इस श्रंखला के पहले भाग में मैंने आपको परिचित कराया था महान संत श्री गजानन महाराज तथा उनके अत्यंत सुन्दर मंदिर से |
आइये अब मैं आपको लेकर चलता हूँ श्री गजानन महाराज संस्थान द्वारा निर्मित तथा संरक्षित आनंद सागर उद्यान की ओर जो विशालता सुन्दरता तथा आध्यात्मिकता का एक बेजोड़ संगम है|
मंदिर से दर्शन करके लौटने के बाद हम सबने खाना खाया तथा कुछ देर आराम करने के उद्देश्य से भक्त निवास स्थित अपने कमरे में आ गए|
कुछ देर के विश्राम के बाद हम तैयार थे आनंद सागर उद्यान को निहारने के लिए| संस्थान से दर्शनार्थियों को आनंद सागर ले जाने के लिए संस्थान की एक बस हमेशा उपलब्ध रहती है| आनंद सागर जाने के लिए तैयार खड़ी बस में हम भी सवार हो गए तथा करीब दस मिनट में हम आनंद सागर में पहुँच गए|
आनंद सागर का नाम सर्वथा उपयूक्त है, ये सचमुच आनंद का सागर है | श्री गजानन महाराज के दर्शन करने के लिए आये उनके अनुयायी तथा भक्त स्वाभाविक रूप से इच्छुक होते है की वे यहाँ कुछ दिन रुके तथा संस्थान की धार्मिक, संस्कृतिक तथा शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा लें, भक्तों की इस इच्छा को केंद्र में रखते हुए संस्थान ने उनके बचे हुए समय में उन्हें प्रकृति तथा अध्यात्म से जोड़ने के लिए एक उद्यान का विकास किया जिसे आनंद सागर नाम दिया गया और आज आनंद सागर का नाम देश के कुछ चुनिन्दा उद्यानों में शुमार है |
आनंद सागर को शेगांव में 325 एकड़ के भू-भाग पर विकसित किया गया है, देश के इस भाग में यह उद्यान सबसे ख़ूबसूरत जगहों में से एक है| आनंद सागर, शेगांव कस्बे से 4 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है तथा रिक्शा द्वारा 10 मिनट में यहाँ पहुंचा जा सकता है | इस उद्यान को पूरी तरह से देखने के लिए तथा यहाँ स्थापित क्रीडा तथा मनोरंजन के साधनों जैसे कई प्रकार के झूले, फिसल पट्टियाँ, खिलौना रेल गाड़ी आदि का आनंद उठाने के लिए कम से कम 6 घंटे का समय लगता है | उद्यान में प्रवेश करने के लिए निर्धारित शुल्क है 25 रु. लेकिन उद्यान की सुन्दरता के आगे यह राशी नगण्य है |
उद्यान आकार में इतना विशाल है की इसमें भ्रमण करते हुए दर्शनार्थियों का थकना स्वाभाविक है अतः संस्थान प्रशासन ने यात्रियों के विश्राम के लिए प्राकृतिक सुन्दरता से भरपूर कुटियाएँ बनायीं है जिसमें दर्शनार्थी जितनी देर चाहे विश्राम कर सकते हैं | संस्थान के द्वारा विश्राम करने के लिए चटाइयां तथा तकिये निःशुल्क प्रदान किये जाते हैं |
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थोड़ी थोड़ी सी दुरी पर प्रसाधन तथा अल्पाहार एवं भोजन की व्यवस्था इस उद्यान की विशेषता है | उद्यान परिसर में भगवान् शिव का एक बहुत ही सुन्दर मंदिर है | इस मंदिर की परिधि में अति विशाल आकार के नंदी की एक जैसी 4 मूर्तियाँ तथा 4 विशाल आकार के दीप शोभायमान हैं |
उद्यान के बीचो बिच एक जलाशय स्थित है जो की 55 एकड़ की भूमि पर फैला है | जलाशय के ह्रदय में स्थित है एक कृत्रिम द्वीप जो की कन्याकुमारी स्थित स्वामी विवेकानंद केंद्र की प्रतिकृति है | टापू पर एक हॉल है जिसे ध्यान केंद्र कहा जाता है, यहीं पर स्वामी विवेकानंद तथा स्वामी रामकृष्ण परमहंस की आदमकद मूर्तियाँ भी स्थापित की गयीं हैं |
ध्यान केंद्र में पूरी तरह से शांत माहौल तैयार किया जाता है | यहाँ पर कक्षा 7 से छोटे बच्चों का प्रवेश वर्जित है तथा दर्शनार्थियों को भी मौन रहने के लिए बार बार निर्देशित किया जाता है | ध्यान केंद्र में बैठकर शांतिपूर्वक भक्तगण अपने अपने इष्ट देव का ध्यान कर सकते हैं |
आनंद सागर में करीब ६ घंटे बिताने के बाद तथा थक कर चूर हो जाने के बाद हमने पुनः अपना रुख भक्त निवास की ओर किया, भक्त निवास पहुँच कर वापसी की तैयारी के उद्देश्य से अपने बैग पैक किये तथा निचे संस्थान परिसर में आकर भोजन ग्रहण करने के बाद ऑटो में सवार होकर हम शेगांव के बस स्टैंड की और चल पड़े | हमारी वापसी की ट्रेन अकोला से थी अतः हम अकोला के लिए जाने वाली बस में बैठ गए और रात करीब नौ बजे अकोला के रेलवे स्टेशन पहुँच गए, और वहां से ट्रेन में सवार होकर महू के लिए निकल पड़े, अगले दिन दोपहर 1 बजे महू पहुँच कर वहां से अपनी कार लेकर शाम तक अपने घर पहुँच गए | और इस तरह इस अविस्मरनीय यात्रा का शुभ समापन हुआ|
तो ये थी शेगांव तथा आनंद सागर की एक यादगार यात्रा. अब मैं आपको संतोषजनक शेगांव यात्रा के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहता हूँ, जो इस प्रकार है :
1. शेगांव दर्शन के लिए ट्रेन ही सबसे उपयुक्त साधन है. रेलवे तथा बस स्टैंड से संस्थान तक आने के लिए संस्थान की निःशुल्क बसें, साईकिल रिक्शा, ऑटो या तांगे २४ घंटे उपलब्ध रहते हैं, फिर भी अगर इनमें से कुछ भी न मिले तो आप पैदल ही संस्थान के भक्त निवास तक आ सकते हैं. संस्थान की बसें पूर्णतः निशुल्क हैं, साईकिल रिक्शा या तांगे का किराया १० से १२ रु. तथा ऑटो रिक्शा का शुल्क २० रु. है|
2. शेगांव की यात्रा की योजना बनाते समय गुरुवार तथा रविवार को छोड़ देना चाहिए क्योंकि यहाँ गुरुवार तथा रविवार को बहुत भीड़ रहती है, तथा सुकून से दर्शन नहीं हो पाते हैं|
3. भक्त निवास के मुख्य द्वार के बाहर की ओर कुछ लोग आपको निजी होटल्स में ठहरने के लिए बरगला सकते हैं, लेकिन उनके झांसे में नहीं आना चाहिए क्योंकि संस्थान के भक्त निवासों में हर बजट के हिसाब से सर्वसुविधायुक्त कमरे उपलब्ध है तथा ये मेरा दावा है की शेगांव में कोई भी प्राइवेट होटल, संस्थान जैसी सुविधाएँ तथा स्वच्छता इतने कम मूल्य पर नहीं दे सकता|
4. संस्थान में किसी भी पुजारी को पैसे न दें, उन्हें संस्थान से तनख्वाह मिलती है|
5. समाधी मंदिर के दर्शन के बाद श्री राम मंदिर तथा हनुमान मंदिर एवं ध्यान गृह आदि में भी जाएँ तथा दर्शन लाभ उठायें|
6. 10.30 से 1.00 बजे के बिच मंदिर परिसर में हाथियों के दर्शन किये जा सकते हैं|
7. आनंद सागर का संपूर्ण आनंद उठाने के लिए 5 से 6 घंटे का समय आरक्षित रखें|
आशा है ये जानकारी संत गजानन महाराज के दर्शनों की इच्छा रखने वाले घुमक्कड़ साथियों के लिए उपयोगी साबित होगी|
फिर मिलते हैं ऐसी ही किसी यात्रा के बाद |
One of the best series on Ghumakkar so far.
Thanks for sharing it with us.
And command over both languages is exceptional.
Regards.
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I never have been to such a beautiful park. Thanks for taking us to this beautiful park.
It is very commendable to maintain and run these kind of public projects. Thank you Mukesh.
How far is Mahu from Shegaon ? Did you consider the option of driving in your own car ?
Where do you take us next ?
@ Stone,
Thank you very much for appreciation in so sweet words.
Thanks.
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@ Mahesh ji,
Yes, Its really a superb park worth visit. Thank you very much for liking the post and leaving comment.
Thanks.
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@ Nandan,
Thank you very much for your comments.
And yes they have maintained sansthan very skillfully.
The spelling of (???) is exactly MHOW (Abbreviated form of – Military Headquarter Of War). Actually, in past during British Raj it was a main center of military activities of entire India and was called so. Still it is a huge army cantonment. Entire city is occupied by Indian Army. It has different army institutes e.g. MCTE (Military College of Telecomm. Engineering), Military College of War (formerly College of Combat), ARTRAC (Army Training Command), The Infantry School, College of Military Science , Military Officers Training School, Military Paragliding Institute, and many more.
Actors Pooja Batra and Celina Jaitley, who are born in Army families, have their parents settled here.
And above all Mhow is the birthplace of Bharat Ratna Dr. B.R. Ambedkar. Dr. B.R. Ambedkar’s father Ramji Maloji Sakpal was a Subedar Majora VCO or Viceroy Commissioned Officer (the equivalent of a Sergeant Major)in a battalion of the British Indian Army’s Mahar Regiment.
The town was renamed as Dr Ambedkar Nagar in 2003, by the Government of Madhya Pradesh in honour of the father of the Indian constitution, who was born here.
According to Hindu religious texts, Janapava kuti near Mhow is also said to be the birthplace of Parashurama, an avatar of Vishnu.
Thanks.
My Father use to visit Military College of Telecom Engineering- MHOW very frequently as he was working with SIGNALS (Army). As per my knowledge MOHW is not very far from Indore.
Once again thanks for sharing this beautiful series on Gajanan Maharaj.
@Nandan,
I generally prefer to travel in train rather than by car.
The next destination on my radar is Parli Vaidyanath, Bhimashankar and Aundha Nagnath Jyotirlingas, all in Maharashtra that too very soon.
Thanks.
@Vibha,
Thank you very much for your motivational comments. This could have become possible because of Nandan’s and your kind support.
Thanks.
Papa,
I really liked your post. We enjoyed in Anand Sagar much. There is lot of scope for children in Anand Sagar to play and rest and eat and roam.
Thanks.
Dear,
Really you wrote the post in a very impressive manner. Everything in Shegaon was amazing, Sansthan’s activities, The Temple campus, The Bhakt Niwas, The cleanliness and discipline inside the Sansthan and temple, The shops, The food, The Anand Sagar etc.
And the best part of the trip was the peaceful glimpse of Shree Gajanan Maharaj in samadhi temple. The cottages to have rest in Anand Sagar, Dhyan Kendra, and above all the beautiful Temple of Lord Shiva inside Anand Sagar.
Thanks,
Tips are valuable..hats off to you…. And i think every ghumakkar shuld enlist them for other’s benefit…
@ GSK,
Thanks you very much for your sweet words and the suggestion to fellow ghumakkars is really appreciable.
Thanks.
@ Mahesh,
Yes, Mhow is only 30 KM from Indore the commercial capital of MP.
Thanks.
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@ Mukesh Ji ,
Wonderful detailed log on Shri Gajanan Maharaj. Beautifully narrated and your family pic is very nice along with the other pics of the park.
Sahil
superb sahaab jee
bahut achha post hai . ultimate narration and good effort has been taken on clicking ………………
keep the good work…………………….
keep travelling and posting……………………
Vishal,
Thanks a lot for appreciation. Your good wishes always keeps following me.
Thanks.
This was one of the best series so far by Mukesh………………………….
Thank you very much Vishal.
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Bhupendra ji,
Thank you very much for the appreciation and liking the post. Yes, Anand Sagar is a paradise for the children as well as adults too. We still cherish the beautiful time we spent there.
First of all I would like to make you aware with the fact that Gajanan Snsthan never book rooms in advance, they work on first come first serve basis only. Secondly, Room vacancy at sansthan guest house depends completely upon the the intake of devotees on a particular day, So we can’t presume the situation in case of group, but if its a small family then there is no issue and 99% chances are of getting a room.
Thanks.
Nicely Written ….Great work
very nice and informve blog. For the first time visitors, you are doing very good job. Thanks a lot!!!