डाà¤à¤—माल में वन विà¤à¤¾à¤— का à¤à¤• गेसà¥à¤Ÿ हाउस है जहाठपरà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के लिठकमरे और डारमेटà¥à¤°à¥€ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है। गेसà¥à¤Ÿ हाउस जेटी से मातà¥à¤° सौ दो सौ कदमों की दूरी पर है। पानी से इस घिरे इस गेसà¥à¤Ÿ हाउस की खास बात ये है कि यहाठबिजली नहीं है। पर घबराइठमत हà¥à¤œà¥‚र, वो वाली बिजली ना सही पर सौर उरà¥à¤œà¤¾ से जलने वाले लैंप आपके कमरे को पà¥à¤°à¤•ाशमान रखेंगे।
शाम में गपशप करने, मोबाइल पर गीत सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ और ताश की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से मन बहलाने के आलावा कोई विकलà¥à¤ª नहीं था। गेसà¥à¤Ÿ हाउस की चारदीवारी के बाहर घना अंधकार था। बस à¤à¥€à¤‚गà¥à¤° सदृश कीड़ों की आवाज का कोरस लगातार सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देता रहता था। सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठकर जंगल की तफ़रीह करने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बना, हम सब गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ बजते बजते सोने चले गà¤à¥¤ सà¥à¤¬à¤¹ नींद छः बजे खà¥à¤²à¥€ और सà¥à¤¬à¤¹ की चाय का आनंद लेकर हम बाहर चहलकदमी के लिठचल पड़े। गेसà¥à¤Ÿ हाउस से जेटी की तरफ जाते हà¥à¤ रासà¥à¤¤à¥‡ के दोनों ओर नारियल के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की मोहक कतार है ।

काश ज़िदगी के रासà¥à¤¤à¥‡ इतने ही हरे à¤à¤°à¥‡ होते !
जेटी तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के पहले जंगल के अंदर à¤à¤• पगडंडी जाती हà¥à¤ˆ दिखती है। दरअसल ये पगडंडी यहाठका टà¥à¤°à¥‡à¤‚किग मारà¥à¤— है। ये मारà¥à¤— करीब चार किमी लंबा है और à¤à¤• गोलाई में आते हà¥à¤ फिर वहीं मिल जाता है जहाठसे शà¥à¤°à¥ हà¥à¤† था। मारà¥à¤— शà¥à¤°à¥ होते ही आप दोनों ओर मैनगà¥à¤°à¥‹à¤µ के जंगलों से घिर जाते हैं।

घने जंगल में आने का निमंतà¥à¤°à¤£ देती पगडंडियाà¤...
मैनगà¥à¤°à¥‹à¤µ के जंगल दलदली और नमकीन पानी वाले दà¥à¤·à¥à¤•र इलाके में अपने आपको किस तरह पोषित पलà¥à¤²à¤µà¤¿à¤¤ करते हैं ये तथà¥à¤¯ à¤à¥€ बेहद दिलचसà¥à¤ª है। अपना à¤à¥‹à¤œà¤¨ बनाने के लिठमैनगà¥à¤°à¥‹à¤µ को à¤à¥€ फà¥à¤°à¥€ आकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ à¤à¤µà¤®à¥ खनिज लवणों की आवशà¥à¤¯à¤•ता होती है। चूंकि ये पानी में हमेशा डूबी दलदली जमीन में पलते हैं इसलिठइनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥‚मि से ना तो आकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ मिल पाती है और ना ही खनिज लवण। पर पà¥à¤°à¤•ृति की लीला देखिठजो जड़े अनà¥à¤¯ पौधों में जमीन की गहराइयों में à¤à¥‹à¤œà¤¨ बनाने के लिठफैल जाती हैं वही मैनगà¥à¤°à¥‹à¤µ में ऊपर की ओर बरछी के आकार में बढ़ती हैं। इनकी ऊंचाई 30 सेमी से लेकर 3 मीटर तक हो सकती है। जड़ की बाहरी सतह में अनेक छिदà¥à¤° बने होते हैं जो हवा से आकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ लेते हैं और नमकीन जल में घà¥à¤²à¥‡ सोडियम लवणों से मैनगà¥à¤°à¥‹à¤µ को छà¥à¤Ÿà¤•ारा दिलाते हैं। मैनगà¥à¤°à¥‹à¤µ की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संरचना à¤à¥€ à¤à¤¸à¥€ होती है जो सोडियम लवण रहित जल को जलà¥à¤¦ ही वाषà¥à¤ªà¥€à¤•ृत नहीं होने देती।

पेड़ों की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठà¤à¥‚मि से निकलते तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल...
मैनगà¥à¤°à¥‹à¤µ के जंगलों में हम दो सौ मीटर ही बढ़े होंगे कि हमें जंगल के अंदर से पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में सरसराहट सी सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ पड़ी। सूरà¥à¤¯ की रोशनी अà¤à¥€ à¤à¥€ जंगलों के बीच नहीं थी इसलिठकà¥à¤› अंदाज लगा पाना कठिन था। पर कà¥à¤› ही देर में मामला साफ हो गया। वो आवाजें हिरणों के à¤à¥à¤‚ड के à¤à¤¾à¤—ने से आ रही थीं। थोड़ी देर में ही हम जिस रासà¥à¤¤à¥‡ में जा रहे थे, उसे ही पार करता हà¥à¤† हिरण दल हमें देख कर ठिठक गया। हमने अपनी चाल धीमी कर दी ताकि हिरणों को अपने कैमरे में क़ैद कर सके। à¤à¤¸à¤¾ करते हम उनसे करीब २० मीटर की दूरी तक जा पहà¥à¤à¤šà¥‡à¥¤ हिरणों का समूह अपनी निशà¥à¤šà¤² à¤à¥‹à¤²à¥€ आà¤à¤–ों से हमें टकटकी लगाता देखता रहा और हमारे और पास आने की कोशिश पर कà¥à¤› कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में ही जंगल में कà¥à¤²à¤¾à¤à¤šà¥‡ à¤à¤°à¤¤à¤¾ हà¥à¤† अदृशà¥à¤¯ हो गया।
दो किमी की दूरी तक चलने के बाद हमें फिर छोटे बड़े पौधों के बीच से कà¥à¤› हलचल सी दिखाई पड़ी। साà¤à¤ª के à¤à¤¯ से हमारे कदम जहाठके तहाठरà¥à¤• गà¤à¥¤ वहाठसे साà¤à¤ª तो नहीं निकला पर कà¥à¤› देर में नेवले से तिगà¥à¤¨à¥‡ आकार का जीव वहाठसे à¤à¤¾à¤—ता जंगल में छिप गया। हम इसे ठीक से देख à¤à¥€ नहीं पाठऔर सोचते ही रह गठकि वो कà¥à¤¯à¤¾ हो सकता है। जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे जंगल घना होता जा रहा था और हमारे साथ में कोई वन पà¥à¤°à¤¹à¤°à¥€ à¤à¥€ नहीं था। इसलिठहम लोग उसी रासà¥à¤¤à¥‡ से वापस लौट पड़े। अगर रासà¥à¤¤à¤¾ पूरा किया होता तो हमें शायद कà¥à¤› और देखने को à¤à¥€ मिल सकता था। खैर,उस जानवर के बारे में हमारी गà¥à¤¤à¥à¤¥à¥€ तीन घंटे बाद सà¥à¤²à¤à¥€ जब हमने उसे अपने गेसà¥à¤Ÿ हाउस के पिछवाड़े में देखा। पता चला कि ये यहाठका वॉटर मॉनीटर (Water Monitor) है। ये सामने आने पर अपने आकार की वजह से थोड़ा डरावना अवशà¥à¤¯ लगता है। इसकी लंबाई करीब डेढ़ से ढाई मीटर तक होती है। जितना दिखता है उतना आकà¥à¤°à¤®à¤• नहीं होता। इसका à¤à¥‹à¤œà¤¨ साà¤à¤ª,मेढ़क और मगरमचà¥à¤› के अंडे हैं। हम सब ने पास जाकर इसकी तसवीर ली
à¤à¤¿à¤¤à¤°à¤•निका के जंगलों में हिरण, सांà¤à¤° औरवॉटर मॉनिटर लिजारà¥à¤¡ के आलावा तेंदà¥à¤† ,जंगली सà¥à¤…र à¤à¥€ हैं। बगà¥à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ के पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के आलावा आठविà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के किंगफिशर (Kingfisher) का à¤à¥€ ये निवास सà¥à¤¥à¤² है। इन किंगफिशर के बारे में विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ विवरण आप नीचे के चितà¥à¤° पर कà¥à¤²à¤¿à¤• कर देख सकते हैं। पर सà¥à¤¬à¤¹ की हमारी छोटी सी टà¥à¤°à¥‡à¤•िंग में इस पà¥à¤°à¤•ार के पकà¥à¤·à¥€ कम ही दिखे।

सà¥à¤¬à¤¹ की सैर में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दरà¥à¤¶à¤¨ नहीं दिà¤...
सà¥à¤¬à¤¹ की सैर के बाद ज़ाहिर है पेट में चूहे कूदने लगे थे। सो जम कर नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद हम डाà¤à¤—माल के मगरमचà¥à¤› पà¥à¤°à¤œà¤¨à¤¨ केंदà¥à¤° (Salt Crocodile Breeding Centre) और संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ की ओर चल दिये। डाà¤à¤—माल में वन विà¤à¤¾à¤— के गेसà¥à¤Ÿ हाउस के आलावा à¤à¥€ निजी कंपनी सैंड पेबलà¥à¤¸ टूर à¤à¤µà¤® टà¥à¤°à¥ˆà¤µà¥‡à¤²à¥à¤¸ के कॉटेज उपलबà¥à¤§ हैं। इन गोलाकार à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€à¤¨à¥à¤®à¤¾ कॉटेज को देख कर बचपन की वो डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤‚ग कà¥à¤²à¤¾à¤¸ याद आ जाती है जब à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€ का चितà¥à¤° बनाने के लिठकहने के लिठहम तà¥à¤°à¤¤ इसी तरह की रेखाकृति खींचते थे।

कितना मजा आता था डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤‚ग कॉपी में à¤à¤¸à¥€ à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€ बनाने में..
इस काà¤à¤Ÿà¥‡à¤œ के पास ही à¤à¤• छोटा सा संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ है जहाठमैनगà¥à¤°à¥‹à¤µ में पाठजाने वाले जीवों के असà¥à¤¥à¤¿ पंजर को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखा गया है। संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ का मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ नमकीन पानी में पाठजाने वाले मगरमचà¥à¤› का असà¥à¤¥à¤¿ पिंजर है।

इन दाà¤à¤¤à¥‹à¤‚ के बीच अगर कà¥à¤› आ जाठतो...समठगठना आप :)
समà¥à¤¦à¥à¤° से सटे इन डेलà¥à¤Ÿà¤¾à¤ˆ इलाकों में पाठजाने वाले जà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤° जीव जंतॠअपना आधा जीवन पानी और आधा जमीन पर बिताते हैं। मैनगà¥à¤°à¥‹à¤µ के जंगल यहाठके पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¥‹à¤œà¤¨ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला का अहम हिसà¥à¤¸à¤¾ हैं। ये जंगल बड़ी मातà¥à¤°à¤¾ में जैविक सामगà¥à¤°à¥€ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करते हैं जो सैकड़ों छोटे जीवों का आहार बनते हैं। ये खादà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला छोटी और बड़ी मछलियों से होती हà¥à¤ˆ कछà¥à¤ और मगरमचà¥à¤› जैसे बड़े जीवों तक पहà¥à¤‚च जाती है।
मगरमचà¥à¤› की à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• दंतपंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देखने के बाद हमने सोचा कि कà¥à¤¯à¥‚ठना अब साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ à¤à¤• मगरमचà¥à¤› का दरà¥à¤¶à¤¨ किया जाà¤à¥¤ और हम मिलने चल दिठगौरी से। कौन थी गौरी और कैसी रही हमारी मà¥à¤²à¤¾à¤•ात जानना ना à¤à¥‚लियेगा इस शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला की अगली कड़ी में…
मनीष जी
पहली बात इस पोस्ट को पढ़ते पढ़ते यही आ रही है की यह क्या किया आपने . क्यूँ इधर पोस्ट ख़तम कर दी
में रुख नहीं सकता. में तो भूल गया था की में एक पोस्ट पढ़ रहा हूँ. खुद पहुच गया था मेंग्रूव में.
बहुत बढ़िया पोस्ट है . फोटोस बहुत सुंदर है और वर्णन की तो कोई तुलना ही नहीं.
२ की. मी. काफी मजा आया होगा.हिरन और वाटर मोनिटर का फोटो बहुत सुपर्ब था.
बस अब जल्दी गौरी और मगरमच से मिलाओ.
काश आपके साथ में भी होता यहाँ.
शु्क्रिया गौरी से आपकी मुलाकात शीघ्र ही होगी।
मनीष जी , डिस्कवरी चैनल की याद आ गई सब कुछ था रोमांच भी और ज्ञान भी , आपकी ये श्रंखला मेरी प्रिय श्रंखला बन गई है …………….आप शब्दो में जो कविताऐ करते है वाकई प्यारी हैं ………….ऐसे जंगल में रात गुजारना भी एक अलग ही अनुभव है
ये श्रृंखला पसंद करने के लिए शुक्रिया !
The excitement continues, Manishjee. Very well written and great visuals. The way you end each post reminds me of TV soap operas which end on an intriguing “आगे क्या होगा” note.
In the last post, you scared us with your picture of a massive crocodile. Now, you frighten us with visuals of crocodile jaws and a huge water monitor. It reminded me of the Komodo dragon of South East Asia. I wonder if the guides warn you of the potential threats from such animals and how one should act when they encounter these animals. Kindly share with us some tips for self-protection.
Looking forward to meeting Gauri in your next episode.
मनीष जी,
जंतुओं के प्राकृतिक चित्र तो सजीव हैं ही, पर आपका इतनी सुंदर भाषा में विवरण इसमें चार चांद लगा रहा है..
Well..we were all alone in the jungle so after getting first partial glimpse of this water monitor we calmly came back. But when we narrated our experience to the guest house employees, they said that water monitor is not an aggressive animal quite like “Newla”. Later on we saw these animals moving freely inside the boundary of the guest house. In a nut shell you don’t need to be frightened DL !
DL sahab as I have said Water Monitor is not to be afraid of. Though its appearance is a bit deceptive. The animal is not aggressive in nature & just like ‘Newla’ it even moves close to the human habitation . Infact the water monitor which I have clicked was moving on the periphery of the Guest House. In facts its the ghariyals & their elder sibling crocodiles who are really dangerous.
मनीष जी …….
बहुत अच्छी और महत्त्वपूर्ण जानकारी दी है आपने मेक्ग्रोव जंगलो की ….|
आपका लेख पढ़ते-पढ़ते हम भी मेक्ग्रोव के जंगलो में पहुँच गए….
काफी अच्छा और विस्तार से वर्णन किया आपने वहाँ के परिवेश एवं परिस्थितियों की….
मोनिटर लिजार्ड के बारे जानकार और उसका फोटो देखकर अच्छा लगा, अब तक हम तो यही समझते थे की भारत में इस तरह के जीव का कोई अस्तित्व नहीं हैं | आपके जंगल के भीतर की दो किमी० की पैदल यात्रा ने रोमांचित किया …..|
धन्यवाद ….इस जानकारी पूर्ण लेख के लिए
रीतेश ……………
जानकर खुशी हुई कि आपको ये आलेख पसंद आया रीतेश !
The picture of water monitor stole the show. It is amazing to know that one can be so close to a jungle full of wild-life. The information around mangrove, roots, sodium anti-dot was very useful.
पर बहुत जल्दी ख़तम हो गया मनीष :-) :-)
@ DL – There are a couple of stories (and pics) of the Kimodo Dragon which you mention in your comment at Ghumakkar.
One of the earlier Ghumakkar Authors, Anjaly, did a small series on this.
https://www.ghumakkar.com/author/anjaly/
Water Monitor is special for outsiders like us. Since we went without forest guard we could not explore it completely. With a good camera I am sure many species of birds can be captured on the photo frame.
@ Nandan: Thanks for directing me to Anjaly’s blog. So this is not the first time that these giant lizards have appeared on ghumakkar, huh? Maybe we need to go to Bitarkarnika with forked sticks, lol.
And yes, the info about mangroves in Manish’s log is truly impressive.