à¤à¤¾à¤— 3
19 जून 2017 – कपिल ने बताया की à¤à¥‹à¤œ खड़क से केदार खड़क के बीच दूरी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं है लेकिन रासà¥à¤¤à¤¾ काफी दà¥à¤°à¥à¤—म है। पहले दो घंटे तो रासà¥à¤¤à¤¾ कल जैसा ही खड़ी चढाई वाला था लेकिन कोई ख़ास परेशानी नहीं हà¥à¤ˆà¥¤ कà¥à¤› और आगे बà¥à¤¨à¥‡ पर हम à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ जगह पर पहà¥à¤‚चे जहाठपर कोई रासà¥à¤¤à¤¾ ही नहीं था। à¤à¥‚सà¥à¤–लन से रासà¥à¤¤à¤¾ गायब हो गया था। अब हमे à¤à¤•दम नीच केदार गंगा तक जाना था जहाठसे रासà¥à¤¤à¤¾ ढूंà¥à¤¨à¥‡ की कोशिश करनी थी। नीचे पहà¥à¤à¤š कर समठमें आया की पानी में उतर कर ही आगे बड़ा जा सकता है। à¤à¤• तरफ केदार गंगा का हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जमा देने वाला पानी था और दूसरी तरफ ऊपर पहाड़ी से पतà¥à¤¥à¤° गिर रहे थे।
केदार गंगा का तेज़ बहाव हमे अपने साथ बहा कर न लेजाठइस वजह से हम à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ का  हाथ पकड़ कर पानी में चल रहे थे और साथ ही ऊपर से गिरते पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से बचते हà¥à¤ इंच इंच करके आगे बड़ रहे थे। इस तरह करीब पंदà¥à¤°à¤¹ मिनट तक पानी में चलने के बाद हमने à¤à¤• बार फिर से पानी से बहार कदम रखे। पैर à¤à¤•दम सà¥à¤¨à¥à¤¨ हो गठथे लेकिन यहाठपर रà¥à¤• कर आराम करने का मतलब मौत को दावत देने जैसा था कियोंकि ऊपर से लगातार छोटे बड़े पतà¥à¤¥à¤° बहà¥à¤¤ तेज़ गति से नीचे गिर रहे थे इसलिठहम बिना रà¥à¤•े आगे बड़ चले।

Landslide Area
रासà¥à¤¤à¤¾ अà¤à¥€ à¤à¥€ कहीं नज़र नहीं आ रहा था और कपिल अपने अंदाज़े से हमे आगे की ओर लिठजा रहा था। करीब आधा घंटे और चलने के बाद हम वापस à¤à¤• पगडणà¥à¤¡à¥€ पर आ गà¤à¥¤ इसी तरह तकरीबन चार साड़े चार घंटे का सफर तय करके हम केदार खड़क पहà¥à¤à¤š ही गà¤à¥¤ जब हम केदार खड़क पहà¥à¤‚चे तो वहां पहले से ही à¤à¤• गà¥à¤°à¥à¤ª ने अपना कैंप लगाया हà¥à¤† था। सिरà¥à¤« उनके पोरà¥à¤Ÿà¤° ही वहां थे और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमे बताया की कोलकाता से दो लड़किया यहाठआयी हà¥à¤ˆ हैं और वो लोग कल से ही यहाठपर कैंप लगाठहà¥à¤ हैं। वो दोनों लड़कियां आज सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ ही केदारताल के लिठनिकल पड़ी थी और शाम तक उनको वापस यहीं आना था।
वो लोग कल यहीं से वापस गंगोतà¥à¤°à¥€ चले जायेंगे। बहरहाल हमने à¤à¥€ वहीठपर अपने टेंट गाड़ दिठऔर चाय पीने के बाद आस पास घूमने निकल पड़े। कà¥à¤› देर बाद जब वापस पहà¥à¤‚चे तो हमारा लंच तैयार था और हम खाना खाने के बाद  टेंट में आराम करने के लिठचले गà¤à¥¤ शाम को लगà¤à¤— छै बजे के करीब दोनों लड़किया केदारताल से वापस अपने कैंप पहà¥à¤‚ची तो मैंने उनसे पà¥à¤›à¤¾ की ऊपर का मौसम कैसा था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया की मौसम बहà¥à¤¤ खराब था और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ताल के अलावा और कà¥à¤› à¤à¥€ नज़र नहीं आया। यह सà¥à¤¨à¤•र काफी निराशा हà¥à¤ˆà¥¤ हमारा गाइड और उन लड़कियों का गाइड à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के जानकार थे इसलिठरात के खाने का इंतज़ाम à¤à¤• ही किचन टेंट में हà¥à¤†à¥¤
खाने में, खà¥à¤²à¥‡ आसमान के नीचे बैठकर, दाल चावल और आलू की सबà¥à¥›à¥€ खाकर फिरसे हम अपने टेंट में घà¥à¤¸ गà¤à¥¤ कल रात की ठणà¥à¤¡ से सबक लेते हà¥à¤ मैंने अपने बैग में जितने à¤à¥€ कपडे थे वो सब अपने शरीर पर धारण कर लिà¤à¥¤ आज रात à¤à¥€ पैरों में काफी ठणà¥à¤¡ लगी लेकिन कल जितना बà¥à¤°à¤¾ हाल नहीं हà¥à¤†à¥¤

Kedar Kharak camp site
अगले दिन यानी 20 जून 2017 को मेरी नींद सà¥à¤¬à¤¹ छै बजे के आसपास खà¥à¤²à¥€à¥¤ बाहर हलà¥à¤•ा हलà¥à¤•ा उजाला हो चà¥à¤•ा था। टेंट से बहार निकला तो देखा मौसम बिलकà¥à¤² साफ़ था। कल जब हम यहाठपहà¥à¤‚चे थे तब मौसम तो साफ़ था लेकिन पहाड़ों की चोटियों को बादलों ने ढका हà¥à¤† था इसलिठकà¥à¤›  नज़र नहीं आया था। इधर उधर नज़र घà¥à¤®à¤¾à¤ˆ तो शानदार बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ चोटियों का नज़ारा था। देख कर जो ज़बरदसà¥à¤¤ à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हो रहा था उसे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤—ट नहीं किया जा सकता। बाईं तरफ गंगोतà¥à¤°à¥€ घाटी की अनेकों चोटियां नज़र आ रही थी वहीठदाईं तरफ थालियासागर और à¤à¥ƒà¤—à¥à¤ªà¤‚थ का शानदार नज़ारा था। किनà¥à¤¤à¥ ये नज़ारे हमे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ देर तक नसीब नहीं हà¥à¤ और कà¥à¤› ही देर में à¤à¤• à¤à¤• करके सà¤à¥€ चोटियों को à¤à¤• बार फिर से बादलों ने अपने आगोश में ले लिया। कोलकता से आई हà¥à¤ˆ दोनों लड़कियों की नींद आठबजे के आसपास तब खà¥à¤²à¥€ जब उनका गाइड चाय लेकर उनके पास गया। उनहोंने à¤à¤• बार फिर से नज़ारे मिस कर दिठथे। सà¥à¤¬à¤¹ का नाशà¥à¤¤à¤¾ तथा बाकी सारे काम  निपटाकर हम नौ बजे केदारताल की और बड़ चले।

First view of Thaliyasagar from Kadar Kharak

Thaliyasagar and Bhrigupanth peaks as seen from Kadar Kharak

Complete group at Kedar Kharak
कपिल के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आज  की चढाई सबसे मà¥à¤¶à¥à¤•िल होने वाली थी, और हà¥à¤† à¤à¥€ यही। केदार खड़क से चलने के à¤à¤• घंटे तक तो रासà¥à¤¤à¤¾ पहले जैसा ही खाड़ी चढाई वाला था लेकिन पिछले दो दिनों से हमे इसकी आदत सी हो गई थी इसलिठकोई ख़ास समसà¥à¤¯à¤¾ नहीं हà¥à¤ˆ लेकिन हम जैसे जैसे आगे बड़ रहे थे वैसे वैसे रासà¥à¤¤à¤¾ और अधिक कठिन होता जा रहा था। कहीं कहीं पे हलकी हलकी बूंदाबांदी का à¤à¥€ सामना करना पड़ा। अब चढाई इतनी मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो गई थी की बीस कदम तीस कदम तो दूर की बात हर दो चार कदम पे ही सांस फूलने लगी थी और सांस नारà¥à¤®à¤² करने के लिठरà¥à¤•ना पड रहा था। मà¥à¤à¥‡ तो बहादà¥à¤° को देख कर ताजà¥à¤œà¥à¤¬ हो रहा था, वो इतने बोठके साथ à¤à¥€ बिना किसी परेशानी के हमसे सौ दो सौ मीटर आगे आगे चल रहा था। करीब दो ढाई घंटे तक चलने के बाद हमे à¤à¤°à¤² का à¤à¤• à¤à¥à¤£à¥à¤¡ दिखाई दिया, वो इस कदर आसानी से खड़ी चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर ऊपर नीचे à¤à¤¾à¤— रहे थे मनो किसी समतल पारà¥à¤• में जॉगिंग रहे हों।
हमारे लिठरासà¥à¤¤à¤¾ अब और मà¥à¤¶à¥à¤•िल होता जा रहा था। कहीं हमे परà¥à¤®à¤¾à¤«à¥à¤°à¥‰à¤¸à¥à¤Ÿ के ऊपर से गà¥à¥›à¤¾à¤°à¤¨à¤¾ पड़ रहा था तो कà¤à¥€ बड़ी बड़ी चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के ऊपर से। रासà¥à¤¤à¤¾ तो कहीं था ही नहीं, हम तो जहाठकपिल बोल रहा था बस वहीठचले जा रहे थे। रासà¥à¤¤à¥‡ में कहीं कहीं पे cairn à¤à¥€ थे लेकिन अनजान आखों को ये नज़र आना कठिन हैं। बड़ी बड़ी चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के ऊपर से गà¥à¥›à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ ये à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हो रहा था की इन चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के नीचे बहà¥à¤¤ सारा पानी बह रहा है। बहà¥à¤¤ ही सावधानी के साथ चलना पड़ रहा था कियोंकि अगर ज़रा सा à¤à¥€ पैर फिसलता तो सीधा सर फूट जाता या पैर टूट जाता।

Bharal
केदार खड़क से निकले हà¥à¤ हमे चार घंटे हो चके थे और अब फिर से बूंदाबांदी शà¥à¤°à¥‚ हो गई थी।  बूंदाबांदी तो बस दो मिनट ही हà¥à¤ˆ होगी की वह बूंदाबांदी अब बरà¥à¥žà¤¬à¤¾à¤°à¥€ की शकल में बदल गई। कà¥à¤› ही मिनटों में पूरा रासà¥à¤¤à¤¾ बरà¥à¤« से सफ़ेद होने लगा।  कपिल ने हमे रà¥à¤•ने नहीं दिया और करीब आधे और चलने के बाद हमे दो टेंट नज़र आये। उन टेंटों  को देख कर जान में जान आई की हम केदारताल आखिरकार पहà¥à¤à¤š ही गà¤à¥¤ हम वहां पहà¥à¤à¤š तो गठथे लेकिन धà¥à¤‚द के कारण कà¥à¤› नज़र नहीं आ रहा था, ना कोई ताल ना कोई पहाड़ी छोटी। हलकी हलकी बरà¥à¥žà¤¬à¤¾à¤°à¥€ अà¤à¥€ à¤à¥€ हो रही थी और à¤à¤¸à¥‡  में अपना टेंट लगाना संà¤à¤µ नहीं था।
मैंने अपनी तकरीबन सà¤à¥€ पहाड़ी यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं में देखा है की à¤à¤¸à¥€ दूर दराज़ की जगह में कोई अनजान इंसान à¤à¥€ मिल जाये तो वो à¤à¥€ अपना सा लगता है सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ ही बातचीत शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है। जो टेंट हमे नज़र आये थे उसमे कà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤‚ट तो नहीं थे पर उनका पोरà¥à¤Ÿà¤° अपने टेंट के अंदर ही चाय बना रहा था। उसने हमे देख के अंदर आने का इशारा किया। हम जब उसके टेंट में घà¥à¤¸à¥‡ तो चाय तैयार हो चà¥à¤•ी थी और दो दो घूà¤à¤Ÿ हम सब ने चाय पी और उसके सà¥à¤Ÿà¥‹à¤µ पर अपने जमे हà¥à¤ हाथों को गरम किया। थोड़ी ही देर में बरà¥à¤« गिरना बंद हो गई और हम अपने टेंट लगाने के लिठतैयार थे। टाइम देखने के लिठमोबाइल जेब से बहार निकाल और सà¥à¤µà¤¿à¤š ऑन करके देखा तो फ़ोन सà¥à¤µà¤¿à¤š ऑन ही नहीं हो रहा था। पूरी सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ कà¥à¤› सेकणà¥à¤¡à¥à¤¸ के लिठसफ़ेद हो जाती और फ़ोन ऑफ हो जाता। ये ठणà¥à¤¡ का असर था। खैर टाइम इस समाये दोपहर के दो बज चà¥à¤•े थे और मौसम à¤à¥€ अब धीरे धीरे खà¥à¤²à¤¨à¥‡ लगा था।

At Kedartal camp site

First Glips of Kedartal

At Kedartal

Kedartal as seen from our camp site
I have read many description of mountainous trekking but yours is unique. Such a step by step description keeping the interest of the readers is fantastic. And the photographs? Unparalleled. I was waiting for this part, you may remember my previous comment. Thank you very much. As usual, eagerly waiting for the concluding part..
Thank you, Subhendu Ji. I am glad you are liking it. The concluding part will be out day after tomorrow, that is on 24th…
बहà¥à¤¤ बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ ! à¤à¤²à¥‡ ही तीन दिन लगे लेकिन कठिन टà¥à¤°à¥ˆà¤• लगा ! हरीश à¤à¤¾à¤ˆ कà¥à¤¯à¤¾ पोरà¥à¤Ÿà¤° को लेकर अकेले जाने में कोई परेशानी की बात होगी ? और दूसरी बात -केदार गंगा में पानी की गहराई हमेशा ही à¤à¤¸à¥€ होती है कि उसमें होकर पार किया जा सकता है ??
योगी जी, सिरà¥à¤« पोरà¥à¤Ÿà¤° के साथ जाने में कोई दिकà¥à¤•त नहीं है अगर पोरà¥à¤Ÿà¤° केदारताल पहले जा चà¥à¤•ा हो तो, कियोंकि केदार खड़क पार करने के बाद बहà¥à¤¤ सी जगह à¤à¤¸à¥€ हैं जहाठसिरà¥à¤« चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के ऊपर चलना पड़ता है और रासà¥à¤¤à¤¾ बिलकà¥à¤² दिखाई नहीं देता। उन जगाओं पर आगे बà¥à¤¨à¤¾ तà¤à¥€ संà¤à¤µ है अगर वहां पहले कोई गया हो। टà¥à¤°à¥‡à¤• कठिन तो है लेकिन केदारताल पहà¥à¤à¤š कर अगर मौसम साफ़ मिल गया तो वहां के नज़ारे सारी थकान और कठिनाइओं को à¤à¥à¤²à¤¾ देते हैं। और हाठइस यातà¥à¤°à¤¾ में आपको केदारगंगा पार करने की आवशयकता नहीं पड़ेगी, बस इसके साथ साथ चलना पड़ता है। हमें नदी में इसलिठउतरना पड़ा था कियोंकि उस जगह पर à¤à¥‚सà¥à¤–लन से रासà¥à¤¤à¤¾ टूट गया था। – समय निकालने के लिठआà¤à¤¾à¤°
This one finished too soon or may be I was like a Bharal. Waiting for last post but I do not see anything scheduled though for tomorrow. Let me check with Archana.
May be due to the steep ascend I was too tired to right more ;-).
Yes, please check with Archana as she had sent me an email stating that the last part would be published on 24th :-)
Sir thank you for this meticulous travelouge. Indeed the place looks awesome. Now my next destination would be kedartal.
Thank you, Ma’am for taking the time out to read and comment. I am glad that you liked it. I feel elated that I was able to motivate you to take the trip.
बहà¥à¤¤ ही बढिया वरà¥à¤£à¤¨ …….. लगा जैसे आपके साथ साथ हम à¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ कर रहे हो। सà¥à¤‚दर।
सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤¿ जी, पड़ने और कमेंट करने के लिठसमय निकालने के लिठआà¤à¤¾à¤°à¥¤ मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ हà¥à¤ˆ की आपको लेख अचà¥à¤›à¤¾ लगा।
हरीश à¤à¤¾à¤ˆ वाकई केदारताल देखने का अलग ही आनंद है और हम जैसे लोग तो सिरà¥à¤« आपको पॠसकते है वहा जाना हैम जैसो के लिठबहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•िल है
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤ˆ, केदारताल का मेरा अनà¥à¤à¤µ बिलकà¥à¤² à¤à¤¸à¤¾ था जैसे मैं किसी जादà¥à¤ˆ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में हूà¤, बहà¥à¤¤ ही शानदार जगह है। à¤à¤¾à¤ˆ वहां पहà¥à¤‚चना थोड़ा मà¥à¤¶à¥à¤•िल ज़रूर है पर नामà¥à¤®à¤•िन नहीं। आप अगर चाहें और कोशिश करें तो १००% वहां पहà¥à¤à¤š सकते हैं।
हरीश जी, à¤à¤¸à¥‡ पोसà¥à¤Ÿ पà¥à¤•र मà¥à¤à¤¹ से wow ही निकलता है. वाकई में मजा आ गया. लिखने का सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² और फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥à¤¸ सब मजेदार है. जबरदसà¥à¤¤.
समय निकालने तथा हौसला अफ़ज़ाई के लिठआà¤à¤¾à¤° सौरठजी _/\_