à¤à¤¾à¤°à¤¤ पूरे विशà¥à¤µ में ‘तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का देश’ नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ है. à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश में हर ऋतॠके अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, हर विचार-à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ à¤à¤µà¤‚ समाज के हर वरà¥à¤— के लिठतà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है. देश में मनाये जाने वाले विविध उतà¥à¤¸à¤µ à¤à¤µà¤‚ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हमारे समाज के हर वरà¥à¤— हर जाति-समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के अनेक लोगों को à¤à¤• साथ हरà¥à¤· और उलà¥à¤²à¤¾à¤¸ से परिपूरà¥à¤£ करके à¤à¤• सूतà¥à¤° में संगठित करने का कारà¥à¤¯ करते हैं. हमारे तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° ही हमारी संसà¥à¤•ृति, परंपरा, इतिहास à¤à¤µà¤‚ सामजिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤—ाढ़ता पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ देश को संगठिन करने में विशेष योगदान करते हैं.
अलग-अलग सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर अनेक पà¥à¤°à¤•ार के तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हैं जैसे पंजाब में लोहड़ी à¤à¤µà¤‚ बैसाखी, वेसà¥à¤Ÿ बंगाल में दà¥à¤°à¥à¤—ापूजा, असम का बिहॠउतà¥à¤¸à¤µ, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° का गणेश चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€, दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के ओणम, पोंगल इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° अपने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के नाम के साथ पूरे देश à¤à¤° में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हैं. सामूहिक रूप से विशाल जनसमूह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मनाये जाने वाले कà¥à¤› तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° तो अपने देश में ही नहीं बलà¥à¤•ि समूचे विशà¥à¤µà¤à¤° में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हैं. इन तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के साथ ही उससे समà¥à¤¬à¤‚धित सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ विशेष à¤à¥€ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° के साथ जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ होने से विशà¥à¤µà¤à¤° में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हो जाते हैं.
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अनेक तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में रंगों के परà¥à¤µ होली का अपना विशेष महतà¥à¤¤à¥à¤µ है बचà¥à¤šà¥‡-बà¥à¤¡à¥à¤¢à¥‡, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤· सà¤à¥€ इस परà¥à¤µ को उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹, उलà¥à¤²à¤¾à¤¸ à¤à¤µà¤‚ हरà¥à¤· के साथ मनाते हैं. होली का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• दरà¥à¤¶à¤¨ बà¥à¤°à¤œ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में किया जा सकता है. वसंत पंचमी से ही बà¥à¤°à¤œ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में होली का वातावरण बन जाता है. होली से आठदिन पूरà¥à¤µ यानि होलाषà¥à¤Ÿà¤• पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होते ही पूरा बà¥à¤°à¤œ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° होली के रंग में पूरà¥à¤£ रूप से रंग जाता है. ननà¥à¤¦ गाà¤à¤µ कि होली, मथà¥à¤°à¤¾ की होली, वृंदावन की होली, बरसाना की लठमार होली आदि अलग-अलग दिवसों पर अलग-अलग सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर होली का आयोजन बड़े धूम-धाम से किया जाता है. बरसाना की लठमार होली विशà¥à¤µà¤à¤° में अपने अलग सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª के कारण पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है. देश-विदेश से इस आयोजन को देखने के लिठलाखों कि संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग बरसाना में à¤à¤•तà¥à¤°à¤¿à¤¤ होते हैं.
वैसे तो बà¥à¤°à¤œ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के मथà¥à¤°à¤¾ – वृंदावन – गोवरà¥à¤§à¤¨ आदि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर अनेक बार जाने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ मिला परनà¥à¤¤à¥ होली के समय में इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करने के लिठइस बार अपनी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी की दिशा बà¥à¤°à¤œ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की ओर करने का विचार मन में आया और तैयारी होने लगी होली के रंग में रंगे बà¥à¤°à¤œ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के दरà¥à¤¶à¤¨ की. शनिवार 8 मारà¥à¤š, 2014 को ऑफिस के बाद शाम को दिलà¥à¤²à¥€ से टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मथà¥à¤°à¤¾ पहà¥à¤à¤š कर अपने ससà¥à¤°à¤¾à¤² पकà¥à¤· के बà¥à¤† जी-फूफा जी के मथà¥à¤°à¤¾ जंकà¥à¤¶à¤¨ से कà¥à¤› कदमों की दूरी पर रेलवे बंगलो में पहà¥à¤à¤š कर परिजनों से मेल मिलाप के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया.
अगले दिन रविवार 9 मारà¥à¤š, 2014 को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ नितà¥à¤¯à¤•रà¥à¤® से निवृतà¥à¤¤ होकर मथà¥à¤°à¤¾ वृंदावन के दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के à¤à¥à¤°à¤®à¤£ की तैयारी करने लगे.

रेलवे बंगलो में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी से पहले बचà¥à¤šà¥‡ मसà¥à¤¤à¥€ के मूड में.

रेलवे बंगलो में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी से पहले बचà¥à¤šà¥‡ मसà¥à¤¤à¥€ के मूड में.
à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£à¤¾ की नगरी मथà¥à¤°à¤¾ में à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करने के लिठसरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤à¥‚मि के दरà¥à¤¶à¤¨ किये. शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤à¥‚मि में कैमरा, मोबाइल व अनà¥à¤¯ इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰à¤¨à¤¿à¤• सामान ले जाना पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धित है
शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ जनà¥à¤® सà¥à¤¥à¤² के दरà¥à¤¶à¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ कà¥à¤› समय जनà¥à¤®à¤à¥‚मि पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के दरà¥à¤¶à¤¨ व à¤à¥à¤°à¤®à¤£ की रूपरेखा अपने मन में तैयार की. दोपहर 12 बजे के बाद मथà¥à¤°à¤¾-वृंदावन के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ मंदिर सांय 4 बजे तक दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठबंद कर दिठजाते हैं. समय अधिक होने के कारण मथà¥à¤°à¤¾ के अनà¥à¤¯ मंदिरों के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठशाम 4 बजे तक पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करनी पड़ती इसलिठमथà¥à¤°à¤¾ के अनà¥à¤¯ मंदिरों के दरà¥à¤¶à¤¨ का विचार छोड़ना पड़ा. बà¥à¤°à¤œà¤à¥‚मि छोटे-बड़े अनेक दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ को अपने पटल पर संजोये हà¥à¤ है. यहाठपग-पग पर अनेक आकरà¥à¤·à¤• मंदिर, आशà¥à¤°à¤®, मठ, धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ आदि धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² हैं. सीमित समय में सà¤à¥€ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के दरà¥à¤¶à¤¨ कर पाना समà¥à¤à¤µ ही नहीं है इसलिठआगे के लिठकà¥à¤› मà¥à¤–à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के दरà¥à¤¶à¤¨ का ही कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¥à¤® बनाया.
मथà¥à¤°à¤¾ के बाद अब वृंदावन के रमणीय सà¥à¤¥à¤² की और पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया. वृंदावन का कण-कण à¤à¤—वन कृषà¥à¤£ की लीलाओं से ओत-पà¥à¤°à¥‹à¤¤ है इसी कारण वृंदावन को बृजकà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का हृदय à¤à¥€ कहा जाता है. वृंदावन पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के बाद à¤à¥€ अà¤à¥€ मंदिरों के खà¥à¤²à¤¨à¥‡ में बहà¥à¤¤ समय शेष था. समय का सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— करने के लिठवृंदावन के निधिवन का विचरण कर लेना उचित लगा.

वृंदावन के निधिवन का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ व निकास दà¥à¤µà¤¾à¤°.
वृंदावन का निधिवन अपने आप में अनेक रहसà¥à¤¯, रोमांच और धारà¥à¤®à¤¿à¤• किमà¥à¤µà¤¦à¤‚तियां संजोये हà¥à¤ है. वृंदावन के शà¥à¤°à¥€ बांके बिहारी जी के मंदिर में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ विगà¥à¤°à¤¹ (शà¥à¤°à¥€ बांके बिहारी जी की मूरà¥à¤¤à¥€) का पà¥à¤°à¤¾à¤•टà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤² है निधिवन. कहा जाता है कि निधिवन में à¤à¤—वन शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ राधाजी के साथ आज à¤à¥€ रासलीला करते हैं. à¤à¤—वानॠके लीलाकाल के समय किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ का निधिवन में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ है. कहा जाता है कि दिन के समय निधिवन में वास करने वाले बनà¥à¤¦à¤°, पकà¥à¤·à¥€ और अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ यहाठतक कि चींटी आदि सूकà¥à¤·à¥à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ à¤à¥€ रासलीला काल में इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से कहीं अनà¥à¤¯à¤¤à¥à¤° चले जाते हैं.

वृंदावन के निधिवन की रज (मिटटी) में सराबोर बालदल.

वृंदावन के निधिवन में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिदास जी समाधी सà¥à¤¥à¤².
निधिवन में विचरने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ अà¤à¥€ à¤à¥€ मंदिरों के दà¥à¤µà¤¾à¤° खà¥à¤²à¤¨à¥‡ में परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ समय था. वृंदावन में आकर वृंदावनी लसà¥à¤¸à¥€ का मजा अगर नहीं लिया तो वृंदावन का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ अधूरा ही है. à¤à¥‚ख à¤à¥€ लगी हà¥à¤ थी तो कà¥à¤› खाने-पीने के साथ वृंदावनी लसà¥à¤¸à¥€ का मज़ा उठाने का यही सही समय था. बाकि बचे समय को शà¥à¤°à¥€ यमà¥à¤¨à¤¾ जी का तट पर वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने का विचार कर पग यमà¥à¤¨à¤¾ तट की ओर चल पड़े. शà¥à¤°à¥€ यमà¥à¤¨à¤¾à¤œà¥€ à¤à¤—वानॠशà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ की अनेक लीलाओं की साकà¥à¤·à¥€ है. शà¥à¤°à¥€ यमà¥à¤¨à¤¾à¤œà¥€ के तट पर बैठकर à¤à¤—वन की चीर-हरण, कालिया-दमन आदि अनेक लीलाओं के दृशà¥à¤¯ आà¤à¤–ों के सामने तैरने लगते हैं. शà¥à¤°à¥€ यमà¥à¤¨à¤¾ जी कि रेत में बचà¥à¤šà¥‡ कà¥à¤°à¥€à¤¡à¤¼à¤¾ करते हà¥à¤ गीले रेत में सराबोर होकर आनंद के खजाने को खोदने लगे. और धीरे-धीरे समय मंदिरों के दà¥à¤µà¤¾à¤° खà¥à¤²à¤¨à¥‡ का हो गया.

वृंदावन शà¥à¤°à¥€ यमà¥à¤¨à¤¾à¤œà¥€ के तट पर रेट और जल कà¥à¤°à¥€à¤¡à¤¼à¤¾ मगà¥à¤¨ बचà¥à¤šà¥‡.
सबसे पहले वृंदावन के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शà¥à¤°à¥€ बांके बिहारी जी मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठमंदिर दà¥à¤µà¤¾à¤° पर दà¥à¤µà¤¾à¤° खà¥à¤²à¤¨à¥‡ की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करने लगे. बांके बिहारी मंदिर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ और पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ मंदिरों में से à¤à¤• है। बांके बिहारी कृषà¥à¤£ का ही à¤à¤• रूप है जो इसमें पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ किया गया है। इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सन 1864 में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिदास ने करवाया था. वृंदावन में आने वाला पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ इस मंदिर में शà¥à¤°à¥€ बांके बिहारी जी के दरà¥à¤¶à¤¨ अवशà¥à¤¯ करके अपने यातà¥à¤°à¤¾ को सफल करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करता है.

वृंदावन शà¥à¤°à¥€ बांके बिहारी जी मंदिर का मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°.
अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ मंदिरों में कृषà¥à¤£ बलराम मंदिर (इसà¥à¤•ॉन टेमà¥à¤ªà¤²) जो कि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ का मंदिर नाम से à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ है. ISCON के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ पà¥à¤°à¤à¥à¤ªà¤¾à¤¦ जी के आदेशानà¥à¤¸à¤¾à¤° इस मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सन 1975 में करवाया गया. विशà¥à¤µà¤à¤° के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ इसà¥à¤•ॉन मंदिरों में से à¤à¤• वृंदावन का ये à¤à¤• अतिपà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ मंदिर है. वरà¥à¤·à¤à¤° इस मंदिर में पूरे विशà¥à¤µ के कृषà¥à¤£-à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का यहाठआना-जाना लगा रहता है. मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ पà¥à¤°à¤à¥à¤ªà¤¾à¤¦ जी के महामंतà¥à¤° (हरे कृषà¥à¤£ हरे कृषà¥à¤£ कृषà¥à¤£ कृषà¥à¤£ हरे हरे. हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे) का मानसिक जाप सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ ही पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हो जाता है. मंदिर में सतत चलने वाला महामंतà¥à¤° का संकीरà¥à¤¤à¤¨ आगंतà¥à¤•ों को मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ कर दरà¥à¤¶à¤¨ के साथ नरà¥à¤¤à¤¨ करने को विवश कर देता है.

वृंदावन शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ बलराम मंदिर (इसà¥à¤•ॉन टेमà¥à¤ªà¤²) का दृशà¥à¤¯ (साà¤à¤¾à¤° विकिपीडिया)
राधा वलà¥à¤²à¤ मंदिर, रंगजी मंदिर, शà¥à¤°à¥€ वैषà¥à¤£à¥‹ देवी मंदिर, पà¥à¤°à¥‡à¤® मंदिर अनà¥à¤¯ अनेक वृंदावन के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ आकरà¥à¤·à¤• मंदिर हैं. दिन à¤à¤° के à¤à¥à¤°à¤®à¤£ की थकान के बाद बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के साथ अनà¥à¤¯ मंदिरों के दरà¥à¤¶à¤¨ का विचार तà¥à¤¯à¤¾à¤—ना पड़ा और रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® हेतॠवापिस मथà¥à¤°à¤¾ की ओर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया.
(बरसाना नंदगाव कि यातà¥à¤°à¤¾ का विवरण आगामी लेख में)
good one !
Thanks Mahesh Semwal Ji.
Hi Munesh ji
Its always been interesting to visit Mathura and its surrounding areas, although clumpsy and crowded but still a nice place to visit.
Lassi and kachodies are the treasures of Mathura-Vrindavan.
I think you reached little early to miss the Holi celebrations there. Waiting for the next…..
Thank you Avtar Singh for commenting on the post.
Interesting and engaging post with captivating pics……Thanks for sharing.
Thank you Mukesh ji for liking the post.
Thank you Munesh for sharing your experience with us. There is a ‘blue’ tint in some of the photos. Have you done some processing/treatment using any software ? I guess the quality is not that high, may be the lens is not clean enough.
I am not a big fan of Mathura Vrindavan :-) but for sure this place attracts tons of people. Thanks again.
Thank you Nandan ji for your encouraging words. Photo quality of the both posts related to Brijbhoomi are poor because at that time I had a serious problem with my camera and took photos with my mobile phone (3 mps only. There is some editing also.
Places of Brijbhoomi Mathura, Vrindavan, Govardhan etc. are very attractive and refreshing for ghumakkars, religious people and nature lovers from India as well as foreigners.
I am used to go to these places frequently with family and alone as well, as time and conditions permit.
Regards.
Hi everyone!!
I am a big fan of mathura vrindavan. I have done 3 times 84 kos brij parikrama. Most of the ashrams charge you Rs.10000/- for 84 koss brij parikrama which last 40 days. But our ashram doesn’t charge any money. I am not advertising anything here. I am just helping those people who have deep spiritual inclination and starving to know more about the spiritual world. 84 kos brij parikrama is meant for those only. If you need any help then I can help you. It is very very tough. So think deeply before taking 84 kos brij parikrama which last 40 days in the month of october and november. Only our ashrams give complete descriptive 84 koss braj parikrama. Other ashrams who charge makes short cut methods and complete the parikrama. Those who are interested to take braj parikrama can contact me and I will help you. Only spiritually inclined people should contact me. Rest please don’t take this as it time consuming and health wise also 80 percent of men women fall sick during these 40 days. If you really want to know about MATHURA VRINDAVAN THEN YOU MUST DO 84 KOS BRIJ PARIKRAMA. Else you will not know anything about the truth. That is what I wanted to say. It runs very very deep. Only people who are doing research and fallen in love with divinity need to contact me. Rest excuse. Thanks
branavan dham apar jape ja radhe-radhe
vishnu datt pandey
radhe-radhe