नई दिल्ली से ट्रेन ठीक टाइम पर चली और मैं सकुशल पंजाब पहुँच जाता हूँ . मित्र सम्बन्धी मेल मिलाप करने में दो दिन और निकल जाते हैं . आज चंडीगढ़ से शिव भोले की यात्रा शुरू करते हैं. जैसा आपने श्रीखण्ड महादेव यात्रा में संदीप जी के साथ शिव भोले के विशाल शिवलिंग के दर्शन किये . चंडीगढ़ से सीधे हाथ शिमला जाने पर श्रीखण्ड महादेव जी आते हैं पर उलटे हाथ जाने पर रोपड़ नाम का स्थान आता है. जहाँ से श्री जटेश्वर महादेव जी को बस मिलती है. अगर आप अपने वाहन पर हैं तो भी बहां रोपड़ से जाया जा सकता है. अभी जो आप फोटो देख रहें हैं यह रोपड़ का नया बस स्टैंड है जो सतलुज नदी हेड वर्क्स के किनारे पर है.पाठक यह जान कर हैरान होंगे रोपड़ का यह नया बस स्टैंड १९७७ में बना था पर अभी तक इसका नाम नया बस स्टैंड ही है और हालत आप खुद देख सकते हैं. अभी एक और बस स्टैंड ट्रांसपोर्ट नगर में बनाने का विचार है . पाठक नोट करें रेलवे में रोपड़ को रूपनगर लिखते हैं. यह नाम 1974 से कागजों में दर्ज है . लोकल लोग रोपड़ ही कहते हैं.
यह मिनी बस है जिस पर बोर्ड लगा है रोपड़ से नुरपुरबेदी मैं इसी बस में सवार हो जाता हूँ . किराया १५ से २० रूपये के बीच है . २५ किमी की दूरी है
यह बस के चालक और सहचालक हैं. मैंने इनका फोटो लिया इन्हें कोई इतराज नहीं है.
यह आप सड़क देख सकते हैं काफी अच्छी हालत है और इस सड़क पर टोल टैक्स नहीं है. यह सड़क रोपड़ उना तक सतलुज नदी के लेफ्ट साइड साथ साथ जाती है इसका नाम स्टेट हाईवे २५ है . दूसरी सड़क मेन स्टेट हाईवे २२ है जो रोपड़ उना जाती है पर इस पर ३ टोल टैक्स बेरिअर हैं और यह सतलुज नदी के राईट साइड जाती है . उना से आगे माता चिन्तपुरनी , जवालाजी , ब्रिजेश्वरी देवी काँगड़ा , चामुंडा देवी परसिद्ध शक्तिपीठ हैं . पालमपुर और धर्मशाला काँगड़ा से थोडा ही आगे हैं. पालमपुर ३८ किमी है और धर्मशाला २३ किमी काँगड़ा से दूरी पर हैं. माता नैना देवी का शक्तिपीठ श्री जटेश्वर महादेव जी से पूर्व दिशा में सामने पहाड़ी पर दिखाई देता है जो ४० किमी की दूरी पर है. अगर आप को यह पोस्ट पसंद आये तो बता देना मैं आप को माता नैना देवी शक्तिपीठ और बाबा बालक नाथ जी जो कि शिव भोले के परम भक्त और शिव भोले का बछरेटू प्राचीन शिव मंदिर ले चलूँगा. बछरेटू प्राचीन शिव मंदिर पहाड़ी के बिलकुल उपर है और बहां पर पानी का झरना सदीओं से बह रहा है. जो बहां रहने वाले ५०० लोगों और यात्रिगण क़ी जरुरत पूरा करता है और साथ में बहां खेतों क़ी सिंचाई भी करता है.
रास्ते का एक और मनोहारी दृश्य. आप हरी भरी पहाड़ी देख सकते हैं,
यह जो स्थान आप देख रहें हैं इसका नाम गाँव बैंस है. बिलकुल रोपड़ उना सड़क पर है. आप हैरान होंगे कि नोर्थ अमेरिका में रोकी पर्वत पर बैंफ नाम का एक टूरिस्ट प्लेस है. बैंस और बैंफ कितनी समानता है . इसी तरह एडमंटन में एक सड़क का नाम भी रोपड़ रोड है. किसी और पोस्ट में उस का चित्र आप क़ी सेवा में पर्स्तुत करूंगा.
मेरे पिताश्री मिलिटरी से रिटायर होने के बाद गाँव बैंस आ जाते हैं. यह हमारा गाँव है. मात्र १३ साल क़ी उम्र और एक हमारे गाँव के सज्जन के साथ मैं पहली बार श्री जटेश्वर महादेव जी के दर्शन करने जाता हूँ. श्रावण मॉस में देश विदेश से लोग श्री जटेश्वर महादेव जी के मंदिर आते हैं. और आखरी दिन बहुत बड़े भंडारे का अजोजन होता है. मैं तो बहीं का हो कर रह जाता हूँ. एक सज्जन बताते हैं कि इस मंदिर में एक स्त्री बलाचोर से जो कि ठीक मंदिर के पीछे घने जंगल को पार कर श्री जटेश्वर महादेव जी के मंदिर में पूजा अर्चना करने पैदल आती थी. भगवान ने खुश हो कर उसको पुत्र दिया. जिसका उसको वर्षों से इंतजार था. एक तो मनमोहक जगह दुसरे भोले शंकर. मेरा तो नियम ही बन गया जब भी टाइम मिले मंदिर पहुँच जाता था. आस पास के लोगों को भी पता था कि अगर घर पर नहीं है तो बहीं होगा. पाठकगण श्री जटेश्वर महादेव जी का मंदिर हमारे गाँव से ६ किमी क़ी दूरी पर है और चढ़ाई का रास्ता है.
कभी पैदल, या साइकल है तो एक सवारी के साथ. वह मेरी जिंदगी का सब से सुनहरा समय था. कभी इग्जाम हो तो भोले शंकर से प्रार्थना …. अब शिव साथ हैं तो पास तो हो ही जाना था. पढ़ाई ख़त्म होने के बाद तो नियम ही बन गया. वहां पर खूब अच्छे से स्नान करने के बाद एक बाल्टी राख से चमकानी. कोई भी कोना ऐसा नहीं जो साफ ना हो. बाल्टी भर कर भोले शंकर क़ी पूजा अर्चना और एक ही प्रार्थना… नौकरी. यह नियम कई साल चला. भोले बाबा को तो सब पता है के किसी को क्या जरूरत है. पर हम लोगों का हठ. अब भोले बाबा हमारे हम भोले के, मेरे को १९८५ में सरकारी नौकरी के २ अपोइन्टमेंट लैटर एक महीने के अन्तराल पर मिलते हैं. खेर एक जगह नौकरी ज्वाइन कर ली. अब भोले बाबा के दर्शन मुस्किल हो गए. कहाँ तो रोज अब लाख यतन से भी… जब कभी सावन का महीना आता है तो आँखों से अश्रु धारा अपने आप बह निकलती है तब लगता है के कुछ गलत मांग लिया. मैं एक बार द्वारकाधीष के मंदिर में गुजरात में था. एक पंडित जी आते हैं कहते हैं पूजा करवा देते हैं मनोकामना पूर्ण हो जाएगी. मैं १० रूपये देकर उनको हाथ जोड़ देता हूँ, महाराज हम तो एक बार मनोकामना पूर्ण होने से घाटे में है.
यह हमारा घर है, और अब यह परिवार घर में निवास कर रहा है. यह फोटो मैंने उनकी अनुमति के बाद शूट क़ी थी
यह मंदिर का मुख्य द्वार है. शीश निवाने के बाद अंदर प्रवेश करता हूँ . ठीक सामने पंडित जी मिलते हैं, अरे जूते समेत किधर जा रहा है. जब में आठ साल पहले आया था तो प्रांगण में जूते उतारने क़ी व्यवस्था थी. मेन मंदिर तो थोडा आगे है पहले यह रास्ता हुआ करता था. अच्छा लगा अब पवित्रता पहले से ज्यादा है. पर मेरे जैसे कितने सारे आते होंगे और पंडित जी कितने लोगों को यह कहते होंगे जूते समेत…..
वाह क्या खूबसूरत मंदिर और बोर्ड. पर यह रोक्की सलून वाले तो अपना प्रचार कर रहें हैं. फ़ोन नंबर हैं हो सकता है मंदिर के बारे में भी कुछ जानकारी दे दें.
मंदिर में गुम्बद का निर्माण हो रहा है. यहाँ एडमंटन में भी हमारे मंदिर में गुम्बद लगने वाले हैं. एक बहुत बड़े महापुर्ष आये तो मंदिर देख कर बोले गुम्बद कहाँ है, वोह जब भी जहाँ भी मंदिर का गुम्बद देखते हैं, बस, कार में से प्रणाम करते हैं, अब यहाँ कैनेडा में पता चला एक करोड़ का खर्च है अभी अगले साल तक गुम्बद बनने क़ी संभावना है. हम धार्मिक स्थान को देख कर खुश हो जाते हैं पर धन्य हैं वोह लोग जो सेवा संभाल करते हैं. आप भोले शंकर के नंदी बैल के दर्शन कर सकते हैं.
भोले शंकर का प्राकृतिक शिवलिंग. जो महाभारत काल का है. बताते है एक भक्त को भगवान शिव ने स्वपन में या…. . और उस ने उस स्थान पर भोले शंकर का शिवलिंग जमीन खोद कर स्थापित कर दिया और पूजा अर्चना करने लगा. लोग भी पूजा के लिए आने लगे. एक दिन उस के मन में ख्याल आया कि शिवलिंग कि स्थापना अपने गांव तख्तगढ़ में कर लेते हैं, और उसने खुदाई शुरु कर दी. अब जैसे वह खोदे शिवलिंग बाहर आने कि बजाये जमीन के अंदर जाना शुरू हो गया अब उसे अपनी भूल का पता चला तो उसने क्षमा याचना क़ी . पर अभी भोले शंकर के दर्शन उतने ही होते हैं जहाँ उसने खुदाई बंद क़ी थी. खूबसूरत मार्बल का शिव परिवार. इस से पहले का शिव परिवार भी मैंने देखा है. बाद में यह मार्बल का परिवार विधि विधान से स्थापित किया गया.
बलुआ पत्थर के अवशेष चार नक्काशीदार स्तंभ इस साइट पर एक पुराने मंदिर के बारे में पुख्ता परमाण है. यह आप मंदिर में देख सकते है. जन भावना क़ी मर्यादा को देखते हुए नए मंदिर का निर्माण पुराने मंदिर क़ी दीवारों के उपर ही किया गया है. नक्काशीदार स्तंभ और एक प्राचीन मूर्ति मंदिर के निर्माण के दोरान प्राप्त हुई पर कोई खुदाई का काम नहीं किया गया. हो सकता है नीचे और भी पुराने मंदिर के अवशेष हों.
मंदिर में श्रावण मास में बहुत भीड़ होती है. एक सेवा निवृत कैप्टेन साहिब ने लोगों क़ी सहूलत के लिए कमरे बनवाने का काम शुरू किया . कैप्टेन साहिब तो अब नहीं हैं पर उनके द्वारा शुरू हुआ काम पूरा हो चुका है. अभी बहां खूबसूरत राम मंदिर भी बन गया है . श्रावण मास में भंडारा हर समय चलता है. और हर सहूलत फ्री है
मैं आप सभी का बहुत धन्यवादी हूँ आप ने इसे पढ़ा. पर बहुत से पाठक यात्रा में रेसोर्ट आदी क़ी सुख सुविधा वाले होंगे उनकी जानकारी के लिए में बता रहा हूँ . किक्कर लोज जहाँ पास ही है . मैंने सिर्फ नेट में देखा है . भोले बाबा के पास तो सब फ्री होता है पर रेसोर्ट का आप वेबसाइट से देख सकते हैं, अपने नंदन जी किक्कर लोज में रह चुके हैं . सर्विस के बारे में नंदन जी का ब्लॉग चेक कर सकते हैं. आप को वेब अड्रेस भी दे रहा हूँ , रास्ता भी अच्छे से बताया गया है , अगर अच्छा लगे तो बताना वेब एड्रेस है:
https://www.ghumakkar.com/2007/06/06/kikar-lodge-a-good-break-from-city
भोले शंकर क़ी जय
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very detailed and informative post about shri jateshwar mahadev.
thanx
Thanks a lot for appriciation.
nice post , good photos.
thanx
Thanks a lot Lakshay.
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Thanks DL for liking post
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Surinder ji,
It was nice to read such informative post. I couldn’t control my feeling while reding that you have asked a blessing for job but now want to be always near to lord Shiva.
Mayank ji,
Really feel great , I just wrote from my heart what I feel. Thanks
Surinderji, tks for sharing this.
– is it on same road which goes from Ropar to Nawanshahir ?
– what is the historical/religious significance of this temple
– Can we visit this temple en-route jwalaji, without extra mileage
photos were very dim in this post did you take them with your mobile ?
Dear SS,
Only few KMS on Ropar Nawanshahr road after crossing Satluj river just take right turn on Roper Nurpur Bedi Road. If driver Knows route then not extra kms for temple en-route jwalaji. Just confirm from Driver if he familier with Roper Nurpur Bedi road and then from Soo Khud or Bains or Nurpurbedi he has to turn towards Village Jatwahar , where this temple situated.
Thanks and regards
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Thanks Manu ji
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From Delhi Himachal Express depart in night and Jan Shatabdi depart after noon from New Delhi. If you like to travel by bus then drop at Kiratpur Sahib otherwise Anandpur Sahib is better. Mata Naina Devi can be visit in half day then you can proceed to Baba Balak Nath. Two days are enough to visit both temples. From Mata Naina Devi you can go to Nangal Dam or Direct to Baba Balak Nath temple. You can also see Bhakra Dam from Mata Naina Devi to Nangal. Buses going to Dharmshala can drop at Badsar or Saloni and then Baba Balak Nath temple near by. Other option is drop at Anandpur Sahib and hire a Taxi, it will cost around Rs. 3000 for two days and can bring you back at Anandpur Sahib after visit Mata Naina Devi and Baba Balak Nath ji. Jan Shatabdi start from Anandpur Sahib in morning around 7am and reservation easily available and 2nd sitting fare is Rs.180. Otherwise book tickets in Himachal Express, it start from Una Himachal in night 8.45pm and early reservation is recommended. Otherwise buses easily available on this route. Feel free to ask any further question if you have.