29th May 2010 को हम लोगो ने बदरीनाथ जाने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बनाया. मेरा और रवि का , दोनों का परिवार à¤à¤• बोलेरो गाड़ी में बैठकर बदरीनाथ धाम के लिठनिकल पड़े. हम लोग चरथावल से सà¥à¤¬à¤¹ पांच बजे रवाना हà¥à¤. चरथावल से रोहाना होते हà¥à¤ वाया छपार हम लोग हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤š गà¤. हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से निकलकर पहला सà¥à¤Ÿà¥‡ हमने देव पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में लिया. यंहा पर चाय पानी, नाशà¥à¤¤à¤¾ आदि करके हमारा कारवा फिर से सफर के लिठचल पड़ा. दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ हम लोगो ने रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में किया. यंहा पर à¤à¤• पेटà¥à¤°à¥‹à¤² पमà¥à¤ª पर अचà¥à¤›à¤¾ खाने का होटल बना हà¥à¤† हैं.  रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पार करने के बाद मौसम खराब होना शà¥à¤°à¥‚ हो गया था. जोरो से हवा चलने लगी थी. à¤à¤¸à¥‡ ही मौसम में करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से होते हà¥à¤ हम लोग जोशीमठकरीब सात बजे तक पहà¥à¤à¤š गठथे. जोशीमठपहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ जोरो से बारिश शà¥à¤°à¥‚ हो गई थी. मà¥à¤–à¥à¤¯ सड़क  पर ही à¤à¤• गेसà¥à¤Ÿ हाउस में दो कमरे लिà¤, और वंही पर रà¥à¤• गà¤.  थोड़ी देर आराम करके, बारिश रà¥à¤•ते ही à¤à¥‹à¤œà¤¨ के लिठचल दिà¤. जोशीमठमें तीन चार अचà¥à¤›à¥‡ à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ हैं. खाना अचà¥à¤›à¤¾ बनता हैं. à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• होटल में खाने का आनंद लिया. बाहर मौसम बहà¥à¤¤ सà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ हो चà¥à¤•ा था, ठंडी हवा चल रही थी. बाकी सब तो गेसà¥à¤Ÿ हाउस चले गà¤, मैं और नीलम थोड़ी देर जोशीमठकी सडको पर घूमते रहे. जब थक गठतो आकर के अपने कमरे में सो गà¤. सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठे, और तैयार होकर के पहले गेट की गाडियों की लाइन में लग गà¤. यंहा से बदरीनाथ जी तक गाडियो  का वनवे यातायात रहता हैं. बीच में पांडà¥à¤•ेशà¥à¤µà¤° में रूट बदल जाता हैं. सà¥à¤¬à¤¹ छः बजे पहला गेट खà¥à¤²à¤¤à¤¾ हैं. करीब दो घंटे की यातà¥à¤°à¤¾ के बाद हम लोग बदरीनाथ जी पहà¥à¤à¤š जाते हैं. हमारा गेसà¥à¤Ÿ हाउस बदरीनाथ जी में बस अडà¥à¤¡à¤¾ पार करते ही थोडा आगे था. उसका नाम हैं नंदा गेसà¥à¤Ÿ हाउस. अब तक हम लोग बदरीनाथ जी करीब पांच बार जा चà¥à¤•े हैं. और हर बार इसी गेसà¥à¤Ÿ हाउस में ही रà¥à¤•ते हैं. अचà¥à¤›à¤¾ और ससà¥à¤¤à¤¾ गेसà¥à¤Ÿ हाउस हैं. इसी के सामने à¤à¤• à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ à¤à¥€ बना हà¥à¤† हैं, वंहा पर खाने का आनंद लिया जा सकता हैं. इसी गेसà¥à¤Ÿ हाउस में गाड़ी को पारà¥à¤• करने की à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ हैं.
à¤à¤—वान बदरीनाथ
बदरीनाथ धाम यानी कि à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ कि नगरी. बदà¥à¤°à¥€ धाम उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड राजà¥à¤¯ के चमोली जिले में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं. बदरीनाथ विधानसà¤à¤¾ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ हैं. यह मंदिर à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ के बदà¥à¤°à¥€ रूप को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हैं. यंहा पर à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ अपनी पतà¥à¤¨à¥€ माता लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€, गरà¥à¤¡à¤¼ जी, नारद जी, कà¥à¤¬à¥‡à¤° जी, उदà¥à¤§à¤µ जी  आदि के साथ विराजमान हैं. इसे बदà¥à¤°à¥€à¤¶ पंचायत कहा जाता हैं. बदà¥à¤°à¥€ का à¤à¤• अरà¥à¤¥ बेर नामक फल à¤à¥€ होता हैं. कहते है यंहा पर कà¤à¥€ बेरी के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ कि बहà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¤¤ थी. इसलिठइसे बदरीवन, बदà¥à¤°à¤¿à¤•ाशà¥à¤°à¤® à¤à¥€ कहा जाता है. हम हिनà¥à¤¦à¥à¤“ के ये चारधाम में à¤à¤• माना जाता हैं. ऋषिकेश से यंहा कि दूरी करीब 295 किलोमीटर है.
मंदिर में à¤à¤—वान नारायण कि पूजा होती हैं. और अखंड जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ जलती रहती हैं. à¤à¤•à¥à¤¤ लोग दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ से पहले सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते हैं. सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठयंहा पर गरà¥à¤® पानी के कà¥à¤‚ड हैं, जिनसे चोबीस घंटे गरà¥à¤® जल बहता हैं. गरà¥à¤® जल और ठनà¥à¤¡à¥‡ जल को मिलाकर à¤à¤• अलग कà¥à¤‚ड बनाया गया हैं, जिसमे à¤à¤•à¥à¤¤ जन सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते हैं. गरà¥à¤® जल के कà¥à¤‚ड में जल इतना गरà¥à¤® होता हैं कि उसमे चावल à¤à¥€ उबल जाता हैं. à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€ विशाल के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ में तà¥à¤²à¤¸à¥€ कि माला, चने की दाल, मिसà¥à¤°à¥€ आदि का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ चढाया जाता हैं.
बदà¥à¤°à¥€ धाम को à¤à¥‹à¤²à¥‡ शंकर महादेव कि नगरी à¤à¥€ कहा जाता हैं. कहा जाता हैं कि इस नगरी का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ महादेव ने माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ के लिठकिया था. पर ये नगरी à¤à¥‹à¤²à¥‡ नाथ ने à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ को à¤à¥‡à¤‚ट करदी थी.
à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€  कि मूरà¥à¤¤à¤¿  काले शालिगà¥à¤°à¤¾à¤® पतà¥à¤¥à¤° से बनी हà¥à¤ˆ हैं. कहते हैं इस मूरà¥à¤¤à¤¿ कि सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ देवताओं ने कि थी. इसके हजारो साल बाद आदि शंकराचारà¥à¤¯ ने पà¥à¤¨à¤ƒ इसे नारद कà¥à¤‚ड से निकालकर सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया था. मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में बदरीनाथ की दाहिनी ओर कà¥à¤¬à¥‡à¤° की मूरà¥à¤¤à¤¿ है। उनके सामने उदà¥à¤§à¤µà¤œà¥€ हैं तथा उतà¥à¤¸à¤µà¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ है। उतà¥à¤¸à¤µà¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ शीतकाल में बरफ जमने पर जोशीमठमें ले जायी जाती है। उदà¥à¤§à¤µà¤œà¥€ के पास ही चरणपादà¥à¤•ा है। बायीं ओर नर-नारायण की मूरà¥à¤¤à¤¿ है। इनके समीप ही शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µà¥€ और à¤à¥‚देवी है।

जय हो बाबा बदà¥à¤°à¥€ विशाल की
पौराणिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हà¥à¤ˆ, तो यह 12 धाराओं में बंट गई। इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर मौजूद धारा अलकनंदा के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤ˆ और यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥, à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ का वास बना। à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ वाला वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर 3,133 मीटर की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और माना जाता है कि आदि शंकराचारà¥à¤¯, आठवीं शताबà¥à¤¦à¥€ के दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• संत ने इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कराया था। इसके पशà¥à¤šà¤¿à¤® में 27 किमी की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ शिखर कि ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ 7,138 मीटर है। बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ में à¤à¤• मंदिर है, जिसमें बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ या विषà¥à¤£à¥ की वेदी है। यह 2,000 वरà¥à¤· से à¤à¥€ अधिक समय से à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रहा है।           (साà¤à¤¾à¤° विकिपीडिया )

बरà¥à¤« से लदी हà¥à¤ˆ नर नारायण परà¥à¤µà¤¤ की चोटिया

हमारा गेसà¥à¤Ÿ हाउस और पीछे परà¥à¤µà¤¤ माला

इशांक बाबू

बरà¥à¤« से ढकी हà¥à¤ˆ नीलकंठचोटी
हम लोग गेसà¥à¤Ÿ हाउस में थोड़ी देर आराम करके दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठचले. सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® हमलोग तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड की और सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठगà¤. वंही पर पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की दà¥à¤•ाने à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं. पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की दूकान से बालà¥à¤Ÿà¥€ और  मग à¤à¥€ मिल जाता हैं. जिससे नहाने में आसानी होती हैं. हम लोगो ने अपना सामान पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की दूकान में रखा और सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठचले गà¤. सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के बाद, तैयार होकर पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ लेकर के, दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठ लाइन की और बढ़ गà¤. लाइन देखकर हम लोग à¤à¥‹à¤šà¤•à¥à¤•े रह गà¤, करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी लाइन लगी हà¥à¤ˆ थी. थोड़ी देर लाइन में लगकर जब ये लगा की चार या पांच घंटे से पहलà¥à¤° दरà¥à¤¶à¤¨ नहीं होगे तो बचà¥à¤šà¥‹ ने कà¥à¤› जà¥à¤—ाड लगाया,  मंदिर के गेट पर खड़े सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ गारà¥à¤¡à¥‹ के पास गà¤, उनसे बात की तब  उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बचà¥à¤šà¥‹ पर दया करके हम लोगो को मंदिर के गेट के नजदीक लाइन में लगवा दिया, जिससे हमारा नंबर दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठ१५ – २० मिनट में आ गया.
मंदिर परिसर में अंदर दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठधकà¥à¤•ा मà¥à¤•à¥à¤•ी होती हैं. और बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िलों से दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं. à¤à¤—वान  बदà¥à¤°à¥€ विशाल के दरà¥à¤¶à¤¨ करके दिल खà¥à¤¶ हो गया. दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद हम लोग मंदिर से बाहर आ गà¤.आकाश में बादल मंडराने लगे थे. और बारिश होने की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ हो गयी थी. हम लोग वापिस अपने गेसà¥à¤Ÿ हाउस  की ओर आ गà¤. बारिश जोरो से शà¥à¤°à¥‚ हो गयी थी. और चारों तरफ अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ सा छा गठथा. हम लोगो का माना और कई जगह जाने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® था. लेकिन उस दिन लगातार बारिश होती रही, और हमारे आगे के सारे पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® रदà¥à¤¦ हो गà¤. खाना हम लोगो ने गेसà¥à¤Ÿ हाउस में ही मंगा लिया था. मौसम में जबरदसà¥à¤¤ ठणà¥à¤¡ हो गयी थी. इसलिठअपनी अपनी रजाइयो में दà¥à¤¬à¤• कर सो गà¤.

माठअलकनंदा में बना हà¥à¤† नारदकà¥à¤‚ड
यही वह कà¥à¤‚ड है  जिसमे  से आदि शंकराचारà¥à¤¯ में à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€ विशाल कि मूरà¥à¤¤à¤¿ को निकालकर सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया था.

मंदिर के सामने धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾

रवि, राघव, लवली, और चोचो

हमारा डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° और इशांक

मै और परिवार

बदरीनाथ घाटी

बादलों और बरà¥à¤« से ढंके परà¥à¤µà¤¤à¤°à¤¾à¤œ

अलकनंदा जी पर बना हà¥à¤† नया पà¥à¤²

à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¶à¤¾à¤² के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठलगी लाइन

कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² हैं

दूर से मंदिर और पीछे नारायण परà¥à¤µà¤¤

अलकनंदा जी का तेज बहाव

मंदिर के पीछे à¤à¤°à¤¨à¤¾ और आशà¥à¤°à¤®
सà¥à¤¬à¤¹ जब सोकर के उठे तो बाहर निकलकर देखा, चारों तरफ पहाडिया बरà¥à¤« से लदी हà¥à¤ˆ थी. सारी रात बारिश और बरà¥à¤« बारी होती रही थी.  मौसम बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ और ठंडा था. हलà¥à¤•ा हलà¥à¤•ा कोहरा छाया हà¥à¤† था. सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ की चाय पीकर मन तारो ताज़ा किया. और नहा धोकर लौटने  की तैयà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ करने लगे.  खैर ये धाम à¤à¤¸à¤¾ है यंहा पर आकर के आदमी यंहा की घाटियों में खोकर रह जाते हैं. किसी हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से à¤à¥€ खूबसूरत यंहा की घाटिया है. ये तो समय की कमी रहती हैं और वापिस लोटना पड़ता हैं. सà¥à¤¬à¤¹ नो बजे हम लोग बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम से रवाना हो गà¤.  दोपहर २ बजे तक हम करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— आ गà¤, वंहा पर संगम के किनारे à¤à¤• होटल में दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया, इस दौरान बारिश और आंधी तूफ़ान à¤à¥€ आ रहा था. मौसम बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ था.

बरà¥à¤« और बादल से ढंकी नीलकंठचोटी

पहाडो पर ताज़ी पड़ी हà¥à¤ˆ बरà¥à¤«

à¤à¤• और दृशà¥à¤¯

सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ बरà¥à¤« से ढकी पहाड़ी के पीछे से उगते सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ
शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र
करà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨  करके हम शाम छः बजे तक शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र पहà¥à¤à¤š गà¤. और उस रात शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में गढ़वाल मंडल विकास निगम के रिसोरà¥à¤Ÿ में हम लोग रà¥à¤•े थे. सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से दो कमरे खाली मिल गठथे. रिसोरà¥à¤Ÿ के सामने ही à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ है, जिसमे अचà¥à¤›à¤¾ खाना मिलता हैं. शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र शहर  माठअलकनंदा  नदी के किनारे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नगर है. यह नगर पौड़ी गढ़वाल जिले में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं.शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र गढ़वाल राजाओं  की राजधानी रहा हैं. à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°  घाटी में शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र शहर बसा हà¥à¤† हैं.  यंहा पर ठहरने और रहने के लिठअचà¥à¤›à¥‡ होटल और गेसà¥à¤Ÿ हाउस हैं. à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ विकसित बाजार यंहा पर है. अलकनंदा नदी के किनारे घूमने फिरने के लिठअचà¥à¤›à¤¾ पैदल टà¥à¤°à¥‡à¤• और पारà¥à¤• बना हà¥à¤† हैं.  शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र शहर ५५० मीटर की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर बसा हà¥à¤† हैं. यंहा से पौड़ी १८ किलोमीटर और ऋषिकेश १०८ किलोमीटर पड़ता हैं.

गढवाल मंडल विकास निगम का रिसोरà¥à¤Ÿ (शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र)
शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में à¤à¤• बाà¤à¤§ à¤à¥€ बन रहा हैं. जिसके फोटो मैंने यंहा पर दिठहैं. बाà¤à¤§ का काम बहà¥à¤¤ तेजी से चल रहा हैं. इस पर करीब 1000 MW का बिजली घर बनाया जा रहां है. इस बाà¤à¤§ का विरोध à¤à¥€ बहà¥à¤¤ हो रहा हैं. जिसके बारे में आप लोगो ने समाचार पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ पढ़ा होगा. लोगो को बिजली à¤à¥€ चोबीस घंटे चाहिठऔर बाà¤à¤§ का विरोध à¤à¥€ करते है.

नठबनते हà¥à¤ बाà¤à¤§ का दृशà¥à¤¯ (शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र)

पतित पावनी माठगंगा (शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र)

गंगा जी के ऊपर लोहे का à¤à¥‚ला पà¥à¤²
गंगा जी के ऊपर बना हà¥à¤† यह लोहे का à¤à¥‚ला पà¥à¤² शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र शहर को गंगा पार के गावों से जोड़ता हैं. सà¥à¤¬à¤¹ शाम यह पà¥à¤² परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के घूमने का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है.

गंगा किनारे इशांक

माठगंगा और à¤à¥‚ला पà¥à¤²
सà¥à¤¬à¤¹  पांच बजे हम लोग सोकर के उठगà¤. और चाय वाय पीकर  हम लोग हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के लिठनिकल पड़े. हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में गंगा जी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करके हम लोग मà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र आ गà¤. वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤® |
प्रवीण जी , एक सुंदर यात्रा वर्णन सुंदर फोटो के साथ .
श्रीनगर के फोटो लेख पहली बार पर कर अच्छा लगा
वर्षा ने यात्रा कम कर दी आशा है केदारनाथ जी पूरा मजा रहेगा
सर्वेश जी सराहना करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, वन्देमातरम.
प्रवीणजी
आपकी यात्रा के बारे में पढ़कर बड़ा आनंद आया. बद्रीनाथ के इतिहास का वर्णन आपने बड़ी बखूबी से किया है.
हम भी करीब दो साल पहले रुद्रप्रयाग होते हुए उखीमठ गए थे. आपके पोस्ट ने हमारे यादों को तजा कर दिया है.
धन्यवाद् और इसी तरह लिखते रहिये,
Auro.
ओरोजित जी धन्यवाद बहुत बहुत..
pravinji aaj se aap pravin nahi,ghummakkarji maharaj naam se jaane jayenge,kam se kam main to aapko isi naam se bulaunga.main to samajhta tha ki main hi hun jo 2-2 baar badri vishal ke darshan karne wala banda hai(ek tourist ke lihaj se) par aapne to mera sara ghamand hi tor dia 5-5 baar badri vishal ke darshan karke.ek baat main aap sabhi ghummakar bhailog se (shant atmaji padh rahe ho?) namr nivedan hai ki jahan bhi jao kripya wahan thehrne aur khane ke hotel(jisme aap rehte ho) ka naam tatha room rent ke baare mejarur se bataya karo. aapka ye post bhi lajawab hai.vandemataram,jai badrivishal.
राजेश जी, जय बद्रीविशाल, सराहना करने के लिए धन्यवाद बहुत बहुत, मैंने अपने होटल और खाने की जगह के बारे में पोस्ट में बताया हैं. वन्देमातरम.
जून के दुसरे हफते में केदारनाथ ओर बद्रीनाथ जाना हुआ , एक बार आप ने फिर से याद ताज़ा कर दी , इस देवभूमि उत्तराखंड को देखने के लिए ये एक जनम तो कम है |
धन्यवाद महेश जी, वाकई कुछ तो हैं जो बार बार बद्री, केदार , गंगोत्री और यमुनोत्री अपनी और खींचते हैं. इसीलिए तो उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता हैं. वन्देमातरम.
प्रवीण जी…..
जय बद्री विशाल की…..जय हो हर के नारायण की….!
उत्तराखंड की पावन भूमि में बसा बदरीनाथ तीर्थ एक मुख्य और हम लोगो के आस्था का प्रमुख केन्द्र केन्द्र हैं, साथ-साथ चारो धाम में सर्वोपरि हैं |
आपने बद्रीनाथ जी के बारे में बहुत ही अच्छे से भक्तिमय वर्णन किया….सच में पढ़कर में तो धन्य हुआ और बहुत अच्छा लगा आपका यह लेख…ऐसे ही लिखते रहिये….फोटो तो लाजजबाब और बहुत खूबसूरत लगे | आप भी एक सच्चे घुमक्कड़ हो जो बद्रीनाथ की यात्रा पांच बार कर आये हम तो अपने जीवन काल में बद्रीनाथ जी केवल एक बार गए थे | हमारी बद्रीनाथ जी की यात्रा का स्मरण कराने के लिए धन्यवाद….!
मैं भी श्री नगर एक बार जा चुका हूँ….किसी लेख में श्रीनगर के फोटो आज पहली बार देखे हैं…….| ध्यान दे कि आपने श्रीनगर के फोटो के केप्शन में आपने गंगा लिखा पर वहाँ तो अलकनंदा नदी बहती है |
लेख के लिए धन्यवाद
धन्यवाद रितेश जी, जै बद्री विशाल, रितेश जी चाहे अलकनंदा हो, भागीरथी हो, मन्दाकिनी हो, पिंडर गंगा हो, सरस्वती गंगा हो ये सब माँ गंगा की ही धाराए कही जाति हैं. इसीलिए चाहे हम बदरीनाथ जी में हो या केदारनाथ जी में हो, सब माँ गंगा का ही रूप हैं. ये सब पर्यायवाची हैं. माँ गंगा के प्रचंड वेग को शिवजी ने अपने शीश पर धारण किया था. और उनकी जटाओं से ये अलग अलग धाराए निकली थी. इसीलिए बद्री, केदार, गंगोत्री आदि में जितनी भी धाराए या नदिया है, वे सब माँ गंगा ही हैं. वन्देमातरम
प्रवीन जी…..
धार्मिक द्रष्टि से आपकी बात सही हैं…..पर हम लोग इस दुनिया में कई जगहो पर भौगोलिक द्रष्टि से भ्रमण करते हैं…और उसी हिसाब से जगह को परखते और समझते है….| अच्छा होगा कि वहाँ की सही रूप रेखा ही लोगो के समक्ष रखी जाए…..|
मेरे भौगोलिक द्रष्टि के हिसाब से श्री नगर में अलकनंदा नदी की ही उपस्थिति हैं…..| कुछ गलत कहा हो तो माफ़ करे….|
धन्यवाद….!
रितेश जी आपका कहना भी ठीक हैं, हमारा भी. हम लोग गंगा जी के बहुत नजदीक रहते हैं, हरिद्वार से ऊपर जितनी भी धाराए हैं उनमे यमुना जी को छोड़ कर बाकी सभी माँ गंगा ही हैं. हां भोगोलिक द्रस्टी से आप उन्हें दूसरे नाम से भी पुकार सकते हो. धन्यवाद, वन्देमातरम.
प्रवीण जी,
यह पोस्ट मुझे आपकी अब तक की सारी पोस्ट्स में सबसे अच्छी लगी. बद्रीनाथ जी पर पहले भी पोस्ट्स पढ़ीं हैं लेकिन आपने जितने अच्छे तरीके से दर्शन करवाए वह काबिले तारीफ़ है. लेख बहुत ही अच्छे तरीके से लिखा गया है और तस्वीरों की तो जितनी तारीफ़ की जाए कम है, बद्रीनाथ के एकसाथ इतने सारे तथा इतने ख़ूबसूरत फ़ोटोज़ पहली बार देखने को मिले….मन प्रसन्न हो गया. आज सुबह सुबह घर बैठे बदरीनाथ जी के दर्शन हो गए…………..आपको बहुत बहुत धन्यवाद. मेरी और से इस पोस्ट के लिए आपको 100 /100.
मुकेश जी जय बद्री विशाल, पोस्ट की प्रशंसा करने के लिए धन्यवाद. मेरी कोशिस यही रहती हैं की फोटो ज्यादा से ज्यादा हो, क्योंकि फोटो से ही उस स्थान की नैसर्गिक सुंदरता का पता चलता हैं. पुनः धन्यवाद, वन्देमातरम
बहुत ही अच्छी पोस्ट है प्रवीण. फोटो भी बहुत ही सुंदर हैं. ‘सुबह सुबह बर्फ से ढकी पहाड़ी के पीछे से उगते सूर्यदेव’ वाला फोटो तो बहुत ज्यादा अच्छा है.
धन्यवाद दीपेंद्र जी, जय बद्री विशाल, वन्देमातरम
प्रवीण जी ,
आज एकादशी के दिन आपने भगवान विष्णु के दर्शन करवाए साथ में एक धाम की यात्रा भी हो गई आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
आपने लिखा भी बहुत अच्छे से और फोटो की क्या बात करे बड़े ही खुबसुरत हैं .
धन्यवाद .
कविता जी बहुत बहुत धन्यवाद, जय बद्री विशाल, वन्देमातरम
Praveen Ji… Jai Badri Vishal… Abhi muje shri Badrinath se wapas aaye huye ek mahina bhi nahi hua hai…Apne phir se yaad taaza kar di… Bahut badiya… Thank you…
हरीश जी जय बद्री विशाल, धन्यवाद बहुत बहुत.
बद्रीनाथ धाम के सुंदर फोटो …………..बद्री विशाल बाबा के दर्शनो की मै अपनी याद कभी नही भूल सकता ………..झरने और बर्फ से ढके पहाडो के फोटो काफी सुंदर है और मंदिर के पीछे यही दृश्यावली इस धाम को और भी आकर्षक बनाती है । ………पारिवारिक फोटो कुछ कम ही हों तो अच्छा है
धन्यवाद मनु जी, पारिवारिक फोटो मैं तो कम से कम रखने की कोशिश करता हूँ, धन्यवाद, वन्देमातरम
प्रवीण जी, काफी सटीक लेख है जिसमे आपने सही समय में जय बद्री के यात्रा कराई और सभी ज़रूरी जानकारियां भी दी , धन्यवाद | फोटोस तो कमाल के हैं | बच्चों ने गार्ड साहब से क्या कहा ये हमें भी बताएं तो हम भी कोशिश करेंगे | वैसे श्री बद्रीनाथ जाने के लिए, कम भीड़ वाला कौन सा समय रहता है ?
नंदन जी बहुत बहुत धन्यवाद, जय बद्री विशाल. नंदन जी बच्चो ने गार्ड साहब से जाकर के ये बोला था, की हमें कल दिल्ली से जहाज की उड़ान पकडनी हैं, हमारी फ्लाईट निकल जायेगी. थोडा सा हमें मज़बूरी में ये बोलना पड़ा था. पर बच्चो को तो भगवान जी माफ करते हैं. बदरीनाथ जी जाने के लिए वैसे तो इस समय भीड़ भाड़ नहीं मिलेगी, परन्तु इस समय उधर बारिश रोज हो रही हैं. रास्ते १५ -२० घंटो के लिए जाम हो रहे हैं. क्योकि लैंड स्लाईड बहुत हो रहा हैं. सितम्बर से अक्टूबर तक मौसम खुल जाता हैं विशेषकर अक्टूबर में जाना ठीक रहेगा. और भीड़ भी नहीं मिलेगी.
Jai Badri Vishaal, Praveen bhai.
Thanks for the darshan of the Badri Dham, Varnan hamesha ki tarah laajawaab hai. Afsos ki baat yeh hai ki I am unable to see the pictures. All I can see is a black background with an exclamation mark enclosed within a triangle. Maybe it means that the server is down. Shall come back later to see if the pictures get loaded.
नारायण जी धन्यवाद, श्रीमान जी फोटोस एक तकनिकी कमी की वजह से गायब हो गए हैं. जल्दी ही आप को देखने को मिलेंगे. धन्यवाद, वन्देमातरम….