आने वाला सप्ताह काफ़ी छुट्टियों से भरा रहेगा (महावीर जयंती, गुड फ्राइडे, शनिवार और रविवार की छुट्टी) तो क्यूँ ना कहीं निकट दूर की यात्रा कर ली जाये! वैसे भी दिल्ली का मौसम भी अब ठंड की रज़ाई से बाहर आ चुका है और उसने धूप की गर्म चादर ओढ़ ली है, ऐसे मे अगर कुछ पहाड़ दिख जाये तो मज़ा आ जायेगा! बस यही सोच कर हम तीनो (माताश्री, मैं स्वयं और बहनाश्री) ने बातों ही बातों मे जिम कॉर्बेट नॅशनल पार्क, राम नगर, उत्तराखंड जाने का तय कर लिया! और वैसे भी दिल और दिमाग़ दोनो ही अपनी रोजमर्रा की चिल्लम-चिल्ली से थोड़ा आराम माँग रहे थे!
सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण काम था गाड़ी की सर्विसिंग जो की रविवार की छुट्टी के दौरान ही करवा ली थी और यात्रा का श्री गणेश हमने दिनांक 17 अप्रैल 2019 को सुबह के ठीक 8 बजे किया! दिल्ली से राष्ट्रिया राजमार्ग 24 पकड़ लिया जिसने गाज़ियाबाद से लेकर डासना तक हमारे सब्र का इम्तिहान ले लिया, कसम से! क्या रेल-पेल मची हुई थी, जगह-2 हाइवे का निर्माण कार्य चल रहा था जिसकी वजह से ट्रॅफिक सरकने के अलावा और कुछ नही कर रहा था! बेवजह ही 1 घंटा खराब हो गया! खैर अब जब सफ़र मे आए है तो तनिक सफर भी करना पड़ेगा, बस यही सोच कर हम लोग आगे का रास्ता तय करते चले गये! हापुर पहुँच कर थोड़ी देर खुद को और गाड़ी को आराम दिया या यूँ कहिए की एक लस्सी ब्रेक ले लिया और उसके बाद सीधा मुरादाबाद पहुँच कर टी ब्रेक लिया!

यहाँ से भी राम नगर अभी दूर था और गाड़ी मे ऑक्स वायर लाना भी भूल गये थे तो यहीं एक स्थानीय दुकान से 75 रुपये की वायर 100 रुपये मे ख़रीदनी पड़ी! इस तरह यह संगीतमय सफ़र पूरे 8 घंटे तक चला और शाम के 4 बजे हम तीनो राम नगर पहुँच गये! सबसे पहले तो होटेल कॉर्बेट किंगडम जो की राम नगर के बीचों बीच स्थित है मे 2 दिनों के लिए एक कमरा बुक किया जिसमे 3 बेड लगे हुए थे और किराया 3300 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से तय हुआ! इस प्रसंग मे एक बात कहना चाहूँगा की रूम बुकिंग ऑनलाइन करवा लेते तो दिक्कत नही होती क्यूंकी यहाँ अधिकतर होटेल्स ऑनलाइन बुक हो जाते हैं! शाम का वक्त राम नगर की मार्केट घूमने मे निकल गया जहाँ कुछ ख़ास तो लगा नही किंतु अगले दिन हम बहुत व्यस्त रहने वाले थे क्यूंकी सुबह गार्जिया देवी जी के मंदिर जाना था, फिर जिम कॉर्बेट म्यूज़ीयम और उसके बाद दोपहर 2 बजे सीतबानी मे जीप सफारी करनी थी!
तय कार्यक्रम के अनुसार हम तीनों ने अगले दिन गुरुवार को सुबह गार्जिया देवी के मंदिर जाने के लिए अपनी गाड़ी स्टार्ट की और आधे घंटे के भीतर हमने 10 किलोमीटर का सफ़र पूरा किया और सीधे मंदिर की पार्किंग मे जाकर गाड़ी पार्क कर दी! राम नगर से माता का मंदिर 10 किलोमीटर की दूरी पर है और रास्ता इतना मनोरम है की पूछिए ही मत! लगता है की किसी सुंदर वाटिका मे आ गये हैं! माता का मंदिर भी काफ़ी सुंदर जगह पर स्थित है या सच कहूँ तो यह एक छोटी से पहाड़ी पर बना हुआ है जो की कोसी नदी के मध्य मे स्थित है! मान्यता है की कोसी नदी का पानी कितना ही क्यूँ ना बढ़ जाए किंतु माता के मंदिर को कभी कोई नुकसान नही पहुँचता! शायद इसलिए यह मंदिर थोड़ी उँचाई पर है! पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ (शायद 100) बनी हुई है जो की बिल्कुल सीधी है, चढ़ते हुए दम फूल जाता है किंतु भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है! हमे तो खुले दर्शन हुए, बमुश्किल 2-3 परिवार ही वहाँ पर थे, अन्य दिनों मे ख़ासकर नवरात्रों मे अवश्य ही भीड़ होती होगी! यहाँ कुछ देर नदी मे आनंद लिया, साथ मे बने हुए लक्ष्मी नारायण जी और भैरों बाबा जी के मंदिर मे भी दर्शन किए और कुछ फोटोज लेने के बाद हम वापिस राम नगर की तरफ बढ़ चले ताकि सुबह का नाश्ता किया जा सके!



पेट पूजा के बाद अब तय किया की जिम कॉर्बेट म्यूज़ीयम भी देखा जाए तो फिर से हम आगे बढ़ चले! माता के मंदिर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर यह म्यूज़ीयम स्थित है जहाँ से ढिकला के लिए लोगों को सफारी करवाई जाती है! म्यूज़ीयम ज़्यादा बड़ा नही है किंतु अच्छा है! देखने के लिए मात्र 10 रुपये के टिकट लेनी पड़ती है! पहले यह जिम कॉर्बेट का घर हुआ करता था जो की एक शिकारी थे! जंगल मे बाघ जब भी आदमखोर हो जाता था तो जिम साब ही उसे दूसरी दुनिया मे भेज देते थे! यहाँ पर शेर की खाल मे भूसा भरकर यात्रियों के लिए रखा गया है!


थोड़ी देर म्यूज़ीयम घूमने और सोवेनिर शॉप से छोटी मोटी खरीददारी करने के बाद हम लोग दोपहर 1 बजे अपने होटेल रूम मे वापिस आ गये और 1 घंटा आराम करने के बाद 2 बजे हमारे ड्राइवर साब श्रीमान शोइब ने जीप होटेल के बाहर लगा दी! वैसे जीप सफारी करने के लिए कॉर्बेट की अफीशियल वेबसाइट से बुकिंग हो जाती है जिसमे कॉर्बेट नॅशनल पार्क के सभी ज़ोन शामिल है! लेकिन बुकिंग अड्वान्स मे ही फुल हो जाती है इसलिए हमने किसी दूसरी वेबसाइट से सीताबानी ज़ोन मे सफ़ारी करने का तय किया! जंगली जानवर इस ज़ोन मे भी दिख जाते है बाकी आपकी किस्मत! हमारे जीप ड्राइवर श्रीमान शोइब ने बड़ी तसल्ली बक्श हमे जीप सफारी करवाई और साथ ही मे सीता माता के प्राचीन मंदिर के दर्शन भी करवाए! यहाँ पर उपस्थित पंडित जी ने बताया की सीता माता अपने दोनो सुपुत्रो लव कुश के साथ इस वन मे रहती थी और यह स्थान पूर्णतः उन्हे ही समर्पित है! वैसे अपने सभी घुमक्कार सदस्यों को बताना चाहूँगा की इस स्थान पर एक अलग ही प्रकार की शांति का अनुभव होता है और मस्तिष्क मे जो सबसे पहला प्रश्न आता है वो यह है की भगवान राम और माता सीता ने अपने वचन को निभाने के लिए कितना बड़ा त्याग किया होगा और ना जाने किस प्रकार से वो इस घने जंगल मे रहे होंगे!


घने जंगल मे शाम के वक्त बहुत ही ठंडी हवा चल रही थी जिसमे ऑक्सिजन कूट कूट कर भरा हुआ था! कुछ देर मंदिर मे बिताने के बाद हम लोगों ने अपनी वापसी की यात्रा प्रारंभ की और तभी सामने से आती जीप ने हमे रुकने का इशारा किया! दूसरे ड्राइवर ने बताया की अभी-2 यहाँ से टाइगर गुजरा है और उसके वापिस आने की संभावना है! सभी गाड़ियों के इंजिन बंद और लोगों के चेहरे पर खामोशी छा गयी, भय और उत्साह का एक अलग ही मंज़र बन गया था जिसमे दिलों की धक-2 साफ सुनाई दे रही थी! पूरे 10 मिनट तक इंतेजार किया किंतु कोई नही आया और हम आगे बढ़ चले! बाते करते हुए कुछ ही दूर पहुँचे थे की सामने से एक मोटर साइकल पर घबराया हुया सा आदमी आता हुआ दिखाई दिया जिसने बताया की उसने आगे टाइगर को देखा है, सुनते ही ड्राइवर साब ने जीप को तेज गति से दौड़ाया और उस स्पॉट पर जाकर एक बार फिर रोक दिया, यहाँ भी सिवाय इंतेज़ार के कुछ नही मिला और हम समझ गये की शायद यात्रियों को बेवकूफ़ बनाया जा रहा है!


शाम को 6 बजे के आस-पास हम लोग अपने होटेल वापिस आ गये और रूम मे बैठ कर दिन भर की फोटोज देखते हुए चर्चा करने के बाद नीचे डाइनिंग हाल मे खाना खाने चले गये! आज का दिन भी इस तरह से संपन्न हुआ और अगले दिन के लिए प्लान बनाया जाने लगा! तभी माताजी ने सुझाव दिया की कल हम लोग मर्चुल चलते हैं और वहाँ की ग्रामीण लाइफ को देख कर आते हैं! मर्चुल राम नगर से तकरीबन 40किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और आपकी पहाड़ी रास्तों से ड्राइव करके जाना होता है! बीच मे जंगल भी पड़ता है जहाँ आपकी किस्मत आपको जंगली जानवरों से भी मिलवा सकती है! सीतबानी मे 4500 रुपये की जीप सफारी करने के बाद भी सिवाय लंगूर के और कुछ देखने को नही मिला किंतु राम नगर से मर्चुल तक के सफ़र मे हमारी वॅगन-आर सफ़ारी के दौरान हमने चीतल, सांभर, बंदर, लंगूर और जंगली हाथी देखा! हाथी को सामने देखने पर रोमांच तो हो रहा था किंतु यदि वो भड़क जाता तो भागने के लिए कोई रास्ता भी नही, मैं समतल रास्ते के बारे मे बात कर रहा हूँ!

यूँ ही प्राकृतिक नज़ारो का आनंद लेते हुए हम लोग 2 घंटे मे मर्चुल पहुँच गये वैसे हमारा प्लान यहाँ किसी रिज़ॉर्ट मे रुकने का था किंतु वही ऑनलाइन बुकिंग का लफ्डा और हमे कोई रूम नही मिला! खैर घूमते-फिरते हम लोग वापिस राम नगर की तरफ आ गये और यहाँ एक रूम मिल गया वो भी इसलिए क्यूंकी पहले वाली पार्टी ने ऑनलाइन बुकिंग करने के बाद कॅन्सल कर दी थी! शुक्रवार का दिन हमने इसी रिज़ॉर्ट मे बिताया और प्रकृति की गोद मे आराम किया!
वैसे इस रिज़ॉर्ट का किराया मॅनेजर साब ने थोड़ा ज़्यादा ही वसूल लिया हमसे, यही कोई रु. 3600 वो भी केवल एक दिन का! किंतु क्या करते और कोई चारा भी तो नही था, सब जगह बुकिंग्स फुल जो थी! चलिए यह तो रही हमारी किस्मत!
इस यात्रा के दौरान हमने तकरीबन 700 किलोमीटर का सफ़र तय किया जिसमे पेट्रोल पर रु. 3100 और रूम बुकिंग्स पर रु. 9900 (3 दिन) तक का खर्च हुआ! इसके अलावा टोल टॅक्स पर लगभग रु. 600 या कुछ कम, ठीक से याद नही, तक खर्च हुआ! खाना-पीना और अन्य खरीदी पर हुए खर्च परिवारिक आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग हो सकते है इसलिए इस पर चर्चा करना यहाँ ज़रूरी नही है!
रामनगर के रिज़ॉर्ट थोड़े महँगे तो है किंतु इन सभी मे स्वीमिंग पूल और जिम जैसी सुविधायें भी मिल जाती हैं, उपर से आपको प्रकृति के करीब रहने का मौका भी मिल जाता है! यहाँ ज़्यादातर परिवारिक मित्र अपने परिवार के साथ छुट्टियाँ बिताने के लिए आना पसंद करते हैं! हमे भी यह जगह बेहद पसंद आई और यदि मौका मिला तो एक बार फिर से जाने की इच्छा भी है! पूरा इलाक़ा घने जंगल से घिरा है जिसमे ट्रॅफिक सरपट दौड़ता रहता है! 3 से 4 दिनों तक यहाँ रुका जा सकता है, केवल एक समस्या है की किसी भी होटेल या रिज़ॉर्ट के टीवी मे चॅनेल के नये पॅक नही है जिससे की मनोरंजन का साधन नही मिल पाता, खैर हमने तो मोबाइल टीवी से ही काम चला लिया!
और इस तरह गार्जिया देवी जी के आशीर्वाद से हमारी यह यात्रा संपन्न हुई और एक नये अनुभव से हम लोगों का साक्षात्कार हुआ! इस प्यारी सी यात्रा के दौरान कई सारे सुखद पल आए!
प्रभु के आशीर्वाद से अगले दिन शनिवार को सुबह के 8 बजे हमने दिल्ली की यात्रा भी शुरू की और शाम को 5 बजे अपने निवास स्थान पर सकुशल पहुँच गये!
चलते चलते –
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई, हम न सोए रात थक कर सो गई
अब अगली यात्रा और उसके यात्रवृतांत के साथ आप सभी घुमककर सदस्यों से मिलता हूँ, तब तक के लिए आपको सस्नेह नमस्कार!
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Shailendra ji,
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Thanks again,
Arun