सà¥à¤¬à¤¹ पाà¤à¤š बजे, सड़क पर गाड़ीयों की आवाज़ सà¥à¤¨à¤•र नींद टà¥à¤Ÿ गयी और जब हम उठकर बैठे तो देखा कि शà¥à¤¶à¥€à¤² और सीटी à¤à¥€ हमारे पास सो रहे थे। असल में रात में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बारिश से उन पर बौछार पड़ने से वो जब à¤à¥€à¤—ने लगे तो हमें ढूढ़ते हà¥à¤ यहाठपहà¥à¤à¤š गये और हमारे साथ सो गये थे। हम चारों उठकर अपनी गाड़ी पर पहà¥à¤à¤šà¥‡ और बाकी सब साथियों और डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° को उठाया। अà¤à¥€Â यहाठकोई à¤à¥€ दà¥à¤•ान नहीं खà¥à¤²à¥€ थी इसलिये 10 मिनटों बाद ही जोशीमठकी ओर निकल दिये और डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° को बोल दिया कि रासà¥à¤¤à¥‡à¤‚ में जो à¤à¥€ चाय की दà¥à¤•ान खà¥à¤²à¥€Â मिले वहीं गाड़ी रोक देना। जोशीमठसे पहले कोई à¤à¥€ दà¥à¤•ान खà¥à¤²à¥€ नहीं मिली और हम जोशीमठसे à¤à¥€ आगे निकल गये और आखिरकार हमें à¤à¤• जगह दो-तीन चाय की दà¥à¤•ाने इकठà¥à¤ ी खà¥à¤²à¥€ मिल गयी। डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° ने गाड़ी को साइड में लगा दिया और हम गाड़ी से बाहर निकले, जलà¥à¤¦à¥€ से चाय का आरà¥à¤¡à¤° देकर, सà¤à¥€ लोग बà¥à¤°à¤¶ वगैरह करने में vवयसà¥à¤¤ हो गये। चाय व बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ का नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद फिर से रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— की ओर चल दिये।
पिपलाकोटी पहà¥à¤à¤šà¤•र डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° ने गाड़ी को à¤à¤• गाड़ी रिपेयर की दà¥à¤•ान के आगे रोक दिया और पूछने पर बताया कि गाड़ी की बà¥à¤°à¥‡à¤• में कà¥à¤› दिकà¥à¤•त है और ठीक करवाना जरà¥à¤°à¥€ है। दà¥à¤•ान वाले ने बताया कि गाड़ी ठीक करने में आधा घंटा लग जायेगा। हम लोग आस-पास घà¥à¤®à¤¤à¥‡ रहे और पहाड़ों की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ को निहारते रहे। गाड़ी ठीक होने के बाद फिर से रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— की ओर चल दिये। सà¤à¥€ लोग काफ़ी थके हà¥à¤ थे और रात को ठीक से सोये à¤à¥€ नहीं थे इसलिये सà¤à¥€ लोग गाड़ी में à¤à¤ªà¤•ियॉ लेते रहे । बाहर काफ़ी गरà¥à¤®à¥€ हो रही थी और उसके कारण हमें गाड़ी में à¤à¥€ गरà¥à¤®à¥€ लग रही थी। हमने डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° को बोल दिया कि रासà¥à¤¤à¥‡à¤‚ में कहीं à¤à¥€ à¤à¤°à¤¨à¤¾Â  दिखे तो वहीं गाड़ी रोक देना, अब नहाना जरà¥à¤°à¥€ हो गया है। रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से थोड़ा पहले ही à¤à¤• à¤à¤°à¤¨à¤¾ मिला और वहीठडà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° ने गाड़ी रोक दी और इससे पहले कि हम अपना सामान खोलकर कपड़े निकाल कर नहाने जाते , डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° जलà¥à¤¦à¥€ से नहाने चला गया और उसके आने के बाद गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी को छोडकर ,हम सब लोग à¤à¥€ नहाने को चल दिये। गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी की आà¤à¤–ों में दरà¥à¤¦ था जो हेमकà¥à¤¨à¥à¤¡ आने के बाद से लगातार हो रहा था और जो शायद सà¥à¤°à¥à¤¯ की तीखी किरणों के बरà¥à¤«à¤¼ पर पड़ने के बाद निकलने वाली चमक के कारण था।
à¤à¤°à¤¨à¥‡ के नीचे तसलà¥à¤²à¥€ से नहाने के बाद सà¤à¥€ लोग काफ़ी तरोताजा महसूस कर रहे थे। गाड़ी में बैठकर फिर से वापसी यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥ कर दी और थोड़ी ही देर में हम शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र पहà¥à¤à¤š गये। शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र पहà¥à¤à¤š कर वहाठमौजà¥à¤¦ à¤à¤• गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ में लंगर खाने का निशà¥à¤šà¤¯ किया। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ काफ़ी विशाल है और हेमकà¥à¤¨à¥à¤¡ आने-जाने वाले यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये à¤à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विशà¥à¤°à¤¾à¤® सà¥à¤¥à¤² है। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ में बहà¥à¤¤ से हेमकà¥à¤¨à¥à¤¡ यातà¥à¤°à¥€ थे, कà¥à¤› लोग दरà¥à¤¶à¤¨ को जा रहे थे और कà¥à¤› लोग दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद वापिस लौट रहे थे। हमने à¤à¥€ वहाठलंगर छका (खाया) और फिर चाय पी। लगà¤à¤— तीन बज चà¥à¤•े थे और हम ऋषिकेश की ओर निकल दिये। रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• बार रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में चाय के लिये गाड़ी रà¥à¤•à¥à¤µà¤¾à¤ˆ और फिर से यातà¥à¤°à¤¾ जारी रखी। अब हम लोग ऋषिकेश में रात रà¥à¤•ने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाने लगे। सीटी आज रात ही अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ चलने को कहने लगा लेकिन इस बात को किसी का समरà¥à¤¥à¤¨ नहीं मिला कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मà¥à¤à¥‡,शà¥à¤¶à¥€à¤² और सीटी को छोड़कर अनà¥à¤¯ लोग पहली बार ऋषिकेश-हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° आये थे और यहाठघà¥à¤®à¤¨à¤¾ चाहते थे और दूसरा कारण डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° à¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे से गाड़ी चला रहा था और उसका आराम करना à¤à¥€ जरà¥à¤°à¥€ था और यदि आज ही अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ निकलते तो डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤°Â को बिना रà¥à¤•े कम से कम पाà¤à¤š-छ: घंटे और गाड़ी चलानी पड़ती। इसीलिठयह निरà¥à¤£à¤¯ लिया गया कि आज रात को ऋषिकेश में उसी जगह रà¥à¤•ेंगे जहाठजाते हà¥à¤ रà¥à¤•े थे और शाम को ऋषिकेश घूमने जायेंगे और यदि किसी को जलà¥à¤¦à¥€Â अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ हो तो उसे ऋषिकेश बस- सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड पर उतार देंगे और वहाठसे वो बस पकड़ सकता है । à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¨à¤•र किसी ने à¤à¥€ आज ही अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ चलने की बात नही की। इस तरह बातचीत करते हà¥à¤ लगà¤à¤— छ: बजे हम बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¥€Â आशà¥à¤°à¤®Â पहà¥à¤à¤š गये। वहाठजाकर कमरा लिया और सारा सामान कमरे पर रखकर गाड़ी में ऋषिकेश घà¥à¤®à¤¨à¥‡ चले गये।
 “उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°, ऋषिकेश जहाठपहà¥à¤à¤šà¤•र गंगा परà¥à¤µà¤¤à¤®à¤¾à¤²à¤¾à¤“ं को पीछे छोड़ समतल धरातल की तरफ आगे बढ़ जाती है। हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से मातà¥à¤° 24 किलोमीटर की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ ऋषिकेश विशà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ à¤à¤• योग केंदà¥à¤° है। ऋषिकेन का शांत वातावरण कई विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ का घर है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 1360 फीट की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ ऋषिकेश à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सबसे पवितà¥à¤° तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ में à¤à¤• है। हिमालय की निचली पहाड़ियों और पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ से घिरे इस धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से बहती गंगा नदी इसे अतà¥à¤²à¥à¤¯ बनाती है। ऋषिकेश को केदारनाथ, बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥, गंगोतà¥à¤°à¥€ और यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤° माना जाता है। कहा जाता है कि इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगाने से मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। हर साल यहाठके आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ के बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगाने और मन की शानà¥à¤¤à¤¿ के लिठआते हैं। विदेशी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• à¤à¥€ यहाठआधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤– की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं â€à¥¤
ऋषिकेश पहà¥à¤à¤š कर हम लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ à¤à¥à¤²à¥‡ की तरफ़ चले गये और वहाठà¤à¤• जगह गाड़ी को पारà¥à¤• करने के बाद ,शाम 7:30 तक गाड़ी पर वापिस आना निशचित करके , घà¥à¤®à¤¨à¥‡ निकल गये। गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी हमारे साथ ऋषिकेश तो आये थे लेकिन घà¥à¤®à¤¨à¥‡ नहीं गये । उनकी आà¤à¤–े दà¥à¤–ने लगी थी और वो चशà¥à¤®à¤¾ लगाकर गाड़ी में ही बैठे रहे। सीटी à¤à¥€,कल सà¥à¤¬à¤¹ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में मिलने को कहकर, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में रहने वाली अपनी मौसी के घर चला गया। हम लोग लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ à¤à¥à¤²à¥‡ को पार करके दà¥à¤¸à¤°à¥€ तरफ़ गंगा किनारे बने आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ और मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹ में घà¥à¤®à¤¨à¥‡ लगे।
ऋषिकेश,लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ à¤à¥‚ले व आसपास के मदिंरो की कà¥à¤›Â तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚
गरà¥à¤®à¥€ काफ़ी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थी और लग रहा था कि बारिश होगी। तà¤à¥€ अचानक आसमान काले-2 बादलों से à¤à¤° गया और हम जलà¥à¤¦à¥€ से गाड़ी पर वापिस जाने लगे और अà¤à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ à¤à¥à¤²à¥‡ को पार ही किया था कि जोर से बारिश होने लगी, जिसको जो सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ जगह मिली वो उसी तरफ़ à¤à¤¾à¤— लिया। कà¥à¤› लोग किसी दà¥à¤•ान में रà¥à¤• गये और कà¥à¤› लोग किसी दूसरी जगहà¥à¥¤ लगà¤à¤— 40-45 मिनटों तक जम कर बारिश हà¥à¤ˆ और इसके कारण सारे शहर का कचरा बहकर गंगा में जाते देखकर मन बहà¥à¤¤ दà¥à¤–ी à¤à¥€ हà¥à¤†à¥¤ जब बारिश थोड़ी हलà¥à¤•ी हà¥à¤ˆ तो गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी के मोबाइल पर फोन करके गाड़ी वहीं बà¥à¤²à¤¾ ली और à¤à¤¾à¤—कर गाड़ी में बैठगये और जब चलने लगे तो देखा कि शà¥à¤¶à¥€à¤² गायब था,उसका मोबाइल à¤à¥€ बंद मिल रहा था। लगता था वो बारिश से बचने के लिये किसी दà¥à¤¸à¤°à¥€ जगह पर रà¥à¤•ा हà¥à¤† था तब हम गाड़ी वहीं ले गये जहाठपहले ख़ड़ी की थी और उसका इनà¥à¤¤à¤œà¤¼à¤¾à¤° करने लगे और थोड़ी देर बाद शà¥à¤¶à¥€à¤² गाड़ी पर पहà¥à¤à¤š गया। तब तक काफ़ी अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हो चà¥à¤•ा था और हम वापिस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¥€Â आशà¥à¤°à¤® की तरफ़ चल दिये लेकिन शायद à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ को कà¥à¤› और मंजà¥à¤° था।
ऋषिकेश और बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¥€Â आशà¥à¤°à¤® के बीच में à¤à¤¾à¤°à¥€Â बारिश की वजह से à¤à¤• जगह à¤à¥‚-सà¥à¤–लन हो गया था और रासà¥à¤¤à¤¾ बंद हो चà¥à¤•ा था।लगà¤à¤— 100 फ़ीट सड़क पर पूरा पहाड़ी-मलबा बिखरा हà¥à¤† था जिसकी मोटाई पहाड़ी की तरफ़ 3-4 फ़ीट से लेकर खाई की तरफ़ लगà¤à¤— 1 फ़ीट तक थी। थोड़ी ही देर में दोनो तरफ़ वाहनों की लमà¥à¤¬à¥€ कतारें लग गयी। हम लोग गाड़ी से उतरकर पैदल ही आगे à¤à¥‚-सà¥à¤–लन वाले सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की ओर चल दिये लेकिन गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी हमारे साथ नहीं गये और वो गाड़ी में ही बैठे रहे। हेमकà¥à¤¨à¥à¤¡ से आने वाले कà¥à¤› मोटरसाइकिल सवार नौजवान यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने ,खाई की तरफ़, सड़क से खà¥à¤¦ मलबा हटाना शà¥à¤°à¥ कर दिया ताकि उनके मोटरसाइकिल निकलने का रासà¥à¤¤à¤¾ तैयार हो जाये।उनको à¤à¤¸à¤¾ करते देखकर बहà¥à¤¤ से लोगों ने उनका साथ देना शà¥à¤°à¥ कर दिया और लगà¤à¤— आधा घंटे की मेहनत के बाद मोटरसाइकिल निकलने का रासà¥à¤¤à¤¾ तैयार हो गया लेकिन बड़ी गाड़ियाठअà¤à¥€ à¤à¥€ निकल नहीं सकती थी। à¤à¤• टाटा विग़ंर ने निकलने कि कोशिश की और उसकी गाड़ी बीच में ही फ़ंस गयी। तब तक पà¥à¤²à¤¿à¤¸ à¤à¥€ वहाठपहà¥à¤à¤š चà¥à¤•ी थी और मालूम हà¥à¤† कि जे-सी-बी थोड़ी ही देर में वहाठपहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाली है। आधा घंटे बाद à¤à¥€ जब जे-सी-बी वहाठनहीं पहà¥à¤à¤šà¥€ तो हमने पैदल ही बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¥€Â आशà¥à¤°à¤® चलने की सोची जिसकी दà¥à¤°à¥€ यहाठसे à¤à¤• किलोमीटर से à¤à¥€ कम थी। हमने सोनॠऔर सतीश को गाड़ी पर à¤à¥‡à¤œà¤¾ और कहा कि गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी को बà¥à¤²à¤¾ लाओ और डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° को बोल देना कि जैसे ही रासà¥à¤¤à¤¾ खà¥à¤²à¥‡ वो गाड़ी लेकर आशà¥à¤°à¤® पर आ जाये।
थोड़ी देर बाद दोनों वापिस आ गये और बोले कि हमने आते-जाते हà¥à¤ सà¤à¥€Â गाड़ियाठदेखी लेकिन हमें अपनी गाड़ी नहीं मिली। à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¨à¤•र बाकी लोगों ने अनà¥à¤¦à¤¾à¤œà¤¾ लगाया कि गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी गाड़ी लेकर ऋषिकेश के किसी होटल में ठहरने के लिये चले गये होगें।मैं और शà¥à¤¶à¥€à¤² तटसà¥à¤¥ ही रहे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वो हमसे पहले ही नाराज़ थे। वहां मोबाईल का नेटवरà¥à¤•ॠà¤à¥€ नहीं था कि उनसे बात हो सके। आखिरकार हम सबने अपने जà¥à¤¤à¥‡ उतार कर हाथ में पकड़ लिये और पैटं को घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹ तक उपर करके मलबा पार किया। मलबे के छोटे-2 नà¥à¤•ीले पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ ने पैरों का बà¥à¤°à¤¾ हाल कर दिया था। थोड़ी देर में हम रात  लगà¤à¤— 9:30 बजे आशà¥à¤°à¤® पर पहà¥à¤à¤š गये। आशà¥à¤°à¤®Â पहà¥à¤à¤š कर हाथ-पैर धोकर लंगर में खाना खाया। हमारे खाना खाते ही रसोई-घर बंद हो गया और सफ़ाई शà¥à¤°à¥ हो गयी। हम à¤à¥€ अपने कमरे में पहà¥à¤à¤šà¤•र लेट गये और आपस में बातचीत  करने लगे।सà¤à¥€ लोग गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी के ना मिलने से हैरान थे, तà¤à¥€ अचानक गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी ने कमरे में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया, और गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ से पूछा कि मà¥à¤à¥‡ वहाठअकेला छोड़ कर कà¥à¤¯à¥‚ठआ गये? हमने उनà¥à¤¹à¥‡ सब सच बता दिया जिसे सà¥à¤¨à¤•र वो सोनॠऔर सतीश पर बरसे और उसके बाद शरà¥à¤®à¤¾ जी परà¥à¥¤Â उनके सारे कपड़े कीचड़ से à¤à¤°à¥‡ थे और पूछà¥à¤¨à¥‡ पर बताया कि मलबा पार करते हà¥à¤ वो मलबे में गिर गये थे और बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल से यहाठपहà¥à¤šà¥‡ हैं । उनहोंने सबसे बात बनà¥à¤¦ कर दी और कपड़े बदà¥à¤²à¤¨à¥‡ के बाद à¤à¥à¤–े ही सो गये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि तब तक रसोई-घर बंद हो चà¥à¤•ा था और सब सेवक à¤à¥€ सो गये थे।













abhi lagta hai ek aur last wala post aayega,main betab hun janane ke liye ki guptaji ka kya hua? abhi bhi naraz chal rahe hain ya kutchh badle bhi? rishikesh to lajawab hai hee,ye jagah isliye bhi sundar ho jaata hai ki ganga yahan bahut khubsurat lagti hain,plain aur hill ka milan sthal hai.charo or hariyali hai.mera khud ka pasand rishikesh hai,hamesha itchchha hoti hai yahi ghar bana kar bas jaaun.
Dear Rajesh ji..
Thanks for liking the post. Last part of the series will be published soon.
Gupta Ji is quite well. After returning from tour ,all become normal. He is my colleague and my friend also.
nice STORY. A new drama on new day.
Why the comments are too less ?
Thanks for liking..
Comments are few because due to some technical reason, comments were OFF. Problem was sorted out next day till then it was off Radar..
I appreciate your concern for pollution in Ganga Ji. Not only at Rishikesh, all town on the banks of the river dump their waste in this.
Ajay ji..
fully agreed with you..
ऋषिकेश एक बहुत ही शांत जगह है और यहाँ हरिद्वार जितनी भीड़ भाड़ भी नहीं है। गुप्ता जी को आपने कुछ ज्यादा ही प्रसिद्ध
दिया है लेकिन इस बार उनकी गलती नहीं थी। दोस्ती मे सब चलता है।
Saurabh ji,
You are right..
Dost hain to kamine
par ronak unhi se hai..
Naresh, Good account. This episode is low on punch in comparison to the earlier posts in the same series. Congratulations for the ‘Featured Story’ award. Wishes.
Thanks Nandan Ji..