मेरे घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚, पिछले à¤à¤¾à¤— में मैंने आपके साथ अपनी दिलà¥à¤²à¥€ से कीरà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤—र तक की यातà¥à¤°à¤¾ के खटà¥à¤Ÿà¥‡ मीठे अनà¥à¤à¤µ साà¤à¤à¤¾ किये थे, ठीक उसी पà¥à¤°à¤•ार अब हम अपनी कीरà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤—र से शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤§à¤¾à¤® तक की यातà¥à¤°à¤¾ को आगे बढ़ाते हैं। तो दिनांक छबà¥à¤¬à¥€à¤¸ जून दो हजार अठारह को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ नौ बजे नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद हम लोगों ने अपना सामान उठाया और रिवरसाइड रिसोरà¥à¤Ÿ को अलविदा कहते हà¥à¤ अपने डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° साब से गाड़ी शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤§à¤¾à¤® की तरफ बढ़ाने को कहा। जà¥à¤žà¤¾à¤¤ रहे की रिसोरà¥à¤Ÿ के रिसेपà¥à¤¶à¤¨ में मैनेजर साब से वोमिटिंग की टेबलेट लेकर मैं पहले से ही माताशà¥à¤°à¥€ और बहनाशà¥à¤°à¥€ को खिला चà¥à¤•ा था ताकि आगे के मारà¥à¤— में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ किसी पà¥à¤°à¤•ार की कोई समसà¥à¤¯à¤¾ न हो और शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¶à¤¾à¤² जी के जयकारे के साथ हमने अपनी अगली दो सौ किलोमीटर लमà¥à¤¬à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया।Â
बता दूठकी ऋषिकेश से बदà¥à¤°à¥€à¤§à¤¾à¤® तक जाते हà¥à¤ इस मारà¥à¤— पर पांच पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पढ़ते है जैसे की देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, करà¥à¤£à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— और नंदपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—। अपनी पिछली यातà¥à¤°à¤¾ में हम देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से आगे आ चà¥à¤•े थे इसलिठअब केवल चार पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— ही पार करने थे। जैसे-जैसे हमारी गाड़ी आगे बढ़ती गयी रसà¥à¤¤à¥‡ में कईं सरे मनोरम दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को देखते हà¥à¤ मन पà¥à¤°à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¤ हो गया। मारà¥à¤— में धारी देवी मंदिर, विषà¥à¤£à¥ मंदिर और शà¥à¤°à¥€ नृसिंह मंदिर (जोशीमठ) à¤à¥€ पड़े जिनके दरà¥à¤¶à¤¨ तो हम नहीं कर सके कà¥à¤¯à¥‚ंकि शाम ढलने से पहले हमे शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤§à¤¾à¤® पहà¥à¤‚चना था, किनà¥à¤¤à¥ मन ही मन पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करते हà¥à¤ आगे बढ़ गà¤à¥¤



लगà¤à¤— आठघंटो की यातà¥à¤°à¤¾ करते हà¥à¤ और मनोरम दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को देखते हà¥à¤ अंततः हम पहà¥à¤à¤š गठशà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤§à¤¾à¤®, जहाठतक पहà¥à¤‚चना à¤à¤• दिन पहले तक असंà¤à¤µ लग रहा था। यहाठपहà¥à¤à¤š कर सबसे पहले तो हमने अपने ठहरने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की और होटल सà¥à¤¨à¥‹ à¤à¤‚ड कà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥à¤Ÿ में अपने लिठà¤à¤• रूम बà¥à¤• किया। शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी के दरà¥à¤¶à¤¨ की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ इतनी तीवà¥à¤° थी की रूम में जलà¥à¤¦à¥€ से हाथ मà¥à¤‚ह धो कर वॠवसà¥à¤¤à¥à¤° बदल कर हमने रूम किया लॉक और निकल पड़े पà¥à¤°à¤à¥ के मंदिर।
हालाà¤à¤•ि यहाठका टेमà¥à¤ªà¥‡à¤°à¥‡à¤šà¤° दोपहर में सात डिगà¥à¤°à¥€ और रात में दो डिगà¥à¤°à¥€ चल रहा था इसलिठहम अपने साथ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ गरà¥à¤® कपडे ले कर आये थे जिसमे जैकेट और शाल को पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•ता दी गयी थी। बाहर का नजारा अतà¥à¤¯à¤‚त ही नयनाà¤à¤¿à¤°à¤¾à¤® था, जिधर तक नजर जाती थी वहां केवल ऊà¤à¤šà¥‡ ऊà¤à¤šà¥‡ पहाड़ और उन पर जमी सफ़ेद बरà¥à¤« ही नजर आती थी। यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ समà¥à¤¦à¥à¤° तल से लगà¤à¤— गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ हजार फà¥à¤Ÿ की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। इस मंदिर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ आदि शंकराचारà¥à¤¯ ने सातवीं शताबà¥à¤¦à¥€ में की थी। इसके अतिरिकà¥à¤¤ कहा जाता है की à¤à¤—वानॠविषà¥à¤£à¥ ने इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर तपसà¥à¤¯à¤¾ की थी, किनà¥à¤¤à¥ मौसम के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से उनका पूरा शरीर शà¥à¤¯à¤¾à¤® पड़ गया था। देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ से उनकी यह दशा देखि नहीं गयी और वो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¤• बेर का पेड़ बनकर उनकी रकà¥à¤·à¤¾ करने लगी। इस पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤—वानॠविषà¥à¤£à¥ को बदà¥à¤°à¥€ (बेर) नाथ कहा जाने लगा और यहाठउनकी जिस मूरà¥à¤¤à¤¿ की पूजा होती है उसका रंग à¤à¥€ शà¥à¤¯à¤¾à¤® ही है।Â
वैसे इस पवितà¥à¤° मंदिर के विषय में मà¥à¤à¤¸à¥‡ अचà¥à¤›à¥€ जानकारी गूगल विकिपीडिया पर उपलबà¥à¤§ है अतः आप लोग यदि à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¤—वानॠबदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने जाने के इचà¥à¤›à¥à¤• हो तो à¤à¤• बार सà¤à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ से जानकारी अवशà¥à¤¯ जà¥à¤Ÿà¤¾ कर जाà¤à¤‚।
खैर हमें तो फिलहाल à¤à¤—वानॠबदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के लिठजाना था अतः हम सीधे गठमंदिर की तरफ जो की हमारे होटल से लगà¤à¤— पांच सौ मीटर की दà¥à¤°à¥€ पर था। कà¤à¥€ रासà¥à¤¤à¤¾ ऊपर की तरफ हो जाता था तो कà¤à¥€ नीचे की तरफ, पहाड़ी रासà¥à¤¤à¤¾ जो था किनà¥à¤¤à¥ हमारे उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ में कोई  कमी नहीं थी और देखते ही देखते हम पहà¥à¤à¤š गठपà¥à¤°à¤à¥ के मंदिर। इस सीजन में यहाठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ नहीं थी और बिना किसी धकà¥à¤•ा-मà¥à¤•à¥à¤•ी के हम शीघà¥à¤° ही मंदिर के à¤à¥€à¤¤à¤° पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤Â पà¥à¤°à¤à¥ के खà¥à¤²à¥‡ दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤ और मन पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ से अतà¥à¤¯à¤‚त ही à¤à¤¾à¤µ विà¤à¥‹à¤° हो गया। मंदिर के à¤à¥€à¤¤à¤° कà¥à¤› पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मंतà¥à¤°à¥‹à¤šà¤¾à¤° किया जा रहा था और माहौल अतà¥à¤¯à¤‚त ही दैवीय लग रहा था। दरà¥à¤¶à¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ हम लोगों ने बाहर शोर मचाती अलखनंदा नदी की तरफ जाने का तय किया। मेरे मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर के समीप ही à¤à¤• पवितà¥à¤° नदी बहती है जिसे हम अलकनंदा के नाम से जानते हैं।Â
यह वही नदी है जो देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में गौमà¥à¤– से आती à¤à¤¾à¤—ीरथी से मिलती है। बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर के समीप अलकनंदा नदी की गति इतनी तेज थी की यदि हाथी अपने चारों पैरों के बल पर à¤à¥€ खड़ा हो जाये तो बमà¥à¤¶à¥à¤•िल ही चार से पांच सेकंड खड़ा हो पायेगा और शीघà¥à¤° ही अनियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ होकर अलकननà¥à¤¦à¤¾ के समकà¥à¤· घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡ टेक देगा। गति का अंदाजा आप आवाज से à¤à¥€ लगा सकते हैं, कà¥à¤¯à¥‚ंकि जिस तरह से अलकनंदा जयघोष करते हà¥à¤ आगे बढ़ रही थी हमें तो देख कर विशà¥à¤µà¤¾à¤¶ ही नहीं हो रहा था।
हमने निरà¥à¤£à¤¯ लिया की à¤à¤• डिबà¥à¤¬à¥‡ में इस पवितà¥à¤° नदी का जल ले चलते हैं, तो हमने वहीठपास ही से à¤à¤• दूकान से à¤à¤• डिबà¥à¤¬à¤¾ खरीदा और जल à¤à¤°à¤¨à¥‡ की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€Â मà¥à¤à¥‡Â दी गयी। नदी के पवितà¥à¤° जल को सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करते ही मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤•ृति के बल का पता लग चà¥à¤•ा था, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जल इतना शीतल था की मà¥à¤à¥‡ अपने हाथ पैरों की उà¤à¤—लियाठदो तीन सेकंड में ही सà¥à¤¨à¥à¤¨ होती लगी। किनà¥à¤¤à¥ जल तो à¤à¤°à¤¨à¤¾ ही था इसलिठमैंने कलाई तक डिबà¥à¤¬à¤¾ जल में उतार दिया परनà¥à¤¤à¥ माठअलकनंदा की गति के आगे डिबà¥à¤¬à¤¾ à¤à¤°à¤¨à¤¾ थोड़ा मà¥à¤¶à¥à¤•िल लग रहा था और ऊपर से बरà¥à¤« की ठंडक। जैसे तैसे डिबà¥à¤¬à¤¾ तो à¤à¤° गया किनà¥à¤¤à¥ जून के महीने में इतना ज़बरà¥à¤¦à¤¸à¥à¤¤Â बरà¥à¤« का जल देखकर मेरा मन पà¥à¤°à¤•ृति के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ नतमसà¥à¤¤à¤• हो गया। पà¥à¤°à¤•ृति के à¤à¤• और चमतà¥à¤•ार से हमारा सामना हà¥à¤† तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड में जो की मंदिर के ही समीप है। तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड के बारे में आपको बता दूठकी जैसा इसका नाम है वैसा ही इसका रूप है। तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड का जल बेहद खौल रहा था जिसमे हाथ डालने की हिमà¥à¤®à¤¤ हमारी तो हà¥à¤¯à¥€ नहीं किनà¥à¤¤à¥ कà¥à¤› लोग इसमें सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ अवशà¥à¤¯ ही कर रहे थे।Â
मà¥à¤à¥‡ तो यकीं ही नहीं हो रहा था की मंदिर के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में à¤à¤• तरफ बरà¥à¤« से अधिक ठंडा पानी बह रहा था और उसके दूसरी तरफ खौलता हà¥à¤† तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड। यह पà¥à¤°à¤•ृति कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ दिखाà¤à¤—ी हमने कà¤à¥€ सोचा à¤à¥€ नहीं था। तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड में खौलते हà¥à¤ पानी से धà¥à¤†à¤‚ निकल रहा था और दूसरी तरफ शीतल जल से लबालब माठअलकनंदा। वाह मजा आ गया।







कृति के इतने सरे चमतà¥à¤•ारों से रूबरू होने और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बाज़ार से थोड़ा बहà¥à¤¤ सामान खरीद लेने के बाद अब बारी थी वापिस अपने होटल जाने की, कà¥à¤¯à¥‚ंकि रातà¥à¤°à¤¿ का à¤à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¥€ तो करना था। अगले दिन फिर से आ कर दरà¥à¤¶à¤¨ करने का सà¥à¤µà¤¯à¤‚ से वादा किया और हम अपने होटल की तरफ बढ़ चले। यहाठपर आकर थोड़ी देर हमने à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने में लगाई और फिर अपने रूम में जा कर रजाई में छिपकर सो गये। दिनà¤à¤° की थकान के कारण नींद जलà¥à¤¦à¥€ आ गयी और अगली सà¥à¤¬à¤¹ आà¤à¤– à¤à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ खà¥à¤² गयी। फटाफट नहा धोकर हम लोग à¤à¤• बार फिर से मंदिर में à¤à¤—वानॠबदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठचल पड़े। सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ का नजारा बेहद खूबसूरत था और पहाड़ों में दूर दूर तक बादल तैर रहे थे। इनà¥à¤¹à¥‡ देखते ही मन पà¥à¤°à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤ जा रहा था और क़दमों को तेजी से मंदिर की तरफ जाने के लिठबल à¤à¥€ मिल रहा था।
बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ लगी यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ और तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚, लगा जैसे हम à¤à¥€ कà¥à¤› पल साथ हो लिठहों
जय शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¶à¤¾à¤²!!
लेख को पढà¥à¤¨à¥‡ और à¤à¤• अचà¥à¤›à¥€ टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करने के लिये आपका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤