कोई कितना à¤à¥€ दावा कर ले समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ का किनà¥à¤¤à¥ पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ का हिसà¥à¤¸à¤¾ है ये à¤à¥‚ल जाते है अकà¥à¤¸à¤° हम और दारà¥à¤œà¤¿à¤²à¤¿à¤‚ग गंगटोक घूम के पूरà¥à¤µ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° à¤à¥à¤°à¤®à¤£ का à¤à¥à¤°à¤® पाल लेते है जब कि असल में पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ नà¥à¤¯à¥‚ जलपाईगà¥à¤¡à¤¼à¥€ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के बाद शà¥à¤°à¥‚ होती है।
पिछले 35 वरà¥à¤·à¥‹ के दौरान लगà¤à¤— हर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° दो दो कà¥à¤› तीन बार घूम चà¥à¤•ने के बावजूद à¤à¤• कसक मन में थी ही कि कब आसाम मेघालय अरà¥à¤£à¤¾à¤šà¤² नागालैंड आदि जाने का मौका मिलेगा?
दो बार पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¥€ किया पर पहली बार पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक आपदा ने तो दूसरी बार राजनीतिक गतिरोध ने पà¥à¤²à¤¾à¤¨ चौपट कर दिया था।
तीसरी बार संयोग यॠहà¥à¤† कि साले साहब बीà¤à¤¸à¤à¤¨à¤à¤² में उचà¥à¤š पद पर पदोनà¥à¤¨à¤¤ होकर नागालैंड में नियà¥à¤•à¥à¤¤ किये गये à¤à¤µà¤‚ उनकी इस नियà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ का लाठहमे यह मिला कि हम उनके मेहमान बनने का सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ देखने लगे। फिर à¤à¥€ à¤à¤• और बार पà¥à¤²à¤¾à¤¨ निरसà¥à¤¤ करना ही पड़ गया था।
टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ से माठगंगा का दरà¥à¤¶à¤¨ : पहला /दूसरा दिन (रवि/सोम)
पर अंततः वो शà¥à¤ दिन आ ही गया और à¤à¤²à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¥€ कामखà¥à¤¯à¤¾ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में इटारसी से 35 घंटे का सफ़र शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†à¥¤ पहली ही बार पूरà¥à¤µà¥€ उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ और बिहार के रासà¥à¤¤à¥‡ रेल का सफ़र था और बहà¥à¤¤ कà¥à¤› नकारातà¥à¤®à¤• बाते सà¥à¤¨ रखी थी इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के बारे में पर बाद में सà¤à¥€ गलत साबित हà¥à¤ˆà¥¤ दà¥à¤¸à¤°à¥‡ दिन सà¥à¤¬à¤¹ मिरà¥à¤œà¤¼à¤¾à¤ªà¥à¤° मà¥à¤—लसराय के बाद पटना के दानापà¥à¤° और पाटलिपà¥à¤¤à¥à¤° सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ तक निरà¥à¤¬à¤¾à¤§ सफ़र हà¥à¤†à¥¤ पाटलिपà¥à¤¤à¥à¤° नवनिरà¥à¤®à¤¿à¤¤ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ था और इसके आगे गंगा नदी पर लगà¤à¤— 7 किमी लमà¥à¤¬à¤¾ रेल कम सड़क पà¥à¤² से टà¥à¤°à¥‡à¤¨ निकली और à¤à¤¸à¥€ कोच की बंद खिड़की से देखने में दृषà¥à¤Ÿà¥€ बाधित हो रही थी तो दरवाजे पर खड़े होकर विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ गंगा का विहंगम दृशà¥à¤¯ देखा (हालाà¤à¤•ि ये नही करना चाहिठकिसी को à¤à¥€,खतरनाक है ये)।पानी से à¤à¤°à¥€ गंगा उसमे तैरती नावे देखने में इतने मशगूल हो गये की फोटो लेने का à¤à¤¾à¤¨ नही रहा। आगे सोनपà¥à¤° में फिर गंगा की सहायक नदी से à¤à¥€ गà¥à¤œà¤°à¥‡ और शायद ये गंगा का ही पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª होगा की मन इतना पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ था की लिखा नही जा सकता।
पटना के बाद इस उचà¥à¤š शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ की गाडी के साथ दोयम दरà¥à¤œà¥‡ की तरह वरà¥à¤¤à¤¾à¤µ शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†,सवारी गाडी तक के लिठइसे रोकने का सिलसिला जो शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† उसकी परिणिति 3 घंटे की देरी से कामखà¥à¤¯à¤¾ पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ में हà¥à¤ˆ पर इसमें लगà¤à¤— सà¤à¥€ यातà¥à¤°à¥€ खà¥à¤¶ ही थे कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि सही समय सà¥à¤¬à¤¹ 4.25 का था जो की असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤œà¤¨à¤• था और 7.30 तक सबकी नींद पूरी हो चà¥à¤•ी थी।
यहां से कहाठजाये: तीसरा दिन (मंगल)
दोपहर 2 बजे कामखà¥à¤¯à¤¾ से दीमापà¥à¤° (नागालैंड) पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ का रिजरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ था किनà¥à¤¤à¥ कà¥à¤› तो अपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ होना ही था पिछली दो बार की तरह ।
तो इस बार महिला चà¥à¤¨à¤¾à¤µ आरकà¥à¤·à¤£ के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर नागालैंड में अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ कालीन हड़ताल और बंद का आवà¥à¤¹à¤¾à¤¨ था अतः नागालैंड यातà¥à¤°à¤¾ रदà¥à¤¦ करना पड़ी ,उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ पे पानी फिर गया था और कà¥à¤› सूठनही रहा था कि अब कà¥à¤¯à¤¾ किया जाà¤? तà¤à¥€ à¤à¤• विचार आया की कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न रातà¥à¤°à¤¿ की टà¥à¤°à¥‡à¤¨ से ईटानगर जाया जाà¤à¥¤à¤‡à¤¸ तरह अरà¥à¤£à¤¾à¤šà¤² पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ जाने का लाठलिया जाà¤à¥¤ गà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾à¤Ÿà¥€ से ईटानगर के लिठ2 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ ही रेल सेवा की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ हà¥à¤ˆ है और टà¥à¤°à¥‡à¤¨ नहारलागà¥à¤¨ तक जाती है जो ईटानगर का ही हिसà¥à¤¸à¤¾ है।
(यहाठये बताना आवशà¥à¤¯à¤• है कि अरà¥à¤£à¤¾à¤šà¤² पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ हेतॠइनर लाइन परमिट लेना सà¤à¥€ के लिठअनिवारà¥à¤¯ है और ये ऑनलाइन à¤à¥€ मिलता है तथा सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पे उतर के पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर à¤à¥€ इसे जारी करने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है,आपको अपना परिचय पतà¥à¤° आधार पैन कारà¥à¤¡ और 2 फोटो साथ रखना चाहिà¤à¥¤
साले साहब के à¤à¤• परिचित की सहायता से हमे परमिट मिलने में कोई परेशानी नही आयी।)
अब गौहाटी में पूरा दिन गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¨à¤¾ था तो सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ आदि से निवृत हो के नाशà¥à¤¤à¤¾ किया और विशाल बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤¤à¥à¤° के किनारे पहà¥à¤š गये। पहली बार देखा और सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ रह गये,अब तक गंगा ही हमारे लिठसबसे बड़ी नदी थी किनà¥à¤¤à¥ ये उससे à¤à¥€ बड़ी मालूम पड़ी जो की सही à¤à¥€ था गंगा की कà¥à¤² लमà¥à¤¬à¤¾à¤ˆ 2525 किमी है जबकि बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤¤à¥à¤° 2900 किमी लमà¥à¤¬à¥€ है और इसका पाट à¤à¥€ गंगा के मà¥à¤•ाबले काफी चौड़ा है।हालाà¤à¤•ि इसका बहà¥à¤¤ कम à¤à¤¾à¤— ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ से बहता है जबकि गंगा अधिकतम कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से बहती है।
खैर,किनारे पर ही नदी पार कराने वाले बजरे (बड़ी सी नाव)दिखाई पड़े जो मोटर साइकिल सà¥à¤•ूटर आदि à¤à¥€ à¤à¤• किनारे से दà¥à¤¸à¤°à¥‡ किनारे पहà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥‡ थे।(गोवा की याद आ गयी) दस रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का टिकट लेके हमने नदी पार की।नदी के मधà¥à¤¯ में टापू बन गये थे और इनपे मंदिर à¤à¥€ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ कर दिठगये थे जिसके लिठअलग बोट से जाना होता था।हमने à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤¤à¥à¤° पार की और दà¥à¤¸à¤°à¥‡ किनारे से इसी तरह लौट à¤à¥€ आये।
लंच किया और कामखà¥à¤¯à¤¾ तक की 40 घंटे की यातà¥à¤°à¤¾ ने थका दिया था तो गेसà¥à¤Ÿ हाउस पहà¥à¤š के आराम किया। सायंकाल वहा का पलà¥à¤Ÿà¤¨ बाज़ार देखा जो हर शहर के सामानà¥à¤¯ बाज़ार की तरह à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤¡à¤¼ शोरगà¥à¤² à¤à¤°à¤¾ था।
रातà¥à¤°à¤¿ में इंटरसिटी में बैठकर निकल पड़े ईटानगर की ओर।
ईटानगर की सैर :चौथा दिन (बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤°)
सà¥à¤¬à¤¹ 5 बजे पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ वाली टà¥à¤°à¥‡à¤¨ 4.30 पर ही पहà¥à¤š गयी पर हलà¥à¤•ा सा उजाला होना शà¥à¤°à¥‚ हो चूका था,(इस à¤à¤¾à¤— में सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ काफी जलà¥à¤¦à¥€ होता है)
हमारे मेजबान परमिट ले के इंतज़ार कर रहे थे..सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• रूप से काफी ठणà¥à¤¡ थी यहाà¤à¥¤à¤šà¥‡à¤•िंग आदि फॉरà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¿à¤Ÿà¥€ पूरी करके लगà¤à¤— 8 किमी दूर ईटानगर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गेसà¥à¤Ÿ हाउस पहà¥à¤š गये। à¤à¤• पहाड़ी छोटा सा किनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° शांत नगर राजà¥à¤¯ की राजधानी जहा 2 साल पहले तक रेल à¤à¥€ नही थी सिरà¥à¤« बस या हेलीकापà¥à¤Ÿà¤° ही पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ का साधन था।
सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ पशà¥à¤šà¥à¤¯à¤¾à¤¤ 10 बजे शहर से लगà¤à¤— 6 किमी की दूरी पर à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सी जगह है गंगा लेक( सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में Gyakar Sinyi )(à¤à¥€à¤² के साथ à¤à¤• मिथक जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है कि यह à¤à¥€à¤² शापित है और रात के समय कोई à¤à¥€ इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर जाने की हिमà¥à¤®à¤¤ नही करता) …à¤à¤• पहाड़ ऊपर के अंतिम सिरे पर à¤à¤• à¤à¥€à¤² है जहा घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° रासà¥à¤¤à¥‹ से होके पंहà¥à¤šà¤¾ जाता है। (इस शहर में दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ तक पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ के लिठपरà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ विà¤à¤¾à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किसी तरह के दैनिक टूर आदि की कोई वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ नही है अतः आपको सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अपनी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ करनी पड़ेगी। हम à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ थे की हमारे मेजबान ने डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° सहित अपनी गाडी दो दिन के लिठहमारे हवाले कर दी थी) तो हम उकà¥à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पहà¥à¤šà¥‡ और थोडा पैदल रासà¥à¤¤à¤¾ पार कर ऊपर जा के देखा तो अतà¥à¤¯à¤‚त मनमोहक दृशà¥à¤¯ दिखाई दिया। चारो तरफ पहाड़ और बीचोबीच à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सà¥à¤µà¤šà¥à¤› à¤à¥€à¤²à¥¤ à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था किसी ने à¤à¤• विशाल कटोरे में पानी à¤à¤° के पहाड़ी पर रख दिया है। चारो तरफ इतनी शांतता शहरों में तो अब संà¤à¤µ नही रही। अलग अलग चिडियों की आवाज़े ही इस शांति को à¤à¤‚ग कर रही थी किनà¥à¤¤à¥ वो à¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤‚त मनमोहक लग रही थी। वहा इतनी सफाई थी जैसे कà¤à¥€ इंसान के पाà¤à¤µ नही पड़े। पर यहाठकाफी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• आते है और सà¥à¤µà¤›à¤¤à¤¾ का à¤à¥€ ख़याल रखते है à¤à¤¸à¤¾ दिखा। पैडल बोट à¤à¥€ चलती है। कोई सà¥à¤µà¤²à¥à¤ªà¤¾à¤¹à¤¾à¤° इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ की दà¥à¤•ाने ना होने से à¤à¥€ रैपरà¥à¤¸ या कैन या बोतलें आदि कचरा फेके जाने की गà¥à¤‚जाइश नही थी।लगà¤à¤— तीन चार घंटे बिताये और ये अहसास हà¥à¤† की हम यहाठहमेशा नही बैठे रह सकते अतः मन मार के उठे और इतनी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° जगह देखने के बाद कà¥à¤› और देखने का मन नही था तो वापस गेसà¥à¤Ÿ हाउस आ गये।

बौदà¥à¤§ मंदिर और अनà¥à¤¯ जगह : पांचवा दिन (बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤°)
ईटानगर में विशेष कà¥à¤› देखने लायक सà¥à¤ªà¥‰à¤Ÿà¥à¤¸ नही है सिरà¥à¤« राजधानी शहर होने से परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• à¤à¥€ अधिक नही आते। जिरो और तवांग जैसी जगह ही अधिक लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ है जो ईटानगर की अपेकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾à¤Ÿà¥€ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ करीब है। इसके अलावा परमिट लगने की वजह à¤à¥€ विकरà¥à¤·à¤£ की à¤à¤• वजह मालूम पड़ती है। परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को à¤à¤‚à¤à¤Ÿ का काम नही चाहिठहोता है जब वे वेकेशन पर हो तब।
आज लोकल सà¥à¤ªà¥‰à¤Ÿ के लिठनिकले और सबसे पहले à¤à¤• बौदà¥à¤§ मंदिर देखने गये।
यहाठबौदà¥à¤§ à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥à¤“ के लिठधà¥à¤¯à¤¾à¤¨ उपासना की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है।
अगला सà¥à¤¥à¤² था जवाहरलाल नेहरॠमà¥à¤¯à¥‚जियम जहा अरà¥à¤£à¤¾à¤šà¤² की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ जनजातियो का रहन सहन खान पान आदि विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¯ à¤à¤¾à¤•ियो के माधà¥à¤¯à¤® से दरà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤¾ गया है।
दो मंजिला इस मà¥à¤¯à¥‚जियम के दà¥à¤¸à¤°à¥‡ तल पर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ जनजाति के लोगो दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पहने जाने वाले वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹ और आà¤à¥‚षणो को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ किया गया है। वही परà¥à¤µà¤¤à¤¾à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¯à¥‹ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उपयोग में लाये जाने वाले उपकरणों व अतà¥à¤¯à¤‚त शीत की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में धारण किये जाने वाले विशेष वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹ का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ किया गया है जो की मेरे रूचि से मेल खा रहा था इसलिठअधिक दिलचसà¥à¤ª लगा।

आज के अंतिम सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के दरà¥à¤¶à¤¨ यहाठदेश की नवीनतम बà¥à¤¦à¥à¤§ मोनेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ था जिसे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ शà¥à¤°à¥€ दलाई लामा ने उदघाटित किया था। दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ मठऔर बाहर à¤à¤• सà¥à¤¤à¥‚प।
सà¤à¥€ बौदà¥à¤§ मठो में à¤à¤• अलग तरह की शांतता महसूस होती है जो यहाठà¤à¥€ थी।
अब हमारा ईटानगर का सफ़र समापà¥à¤¤ होने को था। रात 10 बजे नहारलागà¥à¤¨ से गà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¾à¤Ÿà¥€ की टà¥à¤°à¥‡à¤¨ लेंगे और सà¥à¤¬à¤¹ वही से सीधे मेघालय की राजधानी शिलोंग पहà¥à¤šà¥‡à¤‚गे जिसे सà¥à¤•ॉटलैंड ऑफ़ द ईसà¥à¤Ÿ à¤à¥€ कहते है।
उसका वरà¥à¤£à¤¨ अगले à¤à¤¾à¤— में|







Thank you for sharing your trip to less known but beautiful places in North East part of India.
Thanks for liking my posts.there are so many amazing places in north east which are interesting but out of way.I try to describe in details.
respected sanjeev ji ….इस पà¥à¤² को अनावशà¥à¤¯à¤• रूप से लंबा करने के लिये दानापà¥à¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में खास तौर पर रेल मारà¥à¤— को घà¥à¤®à¤¾à¤¯à¤¾ गया है ताकि जितना बड़ा संà¤à¤µ हो सके, उतना बड़ा पà¥à¤² बनाया जाये ….Is bare mein yah kahna chahta hoon ki darasal jis pul ki baat ki ja rahi hai wo jaroori tha. kyonki is line ko Gorakhpur se patna ke liye jodana uddeshya tha. isliye patliputra se hote hue ise joda gaya.
Aap jab Gorakhpur ya Chhapara se patna jana chahenge to aapko ya to Hazipur se utarana hoga ya phir Darbhanga hote hue wapas Patna aana padega. Agle pul mein bhi nischit roop se doharaikaran jaisi baat hogi. ise corruption se jodna sahi nahi hoga. vartman mein hajipur aur Patna sthith desh ka sabse lamba pul ek hisse mein kshtigrasta hai lihaja us pul se awagaman ho raha hai. Thanks Sir. Naye sudoor kshetra ke darshan karane ke liya dhanyawad.
पà¥à¤°à¤¿à¤¯ संजीव जोशी जी, आपकी ये पोसà¥à¤Ÿ पॠकर मन बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ सबसे पहली बात तो ये कि जैसे ही आपने गंगा सेतॠका ज़िकà¥à¤° किया तो मैं पोसà¥à¤Ÿ बीच में ही रोक कर विकिपीडिया और गूगल मैपà¥à¤¸ पर इस सेतॠके बारे में जानकारी लेने के लिये पहà¥à¤‚च गया। मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ लगा कि इस पà¥à¤² को अनावशà¥à¤¯à¤• रूप से लंबा करने के लिये दानापà¥à¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में खास तौर पर रेल मारà¥à¤— को घà¥à¤®à¤¾à¤¯à¤¾ गया है ताकि जितना बड़ा संà¤à¤µ हो सके, उतना बड़ा पà¥à¤² बनाया जाये (और उसमें उतना ही बड़ा बजट हो और उतना ही अधिक कमीशन खाया जा सके !) यही कारण है कि ये पà¥à¤² सिरà¥à¤« दोनों पाटों को मिलाता नहीं है, गंगा के ऊपर – ऊपर धारा के साथ-साथ चलता है !!!
खैर, पà¥à¤² के बारे में जब मेरी R&D पूरी हà¥à¤ˆ तो वापिस पोसà¥à¤Ÿ पर आया और उसे अनà¥à¤¤ तक पà¥à¤¾à¥¤ ईटानगर की गंगा लेक का वरà¥à¤£à¤¨ काफी रà¥à¤šà¤¿à¤•र रहा, पर à¤à¥€à¤² की खूब सारी फोटो देखने की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ पूरी नहीं हो सकी। मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ पिछले वरà¥à¤· पूरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° के कà¥à¤› हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ (प. बंगाल, सिकà¥à¤•िम, मेघालय और आसाम) के दरà¥à¤¶à¤¨ का लाठमिला अतः कह सकता हूं कि जहां मां पà¥à¤°à¤•ृति ने दिल खोल कर इन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को नैसरà¥à¤—िक सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ का दान दिया है, वहीं इन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर आम जनता à¤à¥€ साफ-सफाई को लेकर काफी जागरà¥à¤• है। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सरकारों ने à¤à¥€ इस दिशा में काफी सखà¥à¤¤à¥€ की हà¥à¤ˆ है, खासकर सिकà¥à¤•िम में !
मेरे विचार से आपने अà¤à¥€ इससे अगला à¤à¤¾à¤— नहीं लिखा है, शिलॉंग के बारे में पà¥à¤¨à¥‡ की खासी उतà¥à¤¸à¥à¤•ता है। सादर,
सà¥à¤¶à¤¾à¤¨à¥à¤¤ सिंहल
Dear mr singhal.
मà¥à¤à¥à¤° à¤à¥€ आपका कथन उचित मालूम पड़ा जब दूसरी तरफ रेल लाइन के साथ à¤à¤• और पà¥à¤² बनता दिखा जो की अनावशà¥à¤¯à¤• रूप से लमà¥à¤¬à¤¾ था जबकि उसकी जगह सड़क à¤à¥€ बनायीं जा सकती थी।
आपको पोसà¥à¤Ÿ अचà¥à¤›à¥€ लगी धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤
अगला à¤à¤¾à¤— à¤à¥€ पूरà¥à¤£ है उमà¥à¤®à¥€à¤¦ है आपको शीघà¥à¤° ही पढने को मिलेगा।
Fortune favours the brave. So finally, after all the hiccups you did manage to experience the east in the most relaxed and engaging (rail journey) way.
I have been to Gangtok, Guwahati, Kaziranga, Majuli and Shillong. But still If you ask me, I feel that I have not see the NE at all. I belong to Bihar and I have been to Kolkata, Jharkhand multiple times, still I guess I have seen only a little of East and even less of NE.
Thank you Mr. Joshi for showing us around. I agree that the extra step of ILP is a friction which we should find ways to eliminate. I was reading that Hon’ble Dalai Lama is going to visit Arunanchal to visit a Monastery. May be it is the same one as you mentioned.
Looking forward to read about Shillong.