दकà¥à¤·à¤¿à¤£ में पाà¤à¤µ पाà¤à¤µ पर पà¥à¤°à¤à¥ अपने साकार रूप में विराजमान है. कहीं à¤à¥€ निकल पड़िà¤, शà¥à¤²à¥‹à¤• उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£, मंदिर की घंटी, नाद के सà¥à¤µà¤°, हाथों में पूजन सामगà¥à¤°à¥€ और मà¥à¤– पर पà¥à¤°à¤à¥-दरà¥à¤¶à¤¨ का à¤à¤¾à¤µ लिठआपको शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ निरंतर दिखाई देंगे। पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ मंदिरों की तो बात ही कà¥à¤¯à¤¾ करनी, यहाà¤-वहाठबने छोटे छोटे मंदिर à¤à¥€ आपको à¤à¤¾à¤µ में डà¥à¤¬à¥‹à¤¨à¥‡ में सकà¥à¤·à¤® हैं. à¤à¤¸à¤¾ ही à¤à¤• मंदिर है à¤à¥‹à¤—-ननà¥à¤¦à¥€à¤¶à¥à¤µà¤°, बंगलोर के निकट ही, नंदी हिलà¥à¤¸ नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पहाड़ी की तलहटी में.
नवीं सदी में बने इस मंदिर में पहà¥à¤‚चने पर तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ वहां विराजमान देखकर बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को समठआ गया कि à¤à¤—वान शिव का मंदिर है. और ये à¤à¥€ कि ननà¥à¤¦à¥€à¤¶à¥à¤µà¤°à¤¾ का अरà¥à¤¥ है नंदी के ईशà¥à¤µà¤°à¥¤ किनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• बालिका को तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ कान में कà¥à¤› कहता देख अचरज़ हà¥à¤†. कौतूहल जगा.
कथा है कि देवी पारà¥à¤µà¤¤à¥€ à¤à¤• समय सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ खो बैठी। शिव जी वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ हो उठे. धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में चले गà¤. तà¥à¤® कैसे अपने आराधà¥à¤¯ को अकेले छोड़ते। तà¥à¤® à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥€ के सामने धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में बैठगà¤. जलंधर नाम के असà¥à¤° ने मौका पाकर देवी का अपहरण कर लिया। अब देवो में à¤à¤¯ जगा. कौन ये बात शिव जी को बताये। गणेश जी को शिवजी को यह कारà¥à¤¯ सौंपा गया. किनà¥à¤¤à¥ वे शिवजी को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से डिगा न सके. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ à¤à¥€ शिवजी के सामने धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤°à¤¤ देखा। à¤à¤Ÿ से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ कान में मां के अपहरण की सूचना डाल दी. जो à¤à¤•à¥à¤¤ सो ही à¤à¤—वन। तà¥à¤® और शिव वà¥à¤¯à¤¾à¤•ृत में तो दो हो, किनà¥à¤¤à¥ हो तो à¤à¤• ही. जो तà¥à¤®à¤¨à¥‡ सà¥à¤¨à¤¾ वही धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤—à¥à¤¨ शिवजी ने सà¥à¤¨à¤¾à¥¤ और उठखड़े हà¥à¤ वो देवी पारà¥à¤µà¤¤à¥€ को बचाने। शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ में असà¥à¤° जलंधर की à¤à¤• अलग कथा है. किनà¥à¤¤à¥ ये कथा मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ ने à¤à¤¾à¤µ से सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ जो मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤•र लगी. सो मेरे लिठतो यही कथा है.
तà¤à¥€ से तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ कान में अपनी बात कहने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ चल पड़ी.
तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ देखकर ही मेरे बचà¥à¤šà¥‡ अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगते हैं कि यह तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ आराधà¥à¤¯ देव शिव जी का मंदिर है. फिर वो धीरे धीरे तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल, डमरू, नाग और अनà¥à¤¯ लकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ ढूंढ लेते हैं. अब तà¥à¤® तो जानते ही हो की इन सदियों पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ पाषाण के बने मंदिरों में राजा रवि वरà¥à¤®à¤¾ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ कैलेंडर कला वाली देव रूपों का निरूपण नहीं। ये तो शिलà¥à¤ª-शासà¥à¤¤à¥à¤°, पà¥à¤°à¤¾à¤£, वेदोचित नियम में बने पà¥à¤°à¤à¥ के निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है. तो अà¤à¥€ बचà¥à¤šà¥‡ सीख ही रहे हैं और तà¥à¤®à¤¸à¥‡ अधिक कौन जटाजूटधारी का परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ होगा? अब वे तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ और हमारे, सà¤à¥€ के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के कà¥à¤› अनà¥à¤¯ रूपों जैसे नटराज, à¤à¥ˆà¤°à¤µ, उमा-महेशà¥à¤µà¤°, अरà¥à¤§-नारीशà¥à¤µà¤°, को à¤à¥€ पहचान लेते हैं.
बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में खेती, पशà¥à¤“ं का महतà¥à¤µ होने, पशà¥à¤“ं की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठà¤à¤• पशà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤¥ के गढन जैसी अनेक बातों से à¤à¤—वान शिव के साथ जोड़ते है.
इतिहासकार तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ 3000 ईसा पूरà¥à¤µ की मोहनजोदाड़ो की पशà¥à¤ªà¤¤à¤¿ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾/सील से जोड़ते है, कहते हैं कि ये पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤® निरूपण है हिनà¥à¤¦à¥‚ माइथोलॉजी का. फिर देखते हैं वो तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ कà¥à¤·à¤¾à¤£ काल में जारी सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ तथा कांसà¥à¤¯ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤“ं में जहाठतà¥à¤® खड़े हो अपने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के साथ. वही कà¥à¤·à¤¾à¤£à¤•ाल जिसका à¤à¤• अति पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ नरेश था कनिषà¥à¤• (१२à¥-१५० AD ), जिसने चौथी बौदà¥à¤§ कौंसिल का नेतृतà¥à¤µ किया था कशà¥à¤®à¥€à¤° में, और बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® का विधिवत विà¤à¤¾à¤œà¤¨ हà¥à¤† हीनयान और महायान में. उसके सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की विशालता का à¤à¥€ इतिहास है, जो फैला था उजà¥à¤¬à¥‡à¤•िसà¥à¤¤à¤¾à¤¨, तजाखसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ , अमू दरया और पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मथà¥à¤°à¤¾ तक, लेकिन उसकी आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• गहराई à¤à¥€ बखानी गई है इतिहास में. तमिलनाडॠके पलà¥à¤²à¤µ वंश के तो राजकीय चिनà¥à¤¹ थे तà¥à¤®. काल के गà¥à¤°à¤¾à¤¸ में सब गà¤, पर तà¥à¤® बचे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि तà¥à¤® तो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सà¥à¤¥à¤¿à¤° हो अपने इषà¥à¤Ÿ में.
पà¥à¤°à¤¾à¤£ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° तà¥à¤® ऋषि शिलाद के पà¥à¤¤à¥à¤° हो जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ की कठिन तपसà¥à¤¯à¤¾ से शिव को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ कर तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ पाया। नाम रखा नंदी। कà¥à¤› वरà¥à¤· बाद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤† तà¥à¤® अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ हो और डूब गठवे शोक में. तà¥à¤®à¤¸à¥‡ देखा न गया और फिर तà¥à¤®à¤¨à¥‡ किया शिव जी को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ अपने तप से और पाया अमरतà¥à¤µ का वरदान। यह à¤à¥€ की तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ à¤à¥€ पूजा जायेगा उनके साथ. तब से आज तक तà¥à¤® उनके साथ ही हो सरà¥à¤µà¤¦à¤¾à¥¤
फिर आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जन तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ शिव के अवà¥à¤¯à¤¾à¤•ृत रूप का वà¥à¤¯à¤¾à¤•ृत पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‚प कहते हैं. उनके अनà¥à¤°à¥‚प तà¥à¤® जीवातà¥à¤®à¤¾ को रà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हो जिसे सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ अपने परमेशà¥à¤µà¤° पर लकà¥à¤·à¤¿à¤¤ होना चाहिà¤à¥¤
फिर आते हैं सरà¥à¤µ-साधारण और उनका à¤à¤¾à¤µà¥¤ वो किसी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾, वाद-विवाद, पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤-अपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ से नहीं उपजता। वो उपजता है कथा-किवदंती से, यानि हà¥à¤°à¤¦à¤¯ के तार छूने से.
कहते हैं की तà¥à¤® दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤ªà¤¾à¤² हो शिवजी के इसलिठतà¥à¤®à¤¸à¥‡ अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ लेनी जरूरी है, तà¤à¥€ शिवालय में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ संà¤à¤µ है. इसी के चलते लोग पà¥à¤°à¤¥à¤® तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं, तब शिव जी के दरà¥à¤¶à¤¨ को मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते है. मà¥à¤à¥‡ रूचता है इसका अलग à¤à¤¾à¤µà¤°à¥‚प। à¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¤—वान से पà¥à¤°à¤¥à¤® है. à¤à¤•à¥à¤¤ नहीं तो à¤à¤—वन कहाठनिवास करेंगे? और तà¥à¤® से बड़ा à¤à¤•à¥à¤¤ कौन? सदा सजग, अविचल à¤à¤¾à¤µ से बैठते हो अपने देव के समकà¥à¤·, गà¥à¤°à¥à¤®à¥à¤– à¤à¤¾à¤µ से, आदेश होते ही करà¥à¤® करने को ततà¥à¤ªà¤°à¥¤ तो पहले तो तà¥à¤® ही वंदनीय हो कि तà¥à¤® सरीखे हम à¤à¥€ बन पाà¤. फिर à¤à¤• अलग à¤à¤¾à¤µ और à¤à¥€ है. अà¤à¥€ इतनी सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ नहीं कि पà¥à¤°à¤à¥ से साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ दरà¥à¤¶à¤¨ को सह पाà¤à¤‚, तो पहले गà¥à¤°à¥ यानि à¤à¤—वनà¥à¤®à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤ के साथ तार जोड़े। इसलिठà¤à¥€ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ पहले पूजते हैं हम.
इस दूसरे à¤à¤¾à¤µ को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· देखा है मैंने दकà¥à¤·à¤¿à¤£ आकर. कà¥à¤› तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ दाईं और खड़े होकर अपने बाठहाथ की तरà¥à¤œà¤¨à¥€ व अनूठे से तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ सींगो के ऊपर à¤à¤• कोणीय मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ बनाते है और उसमे से à¤à¤—वान शिव के पà¥à¤°à¤¥à¤® दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· नहीं।
अनेको मंदिरों में तो तà¥à¤® इस तरह सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो की मकर-संकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के दिन सूरà¥à¤¯à¤¦à¥‡à¤µ की रशà¥à¤®à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ सरà¥à¤µ-साधारण की ही तरह , तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ सींगों के मधà¥à¤¯ से होकर ही शिवलिंग को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करती है.
लेपाकà¥à¤·à¥€ गठथे हम तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤• ही शिला से गà¥à¥€ सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• विशाल मूरà¥à¤¤à¤¿ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने।
हैलेबिडॠकी तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ छटा à¤à¥€ कà¥à¤› कम नहीं। न सिरà¥à¤« विशाल अपितॠहोयसाला वंश के मूरà¥à¤¤à¤¿à¤•ारों के हाथों से आà¤à¥‚षित अनà¥à¤ªà¤® वैà¤à¤µà¤¤à¤¾ में à¤à¥€ अपना दास à¤à¤¾à¤µ सहेज कर रख पाने में सफल.
फिर देखा तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ कंबोडिया में खंडित रूप में, समय या मनà¥à¤·à¥à¤¯, किसने किया ये जà¥à¤žà¤¾à¤¤ नहीं।
इस नवयà¥à¤— की à¤à¥€ अपनी ही मूà¥à¤¤à¤¾à¤à¤‚ हैं. तà¥à¤® bull हो, ox नहीं, ये तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ शिलामय मूरà¥à¤¤à¤°à¥‚प में पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤•ाल से दरà¥à¤¶à¤¿à¤¤ किया जाता है, scrotum दरà¥à¤¶à¤¾ कर. शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ उसे छूकर , फिर पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® कर, तब तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ कान में कà¥à¤› कहते हैं, अनà¥à¤¯ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ bull होने के साकà¥à¤·à¥à¤¯ को पूज कर ही शिवालय में जाते हैं. अब जो तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ कंकà¥à¤°à¥€à¤Ÿ, पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• आदि से बनाते है, वे तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ इस साकà¥à¤·à¥à¤¯ को बड़ी चतà¥à¤°à¤¾à¤ˆ से छोड़ देते हैं. देवदतà¥à¤¤ पटनायक ने कहा है -“In mythology, Shiva refuses to get married and be a householder. In other words, he refuses to get domesticated. But the Goddess appeals to him to marry her. Unless Shiva participates in worldly affairs, unless he serves her as a husband, children cannot be conceived and the world cannot be created. Shiva reluctantly agrees. He becomes the groom of the Goddess, but he is never the head of her household. He lives with her but is not the bread winner. He fathers children, but is not father to the children. Shakti becomes the autonomous matriarch. She becomes the cow, nourishing the world with her milk. He remains independent in spirit, refusing to be fettered by the ways of the world.â€
वाहन हो तà¥à¤® अपने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के किनà¥à¤¤à¥ तà¥à¤® तो इस तरह अपने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ में à¤à¤•निषà¥à¤Ÿ हो कि तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° रूप में à¤à¥€ पूजते हैं हम, ओ ननà¥à¤¦à¤¿à¤•ेशà¥à¤µà¤°à¤¾! और किसी देव-वाहन को यह गौरव पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं।
गणाधिपति के गणो के नायक हो, शिव के पà¥à¤°à¤¥à¤® शिषà¥à¤¯ हो, नाथ संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के सरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¥à¤“ं में से à¤à¤• हो.
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ इसी दृà¥à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ ा और शरणागत, सेवा को ततà¥à¤ªà¤° रहने के à¤à¤¾à¤µ की à¤à¤• अनà¥à¤¯ कथा à¤à¥€ बहà¥à¤¤ रसमयी है. à¤à¤• बार कैलाश नगरी में शिव-पारà¥à¤µà¤¤à¥€ पासे खेल रहे थे. पारà¥à¤µà¤¤à¥€ जी जीती पर जैसा की दांपतà¥à¤¯ जीवन में होता है, उनमे इस जीत पर वाद-विवाद हो गया. तà¥à¤® तो बैठे थे वहीà¤, सो तà¥à¤®à¤¸à¥‡ निरà¥à¤£à¤¯ देने को कहा. तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ शायद संसार की सीख जà¥à¤žà¤¾à¤¤ न थी- कि पति-पतà¥à¤¨à¥€ के à¤à¤—ड़ों में दूसरे न कूदें। तà¥à¤® कूदे और यह जानते हà¥à¤ à¤à¥€ की जीत पारà¥à¤µà¤¤à¥€ जी की हà¥à¤ˆ, तà¥à¤®à¤¨à¥‡ शिवजी को विजयी बता दिया। ये तà¥à¤®à¤¨à¥‡ दूसरी गलती की. कà¥à¤°à¥‹à¤§ में पारà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ रà¥à¤—à¥à¤£ होने का शà¥à¤°à¤¾à¤ª दिया।
तà¥à¤®à¤¨à¥‡ कà¥à¤·à¤®à¤¾ मांगते हà¥à¤ कहा कि तà¥à¤® अपने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ को पराजित नहीं कह सकते।
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ इस निषà¥à¤ ा से उनका मन पिघला और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ इस शà¥à¤°à¤¾à¤ª से छूटने का उपाय बताते जà¥à¤ कहा कि गणेश चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ पर तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ अपनी सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¿à¤¯ वसà¥à¤¤à¥ गणेश जी को à¤à¥‡à¤‚ट करनी होगी। तà¥à¤®à¤¨à¥‡ दूरà¥à¤µà¤¾ गणेशजी को à¤à¥‡à¤‚ट की. तà¤à¥€ से हम à¤à¥€ चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ को उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दूरà¥à¤µà¤¾ à¤à¥‡à¤‚ट करते हैं. मनà¥à¤·à¥à¤¯ बड़ा ही सयाना। दूरà¥à¤µà¤¾ तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ वसà¥à¤¤à¥ थी, तो हमें à¤à¥€ अपनी पà¥à¤°à¤¿à¤¯ वसà¥à¤¤à¥ ही चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€ को अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करनी थी. अहंकार से अधिक कà¥à¤¯à¤¾ और पà¥à¤°à¤¿à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को, उसे चà¥à¤¾ देते तो सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ पा जाते। à¤à¤¸à¤¾ जान पड़ता है अà¤à¤¾à¤—े रहना मनà¥à¤·à¥à¤¯ का अपना ही निरà¥à¤£à¤¯ है. कैसी मधà¥à¤° कथाà¤à¤‚ है, खजाने की और इंगित करती हैं, सैन बैन से समà¤à¤¾à¤¤à¥€ हैं, तरà¥à¤œà¤¨à¥€ से इंगित करती हैं, परनà¥à¤¤à¥ हम तो तरà¥à¤œà¤¨à¥€ को ही पकड़ कर बैठजाते हैं.
सà¥à¤¨à¥‹ नंदी!
राह कठिन है, पाà¤à¤µ पाà¤à¤µ बटमार।
तà¥à¤® सा जो हो रहे, पहà¥à¤‚चे आखिर पार.