।
संदीप जी…..
मातृभाषा हिंदी में पढ़ना और लिखना हमारे लिए हमेशा से सुखद अनुभव रहता हैं…..| शुभकामनाएँ देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद….| रूपकुंड की यात्रा पूरी करने पर आपको भी बधाई….|
चलिए २३ को आपके स्वागत को तैयार रहेगे…तब हम आपस में एक दूसरे का साक्षात्कार कर लेगे…आप भी तैयार रहिये….
धन्यवाद….
बहुत खूब
पहली बधाई सूत्रधार को
दूसरी बधाई मेरे यार को
रितेश जी आपके बारे में निजी रूप से ज्यादा जानकर अच्छा लगा । आपके लेखन में रोचकता ,पूर्णता और निरंतरता के साथ साथ धैर्य है जो दिखता है । आपको देखकर कई बार सोचा कि ऐसा ही लिखूं पर हो नही पाया क्योंकि अपना तो घूमना , लिखना दोनो एक्सप्रेस हैं । अभी आपसे बात करने के बाद रूपकुंड और तुंगनाथ आदि जगहो पर होकर आया हूं कल रात को ही , काफी बर्फ से सामना हुआ
नंदन जी , आपको इतना बढिया साक्षात्कार लेने के लिये बधाई,अपने साक्षात्कार की कमी आप किस्तो में पूरी कर लोगे हा हा हा , आप भी अब हिंदी में थोडा सुधार किजिये मतलब ये सलाह नही हंसी के तौर पर है कि हे हे तो बढिया लगता है पर लोल ?
मनु प्रकाश त्यागी जी……..
खूबसूरत अंदाज में बधाई देने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद….|
मैं तो चाहता हूँ की आप की एक्सप्रेस अब पैसिंजर बन और आप भी धैर्य से लिखे जिससे पाठकों को आपके द्वारा की गयी यात्रा का सम्पूर्ण जानकारी मिल सके …|
रूपकुंड यात्रा का सफलता पूर्वक समापन करने पर आपको भी बधाई…जल्द ही पढ़ने की भी लालसा हैं….|
हाँ…..यह “लोल” और “हे हे” से मुझे “हा हा हा ” ज्यादा अच्छा लगा :-) हा हा हा …..
आखिर मौका मिल ही गया रितेश जी का इंटरव्यू पढ़ने का
Congrats Ritesh !!!!!
Thanks Mahesh Ji….
@ Manu – निश्चित तौर पर मनु | मुझे लगा की लोल पढ़ कर सही में लोग लोल लोल हो जायेंगे | कौन जाने, शहस्त्र शुक्ल और कृष्ण पक्ष बीत जाने पर हम हिंदी ब्लॉग्गिंग क्षेत्र में हर जगह लोल देखें और ताज्जुब करें की किस नामाकुल ने इसका प्रचालन बढाया | लोल | आपकी रूपकुंड और तुंगनाथ के लेखों के इंतज़ार में | जय हिन्द |
रितेश अच्छा लगा आपको महिने का लेखक बनता देख कर। आप अपने लेखों में जो मेहनत करते हैं वो दिखता है। शुभकामनाओं के साथ !
सुन्दर शब्दों के माध्यम से शुभकामनाये प्रेषित करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया….मनीष भाई
Nice interview, its really very good platform to share your travelling experiences.
Thanks a lot Pradeep Ji.