२४ मारà¥à¤š २०१६ की बात है. रात का समय था. नाशिक-तà¥à¤°à¥ˆà¤®à¥à¤¬à¤•ेशà¥à¤µà¤° मारà¥à¤— पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ “संसà¥à¤•ृति होटल†में महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¨ खाने का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ ले रहा था. जमीन पर बैठकर खाना था. ठीक उसी तरह जैसे की आप चोखी-धानी (जयपà¥à¤°) में खाते है. परनà¥à¤¤à¥ यातà¥à¤°à¤¾ का आनंद à¤à¥€ अजीब मनोहारी होता है. खाने के दौरान महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¨ खाने के तौर तरीकों के साथ-साथ यातà¥à¤°à¤¾-पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग ही छिड़ा हà¥à¤† था. अब आगे कहाठजाना है इसी बात पर चरà¥à¤šà¤¾ हो रही थी. बातों ही बातों में सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गी देवी की बात शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ. यकीन मानिये की उस चरà¥à¤šà¤¾ के पहले मैंने à¤à¤¸à¥€ नाम की देवी के बारे में कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं सà¥à¤¨à¤¾ था. बस उतà¥à¤¸à¥à¤•ता हो गयी. अठारह à¤à¥à¤œà¤¾à¤“ं वाली वह देवी कौन-सी हैं? कैसा उनका सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª है? उनके मंदिर की à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ कैसी है? और, उसकी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ है? उन देवी का नाम “सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गी†कैसे पड़ा? इतनी उतà¥à¤¸à¥à¤•ता देख कर सà¤à¥€ वहां चलने के लिठतैयार हो गठऔर अगले दिन के अनà¥à¤¯ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में फेर-बदल कर सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गी देवी की यातà¥à¤°à¤¾ करने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ कर लिया गया. लगता है कि à¤à¤¸à¥‡ ही बà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¾ आता है.

वाणी गाà¤à¤µ की वादियाà¤
२५ मारà¥à¤š २०१६ को सà¥à¤¬à¤¹-सà¥à¤¬à¤¹ ॠबजे नाशिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अपने गेसà¥à¤Ÿ हाउस से निकलना था. २४ मारà¥à¤š २०१६ का पूरा दिन नाशिक में घूमते हà¥à¤ बिताने के बाद हम लोग थके हà¥à¤ à¤à¥€ थे. अतः राते के खाने के बाद हम सब जलà¥à¤¦à¥€ ही सो गठताकि सà¥à¤¬à¤¹ उठने में कोई विलमà¥à¤¬ नहीं हो. और वैसा ही हà¥à¤†. न तो कोई विलमà¥à¤¬ हà¥à¤† और न ही कोई परेशानी आई. ठीक ॠबजे हम सब à¤à¤• कार में बैठकर “वाणी†गाà¤à¤µ की तरफ निकल पड़े. तकरीबन पचासेक किलोमीटर की यातà¥à¤°à¤¾ थी. सड़क कहीं चिकनी और कहीं उबड़-खाबड़. छोटे-छोटे गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ इलाकों के बीच से गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ हà¥à¤ˆ तथा अंगूर के खेतों के किनारों को छूती हà¥à¤ˆ सड़क पर सà¥à¤¬à¤¹ का वक़à¥à¤¤ होने से यातायात कम था. इस पà¥à¤°à¤•ार हम मजे से वाणी गाà¤à¤µ पहà¥à¤‚चे. यह गाà¤à¤µ सहà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥€ परà¥à¤µà¤¤-माला के तलहटी पर बसा à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सा गाà¤à¤µ था. à¤à¤¸à¤¾ गाà¤à¤µ जो अगले २५ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में निसà¥à¤¸à¤‚देह ही à¤à¤• बड़ा शहर बन जाये. वाणी गाà¤à¤µ तक हम समतल जमीन पर बने रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर चल रहे थे. वहां से पहाड़ी घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° रासà¥à¤¤à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ हो गया.

à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ के निशान
रासà¥à¤¤à¤¾ घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° था, परनà¥à¤¤à¥ चढ़ाई कठिन नहीं थी. वीरान वादियाà¤, हसीन सबेरा, सूरज की पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•ालीन किरणों से लिपà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौंदरà¥à¤¯ और à¤à¤• अचà¥à¤›à¥€ सड़क पर दौड़ती कार. सबकà¥à¤› अचà¥à¤›à¤¾ लग रहा था. जब थोड़ी उचांई पर आये तो नजारा और à¤à¥€ अचà¥à¤›à¤¾ हो गया. चारों ओर से सहà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥€ परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ से घिरा नीचे समतल वादी में बसा वाणी गाà¤à¤µ सà¥à¤¬à¤¹ की खिली धà¥à¤ª में मंतà¥à¤°-मà¥à¤—à¥à¤§ कर रहा था. उन परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ को देख कर à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था मानों शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पहले वे समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरों से घिरे हों. ऊपर से बिलकà¥à¤² समतल हो चà¥à¤•े उन पहाड़ों को दिखा कर हमारे साथ चलने वाले सहयोगी ने बताया कि यह सात (à¥) परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ की शà¥à¤°à¤‚खला है. और इसीलिठयहाठकी धातà¥à¤°à¥€ देवी का नाम “सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गी†पड़ा है.
देवी के नाम का रहसà¥à¤¯ आखों के सामने था. उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ पर कटे हà¥à¤ रासà¥à¤¤à¥‡ पर कार दौड़ रही थी. à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤ से दà¥à¤¸à¤°à¥‡ परà¥à¤µà¤¤ के बीच कई बार खà¥à¤²à¥€ जगह à¤à¥€ आ जाती थी. वैसे ही à¤à¤• खà¥à¤²à¥€ जगह पर फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ पॉइंट à¤à¥€ था. इस पॉइंट पर मानसून में बढ़िया नज़ारा होता होगा जब बारिश के à¤à¤°à¤¨à¥‡ कल-कल कर चारों दिशाओं पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ की उचाईयों से बहते होंगे. पर मारà¥à¤š के महीने में ये à¤à¤°à¤¨à¥‡ सूखे हà¥à¤ थे. इस समय उन परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ पर उकृत à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ के निशानों के देख कर ही मानसून की à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का अंदाज़ लगाना पड़ा. इस पà¥à¤°à¤•ार जगह-जगह रà¥à¤•ते रà¥à¤•ते और पà¥à¤°à¤•ृति पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚-वादियों को निहारते हà¥à¤ हम कार से à¤à¤• पहाड़ की चोटी पर देवी के मंदिर के निकट आ गà¤. वहां à¤à¥€ à¤à¤• छोटा गाà¤à¤µ बसा हà¥à¤† था, जिसमें पकà¥à¤•े मकान à¤à¥€ थे. कार वहीठतक जाती थी. जगह की कमी के कारण कार की पारà¥à¤•िंग वहां à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ हो सकती है, खास कर नवरातà¥à¤°à¥‹à¤‚ में, जब à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¤¡à¤¼ उमड़ती है. पर २५ मारà¥à¤š २०१६ को पारà¥à¤•िंग की कोई समसà¥à¤¯à¤¾ नहीं हà¥à¤ˆ.

सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गी निवासिनी देवी टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ
उसी गाà¤à¤µ में “सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गी निवासिनी देवी टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿâ€ का कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ à¤à¥€ है, जो महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° सरकार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संचालित है. सबसे पहले हम लोग उसी कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में आये. यहीं से हमें दरà¥à¤¶à¤¨ तथा पूजा के लिठपास लेना था. वहीठपता चला कि यह टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के लिठकितना कारà¥à¤¯à¤¶à¥€à¤² था. टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वहां ठहरने की à¤à¥€ माकूल वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कà¥à¤› यातà¥à¤°à¥€ सावधिक पूजा हेतॠवहां ठहरते है. सà¤à¥€ करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ गà¥à¤®à¤¾à¤¨-रहित हो कर अपने कारà¥à¤¯ को देवी-सेवा से जोड़ कर कर रहे थे, जो बात मà¥à¤à¥‡ मन को à¤à¤¾ गयी. उसी कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में अषà¥à¤Ÿ-धातॠकी बनी सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गीदेवी की à¤à¤• à¤à¤µà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित थी, जिसे देख कर उनके अठारह-à¤à¥à¤œà¤¾ वाले सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª का पà¥à¤°à¤¥à¤® अनà¥à¤à¤µ हà¥à¤†.

देवी मंदिर – à¤à¤• विहंगम दृशà¥à¤¯
कारà¥à¤¯ समापà¥à¤¤ कर, वहां से थोड़ी-ही दूर चल कर हमलोग देवी-मंदिर मारà¥à¤— पर आये जो बाज़ारों के बीच से जाता था. वहीठसे मंदिर का पà¥à¤°à¤¥à¤® दिग-दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤†. ऊà¤à¤šà¥‡ पहाड़ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¥à¤¯ मंदिर पर पà¥à¤°à¤¥à¤® दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤ªà¤¾à¤¤ बड़ा ही मनोहारी था. मंदिर à¤à¤• विशाल परà¥à¤µà¤¤ के परकोटे में था. संपूरà¥à¤£ परà¥à¤µà¤¤ को लोहे के जाल से ढक दिया गया था ताकि मानसून में गिरने वाले पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से à¤à¤µà¤¨ अथवा यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को कोई हानि नहीं पहà¥à¤‚चे. परà¥à¤µà¤¤ बिलकà¥à¤² सपाट खड़ा था. जाल लगाते समय जरूर à¤à¤°à¥€ उपकरणों की आवशà¥à¤¯à¤•ता पड़ी होगी. परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• किमà¥à¤µà¤¦à¤‚ती है कि वरà¥à¤· में à¤à¤• बार परà¥à¤µà¤¤ की सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š चोटी पर कोई अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ रूप से à¤à¤‚डा फहरा देता है. किसी को नहीं मालूम की वो कौन है और कैसे इस सपाट परà¥à¤µà¤¤ पर चदता है, जिसमें किसी à¤à¥€ दिशा से चढ़ने का कोई जà¥à¤žà¤¾à¤¤ मारà¥à¤— नहीं है.

à¤à¤¸à¥à¤•ैलाटर पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ
परनà¥à¤¤à¥ ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ बहà¥à¤¤ थी. लगà¤à¤— ५०० सीढियाठचढ़ कर ही मंदिर तक पहà¥à¤‚चा जा सकता था. टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ के करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने हमें बताया था कि à¤à¤• à¤à¤¸à¥à¤•ैलाटर बनाया जा रहा है, जो यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सीधे मंदिर तक ले जायेगा. परनà¥à¤¤à¥ उसे बनने में कà¥à¤› समय लगेगा, शायद २०१६ के अंत तक वह कारà¥à¤¯à¤¶à¥€à¤² हो जाये. उस दिन सीढ़ियों के अलावा कोई और मारà¥à¤— नहीं था. ऊपर चढ़ने के पहले चपà¥à¤ªà¤²-जूते-इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ नीचे ही किसी दà¥à¤•ान में रखने पड़ते हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ऊपर इनके लिठकोई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं. सीढ़ियों के शà¥à¤°à¥‚ होते ही बायीं तरफ “महिषासà¥à¤° मंदिर†नामक à¤à¤• छोटा मंदिर दिखा, जिसमें महिष के पीतल से बने कटे हà¥à¤ शीष की पूजा की जाती थी. à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि देवी ने इसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर महिषासà¥à¤° का मरà¥à¤¦à¤¨ कर महिषासà¥à¤°à¤®à¤°à¥à¤¦à¤¿à¤¨à¥€ का उदà¥à¤˜à¥‹à¤· पाया था. सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का विशेष महतà¥à¤¤à¥à¤µ देख कर हमें और à¤à¥€ अचà¥à¤›à¤¾ लगने लगा.

महिषासà¥à¤° मंदिर
आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•ित हो कर महिशासà¥à¤° मरà¥à¤¦à¤¨ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ देखने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पीले रंग से रंगे खमà¥à¤¬à¥‹à¤‚ वाली छत से ढकी हà¥à¤ˆà¤‚ सीढियां चढ़ने लगे. सीढियां काफ़ी सहज थीं. जगह-जगह पर लोग रà¥à¤• कर विशà¥à¤°à¤¾à¤® कर रहे थे, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ५०० सीढियां à¤à¤• बार में चढ़ना सà¤à¥€ के लिठसंà¤à¤µ à¤à¥€ नहीं था. सà¤à¥€ सीढ़ियों के बायीं तरफ सिनà¥à¤¦à¥‚र-चनà¥à¤¦à¤¨ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ के तिलक लगे हà¥à¤ थे. ये तिलक उन यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने लगाये थे जिनकी दà¥à¤†à¤à¤‚ कबूल हो गयीं थीं. कारà¥à¤¯à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ आने वाले यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• सीढ़ी पर मतà¥à¤¥à¤¾ टेका था और पूजा की थी. इस पà¥à¤°à¤•ार हर थोड़ी दूर पर à¤à¤• नया आनंद लेते हà¥à¤ हम सीढियां चढ़ते जा रहे थे. बीच में à¤à¤• गणेश-मंदिर और à¤à¤• राम-मंदिर à¤à¥€ बना हà¥à¤† था, जिसमें लोग रà¥à¤• कर पूजा करते थे. हमलोग à¤à¥€ कà¥à¤› कà¥à¤·à¤£ वहां रà¥à¤•े, पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया और आगे बढ़ गà¤.

सीढ़ियों पर लगाये तिलक चिनà¥à¤¹
तà¤à¥€ हमारा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ बगल वाले à¤à¤• पहाड़ पर गया, जो देखने से शिवलिंग जैसा पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता था. वहीठपर पूछने से पता चला कि उस परà¥à¤µà¤¤ को “मारà¥à¤•ंडेय परà¥à¤µà¤¤â€ कहते है. वह à¤à¤• निरà¥à¤—मà¥à¤¯ परà¥à¤µà¤¤ है. उसका नाम मारà¥à¤•ंडेय ऋषि के ऊपर रखा गया है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि अमरतà¥à¤µ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मारà¥à¤•ंडेय ऋषि उसी परà¥à¤µà¤¤ पर आज à¤à¥€ निवास करते हैं और देवी की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करते हैं. मारà¥à¤•ंडेय परà¥à¤µà¤¤ को देखना हमारे लिठà¤à¤• नया विषय था. अब तो हमारी उतà¥à¤¸à¥à¤•ता कà¥à¤·à¤£-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ बढती जा रही थी. हम à¤à¤¸à¥‡-à¤à¤¸à¥‡ विषयों से जà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥‡ जा रहे थे जो हमने कà¤à¥€ नहीं देखा-सà¥à¤¨à¤¾ था. मारà¥à¤•ंडेय ऋषि को मानसिक रूप से पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® कर हम देवी-मंदिर की तरफ बढ़ चले, जो अब नजदीक ही था.

मारà¥à¤•ंडेय परà¥à¤µà¤¤
देवी-मंदिर के सामने à¤à¤• सà¤à¤¾ मंडप था, जिसमें शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं की लाइनें लगी थी. उस दिन à¤à¥€à¤¡à¤¼ थोड़ी कम थी, तो लाइन à¤à¥€ छोटी थी. परनà¥à¤¤à¥ वहां बंदरों का पà¥à¤°à¤•ोप था. बनà¥à¤¦à¤° बड़े ढीठथे. वे अचानक छत पर से कूद कर शà¥à¤°à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं को डराते थे और असावधान यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से खादà¥à¤¯-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ अथवा पूजन सामगà¥à¤°à¥€ छीन लेने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते थे. बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ में तो खलबली मच गयी थी. कोई डर के रो रहा था तो कोई बंदरों के निराले खेल के अनà¥à¤à¤µ से खà¥à¤¶ था. माताओं में अपने-अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को सà¤à¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ की चिंता थी. कोई तो खà¥à¤¦ डरीं हà¥à¤à¤ थीं तो कोई अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को उनके पिताओं को सौंप रही थी. कà¥à¤² मिला कर अनोखा दृशà¥à¤¯ था.
हमारे पास टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जारी पास होने की वजह से जलà¥à¤¦à¥€ ही पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ मिल गया. ततà¥à¤•ाल हमने अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¥à¤œà¤¾à¤“ं वाली सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गी देवी-माता के विराट सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª का दरà¥à¤¶à¤¨ किया. महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के मशहूर पैठनी साड़ी से सà¥à¤¸à¥à¤¸à¤œà¤¿à¤¤ देवी अपने रूदà¥à¤° रूप में थीं. पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• हाथों में अशà¥à¤¤à¥à¤°-शःसà¥à¤¤à¥à¤° धारण करने वाली माता सà¥à¤µà¤¯à¤‚à¤à¥‚ रूप से पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित थीं. तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल, शंख, चकà¥à¤°, परशà¥, धनà¥à¤· और वजà¥à¤° धारण करने वाली देवी आपको नमसà¥à¤•ार है, यह कहते हà¥à¤ मैंने अपनी मानसिक आराधना पूरी की. किमà¥à¤µà¤¦à¤‚ती है की इस सà¥à¤¥à¤² पर विषà¥à¤£à¥ के सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ चकà¥à¤° से कट कर आदि-शकà¥à¤¤à¤¿ देवी की दायीं हाथ गिरी थी. जिसके फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प इसे अरà¥à¤§-शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ का दरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है. इस पà¥à¤°à¤•ार वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° राजà¥à¤¯ में इनको मिला कर साढ़े-तीन शकà¥à¤¤à¤¿-पीठहैं.
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अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¥à¤œà¤¾à¤“ं वाली सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गी देवी[/caption]
इसके बाद विशेष पूजा हेतॠहम लोग à¤à¤• कमरे में गà¤, जहाठपà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को à¤à¤•-वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण करना था. परनà¥à¤¤à¥ कालांतर में à¤à¤•-वसà¥à¤¤à¥à¤° के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर धोती तथा अंगवसà¥à¤¤à¥à¤° को रोजमरà¥à¤°à¤¾ के कपड़ों के ऊपर –ही लपेट कर पूजन करने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी. धोती इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ वहीठमंदिर की तरफ से थी. परनà¥à¤¤à¥ चमड़े की सारी वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚, मोबाइल इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ बाहेर ही रख लिया गया. इस पà¥à¤°à¤•ार तैयार हो कर हम दोनों पति-पतà¥à¤¨à¥€ देवी के समीप गठऔर पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾-दान-धरà¥à¤® इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ किया. साड़ी-कà¥à¤®à¤•à¥à¤®-सिनà¥à¤¦à¥‚र इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ यहाठचढ़ाये जाने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ है. नारियल à¤à¥€ चढ़ाया जाता है.
पूजनोपरांत पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤šà¤¿à¤¤ हो कर वापस आये और पà¥à¤¨à¤ƒ मोबाइल इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ से लैस हो कर वापसी की यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकी. मन की कई जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ तो शांत हो चà¥à¤•ी थी. निरà¥à¤®à¤² मन से गरà¥à¤-गृह से बाहर निकलते समय मैंने देखा की कà¥à¤› लोग दीवालों पर सिकà¥à¤•े चिपका रहें हैं. शायद à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि जिस मनà¥à¤·à¥à¤¯ का सिकà¥à¤•ा दीवाल से चिपक जाठतो उसकी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पूरी हो जाती है. पर मà¥à¤à¥‡ इसमें विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं होता है. अतà¤à¤µ मैंने à¤à¤¸à¥€ कोई कोशिश नहीं की और सीढ़ियों से उतरने लगा.

सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ पूजा का दृशà¥à¤¯
जैसे ही मैं अंतिम सीढ़ी से उतरा, मेरे धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों की à¤à¤• टोली पर गया, जो निचली सीढ़ी पर अजीबो-गरीब हरकतें कर रहे थे. मेरी पतà¥à¤¨à¥€ तो आगे बढ़ गयीं, पर मैं अपनी जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ शांत करने हेतॠउस टोली की ताराग चला गया. वहां à¤à¤• सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, जिसके बाल बिखरे हà¥à¤ थे, बड़े जोरों से चिलà¥à¤²à¤¾ रही थी. वह हांफ à¤à¥€ रही थी और बड़ी बेचैन लग रही थी. वहीठखड़े लोगों ने मà¥à¤à¥‡ बताया कि उस सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पर देवी आ गयीं हैं और वह तब-तक ठीक नहीं होगी, जब तक इस मंदिर के सामने उसकी पूजा न की जाये. उसके घरवाले à¤à¥€ वहीठमौजूद थे. कोई ओà¤à¤¾ उसकी तथाकथित पूजा कर रहा था. इस पूजा की पूजन सामगà¥à¤°à¥€ कोई à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ नहीं थी. वही अगरबतà¥à¤¤à¥€, नारियल, फूल, मिठाई इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿. पर à¤à¤• बकरा à¤à¥€ वहीठखड़ा था, शायद बाद में उसकी बलि दी जाये. कà¥à¤› देर तक मैं इस पूजा को देखता रहा. धीरे धीरे वह सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सामानà¥à¤¯ हो गयी. अचानक सारे लोग उठे और वहां से मय साजो-सामान चले गà¤.उनके जाने के बाद, मैं à¤à¥€ वहां के बाज़ारों की सजावट और शान को देखता हà¥à¤† अपने लोगों से जा मिला.

तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल से बना छिदà¥à¤°
देवी के दरà¥à¤¶à¤¨ तो हो चà¥à¤•े थे. परनà¥à¤¤à¥ यातà¥à¤°à¤¾ में अà¤à¥€ à¤à¤• आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ देखना बाकि था, जिस पर हमारी निगाह लौटती यातà¥à¤°à¤¾ में पड़ी. सहà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥€ परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¤• शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला के à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤ में à¤à¤• छिदà¥à¤° दिखा था. साधारण से दिखने वाले इस à¤à¥Œà¤—ोलिक दृशà¥à¤¯ की कोई कहानी à¤à¥€ होगी, à¤à¤¸à¤¾ मैंने नहीं सोचा था. किमà¥à¤µà¤¦à¤‚ती है की जब देवी ने महिषासà¥à¤° को वेधने के लिठतà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल चलाया था, तो उस तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल की शकà¥à¤¤à¤¿ से उस परà¥à¤µà¤¤ में छिदà¥à¤° बना, जो आज à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है. सच में आज का दिन मेरे लिठआशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† था. खैर सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गी देवी का परà¥à¤µà¤¤ और तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल से बने छिदà¥à¤° वाले परà¥à¤µà¤¤ की दूरी को देख कर और मन-ही-मन देवी के तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल का विशाल आकार और विशेष मारक कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ को मन-ह-मन पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® कर हम आगे बढे.
इस पà¥à¤°à¤•ार हमारी “सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गी देवी†की यातà¥à¤°à¤¾ समापà¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ और हमलोग नाशिक वापस आ गà¤.
बक्शी साहब की कलम से एक और अविस्मरणीय यात्रावृतांत का समापन हुआ और साथ ही हम कभी-कभी के घुमक्कड़ों को बैठे बिठाये एक और दुर्लभ स्थान के दर्शन हो गए। माता सप्तश्रृंगी के दर्शन करवाने हेतु आपका बहुत-२ आभार। पोस्ट और चित्र हमेशा की तरह लाजवाब थे। हिंदी पर अच्छी पकड़ है आपकी, यूँ ही लिखते रहिये।
धन्यवाद अरुण. इस मंदिर के बारे में मैं पहले नहीं जानता था, अतः मुझे वहाँ बड़ा आनंद आया. और फिर यह जान कर कि तुम्हे भी पोस्ट पसंद आया, मुझे और भी ख़ुशी हुई. पर यह “कभी-कभी का घुमक्कड़” क्या होता है? घुमक्कड़पना तो जिसे लगा सो लगा और एक बार लगा तो वह व्यक्ति हमेशा के लिए घुमक्कड़ हुआ.
फिर से धन्यवाद.
अति उत्तम जानकारी एवं अति उत्तम लेख बक्शी जी! आपके लेख के माध्यम से माता सप्तश्रृंगी के पवित्र स्थल की जानकारी मिली और देवी के दुर्लभ दर्शन हो गए! त्रिशूल वाली कहानी बढ़िया लगी! अविस्मरणीय, अति उत्तम!!!
धन्यवाद अंकित. तुम्हें पोस्ट पसंद आया यह जान कर ख़ुशी हुई.