सà¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड साथियों को दशहरे की हारà¥à¤¦à¤¿à¤• शà¥à¤à¤•ामनायें तथा आने वाली दिवाली की अगà¥à¤°à¤¿à¤® शà¥à¤à¤•ामनाà¤à¤‚. पिछली पोसà¥à¤Ÿ में मैने अपलोगों को हमारी रोहतांग की बरà¥à¤«à¤¿à¤²à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ के बारे में बताया था, और लीजिठअब आपको आगे की यातà¥à¤°à¤¾ पर ले चलता हूà¤. आज YHAI कैमà¥à¤ª में हमारा चौथा और अंतिम दिन था, और अपने तय कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आज 22 मई को हमें अपनी इस हिमाचल यातà¥à¤°à¤¾ के अंतिम पड़ाव यानी “बिजली महादेव” का सफर करना था. कैमà¥à¤ª में तीन चार दिन साथ रहने से बहà¥à¤¤ से लोगों से परिचय हो गया था और कà¥à¤›à¥‡à¤• से आतà¥à¤®à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ à¤à¥€. काल रात की जबरदसà¥à¤¤ थकान के चलते सोते समय ही निशà¥à¤šà¤¯ किया था की सà¥à¤¬à¤¹ देर तक सोà¤à¤‚गे और देर से ही बिजली महादेव के लिठनिकलेंगे सो सà¥à¤¬à¤¹ आराम से ही उठे और नितà¥à¤¯à¤•रà¥à¤®à¥‹à¤‚ से निवृतà¥à¤¤Â होकर नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के लिये फà¥à¤¡ ज़ोन की ओर चल दिà¤. कैमà¥à¤ª के कà¥à¤› लोग पिछले दिन बिजली महादेव जाकर आ चà¥à¤•े थे और हमें आज जाना था सो हमने उनलोगों से बात करके जानकारी ले लेना उचित समà¤à¤¾. सà¤à¥€ का कहना था की जगह तो बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है, माइंड बà¥à¤²à¥‹à¤‡à¤‚ग है लेकिन रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ कठिन है, बलà¥à¤•ि कठिन के बजाठदà¥à¤°à¥à¤—म कहना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सही होगा. दरअसल बिजली महादेव à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤ के शिखर पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है तथा वहां तक जाने के लिठकोई साधन उपलबà¥à¤§ नहीं होता, करीब दो घंटे की खड़ी चढ़ाई पैदल ही तय करनी पड़ती है, यहाठतक की घोड़े à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ नहीं होते.
हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ का खूबसूरत शहर कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी के तट पर 1230 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. जो पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में सनातन धरà¥à¤® के देवी देवताओं का सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ बसेरा था. कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ का बिजली महादेव मंदिर अथवा मकà¥à¤–न महादेव संसार का अनूठा à¤à¤µà¤‚ अदà¤à¥à¤¤ शिव मंदिर है, यह मंदिर बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी के किनारे मनाली से करीब 50 किलोमीटर दूर समà¥à¤¦à¥à¤° सà¥à¤¤à¤° से 2450 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ से कà¥à¤› 15 किलोमीटर की दूरी पर à¤à¤• गांव पड़ता है चंसारी वहां तक तो वाहन से जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ है लेकिन उसके बाद यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को 5 किलोमीटर पैदल ही चलना पड़ता है।

à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ यà¥à¤µà¤• काम पर जाते हà¥à¤..
सà¥à¤¬à¤¹ करीब आठबजे हमारी गाड़ी कैमà¥à¤ª के बाहर आ गई और आधे घंटे में हम लोग à¤à¥€ तैयार हो गà¤. आज कैमà¥à¤ª में नाशà¥à¤¤à¥‡ में दलिया और कसà¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¡ था और पैक लंच में चने की सà¥à¤–ी सबà¥à¤œà¥€ तथा परांठे थे. हमने हमारा आज का लंच à¤à¥€ पैक कर लिया था और बिजली महादेव के सफर के लिये कमर कस के गाड़ी में सवार हो गà¤. लोगों ने जो रासà¥à¤¤à¥‡ की कठिनता का वरà¥à¤£à¤¨ किया था उसे सà¥à¤¨à¤•र पहले तो हौसले पसà¥à¤¤ हो गठथे लेकिन फिर à¤à¤—वान à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ का नाम लेकर जाने का पकà¥à¤•ा मन बना लिया. हमने सोचा हम तो चल लेंगे लेकिन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का कà¥à¤¯à¤¾ होगा. बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से बात की तो पता चला की हौसले और उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ की कोई कमी नहीं थी, शिवम तथा गà¥à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾ दोनों ही दो तीन साल पहले सात किलोमीटर की ओंकारेशà¥à¤µà¤° परà¥à¤µà¤¤ की पैदल परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ कर चà¥à¤•े थे, वो बात याद करके हमें तथा हमारी सोच को थोड़ा और बल मिला . à¤à¥‹à¤²à¥‡ का नाम लेकर चालक ने गाड़ी कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ की ओर दौड़ा दी. रासà¥à¤¤à¥‡ में पतलीकूहल में रà¥à¤•कर कà¥à¤› सामान खरीदा और पà¥à¤¨à¤ƒ कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ की ओर बढ़ चले. सà¥à¤¬à¤¹ का समय था और मौसम à¤à¥€ सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ था और फिर हिमाचल के परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ नज़ारे, बड़े मजे में सफर कट रहा था. कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ शहर पार करके हमारी गाड़ी अब हिमाचल के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ इलाके में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर चà¥à¤•ी थी. हिमाचल का गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ परिवेश देखते ही बनता है, पारंपरिक लकड़ी से बने पहाड़ी घर, घरों के सामने सेब के पेड़, पेड़ों पर लदे शैशवावसà¥à¤¥à¤¾ में कोमल तथा छोटे छोटे सेब, हिमाचली वेशà¤à¥‚षा धारण किये सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ जनजीवन, पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ और हौले हौले बहती शीतल बयार हम जैसे मैदानों के रहने वालों के लिठतो à¤à¤• सपना ही होता है. हम मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के निवासी पà¥à¤°à¤•ृति के सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ से लगà¤à¤— अछूते ही रहते हैं, न पहाड़ों की उंचाइयां, न समà¥à¤¦à¥à¤° की लहरें …….सो इन नज़ारों को देखकर मदहोश हो जाना लाजमी à¤à¥€ है. इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ सपनीली दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में खोठहम आगे बढ़े जा रहे थे
कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ से निकलने के कà¥à¤› à¤à¤• घंटे के बाद आखिर वो सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ आ ही गया जहाठसे आगे वाहन के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ नहीं था. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने गाड़ी वहीं पारà¥à¤• की और हमने बताया की हमें यहाठसे पैदल ही जाना है, लौटने पर गाड़ी यहीं खड़ी मिलेगी. हमारे साथ हम दो परिवारों के अलावा और à¤à¥€ कई लोग थे जिनमें से कई सारे तो हमारे कैंप के ही थे. सà¥à¤¬à¤¹ के करीब साढ़े दस बजे थे और हमने बिजली महादेव की अपनी पैदल यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकर दी. रासà¥à¤¤à¤¾ उबड़ खाबड़ था तथा कई बार पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ पर चढकर चलना होता था लेकिन चूंकि यह सफर की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ ही थी और हम सà¤à¥€ जोश उमंग और उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से लबरेज थे. साथ में कà¥à¤› जरूरी सामान à¤à¥€ था जैसे खाना, पानी वगैरह. जैसे जैसे हम आगे बढ़ते जा रहे थे चढ़ाई और उंची होती जा रही थी. कà¥à¤› दस मिनट चलने के बाद ही थकान महसूस होने लगी और अब हम थोड़ी थोड़ी देर चलने के बाद बैठने लगे थे.

थोड़ा सा विशà¥à¤°à¤¾à¤®

पेड़ों पर सेब लगाना शà¥à¤°à¥‚ ही हà¥à¤ थे …..

रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• हिमाचली गांव
रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ कठिन था इस बात का अब हमें à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हो चला था, लेकिन गनीमत यह थी की पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤° हर थोड़ी दूरी के बाद छोटी छोटी दà¥à¤•ाने मिल रहीं थी जो की सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासियों ने खोल रखी थी. यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठइस दà¥à¤°à¥à¤—म रासà¥à¤¤à¥‡ पर ये दà¥à¤•ानें बहà¥à¤¤ सà¥à¤•ून दायक थी. इन दà¥à¤•ानों पर खाने पीने के सामान के अलावा ठंडे पानी की बोतलें तथा शीतल पेय उपलबà¥à¤§ थे.

थकान पर हावी मंज़िल पर पहà¥à¤‚चने का जज़à¥à¤¬à¤¾
धीरे धीरे सà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ मौसम बदल रहा था और उसकी जगह तीखी धूप और गरà¥à¤®à¥€ ने ले ली थी. à¤à¤• तो खड़ी चढ़ाई का पैदल मारà¥à¤— और उपर से धूप तथा गरà¥à¤®à¥€…यह यातà¥à¤°à¤¾ जो जैसे यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सबà¥à¤° का इमà¥à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¨ लेने पर तà¥à¤²à¥€ थी. मेरी तो हालत खराब हो रही थी, अब तो हर दस मिनट चलने के बाद पानी पीने तथा बैठने को मन कर रहा था, और बैठना à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ मैं तो अब मौका देखते ही निढाल होकर लेट जाता था, लेकिन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥‡ चेहरे फिर उठकर चलने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ कर देते थे.

थक कर चूर……
नीचे चितà¥à¤° में आप जो घोड़े देख रहे हैं, इस तरह के घोड़ों के à¤à¥à¤£à¥à¤¡ कई बार रासà¥à¤¤à¥‡ में मिले जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखकर लगता था की काश ये चाहे जितने पैसे ले ले और हमें बिजली महादेव तक छोड़ दे. रासà¥à¤¤à¥‡ में दà¥à¤•ानों पर रà¥à¤• रà¥à¤• कर कà¤à¥€ पानी तो कà¤à¥€ माज़ा, मिरिनà¥à¤¡à¤¾ पीकर तथा कà¥à¤› देर विशà¥à¤°à¤¾à¤® करके हम लोग फिर अपनी मंज़िल की ओर बढ़ चलते थे. ना कहीं कोई साईन बोरà¥à¤¡ ना ही कोई माइल सà¥à¤Ÿà¥‹à¤¨ ……बस अंधकार में चले जा रहे थे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दूरी का कोई अंदाज़ा ही नहीं था. थकान के मारे दम निकल रहा था उस पर कविता हर दो मिनट में फोटो खींचने का कहती तो मेरा दिमाग खराब हो जाता था, à¤à¤• दो बार तो मैं चिढ à¤à¥€ गया लेकिन उसने इसके पीछे जो तरà¥à¤• दिया उसे मैने जीवन à¤à¤° के लिठगाà¤à¤ बाà¤à¤§ कर रख लिया, उसने कहा की हम कल यहाठसे चले जाà¤à¤‚गे और हमारे साथ कà¥à¤¯à¤¾ जाà¤à¤—ा? बस कà¥à¤›Â यादें और आà¤à¤–ों में बसे कà¥à¤› दृशà¥à¤¯ जो कà¥à¤› सालों में धूमिल हो जाà¤à¤‚गे, ये तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ जो हम कैमरे में कैद करते हैं यही जमा पूà¤à¤œà¥€ के रूप में हमारे साथ हमेशा रहती है और हम जब चाहें इन तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ को देखकर अपनी यादों को ताज़ा कर सकते है.  à¤à¤• मत यह à¤à¥€ है की तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ खींचने के चकà¥à¤•र में हम इन दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· में समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ आनंद नहीं उठा पाते है. आपका कà¥à¤¯à¤¾ मानना है अपनी टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ के माधà¥à¤¯à¤® से जरूर बताà¤à¤‚.

बिजली महादेव की कठिन राह
आखिर चलते चलते हमें लगà¤à¤— दो घंटे हो गठऔर अब मेरे सबà¥à¤° का बाà¤à¤§ टूट चà¥à¤•ा था और मैं à¤à¤• जगह थक कर लेट गया, तà¤à¥€ हमारे कैंप का à¤à¤• गà¥à¤°à¥à¤ª हमें उपर की ओर आता हà¥à¤† दिखाई दिया. इस गà¥à¤°à¥à¤ª में करीब पंदà¥à¤°à¤¹ लोग थे कà¥à¤› पà¥à¤°à¥à¤· तथा कà¥à¤› महिलाà¤à¤‚ और सà¤à¥€ वृदà¥à¤§ थे, बात करने पर पता चला की वे सब महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के अकोला तथा नागपà¥à¤° से आठथे तथा सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ बैंक के सेवानिवृतà¥à¤¤ अधिकारी थे, सà¤à¥€ की उमà¥à¤° 65 से उपर थे, उनके जोश और जज़à¥à¤¬à¥‡ को देखकर मैने अपने आप को धिकà¥à¤•ारा ….और उठकर चल पड़ा. दà¥à¤•ान वालों से पूछते तो वो बताते की बस आधे घंटे का और रासà¥à¤¤à¤¾ है, लेकिन ये आधा घंटा à¤à¤• घंटे में à¤à¥€ पूरा नहीं होता था. कà¥à¤› दूर साथ चलने के बाद हमारे साथ वाला गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ परिवार à¤à¥€ हमसे बिछड़ गया, बस मौसाजी हमारे साथ रह गà¤, देखिये नीचे कैसे असमंजस में खड़े हैं……

रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• दà¥à¤•ान
इसी तरह थकते थकाते, रोते गाते हमें महसूस हà¥à¤† की अब हमारी मंज़िल दूर नहीं है. और कà¥à¤› देर में ही चढ़ाई खतà¥à¤® हो गई और सामने à¤à¤• लमà¥à¤¬à¤¾ चौड़ा घास का मैदान था, शायद इसे ही बà¥à¤—à¥â€à¤¯à¤¾à¤² कहा जाता है. इस मैदान के आते ही सामने हमें बिजली महादेव का बोरà¥à¤¡ दिखाई दिया, जिसे देख कर हमारी सारी थकान काफूर हो गई, मन में सà¥à¤•ून का संचार हà¥à¤† तथा पैरों में उरà¥à¤œà¤¾ पैदा हो गई. जैसे à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• काली अंधेरी रात के बाद सूरज दिखाई देता है वैसे ही हमें इस जबरदसà¥à¤¤ थका देने वाली पद यातà¥à¤°à¤¾ के बाद घास के मैदान पर चढ़ने पर जो सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नज़ारा दिखाई दिया उसे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में बयान कर पाना कठिन है. चारों ओर दूर दूर तक बरà¥à¤« से ढंके परà¥à¤µà¤¤, देवदार के अनगिनत पेड़, उपर नीला आकाश और रूई के फाहों की तरह सफेद बादल, हलà¥à¤•ी हलà¥à¤•ी ठंडी हवा के à¤à¥‹à¤‚के, नीचे लमà¥à¤¬à¤¾ चौड़ा घास का मैदान ….अदà¥à¤à¥à¤¤ दृशà¥à¤¯.

आखिर पहà¥à¤‚च ही गठबिजली महादेव ….
शिवम को अब à¤à¥‚ख लग आई थी सो हमने पास ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€à¤¨à¥‚मा रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤Ÿ “बिजलेशà¥à¤µà¤° कैफ़े” के शानदार फरà¥à¤¨à¥€à¤šà¤° (यकीन ना हो तो उपर चितà¥à¤° में कैफ़े तथा फरà¥à¤¨à¥€à¤šà¤° दोनों देख लीजिये) पर शान से बैठकर मैगी का ओरà¥à¤¡à¤° दिया. हम लोगों ने सà¥à¤¬à¤¹ लगà¤à¤— दस बजे चलना शà¥à¤°à¥‚ किया था और जब पहà¥à¤‚चे तब साढ़े बारह बज रहे थे यानी हमें चढ़ाई में दो से ढाई घंटे लगे.

बिजली महादेव शिखर

कà¥à¤¯à¤¾ यहाठà¤à¥€ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ की आवशà¥à¤¯à¤•ता है?
कà¥à¤› देर थकान मिटाने तथा पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सà¥à¤‚दरता का आनंद उठाने के बाद हम मंदिर कि ओर चल दिà¤. आज की इस पोसà¥à¤Ÿ को यहीं विराम देता हà¥à¤‚. आगे की कहानी अगली तथा अंतिम कड़ी में जलà¥à¤¦ ही आप लोगों के सेवा में पेश करà¥à¤‚गा, तब तक के लिठशà¥à¤ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी….
नमस्कार मुकेश जी …
हमेशा की तरह शानदार यात्रा लेख और साथ में बिजली महादेव यात्रा के जानदार फोटो |
हम लोग अपनी यात्रा में किसी कारणवश बिजली महादेव नहीं जा सके थे पर यह कमी आपके लेख से पूरी हो रही है |
आपके सवाल में मेरा जबाब है कि यदि आप कही की यात्रा पर हो तो सबसे पहले वहाँ के नजारों का आनंद लेना चाहिये उसके बाद फोटो खींचना चाहिये क्योंकि यही हमारी यादो की वास्तविक पूंजी होती है |
धन्यवाद
प्रिय युगल प्रश्नचिन्ह जी,
हमेशा की तरह उत्साहवर्धक टिप्पंणी. आपकी बात से सहमत हूँ लेकिन कई बार हमारे पास इतना समय नहीं होता की पहले दृश्य को निहारा जाए और फिर इत्मिनान से उसका चित्र लिया जाए.
टिप्पंणी के लिए हार्दिक आभार ….
Hi Mukesh,
I completely agree with what your wife said, we take with us and preserve the memories of the moments as well as places we visit. I first read about Bijli Mahadev, if I am not wrong, a log of our author Vipin Gaur. You have nicely described the journey so far… will wait for the next part. Pics are nice!…………..Thanks for sharing.
Anupan ji,
Thank you very much for your valuable remarks. You are right Vipin has written a beautiful and informative log on bijli mahadev. The next part is already scheduled on 14th Tuesday.
Thanks for liking the post.
very informative post… the description was so live that I felt like travelling with you and getting tired too :)
S.S. Sir,
Thank you very much sir for your nice comment. Your comments always energize and provide guidance.
Thanks.
Recently I visited Manali in Aug 2014 but I did not have any idea about this place. So I will cover this place in next time.
Thanks for sharing your experience.
Vivek,
Thanks for your valuavble comment. The way to Bijli Mahadev goes from Kullu. It really have stunning views of the valley from the top. Yes, due for next time…..
मुकेश जी हमेशा की तरह एक उम्दा लेख,
बिजली महादेव की कठीन रास्ते का वर्णन,
में भी मनाली 4 दफा जा चुका हुं,लेकिन बिजली महादेव जाना न हो पाया. चलिए दर्शन आपके माध्यम से हो जाएगे.
आपने फोटो खिचने पर एक तर्क दिया है,मुकेश भाई जहां तक मुझे लगता है,जब हमारी आंखे,मन,मस्तिक्ष किसी एक जगह रूककर सकुन प्राप्त करता है तभी हम उस जगह को हमेशा के लिए अपनी यादो मे कैद करने के लिए फोटो खिचते है,
बढिया लेख व चित्र…..
सचिन जी,
आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद. आपके तर्क से मैं शत प्रतिशत सहमत हूँ. फ्रेम खाली अच्छी नहीं लग रही है, अपना एक अच्छा सा फोटो डाल दीजिये.
मुकेश जी मैंने आपकी हिमाचल यात्रा के सभी पोस्ट पढ़े है. पिछले सभी यात्रा वृतांत की तरह यह भी बड़ी रोचकता और अलंकृत भाषा शैली में आपके द्वारा प्रस्तुत किया गया है. जो वाकई प्रशंसनीय है. मुकेश जी मैंने अभी अभी घुमक्कड़ी की शुरुआत ही की है और तीन चार सुगम जगह(जहाँ ट्रांसपोर्ट की पूर्ण उपलब्धता हो) घुमने के लिए जा चूका हूँ. लेकिन आपके हिमाचल यात्रा से सम्बंधित सभी वृतान्त पढ़ कर एक बात समझ में आई की कही भी जाने से पहले उस जगह की पूरी जानकारी और पूरी योजना बनाकर जाना चाहिए तभी आप यात्रा का सही तरह से आनंद ले लकते है. अंतिम किश्त का बेसब्री से इन्तेजार है ……..
आनंद विशु जी,
मुझे जानकर बहुत खुशी हो रही है की आपने इस श्रंखला के सभी भाग बड़े मनोयोग से पढ़े हैं। वैसे तो मैं इस प्रशंसा का हकदार नहीं हूँ, बस आपका स्नेह तथा बड़प्पन है…. आपने जो तीन चार जगहें घूमी हैं उनके बारे में लिखकर आप घुमक्कड़ पर पोस्ट प्रकाशित करवा सकते हैं। हम भी उत्सुक हैं आपके यात्रा वर्णन पढ़ने के लिए।
नंदन जी,
ऐसी भी क्या नाराज़गी है? आप तो आजकल ईद का चाँद बने बैठे हैं।
आपका कमेंट अभी अभी पढ़ा । अब क्या बताएं, वायरल की गिरफ्त में थे । उससे पहले घुमक्कड़ी पर बाहर थे तो पीछे काम का ढेर लग गया । अब एक तरफ खुद ढेर थे तो ओवरआल मामला थोड़ा संगीन हो गया था । चिठ्ठी को तार समझे और विलम्ब को रॉयल इग्नोर करें ।
मेरे ख्याल से फोटो खींचना ज़रूरी है , बिना उसे एक प्रोजेक्ट बनाते हुए । मतलब चलते फिरते जो फ्रेम हो गया वो वधिया । अब पोज़ पाज़ में खेल थोड़ा गंभीर हो जाता है । पर जितना संतुलन बन सके और जितना सामंजस्य बैठ सके उतना बढ़िया ।
एक दो और फोटो बुग्याल के होने चाहिए थे ।
Mahadev ki kripa bahut jaruri hoti hai aapne bahut hi acchi post likhi aapki post hume pasand aayi dhayvad aise post likhne ke liye Mahadev attitude status in hindi Har Har Mahadev 2020