इस शà¥à¤°à¤‚खला की पिछली पोसà¥à¤Ÿ में आपने पढा की रात लगà¤à¤— आठबजे हम लोग शिमला से मनाली के लिठहिमाचल परिवहन की बस में सवार हो गà¤, हमें मनाली से कà¥à¤› पंदà¥à¤°à¤¹ किलोमीटर पहले उतरना था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम वहां 19 से 21 मई तक चार दिन यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² à¤à¤¸à¥‹à¤¸à¤¿à¤Žà¤¶à¤¨ औफ़ इंडिया के फ़ैमिली à¤à¤¡à¤µà¥‡à¤‚चर कैंप में रहने वाले थे. यह जगह कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚-मनाली रोड़ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• कसà¥à¤¬à¥‡ पतलीकà¥à¤¹à¤² के पास बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी के किनारे थी.

कैमà¥à¤ª का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°
शिमला से निकलने के कà¥à¤› देर बाद ही हमने कंडकà¥à¤Ÿà¤° को पास बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ और पता बताते हà¥à¤ बोला की हमें यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के कैंप पर उतरना है. मेरी बात सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही पास ही की सीट पर बैठे à¤à¤• सजà¥à¤œà¤¨ बड़े उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ के साथ बोले, अरे आप à¤à¥€ यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² कैंप में जाने वाले हैं, हम à¤à¥€ उसी कैंप में हैं, सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही हम सब को बड़ी खà¥à¤¶à¥€ हà¥à¤ˆ की चलो यहीं से साथी मिलने लगे हैं, खैर, हमारा उस परिवार से परिचय हà¥à¤†, वे दोनों यà¥à¤µà¤¾ पति पतà¥à¤¨à¥€ अपने मौसा मौसी तथा उनके बेटे के साथ थे, तथा अहमदाबाद से आठथे, उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ à¤à¥€Â हमारी ही तरह पà¥à¤²à¤¾à¤¨ किया हà¥à¤† था पहले शिमला और फ़िर यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के कैंप में मनाली.
बस में मैनें à¤à¤• विशेष बात गौर की, हिमाचल परिवहन की उस बस में यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के लिठकà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ के डी.à¤à¤®. तथा हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के परिवहन मंतà¥à¤°à¥€ का मोबाईल नंबर लिखा था जो की मेरे लिठबड़ी आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• बात थी, बाद में हिमाचल पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ के दौरान मैने पाया की ये दोनों नंबर वहां हर बस में लिखे हà¥à¤ थे. और विà¤à¤¾à¤—ों की तो मà¥à¤à¥‡ जानकारी नहीं लेकिन यहां के परिवहन विà¤à¤¾à¤— से मैं खासा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤†.
हिमाचल पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ तथा यहां के परिवहन विà¤à¤¾à¤— के उतà¥à¤¤à¤® पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन से इसी सफ़र के दौरान à¤à¤• बार फ़िर परिचय हà¥à¤†. हà¥à¤† यà¥à¤‚ की रात में à¤à¤• बजे के लगà¤à¤— à¤à¤• सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ जगह पर बस रà¥à¤• गई, चà¥à¤‚की सà¥à¤²à¥€à¤ªà¤° बस नहीं थी अत: नींद तो ठीक से नहीं आई थी लेकिन हां जागे हà¥à¤ à¤à¥€ नहीं थे, जब दस मिनट तक बस रà¥à¤•ी रही तो कà¥à¤› सवारियों के साथ मैं à¤à¥€ उतà¥à¤¸à¥à¤•तावश निचे उतर आया. à¤à¤• दो लोगों से बात हà¥à¤ˆ तो पता चला की बस में कोई तकनीकी खराबी आ गई है और अब यह बस आगे नहीं जाà¤à¤—ी, यह सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही हम सबका मूड खराब हो गया. इस वीरान सी जगह पर चारों ओर कोई आबादी नज़र नहीं आ रही थी, और उपर से ठंड à¤à¥€ लग रही थी.
मैं कनà¥à¤¡à¤•à¥à¤Ÿà¤° के पास पहà¥à¤‚चा और उससे पà¥à¤›à¤¾ की à¤à¤¾à¤ˆ आगे की कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿à¤‚ग है, उसने जवाब दिया सर, हमें थोड़ा समय दीजिठहम कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ डिपो से संपरà¥à¤• में हैं और संकेत मिल रहे हैं की आधे घंटे में दà¥à¤¸à¤°à¥€ बस आ जाà¤à¤—ी. मेरे लिठआशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ की बात थी की कैसे इस समय आधी रात को, आधे घंटे में दà¥à¤¸à¤°à¥€ बस आ जाà¤à¤—ी, लेकिन आधा घंटा तो दà¥à¤° की बात है मातà¥à¤° 20 मिनट में दà¥à¤¸à¤°à¥€ बस वहां हाजिर हो गई. हम सब दà¥à¤¸à¤°à¥€ बस में सवार हà¥à¤ और बस अपनी रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से मनाली की ओर चल पड़ी.
हिमाचल परिवहन का समय पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन à¤à¥€ काबिले तारीफ लगा, शिमला से चलने वाली डीलकà¥à¤¸Â बस का मनाली पहà¥à¤‚चने का समय सà¥à¤¬à¤¹ छ: बजे का था, लेकिन आधे घंटे कॆ अवरोध के बावजà¥à¤¦ à¤à¥€ बस ने हमें सà¥à¤¬à¤¹ साढे चार बजे अपने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पहà¥à¤‚चा दिया, हमारे कैंप से मनाली सिरà¥à¥ž आधे घंटे की दà¥à¤°à¥€ पर था यानी बस मनाली पांच बजे पहà¥à¤‚च गई होगी.
बस वाले ने हमें हमारे कैंप के मैन गेट के ठीक सामने उतार दिया. बस से उतरे तो यहां का माहौल देखकर पता चला की कà¥à¤› ही देर पहले यहां जबरà¥à¤¦à¤¸à¥à¤¤ बारीश हà¥à¤ˆ है, सारा वातावरण बारीश से नहाया हà¥à¤† लग रहा था, और ठंड तो जैसे असहनीय हो रही थी, हमारे साथ ही अहमदाबाद वाली फ़ैमिली à¤à¥€ उतर गई थी. और हम दोनों परिवारों ने साथ साथ यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² कैंप में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया. यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के कैंप से यह हमारा पहला परिचय था, पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर à¤à¤• टैंट में यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ सोठथे, हम लोगों ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जगाया. यह कैंप का पहला दिन था और हम दो परिवार कैमà¥à¤ª के पहले आगंतà¥à¤•. करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ शायद यह अंदेशा नहीं था की सà¥à¤¬à¤¹ साढे चार बजे à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ी आ सकते हैं. खैर, उन लोगों ने हमारा सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया और थोड़ी देर की पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ औपचारिकताओं के बाद हमें अपना टैंट अलौट कर दिया गया.

कैमà¥à¤ª का सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°
आगे बढने से पहले आइà¤, जानते हैं यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² तथा इसके फ़ैमिली à¤à¤¡à¤µà¥‡à¤‚चर कैमà¥à¤ª के बारे में – यूथ होसà¥à¤Ÿà¤² à¤à¤¶à¥‹à¤¸à¤¿à¤¯à¥‡à¤¶à¤¨ आफ इनà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤• अंतराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संसà¥à¤¥à¤¾ होसà¥à¤Ÿà¤²à¤¿à¤‚ग इंटरà¥à¤¨à¥‡à¤¶à¤¨à¤² की सदसà¥à¤¯ संसà¥à¤¥à¤¾ है जो पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ तथा रोमांचक यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं के शौकिन लोगों को अनखोजे अनजाने या फिर जाने पहचाने लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤•, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ टà¥à¤°à¥‡à¤• और साहस और रोमांच से à¤à¤°à¤ªà¥‚र यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤‚ तथा खेल कराती है तथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दà¥à¤°à¥à¤—म सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर उचà¥à¤š गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ का à¤à¥‹à¤œà¤¨ तथा रातà¥à¤°à¤¿Â विशà¥à¤°à¤¾à¤® के लिठआवास तथा रोमांचक यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं के लिठअनà¥à¤à¤µà¥€ मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤•ों की सेवाà¤à¤‚ नà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¤à¤® दरों पर उपलबà¥à¤§ कराती है.
यदि आप परिवार के साथ छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€à¤¯à¤¾à¤‚ पà¥à¤²à¤¾à¤¨ कर रहे हैं या दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के साथ टà¥à¤°à¥‡à¤•िंग या घूमने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बना रहे है या आपका सà¥à¤•ूल विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये टूर पैकेज पà¥à¤²à¤¾à¤¨ कर रहा है या फिर आप ठहरने के लिये ससà¥à¤¤à¥‡ पर साफ-सà¥à¤¥à¤°à¥‡ बजट होटल और होसà¥à¤Ÿà¤² की तलाश में है तो फिर आपको यूथ होसà¥à¤Ÿà¤²à¥à¤¸ à¤à¤¸à¥‹à¤¸à¤¿à¤¯à¥‡à¤¶à¤¨ ओफ इंडिया का मेमà¥à¤¬à¤° बन कर यह सब सà¤à¤‚व करना चहिà¤à¥¤ मेमà¥à¤¬à¤°à¤¶à¤¿à¤ª लेने के लिये मेमà¥à¤¬à¤°à¤¶à¤¿à¤ª फारà¥à¤® डाउनलोड कर उसे पूरी तरह à¤à¤°à¤•र à¤à¤µà¤‚ उसके साथ आवशà¥à¤¯à¤• दसà¥à¤¤à¤¾à¤µà¥‡à¤œ लगा कर दिठगठपते पर à¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ होता है या फ़िर आप यूथ होसà¥à¤Ÿà¤²à¥à¤¸ à¤à¤¸à¥‹à¤¸à¤¿à¤¯à¥‡à¤¶à¤¨ ओफ इंडिया की वेबसाईट पर जाकर औनलाईन फ़ोरà¥à¤® à¤à¥€ à¤à¤° सकते हैं. यूथ होसà¥à¤Ÿà¤²à¥à¤¸ à¤à¤¸à¥‹à¤¸à¤¿à¤¯à¥‡à¤¶à¤¨ ओफ इंडिया की मेमà¥à¤¬à¤°à¤¶à¤¿à¤ª लेकर आप à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ 48 से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जगहों पर यूथ होसà¥à¤Ÿà¤² के ससà¥à¤¤à¥‡ होसà¥à¤Ÿà¤² में ठहरने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ तथा समय समय पर आयोजित होने वाले à¤à¤•ल तथा पारिवारिक à¤à¤¡à¤µà¥‡à¤‚चर और टà¥à¤°à¥‡à¤•िंग पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® में à¤à¤¾à¤— ले सकते हैं.
मà¥à¤à¥‡ यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² की जानकारी हमारी कोलोनी में रहने वाले मेरे à¤à¤• सहकरà¥à¤®à¥€ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मिली जो की पिछले वरà¥à¤· ही यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के कैमà¥à¤ª में हिसà¥à¤¸à¤¾ लेकर कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚- मनाली घà¥à¤® कर आठथे, जब उनसे मà¥à¤à¥‡ ये सब पता चला तो सबसे पहले मैनें वेबसाईट पर जाकर मेंबरशिप के लिठआवेदन कर दिया. मातà¥à¤° 100 रà¥. में सालà¤à¤° की सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ मà¥à¤à¥‡ महंगा सौदा नहीं लगा, मैनें सोचा जाना या नहीं जाना अलग बात है कम से कम सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ लेकर तो रखें, और फ़िर आखिर मैनें इस वरà¥à¤· इस कैमà¥à¤ª के लिये रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ करवा ही लिया.
दरअसल यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² वरà¥à¤· à¤à¤° अलग अलग सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर अपने राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ तथा राजà¥à¤¯ सà¥à¤¤à¤°à¥€à¤¯ टà¥à¤°à¥‡à¤•िंग, बाईकिंग, सोलो तथा फ़ैमिली कैंप आयोजित करता रहता है, पारिवारिक कैमà¥à¤ª में कà¥à¤› लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ जैसे मनाली, गोआ, जैसलमेर, निलगीरी, माउंट आबà¥, पचमढी आदी कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर आयोजन होते हैं.
सबसे पहले आपको परिवार के हर सदसà¥à¤¯ के लिठयà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² की वारà¥à¤·à¤¿à¤• सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ लेनी होती है, जिसके बाद ही आप इन कैमà¥à¤ªà¥à¤¸ में à¤à¤¾à¤— ले सकते हैं. à¤à¤• परिवार मे पति पतà¥à¤¨à¥€ तथा दो बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को कैमà¥à¤ª में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ मिलता है, आम तौर पर à¤à¤• परिवार के लिठ4-5 दिन के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® का शà¥à¤²à¥à¤• लगà¤à¤— 5000 रà¥. होता है (12 वरà¥à¤· से अधिक के बचà¥à¤šà¥‡ के लिठ1000 रà¥. अलग देने होते हैं). इस शà¥à¤²à¥à¤• में à¤à¤• परिवार के लिठà¤à¤• टैंट, दो बिसà¥à¤¤à¤° (दो गदà¥à¤¦à¥‡, तकिà¤, चादर तथा चार कंबल), सà¥à¤¬à¤¹ की बेड टी, नाशà¥à¤¤à¤¾-चाय, दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨, शाम की चाय सà¥à¤¨à¥ˆà¤•à¥à¤¸ के साथ तथा रात का à¤à¥‹à¤œà¤¨Â तथा सोने से पहले बोरà¥à¤¨à¤µà¤¿à¤Ÿà¤¾ का दà¥à¤§ शामिल है. खाने तथा चाय के लिठबरà¥à¤¤à¤¨ आदि घर से लेकर जाने होते हैं, तथा इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤²Â के बाद उनà¥à¤¹à¥‡ साफ़ à¤à¥€ हमें सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही करना होता है.

पढ लीजिये…

टैंटों की कतार

छोटा सा आशियाना
यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² सिरà¥à¥ž रहने तथा खाने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ उपलबà¥à¤§ कराता है, घर से बेस कैमà¥à¤ª तक पहà¥à¤‚चने का खरà¥à¤š, घà¥à¤®à¤¨à¤¾ फ़िरना, सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दरà¥à¤¶à¤¨ तथा अनà¥à¤¯ खरà¥à¤šà¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ी को सà¥à¤µà¤¯à¤‚ वहन करने होते हैं, हां यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ तथा अधिकारी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ियों को आसपास के घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की जानकारी तथा मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ अवशà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हैं, तथा वाहन की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ किफ़ायती दामों पर करने में मदद करते हैं.
यहां आपको पà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ होती है अपने हिसाब से घà¥à¤®à¤¨à¥‡ की, इन चार पांच दिनों में आपको किस दिन कौन सी जगह देखनी है यह आप पर निरà¥à¤à¤° करता है, लेकिन हां यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के अधिकारीयों के सà¥à¤à¤¾à¤µ हमेशा फ़ायदेमंद होते हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚की उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इन जगहों का लंबा अनà¥à¤à¤µ होता है.
कैमà¥à¤ª के पहले दिन सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ियों का आपस में परिचय करवाया जाता है तथा उसके बाद यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² की ओर से आस पास की किसी à¤à¤• जगह की टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग पर सà¤à¥€ लोगों को ले जाया जाता है तथा अगले दिन से सà¤à¥€ लोग अपने हिसाब से घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के लिठमà¥à¤•à¥à¤¤ होते हैं.
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨Â दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ सà¥à¤¬à¤¹ आठबजे से पहले तैयार हो जाता है तथा हमें अपने साथ लाठटिफ़ीन में पैक करके जहां घà¥à¤®à¤¨à¥‡ जा रहे हैं वहां ले जाना होता है और जब जैसे समय मिले वैसे खा लेना होता है. शाम को सात बजे से पहले कैमà¥à¤ª में वापस आना होता है, अगर लेट होते हैं तो फ़िलà¥à¤¡ डायरेकà¥à¤Ÿà¤° को सà¥à¤šà¤¨à¤¾ देनी होती है, यानी पà¥à¤°à¤¾ माहौल होसà¥à¤Ÿà¤² के जैसा ही होता है.
टैंट बड़े साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¥‡ तथा मजबूत होते हैं और चार लोगों के परिवार के लिठउनमें जगह à¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है, बिसà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ तथा धà¥à¤²à¤¾ हà¥à¤† दिया जाता है. डाईनिंग à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥€ काफ़ी बड़ा तथा साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ होता है तथा चाय, नाशà¥à¤¤à¥‡ तथा खाने के लिठवहां टेबल तथा कà¥à¤°à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लगी होती हैं. पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤§à¤¨ के लिठकैमà¥à¤ª में कौमन लेटà¥à¤°à¤¿à¤¨ तथा बाथरूम (पकà¥à¤•ा) पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ तथा महिलाओं के लिठअलग अलग बनाठजाते हैं तथा सà¥à¤¬à¤¹ नहाने के लिठगरम पानी à¤à¥€ बड़े बड़े कड़ाहों में गरà¥à¤® किया जाता है जो की सà¥à¤¬à¤¹ पांच बजे से उपलबà¥à¤§ हो जाता है.

टैंट

हम दोनों…

फ़िलà¥à¤¡ डायरेकà¥à¤Ÿà¤°

पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤§à¤¨….

नजदीक से

हिमाचल की ठंड में नहाने के लिठगरà¥à¤®à¤¾ गरà¥à¤® पानी
चलिठलौटते हैं हमारी कहानी की ओर, तो सà¥à¤¬à¤¹ साढे चार बजे हम दो परिवार कैमà¥à¤ª पहà¥à¤‚च गà¤, और हमें टैंट नमà¥à¤¬à¤° 2 दे दिया गया. आस पास नज़र दौड़ाई तो वहां की चाक चौबंद वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को देखकर मैं दंग रह गया, बड़े छोटे अधिकारी तथा करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ मिलाकर लगà¤à¤— 20 लोगों का सà¥à¤Ÿà¤¾à¥ž था यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² का, à¤à¤• जगह पर मोबाईल, लेपटाप कैमरा आदी की चारà¥à¤œà¤¿à¤‚ग के लिठपोइंटà¥à¤¸ लगे थे, दो तीन बड़े बड़े टैंटों में रसोई घर था, à¤à¤• टैंट सबसे बड़े अधिकारी फ़िलà¥à¤¡ डायरेकà¥à¤Ÿà¤° का था जहां मà¥à¤¯à¥à¤œà¤¿à¤• सिसà¥à¤Ÿà¤®, माईक तथा बड़े बड़े सà¥à¤ªà¤¿à¤•र लगे थे, à¤à¤• टैंट में मेडिकल अटेंडेंट तथा आवशà¥à¤¯à¤• चिकितà¥à¤¸à¤¾ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ थीं यानी उस कैंप में सà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ उपलबà¥à¤§ थीं.
कà¥à¤² साठटैंट लगे थे उस कैंप में, मतलब साठपरिवार देश के कोने कोने से यहां पहà¥à¤‚चने वाले थे तथा हम सब à¤à¤• बड़े परिवार के रà¥à¤ª में चार दिन यहां साथ में रहने वाले थे, सोचकर ही मज़ा आ रहा था, खैर हमने सà¥à¤Ÿà¥‹à¤° वाले टैंट जाकर करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ को जगाया और अपने लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ बिसà¥à¤¤à¤° इशà¥à¤¯à¥‚ करवा लिया और अपने टैंट में आ गà¤. ठंड इतनी जबरदसà¥à¤¤ थी की बिसà¥à¤¤à¤° में घà¥à¤¸à¤¨à¥‡ के बाद आधे घंटे तक तो हम बेहोश जैसे पड़े रहे. साढे पांच, छ: बजे फ़िलà¥à¤¡ डायरेकà¥à¤Ÿà¤° के टैंट की तरफ़ से लाउड सà¥à¤ªà¥€à¤•र पर सà¥à¤®à¤§à¥à¤°Â à¤à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की सà¥à¤µà¤°à¤²à¤¹à¤°à¤¿à¥Ÿà¤¾à¤‚ ने हमें आà¤à¤¾à¤¸ कराया की सà¥à¤¬à¤¹ हो गई है और अब सब लोग जाग चà¥à¤•े हैं, उतà¥à¤¸à¥à¤•तावश कविता और मैं à¤à¥€ टैंट से बाहर आ गà¤, जब बाहर का नज़ारा देखा तो हम मदहोश हो गà¤, हिमाचल की बड़ी बड़ी पहाड़ीयों के बीच नैसरà¥à¤—िक सà¥à¤‚दरता से सराबोर जगह पर बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी के किनारे हमारा कैंप था. दà¥à¤° नजर दौड़ाई तो बरà¥à¥ž से ढंके विशाल परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ की चोटियां दिखाई दे रहीं थीं. सब कà¥à¤› अविशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ लग रहा था, विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ ही नहीं हो रहा था की हम à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤‚दर जगह पर चार दिन रहने वाले हैं.
कà¥à¤› ही देर में लाउड सà¥à¤ªà¥€à¤•र पर अनाउंसमेंट सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ दिया की सà¥à¤¬à¤¹ की चाय तैयार हो गई है सब लोग डाईनिंग à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में पहà¥à¤‚चें. अब तक और à¤à¥€ बहà¥à¤¤ से परिवार कैंप में आ चà¥à¤•े थे और आगमन का ये सिलसिला पहले दिन दोपहर तक चलता रहा. चाय के बाद अब नाशà¥à¤¤à¥‡ का समय था, पहले दिन ही मेरा पसंदीदा नाशà¥à¤¤à¤¾ यानी पोहा था और साथ में दà¥à¤§ के साथ पकाई गई सिवईयां दोनों चीजें बहà¥à¤¤ सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ थीं, मैनें अंदाजा लगा लिया की यहां खाना सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ ही मिलने वाला है.

यमà¥à¤®à¥€ नाशà¥à¤¤à¤¾…..

यमà¥à¤®à¥€ नाशà¥à¤¤à¤¾…..

à¤à¥‹à¤œà¤¨ ककà¥à¤·…

à¤à¥‹à¤œà¤¨ ककà¥à¤·…
चारों दिन हमें कैमà¥à¤ª का नाशà¥à¤¤à¤¾ तथा खाना बहà¥à¤¤ पसंद आया. हर नाशà¥à¤¤à¥‡ तथा खाने के साथ à¤à¤• सà¥à¤µà¥€à¤Ÿ डिश à¤à¥€ जरà¥à¤° होती थी. पहले ही दिन हमारी दोसà¥à¤¤à¥€ शिमला से हमारे साथ आठगà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ परिवार के साथ हो गई और हमने निरà¥à¤£à¤¯ लिया की चारों दिन हम लोग à¤à¤• ही गाड़ी करके साथ ही घà¥à¤®à¥‡à¤‚गे, हम सà¤à¥€ मिला कर नौ सदसà¥à¤¯ थे अत: हमने टà¥à¤°à¥‡à¤µà¤²à¥à¤¸ वाले से चार दिन के लिये à¤à¤• कैब बूक करवा ली. पहले दिन हमने मनाली, दà¥à¤¸à¤°à¥‡ दिन मणीकरà¥à¤£, तीसरे दिन रोहतांग तथा चौथे दिन बिजली महादेव घà¥à¤®à¤¨à¥‡ का निरà¥à¤£à¤¯ किया.
कैंप के पास ही बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी बहती थी अत: à¤à¤• दिन शाम को हम समय निकालकर नदी पर पहà¥à¤‚च गठऔर बहà¥à¤¤ देर तक वहां à¤à¤¨à¥à¤œà¥‹à¤¯ किया, वापसी में कैंप लौटते समय हिमाचली लोगों के घरों को तथा उनके जीवन को करीब से निहारने का मौका मिला, उनके घरों के बाहर लगे सेब के पेड़ों पर छोटे छोटे सेब लगना शà¥à¤°à¥ हो रहे थे.

पहाड़ों से घिरी बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी….

बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी…

बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी पर फ़ोटोशूट

बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी…
अपने घर से सैंकड़ों किलोमीटर दूर, पà¥à¤°à¤•ृति की गोद में, पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक नज़ारों के बीच टैंट में आवास, घर जैसा खाना, अनजाने साथियों के साथ कà¥à¤› दिन रहने का मौका और साथ में परिवार के नाम बना टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ पतà¥à¤° जो यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² सà¤à¥€ परिवारों को कारà¥à¤¯à¤•ृम के अंतिम दिन दिया जाता है यदि मातà¥à¤° 5000 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में मिलता है तो à¤à¤²à¤¾ इससे बढ़िया बात हम जैसे घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ परिवार के लिठकà¥à¤¯à¤¾ हो सकती है?

परà¥à¤µà¤¤ मालाà¤à¤‚…

आकार लेते सेब..

सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯Â निवासीयों के घर

हिमाचली बचà¥à¤šà¥‡…

हिमाचली महिला..

ठेठहिमाचली काठका घर..

Certificate….
यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के उस पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ ने हमारे मानस पटल पर वह छाप छोड़ी है की लौट के आने के इतने दिनों के बाद à¤à¥€ हम जब तब कैंप की बातें करते रहते हैं, और जलà¥à¤¦ ही गोआ में लगने वाले अगले कैंप में शामिल होने के लिठलालायित हैं.
जो लोग यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के बारे में नहीं जानते हैं वे मेमà¥à¤¬à¤°à¤¶à¤¿à¤ª तथा आगामी कारà¥à¤¯à¤•ृमों की जानकारी के लिठयà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² की वेबसाईट  http://www.yhaindia.org/ तथा यूथ हॉसà¥à¤Ÿà¤¿à¤² के आगामी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को à¤à¤• बार जरà¥à¤° देखें. ये तो थे यà¥à¤¥ होसà¥à¤Ÿà¤² के हमारे अनà¥à¤à¤µ और अब इस शà¥à¤°à¤‚खला की अगली कड़ी के लिठकिजिठकà¥à¤› इनà¥à¤¤à¥›à¤¾à¤° जिसमें मैं आपको मनाली की सैर करवाने वाला हà¥à¤‚……..
नमस्कार मुकेश जी!
आपकी पूर्व-लिखित पोस्टों की भाँती यह पोस्ट भी अत्यंत रोमांचक है. इस पोस्ट में विशेष रूप से जो आपने युथ होस्टल एसोसिऎशन औफ़ इंडिया के फ़ैमिली एडवेंचर कैंप वर्णन किया है वह निश्चित ही पाठकों को रोमांचित करता है. आपके द्वारा युथ होस्टल एसोसिऎशन औफ़ इंडिया के विषय में दी गए विस्तृत सूचनाएं भविष्य में रोमांचक यात्रा का विचार करने वाले घुमक्कड़ों के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध होगी. पोस्ट के सभी चित्र आकर्षक और मनोहारी है.
अपने अनुभवों को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
मुनेश जी,
आपकी इस प्रेरक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार. आपको पोस्ट में दी गई जानकारी तथा सुचनाएं पसंद आईं उसके लिए शुक्रिया. अपनी बहुमुल्य कमेंट्स से इसी तरह पथ प्रदर्शित करते रहें.
धन्यवाद,
बहुत बढ़िया विवरण है.. आपकी नजरो से मनाली को फिर जान रहे हैं…. हम 1980 में हनीमून पर मनाली गये थे… वो मनाली कुछ और ही था… अब दुबारा गये तो आनंद नही आया टूरिस्टों की वजह से भीड़ हो गयी… पर आपको अवश्य पसंद आया होगा.
मेरा हिमाचल परिवहन का बड़ा कड़वा अनुभव है.. कभी कोई खट्टी-मीठी लिखी तो बताउंगा….
ऊ व ई की मात्राओं की गलतियाों का जिक्र नही करूंगा वरना आप नाराज हो जायेंगे…एक ही तो मित्र बचा है यहां
आदरणीय शांत आत्मा जी,
पोस्ट पर पधारने का शुक्रिया. चुंकि पहली बार पर्वतों से टकराए थे अत: ह्में तो मनाली में बड़ा मजा आया. अगली खट्टी मीठी का हमें भी इन्तज़ार है. और हां, आपने हमें यहां पर इकलौता मित्र होने का गौरव प्रदान किया उसके लिये एक और शुक्रिया…
nice…
Thanks Arun for going through and commenting here…
I have heard about YHAI but I do not recall reading such a beautiful, comprehensive and detailed review of one of the their camp-sites. Indeed, at 5K for a family, it is a steal. Thank you Mukesh for sharing this with us. The pictures of common areas, tents and the rich details would help tremendously to anyone planning a trip. I think you should send this link to YHAI folks. I am sure it would help them in spreading the word about YHAI.
I have not traveled much in HPTC but have heard good things about them from others as well. Infact many many years ago, they were the leaders in starting a Volvo service to Manali. Along with RSTRC they were always praised. It is very heartening to read about your experience with HPTC, hope things gets replicated everywhere soon enough.
So on to Manali now ?
Nandan,
Thanks for liking the post and information in this post. It was like a hotel review. Thanks for suggestion of sending the link to YHAI, I’ll surely do this. Also I expect the tag of FOG on this post, I think there is no any other post on YHAI yet.
Thanks.
मुकेश जी, सुन्दर चित्रों व् लेखन के साथ आपने युथ होस्टल एसोसिऎशन औफ़ इंडिया के फ़ैमिली एडवेंचर कैंप का अच्छा वर्णन किया है। आपने लिखा है की वहां ठण्ड काफी थी लेकिन आपके और भाभी जी के चित्रों को देखकर तो ऐसा नहीं लगता।
पोस्ट साँझा करने के लिए धन्यवाद।
नरेश जी,
इस सुंदर सी कमेंट के लिए धन्यवाद. आपने शायद गौर नहीं किया, हम कैंप में सुबह चार बजे पहुंचे थे और उस पुरी रात वहां बारीश होती रही थी, अब आप सोच सकते हैं की उस समय वहां कितनी ठंड होगी, मैनें वर्णन भी उसी समय का किया है और उस समय हमने कोई भी फोटो नहीं लिए थे, सारे फोटो बाकी के दिनों के और दोपहर के समय के हैं….और मैं उम्मीद करता हुं की आप समझते ही होंगे पहाड़ों में दिन और रात के तापमान में कितना अंतर होत है…
खैर, आप हमेशा ही अपनी कमेंट्स के जरिए हमारी हौसला अफ़जाई करते हैं उसके लिए धन्यवाद.
मुकेश जी,
शिमला का लेख पढ़ने के बाद इस लेख का मैं काफ़ी समय से इंतज़ार कर रहा था ! वाकई, हिमाचल प्रदेश में सरकारी बसों की सुविधा बहुत ही अच्छी है ! और यूथ होस्टल के बारे में जानकारी साझा करने के लिए बहुत-2 धन्यवाद ! ये जानकारी उन लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी होगी जो निरंतर यात्रा करते रहते है ! पिछले लेखों की तरह इस लेख को भी आपके सुंदर चित्रो ने चार चाँद लगा दिए है ! लेख को पढ़कर बहुत ही आनंद आया और व्यास नदी के किनारे वाला चित्र मुझे सबसे सुंदर लगा ! सहगल जी की बात से मैं सहमत हूँ, आपकी और भाभी जी की फोटो देख कर लग नही रहा कि आप लोगों को सर्दी से कुछ फ़र्क पड़ा हो ! शायद, यही घुमककड़ी का जोश है !अगले लेख की प्रतीक्षा में…
प्रदीप जी,
आपकी कमेंट ने तो आज प्रसन्न कर दिया. आपको लेख तथा चित्र पसंद आए जानकर बहुत खुशी हुई.
धन्यवाद,
मुकेश जी ,
आज समय मिला तो आपके तीनो लेख पढ़े। अच्छा लगा।
बहुत अच्छी जानकारी आपने यूथ हॉस्टल के बारे में पाठको को दी है।
कमलांश जी,
युथ होस्टल की जानकारी आपको अच्छी लगी मतलब मेरा ये पोस्ट लिखना सफ़ल हो गया….
Very Nice & Informative…
YHAI is really good family and solo traveler..
Am planning for my first solo with YHAI.
Will share my experience …
Hi Gourav, Thanks for commenting here. Wish you a happy stay in YHAI, will wait for your log.
Very nice and detailed review of YAHI camp site. Certainly it will help all the Ghumakkars. Photographs are also very good. Hope the Journey to Manali through your coming log will be interesting.
Thanks
Thanks Anupam for these sweet words. Staying at YHAI is indeed the value for money.
Hi मुकेश जी,
बेहद ही बड़िया और जानकारी से परिपूर्ण पोस्ट आपने यूथ होस्टल पर लिखी है, जो वास्तव में ही सभी घुमक्कड़ो को आकर्षित कर रही है, जैसा कि आप भी उपरोक्त टीपों में महसूस कर रहे होंगे |
आपकी हिमाचल श्रंखला की तीसरी क़िस्त वाकई मजेदार रही और इसने हम सब की आप के साथ मनाली यात्रा के विवरण को पड़ने की प्यास को और ज्यादा बड़ा दिया है |
फ़ोटोज और कथ्य का समन्वय बहुत बेहतर है !
अब इंतज़ार है इस यात्रा की अगली कड़ी का…..
अवतार जी,
हमेशा की तरह मोहक शब्दों के लिए बहुत धन्यवाद. अगली कड़ी जल्दी ही….
it is very good to find such beautiful organisation like YHAI helping people have great tours at reasonable price.nice pics,good narrative.
Ashok Sir,
thanks for your sweet words….
प्रिय मुकेश,
आपके सुझाव पर अमल करते हुए मैने यूथ हॉस्टल की सदस्यता अपने और अपनी धर्मपत्नी के लिये तो 1 July 2014 को ही ले ली थी । तब से अब तक उनकी वेबसाइट भी घोट – घोट कर पी चुका था ! अगर बाकी कुछ बचा रह गया था तो वह था – उनके किसी कैंप का यथार्थ व चित्रात्मक वर्णन सो वह आज आपने पूरा कर दिया ! आपका आभार ! अब मेरे मन से सब संदेह, शंकाएं, लघुशंकायें मिट चुकी हैं और मैं गोवा चलने के लिये और कैंप में रहने के लिये प्रस्तुत हूं ! दिसंबर में अभी भी कैंप में कुछ सीटें खाली हैं ! है मंजूर तो बोलो “हां” !
यदि आप पहाड़ों पर फोटोग्राफी करें (और अगर आपका कैमरा अनुमति दे) तो एक UV (Ultraviolet) filter या skylight या Anti-haze फिल्टर लगा लेना चाहिये ! ऐसा करने से क्या होगा? मैलोडी खाओ और खुद जान जाओ !
कैंप तो मैं बचपन से ही अटैंड करता रहा हूं । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक महीने के कैंप में भी रहा हूं जहां सुबह चार बजे बिगुल बजा कर उठा दिया जाता है। मंगलवार को दोपहर को खाने में सूचित कर दिया जाता है कि आज हनुमान जी का दिन है, अतः दाल में नमक नहीं डाला गया है, चुपचाप नाक, आंख, कान बन्द करके गटक जाओ ! ऐसे में मेरे जैसे व्यक्ति के लिये तो ये कैंप बहुत luxurious रहेंगे !
कई मित्रों ने लिखा है कि आपको ठंड लग रही थी तो फोटो में गर्म वस्त्र पहने हुए क्यों नहीं दिखाई दे रहे? लगता है, इन मित्रों ने आपकी पहली पोस्ट नहीं पढ़ी जिसमें आपने बताया था कि सुझाव दिये जाने के बावजूद आपने कुल्हाड़ी पर पैर मारते हुए अपने लिये गर्म कपड़े नहीं रखने दिये थे ! खैर, अब आगे भी तो बोलो ना ! (कि क्या – क्या हुआ ?)
सादर सस्नेह !
यानि बुड्ढों को भी मिल जाती है यूथ होस्टल की मैम्बरशिप ??? मैं भी कोशिश करुं आपको मिल गई तो मुझे भी मिल जायेगी .. मैं तो आप से काफी छोटा हूं LOL
सुशांत सर,
इतनी सुंदर तथा विस्तृत टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद. अगर तैयारी कर ही ली है तो बस गोआ के लिए रजिस्ट्रेशन करवा ही लिजिए और हो ही आइए, वैसे भी बहुत समय हो गया है आपकी हंसा हंसा कर लोटपोट कर देने वाली पोस्टों को पढे…
@ सुशांत – यूँ के , फॉर्म में हैं आप । वारी वारी जाऊं ।
Hahahahah….kya baat hai…..
Very nice experience and nicely explained.
Thanks Sandeep ji for liking and commenting here…
नमस्कार मुकेश जी…..
इससे पहले यूथ कैम्प के बारे में मेरी बिल्कुल नगण्य थी ….कुछ दिनों पहले आपने फोन पर बताया था….उसके बाद आज यहाँ पढ़ने को मिल गया….. इस जानकारी को हमसे साझा करने के लिए धन्यवाद ……| यूथ कैम्प में सारा काम समय सारणी के अनुसार करना होता है तो मनमौजी, आरामफरोश लोगो के लिए यह कैम्प तो बिल्कुल भी नहीं है … |
अरे भाई …ठन्डे जगह जाओगे तो ठण्ड लगना तो लाजमी है तो उसे लगने दो और आप एन्जोये करो…. | बहुत अच्छी लगी आपकी पोस्ट और चित्र भी …… मनाली तो हम भी घूम चुके पर अब आपकी नजरो से घूम लेते है….
जय भोले की …..
रितेश जी,
कमेंट के लिए थैंक्स. आप जैसा सोच रहे हैं वैसा युथ होस्टल कैंप में कुछ नहीं है, पुरे चार पांच दिन आप अपनी स्वतंत्रता से घूम सकते हैं, सिर्फ़ रात को समय से आना होता हैं क्योंकी हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्हीं पर होती है….और जहां तक सुबह उठने का सवाल है वो तो पर्यटक की स्वयं की प्राथमिकता होती है क्योंकी घुमने के लिए आए हैं तो टैंट में बैठ कर क्या करना…
Mukesh Bhai,
WOW! It is a real splendid narration with plenty of photos. As I said in one of my previous remarks, many photos always make sense if they are sensible enough. Your choice of posting appropriate photos are great. You are looking gorgeous with Bhabhi Ji in Hum-Dono. Great idea and a lesson to all. I was eager to know learn your experience about YHAI.
The camping idea of YHAI is very interesting and affordable. Sounds good and need a try by all. As Nandan suggested, I too feel you should post the post to YHAI. They must be happy to use it as an enriching material.
@ Nandan please take care to tag the FOGS as FOG including all my FOG entries too. Its a real grudge.
Keep traveling
Ajay
@ Mukesh , Ajay – Would do, including the old posts.
This post has definitely captured the fancy of a lot of Ghumakkars, its been a while we saw so many comments. Great work Mukes Bhai.
आपके अनुभव से प्रभावित होकर सबसे पहला काम मैंने YHAI की सदस्यता लेने का किया है जो कि अब २२० रूपये है अगर ऑन लाइन आवेदन करते है तो और ये दिसंबर तक वैलिड है, आगे कितना फायदा इस सदस्यता का हम ले पायेगे ये तो वक़्त ही बताएगा।
आपने जो जानकारी लेख में दी तो वाकई सराहनीय है और फोटो इसकी सुंदरता को ओर बढ़ा रहे है। शिमला से मनाली का रास्ता प्राकृतिक सौंदर्य से भरा है लेकिन आप रात के समय सफर करके उस सौंदर्य को निहारने से वंचित रह गए।
उम्मीद है आगे आपने भरपूर आनंद लिया होगा। धन्यवाद इस उपयोगी जानकारी को साझा करने के लिए।
सौरभ गुप्ता जी,
आपने मेरी पोस्ट पढने के बाद युथ होस्टल की सदस्यता तुरंत ले ली, जानकर बहुत खुशी हुई. इन केम्प्स के अलवा भी इस सदस्यता कार्ड के कई फ़ायदे हैं जैसे कुछ प्रसिद्ध रेस्टारेंट्स पर डिस्काउंट, उत्तर प्रदेश पर्यटन के होटलों में डिस्काउंट, स्वयं युथ होस्टल के विभिन्न शहरों में स्थित होस्टलों में किफ़ायती दरों पर प्रवेश आदी.
इतने सुंदर शब्दों में अपनी प्रतिक्रीया देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद. मैं तो चाहता हुं की आपकी सदस्यता की अवधि में ही आप एक कैंप जरुर अटैंड करें, अभी तो गोआ, माउंट आबु, पचमढी बहुत जगहों की बुकिंग चालु है…
मुकेश जी
नमस्कार। सच कहूँ तो आपकी यह पोस्ट पूर्व की दोनों कड़ियों से बहुत ही अच्छी है। इस पोस्ट में आपने ना सिर्फ यूथ होस्टल से घुमक्कड़ के पाठकों का परिचय कराया है बल्कि आपने पाठकों को इसकी सदस्यता लेने को भी प्रेरित किया है। कम बजट में परिवार सहित घुमने के लिए ये एक अच्छा विकल्प है।
पोस्ट की भाषा और छायाचित्र दोनों लाजवाब है।
लड्ढा जी,
मेरी पोस्ट पर पधारने, पढने तथा प्रतिक्रीया प्रेषित करने के लिए अनंत आभार. सही कहा आपने, पीक सीजन के समय में पांच दिन मनाली में शहर की भीड़ भाड़ से दूर पुर्णत: प्राकृतिक वातावरण में नदी के किनारे कैम्प में रहना, दोनों समय का चाय नाश्ता और खाना पीना वो भी घर जैसा स्वादिष्ट यदी चार लोगों के लिए मात्र 4500 रु. में मिले, तो ये विकल्प निर्विवाद रुप से श्रेष्ठ है…