08.05.2012
और दिनो की तरह आज à¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठकर 7 बजे तैयार हो गये पर डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° सोता रहा . हम 8 बजे के बाद गंगोतà¥à¤°à¥€ के लिठरवाना हà¥à¤. यमञोतà¥à¤°à¥€ से गंगोतà¥à¤°à¥€ जाने के लिठहमे वापस बरकोट जाना था. बरकोट से धारासू के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ जाता है. इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर सड़क के दोनो ओर चीड़ देवदार के घने पेड़ो का विशाल जंगल है. सड़क à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥€ बनी थी. मैने पढा था इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर शिव जी का मंदिर है जो की ज़मीन के नीचे गà¥à¤«à¤¾ मे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. मैने डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से इस बारे मे पूछा तो उसने हाठकर दी. à¤à¤• जगह डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने कार रोकी. यहाठपर 10-12 छोटी-छोटी दà¥à¤•ाने बनी थी. और à¤à¤• पहाड़ी पर वह मंदिर था. à¤à¤• दम खड़ी चढ़ाई थी जैसे तैसे मंदिर पहà¥à¤à¤šà¤¾, पता लगा की à¤à¤• बार मे केवल 5 आदमी अंदर जा सकते है और करीब 20-25 मिनूट बाद जब वह वापस आते है तब फिर 5 आदमी जाà¤à¤à¤—े. 25-30 लोग वहाठलाइन मे खड़े थे. यह देख कर कई लोग वापस लौट रहे थे. मैने à¤à¥€ वापस लौटना ही उचित समà¤à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि कम से कम 2 घंटे से पहले हमारा नंबर नही आता. अब कार धारासू बेंड के लिठचल दी. दोपहर की गरà¥à¤®à¥€ बढ चà¥à¤•ी थी. धारासू बेंड के बारे मे पढा है अकà¥à¤¸à¤° यहाठजाम लग जाता है, इस समय à¤à¥€ जाम लगा था पर ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ इंतजार नही करना पड़ा. 20-25 मिनट के जाम के बाद हम लोग उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी सी वाले मारà¥à¤— पर पहà¥à¤š गये. उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी से गंगोतà¥à¤°à¥€ 100 किलोमीटर है. यहाठसे à¤à¤¾à¤—ीरथी के दरà¥à¤¶à¤¨ होने शà¥à¤°à¥‚ हो गये. उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी मे डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने कार मे तेल डलवाया और गंगोतà¥à¤°à¥€ के लिठचल दिया.
उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी से आगे रासà¥à¤¤à¥‡ मे à¤à¤• मंदिर
यहाठपर à¤à¤¾à¤—ीरथी मे बहà¥à¤¤ कम पानी था. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से पूछा तो उसने बताया आगे à¤à¤¾à¤—ीरथी पर बाà¤à¤§ बनाया हà¥à¤† है, मेरे पास चारधाम यातà¥à¤°à¤¾ की कैसेट है जिससे इन जगहो के बारे मे थोड़ी बहà¥à¤¤ जानकारी हासिल की थी. उसमे ही देखा था, गंगोतà¥à¤°à¥€ जाते समय रासà¥à¤¤à¥‡ मे à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर लोग गरà¥à¤® पानी के कà¥à¤‚ड मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते है. इस बारे मे डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को जब बताया तो उसने बताया गंगनानी मे सड़क से उपर पहाड़ी पर पराशर मà¥à¤¨à¤¿ का मंदिर है. वहाठगरà¥à¤® पानी का कà¥à¤‚ड है जिसमे लोग नहा कर आगे यातà¥à¤°à¤¾ करते है. हम 4 बजे वहाठपहà¥à¤à¤šà¥‡ इस समय कोई à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ नही कर रहा था. थोड़ी सी हिचकिचाहट हो रही थी. पर वहाठखड़े बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤£ यà¥à¤µà¤•ो ने बताया कि यहाठइसी कà¥à¤‚ड मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करना है. कà¥à¤‚ड का पानी काफ़ी गरà¥à¤® था. . सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के बाद उपर जा कर मंदिर मे दरà¥à¤¶à¤¨ किà¤. . यही यà¥à¤µà¤• मंदिर का पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€ था. वहाठअपने परिवार के साथ था. हमारे वहाठपहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर वह खà¥à¤¶ हो गया, सच है अगर मंदिर मे à¤à¤•à¥à¤¤ नही पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ का खरà¥à¤š कैसे चलेगा. यà¥à¤µà¤• पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ ने माथे पर तिलक लगा कर कहा, मंदिर की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ कर लू. पराशर मà¥à¤¨à¤¿ का छोटा सा मंदिर है और परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करने के लिठबहà¥à¤¤ पतला गलियारा है केवल à¤à¤• आदमी ही परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ कर सकता है. मै जैसे ही मंदिर के पारà¥à¤¶à¤µ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पहà¥à¤à¤š, ताजà¥à¤œà¥à¤¬ हà¥à¤† , फरà¥à¤¶ बहà¥à¤¤ गरà¥à¤® था à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था नीचे से कोई ज़मीन को गरà¥à¤® कर रहा हो. जब मैने यह बात पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ यà¥à¤µà¤• को बताई तब बताया, गरà¥à¤® कà¥à¤‚ड का पानी इस मंदिर के नीचे से हो कर जा रहा है इस कारण यहाठका फरà¥à¤¶ इतना गरà¥à¤® है. कà¥à¤‚ड के गरà¥à¤® जल का उदगम सà¥à¤¥à¤² मंदिर के नीचे था. साथ मे शिव जी का मंदिर है वहाठसे ठणà¥à¤¡à¥‡ जल की धारा बह रही थी. मन मे सोंचा इसे कहते हैं पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿ का चमतà¥à¤•ार.
गंगोतà¥à¤°à¥€ के रासà¥à¤¤à¥‡
हरà¥à¤·à¤¿à¤² मिलà¥à¤Ÿà¤°à¥€ कॅंप
हरà¥à¤·à¤¿à¤²
डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° बोला रात यहीं रà¥à¤• जाते
à¤à¤¾à¤²à¤¾ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡-पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ शाम हो चली थी. यहाठसे गंगोतà¥à¤°à¥€ 30 किलोमीटर है, सड़क के किनारे कई होटेल बने हà¥à¤ थे , डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° बोला रात यहीं रà¥à¤• जाते है. कल सà¥à¤¬à¤¹ गंगोतà¥à¤°à¥€ चॅलेंगे . दरअसल उसके जानने वाले लोग à¤à¥€ यहाठरà¥à¤•े हà¥à¤ थे. अब हमारी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¤¿ बोली “ नही, यहाठनही रà¥à¤•ेंगे आप गंगोतà¥à¤°à¥€ चलो. हम रात मे ही दरà¥à¤¶à¤¨ करना चाहते है†à¤à¤¾à¤²à¤¾ से आगे सड़क के दोनो ओर चीड़ छिड़-देवदार के घने वà¥à¤°à¤› लगे थे, हरà¥à¤·à¤¿à¤² पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से पहले हलà¥à¤•ी हलà¥à¤•ी बारिश शà¥à¤°à¥‚ हो गई, हरà¥à¤·à¤¿à¤² २६३३ मी. की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर बसा खूबसूरत कसà¥à¤¬à¤¾ है यह गंगोतà¥à¤°à¥€ से २५ कि.मी. पहले पड़ता है. यहाठरहने-खाने की तमाम सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं. यहाठके सेब बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ हैं. राज कपूर ने अपनी फिलà¥à¤® ‘राम तेरी गंगा मैली’की शूटिंग हरà¥à¤·à¤¿à¤² की खूबसूरत पहाड़ियों,वादियों,à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ में की थी .
हरà¥à¤·à¤¿à¤²
यहाठमिलà¥à¤Ÿà¤°à¥€ का काफ़ी बड़ा कॅंप है. कसà¥à¤¬à¥‡ मे जाने के लिठमिलà¥à¤Ÿà¤°à¥€ कॅंप से होकर ही जाते है. यहाठपर मिलà¥à¤Ÿà¤°à¥€ के जवान तैनात थे. यहाठसे तिबà¥à¤¬à¤¤ यानी की वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ मे चीन की सीमा नज़दीक ही है इसलिठसेना का कॅंप है. हरà¥à¤·à¤¿à¤² के बारे मे à¤à¤• नई जानकारी मिली की हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ मे सांगला वैली से आगे बसपा वैली है, हरà¥à¤·à¤¿à¤² à¤à¥€ बसà¥à¤ªà¤¾ घाटी के ऊपर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• बड़े परà¥à¤µà¤¤ की छाया में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. जबकि बसपा वैली जाने के लिठ, शिमला, रामपà¥à¤°, सराहान, किंनोर , सांगला होते हà¥à¤ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ है. यहाठविदेशियो को आने के लिठपरà¥à¤®à¤¿à¤Ÿ लेना होता है. अà¤à¥€ हमे 23 किलोमीटर ऑर आगे जाना था पर बादलो के कारण अंधेरा तेज़ी से बढ़ रहा था.
हरà¥à¤·à¤¿à¤² से आगे
हरà¥à¤·à¤¿à¤² से आगे
हरà¥à¤·à¤¿à¤² से आगे
हरà¥à¤·à¤¿à¤² से आगे à¤à¤¾à¤—ीरथी
हरà¥à¤·à¤¿à¤² से आगे à¤à¤¾à¤—ीरथी
हरà¥à¤·à¤¿à¤² से आगे à¤à¤¾à¤—ीरथी
à¤à¥ˆà¤°à¥‹ घाटी पहà¥à¤à¤¹à¥à¤šà¤¤à¥‡-पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ अंधेरा हो गया था. यहाठसे आगे की सड़क à¤à¥€ टूटी-फूटी थी. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° à¤à¥€ धीरे – धीरे चला रहा था. अब लग रहा था उजाड़ पहाड़ी रासà¥à¤¤à¥‡ पर अंधेरे मे चलना आसान नही होता है. मेरी लड़की अपनी ममà¥à¤®à¥€ पर नाराज़ हो रही थी कà¥à¤¯à¥‹ नही वही रà¥à¤• गये. खैर धीरे –धीरे, माठगंगा का नाम लेते हà¥à¤ हम लोग गंगोतà¥à¤°à¥€ पहà¥à¤à¤š गये. यहाठचारो ओर लाइटे जल रही थी , काफ़ी चहल-पहल थी. अब होटेल ढà¥à¤¡à¤¼à¤¨à¥‡ की बारी थी. यहाठसे मंदिर लगà¤à¤— 500 गज की दूरी पर होगा. मंदिर जाने के रासà¥à¤¤à¥‡ मे दोनो तरफ दà¥à¤•ाने और होटेल है, . मà¥à¤à¥‡ 300 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मे गà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड फà¥à¤²à¥‹à¤° पर à¤à¤• होटेल मिल गया. अà¤à¥€ ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ नही थी, ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° होटेल खाली पड़े थे. समान रख कर अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के साथ माठगंगा के मंदिर दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठगया. रात के 9 बज रहे थे मंदिर खाली था. पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी किसी à¤à¤•à¥à¤¤ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दान दिठगये चाà¤à¤¦à¥€ के माठछà¥à¤¤à¥à¤° को टाà¤à¤—ने मे मगà¥à¤¨ थे. दूसरे पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ समान वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ कर रहे थे, मंदिर बंद होने का समय हो रहा था. वही पर मंदिर के सेवादार और à¤à¤• पंडा खड़े थे. हम लोग आराम से मंदिर के बारे मे पंडा जी से जानकारी लेते रहे. मंदिर मे माठगंगा की मूरà¥à¤¤à¤¿ शà¥à¤µà¥‡à¤¤ संगमरमर की है, साथ मे जाहनवी, सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, à¤à¤¾à¤—ीरथ की मूरà¥à¤¤à¤¿ है. करीब 15 मिनिट हम मंदिर मे खड़े रहे. दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ ना होने की वजह से पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी à¤à¤µà¤‚ सेवादार को à¤à¥€ कोई à¤à¤¤à¤°à¤¾à¤œ नही था, खà¥à¤¶ हो कर माठगंगा का सिकà¥à¤•ा à¤à¥€ à¤à¥‡à¤‚ट सà¥à¤µà¤°à¥‚प दिया. हमे खà¥à¤¶à¥€ हà¥à¤ˆ कि इतने अचà¥à¤›à¥‡ दरà¥à¤¶à¤¨ कहाठहो पाते है. पंडा जी ने अपना विज़िटिंग कारà¥à¤¡ दिया कि कल पूजा करवा लेना. पूजा का मेरा कोई पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® तो था नही. दरà¥à¤¶à¤¨ कर के मंदिर के फोटो खींचे , मंदिर मे लिखा था कि गरà¥à¤ गà¥à¤°à¤¹ के फोटो खिचना मना है. इस समय कोई था नही चाहता तो ज़ूम कर के मंदिर के गरà¥à¤ गà¥à¤°à¤¹ के फोटो खींच सकता था पर मन मे विचार आया à¤à¤¸à¤¾ करना उचित नही है और . मैने मंदिर के बाहर बने पà¥à¤²à¤¤à¥‡à¤«à¥‹à¤°à¥à¤® से मंदिर के फोटो खींचे.
रात मे गंगोतà¥à¤°à¥€ मंदिर
रात मे गंगोतà¥à¤°à¥€ मंदिर
09.05.2012
मै सà¥à¤¬à¤¹ 5 बजे से पहले ही जाग गया, यहाठसà¥à¤¬à¤¹ के समय काफ़ी ठंड थी, ठंडे पाने से नहाने को कोई तैयार नही था. बाहर जा कर देखा ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° दà¥à¤•ाने बंद थी à¤à¤• दà¥à¤•ान वाले से गरà¥à¤® पानी लाया उससे ही सबने जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया. मेरी पतà¥à¤¨à¥€ , लड़के और लड़की तो 6 बजे से पहले माठगंगा की आरती मे शामिल होने पहà¥à¤à¤š गये. मै जब मंदिर पहà¥à¤à¤šà¤¾ तब तक आरती ख़तà¥à¤® हो चà¥à¤•ी थी. पर कोई बात नही दरà¥à¤¶à¤¨, करने के लिठलाइन मे खड़ा हो गया. इस समय à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी इसलिठमंदिर मे दरà¥à¤¶à¤¨ कर के जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹ को आगे बढा रहे थे. हम सà¤à¥€ लोग दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद मंदिर के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण मे रà¥à¤•े कर आस पास की फोटो खिचने लगे.
अपनी फैमिली के साथ
गंगोतà¥à¤°à¥€ मंदिर
गंगोतà¥à¤°à¥€ मंदिर से
मंदिर के पास à¤à¤¾à¤—ीरथी
मंदिर के पास à¤à¤¾à¤—ीरथी
मंदिर के पास à¤à¤¾à¤—ीरथी
मंदिर के पास से ही à¤à¤¾à¤—ीरथी बह रही है.
गंगोतà¥à¤°à¥€ मंदिर से
गंगोतà¥à¤°à¥€ मंदिर से
गंगोतà¥à¤°à¥€ मंदिर के पास
सूरà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤‚ड
सूरà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤‚ड
सूरà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤‚ड
गौरी कà¥à¤‚ड
सूरà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤‚ड से हिमालय
देखा मंदिर के पास से ही à¤à¤¾à¤—ीरथी बह रही है. यहाठपर à¤à¤¾à¤—ीरथ का छोटा सा मंदिर है. हम लोग à¤à¥€ à¤à¤¾à¤—ीरथी के किनारे खड़े ही कर निहार रहे थे. सà¥à¤¬à¤¹ के 7 बाज रहे थे धूप खिली हà¥à¤ˆ थी. आस पास का वातावरण बहà¥à¤¤ सà¥à¤‚दर लग रहा था . कà¥à¤› लोग इस ठंडे मौसम मे à¤à¤¾à¤—ीरथी मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर रहे थे. मैने पतà¥à¤¨à¥€ से नहाने को कहा पर उनकी तो हिमà¥à¤®à¤¤ नही हà¥à¤ˆ. मैने कहा ठीक है तà¥à¤® मेरे कपड़े और मग ले आयो , आओ मॅ तो सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करूà¤à¤—ा होटेल पास ही था वह जाकर सारा समान ले आई. यहाठसà¤à¥€ लोग मग से ही नहा रहे थे. à¤à¤• सजà¥à¤œà¤¨ को देखा वह जितनी तेज़ी से à¤à¤¾à¤—ीरथी मे घà¥à¤¸à¥‡ थे उतनी ही तेज़ी से वापस किनारे पर आ गये. मैने à¤à¥€ किनारे के à¤à¤• पतà¥à¤¥à¤° पर बैठकर जब पहले दो मग जल अपने उपर डाला तब तक तो ठीक लगा पर उसके बाद तो बरà¥à¤« जैसे ठंडे पानी से नहाना कठिन हो गया, जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ जल को अपने उपर डाला और पतà¥à¤¥à¤° से कूद कर बाहर आ गया. सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के बाद धूप अगरबतà¥à¤¤à¥€ जला कर गंगा जी की पूजा की और अब कà¥à¤› करना नही था वहीं सीढ़ियो बैठगया.. à¤à¤¾à¤—ीरथी के किनारे कà¥à¤› लोगो को पंडा लोग पूजा करवा रहे थे तà¤à¥€ à¤à¤• पंडा हाथ मे पूजा की थाली लिठहà¥à¤ हमारे पास आठऔर पूजा करवाने का आगà¥à¤°à¤¹ करने लगे. पूजा तो कर चà¥à¤•ा था पर उनके आगà¥à¤°à¤¹ को देखते हà¥à¤ मैने कहा 51 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ दचà¥à¤›à¤¿à¤¨à¤¾ के दूà¤à¤—ा, ताजà¥à¤œà¥à¤¬ हà¥à¤† वह राज़ी हो गये. पूजा तो पूरे परिवार के साथ होती है पर इस बीच मे मेरा लड़का होटेल चला गया था. पंडा जी बोले आप उसे बà¥à¤²à¤¾ ले तब तक मेरी थाली आपके पास रखी है. अब फिर मेरी पतà¥à¤¨à¥€ उसे बà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ होटेल गयी,वहाठउनको देर लगी, इसी बीच मे पंडा जी कोई दूसरा à¤à¤•à¥à¤¤ मिल गया और वह थाली ले कर बोल गये , à¤à¤• दूसरे की पूजा समà¥à¤ªà¤¨ करा कर आता हू. अब मज़े की बात देखे कि कल रात जो पंडा जी मंदिर मे मिले थे वह आ गये, मà¥à¤à¤¸à¥‡ पूजा करवाने के लिठबोले. मै तो उनà¥à¤¹à¥‡ पहचान नही पाया. मैने कहा à¤à¤• और पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी पूजा के लिठबोल गये है, अà¤à¥€ आ रहे होंगे. तब वह बोले मैने तो आपको कल रात ही अपना कारà¥à¤¡ दिया था और पूजा के लिठकहा था. तब मेरी पतà¥à¤¨à¥€ मेरे से बोली कल रात यही तो मंदिर मे थे.अब मà¥à¤à¥‡ याद आया. मैने कहा ठीक है पर मैने तो दूसरे से 51 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मे तय किया हà¥à¤† है. वह बोले कोई बात नही मै à¤à¥€ आपकी पूजा इतने रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मे ही समà¥à¤ªà¤¨ करवाउंगा . उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ पूजा आरंठकी और गंगा के महातà¥à¤® को समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ ढंग से पूजा समà¥à¤ªà¤¨ करवाई. अब मैने अपनी पतà¥à¤¨à¥€ को बोला की इनको 51 नही 101 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ दकà¥à¤›à¤¿à¤£à¤¾ दो. खà¥à¤¶à¥€ होती है जब कोई अपना कारà¥à¤¯ ईमानदारी से करता है.
अब हम लोग मंदिर के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण मे आ गये . पता लगा था 9 बजे माठगंगा को à¤à¥‹à¤— वितरित किया जाता है. à¤à¥‹à¤— मे केसर यà¥à¤•à¥à¤¤ मीठे चावल दिठगये.
à¤à¥‚ख लग रही थी, पहले जाकर à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट मे आलू के पराठे का नाशà¥à¤¤à¤¾ किया. यहाठहमने बोतल बंद पानी का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— ना कर जो सपà¥à¤²à¤¾à¤‡ का पानी आ रहा था वही पिया. चलते समय à¤à¥€ मैने अपनी ठंडे पानी की 2 लिटेर की बोतल मे यही पानी à¤à¤° लिया. विचितà¥à¤° बात रासà¥à¤¤à¥‡ मे किसी ने à¤à¥€ बोतल बंद पानी नही पिया , इसी पानी से पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ बूà¤à¤¾à¤¤à¥‡ रहे. यहाठका पानी इतना सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ था की बोतल बंद पानी पीना कोई पसंद नही कर रहा था. गंगोतà¥à¤°à¥€ मंदिर से थोडा आगे सूरà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤‚ड है.
हम सूरà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤‚ड, गौरी कà¥à¤‚ड देखने पहूà¤à¤šà¥‡. सूरà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤‚ड से थोडा आगे गौरी कà¥à¤‚ड है यहाठà¤à¤¾à¤—ीरथी दो पहाड़ो के बीच से à¤à¤• पतले से गलियारे से होकर तेज बेग से बह रही है 15-20 मिनिट रà¥à¤• कर वापस चल दिà¤.
समय दोपहर के करीब 12 बजे के आस पास होगा जब हम गंगोतà¥à¤°à¥€ से वापसी के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया. गंगनानी मे रà¥à¤• कर दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया. चमà¥à¤¬à¤¾ पहूà¤à¤šà¤¤à¥‡ 8 बज गये. चमà¥à¤¬à¤¾ पहाड़ो पर बसा घनी आबादी का शहर है. मौसम à¤à¥€ यहाठगरà¥à¤® था. रात à¤à¤• होटेल मे गà¥à¤œà¤¼à¤°à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ 8 बजे हम ऋषिकेश के लिठचल दिà¤. 10 बजे हमे ऋषिकेश बस अडà¥à¤¡à¥‡ पर उतार दिया. गंगोतà¥à¤°à¥€ यमञोतà¥à¤°à¥€ की यातà¥à¤°à¤¾ हमे उसने 4 दिन मे करा दी लेकिन पैसे उसने 5 दिन के हिसाब से 10500 ही लिà¤. ऋषिकेश बस सà¥à¤Ÿà¥‰à¤ª पर अà¤à¥€ कार से समान उतार कर रखा ही था तà¤à¥€ लोकल टीवी चैनेल के 2 लोग अपना कॅमरा लिठहà¥à¤ आठपूछा आप लोग चार धाम यातà¥à¤°à¤¾ करके आ रहे है. मेरे हाठकहने पर बोले हम लोग चार धाम यातà¥à¤°à¤¾ पर à¤à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ बना रहे है, आप बतायà¤à¤—े की वहाठपर खाने –पीने की कैसी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है. खाना हाइजेनिक है या नही. पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की तरफ से खाने की चेकिंग की जा रही या नही. बोतल बंद पानी कही à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¤¾à¤‡à¤°à¥à¤¡ तो नही बेचा जा रहा है. सà¥à¤¨ कर हंसा मैने कहा की यातà¥à¤°à¤¾ तो अà¤à¥€ शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ है पानी की à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¤¾à¤‡à¤°à¥à¤¡ बोतल वहाठकहाठसे आ गयी . और जहाठतक खाने का सवाल है तो यह सामने ढेले पर जो समान बेंच रहे है , यह कà¥à¤¯à¤¾ हाइजेनिक है. अगर आपको चैनेल पर दिखाना है तो यमञोतà¥à¤°à¥€ पर जो 100 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की परà¥à¤šà¥€ कटी जा रही है उसके खिलाफ दिखाà¤, रासà¥à¤¤à¥‡ मे सड़के टूटी-फूटी है, बनी नही है उसके उपर कà¥à¤¯à¥‹ नही दिखाते. जबकि चारधाम यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होने स पहले पेपर मे नà¥à¤¯à¥‚ज़ आ जाती है की सारी तैयारी कर ली गयी हैं . यह कैसी तैयारी है. वह बोले नही हमारा यह विषय नही है. मैने कहा ठीक है मेरे को à¤à¥€ आपके विषय से संबंधित कोई आपतà¥à¤¤à¤¿ नही नज़र आई. हमारी बस 11 बजे की थी. हम आराम से अपने घर 4-30 बजे पहà¥à¤à¤š गये. इस तरह से हमारी दो धाम यातà¥à¤°à¤¾ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆ. .
रस्तोगी जी …. कैसे शब्दों में फोटो की तारीफ करू शायद जबरदस्त फोटो …. गंगोत्री का रात वाले फोटो अति सुंदर …… गंगनानी में गरम कुंद में नहाना फिर पराशर ऋषि के मंदिर में . चार धाम में पुजारी लूट आदि नहीं करते , खर्चा भी कश्मीर के मुकाबले कम होता है . मुस्लिम घोड़े वाले दोनों जगह ज्यादा पैसे लेते हैं .
sarvesh ji
सच तो यह है कि फोटो यात्रा संस्मरण को जीवंत कर देते हैं अन्यथा लेख कुछ नीरस सा लगता है.
रस्तौगी जी आपने तो दोनो धाम की यात्रा बडे सुंदर विवरण् और फोटोज के साथ सम्पन्न करा दी उसके लिये आभार , चार दिन के 10500 रू ठीक ठाक थे । पहाडो में इतना ही रेट है अगर कोई दूर से आता है तो उसे यहां के रेट में गाडी लेनी ही पडती है
आगे के लेखन का इंतजार रहेगा अपने अनुभवो को ऐसे ही साझा करते रहें और यमुनोत्री की 100 रू की पर्ची का गुस्सा अब थूक दें
प्रिय मनु
यात्रा मे कार या अन्य खर्च के बारे मे जो लिखा है वह पाठको की जानकारी के लिए है. लेख पसन्द आने के लिए धन्यवाद.
केवल 100 रुपये की पर्ची की बात नही , जब कभी भी मुझे कुछ ग़लत लगता है मॅ अपने लेख के माध्यम से अपनी बात कह कर मान का गुबार निकाल देता हूँ.
जय गंगे माँ
गंगा तेरा पानी अमृत
दो साल पहले की यात्रा याद आ गई | शिवजी की बड़ी मूर्ति वाला मंदिर भाटवारी के नज़दीक – पाइलट बाबा का आश्रम है | गंगोत्री के पास पांडव गुफा है , वहाँ आस पास का द्रश्य बड़ा ही खूबसूरत है , टाइम मिले तो मेरे पोस्ट पे एक नज़र मारना , लिंक नीचे दिया है|
गंगोत्री में पानी का बहाव तेज होता है पर आप के फोटोस से आसा नही लघ रहा है , पानी कम था ????
https://www.ghumakkar.com/2010/08/09/scenic-spots-on-the-way-to-gangotri/
mahesh ji
मई का पहला हफ़्ता था अभी भागीरथी मे ज़्यादा पानी नही था. बारिश के बाद तो जहाँ पर मॅ खड़ा हूँ यहाँ पर भागी रथी बह रही होती है. आपके फोटो देखे, उस समय काफ़ी पानी था. सुंदर विवरण और फोटो हैं
रस्तोगी जी पहाडो पर प्लास्टिक का कचरा एक बड़ी समस्या का रूप धारण कर चुका है |आपके द्वारा बोत्तलबंद पानी का इस्तेमाल न करना एक सराहनीय कदम है |
jogi ji
जहाँ तक बोतल बंद पानी का सवाल है तो यह तो एक मजबूरी है. हर कोई साफ
पानी पीना चाहता. परन्तु आप जिस जगह जाते है कम से कम वहाँ के पानी का स्वाद तो लेना ही चाहिए, ऐसा मॅ समझता हूँ. मॅ आपको बता दू कि जब अमरनाथ यात्रा पर गया था वहाँ गुफा से नीचे भंडारे मे जो पीने का पानी मिल रहा था उसका स्वाद आज तक नही भुला हूँ. बहुत ही स्वादिष्ट.
रस्तोगी जी गंगा माँ के मंदिर के फोटो शानदार हैं, विशेषकर रात के. आप का यात्रा विवरण पहली बार पढ़ा हैं, अच्छा लगा, जय माँ गंगे, वन्देमातरम..
सच है शानदार द्र्श्य है वहाँ का,
रस्तोगी जी,
वहुत अच्छा वर्णन है, पूजा वाली बात सुन कर मन खुश हो गया, धार्मिक स्थान पर परिवार जब मिल कर पूजा करता है तो बच्चों पर अच्छा असर पड़ता है, और पंडित जी का भी मान सम्मान होता है. पंजाब में हमारे आस पास के २० गाँव में सिर्फ २ पंडित है , और गुरूद्वारे साहिब के ग्रंथि हर गाँव में है. अगर पंडित जी का मान सम्मान होगा तो नए लड़के इस प्रोफेसन में आयेंगे, नहीं तो नेट पर ही पूजा करनी पड़ेगी.
धन्यवाद
sharma ji
इन धार्मिक स्थानो पर अगर जाते है तो पूजा तो हर किसी को करनी या करानी चाहिए . बाकी तो अपनी- अपनी श्रधा है.
धन्यवाद
Wonderful write up and really beautiful pictures. Surya Kund pics wer amazing.
hi vishal
thanks
कहते है जहाँ पर सूर्या कुंड का पानी गिरता है वहाँ पर ही एक चट्टान पर बैठ कर भगवान शिव ने गंगा को अपने सिर पर धारण किया था. जब पानी कम होता है तब उस चट्टान के दर्शन होते हैं. सुंदर द्र्श्य तो है ही.
बहुत ही विस्तृत एवं मनोरंजक विवरण एवं छायाचित्र भी बहुत सुन्दर. कुल मिलाकर एक सुन्दर पोस्ट. रस्तोगी जी, अब यह दो धाम यात्रा तो बड़े अच्छे से संपन्न हो गई, अब आगे कहाँ ले जा रहे हैं?
dear mukesh
गंगोत्री – यमञोत्री की यात्रा पसंद आई , खुशी हुई. जल्द ही केदारनाथ बद्रीनाथ यात्रा पर ले चलूँगा
फटाफट रही यमुनोत्री से गंगोत्री और फिर वापस घर का सफ़र | मंदिर में फोटो न खींच कर नियम मानने वाली बात के लिए आपको सलाम | हालांकि मुझे निजी तौर पर लगता है की जब तक किसी तरह का कोई नुक्सान न हो रहा हो , जैसे कैमरा फ्लश से कभी कभी होता है, तब तक इस तरह के मनाही नहीं होनी चाहिए |
nandan ji
अब मुझे यह तो नही पता कि क्यो इन जगहो पर फोटो खिचना मना होता है , पर एक बात तो है कि मन मे विग्रह के दर्शन के लिए जिग्यासा ज़रूर रहती है . इसी तरह केदारनाथ धाम के बारे मे पढ़ा बहुत कुछ था पर विग्रह का कोई फोटो नही देखा था. जब मैने मंदिर मे प्रवेश किया तब सबसे ज़्यादा उत्सुकता विग्रह के दर्शन कि थी . मॅ पंजो के बल उचक कर दर्शन कर लेना चाहता था. . एक बात और है यहाँ नॉर्थ मे तो मंदिर मे लाइट लगी होती है , आप अच्छे से दर्शन कर सकते है पर सा उथ मे ज़्यादातर मंदिरो मे, मंदिर के अंदर लाइट नही होती है , केवल दिए जल रहे होते है. दिए की लौ मे स्पष्ट दर्शन भी नही होते है.
Yamunotri aur Gangotri ke darshan karane ke liye dhanyawad.
badi hi kushalta se likhe gaye post hain dono.
Sundar chitro ke saath.
Likhte rahiye.
रास्तोगी जी…..
आपका यमनोत्री से गंगोत्री का यात्रा वर्णन बहुत अच्छा लगा……बहुत ही अच्छे स और पूरे विवरण से लिखा हैं आपने…..फोटो कि बात करे …तो अति सुन्दर….!
हमारे भी जाने की इच्छा हैं चार धाम …देखते हैं कब पूरी होती हैं….|
धन्यवाद…..
जय गंगे मैया की
sir ji gangotri and yamonatri yatra par aapka tour detail padha bahut achcha laga aapne kaafi vistaar sel likha. thanks to you sir
अतिसà¥à¤‚दर यातà¥à¤°à¤¾ संसà¥à¤®à¤°à¤£ आदरणीय।