हम लोग काफी दिनों से सोच रहे थे कि यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ à¤à¤µà¤‚ गंगोतà¥à¤°à¥€ की यातà¥à¤°à¤¾ की जाये परनà¥à¤¤à¥ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के à¤à¤—à¥à¤œà¤¾à¤® की वजह से कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बन नहीं पा रहा था. बचà¥à¤šà¥‹ ने ही सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया कि कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना आप लोग अकेले ही चले जाओ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह समय चारधाम यातà¥à¤°à¤¾ का à¤à¥€ है रासà¥à¤¤à¥‡ में बहà¥à¤¤ सारे साथी मिल जायेंगे. फिर à¤à¥€ हम दोनों पति पतà¥à¤¨à¥€ को लग रहा था कि बचà¥à¤šà¥‹ को कैसे अकेले दिलà¥à¤²à¥€ में छोड़कर जाà¤à¤. तà¤à¥€ à¤à¤• विचार दिमाग में आया कि कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ कि मौसी जो कि बिजनौर में रहती हैं उनको दिलà¥à¤²à¥€ बà¥à¤²à¤¾ लिया जाये उनका बेटा à¤à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ में हमारे ही साथ रहकर पढाई कर रहा हैं.यह आईडिया काम कर गया वह दिलà¥à¤²à¥€ आने को तैयार हो गयीं.
अब आगे का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® तय करना था कि कैसे जाया जाये सोचा कि अपनी मारà¥à¤¤à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤«à¥à¤Ÿ से ही चला जाये ताकि रासà¥à¤¤à¥‡ में आने वाली खूबसूरत जगहों का à¤à¥€ आनंद लिया जा सके. अब हम दो यातà¥à¤°à¥€ तो तैयार ही थे हमारी दीदी का पà¥à¤¤à¥à¤° रंजीत जो दिलà¥à¤²à¥€ में ही रहता था वह à¤à¥€ चलने को तैयार हो गया. अब हम तीन लोग हो गठथे. यातà¥à¤°à¤¾ 6 मई 2012 से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकरने का विचार था तà¤à¥€ à¤à¤• और आईडिया आया कि कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न दीदी के दूसरे पà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤µà¤® उसकी पतà¥à¤¨à¥€ को साथ में ले लिया जाये जो कि बरेली (उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶) में रहते हैं. वह दोनों लोग à¤à¥€ साथ चलने को तैयार थे परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ आ गयी कि विशाल की पतà¥à¤¨à¥€ अनॠकी 8 मई से 21 मई तक सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤•ोतà¥à¤¤à¤° की परीकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ थीं. परीकà¥à¤·à¤¾ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ हम लोगो ने यातà¥à¤°à¤¾ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में तबदीली की और यातà¥à¤°à¤¾ 21 मई से ही शà¥à¤°à¥‚ करने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बनाया. हम लोगों ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के समसà¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की यातà¥à¤°à¤¾ की हैं कà¤à¥€ अपनी गाड़ी से कà¤à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° को साथ लेकर.  किनà¥à¤¤à¥ यह à¤à¤¸à¥€ पहली यातà¥à¤°à¤¾ होने जा रही थी  जिसमे काफी दूरी तक पहाड़ो पर 11000 फीट की ऊंचाई तक यातà¥à¤°à¤¾ होनी थी और मैं अकेला गाडी चलाने वाला था हालाà¤à¤•ि दोनों à¤à¤¾à¤‚जे गाड़ी चलाना जानते हैं परनà¥à¤¤à¥ पहाड़ो पर गाडी चलाने का अनà¥à¤à¤µ नहीं है. खैर हिमà¥à¤®à¤¤ करके अकेले ही चलाने का मन बना लिया. हमने पूरी यातà¥à¤°à¤¾ का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® निमà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° बनाया.
२१ मई – दिलà¥à¤²à¥€-मेरठ-मà¥à¤œà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤° नगर- रूडकी -हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° (रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में)
२२ मई – हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°-ऋषिकेश -नरेनà¥à¤¦à¥à¤° नगर- चंबा- धरासू – बरकोट (रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤®Â  बरकोट में)
२३ मई – बरकोट- जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€- यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ धाम ( रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ में)
२४ मई – जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€-बारकोट-धरासू-उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी-गंगनानी-हरसिल (रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® हरसिल)
२५ मई – हरसिल- गंगोतà¥à¤°à¥€ धाम – गंगोतà¥à¤°à¥€ धाम- गंगनानी- उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी- धरासू- ऋषिकेश (रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® ऋषिकेश)
२६ मई – ऋषिकेश – हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°- रूडकी-मà¥à¤œà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤° नगर – मेरठ– दिलà¥à¤²à¥€
उपरोकà¥à¤¤ तय कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° मैंने विशाल को कह दिया था कि तà¥à¤® लोग बरेली से सीधे ही बस पकड़कर हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤š जाना जहाठपर हम लोग इंतज़ार करेंगे. अनॠका अंतिम à¤à¤•à¥à¤¸à¤¾à¤® 21 मई को 12 बजे समापà¥à¤¤ होना था इसलिठविशाल को सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया था कि à¤à¤—à¥à¤œà¤¾à¤® समापà¥à¤¤ होते ही सबसे पहली बाली बस में हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के लिठबैठजाओ ताकि समय पर हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤š कर हमें मिल जाये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमारा सायं 7 बजे तक हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤š जाने का विचार था. सारी तैयारी 20 मई की रात को कर ली थी इसलिठà¤à¤—à¥à¤œà¤¾à¤® समापà¥à¤¤ होते ही पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ करने में कोई समसà¥à¤¯à¤¾ नहीं थी. हम लोग नियत समय पर दिन के à¤à¤• बजे दिलà¥à¤²à¥€ से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर गà¤. रासà¥à¤¤à¥‡ में मेरठपहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से पहले सोचा कि विशाल से पता लगाया जाये कि वह लोग निकले हैं कि नहीं, पता चला कि उनका मोबाइल नाट रीचेबल था. समय लगà¤à¤— 2.30 का था. खैर हमने अपनी यातà¥à¤°à¤¾ जारी रखी. जब हम मà¥à¤œà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤° नगर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ ही वाले थे कि विशाल का फ़ोन आया उसने बताया कि वह लोग घर से दो बजे निकले थे और बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड पर खड़े हैं.  हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° जाने बाली कोई बस उपलबà¥à¤§ नहीं है. समय लगà¤à¤— चार बजे का था. अब निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से वह लोग समय पर हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ में असमरà¥à¤¥ थे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कोई à¤à¥€ बस उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ में लगà¤à¤— आठघंटे लगाने वाली थी. हमने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया कि वे तà¥à¤°à¤‚त मà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ जाने बाली बस पकड़ ले वहां पहà¥à¤‚चकर शायद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की बस मिल जाये. बरेली से मà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ के रासà¥à¤¤à¥‡ दिलà¥à¤²à¥€ जाने वाली बसें बरेली में हर दस मिनट पर मिलती है, इसलिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ की बस मिलने में कोई दिकà¥à¤•त नहीं हà¥à¤ˆ. हम लोगों ने जैसे ही मà¥à¤œà¤«à¥à¤«à¤° नगर पार किया कि विशाल का फ़ोन आया कि वे लोग मà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ की बस में बैठगठहैं और बस चल पड़ी है. हमने थोड़ी राहत की सांस ली चलो यातà¥à¤°à¤¾ तो शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ. हम लोग लगà¤à¤— सायं 6.30 बजे हर की पैड़ी पहà¥à¤à¤š गà¤. हर की पैड़ी का मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ गंगा जी की आरती आरंठहोने ही वाली थी हमने तà¥à¤°à¤‚त गाड़ी पारà¥à¤•िंग में लगाकर गंगाजी के मंदिर की तरफ दौड़ लगा दी ताकि आरती न निकल जाये. वैसे तो आरती के समय पर हमेशा ही बहà¥à¤¤ à¤à¥€à¤¡à¤¼ रहती है लेकिन चार धाम यातà¥à¤°à¤¾ के चलते à¤à¥€à¤¡à¤¼ बहà¥à¤¤ ही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थी.
आरती दरà¥à¤¶à¤¨ कर हमने गंगाजी में दीपकों को पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ किया और मां गंगा से विदा ली. अब हमारा अगला कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® ठहरने के लिठहोटल की तलाश करना था. हमने पहले से किसी à¤à¥€ होटल में कोई बà¥à¤•िंग नहीं कराई हà¥à¤ˆ थी.
हमारे सहयातà¥à¤°à¥€ रंजीत को जलेबी खाने का बड़ा ही शौक है, रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• जलेबी की दà¥à¤•ान पर जलेबी बन रही थी. रंजीत का मन आया की जलेबी खरीदी जाà¤à¤, जलेबी खरीद कर खाई. जलेबी à¤à¤¸à¥€ की खाते खाते मà¥à¤‚ह दà¥à¤ƒà¤– गया. खैर हमारी होटल की तलाश पूरी हà¥à¤ˆ हमने à¤à¤• होटल में दो कमरे लेकर अपना डेरा वहीठजमा दिया और करने लगे इंतज़ार विशाल और अनॠका जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की बस मिल गयी थी. और वे लगà¤à¤— 12 बजे तक हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाले थे.
दूसरादिन – 22 मई
आज का हमारा पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® शाम तक बरकोट पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ का था. इसके बारे में रात को ही सारे लोगों को बता दिया था. विशाल और अनॠरात को 1 बजे हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤‚चे थे. इसलिठहम सà¤à¥€ को सोते सोते रात के दो बज गठथे. लेकिन फिर à¤à¥€ हम सà¤à¥€ 6 बजे सोकर उठगठऔर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ आठबजे तक तैयार हो गठऔर यातà¥à¤°à¤¾ के लिठआगे निकल पड़े. हम लोग तय कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° ऋषिकेश होते हà¥à¤ चंबा बरकोट तक जाने वाले थे. होटल से निकलने के बाद हमने ऋषिकेश हाईवे पकड़ लिया. चारधाम यातà¥à¤°à¤¾ के कारण जगह जगह टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¿à¤• जाम था लेकिन उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के जवान मà¥à¤¸à¥à¤¤à¥‡à¤¦à¥€ से टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¿à¤• को कà¥à¤²à¥€à¤…र कर रहे थे. करीब नौ बजे हम ऋषिकेश मà¥à¤¨à¤¿ की रेती पहà¥à¤à¤š गà¤. यहाठगंगा तट पर कà¥à¤› समय बिताकर आगे चल दिठ. हमें नरेनà¥à¤¦à¥à¤° नगर के रासà¥à¤¤à¥‡ चंबा जाना था. ऋषिकेश से à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ सीधे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम जाता है जिसे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— 58 कहते हैं. à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ बायीं ओर है जो नरेनà¥à¤¦à¥à¤° नगर जाता है यह राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— 94 है.गाड़ी में हम आगे की यातà¥à¤°à¤¾ के बारे में बाते करने में इतने मशगूल थे कि हमें रासà¥à¤¤à¥‡ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ही नहीं रहा और हम सीधे ही  राजमारà¥à¤— 58 पर बढ़ गà¤. लगà¤à¤— आठकिलोमीटर जाने के बाद हमने माईलसà¥à¤Ÿà¥‹à¤¨ को देखना शà¥à¤°à¥‚ किया तो à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हà¥à¤† कि हम गलत रासà¥à¤¤à¥‡ पर आ गयें हैं. तà¤à¥€ मेरी पतà¥à¤¨à¥€ अंजना ने बताया कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पीछे कहीं à¤à¤• बोरà¥à¤¡ देखा था जिस पर नरेनà¥à¤¦à¥à¤° नगर और चंबा लिखा था. अब कà¥à¤¯à¤¾ करते वापस जाने के सिवा कोई चारा ही नहीं था. गाड़ी में रिवरà¥à¤¸ गेअर लगाया और वापस चल दिà¤. करीब आधा किलोमीटर जाने के बाद दो रासà¥à¤¤à¥‡ दिखे à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ ऋषिकेश के लिठऔर दूसरा रासà¥à¤¤à¤¾ नरेनà¥à¤¦à¥à¤° नगर जा रहा था शायद यह ऋषिकेश बाय पास होगा. ऋषिकेश से नरेनà¥à¤¦à¥à¤° नगर कि दूरी लगà¤à¤— 20 किलोमीटर है जिसे हमने 40 मिनट में तय कर लिया रोड बहà¥à¤¤ ही शानदार है. इसलिठसमय à¤à¥€ कम लगा. नरेनà¥à¤¦à¥à¤° नगर à¤à¤• छोटा सा लेकिन ख़ूबसूरत शहर है यहाठका बाजार बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ तरह से बसाया गया है. नरेनà¥à¤¦à¥à¤° नगर शहर कि समà¥à¤¦à¥à¤° तल से ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ 1326 मीटर है वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ नरेनà¥à¤¦à¥à¤° नगर 1919 में असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आया जब टिहरी के राजा नरेनà¥à¤¦à¥à¤° शाह ने अपनी राजधानी को टेहरी से यहाठसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¾à¤‚तरित किया.
नरेनà¥à¤¦à¥à¤° नगर से चंबा की दूरी 44 किलोमीटर है. हम लोग हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से सà¥à¤¬à¤¹ आठबजे निकले थे. नाशà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ नहीं किया था इसलिठसà¤à¥€ लोगों को à¤à¥‚ख लगने लगी थी. लेकिन रासà¥à¤¤à¥‡ में कोई अचà¥à¤›à¤¾ रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¤‚ट नहीं मिला. à¤à¤• चाय की दà¥à¤•ान नजर आयी जहाठपर हमने दिलà¥à¤²à¥€ से अपने साथ लाये नमकीन बिसà¥à¤•िट का सेवन किया और चाय पी. नरेनà¥à¤¦à¥à¤° नगर से चंबा के रासà¥à¤¤à¥‡ में हिंदोलाखाल, आगरखाल, फरकोट, आमपाता, जाजल, खहदी, नागनी गाà¤à¤µ आते हैं. दिन के 1.30 बजे हम लोग चंबा पहà¥à¤à¤š गà¤. चंबा नगर उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के टेहरी गढ़वाल जिले की नगर पंचायत है. समà¥à¤¦à¥à¤° तल से इसकी ऊंचाई 1524 मीटर (5000 फीट) है. चंबा शहर से उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के तीन मà¥à¤–à¥à¤¯ शहरों टेहरी, ऋषिकेश और मसूरी के लिठसड़कें जाती है.चंबा के पास धनौलà¥à¤Ÿà¥€,सà¥à¤°à¤•ंडा देवी मंदिर , कानाताल परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² है, चंबा से 20 किलोमीटर की दूरी पर दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सबसे ऊà¤à¤šà¥‡ बांधो में से à¤à¤• टेहरी बांध है. यह बांध à¤à¤¾à¤—ीरथी नदी पर बना है. इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ 1978 में पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहà¥à¤† था तथा इसे 2006 में इसे राषà¥à¤Ÿà¥à¤° को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया था. इस बांध की ऊंचाई लगà¤à¤— 850 फीट  है.
चंबा से धरासू की दूरी 56 किलोमीटर है. चंबा से धरासू के रासà¥à¤¤à¥‡ में चिनà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥€ सौर, बरेठी गाà¤à¤µ आते है. चिनà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥€ सौर में à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¤‚ट में हमने दोपहर का खाना खाया. इसके बाद आगे की ओर चल दिà¤. धरासू à¤à¤• छोटी सी जगह है. समà¥à¤¦à¥à¤° तल से इसकी ऊंचाई 1339 मीटर है. यहाठपर à¤à¤• पॉवर सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ à¤à¤¾à¤—ीरथी नदी पर बना है. धरासू से दो किलोमीटर जाने पर à¤à¤• बेंड आता है. यहाठसे à¤à¤• सीधा रासà¥à¤¤à¤¾ उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी होते हà¥à¤ गंगोतà¥à¤°à¥€ तक जाता है. यहीं से राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— 108 आरंठहोता है. बांयी ओर जाने वाला रासà¥à¤¤à¤¾ यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ जाता है. हमें इसी रासà¥à¤¤à¥‡ से जाना था. धरासू से इस रासà¥à¤¤à¥‡ के चौडीकरण का काम चल रहा है. इसलिठसड़क की हालत बहà¥à¤¤ ही ख़राब है. लगà¤à¤— सात- आठकिलोमीटर तक रासà¥à¤¤à¤¾ अतà¥à¤¯à¤‚त ही ख़राब है. इसके बाद बà¥à¤°à¥à¤¹à¤®à¥à¤–ाल नामक जगह आती है. बà¥à¤°à¥à¤¹à¤®à¥à¤–ाल से बरकोट की दूरी 40 किलोमीटर है. रासà¥à¤¤à¥‡ में गिनोती गाà¤à¤µ आता है. हम लोग शाम को लगà¤à¤— सात बजे बरकोट पहà¥à¤à¤š गà¤. धरासू से आने वाले रासà¥à¤¤à¥‡ पर बरकोट से à¤à¤• किलोमीटर दायीं ओर à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ को जाता है जबकि सीधा वाला रासà¥à¤¤à¤¾ बरकोट जाता है. यही रासà¥à¤¤à¤¾ आगे चलकर यमà¥à¤¨à¤¾ बà¥à¤°à¤¿à¤œ होते हà¥à¤ मसूरी जाता है. जो यातà¥à¤°à¥€ देहरादून से आते हैं वे इसी रासà¥à¤¤à¥‡ से यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ जाते हैं. बारकोट पहà¥à¤à¤š कर होटल की तलाश शà¥à¤°à¥‚ हो गयी. बरकोट यदà¥à¤¦à¤ªà¤¿ बड़ी जगह है लेकिन यहाठपर बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ होटल नहीं है. केवल यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ जाने वाले रासà¥à¤¤à¥‡ पर कà¥à¤› होटल है. होटल की कमी के कारण होटल तलाशने में थोड़ी दिकà¥à¤•त हà¥à¤ˆ परनà¥à¤¤à¥ बाद में à¤à¤• बड़ा सा कमरा मिल गया. खाने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ होटल में थी. इसलिठखाने की चिंता नहीं थी. बरकोट उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी जिले की नगर पंचायत है. समà¥à¤¦à¥à¤° तल से बरकोट की ऊंचाई 1220 मीटर है. रात को खाना खाने के बाद हमने सोने की तयारी की कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¥à¤¬à¤¹ हमने यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ की यातà¥à¤°à¤¾ करनी थी.
तीसरादिन– 23 मईÂ
तीसरे दिन हम लोग सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे सोकर उठगठअब हमारा अगला लकà¥à¤·à¥à¤¯ यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ का था . बरकोट से जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ की दूरी 41 किलोमीटर है. हमारा कारà¥à¤¯ कà¥à¤°à¤® कà¥à¤› इस पà¥à¤°à¤•ार का था की हम लोगों यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ कर शाम तक पà¥à¤¨ बरकोट लौट आये. ताकि अगले दिन हम यहाठसे सीधे गंगोतà¥à¤°à¥€ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर सके. इन बातो को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ हमने सà¥à¤¬à¤¹ सात बजे ही बरकोट से रवानगी कर डाली. बरकोट से निकलते ही रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ ही ख़राब है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठà¤à¥€ सड़क के चौडीकरण का काम चल रहा है. बरकोट से 15 किमी दूर गंगोनी नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर हमने सà¥à¤¬à¤¹ का नाशà¥à¤¤à¤¾ कर अपनी यातà¥à¤°à¤¾ जारी रखी. बरकोट से जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ का रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ नहीं. à¤à¤• तो रासà¥à¤¤à¤¾ ख़राब दà¥à¤¸à¤°à¥‡ चढाई इसलिठसमय à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लग रहा था. चारधाम यातà¥à¤°à¤¾ के चलते टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¿à¤• à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ था. सयाना चटà¥à¤Ÿà¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से पहले हमें जाम में à¤à¥€ फà¤à¤¸à¤¨à¤¾ पड़ा. लगà¤à¤— 1 घंटा जाम में हम लोग खड़े रहे. उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड पà¥à¤²à¤¿à¤¸ यहाठपर à¤à¥€ जाम कà¥à¤²à¥€à¤…र करने में मà¥à¤¸à¥à¤¤à¥ˆà¤¦à¥€ से लगी हà¥à¤ˆ थी. सयाना चटà¥à¤Ÿà¥€ पार करने के बाद राणा चटà¥à¤Ÿà¥€ नामक जगह आती यहाठपर à¤à¥€ जाम लगा हà¥à¤† था. यहाठसे जैसे तैसे आगे बढे की हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ चटà¥à¤Ÿà¥€ में फिर जाम से रूबरू होना पड़ा.   सारे जामों से जूà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ लगà¤à¤— दो बजे के आस पास हम जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ पहà¥à¤à¤š गà¤. जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ मंदिर जाने के लिठबसे कैंप है. यहाठतक बसें, कारें आती है. बरकोट से यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ के रासà¥à¤¤à¥‡ में निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤–ित सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पड़ते है.
गंगनाणी (15 किमी), कà¥à¤¥à¥‚र (3 किमी), पाल गाड (9 किमी), सयानी चटà¥à¤Ÿà¥€Â (5 किमी), राणाचटà¥à¤Ÿà¥€Â (3 किमी), हà¥à¤¨à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤ŸÂ (3 किमी), बनास (2 किमी), फूलचटà¥à¤Ÿà¥€Â (3 किमी पैदल चढ़ाई), जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€Â (5 किमी पैदल चढ़ाई), यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€
जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही हमने होटल में शिफà¥à¤Ÿ किया और यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ मंदिर जाने की तयारी शà¥à¤°à¥‚ कर दी. चूà¤à¤•ि हम लोग यहाठपर तय समय से काफी देर से पहà¥à¤‚चे थे. इसलिठरात को यहाठरà¥à¤•ने के सिवा और कोई चारा à¤à¥€ नहीं था. हमने जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ à¤à¤• ढाबे पर खाना खाया और तीन बजे यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ मंदिर के पैदल यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ कर दी. चारधाम यातà¥à¤°à¤¾ के कारण तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¥€à¤¡à¤¼ बहà¥à¤¤ थी. 5 किमी की यातà¥à¤°à¤¾ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ शाम 5 बजे हम यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ पहà¥à¤à¤š गà¤. पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही अचानक ठणà¥à¤¡ का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हà¥à¤†. मंदिर के बाहर का फरà¥à¤¶ बहà¥à¤¤ ही ठंडा था. हमने पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बगैरा ख़रीदा और मंदिर में दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठचल दिà¤. हालाà¤à¤•ि रासà¥à¤¤à¥‡ में यातà¥à¤°à¤¿à¤“ं की à¤à¥€à¤¡à¤¼ काफी थी परनà¥à¤¤à¥ मंदिर में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ नहीं. इसलिठजलà¥à¤¦à¥€ ही दरà¥à¤¶à¤¨ हो गà¤.
यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ मंदिर उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी जिले में 3291 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है.यह मंदिर माता यमà¥à¤¨à¤¾ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है. मंदिर में माता की मूरà¥à¤¤à¤¿ काले संगमरमर की बनी हà¥à¤ˆ है. इस मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ जयपà¥à¤° की रानी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कराया गया था. बरà¥à¤« और बाढ़ की बजह से यह मंदिर दो बार नषà¥à¤Ÿ हो गया था. मंदिर के कपट अकà¥à¤·à¤¯ तृतीया को खà¥à¤²à¤¤à¥‡ है à¤à¤µà¤® यम दà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ को बंद होते है.यहाठमंदिर के अलावा नाले, à¤à¤°à¤¨à¥‡, तथा गरम जल के सà¥à¤°à¥‹à¤¤ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करते हैं. मंदिर के समीप ही दिवà¥à¤¯ शिला और सूरà¥à¤¯ कà¥à¤‚ड है. माना जाता है की इस गरम जल में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने से सà¤à¥€ चरà¥à¤® रोग दूर हो जाते हैं. यहाठगरम पानी में आलू à¤à¤µà¤® चावल पकाठजाते हैं. जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के रूप में घर ले जाते है.
चार धामों में से à¤à¤• धाम यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ से यमà¥à¤¨à¤¾ का उदà¥à¤—म मातà¥à¤° à¤à¤• किमी की दूरी पर है। यहां बंदरपूंछ चोटी (6315 मी ) के पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ अंत में फैले यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ गà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤° को देखना अतà¥à¤¯à¤‚त रोमांचक है। यमà¥à¤¨à¤¾ पावन नदी का सà¥à¤°à¥‹à¤¤Â कालिंदी परà¥à¤µà¤¤Â है। तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤² से à¤à¤• कि. मी. दूर यह सà¥à¤¥à¤² 4421 मी. ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। दà¥à¤°à¥à¤—म चढ़ाई होने के कारण शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥‚ इस उदà¥à¤—म सà¥à¤¥à¤² को देखने से वंचित रह जाते हैं।
यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤ बरà¥à¤« की जमी हà¥à¤ˆ à¤à¤• à¤à¥€à¤² और हिमनद (चंपासर गà¥à¤²à¥‡à¤¸à¤¿à¤¯à¤°) है जो समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 4421 मीटर की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर कालिंद परà¥à¤µà¤¤ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से लगà¤à¤— 1 किमी आगे जाना संà¤à¤µ नही है कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि यहां मारà¥à¤— अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• दà¥à¤°à¥à¤—म है। यही कारण है कि देवी का मंदिर पहाडी के तल पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• संकरी-पतली यà¥à¤®à¤¨à¤¾ काजल हिम शीतल है। यमà¥à¤¨à¤¾ के इस जल की परिशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾, निषà¥à¤•लà¥à¤¶à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ के कारण à¤à¤•à¥à¤¤à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के हà¥à¤¦à¤¯ में यमà¥à¤¨à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अगाध शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ और à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ उमड पड़ती है। पौराणिक आखà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° असित मà¥à¤¨à¤¿ की परà¥à¤£à¤•à¥à¤Ÿà¥€ इसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर थी। देवी यमà¥à¤¨à¤¾ के मंदिर तक चढ़ाई का मारà¥à¤— वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रूप में दà¥à¤°à¥à¤—म और रोमांचित करनेवाला है। मारà¥à¤— पर अगल-बगल में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गगनचà¥à¤‚बी, मनोहारी नंग-धडंग बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ चोटियां तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ कर देती हैं। इस दà¥à¤°à¥à¤—म चढ़ाई के आस-पास घने जंगलो की हरितिमा मन को मोहने से नही चूकती है।
मंदिर में दरà¥à¤¶à¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ हमने फोटो खींचे. मंदिर परिसर में लगà¤à¤— à¤à¤• घंटा बिताने के बाद हमने वापसी की यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ की और आठबजे जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ अपने होटल पहà¥à¤à¤š गà¤. सà¤à¥€ लोग काफी थक गठथे इसलिठढाबे वाले को कहकर होटल के रूम में खाना माà¤à¤—ा लिया और खाना खाकर सो गठइस तरह हमारी à¤à¤• धाम यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ की यातà¥à¤°à¤¾ समापà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ. अब दà¥à¤¸à¤°à¥‡ धाम गंगोतà¥à¤°à¥€ की यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ करनी थी. यह तय किया गया की सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ ही पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर देना है. ताकि रात तक हरसिल पहà¥à¤à¤š कर वहां विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया जा सके.
चौथादिन – २4मई
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हम लोग पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ 7 बजे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ से निवृत होकर तैयार हो गà¤. अब हमारा अगला पड़ाव हरसिल था जो कि गंगोतà¥à¤°à¥€ धाम से 20 किमी दूर है. जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ से बरकोट तक हमें वही रासà¥à¤¤à¤¾ तय करना था जिससे हम कल आये थे. जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ से हरसिल की दूरी 209 किमी है जिसे आज हमें तय करना था . जानकी चटà¥à¤Ÿà¥€ से हरसिल का रासà¥à¤¤à¤¾ निमà¥à¤¨ है.
फूलचटà¥à¤Ÿà¥€ (2 किमी ) बनास (3 किमी) हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤šà¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ (3 किमी), राणाचटà¥à¤Ÿà¥€ (5 किमी), सयानाचटà¥à¤Ÿà¥€ (12 किमी) कà¥à¤¥à¤¨à¥‚र (15 किमी), गंगनाणी (9 किमी), बडकोट (58 किमी), धरासू, 3(16 किमी), नकà¥à¤°à¥€(12 किमी), उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी (5 किमी), गंगोरी (3 किमी), नेताला (6 किमी), मनेरी (14 किमी), à¤à¤Ÿà¤µà¤¾à¤¡à¥€ (13 किमी), गंगनाणी (19 किमी) सूखी धार (12 किमी), हरसिल (11 किमी),
हम लोग करीब 10 बजे बरकोट पहà¥à¤à¤š गठजहाठसे धरासू का रासà¥à¤¤à¤¾ पकड़ लिया. बरकोट से 10 या 11 किमी आगे जाने पर à¤à¤• पहाड़ पर चढ़ना होता है. यहाठपर सड़क की हालत बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¥€ है. इन पहाड़ो पर बहà¥à¤¤ ही घने और लमà¥à¤¬à¥‡ लमà¥à¤¬à¥‡ बृकà¥à¤· है, जो इन पहाड़ों को सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते है.
इस सडक पर हम जा ही रहे थे कि देखा आगे टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¿à¤• जाम है. सामने से आने वाली à¤à¤• बस पहाड़ के मोड़ पर फà¤à¤¸ गयी थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसके सामने à¤à¥€ à¤à¤• बस आ गयी थी. उस बस के पीछे कई सारी गाड़ी आ रही थी बस पीछे रिवरà¥à¤¸ करना मà¥à¤¶à¥à¤•िल था. देखते ही देखते दोनों ओर गाडिओं का जाम लग गया. à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था जैसे दिलà¥à¤²à¥€ के किसी जाम में फंस गà¤à¤ हैं. अंतर वस इतना ही था कि दिलà¥à¤²à¥€ कि तरह यहाठकोई गाड़ी वाला ओवरटेक कर आगे अपनी गाड़ी ले जाने की कोशिश नहीं कर रहा था. करता à¤à¥€ कैसे जगह ही नहीं थी. दूसरे à¤à¤• तरफ पहाड़ दूसरी तरफ गहरी गहरी खाई. यहाठहम आधा घंटा जाम में खड़े रहे. तà¤à¥€ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड पà¥à¤²à¤¿à¤¸ का à¤à¤• जवान आया उसने यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ कि मदद से टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¿à¤• कà¥à¤²à¥€à¤…र करना शà¥à¤°à¥‚ किया. इसके लिठहमारी साइड से आने वाले सà¤à¥€ वाहनों को लगà¤à¤— 200 मीटर गाड़ी रिवेरà¥à¤¸ करनी पढ़ी.तब रासà¥à¤¤à¤¾ बन पाया. à¤à¤• बजे हम धरासू पहà¥à¤‚चे. धरासू से ही राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राज मारà¥à¤— 108 कि शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ होती है. यही राजमारà¥à¤— उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी होते हà¥à¤ गंगोतà¥à¤°à¥€ तक जाता है. जबकि सीधे हाथ पर जाने वाला रासà¥à¤¤à¤¾ ऋषिकेश जाता है. धरासू से उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी कि दूरी 21 किमी है. उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी से गंगोतà¥à¤°à¥€ 100 किमी है. धरासू से उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी के रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¥€ सड़क चौडीकरण का काम चल रहा है इसी वजह से सड़क कहीं बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ कहीं बहà¥à¤¤ ही ख़राब है. कà¤à¥€ कà¤à¥€ तो à¤à¤¸à¥€ सड़क आयी मानो कोई कम चौड़ा रनवे हो. दो बजे हम उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी पहà¥à¤à¤š गà¤. उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड राजà¥à¤¯ का à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– नगर है तथा धारà¥à¤®à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¥€ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ शहर है. यह नगर à¤à¤¾à¤—ीरथी नदी के तट पर बसा है. इसका पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ नाम बाडाहात था. यहाठà¤à¤—वानॠविशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ का पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ मंदिर है. उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी का à¤à¤• अनà¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ परà¥à¤µà¤¤à¤¾à¤°à¥‹à¤¹à¤£ है. यहाठसे हर की दून, डोडिताल, यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ और गंगोतà¥à¤°à¥€ के परà¥à¤µà¤¤à¤¾à¤°à¥‹à¤¹à¤£ किया जा सकता है. यह शहर समà¥à¤¦à¥à¤° तल से ११५८ मीटर कि ऊंचाई पर है. उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी के आसपास मनीरी, गंगनी, डोडिताल à¤à¤µà¤‚ दायरा बà¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤² नामक परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² है. उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी से 3 किमी आगे गंगेरी में हमने दà¥à¤ªà¤¹à¤° का à¤à¥‹à¤œà¤¨ कर आगे की यातà¥à¤°à¤¾ जारी रखी. आगे à¤à¥€ सड़क के चौडीकरण का काम चल रहा है इसलिठसड़को की हालत बहà¥à¤¤ ख़राब है. à¤à¤Ÿà¤µà¤¾à¤°à¥€ के बाद सड़क कà¥à¤› ठीक है तथा चौड़ी à¤à¥€ है. हम लोग सूखी तोप पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाले ही थे की सामने से आ रही बस के à¤à¤• डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° सरदारजी ने हमसे कहा की आगे आप की गाड़ी पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ à¤à¤µà¤‚ पानी से नहीं निकल पाà¤à¤—ी, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि रासà¥à¤¤à¤¾ संकरा है तथा पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ पर पानी बह रहा है. हम लोग थोडा चिंतित हो गये की अब कà¥à¤¯à¤¾ होगा. खैर अब पीछे तो नहीं जा सकते थे, हमारे सामने  कà¥à¤› दूरी पर à¤à¤• टाटा इंडिका जा रही थी. हमने सोचा की यदि टाटा इंडिका पानी से निकल गयी तो हमारी गाड़ी à¤à¥€ अवशà¥à¤¯ निकल जायेगी. आगे जा रही टाटा इंडिका आसानी से पानी में से निकल गयी. उसी से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर हमने अपनी गाड़ी निकाल ली. à¤à¤¸à¥€ कोई डरने वाली बात नही थी, खामखा ही सरदार जी ने डरा दिया. सूखी तोप के बात सड़के काफी संकरी है इसलिठजगह जगह फिर जाम  मिलने लगे. जब हम गंगनानी पहà¥à¤‚चे तब तक अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने लगा था. पहाड़ो में अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने पर गाडी चलाना खतरे से खाली नही है. सरà¥à¤•ार à¤à¥€ हिदायत देती है की रात में वाहन न चलाये. अब हमे हरसिल पहà¥à¤‚चना मà¥à¤¶à¥à¤•िल लग रहा था इसलिठहमने विचार किया की अब जो à¤à¥€ जगह आà¤à¤—ी जहाठठहरने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ होगी वहीठरà¥à¤• जायेंगे. पहाड़ से उतरते ही हमे à¤à¤• गाà¤à¤µ दिखाई दिया. वहा पर ठहरने के लिठकà¥à¤› होटल थे. यह à¤à¤¾à¤—ीरथी नदी के तट पर बसा à¤à¤¾à¤²à¤¾ गाà¤à¤µ है. यही पर हमने रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® का निशà¥à¤šà¤¯ किया और à¤à¤• होटल में कमरा लेकर वही रà¥à¤• गà¤. हरसिल यहाठसे सिरà¥à¤« 6 किमी की दूरी पर था, लेकिन रात हो जाने के कारण हमने हरसिल जाकर रà¥à¤•ने का विचार तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिया.

पांचवादिन– 25  मई
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आज à¤à¤¾à¤²à¤¾ गाà¤à¤µ में थोड़ी ठणà¥à¤¡ महसूस हो रही थी. होती à¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हम लोग समà¥à¤¦à¥à¤° तल से करीबन 8000-8500 फीट की ऊंचाई पर थे. à¤à¤¾à¤²à¤¾ गाà¤à¤µ में बिजली जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय नहीं आती इसलिठयहाठके होटलों को जेनेरटर पर निरà¥à¤à¤° रहना पड़ता है. इस कारण होटल में गरम पानी की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ नहीं है. होटल वाले से जब नहाने के लिठगरम पानी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि पास में नà¥à¤•à¥à¤•ड़ पर à¤à¤• बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— को लकड़ियाठजलाकर पानी गरम करता है. वह आपको पानी उपलबà¥à¤§ करा देगा. वहां जाकर पता किया तो उसने 30/- रूपठपà¥à¤°à¤¤à¤¿ बालà¥à¤Ÿà¥€ पानी देने पर अपनी सहमति जताई. हमने वहां से पानी लेकर जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया. जलà¥à¤¦à¥€ इसलिठà¤à¤• तो हमें आगे यातà¥à¤°à¤¾ पर निकलना था दूसरे पानी होटल तक लाने में इसके जलà¥à¤¦à¥€ ठंडा हो जाने का डर था. सà¤à¥€ लोग सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ से निवृत होकर तैयार हà¥à¤ और आगे कि यातà¥à¤°à¤¾ पर निकल पड़े. हमने तय किया गंगोतà¥à¤°à¥€ में मां गंगोतà¥à¤°à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ कर ही नाशà¥à¤¤à¤¾ करेंगे. à¤à¤¾à¤²à¤¾ के निकट वह रही à¤à¤¾à¤—ीरथी नदी पर बने पà¥à¤² को पार करते ही à¤à¤¾à¤²à¤¾ गाà¤à¤µ पीछे छूट जाता है. इसके बाद सड़क थोड़ी ख़राब है. यहाठपर à¤à¤• जगह à¤à¤°à¤¨à¥‡ के पानी के सड़क पर आ जाने से सड़क पर काफी पानी जमा हो गया था . यहाठपर वहां रà¥à¤• रà¥à¤• कर निकल रहे थे. हम à¤à¥€ इस छोटी सी नदी से निकले. तà¤à¥€ आगे देखा कि à¤à¥‡à¤‚डो का बड़ा à¤à¥à¤£à¥à¤¡ आगे जा रहा था जिसने टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¿à¤• को काफी सà¥à¤¸à¥à¤¤ कर दिया. à¤à¥‡à¤¡à¥‹à¤‚ के à¤à¥à¤£à¥à¤¡ का यहाठà¤à¤• फोटो दिया जा रहा है.
à¤à¥‡à¤¡à¥‹à¤‚ के à¤à¥à¤£à¥à¤¡

यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ मंदिर
अà¤à¥€ हमारा सीधे ही गंगोतà¥à¤°à¥€ जाने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® था इसलिठसोचा कि वापसी में हरसिल रà¥à¤•ा जायेगा. रासà¥à¤¤à¥‡ में हरसिल के नज़ारे देख कर जी खà¥à¤¶ हो गया. यहाठसड़क कि हालत à¤à¥€ बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ है.
हरसिल, उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी-गंगोतà¥à¤°à¥€ मारà¥à¤— पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• गà¥à¤°à¤¾à¤® और कैणà¥à¤Ÿ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° है। हरसिल समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 7860 फà¥à¤Ÿ की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यहां से 30 किलोमीटर की दूरी गंगोतà¥à¤°à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨Â है.जो 1553 वरà¥à¤— किमी के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में फैला है।यहां का पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौंदरà¥à¤¯ देखते ही बनता है। है। पूरी घाटी में नदी-नालों और जल पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¤°à¤®à¤¾à¤° है। हर कहीं दूधिया जल धाराà¤à¤‚ इस घाटी का मौन तोडने में डटी हैं। नदी à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ के सौंदरà¥à¤¯ के साथ-साथ इस घाटी के सघन देवदार के वन मनमोहक हैं। जहां तक दृषà¥à¤Ÿà¤¿ जाती है वृकà¥à¤· हि वृकà¥à¤· दिखाई देते हैं।  गंगोतà¥à¤°à¥€ जाने वाले अधिकतर तीरà¥à¤¥ यातà¥à¤°à¥€ हरसिल की इस सà¥à¤‚दरता का आंनंद लेने के लिये यहां रà¥à¤•ते हैं। अपà¥à¤°à¥ˆà¤² से अकà¥à¤Ÿà¥‚बर तक हरसिल आना सà¥à¤—म है, लेकिन बरà¥à¤«à¤¬à¤¾à¤°à¥€ के चलते नवंबर से मारà¥à¤š तक यहां बहà¥à¤¤ कम ही परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• पहà¥à¤‚च पाते हैं। हरसिल की घाटियों का सौंदरà¥à¤¯ इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ महीनों में खिलता है, जब यहां की पहाडियां और पेड बरà¥à¤« से अचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ रहते हैं। हरसिल में सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कि दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से विदेशी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के ठहरने पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध है। विदेशी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• हरसिल होकर गंगोतà¥à¤°à¥€, गौमà¥à¤– और तपोवन सहित हिमालय की चोटियो में तो जा सकते हैं लेकिन हरसिल में नहीं ठहर सकते हैं। हरसिल की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ को राम तेरी गंगा मैली फिलà¥à¤®Â में à¤à¥€ दिखाया जा चà¥à¤•ा है। यहीं के à¤à¤• à¤à¤°à¤¨à¥‡ में फिलà¥à¤®  की नायिका मनà¥à¤¦à¤¾à¤•िनी को नहाते हà¥à¤ दिखाया गया है। तब से इस à¤à¤°à¤¨à¥‡ का नाम मनà¥à¤¦à¤¾à¤•िनी à¤à¤°à¤¨à¤¾Â पड़ गया।
हरसिल से à¤à¥ˆà¤°à¥‹à¤‚ घाटी आती है. यहाठपर à¤à¥ˆà¤°à¥‹à¤‚ जी का à¤à¤• मंदिर है. खाने पीने के लिठà¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है. यहीं पर वाहनों को गंगोतà¥à¤°à¥€ का पारà¥à¤•िंग शà¥à¤²à¥à¤• चà¥à¤•ाना पड़ता है. हम à¤à¥€ शà¥à¤²à¥à¤• देकर आगे बढ़ गà¤. यहाठसे à¤à¤•दम खडी चढाई है.
10.30 बजे हम गंगोतà¥à¤°à¥€ पहà¥à¤à¤š गà¤. गाड़ी पारà¥à¤• कर तà¥à¤°à¤‚त पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ ख़रीदा और दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लाइन में लग गà¤. लाइन काफी लमà¥à¤¬à¥€ थी. करीब 1.30 घंटे लाइन में लगने के बाद हमें मां गंगोतà¥à¤°à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ का मौका मिला.
गंगोतà¥à¤°à¥€Â गंगा नदी का उदà¥à¤—गम सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। गंगाजी का मंदिर, समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 3042 मीटर की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। à¤à¤¾à¤—ीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अतà¥à¤¯à¤‚त आकरà¥à¤·à¤• à¤à¤µà¤‚ मनोहारी है। यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨Â उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी से 100 किमी की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। गंगा मैंया के मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ 18 वी शताबà¥à¤¦à¥€ के शà¥à¤°à¥‚आत में किया गया था वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर का पà¥à¤¨à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ जयपà¥à¤° के राजघराने दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया गया था। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· मई से अकà¥à¤Ÿà¥‚बर के महीनो के बीच पतित पावनी गंगा मैंया के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के लिठलाखो शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ यहां आते है। यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ की ही तरह गंगोतà¥à¤°à¥€ का पतित पावन मंदिर à¤à¥€ अकà¥à¤·à¤¯ तृतीया के पावन परà¥à¤µ पर खà¥à¤²à¤¤à¤¾ है और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते है।
पौराणिक कथाओ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ रामचंदà¥à¤° के पूरà¥à¤µà¤œ रघà¥à¤•à¥à¤² के चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ राजा à¤à¤—ीरथ ने यहां à¤à¤• पवितà¥à¤° शिलाखंड पर बैठकर à¤à¤—वान शंकर की पà¥à¤°à¤šà¤‚ड तपसà¥à¤¯à¤¾ की थी। इस पवितà¥à¤° शिलाखंड के निकट ही 18 वी शताबà¥à¤¦à¥€ में इस मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया गया। à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि देवी à¤à¤¾à¤—ीरथी ने इसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर धरती का सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ किया। à¤à¤¸à¥€ à¤à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि पांडवो ने à¤à¥€ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के यà¥à¤¦à¥à¤§ में मारे गये अपने परिजनो की आतà¥à¤®à¤¿à¤• शांति के निमित इसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आकर à¤à¤• महान देव यजà¥à¤ž का अनà¥à¤·à¥à¤ ान किया था। यह पवितà¥à¤° à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤•ृषà¥à¤ मंदिर सफेद गà¥à¤°à¥‡à¤¨à¤¾à¤‡à¤Ÿ के चमकदार 20 फीट ऊंचे पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है। दरà¥à¤¶à¤• मंदिर की à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¾ देखकर समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ हà¥à¤ बिना नही रहते।
शिवलिंग के रूप में à¤à¤• नैसरà¥à¤—िक चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ à¤à¤¾à¤—ीरथी नदी में जलमगà¥à¤¨ है। यह दृशà¥à¤¯ अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• मनोहार à¤à¤µà¤‚ आकरà¥à¤·à¤• है। इसके देखने से दैवी शकà¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· अनà¥à¤à¥‚ति होती है। पौराणिक आखà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, à¤à¤—वान शिव इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अपनी जटाओ को फैला कर बैठगठऔर उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ गंगा माता को अपनी घà¥à¤‚घराली जटाओ में लपेट दिया। शीतकाल के आरंठमें जब गंगा का सà¥à¤¤à¤° काफी अधिक नीचे चला जाता है तब उस अवसर पर ही उकà¥à¤¤ पवितà¥à¤° शिवलिंग के दरà¥à¤¶à¤¨ होते है।
गंगोतà¥à¤°à¥€ से 19 किलोमीटर दूर 3,892 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गौमà¥à¤– गंगोतà¥à¤°à¥€ गà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤° का मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ तथा à¤à¤¾à¤—ीरथी नदी का उदà¥à¤—म सà¥à¤¥à¤² है। कहते हैं कि यहां के बरà¥à¤«à¤¿à¤²à¥‡ पानी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने से सà¤à¥€ पाप धà¥à¤² जाते हैं। गंगोतà¥à¤°à¥€ से यहां तक की दूरी पैदल या फिर टà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥à¤“ं पर सवार होकर पूरी की जाती है। चढ़ाई उतनी कठिन नहीं है तथा कई लोग उसी दिन वापस à¤à¥€ आ जाते है। गंगोतà¥à¤°à¥€ में कà¥à¤²à¥€ à¤à¤µà¤‚ टà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥ उपलबà¥à¤§ होते हैं।
25 किलोमीटर लंबा, 4 किलोमीटर चौड़ा तथा लगà¤à¤— 40 मीटर ऊंचा गौमà¥à¤– अपने आप में à¤à¤• परिपूरà¥à¤£ माप है। इस गौमà¥à¤– गà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤° में à¤à¤—ीरथी à¤à¤• छोटी गà¥à¤«à¤¾à¤¨à¥à¤®à¤¾ ढांचे से आती है। इस बड़ी वरà¥à¤«à¤¾à¤¨à¥€ नदी में पानी 5,000 मीटर की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• बेसिन में आता है जिसका मूल पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ ढलान पर से संतोपंथ समूह की चोटियों से है।
पहले हमारा पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® गौमà¥à¤– तक à¤à¥€ जाने का था पर समय कि कमी के कारण संà¤à¤µ नहीं हो सका कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमें रविवार तक दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤‚चना जरूरी था. हम दिलà¥à¤²à¥€ में बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की मौसीजी को छोड़ कर आये थे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सोमवार को सà¥à¤¬à¤¹ अपनी कैलाश मानसरोवर यातà¥à¤°à¤¾ के लिठकाठमांडू की फà¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤Ÿ पकडनी थी. हाठयहाठपर हम लोग à¤à¤• बात लिखना ही à¤à¥‚ल गठयातà¥à¤°à¤¾ की तमाम जानकारी इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ आदि पर पड़ने से पता लगा था कि टेलिफ़ोन और मोबाइल सेवाà¤à¤‚ अचà¥à¤›à¥€ तरह से काम नहीं करती केवल बी à¤à¤¸ à¤à¤¨ à¤à¤² सेवाà¤à¤‚ ही ठीक काम करती है. हमारे पास à¤à¤¾à¤°à¤¤ संचार का कोई कनेकà¥à¤¸à¤¨ नहीं था. इसलिठहम लोग घर पर पिछले दो दिन में बात नहीं कर पाठथे. यहाठपर à¤à¤¸ टी डी बूथ à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं है. हमने हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में कहीं पर रिलायंस का विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ देखा था जिसमे दावा किया था उनका नेटवरà¥à¤• पà¥à¤°à¥‡ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड में है. विशाल के पास  रिलायंस का सिम था उसकी तो यह हालत हà¥à¤ˆ कि ऋषिकेश  से आगे निकलते ही मोबाइल ने काम  बंद कर दिया बाकी लोगों के पास  वोडाफ़ोन था जिसने उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी तक साथ दिया. जो लोग इस पोसà¥à¤Ÿ को पढ़ रहें है और उनका इस यातà¥à¤°à¤¾ का कोई पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤®  है उनके लिठसलाह है कि वे à¤à¤¾à¤°à¤¤ संचार का à¤à¤•  सिम  साथ अवशà¥à¤¯ ले जाà¤à¤.
दोपहर दो बजे हमने अपनी वापसी गंगोतà¥à¤°à¥€ से कर डाली. हमारा पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी में रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® का था. वापसी में हरसिल के पास à¤à¤• विउ पॉइंट है. वहां कà¥à¤› देर रूककर फोटो बगैरा खींचे . यहाठहवा इतनी तेज चल रही थी कि खड़ा होना मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो गया यहाठतक कि कैमरा हाथ में संà¤à¤¾à¤²à¤¨à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•िल था.
यहाठसे आगे चले तो फिर वही मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤ जाम की. इस बार जाम में वाहन रà¥à¤• रà¥à¤• कर चल रहे थे कà¤à¥€ लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक खड़े रहते. जाम की वजह से हरसिल में कà¥à¤› देर रà¥à¤•ने के पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® को टालना पड़ा. हालाà¤à¤•ि à¤à¤• जगह रासà¥à¤¤à¥‡ में गाड़ी को छोड़कर हम दूर à¤à¤¾à¤—ीरथी नदी के तट पर  कà¥à¤› देर बैठकर नदी के पानी का आनंद ले आये. जाम के कारण à¤à¤¸à¤¾ लग नहीं रहा था कि हम शाम तक उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी पहà¥à¤à¤š पाà¤à¤‚गे. हà¥à¤† à¤à¥€ वही. अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने तक हम गंगनानी पहà¥à¤à¤š गà¤. यही पर रात में रà¥à¤•ने का निशà¥à¤šà¤¯ किया. यहाठपर सड़क के नजदीक ऊपर पहाड़ी पर गरम पानी का कà¥à¤‚ड है. तय किया कि सà¥à¤¬à¤¹ वहीं सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया जायेगा. यहाठपर अचà¥à¤›à¥€ तादाद में होटल है. होटल वाले ने ही बताया कि नवमà¥à¤¬à¤° à¤à¤µà¤‚ दिसंबर में यहाठके होटल विदेशी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों से à¤à¤°à¥‡ रहते जो यहाठबरà¥à¤« का आनंद लेने आते है. हमने à¤à¤• होटल में बड़ा सा कमरा ले लिया और वहीठजम गà¤. होटल में साज सजà¥à¤œà¤¾ à¤à¥€ विदेशी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° की गयी है.
छठादिन– 26  मई
आज हमारा पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® ऋषिकेश या हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° तक की यातà¥à¤°à¤¾ का था जो यहाठसे लगà¤à¤— 200 किमी है. इसलिठआज थोडा देर से उठे. पास में गरम कà¥à¤‚ड जाकर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया. गरम कà¥à¤‚ड का रासà¥à¤¤à¤¾ होटल के पीछे से था जहाठसे कà¥à¤‚ड मातà¥à¤° 100 मीटर की दूरी पर है. कà¥à¤‚ड के पास कई दà¥à¤•ाने पूजा पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की वॠखाने के रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾ है. कà¥à¤‚ड में पानी वहà¥à¤¤ ही साफ़ था à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था कि किसी होटल का सà¥à¤µà¤¿à¤®à¤¿à¤‚ग पूल हो. वहां पर कà¥à¤‚ड का पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध देखने वाली संसà¥à¤¥à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ ने बताया कि कà¥à¤‚ड कि रोज रात को सफाई की जाती है. संसà¥à¤¥à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये जा रहे इस कारà¥à¤¯ के उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ साधà¥à¤µà¤¾à¤¦.
इसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ हमने गंगनानी से विदा ली और 12 बजे उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी पहà¥à¤‚चे यहाठपर हमारी गाड़ी को à¤à¥€ खà¥à¤°à¤¾à¤• कि जरूरत थी . अत; गाडी में पेटà¥à¤°à¥‹à¤² à¤à¤°à¤µà¤¾à¤¯à¤¾. यहीं आकर पता चला कि हमारी सरकार ने पेटà¥à¤°à¥‹à¤² के दामों में 7.50 रूपठकी वृदि कर दी है. हमें पता à¤à¥€ कैसे चलता हम दो तीन दिनों से संचार माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ से बिलकà¥à¤² कटे हà¥à¤ जो थे. उतà¥à¤¤à¤°à¤•ाशी से चंबा पहà¥à¤š कर सोचा कि लगे हाथों टिहरी बाà¤à¤§ का à¤à¥€ चकà¥à¤•र लगा लिया जाये. बाà¤à¤§ का चकà¥à¤•र लगा कर वापस चंबा आकर ऋषिकेश की ओर चल दिठऔर शाम सात बजे तक ऋषिकेश पहà¥à¤‚चे . पहले यहीं रà¥à¤•ने का विचार किया बाद में सोचा कि चलो हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में ही रà¥à¤•ेंगे. शनिवार का दिन होने के कारण सारे होटल बà¥à¤• थे. बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से à¤à¤• जगह मिली. इस पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ में रात के बारह बज गठथे. हम खाना खाकर तà¥à¤°à¤‚त सो गà¤.
सातवाà¤à¤¦à¤¿à¤¨– 27 मई
आज हमारा कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® दोपहर बाद तक दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤à¤š जाने का था. चूà¤à¤•ि रात को देर से सोये थे इसलिठदेर से जागे. होटल से चेक आउट कर सीधे ही हर की पौरी पहà¥à¤à¤š गà¤.
वहां सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर दिलà¥à¤²à¥€ के रवाना हो गà¤. रासà¥à¤¤à¥‡ में मà¥à¤œà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤° नगर से पहले खाना खाया. आज कई दिनों के बाद गाड़ी में पांचवा गेअर लगाने का मौका मिला. सरपट दौड़ते हà¥à¤ दिलà¥à¤²à¥€ अपने घर पहà¥à¤‚चे जहाठपर बचà¥à¤šà¥‡ हमारा इंतजार कर रहे थे. इस तरह से हमारी यातà¥à¤°à¤¾ का समापन हà¥à¤†. कà¥à¤² मिलकर इन सात दिनों में हमने 1350 किमी की यातà¥à¤°à¤¾ की थी.
वाह , आनंद जी पहली ही पोस्ट में दो धाम के इतने सुंदर चित्रों , यात्रा गा एड की तरह किलोमीटर की पुरी गिनती के साथ सैर करवाई .
हिंदी पोस्टो में अच्छे अच्छे घुमाक्कर छा गई हैं .
बाकि दो धाम भी जल्दी करे और भी मजा आएगा.
सर्वेश जी, मेरी पहली पोस्ट आपको पसंद आयी इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
आनंद भारती जी पहली पोस्ट से आपने क्या जबरदस्त धमाकेदार एंट्री की है की ब्यान नहीं कर पा रहा हूँ, सब कुछ इतना विशाल वर्णन किया है की लग रहा है की हम खुद ही यात्रा कर रहे हो, आप बहुत घूमे हो अब उसी घुमक्कड़ी को बताने में जुट जाओ, इंतज़ार रहेगा, जय माता दी, जय शंकर की,
नंदन जी/विभा जी यह पोस्ट दो भागो में हो सकती थी, क्योकि लेख बहुत ही विस्तृत रूप में है दो भागो में होने से अलग ही बात होती,
भाई, बहुत बहुत धन्यवाद, आपके द्वारा लिखी गयी लगभग सभी पोस्ट मैंने पढ़ी है. आपके द्वारा लिखे गए उन विस्तृत वर्णनों की तरह लिखने का प्रयास भर किया है. कोशिश करूँगा आगे भी अपनी यात्राओं के बारे में लिखूं. . पुनश्च धन्यवाद्.
संदीप जी – आपकी बात से सहमती है, सिस्टम को और दुरुस्त किया जाएगा |
दो धाम (यमुनोत्री एवं गंगोत्री) यात्रा हमने दो साल पहले की थी , यादें ताज़ा हो गई | बाकी दो कल से शुरू करेंगे |
लेख काफ़ी पसंद आया पर तोड़ा और विस्तार से लिखते और उसे दो से तीन भाग में लिखते तो और मज़ा आ जाता |
गंगोत्री में पांडव गुफा है , आप ने देखा ?
https://www.ghumakkar.com/2010/07/02/scenic-spots-on-the-way-to-divine-yatra-yamnotri/
महेश जी, धन्यवाद्. पांडव गुफा देखने का अवसर नहीं मिला.
आनंद भारती जी क्या लाज़वाब पोस्ट हैं. इतना विस्तृत वर्णन, इतने सुन्दर चित्र, क्या बात हैं. आप तो अपनी पहली पोस्ट में में छा गए भाई. जगह का , दूरी का, स्थान का इतना अच्छा और विस्तार में वर्णन हैं. ऐसा लगा कि आपके साथ साथ हम भी माँ यमुनोत्री और गंगोत्री के दर्शन कर रहे है. इस पोस्ट से इन स्थानों पर आने वालो को बहुत सहायता मिलेगी. धन्यवाद, जय श्री राम.
बहुत ही लंबी पोस्ट थी, परन्तु इतनी अच्छी कि एक बार में ही पूरी पढ़ डाली. बहुत ही अच्छा विवरण लिखा है आपने. घुमक्कड पर आपका स्वागत है. कुछ चित्रों में कैप्शन की गलतियाँ हैं, नंदन और विभा से सहायता लेनी होगी.
देवेन्द्रजी, यह मेरी पहली पोस्ट थी. अनुभव की कमी से चित्रों के कैप्शन गलत हो गए. त्रुटियों की तरफ इशारा करने के लिए शुक्रिया. कोशिश रहेगी की अगली पोस्ट्स में गलती न हो
आनंद जी , आप का लेख और फोटो बहुत अच्छे है. यात्रा का विवरण रोचक हैं धन्याबाद
घुमक्कड़ पर आपका स्वागत है , आनंद | पहला यात्रा वृतांत काफी बढ़िया रहा | जो लोग खुद गाडी चला कर यहाँ जा रहे हैं, उनके लिए अत्यधिक उपयोगी होगा | जामों के बारे में पढ़ कर थोडा उत्साह कम हो गया है :-) | अगर आपको होटल्स के नाम याद है तो वो बताएं और उनके बारे में भी, जिससे घुमक्कड़ों को और अधिक लाभ हो | अगर आपके पास उन होटल्स के फोटोस है, तो एक स्पेशल पोस्ट्स भी बनाई जा सकती है |
आगे कहाँ ले जा रहे हैं ? | एक बार फिर से स्वागतम और गंगोत्री, यमुनोत्री ले जाने के लिए धन्यवाद |
आनंद भारती जी ,
घुमाक्कर.कॉम पर हार्दिक आपका स्वागत है. काफी बढ़िया चित्र है . मुझे तो गंगोत्री वाले चित्र बहुत अच्छे लगे . मैंने कभी गंगोत्री के इतने अच्छे और साफ़ चित्र नहीं देखे .
दूसरी बात यह है की मैंने आपकी पोस्ट नहीं पढ़ी. क्यूंकि यह बहुत लंबी है. मैंने केवल आपके चित्र देखकर कमेन्ट किया है. इसका कारण यह है की मैं हिंदी पढ़ने में इतनी तेज नहीं है. बहुत आराम आराम से पढता हूँ. यह कमेन्ट भी बहुत आराम आराम से लिख रहा हूँ . बहुत समय लगता है हिंदी पढ़ने और लिखने में मुझे.
तो कृपया करके आने वाली पोस्ट आप थोड़ी छोटी रखिये ताकि हमें ज्यादा समय न लगे पढ़ने में. कृपया करके मेरे इस कमेन्ट को साकारात्मक नज़रिए से पढ़े.
धन्यवाद. घुमते रहो और लिखते रहो.
सुस्वागतम …….हिंदी में दो पावन धामो के सुंदर फोटोज एक सुंदर यात्रा के साथ और विस्तृत लेख में कराने के लिये धन्यवाद
घुमक्कड़ पर आपका स्वागत हैं…..| बहुत विस्तृत और रोचक शब्दों लिखा गया आपका सुन्दर चित्रों से सजित लेख बहुत पसंद आया …….लेख के माध्यम से दो धामो के बार में बहुत कुछ जानने को मिला…..|
सही है की लेख जरुरत से कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया हैं ….. इसी कारण इतने दिनों बाद समय मिलने पर पूरा पढ़ने की बाद कम्मेंट किया हैं…..यदि यह लेख थोड़ा दो भागो में होता बहुत ही उत्तम होता….| खैर आपने लेख में काफी मेहनत की और वो सफल भी हुई…..अच्छा लगा पढ़कर…..आगे भी घुमक्कड़ पर जुड़े रहिये……अपने यात्रा वर्णन लिखिए और दूसरों के लेख पर अपने राय व्यक्त कीजिये……
धन्यवाद
आनन्द जी, सही बताऊं तो मेरे सिर में दर्द होने लगा है। बहुत लम्बी पोस्ट है। इतनी लम्बी पोस्ट नहीं हुआ करतीं।
ज्यादा लम्बी ही सही, लेकिन शानदार वर्णन है।
लगता है कि आपने सभी दूरियां गूगल मैप से ली हैं। क्योंकि चम्बा से धरासू पहले कभी 56 किलोमीटर हुआ करता था लेकिन अब 80 किलोमीटर है। टिहरी बांध के कारण पुरानी सडक बन्द कर दी गई है। एक नई सडक है, जो काफी लम्बा चक्कर लगाती हुई धरासू जाती है। पहले जब चम्बा से धरासू जाते थे तो रास्ते में टिहरी पडता था लेकिन अब टिहरी नहीं पडता। अब टिहरी जाने के लिये चम्बा से 10-15 किलोमीटर अतिरिक्त चलना पडता है।
नीरज जी, यह मेरी पहली पोस्ट थी. अनुभव नहीं था. इस कारण दो भागों में नहीं कर पाया. लम्बी पोस्ट पढने के लिए समय निकाला इसके लिए धन्यवाद् और सर दर्द हुआ इसके लिए क्षमा.
आनंद जी,
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति के साथ घुमक्कड़ पर आगमन…………….स्वागतम.
जैसा की सभी ने कहा पोस्ट को दो या तीन भागों में बांटा जा सकता था, मैं भी इससे सहमत हूँ लेकिन इस बात से पोस्ट की रोचकता एवं रचनात्मकता में रत्ती भर भी कमी नहीं आई है, पोस्ट बहुत सुन्दर बनी है. विशेष रूप से तस्वीरों की तारीफ़ करना चाहूंगी, सारी तस्वीरें एक से बढ़कर एक है, आपने देवभूमि की सुन्दरता को अत्यंत कुशलता से चित्रित किया है जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं.
Bahut achchha likha hai. mene bhi apne char dham ke yatra sansmrn likkhe hai.pdf formet men hai. jisko lena ho free me email se bhej sakta hoo, my email shiv1946@rediffmail.com.
dear anand
पिछले वर्ष मै भी अपने परिवार के साथ यमनोत्री – गंगोत्रीधाम गए थे। एक बार पुन: यादे तजा हो गई। सुन्दर पोस्ट .