आज तारीख मई 5 हो चली थी। वैसे तो मैं मई 4 को दरà¥à¤¶à¤¨ करना चाहता पर ख़राब मौसम की वजह से नहीं कर पाया था। आज सोमवार का दिन था à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ का दिन। शायद à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ की यही इचà¥à¤›à¤¾ थी यही सोच कर अपने दिल को बहला लिया। मैंने अपना रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ और मेडिकल रिपोरà¥à¤Ÿ चेक करवाली। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वालों के पास à¤à¤• रजिसà¥à¤Ÿà¤° à¤à¥€ था जिसमे वो लोग हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का पता, मोबाइल नंबर और à¤à¤• à¤à¤®à¥‡à¤œà¥‡à¤¨à¥à¤¸à¥€ नंबर दरà¥à¤œ कर रहे थे। यहाठपर पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ ने सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ तक 3 कि.मी. के लिठशटल सेवा निशà¥à¤²à¥à¤• की हà¥à¤ˆ है। मैं उसी शटल का इंतज़ार कर रहा था।

पà¥à¤²à¤¿à¤¸ चेक पोसà¥à¤Ÿ पर यातà¥à¤°à¥€ रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ और मेडिकल रिपोरà¥à¤Ÿ चेक की जाà¤à¤š हो रही है।
शटल मैं सीटिंग के हिसाब से ही लोग बैठे थे। à¤à¤• जन à¤à¥€ फालतू नहीं था। सà¤à¥€ लोगों à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ की जय बोलकर गाड़ी मे बैठगà¤à¥¤ शटल हमें 3 कि.मी. आगे तक छोड़ने वाली थी। यहाठसे आगे सड़क नहीं थी पूरा पहाड़ टूटा हà¥à¤† था। मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था कि मानो गाड़ी पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ के गारे पर चल रही है। बहà¥à¤¤ ही सà¤à¤•रा रासà¥à¤¤à¤¾ था। थोड़ी देर के बाद डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने गाड़ी रोकी और कहा यहाठसे अब पैदल जाना है। मैं हैरान था सब कà¥à¤› बदल गया था। यहाà¤Â पर गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ जैसा कà¥à¤› नहीं था। पहले तो गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ मे à¤à¥€ पारà¥à¤•िंग हà¥à¤† करती थी। जहाठपर शटल ने उतारा था बस वहीठतक रासà¥à¤¤à¤¾ था। पिछले साल तक तो गाड़ियाठआगे तक जाती थी। तबाही ने सब कà¥à¤› खतà¥à¤® कर दिया था। यहाठसे गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ 1-1.5 की.मी. का पैदल रासà¥à¤¤à¤¾ था। यहाठपर बहà¥à¤¤ सी गाड़ियाठखड़ी थी। मैंने शटल डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से कहा “यार ये लोग à¤à¥€ यहाठतक गाड़ी लेकर आये है और पारà¥à¤•िंग लगा कर चल दिठहैं। à¤à¤¸à¥‡ तो मैं à¤à¥€ यहाठतक अपनी गाड़ी लेकर आ सकता था। ” शटल डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° थोड़ा सा मà¥à¤¸à¥à¤•राकर बोला “à¤à¤¾à¤ˆ जी ये गाड़ियाठतो पिछले साल से यहीं खड़ी हैं। इनको लेने कोई नहीं आया। ” उसने यह à¤à¥€ बताया कि पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ ने तो गाड़ियों के रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ नंबर से मालिक का पता à¤à¥€ लगवाया और उनके रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ सूचित किया पर इन गाड़ियों को किसी ने à¤à¥€ कà¥à¤²à¥‡à¤® नहीं किया। हो सकता है घर के सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯ तबाही की चपेट मे आ गठहों।

लावारिस गाड़ियाà¤à¥¤

लावारिस गाड़ियाà¤à¥¤ फ़ोटो मे जो रासà¥à¤¤à¤¾ दिख रहा है यही पहले गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ तक जाता था।
गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ तक पैदल जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ नया बनाया गया था। रासà¥à¤¤à¤¾ कचà¥à¤šà¤¾ ही था। à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ की जय बोलकर मैंने चलना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया। पहाड़ों मे टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग का à¤à¤• गà¥à¤°à¥ मंतà¥à¤° है à¤à¤• सीमित गति से चलते रहो। जलà¥à¤¦à¥€ चलते और बड़े कदम लेने से इंसान जलà¥à¤¦à¥€ थक जाता है। इसलिठछोटे कदम रखते हà¥à¤ मैं चलने लगा। मैंने घड़ी मे टाइम देखा अà¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ के 06:15 बज रहे थे। गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ तक जाने वाला रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ नया बनाया गया था। बारिश होने की वजह से ये रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ कचà¥à¤šà¤¾ ही था।
गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ पहà¥à¤à¤šà¤¾ तो वहाठपर पà¥à¤²à¤¿à¤¸ पोसà¥à¤Ÿ पर फिर से रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ चेक करवाया और यहाठपर à¤à¥€ रेजिसà¥à¤Ÿà¤° मे इनफारà¥à¤®à¥‡à¤¶à¤¨ दरà¥à¤œ हà¥à¤ˆà¥¤ सà¥à¤¬à¤¹ के वक़à¥à¤¤ गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ पड़ा हà¥à¤† था। वैसे à¤à¥€ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ पोसà¥à¤Ÿ की लाइन मे मà¥à¤¶à¥à¤•िल से 20 लोग रहे होंगे। यहाठपर मेरी मà¥à¤²à¤¾à¤•ात à¤à¤• गà¥à¤°à¥à¤œà¥€ से हà¥à¤ˆà¥¤ वो अपने 13 शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ चार धाम यातà¥à¤°à¤¾ पर निकले थे। ये लोग गंगोतà¥à¤°à¥€ और यमà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ करके अब केदारनाथ जा रहे थे और आखिर मे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने वाले थे। ये à¤à¤• मिशन के तहत चार धाम यातà¥à¤°à¤¾ पर थे। इनके मिशन का नाम “आल इस वेल(All Is Well) था। इस मिशन से ये लोगों से चार धाम की यातà¥à¤°à¤¾ करने का संदेश दे रहे थे। कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि पिछले साल हà¥à¤ˆ आपदा के बाद लोग à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ हो गठथे। गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ से मैं गà¥à¤°à¥‚जी की टोली के साथ हो लिया। ये लोग नैनीताल से आये थे।

रासà¥à¤¤à¥‡ की हालत देखिये। कंकड़ और रोडियों से à¤à¤°à¤¾ पड़ा है। ये बारिश की वजह से हà¥à¤† है।

रासà¥à¤¤à¥‡ मे हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° का कॉकपिट à¤à¥€ पड़ा हà¥à¤† था। न जाने कà¥à¤¯à¥‚ठयहाठतक लेकर आये होंगे।

केदार घाटी की à¤à¤• à¤à¤²à¤•।
चलते-चलते गरà¥à¤®à¥€ सी लगने लगी मैंने सर से टोपी उतार ली और जैकेट की चैन à¤à¥€ आधी खोल ली थी। गà¥à¤°à¥‚जी के कà¥à¤› शिषà¥à¤¯ तो फटाफट आगे निकल गठथे। उमà¥à¤° मे छोटे थे और शरीर à¤à¥€ दà¥à¤¬à¤²à¤¾ पतला सा था। रासà¥à¤¤à¤¾ ख़राब ही था अà¤à¥€ तो यातà¥à¤°à¥€ काम और हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ मे लेबर रासà¥à¤¤à¤¾ ठीक करने मे लगी हà¥à¤ˆ थी। देख कर आशà¥à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ हो रहा था इन मिशà¥à¤•िल हालत मे à¤à¥€ ये लोग काम कर रहे थे। आखिर पापी पेट और परिवार पालने के लिठसब कà¥à¤› करना पड़ता है। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लेबरों ने घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹à¤‚ तक के जूते और रेनकोट पहना हà¥à¤† था। सूरà¥à¤¯ देव कà¥à¤› खास मेहरबान नहीं थे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वक़à¥à¤¤ धà¥à¤ª के दरà¥à¤¶à¤¨ दà¥à¤°à¥à¤²à¤ ही रहे। जब जब विशà¥à¤°à¤¾à¤® करते तो ठंड लगने लगती और जैसे ही चलते तो फिर से शरीर मे गरà¥à¤®à¥€ आ जाती।
हलà¥à¤•ी à¤à¥‚ख लगने लगी थी। मैंने गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ से à¤à¤• पानी की बोतल, दो चॉकलेट, à¤à¤• कà¥à¤°à¥€à¤® वाला छोटा बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ और à¤à¤• Parle-G ख़रीद लिया था। पानी तो लगातार पी ही रहा था पर हर बार सिरà¥à¤« à¤à¤• घूà¤à¤Ÿà¥¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पानी à¤à¤• बार पीने से उलà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¥€ हो सकती है। मैं धीरे-धीरे चॉकलेट और बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ चाबते हà¥à¤ आगे चलता रहा और जंगलचटà¥à¤Ÿà¥€ कैंप साइट तक पहà¥à¤à¤š गया। यहाठपर à¤à¤• GMVN(गढ़वाल मंडल विकास निगम) की à¤à¤• कैंटीन थी। कैंटीन मे गà¥à¤°à¥‚जी और उनके चेलों ने चाय पी। यहाठपर ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ थी। इसके अलावा पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤• रोकथाम के इंतज़ाम à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ थे और à¤à¤• विशà¥à¤°à¤¾à¤®à¤—à¥à¤°à¤¹ à¤à¥€ था।

सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ – चिकितà¥à¤¸à¤¾à¤²à¤¯
गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ से रामबाड़ा तक रासà¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ वाला ही था पर बड़ी बà¥à¤°à¥€ तरह कà¥à¤·à¤¤à¤¿ गà¥à¤°à¤¹à¤¸à¥à¤¤ हो गया था। रासà¥à¤¤à¤¾ पहचान मे ही नहीं आ रहा था। बारिश और à¤à¥‚सà¥à¤–लन होने की वजह से रासà¥à¤¤à¥‡ के à¤à¤¸à¥‡ हाल हà¥à¤ थे।

रामबाड़ा से कà¥à¤› पहले की à¤à¤• तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥¤
रामबाड़ा पहà¥à¤à¤š तो होश उड़ गà¤à¥¤ सिरà¥à¤« रामबाड़ा नाम के अलावा पर सही माने मे कà¥à¤› नहीं बचा था। अà¤à¥€Â मैं मंदाकनी नदी के बाà¤à¤ ओर चल रहा था लेकिन रामबाड़ा बाद आगे का पूरा रासà¥à¤¤à¤¾ जिस पहाड़ पर बना था वो पहाड़ पिछले साल ढह गया था। सीधा बोलूठतो रामबाड़ा बाद पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ नया रासà¥à¤¤à¤¾ बनाया था। नठरासà¥à¤¤à¥‡ पर जाने लिठबाà¤à¤ ओर से मंदाकनी को à¤à¤• पà¥à¤² के जरिठपार करके दाà¤à¤ ओर जाना था। और अà¤à¥€ तक इस पà¥à¤² पर काम चल रहा था।

रामबाड़ा के बाद à¤à¤• गहरी उतराई लेकर पà¥à¤² पार किया।
वीडियो 1:-  Â

à¤à¤¸à¤¾ विनाश हà¥à¤† था रामबाड़ा पर।
कितने à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• रूप से जलजला आया होगा। रामबाड़ा का नामोनिशान मिटा दिया। मेरी पिछली यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं मे मैं और मेरा साथी यहीं पर विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया करते थे और पेट à¤à¤° पराà¤à¤ े खाया करते थे। यहाठपर रात को सोने का इंतज़ाम à¤à¥€ हà¥à¤† करता था। à¤à¤¸à¥€ ही मेरी à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ मे केदारनाथ के दरà¥à¤¶à¤¨ से लौटते वक़à¥à¤¤ हमने रात के 2 बजे यहीं रामबाड़ा पर à¤à¤• दूकान वाले से विनती करके कà¥à¤› खाने की पेशकश की थी। उस वक़à¥à¤¤ उसके पास सिरà¥à¤« आलू की सबà¥à¤œà¤¼à¥€ थी। हम उस साल 6 दोसà¥à¤¤ गठथे। सà¤à¥€ à¤à¥‚खे थे हमारी हालत पर दà¥à¤•ानदार को तरस आया और बोला कि चलो ठीक है अंदर आ जाओ और पहले चाय पी लो तबतक मैं आटा गूà¤à¤¦ देता हूà¤à¥¤ गरà¥à¤®-गरà¥à¤® रोटी और आलू की सबà¥à¤œà¤¼à¥€ खाकर मज़ा आ गया था। तो मेरा ये वाकà¥à¤¯ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ यह है कि रामबाड़ा अपने आप मे à¤à¤• समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ कसबे की तरह था। जहाठपर यातà¥à¤°à¤¾ सीजन मे लोग हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ मे होते थे।  यहीं पर खचà¥à¤šà¤° सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड à¤à¥€ हà¥à¤† करता था। लेकिन इस बार सब खतà¥à¤®à¥¤ जो पहली बार गया होगा वो कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ और यकीन अà¤à¥€ नहीं कर सकता कि रामबाड़ा पर कैसा कहर टूटा था।

जैसे कि मैंने पहले à¤à¥€ बताया था पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ पर अà¤à¥€ काम ही चल रहा था।

सिरà¥à¤« दो घूंट पानी बचा है बोतल मे।

बारिश आई नहीं कि रासà¥à¤¤à¤¾ गायब।
नठरासà¥à¤¤à¥‡ पर चढ़ाई जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है। जà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤° कचà¥à¤šà¤¾ ही है मà¥à¤à¥‡ लग रहा था की आने वाले बारिश के मौसम मे तो यातà¥à¤°à¤¾ बिलकà¥à¤² ही नहीं हो पाà¤à¤—ी। सारा रासà¥à¤¤à¤¾ ढह जाà¤à¤—ा। यातà¥à¤°à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ यहाठअà¤à¥€ लेबर काम कर रही थी। लिंचोली बेस कैंप तक सामन पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ जा रहा था। लिंचोली मे पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ कि तरफ से निशà¥à¤²à¥à¤• जल-पान, à¤à¥‹à¤œà¤¨ और विशà¥à¤°à¤¾à¤® का पूरा इंतज़ाम था। लेकिन अà¤à¥€ लिंचोली पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ मे टाइम था। चढाई लोहे के चने चबाने जैसी थी। चॉकलेट, बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ, पानी सब खतà¥à¤® हो गया था। लेकिन मैंने पानी की खाली बोतल संà¤à¤¾à¤² के रखी हà¥à¤ˆ थी।
कà¥à¤› देर तक चलने के बाद मैं लिंचोली कैंप साइट पर पहà¥à¤à¤š गया। यहाठपर à¤à¥‹à¤œà¤¨ का पूरा इंतज़ाम था। विशà¥à¤°à¤¾à¤® करने और रात मे रà¥à¤•ने/सोने के लिठबहà¥à¤¤ सारी कैंप हटà¥à¤¸ थी। सà¥à¤²à¤¿à¤ªà¤¿à¤‚ग बैगà¥à¤¸ थे। यहाठपर हैलीपेड à¤à¥€ बना हà¥à¤† था। जो सामान à¤à¤°à¥€ था उसको हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ जा रहा था। हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° बीमार लोगों को à¤à¥€ निशà¥à¤²à¥à¤• वापस लेकर जा रहा था। अà¤à¥€ फाटा से वैसे तो हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° सेवा शà¥à¤°à¥‚ नहीं हà¥à¤ˆ थी पर जरूरी काम-काज के लिठतो उड़ा ही रहे थे।

लिंचोली कैंप साइट।

गरमा-गरम सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ खिचिड़ी।
मैंने à¤à¥€ यही पर खिचिड़ी खाई थी। वैसे दूसरी जगह पर चावल छोले, सबà¥à¤œà¤¼à¥€ à¤à¥€ थी पर मैंने सफर के समय हलà¥à¤•ा à¤à¥‹à¤œà¤¨ लेना ही ठीक समà¤à¤¾à¥¤ पेट à¤à¤° के ठूस लेता तो चलने मे दिकà¥à¤•त होती। कà¤à¥€-कà¤à¥€ अपनी समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ पर मà¥à¤à¥‡ आसà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ होता है कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि असलियत मे इतना समà¤à¤¦à¤¾à¤° हूठनहीं। यहीं से मैंने अपनी पानी की बोतल फिर से à¤à¤° ली। पानी कतई ठंडा था।

हैलीपैड।

फ़ोटो मे दाà¤à¤ और टैंट दिख रहे हैं ये यातà¥à¤°à¤¿à¤“ं के लिठलगे हà¥à¤ थे। फ़ोटो मैंने ठीक से नहीं लिया। बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ संखà¥à¤¯à¤¾ मे थे टैंट।
अब मज़िल दूर नहीं थी पर असली चढ़ाई लिंचोली के बाद ही थी। पता चला कि हौंसले टूट जाà¤à¤à¤—े आने वाली चढ़ाई मे। मैं आगे चल दिया। दूर से कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ नज़ारा दिख रहा था। तà¤à¥€ बारिश शà¥à¤°à¥‚ हो गयी। मैंने à¤à¤• टैंट लगा देखा और उसकी ओर दौड़ा। टैंट के बाहर 2-3 बाबा लोग बैठे हà¥à¤ थे। मैं à¤à¥€ उनके बगल मे जा बैठा। तà¤à¥€ आवाज़ आई à¤à¤¾à¤ˆ साहब अंदर आ जाओ बहà¥à¤¤ जगह है। मैंने जूते उतारे और अंदर चला गया। ये टैंट NDMA (National Disaster Management Authority) वालों का था। बोला आराम से लेट जाओ। टैंट मे बिसà¥à¤¤à¤° लगे हà¥à¤ थे और रजाईयां à¤à¥€ बहà¥à¤¤ थी। लेकिन मैंने रज़ाई नहीं ओडी शरीर का जो तापमान था उसको वैसे ही रहने दिया। बारिश जलà¥à¤¦à¥€ ही 10 मिनट के बाद ही रà¥à¤• गई और मैं फिर से आगे निकल पड़ा।

जिस पहाड़ पर ये रासà¥à¤¤à¤¾ बना हà¥à¤† था वो à¤à¥€ टूटा हà¥à¤† था। à¤à¥‚सà¥à¤–लन हो रखा था।
मà¥à¤à¥‡ अपने गाà¤à¤µ तक जाने के लिठà¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ ही चढ़ाई पर चलना होता है तो मेरे लिठदिकà¥à¤•त की बात नहीं थी। लेकिन गà¥à¤°à¥ चढ़ाई सही मे जानलेवा थी। à¤à¤¸à¥€ की तैसी हो गई। गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ से लिंचोली तक इतना कषà¥à¤Ÿ नहीं हà¥à¤† था जितना इस आखरी पड़ाओ मे हà¥à¤†à¥¤ मैं हर 10-15 कदम चलने के बाद रà¥à¤• जाता था। रासà¥à¤¤à¤¾ कचà¥à¤šà¤¾ था यहाठपर अà¤à¥€ पतà¥à¤¥à¤° नहीं बिछाठथे इसीलिठबहà¥à¤¤ सावधानी से पैर जमाकर चलना पद रहा था। कà¥à¤› लोग रासà¥à¤¤à¥‡ को छोड़ कर पगडणà¥à¤¡à¥€ से जा रहे थे। पगडणà¥à¤¡à¥€ से जाने मे और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मेहनत लगती है और थकान लग जाती है। मैं तो सीधे रासà¥à¤¤à¥‡ ही चलता गया। अब मैं पहाड़ के ऊपर था और अब रासà¥à¤¤à¤¾ बिलकà¥à¤² समतल आ गया था। à¤à¤¸à¥‡ इलाके को “बà¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤²” बोलते है। पर अà¤à¥€ यहाठपर बà¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤² जैसा कà¥à¤› नहीं था। चारों तरफ बरà¥à¤«à¤¼ ही बरà¥à¤«à¤¼ थी। à¤à¤•दम सफेद चादर की तरह।
तà¤à¥€ मेरी नज़र सामने वाले पहाड़ पर गई जहाठपहले पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¤† करता था। पहाड़ पर कà¥à¤› बड़ी से चीज़ गिरी पड़ी थी पर ठीक से नज़र नहीं आ रही थी। फिर समठमे आया बाप से ये तो किसी हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° के अवशेष हैं। दूर से किसी कूड़े के ढ़ेर जैसा लग रहा था। पिछले साल हà¥à¤ˆ आपदा मे बचाओ कारà¥à¤¯ करते समय कà¥à¤·à¤¤à¤¿à¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ हà¥à¤† था।

हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° के अवशेष। पहाड़ पर नज़र डालिये पूरा ढह गया है।

पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ और हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° के अवशेष। हेलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° à¤à¤• बिंदॠमातà¥à¤° ही लग रहा है।

पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ अब केरदारनाथ की ओर नहीं जा सकता।
कैसा बबाल हà¥à¤† होगा ज़रा कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कीजिये। सदियों से जो पहाड़ों की शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला अडिग थी पिछले साल हà¥à¤ˆ तबाही ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ हिला कर रख दिया था। या कहूठकि ख़तà¥à¤® कर दिया कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि ये वापस से अपनी पहले जैसी सकà¥à¤² मे नहीं आ सकते। इनपे जो डेंट पड़ा है उसे कोई à¤à¥€ बॉडी शॉप ठीक नहीं कर सकती। इनपर लगे हà¥à¤ दाग सरà¥à¤«-à¤à¤•à¥à¤¸à¥‡à¤² à¤à¥€ नहीं हटा सकता।
चलिठआगे बढ़ते हैं।
मैं इस समय बहà¥à¤¤ ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर था और अब मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤› दूर सीधे जाकर नीचे की और उतरकर केदारनाथ तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¤¾ था। यहाठपर बरà¥à¤«à¤¼ के अलावा कà¥à¤› नहीं था। मà¥à¤à¥‡ नहीं पता कि बरà¥à¤«à¤¼ की मोटाई कितनी थी पर किसी-किसी जगह पर मेरा पैर घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹à¤‚ तक धस जाता था। मैंने अपनी घड़ी मैं altitude(समà¥à¤¦à¥à¤° ताल से ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ) चेक किया। मीटर ने 3470 दिखाया, बोले तो 11384 फीट.
यहाठपर बहà¥à¤¤ सारे करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ और सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवी लगातार बरà¥à¤«à¤¼ हटाकर रासà¥à¤¤à¤¾ बनाने की कोशिश मे लगे हà¥à¤ थे। लेकिन बरà¥à¤«à¤¬à¤¾à¤°à¥€ रोज ही चल रही थी और इन लोगों की मेहनत पर पानी फिर जाता था।

जहाठपैरों के निशान थे मैं à¤à¥€ वहीठपर चल रहा था। मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® बरà¥à¤« पर तो पैर अंदर धस जाता जिससे गति धीमी हो जाती थी।

कà¥à¤¯à¤¾ कहूà¤à¥¤ खà¥à¤¦ ही देख लीजिये।

GMVN कैंप यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤—त करते हà¥à¤à¥¤
दोपहर के दो बजने वाले थे मैं बिना समय नषà¥à¤Ÿ किये मंदिर की ओर चल दिया। मंदिर को छोड़ कर सब कà¥à¤› खतà¥à¤® हो गया था। मंदिर का पूरा आà¤à¤—न मलवे के नीचे दब चà¥à¤•ा है। पहले मंदिर के चारों तरफ ऊà¤à¤šà¥€ दीवार थी। तीन-चार सीढ़ियाठचढ़ कर मंदिर के आà¤à¤—न मे पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ थे। अब à¤à¤¸à¤¾ नहीं है।

जय केदारनाथ।

बहà¥à¤¤ आराम से दरà¥à¤¶à¤¨ किये। गिने-चà¥à¤¨à¥‡ लोग ही थे।
केदारनाथ घाटी मे मंदिर के अलावा कà¥à¤› नहीं बचा था। मंदिर के दोनों ओर बनी दà¥à¤•ानें, लॉज, धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¤à¤ सब कà¥à¤› नषà¥à¤Ÿ था। मंदिर के पीछे à¤à¥€ कà¥à¤› मठ, à¤à¥ˆà¤°à¥‹à¤ मंदिर, आशà¥à¤°à¤® हà¥à¤† करते थे à¤à¤• à¤à¥€ जगह साबà¥à¤¤ नहीं बची थी।
केदारनाथ को à¤à¥€ à¤à¤• चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ ने बचा लिया था। à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा पतà¥à¤¥à¤° मंदिर के पीछे शिला की तरह पड़ा हà¥à¤† था। इसी की वजह से पानी और मालवा मंदिर के दाà¤à¤-बाà¤à¤ से निकल गया था। वैसे मलवा तो मंदिर के अंदर तक à¤à¤° गया था पर इस पतà¥à¤¥à¤° ने मंदिर के अंदर के शिवलिंग को नà¥à¤•à¥à¤¸à¤¾à¤¨ होने से बचा लिया था। मैंने देखा कि इस पतà¥à¤¥à¤° को à¤à¥€ मालाओं से सजाया हà¥à¤† था। हो न हो अब इसकी पूजा à¤à¥€ ज़रूर होती होगी।

इसी चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ ने मंदिर को बचाया।
à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद मैं वापस निकल पड़ा। बार-बार मैं पलट कर केदार घाटी की हालत देख रहा था। दिल दà¥à¤– से à¤à¤° उठता था और अपनी आà¤à¤–ों पर यकीन नहीं होता था। मैं पिछले साल ये यातà¥à¤°à¤¾ नहीं कर पाया था कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि उस वक़à¥à¤¤ मेरे माता-पिता इस यातà¥à¤°à¤¾ पर गठथे और मैं घर की देख-रेख के लिठरà¥à¤• गया था। मेरे माता-पिता à¤à¥€ सही सलामत इस यातà¥à¤°à¤¾ से वापस आ गठथे। केदार घाटी की ये दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ देख कर मैं यही सोच रहा था की मेरे घरवालों पर à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ की कृपा बानी रही होगी।
वैसे मेरा सोचना थोड़ा अलग है। सब लोग यही कहते थे की देवी आपदा है। मेरे हिसाब से ये आपदा पà¥à¤°à¤•ृति मे असंतà¥à¤²à¤¨ होने की वजह से आई थी। सबसे बड़ी चीज़ हमारा पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ आज तक सोता रहा था। पिछले साल हà¥à¤ˆ घटना के बाद कà¥à¤› होश आया था। पहले हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ मे लोग रोज़ दरà¥à¤¶à¤¨ करने जाते थे। उन लोगों का रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ तक नहीं होता था।
इस बार पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ सचेत था। जरा सा à¤à¥€ मौसम बिगड़ने पर यातà¥à¤°à¤¾ पर रोक लगा दी जाती थी। NDMA के लोग रासà¥à¤¤à¥‡ मे कई जगह पर तैनात थे जो मौसम का हाल समय-समय पर पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¶à¤¨ तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¤à¥‡ रहते थे।
दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद मैं लौट रहा था तà¤à¥€ देखा à¤à¤• साधू बाबा कà¥à¤› गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ मेरे पीछे चले आ रहे हैं। यहीं कà¥à¤› दूरी पर à¤à¥‹à¤œà¤¨ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी। मैं यही पर रà¥à¤• गया और à¤à¤• पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ मे कड़ी-चाà¤à¤µà¤² और अचार ले लिया। तà¤à¥€ साधू बाबा à¤à¥€ यहाठपहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ मà¥à¤à¥‡ लग गया था कि ये à¤à¥‹à¤²à¥‡ की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ मे बà¥à¤°à¥€ तरह लीन हो चà¥à¤•े हैं। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ज़रूर अंटा(grass) मारा हà¥à¤† था। बाबा के मà¥à¤¹ से निकले हà¥à¤ बोल कà¥à¤› इस तरह।
अचà¥à¤›à¤¾ है दरबार à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा का ,
पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ है दरबार à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा का ,
आओ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ आओ ,
यहाठचाय à¤à¥€ मिलेगी ,
खाना à¤à¥€ मिलेगा ,
पैसा à¤à¥€ नहीं लगेगा ,
अचà¥à¤›à¤¾ है दरबार à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा का ,
पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ है दरबार à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा का।
मैं इसका वीडियो बनाना चाहता था लेकिन इस वक़à¥à¤¤ मैं खाना खा रहा था। मैंने जलà¥à¤¦à¥€ खाना खतà¥à¤® किया पर कà¥à¤› सेकंड पहले साधू बाबा चà¥à¤ª हो गठऔर à¤à¤• चाय माà¤à¤—ी। बाबा को रिकॉरà¥à¤¡ करने का सà¥à¤¨à¥‡à¤¹à¤°à¤¾ मौका मैंने खो दिया।
लौटते वक़à¥à¤¤ ली गई कà¥à¤› फ़ोटो।

जान जोखिम मे डाल कर काम करते हà¥à¤ कà¥à¤› लोग।

वापस लौटते वक़à¥à¤¤ मैं, गà¥à¤°à¥‚जी के टेमà¥à¤ªà¥‹-टà¥à¤°à¥ˆà¤µà¤²à¤° का डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤°, गà¥à¤°à¥‚जी और NDMA के करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€à¥¤

ये सब लेबर पतà¥à¤¥à¤° निकलते हà¥à¤, फिर इन पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ को हथोड़े से तोड़ती थी, फिर चलने लायक रासà¥à¤¤à¥‡ पर बिछाती थी।
शाम तेजी से ढल रही थी। अà¤à¥€ तो बहà¥à¤¤ दूर तक उतरना था। अब मà¥à¤à¥‡ पंजो और खासकर दोनों पैरों के अंघूटों मे दरà¥à¤¦ होने लगा था à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था की छाला बन गया हो। अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होना शà¥à¤°à¥‚ हो गया। इस वक़à¥à¤¤ मैं गरà¥à¤¡à¤¼ चटà¥à¤Ÿà¥€ पर बने GMVN कैंप तक पहà¥à¤à¤š गया। मैंने यही पर à¤à¤• Glucon-D का पैकेट खरीदा और चाय के कप मे दो बार घोल के पी लिया। तà¤à¥€ सोने पर सà¥à¤¹à¤¾à¤—ा हो गया और बारिश शà¥à¤°à¥‚ हो गई। मैं जलà¥à¤¦à¥€ से जलà¥à¤¦à¥€ नीचे उतरना चाहता था इसलिठबारिश की परवाह किये बिना आगे निकल गया। इस वक़à¥à¤¤ मैं घà¥à¤ª अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ और बारिश मे अकेले ही चले जा रहा था। बारिश मे फिसलने के अलावा मà¥à¤à¥‡ कोई डर नहीं था। à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ करके जो लौट रहा था।
मैंने घड़ी मे टाइम देखा तो रात के 8 बजने वाले थे। बारिश और पैर मे छाले पड़ जाने की वजह से मैं बहà¥à¤¤ धीरे-धीरे चल रहा था। रात 8:30 बजे मैं गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ पहà¥à¤à¤š गया। कà¥à¤› 2-4 दà¥à¤•ानें ही खà¥à¤²à¥€ हà¥à¤ˆ थी। पिछले साल तक तो बाज़ार सजा रहता था। मैं à¤à¤• दà¥à¤•ान मे घà¥à¤¸ गया और पानी की बोतल खरीदी। फिर से Glucon-D का पैकेट निकला और à¤à¤• à¤à¤• गिलास à¤à¤° के पिया। 10 मिनट आराम करने के बाद कà¥à¤› राहत मिली। तà¤à¥€ गà¥à¤°à¥‚जी और उनके कà¥à¤› शिषà¥à¤¯ à¤à¥€ आ गà¤à¥¤ मैंने पता किया तो दà¥à¤•ानदार ने बताया कि इस वक़à¥à¤¤ गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ से सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— जाने के लिठकोई शटल नहीं मिलेगी। शटल शाम 6-7 बजे के बीच मे बंद हो जाती हैं। ऊपर से मौसम à¤à¥€ ख़राब है कोई à¤à¤®à¤°à¥à¤œà¥‡à¤¨à¥à¤¸à¥€ à¤à¥€ होगी तब à¤à¥€ शटल नहीं आà¤à¤—ी।
मैंने रात गौरीकà¥à¤£à¥à¤¡ रà¥à¤•ने मैं ही ठीक समà¤à¤¾à¥¤ उसी दà¥à¤•ानदार से मैंने कहा और 350/- मैं उसने à¤à¤• लॉज मे मेरे रà¥à¤•ने का इंतज़ाम करवा दिया। गà¥à¤°à¥‚जी और उनके शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अलविदा कर मे लॉज की ओर चल दिया। बहà¥à¤¤ ही साफ़-सà¥à¤¥à¤°à¤¾ लॉज था। माफ़ कीजियेगा मà¥à¤à¥‡ नाम याद नहीं आ रहा। सबसे पहले मैंने गीले कपड़े निकाले और गीजर से गरà¥à¤® पानी निकाल कर बालà¥à¤Ÿà¥€ मे पैर डà¥à¤¬à¥‹ दिये। 10 मिनट के बाद à¤à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¥€ आ गया और खाना खतà¥à¤® करने के बाद मैं घोड़े बेच कर सो गया।
आज तारीख 6 मई हो गयी थी। कल से तो मà¥à¤à¥‡ ऑफिस जà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤¨ करना था। आज मैं सà¥à¤¬à¤¹ 5:30 बजे ही लॉज वाले के साथ हिसाब करके 1 कि.मी और आगे चल दिया। वहीठसे शटल सेवा मिलने वाली थी। शटल ने सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पर वापस उतार दिया और सबसे पहले मैंने पà¥à¤²à¤¿à¤¸ पोसà¥à¤Ÿ पर जाकर बताया की मैं वापस आ गया हूà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रजिसà¥à¤Ÿà¤° मे दरà¥à¤œ किया लिया। इसके बाद मैंने à¤à¤• चाय बनवाई और फैन खाà¤à¥¤ वैसे à¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ के 6:30 बजे किसको à¤à¥‚ख लगती है। अब मैं पारà¥à¤•िंग की ओर गया और यहीं खड़े-खड़े कपड़े बदल लिà¤à¥¤ इसके बाद जब तक गाड़ी का इंजन गरà¥à¤® हà¥à¤† मैंने à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ लगाकर अपना इंजन à¤à¥€ गरà¥à¤® कर लिया।
à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ की जय बोलकर गाड़ी घर के लिठवापस दौड़ा दी।

सोनपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी की और जाते वक़à¥à¤¤ à¤à¤• साइन बोरà¥à¤¡à¥¤

selfie (अपनी अपने आप लेना)
मैंने गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी पहà¥à¤à¤š कर पानी की दो बोतल खरीदी और à¤à¤• पैकेट नेवी-कट à¤à¥€à¥¤ तà¤à¥€ देखा की रंग-रà¥à¤Ÿ (फ़ौजी) दौड़ पर निकल रहे हैं। ये इन लोगो के रोज़ के अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ का हिसà¥à¤¸à¤¾ होता है।
गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी से मैं बिना रà¥à¤•े चलता रहा और गाड़ी धारी देवी पर जाकर रोकी। इस मंदिर को इसकी असली जगह से उठा कर पिलर पर रख दिया गया है। कà¥à¤› लोग इसे à¤à¥€ पिछले साल हà¥à¤ˆ तबाही का कारण मानते हैं। यहाठपर डैम का काम पूरा हो चà¥à¤•ा है और विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— हाइडà¥à¤°à¥‹ पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ शà¥à¤°à¥‚ होने वाला है। अगर धरी देवी मंदिर को पिलर पर नहीं उठाते तो ये मंदिर डूब जाता। मेरे हिसाब से तो लोगों की आसà¥à¤¥à¤¾ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखते हà¥à¤ सरकार ने काबिले तारीफ काम किया है। हम लोग 21वी सदी मे हैं। à¤à¤—वान मे आसà¥à¤¥à¤¾ के साथ हमें देश के विकास के बारे मे à¤à¥€ सोचना है।

जय माठधारी।

पिलर पर धारी देवी का मंदिर।
टाइम की कमी होनी की वज़ह से धारी देवी को दूर से नमन करके मैं सीधा देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पर रà¥à¤•ा। दोपहर के 2:00 बजने वाले थे। यहाठबने सà¥à¤²à¤ शौचालय मे जाकर फà¥à¤°à¥‡à¤¶ हà¥à¤†à¥¤ पेट खाली होते ही फिर से à¤à¤°à¤¨à¥‡ का टाइम तो हो ही गया था। सà¥à¤¬à¤¹ ठीक से नाशà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ नहीं किया था। पेट à¤à¤° दाल, रोटी, सबà¥à¤œà¤¼à¥€ का सेवन किया। à¤à¤• कोलà¥à¤¡-डà¥à¤°à¤¿à¤‚क के सà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ लगाया और ऋषिकेश की ओर निकल पड़ा। ठीक 3:00 मैं ऋषिकेश नटराज चौक पर पहà¥à¤à¤š गया। अपने तजà¥à¤°à¥à¤¬à¥‡ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• मैं सोच कर चल रहा था कि काम से काम रात के 10:00 तो बज ही जाà¤à¤à¤—े। पर इस बार मेरी किसà¥à¤®à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ थी टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• कम मिला और मैं रात 8:15 तक घर पहà¥à¤à¤š गया।
घर पहà¥à¤à¤š कर सारी थकान दूर हो गई। फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होने के बाद मैं अपनी पसंदीदा दà¥à¤•ान की ओर चल दिया। पाà¤à¤š दिनों से मैंने à¤à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€ बूसà¥à¤Ÿà¤° नहीं लिया था।  7 मई को ऑफिस जाना था और बूसà¥à¤Ÿà¤° लेना बहà¥à¤¤ जरूरी हो गया था।
उमà¥à¤®à¥€à¤¦ है कि आप लोगों को ये यातà¥à¤°à¤¾ पसंद आये।
कà¥à¤› जरूरी बातें:-
1 – मेरी तरह बेवकूफी करते हà¥à¤ गाड़ी से अकेले नहीं जाà¤à¤à¥¤ à¤à¤• से à¤à¤²à¥‡ दो।
2 – मौसम की जानकारी लेकर जाà¤à¤à¥¤ मैं जब यातà¥à¤°à¤¾ से वापस आया था तो उसके दो दिन बाद यातà¥à¤°à¤¾ रोक दी गयी थी।
3 – अतिरिकà¥à¤¤ दिन की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ लेकर जाà¤à¤à¥¤
4 – अब दूरी पहले से बढ़ गयी है। आना-जाना कà¥à¤² मिला कर लगà¤à¤— 40 कि.मी हो गया है।
5 – रेनकोट बहà¥à¤¤ जरूरी है। चढ़ाई करते वक़à¥à¤¤ अपने साथ खाने का सामन और पानी जरूर रखे।
6 – जब मैं गया था तब रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ से जगह पर कचà¥à¤šà¤¾ और संकरा था। वृदà¥à¤§ और बचà¥à¤šà¥‡ को साथ लेकर जाने से दिकà¥à¤•त जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बढ़ सकती है।
7 – अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ और बारिश के माहौल मे न उतरें। बारिश के वक़à¥à¤¤ पतà¥à¤¥à¤° गिरने का दर होता है।
8 – अगर गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ाशी रà¥à¤•े तो यहीं पर रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ करवा लें।टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ से जाने वाले हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ और बस से जाने वाले ऋषिकेश बस अडà¥à¤¡à¥‡ पर à¤à¥€ रजिसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ करवा सकते हैं।
jo mene suna hai ki naya marg jo ban raha hai wo shayad 34 km ka hai …ana jana 68 kms.
nahi Semwal Ji.
sonprayag se gaurikund aana jana 3×2 = 6km.
Gaurikund se kedarnath aana jana 17×2 = 34km.
Total = 40km.
Thanks
Anoop
Thanks !
Hi Anoop Ji
केदारनाथ धाम की सफल यात्रा का वर्णन अत्यंत रोचक और रोमांचक है. चित्रों के माध्यम से माँ धरी देवी और केदारनाथ जी के मंदिर के दर्शन करवाने के लिए धन्यवाद.
आपके द्वारा यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी और यात्रा में सावधानियों का उल्लेख केदारनाथ यात्रा की योजना बनाने वालों के लिए लाभदायक है.
जय श्री केदारनाथ, जय भोलेनाथ.
JAI Bholenath.
It broke my heart to see the pics of the present and with the thought of glorious past. It is sadden to know how we lost the places by the mother nature’s fury.
You have made a nice description of your Yatra.
Well done brave heart Anoop! May you be blessed with grace of Baba Kedarnath.
Thanks for sharing.
Thanks a lot for your comments & wishes Anupam.
जय केदारनाथ की…..जय भोले बाबा की…..
सोन प्रयाग से केदारनाथ जी के रास्ते का विवरण, चित्रों के माध्यम पिछले साल हुई विभीषिका से अस्त व्यस्त हुई केदारनाथ यात्रा मार्ग देखकर और उसमे काल कलवित हुए यात्रियों के बारे में सोचकर ही आँखे नम हो जाती है | आपकी यह यात्रा सीरीज लाजबाब लगी…. इस समय केदारनाथ की यात्रा करना एक कठिन परिस्थितयो से गुजरने जैसा है और हमने आपके लेख के माध्यम से यात्रा की उसके लिए आपको धन्यवाद …….इक बात और आपके लेख के चित्रों में पूरी यात्रा स्वयं बयान कर दी है…..कुछ फोटो प्राकृतिक सुन्दरता से भरे हुए है तो कुछ पिछले साल की कहानी कह दी है ….. |
इस लेख के रोमांच और दिलेरी को देखते हुए मैं इस दस में दस नंबर देना चाहूँगा….. धन्यवाद !
First Ghumakkar visit after disaster,Full of horripilation with nice clicks,Salute to real ghumakkar who couraged to visit Sh. Kedarnath ji in this situation n i think it will give positive signals to society n pilgrimages.Thanks a lot Anupam ji.
Sorry I inadvertently Anoop ji mentioned as Anupam ji
अनूप जी,
आज की यह पोस्ट मुझे इतनी पसंद आई की तारीफ करने के लिये मेरे पास शब्द नहीं हैं। रोमांच, हर्ष, अफसोस, दुख, गम जैसी भावनाओं से ओतप्रोत यह पोस्ट किसी को भी प्रभावित कर देने के लिये काफी है। तबाही के मंजर को दर्शाते चित्रों को देखते देखते मेरी आँखों में आंसू छलक आए।
“भाई जी ये गाड़ियाँ तो पिछले साल से यहीं खड़ी हैं। इनको लेने कोई नहीं आया। ” उसने यह भी बताया कि प्रशाशन ने तो गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नंबर से मालिक का पता भी लगवाया और उनके रिश्तेदारों को भी सूचित किया पर इन गाड़ियों को किसी ने भी क्लेम नहीं किया। हो सकता है घर के सभी सदस्य तबाही की चपेट मे आ गए हों।”
लावारिस गाड़ियों के वे चित्र और उपर लिखी पंक्तियाँ किसी की भी आँखें नम कर सकती हैं। घुमक्कड़ का नियमित पाठक और लेखक होने के अधिकार से मैं नंदन जी से इस पोस्ट को इस माह का “स्टोरी ऑफ द मंथ” का खिताब देने के लिये निवेदन करना चाहूंगा।
Thanks for sharing such a beautiful and thoughtful post.
New route for Kedarnath
The second is the Chaumasi-Kham Bugyal-Reka Bugyal-Kedarnath (34 Kms )
http://indiatoday.intoday.in/story/kedarnath-new-route-uttarakhand-governmentflash-floods-uttarkashi-based-institute/1/291524.html
Semwal Ji… basically this route was suggested by NIM for logistic purpose.
Currently for piligrims the route is Sonprayag-Gaurikund-Rambada-Rekha Bugyal-Kedarnath
Thanks
Anoop
Dear Anoop Ji,
You are really blessed by GOD SHREE KEDARNATH. Lucky Man…
Jay Bholebaba.
Prashant.
आपदा के केदारनाथ यात्रा करने के लिये आपका धन्यबाद पिछले साल आयी आपदा देख कर आखें नम हो जाती है !
thanx for showing the scene post disaster…
Thanks for Sharing your experience.. This is real good well written stuff, felt like I travelling my self.
Those two pics, as Mukesh pointed, bring distress. Anoop, you were all alone, I guess a lot of physical tiredness may not give one enough moments with himself but it must have been one big overwhelming experience. I can not thank you enough for sharing this since a lot of people must have been waiting for real, from the ground updates.
As you noted, once rains start, I guess authorities should halt the Yatra for safety and resume it only when it is all safe. Thanks again.
too good Anoop… keep travelling and keep sharing your awesome experience…..
It was sad to see the pictures which were representing last year disaster. I went there in 2011 and from pictures it is clear that many places on the route have been permanently lost.
It was a brave decision ,though not recommended, to go alone .Thanks for sharing.
One request. pls change the caption of selfie (अपनी अपने आप लेना) to selfie (अपनी photo अपने आप लेना).
Thanks for your comments Naresh.
Regarding caption – it’s just for creating the humor. Anyways plz accept my apology if you don’t like it.
@All – Thanks all for reading the story and providing your encouraging comments. It motivate to keep try the handwriting.
Thanks
Anoop
THANKS ANOOP , GHAR BAITHE BAITHE AAPNE KEDARNATH GHUMA DIYA …… NICE WRETTEN….
Dear Anoop,
A great start with excellent finish. It was so involving that I conducted the entire journey virtually. Indeed, the disaster was heartbreaking as well as a lesson to learn. Precaution is better than cure, administration may understand that.
It is extremely pitiable to see those unclaimed vehicles! May God give peace to all the victims. Hats off to the workmen & other personnel who all are on Job by risking their lives for sake of our safety. Thanks & Regards to all of them.
Thanks for sharing such a beautiful piece of dare devil travel.
Keep traveling
Ajay
गोसाई जी ,
केदारनाथ यात्रा करवाने के लिए बहुत – बहुत बधाई।
पिछले वर्ष हुई भयानक त्रासदी के बाद वहां पर जाना बहुत ही हिम्मत का काम था। यात्रा वृतांत पढ़ते हुए ऐसा लग रहा था कि अब जब तक सही ढंग से रास्ता नहीं बन जाता तब तक वहाँ पर आप जैसे जीवट लोग ही यात्रा कर सकते हैं।
This needs guts man ….all alone. and then great writing, what a simplistic way of describing. did’t knew this side of yours.
Thanks for your comments dude.