Site icon Ghumakkar – Inspiring travel experiences.

देहरादून कुछ जाना कुछ अनजाना

सभी घुम्मकड़ परिवारजनों को राज जोगी का सादर प्रणाम स्वीकार हो|पिछली पोस्ट में आप हरिद्वार रात दिन एकदिवसीय घुमक्कड़ी का आखों देखा हाल पढ़ चुके है|आज इस पोस्ट के माध्यम से आपको देहरादून एकदिवसीय घुम्मकड़ी का आनंद पहुँचाने का प्रयास है|हम अपनी टीम यानि परिवार को लेकर पहुँच गए आनंद विहार बस अड्डे|रात के 11:00 बजे की उत्तराखंड रोडवेज की देहरादून मेल मे जा सवार हुए|सुबह सवेरे 5:00 बजे हम दून की पिच यानि भूमि पर पहुच गए|अब हमारी टीम यानि सभी परिवार जन (मैं,पत्नी,बिटिया और मेरा नटखट आलराउंडर पुत्र)कमर कस तैयार थे दून घुम्मकड़ी मैच के लिए|हम ऑटो पकड़ कर दून आई एस बी टी से देहरादून रेलवे स्टेशन पहुचें|अब आप सोच रहे होंगे ये क्या माजरा है दून उतरते ही बस अड्डे से स्टेशन की दौड़ क्यों|हमें अपने अतिरिक्त भार से मुक्ति जो पानी थी|रेलवे का क्लोक रूम खोज कर अपना सामान उसमे जमा करा दिया|सामान रखने का शुल्क था केवल रु.10 प्रति नग 24 घंटे के लिए|देहरादून से रात्रि मे वापसी करनी थी इसलिए होटल में न रुके न उसकी खोज में समय बर्बाद किया|यंहां एक बात का अवश्य जिक्र करूँगा कंही भी जाये अपना एक फोटो आई डी व उसकी कुछ फोटो कापी अवश्य साथ रखें|यह आपको होटल में रुकने पर ,क्लोक रूम मे सामान रखते वक्त इत्यादि मे बड़े काम आती है|नित्य कर्म से निर्वित हो हमने देहरादून घूमने का जुगाड़ लगाना शुरू किया|हमारे पास दो विकल्प थे पहला देहरादून टैक्सी यूनियन का देहरादून भ्रमण टैक्सी पेकेज व दूसरा राह चलता ऑटो को पकड़ कर अपने पेकेज पर घूमना|हमनें उपकप्तान यानि अपनी पत्नी से सलाह की और दूसरा विकल्प चुना|इस का एक कारण मौन्द्रिक भी था|भई टैक्सी का किराया लगभग रु.1200 जबकि ऑटो का रु.700 तय हुया|हमारा ऑटो ड्राईवर शेरखान काफी भला इंसान था, क्योंकि बाकि ऑटोवाले दो जगह घुमाने के ही 500-600 रुपये मांग रहे थे|हमने जो घूमने का पेकेज बनाया उसमे शामिल था–1.सहस्रधारा 2.साईं मन्दिर 3.बुद्धा सेंटर 4.घुचुपानी5.टपकेश्वर महादेव मन्दिर .6.राम राय दरबार|

सबसे पहले पहुचे सहस्रधारा|अगस्त २०११ में बाल्दी नदी में आई बाढ़ के कारण यंहां काफी नुकसान हुआ था|कभी गुलजार रहा करने वाला यह पिकनिक- स्थल अब काफी उजाड़ लग रहा था|बड़े -बड़े चट्टानी पत्थर यंहां -वंहा बिखरे पड़े थे|

बाढ़ के पहले (फोटो सोजन्य M.S. JAKHI)



बाढ़ के बाद का दृश्य

यंहां सामने पहाड़ी पर गुफायें है|जिनमे प्रकिर्तिक रूप मे गंधक का पानी निरंतर गिरता रहता है व इसके द्वारा गुफा के भीतर सरचानाए बन जाती है |जो की देखने लायक है |हम समय आभाव के कारणवश वंहा न जा पाए|

सामने पहाड़ी पर कुछ मन्दिर व गंधक की गुफाएं

सभी परिवारजनों ने सहस्रधारा के शीतल जल मे उतर कर खूब आनंद लिया|

शीतल जल मे बच्चों की मस्ती

इसके बाद हम सभी राजपुर रोड पर साईं मन्दिर मे दर्शन के लिए गए|मन्दिर साफ़ व सुंदर बना हुआ था |अंदर हाल मे साईं की सुंदर परितिमा भक्तो को आशीर्वाद देती प्रतीत हो रही थी |हम भी कुछ देर वंहा के शांत और भक्तिपूर्ण वातावरण मे विलीन से हो गए |इसके बाद हमने वंही बाबा का प्रसादरुपी लंगर भी ग्रहण किया |कढी व चावल का यह बाबा का लंगर सभी भक्तजनों के लिए प्रतिदिन दोपहर मे निशुल्क वितरित किया जाता है |

साईं मन्दिर का प्रवेश द्वार

साईं दर्शन

साईं मन्दिर के बगल मे ही साक्य बुधा सेंटर है|बुद्ध धर्म के साक्य संमप्रदाय का यह धार्मिक व शैक्षिक केन्द्र है |यंही पर इनके गुरु श्री साक्य त्रिन्जिन का निवास भी है |बाहर से देखने पर एक सुंदर सी मोनेस्ट्री भवन मन को मोह लेता है|

साक्य केन्द्र का प्रवेश द्वार

साक्य केंद्र का भवन

दोपहर का वक्त होने के कारण मुख्य भवन बंद था इसलिय अंदर से नहीं देख सके | इसके बाद हम प्रकर्ति का अजूबा घूचूपानी या रोबर्स केव की और चल पड़े |हमारे गाइड और ऑटो चालक ने बताया जब आप अंदर जाओगे तो ऐसा लगेगा की आप वात्तानुकुलित सुरंग मे चल रहे है |घूचूपानी, देहरादून से 8 किलोमीटर दूर राजपुर रोड पर अनारवाला गांव से 1 किलोमीटर की पैदल दूरी पर सिथत है |यह एक प्राकर्तिक गुफा है जिसमे लगभग आधा किलोमीटर अंदर तक आप जा सकते है|गुफा के अंदर पानी गुप्त स्रोतों से बह रहा है |यंहा टिकेट ले कर हम अंदर परवेश कर गये ऐसा लग रहा था जैसे डिस्कवरी चैनल के किसी प्रोग्राम में शामिल हो गये है |कंही सुंदर झरना है तो कंही ऊपर से गुफा की दीवार मे से पानी की बोछार हो रही है |कभी आप कमर तक पानी मे डूब जाते है तो अगले ही पल पानी एकदम गायब हो जाता है|मेरे नटखट पुत्र ने इस जगह को नाम दिया गुपचुप पानी |

रोबर्स केव का प्रवेश द्वार

गुफा के अंदर घुटनों तक पानी में

गुफा के अंदर सुंदर सा झरना

गुफा के अंतिम छोर पर पानी का छोटा सा पूल

एक फोटोग्राफ अपनी वामंगनी के साथ

गुपचुप पानी की गुफा में दो घंटे तक खूब मस्ती करने के बाद हमारी टीम बाहर आ गयी |गुफा के द्वार पर खाने पीने की दुकानें है |वंहा हमने बटर मैगी का आनंद लिया |यंहा में एक बात कहना चाहूँगा की प्रकिरिति के सौंदर्य का बाजारीकरण नहीं होना चाहिये|खाने -पीने के स्टालों से वंहा गंदगी फैलने लगी थी |प्लास्टिक की खाली बोतलें ,ग्लास, प्लेट इत्यादी का यंहा -वंहा साम्राज्य फैलने लगा था |हमने मैगी जरूर ली पर दिस्पोसब्ल प्लेट के लिए न कर दिया |अगर हम पर्यावरण को बचाने मे थोड़ा सा भी योगदान करे तो काफी कुछ हो सकता है |बूँद -बूँद से ही घड़ा भरता है |घूचूपानी पिकनिक स्पोट पर एक रेस्टोरेन्ट काम्प्लेक्स भी जन्हा एक सुंदर सा फव्वारा चल रहा था |हमारे नटखट सुपुत्र वंहा भी आनंद लेने लगे |

मेरा नटखट सुपुत्र

रोबर्स केव के बाद हम अगले पड़ाव टपकेश्वर महादेव मन्दिर की और चल पड़े |टपकेश्वर महादेव मन्दिर गुरु द्रोणाचार्य और उनके पुत्र अस्वथामा की तपोस्थली है |यंहा पर स्थित गुफा मे इन्होंने शिव की तपस्या कर वरदान प्राप्त किए|यंहा के मुख्य आकर्षण है रुद्राक्ष के शिवलिंग ,गौरी शंकर स्वयम्भू शिवलिंग ,माता के पिंडी दर्शन गुफा में, स्वयम्भू शिवलिंग व नागराज दर्शन |

टपकेश्वर महादेव मन्दिर प्रवेश द्वार

टपकेश्वर मन्दिर इतिहास

माता का गुफा मन्दिर

माँ के पिंडी दर्शन

प्राचीन गौरी शंकर स्वम्भू शिवलिंग

अश्वथामा एक पग पर तपस्यारत

टपकेश्वर महादेव मन्दिर में दर्शन व प्रसाद ग्रहण कर अब हम अपनी दून यात्रा के अंतिम पड़ाव राम राय दरबार की और चल दिए |शाम हो चली थी और राम राय दरबार दून रेलवे स्टेशन के समीप ही था ,जन्हा हमारा सामान क्लोक रूम मे जमा था |

टपकेश्वर मन्दिर की ओर जाती व ऊपर आती अनगिनत सीडियां

देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी व उत्तरी भारत के पश्चिमोत्तर उत्तरांचल राज्य में स्थित देहरादून में गुरु रामराय दरबार महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है|देहरादून में बहुत सारे उत्सव और मेले आयोजित किए जाते हैं, जिसमें झंडा उत्सव 1699 में गुरु राम राय के शहर में आने की याद के तौर पर मनाया जाता है।गुरु राम राय के पिता गुरु हरि राय ने उन्हें मुग़ल राजा औरंगज़ेब के दरबार में चमत्कार दिखाने के लिए भेजा था। देहरादून पहुँचने पर उन्हें यहाँ आकर इतना अच्छा लगा कि वे यहीं रुक गए और यहाँ एक गुरुद्वारा बनाया जिसका नाम गुरु राम राय दरबार रखा। यहीं उन्होंने अपना झंडा फहराया। तब से आज तक होली के पाँचवे दिन बाद यह उत्सव मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन गुरु राम राय देहरादून पहुँचे थे।देश भर से उनके अनुयायी इसमें भाग लेने यहाँ आते हैं। दून घाटी में मनाया जाने वाला यह सबसे बड़ा मेला है। इस दिन झंडा चौक पर इस उत्‍सव का आयोजन किया जाता है और झंडा फहराया जाता है। जब हम लोग राम राय दरबार पहूचें तब मार्च का महीना था ओर झंडा मेला अपने पूरे जोर पर था |

गुरद्वारे के बाहर लगा झंडा

गुरुद्वारे का प्रवेश द्वार

श्वेत पत्थर से बना भव्य गुरुद्वारा

झंडा मेला की रौनक

गुरुद्वारा में दर्शन कर हमारी टीम ने जल्दी से क्लोक रूम से सामान उठा बस अड्डे की ओर दौड़ लगायी ओर दिल्ली की ओर जाने वाली बस में जा जमे |
कुछ काम की जानकारी दून बस अड्डे पर लगी बस की समय सारणी|

बस समय सारणी

देहरादून की एकदिवसीय घुमक्कडी का यंही समापन करता हूँ | आपको घुमक्कडी का आनंद कराता रहूँगा |

देहरादून कुछ जाना कुछ अनजाना was last modified: October 15th, 2024 by raj jogi
Exit mobile version