9-सितमà¥à¤¬à¤° ठीक 4 बजे मैं अपने घर से बाकी लोगों को लेने निकल पड़ा। ठीक 30 मिनट बाद मैं नोà¤à¤¡à¤¾ सेकà¥à¤Ÿà¤°-62 पहà¥à¤à¤š गया जहाठपर हम सबको मिलना था। मà¥à¤à¥‡ कोई à¤à¥€ दिखा, तो मैंने राहà¥à¤² को फ़ोन लगाया, उसने कहाठहमे 15 मिनट और लगेंगे अचà¥à¤›à¤¾ ही हà¥à¤† मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ रसà¥à¤¸à¥€ खरीदनी थी कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि हमे सामान Xylo की छत पर लगे carrier पर रखना था। 5 बजे हम सबका मिलन हो ही गया। सब à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के गले लगे और निकल पड़े। सबके मिलने से पहले मैंने Dominos के 2 मीडियम pizza ले लिठथे, ये सोच कर कि राहà¥à¤² ऑफिस से आ रहा है और हरी , मनोज à¤à¥€ शौपिंग मे वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ थे तो à¤à¥‚खे होंगे। मेरी कैलकà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¨ गलत निकली सबने ठूस कर पेट पूजा कर ली थी। फिर à¤à¥€ मेरा मान रखते हà¥à¤ सबने à¤à¤•-à¤à¤• पीस उठा लिया। मैंने डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° अंकल को à¤à¥€ ऑफर किया तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बोला ये अपने बस की बात नहीं है हम तो सादी रोटी खाने वाले हैं। मà¥à¤à¥‡ नहीं मालूम पर शायद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¤à¥€ Dominos का pizza नहीं खाया था इसीलिठà¤à¤Ÿ-पट मना कर दिया। 1 पूरा pizza बच गया था जो मैंने Xylo के dashboard पर रख दिया। नोà¤à¤¡à¤¾ सेकà¥à¤Ÿà¤°-62 से दिलà¥à¤²à¥€ ISBT , बà¥à¤°à¤¾à¤¡à¤¼à¥€ पार करके हम करनाल बाईपास पर चल पड़े। शाम का समय था सड़कों पर टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• à¤à¥€ जम कर था। उस दिन friday था, तो जो लोग हरियाणा-पंजाब से दिलà¥à¤²à¥€ NCR मे नौकरी करते है वो friday को अपने-अपने घर निकल पड़ते हैं। दिलà¥à¤²à¥€ की सीमा समापà¥à¤¤(नरेला) होने से पहले बाà¤à¤ हाथ मे à¤à¤• साथ 7-8 पेटà¥à¤°à¥‹à¤² पंप आते हैं वहीं से à¤à¤• पंप पर जाकर गाड़ी का टैंक फà¥à¤² करा लिया था और साथ मे à¤à¤• 20 लीटर की केन à¤à¥€ à¤à¤° ली थी। अंकल को बता दिया गया की अब आपको छोड़ कर सबका पेट à¤à¤° गया है आप चाहे तो pizza का सेवन कर सकते हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दà¥à¤–ी मन से à¤à¤• piece उठाया और चट कर डाला। हम NH-1 पर कà¥à¤‚डली-राई-गनà¥à¤¨à¥‹à¤°-समालखा-पानीपत पार करके अब करनाल की तरफ बढ़ चले थे। हम चाह कर à¤à¥€ गती नहीं बना पा रहे थे à¤à¤• तो टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• ऊपर से NH-1 पर नवीनीकरण का कारà¥à¤¯ चल रहा था। जगह-जगह पर फà¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤“वर के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होने के कारण हाईवे पर diversion दिठहà¥à¤ थे। जिस वजह से गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ आ रहा था पर हम कà¥à¤› कर à¤à¥€ नहीं सकते थे, और ये टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• हमारी चरà¥à¤šà¤¾ का विषय à¤à¥€ बना हà¥à¤† था जिससे हमारा टाइम à¤à¥€ पास हो रहा था। बहà¥à¤¤ देर के बाद अंकल ने चà¥à¤ªà¥à¤ªà¥€ तोड़ी और बोले की “आप लोग आराम करो हमारी कौन से flight छूट रही है आराम से चलेंगे”। बात तो अंकल की सही थी और हम सà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡ लगे। मà¥à¤à¥‡ और अंकल को छोड कर सब सà¥à¤²à¥€à¤ªà¤¿à¤‚ग mode मे चले गठथे।
अंकल के साथ वाली सीट पर मैं, पीछे वाली सीट पर मेरे पीछे राहà¥à¤² और अंकल के पीछे हरी बैठे थे। मनोज आखरी वाली सीट पर मजे से लेटा हà¥à¤† था। मैंने सबको बताया की जलà¥à¤¦à¥€ ही “Haveli” रेसà¥à¤¤à¥Œà¤°à¥‡à¤‚ट आने वाला है वहीठरà¥à¤• कर फà¥à¤°à¥‡à¤¶ हो लेंगे और कà¥à¤› हलà¥à¤•ा-फà¥à¤²à¥à¤•ा à¤à¥‹à¤œà¤¨ कर लिया जाà¤à¤—ा। सब लोगों ने मेरी हाठमे हाठमिलाई और निशà¥à¤šà¤¿à¤‚त होकर फिर से सà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡ लगे। करीब 10 मिनट के बाद, मैं ज़ोर से चिलà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ “अंकल”, राहà¥à¤² à¤à¥€ जगा हà¥à¤† था पर लेकिन इससे पहले वो कà¥à¤› कह पाता तब तक कांड हो चूका था। हरी और मनोज à¤à¥€ मेरी चीख सà¥à¤¨ कर उठगठऔर पूछने लगे “कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†”, ये दोनों सोठहà¥à¤ थे तो इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बिलकà¥à¤² à¤à¥€ पता नहीं चला पर मेरी आवाज सà¥à¤¨à¤•र à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ तो हो गया था की बड़ी गड़बड़ हà¥à¤ˆ है। राहà¥à¤² à¤à¥€ बिलकà¥à¤² चà¥à¤ª था। और अंकल को तो जैसे “सांप सूà¤à¤˜” गया था। जैसे की मैंने आप लोगों को बताया था की NH -1 पर हाईवे निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ की वजह से Diversion बने हà¥à¤ थे और कहीं-कहीं पर सावधानी से चलने के संकेत à¤à¥€ नहीं लगे हà¥à¤ थे। à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• Diversion पर संकेत न होने की वजह से अंकल ने Diversion के आने से पहले ही गाड़ी मोड ली और हाईवे से करीब 3-4 फà¥à¤Ÿ गहरी सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ लेन मे कूदा दी। वहां पानी à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† था। गाड़ी के गिरते ही पानी चारों तरफ फैल गया। हमें बाहर कà¥à¤› नज़र नहीं आ रहा था, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पानी गाड़ी के कांच पर à¤à¥€ फैल गया था। मà¥à¤à¥‡ आà¤à¤¾à¤¸ हो चूका था की अंकल ने कà¥à¤› गड़बड़ कर दी है, इसीलिठमै चिलà¥à¤²à¤¾ उठा था। मैं मान बैठा था की गाड़ी पलटने वाली है और गिरते ही बाà¤à¤‚ ओर बनी दà¥à¤•ानों से टकराने वाली है। गाड़ी मà¥à¤¡à¤¼à¥€, पानी मे गिरी, ज़मीन से टकराई, सबको जोर से à¤à¤Ÿà¤•ा लगा ओर सही सलामत आगे चलने लगी। à¤à¤¸à¤¾ मानो की मैंने 2 सेकंड मे à¤à¤• पूरी पिकà¥à¤šà¤° देख डाली हो। शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ मे मेरे लिठइस घटना का वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करना नामà¥à¤®à¤•िन है। मà¥à¤à¥‡ नहीं पता की हम कैसे बच गà¤à¥¤ सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सदमा अंकल को ही लगा था। वे चà¥à¤ª थे à¤à¤• à¤à¥€ शबà¥à¤¦ नहीं बोला था चà¥à¤ª चाप गाड़ी चला रहे थे पर अब गति धीमी हो गई थी। मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ लगा था की वो काà¤à¤ª उठे थे। और कà¥à¤¯à¥‚ं नहीं कांपते कांड ही à¤à¤¸à¤¾ कर दिया था। पर à¤à¤• बात ये à¤à¥€ थी की बचाव à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥€ की वजह से हà¥à¤†, कोई अनाड़ी चालक होता तो हाथ-पैर छोड देता।
खेर बहà¥à¤¤ बड़ी बला टली और 5 मिनट चलने के बाद “Haveli” आ गयी और हमने गाड़ी पारà¥à¤•िंग में लगा दी। अंकल के साथ गाड़ी का बाहरी निरकà¥à¤·à¤£ किया गया à¤à¤• à¤à¥€ खरोंच नहीं थी, à¤à¤¸à¤¾ लगा की सारा à¤à¤Ÿà¤•ा Xylo के शौकर और कमानियों ने à¤à¥‡à¤² लिया था। अंकल ने कहा की अगर इंजन मे कोई लीकेज होगी तो पता चल जाà¤à¤—ा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम वहां पर 30 मिनट के लिठरà¥à¤•ने वाले थे। हम चारों “Haveli” के अंदर चल दिà¤, पर अंकल अà¤à¥€ à¤à¥€ गाड़ी के निरकà¥à¤·à¤£ मे लगे हà¥à¤ थे। इस घटना को याद करते तो पहले तो हम सहम से जाते पर कà¥à¤› समय के बाद ये à¤à¤• मज़ाक का विषय बन चà¥à¤•ा था। इसका जिकà¥à¤° आते ही ज़ोरों की हंसी आती थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अà¤à¥€ तो टà¥à¤°à¤¿à¤ª शà¥à¤°à¥‚ ही हà¥à¤ˆ थी और अंकल तो इसका अंत करने ही वाले थे। आगे के पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ हम यही सोच कर बहà¥à¤¤ हà¤à¤¸à¥‡ थे। हमने यहाठपर कà¥à¤› नहीं खाया। सब फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होकर गाड़ी के ओर चल पड़े और अंकल से कहा कि अब सीधे रातà¥à¤°à¥€ मे à¤à¥‹à¤œà¤¨ ही करेंगे।
यह सोच कर हम आगे निकल पड़े। अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ से कà¥à¤› दूर पहले ही नज़र “Liquor” शॉप पर जा पड़ी। गाड़ी को रà¥à¤•ने का आदेश दिया गया और “Haveli” से पहले हà¥à¤ कांड का अफ़सोस मनाते हà¥à¤ मूड बनाया गया। यहीं पर अंकल की à¤à¤• खासियत का पता चला, टà¥à¤°à¤¾à¤‚सपोरà¥à¤Ÿ लाइन मे होने के बावजूद वो मदिरा का सेवन नहीं करते थे और सà¥à¤¦à¥à¤§ साकाहारी थे। ये सà¥à¤¨à¤•र हम लोगों की खà¥à¤¶à¥€ दà¥à¤—नी हो गई और हम अपनी बाकि बची हà¥à¤ˆ यातà¥à¤°à¤¾ को लेकर निशà¥à¤šà¤¿à¤‚त हो गठथे। आजकल à¤à¤¸à¥‡ डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° कम ही मिला करते हैं। यहाठपर थोड़ा टाइम बिताने के बाद हम लोग अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ से पहले ही अंकल ने à¤à¤• U-Turn ले लिया और बोले की हम जाटवर, बरवाला, रामगढ़ होते हà¥à¤ पिंजौर पहà¥à¤à¤š जाà¤à¤à¤—े। हम सबने कहा जैसी आपकी इचà¥à¤›à¤¾ “अंकल”। रात के 10 बज चà¥à¤•े थे हमने पिंजौर में रà¥à¤• कर खाना खाया, अंकल को बोला की गाड़ी मे जो pizza पड़ा है वो ले आओ। अंकल बोले बेटा वो तो मैंने खा लिया है। अंकल के सामने किसी ने कोई आपतà¥à¤¤à¥€ नहीं जताई। लेकिन बाद में ये à¤à¥€ à¤à¤• joke बनके रह गया कà¥à¤¯à¥‚ंकि अंकल ने बड़े शान से कहा था “में pizza नहीं खाता, हम तो सादी रोटी खाने वाले इंसान हैं”। हम आगे बदà¥à¤¦à¥€, बिलासपà¥à¤°, सà¥à¤‚दरनगर, मंडी, कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ होते हà¥à¤ मनाली जाने वाले थे और अंदाजन दोपहर के 12 या 1 बजे तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाले थे। खाने के सबने सोचा की यहीं रूम लेकर सो जाते हैं। दो-दो का गà¥à¤°à¥à¤ª बना कर हम लोग रूम देखने चले गà¤à¥¤ रूम रेंट यहाठपर बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ था। सिरà¥à¤« 5-6 घंटे की ही तो बात थी। कà¥à¤¯à¥‚ंकि हम अगली सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ ही निकलने वाले थे। होता वही है जो होना होता है, सबने बिना रà¥à¤•े आगे चलने का फ़ैसला किया। यहाठसे थोड़ी देर बाद हम बदà¥à¤¦à¥€ पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ नालागढ़ के आस-पास ही गाड़ी रà¥à¤•वा कर चाय पी। अà¤à¥€ à¤à¥€ हमे 255km आगे मनाली तक जा कर 10-सितमà¥à¤¬à¤° की रात वहीं बितानी थी। बदà¥à¤¦à¥€ के बाद हम चारों गहरी नींद मे चले गà¤à¥¤
नींद खà¥à¤²à¤¤à¥‡ ही अरे वाह कà¥à¤¯à¤¾ नज़ारा था, घने जंगल वाले पहाड़, टाइम देखा तो सà¥à¤¬à¤¹ के 9 बज चà¥à¤•े थे। à¤à¤¸à¤¾ लगा कि शायद कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ पहà¥à¤š गठहैं। पर à¤à¤• बात समठमे नहीं आई की गाड़ी खड़ी कà¥à¤¯à¥‚ं है और सब à¤à¥€ गायब हैं। मैं सबसे आखिर मे उठा था। बाहर उतर कर देखा तो सब लोग धूप सेक रहे थे। पर समठमे नहीं आया की यहाठकà¥à¤¯à¥‚ठरà¥à¤•े हà¥à¤ हैं। यहाठन तो कोई दà¥à¤•ान थी जहाठरà¥à¤• कर नाशता किया जा सके। यहाठतो सिरà¥à¤« à¤à¤• “Premier” गाड़ी का शोरूम था।

मैं, राहà¥à¤² और हरी “Premier” शोरूम के बाहर बैठे हà¥à¤à¥¤
“Premier” वो बà¥à¤°à¤¾à¤‚ड है जो टेमà¥à¤ªà¥‹-टà¥à¤°à¥ˆà¤µà¤²à¤°, “Rio†SUV बनाता है। मैं बाकी लोगों के पास गया और पà¥à¤›à¤¾ की कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†? सब लोग जोर-जोर से हà¤à¤¸à¤¨à¥‡ लगे। मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ हà¤à¤¸à¥€ आने लगी पर मैं हà¤à¤¸ कà¥à¤¯à¥‚ठरहा हूà¤? मैंने फिर से पà¥à¤›à¤¾ अबे सालो कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ तो बताओ? बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से हà¤à¤¸à¥€ रोक कर राहà¥à¤² बोला तू इतनी जलà¥à¤¦à¥€ कà¥à¤¯à¥‚ठउठगया। जाकर सो जा गाड़ी ख़राब हो गयी है। मà¥à¤à¥‡ फिर से ज़ोरों से हà¤à¤¸à¥€ आने लगी। ये 9-सितमà¥à¤¬à¤° की रात हà¥à¤ˆ वारदात की वजह से हà¥à¤† था जब अंकल ने “Haveli” से पहले गाड़ी हाईवे से नीचे कà¥à¤¦à¤¾ दी थी। जिसकी वजह से इंजन की पैकिंग फट गई थी। रात को तो पता नहीं चला पर जैसे-जैसे गाड़ी चलती रही तो इंजन की फटी हà¥à¤ˆ पैकिंग से इंजन आयल लीक होने लगा। और जब गाड़ी ने इंजन आयल की इमरजेंसी लाइट से संकेत दिया तो अंकल ने गाड़ी खड़ी कर दी पर सबसे अचà¥à¤›à¥€ बात ये हà¥à¤ˆ की “Premier” के शोरूम मे à¤à¤• अनà¥à¤à¤µà¥€ मैकेनिक मिल गया जिसको Xylo के इंजन का काम आता था। मेरा अगला सवाल था की अंकल कहाठहैं? काम शà¥à¤°à¥‚ कराओ। राहà¥à¤² ने कहा दिकà¥à¤•त ये है की Xylo की इंजन की पैकिंग यहाठनहीं है इसीलिठअंकल को मंडी जाना पड़ा। अब हम सब निशà¥à¤šà¤¿à¤‚त हो गठथे कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि चिंता करके à¤à¥€ कà¥à¤› हासिल नहीं होने वाला था। आपकी जानकारी के लिठबतादूठकी इस वक़à¥à¤¤ हम बिलासपà¥à¤° मे थे। यहाठसे मंडी आने-जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ करीब 130km था। पहाड़ी रासà¥à¤¤à¤¾ होने के कारण सरकारी बस के सफ़र मे अंकल को कम से कम 5-6 घंटे लगने वाले थे। सà¥à¤¬à¤¹ के 10 बज रहे थे। पास ही मे à¤à¤• होटल था सोचा की à¤à¤• रूम लेकर फà¥à¤°à¥‡à¤¶ हà¥à¤† जाठफिर वहीठनाशà¥à¤¤à¤¾ करके शाम तक आराम कर लिया जाà¤à¥¤ बाकी लोगों को ये सà¥à¤à¤¾à¤µ जमा नहीं। हम सब à¤à¤•-à¤à¤• करके “Premier” शोरूम के बगल से नीचे उतर कर बने à¤à¤• toilet मे फà¥à¤°à¥‡à¤¶ हो गà¤à¥¤ फिर होटल मे जाकर नाशà¥à¤¤à¤¾ किया। पूछने पर पता चला की आसपास ही घूमने की जगह है जहाठपर नदी का किनारा है। सड़क से करीब 2-3km नीचे जाकर बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड के पीछे से इस जगह तक जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ था। हम सब नीचे की ओर चल दिà¤à¥¤ तà¤à¥€ देखा की à¤à¤• टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° नीचे की तरफ जा रहा है फिर कà¥à¤¯à¤¾ था मैंने टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° को रà¥à¤•वाया और हम सब उस पर लद लिà¤à¥¤ हरी को टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° की सवारी करके बड़ा मज़ा आया शायद उसने पहली बार टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° की सवारी की थी।

बिलासपà¥à¤° मे टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° की सवारी करते हà¥à¤à¥¤
Photo2 – बिलासपà¥à¤° मे टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° की सवारी करते हà¥à¤à¥¤
हम उस जगह पहà¥à¤à¤š गठथे नदी किनारे से सामने के पहाड़ बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤‚दर लग रहे थे। हमने वहां कà¥à¤› फोटो लिà¤à¥¤ वहीठपास में चाय की दà¥à¤•ान थी वहीठबैठकर चाय-पानी लिया गया।
यह जगह सड़क से 50-100 मीटर नीचे थी इसी वजह से यहाठपर शांति थी कà¥à¤› à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¥€ नहीं थी। दरअसल ये कोई परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• सà¥à¤¥à¤² नहीं था बलà¥à¤•ि à¤à¤¸à¥‡ ही नदी के पास जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ था। पर जो à¤à¥€ था बहà¥à¤¤ सà¥à¤‚दर था। वापसी मे हमने à¤à¤• ऑटो कर लिया जिसने हमे Xylo के पास वापस छोड दिया।
अंकल शाम 4 बजे वापस आठथे। मंडी में काफ़ी बड़ा बाज़ार है जहाठहर तरह की गाड़ी के पारà¥à¤Ÿà¥à¤¸ मिल जाते हैं। इसी वजह से मैकेनिक ने अंकल को मंडी ही à¤à¥‡à¤œà¤¾à¥¤ शाम 4:30 बजे तक मैकेनिक ने इंजन की पैकिंग फिकà¥à¤¸ कर डाली और गाड़ी के इंजन को 15-20 मिनट के लिठसà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥à¤Ÿ रखने को बोला कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि अगर कोई दिकà¥à¤•त बाकि रह गयी हो तो पता चल जाà¤à¤—ा।
शाम 5:00 बजे हम बिलासपà¥à¤° से मनाली की ओर निकल पड़े। अà¤à¥€ यहाठसे 175km और आगे जाकर मनाली पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ था। मौसम साफ़ था रात होने के कारण टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• बहà¥à¤¤ कम था। लेकिन हमे तो मनाली पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ था। हमारे à¤à¤• जानकर जो हमारे साथ नहीं आये थे पर उनके मितà¥à¤° का à¤à¤• रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° मनाली में रहता था उसने हमारा मनाली से लेह जाने के परमिट का इंतज़ाम पहले से ही कर लिया था। हमे परमिट की चिंता नहीं थी पर गाड़ी ख़राब होने की वजह से हम लोग शौपिंग नहीं कर पाठथे। हम रात 11:00 बजे तक मनाली पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ पहà¥à¤à¤š कर सबसे पहले परमिट लिया। à¤à¤¾à¤ˆ साहब को इतनी रात में परेशान करने के लिठमाफ़ी मांगी और परमिट का इंतज़ाम करने लिठधनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ देते हà¥à¤ होटल की तलाश मे निकल पड़े। हम मनाली के बाज़ार वाली जगह से ऊपर की तरफ चले गठथे। यही रोड आगे रोहतांग जाती है। इसी रोड पर हमने à¤à¤• होटल मे दो कमरे ले लिà¤à¥¤ मà¥à¤à¥‡ किराया तो याद नहीं है पर हमने Rs 800-900 से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं दिठथे। इसी होटल के सामने à¤à¤• ढाबा था वहीठपर दाल-रोटी-आलू की सबà¥à¤œà¥€ खा कर मजा आ गया। हमने अंकल को कमरे मे आकर सोने का नà¥à¤¯à¥Œà¤¤à¤¾ दिया पर वो बोले की पूरी गाड़ी खाली है मैं आराम से इसी के अंदर सो जाऊà¤à¤—ा। हमने à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ज़बरà¥à¤¦à¤¸à¥à¤¤à¥€ नहीं की, à¤à¤¾à¤ˆ जैसी मरà¥à¤œà¤¼à¥€ वैसा करो। सबको बता दिया की सà¥à¤¬à¤¹ 05:00 बजे उठना है और 06:00 बजे तक हर हालत मे रवाना होना है। सब à¤à¤• दूसरे को गà¥à¤¡ नाईट बोल कर सो गà¤à¥¤ तो देखा आपने कैसे बीता हमारा मनाली तक का सफ़र। यहाठसे आगे का सफ़र अगले à¤à¤¾à¤— में………….
सुंदर लेख , सुंदर फोटो …….
आगे के लेखों का इंतज़ार रहेगा ………..
Gusain ji,
app writer ban jao, bahut hi aacha likh tai ho.
आपको लेख अच्छा लगा….मेरे लिए इतना ही बहुत है। अभी तो बीवी-बच्चे पालने हैं…..लेखक बनने का तो सोच भी नहीं सकता।
:-)
Writing is an art & you are master in this. I say this is the God Gift.
बहुत बढ़िया और मनोरंजक लेख…फोटो भी अच्छे लगे….
एक ऐसा ही लेख मैंने “Agra to Manali Via Noida/Delhi ” घुमक्कड़ पर लिखा था….लेख पढ़कर अपनी यात्रा याद हो आयी….
Thanks for your comments Ritesh.
Better late then never Anoop , देर आये दुरुस्त आये |
We try to avoid driving/traveling in dark. If you start by 4 in the morning then you can reach Manali by 7 PM or so. For last two visits, we did that with bfast/lunch/tea stops. Of course, in this case because of break-down it took so long. One of my friend often says that you always remember the journeys where something like this happens and I guess this also strengthens the bond between fellow travelers.
Now, we are in Manali after a long long day, so lets take a power-rest and be ready for Rohtang.
Nandan, you are absolutly right…such incidents during the journey are never to forget….they always remains in the memory…