ओंकारेशà¥à¤µà¤°Â बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड पहà¥à¤à¤š कर हम सीधा मंदिर की तरफ चल दिà¤à¥¤ बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से सीधा ओंकारेशà¥à¤µà¤°Â की और चलते हà¥à¤ हम नठपà¥à¤² पर पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ ओंकारेशà¥à¤µà¤° जाने  के लिठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी पर दो पà¥à¤² हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ पà¥à¤² से जाओ तो मंदिर बाà¤à¤‚ तरफ पड़ता है और नठपà¥à¤² से जाओ तो मंदिर दायें तरफ पड़ता है। तेज धूप और गरà¥à¤®à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ होने के कारण नहाने की तीवà¥à¤° इचà¥à¤›à¤¾ हो रही थी और आज सà¥à¤¬à¤¹ से हम नहाठà¤à¥€ नहीं थे। नहाने के लिठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के तट पर पà¥à¤² के दोनों तरफ घाट  बने हà¥à¤ हैं। दायें तरफ मंदिर के नजदीक बने हà¥à¤ घाट पर à¤à¥€à¤¡à¤¼ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थी। इसलिये  हम  पà¥à¤² पार करने के बाद बाà¤à¤‚ तरफ बने घाट पर चले गठजहाठà¤à¥€à¤¡à¤¼ बिलकà¥à¤² नहीं थी। नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का पानी साफ़ देखकर खà¥à¤¶à¥€ à¤à¥€ हà¥à¤ˆ और हैरानी à¤à¥€à¥¤ हैरानी इसलिये कि यदि नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का पानी इतना साफ़ हो सकता है तो गगां- जमà¥à¤¨à¤¾ का कयों नहीं ?
नहाने के बाद हम तैयार होकर मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की ओर चल दिये। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° से पहले, रासà¥à¤¤à¥‡ में बहà¥à¤¤ से सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोग फ़ूल व पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¦ बेचने के लिये मौजूद थे। इनमे à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¤à¤° औरतें ही थी। à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• दà¥à¤•ान से हमने à¤à¥€ फ़ूल व पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¦ ले लिये और अपने बैग व जà¥à¤¤à¥‡ वहीठरख दिये। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के बाहर काफ़ी à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी लेकिन à¤à¥€à¤¡à¤¼ को समà¥à¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ के लिये कोई वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ नहीं थी। कोई लाइन का सिसà¥à¤Ÿà¤® à¤à¥€ नहीं था। 10-12 फ़à¥à¤Ÿ चोड़ा रासà¥à¤¤à¤¾ है जिससे आगे चलने के साथ-साथ उपर à¤à¥€ चड़ना पड़ता है। à¤à¥€à¤¡à¤¼ में काफ़ी धकà¥à¤•े लग रहे थे। जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ में यहाठà¤à¤—दड़ मच सकती है। पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ को यहाठपर à¤à¤—दड़ से बचने के लिये जरà¥à¤°à¥€ उपाय करने चाहियें ।
मंदिर का इतिहास व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾
ओंकारेशà¥à¤µà¤°Â जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग का à¤à¥€Â अपना सà¥à¤µà¤¯à¤‚ का इतिहास और कहानियाठहै, इनमें से तीन पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं. पहली कहानी विंधà¥à¤¯Â परà¥à¤µà¤¤Â (परà¥à¤µà¤¤) के बारे में है। à¤à¤• समय बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚डीय यातà¥à¤°à¤¾Â के दौरान जाते हà¥à¤Â नारद (à¤à¤—वान बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾Â के पà¥à¤¤à¥à¤°), ने विंधà¥à¤¯Â परà¥à¤µà¤¤à¤•ा दौरा किया और नारद ने मेरà¥Â परà¥à¤µà¤¤ की महानता के बारे में विंधà¥à¤¯Â परà¥à¤µà¤¤ कोबताया। इस कारण मेरà¥Â से विंधà¥à¤¯Â जलने लगा और उसने मेरà¥Â से à¤à¥€ बड़ा होने का फैसला किया। विंधà¥à¤¯ ने मेरà¥Â से बड़ा बनने के लिà¤Â à¤à¤—वान शिव की पूजा शà¥à¤°à¥‚ कर दी। विंधà¥à¤¯Â परà¥à¤µà¤¤ ने लगà¤à¤— छह महीने के लिà¤Â à¤à¤—वान ओंकारेशà¥à¤µà¤°Â की पारà¥à¤¥à¤¿à¤µà¤²à¤¿à¤‚ग के रà¥à¤ª में गंà¤à¥€à¤°Â तपसà¥à¤¯à¤¾Â के साथ पूजा की। परिणाम के रूप में à¤à¤—वान शिवपà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤Â और उसे इचà¥à¤›à¤¿à¤¤Â वरदान के साथ आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ दिया। सà¤à¥€Â देवताओं औरऋषियों के à¤à¤• अनà¥à¤°à¥‹à¤§Â पर à¤à¤—वान शिव ने लिगं के दो à¤à¤¾à¤— किये। à¤à¤• आधा ओंकारेशà¥à¤µà¤°Â और अनà¥à¤¯Â ममà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°Â या अमरेशवर के रà¥à¤ª में जाना जाता है। à¤à¤—वान शिव ने विंधà¥à¤¯Â परà¥à¤µà¤¤ को बढ़ने का वरदान दिया , लेकिन विंधà¥à¤¯Â शिव के à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के लिà¤Â à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾Â कà¤à¥€ नहीं होगा, यह à¤à¤•  वादा ले लिया। विंधà¥à¤¯Â  बढ़ने लगा,लेकिन उसने अपना वादा नहीं निà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤Â यह सूरà¥à¤¯ और चंदà¥à¤°à¤®à¤¾Â को à¤à¥€ बाधित करने लगा। सà¤à¥€Â देवताओं ने मदद के लिà¤Â ऋषि अगसà¥à¤¤à¥à¤¯Â से संपरà¥à¤• किया। अगसà¥à¤¤à¥à¤¯à¤…पनी पतà¥à¤¨à¥€ के साथ विंधà¥à¤¯Â परà¥à¤µà¤¤ पर  आये , और  उसे राजी कर लिया कि जब तक ऋषि और उनकी पतà¥à¤¨à¥€Â लौट कर ना आयें,तब तक वह नहीं बढ़ने वाला । वेकà¤à¥€ नहीं लौटे और विंधà¥à¤¯ आज à¤à¥€ उतना ही है जितना उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ छोड़ कर ऋषि और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ गये थे। ऋषि और उनकी पतà¥à¤¨à¥€à¤‚ जाकर शà¥à¤°à¥€à¤¶à¥ˆà¤²à¤®Â में रà¥à¤•े थे दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾à¤•ाशी और जो दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग में से à¤à¤• माना जाता है और उसे दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾Â काशी à¤à¥€ कहा जाता है।
दूसरी कहानी मंधाता और उसके बेटे की तपसà¥à¤¯à¤¾Â से संबंधित है। इकà¥à¤·à¤µà¤¾à¤•ॠवशं के राजा मंधाता (à¤à¤—वान राम के पूरà¥à¤µà¤œ) ने यहाà¤Â à¤à¤—वान शिव की पूजा की। राजा  मानà¥à¤§à¤¾à¤¤à¤¾ ने यहाठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ किनारे इस परà¥à¤µà¤¤ पर घोर तपसà¥à¤¯à¤¾ कर à¤à¤—वान शिव को  पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ किया और शिवजी  के पà¥à¤°à¤•ट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान माà¤à¤— लिया। तà¤à¥€ से उकà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ तीरà¥à¤¥ नगरी ओंकार-मानà¥à¤§à¤¾à¤¤à¤¾ के रूप में पà¥à¤•ारी जाने लगी। जिस ओंकार शबà¥à¤¦ का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£Â  सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤®Â  सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•रà¥à¤¤à¤¾ विधाता के मà¥à¤– से हà¥à¤†, वेद का पाठइसके उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ किठबिना नहीं होता है।
हिंदू गà¥à¤°à¤‚थों से तीसरी कहानी : à¤à¤• बार देवताओं और दानवों के बीच à¤à¤• महान यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤† था, जिसमेंदेवता हार गये। यह हार देवताओं के लिà¤Â à¤à¤• बड़ा à¤à¤Ÿà¤•ा थी और इसलिà¤Â उन सब देवताओं ने à¤à¤—वान शिव से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾Â की। उनकी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾Â से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨Â à¤à¤—वान शिव ओंकारेशà¥à¤µà¤°Â जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग के रूप मेंपà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤¯à¥‡ और दानवों को हराया।

मोबाइल से लिया हà¥à¤† ओंकारेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग का चितà¥à¤°

ओंकारेशà¥à¤µà¤° पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि के साथ नरेश सरोहा

ओंकारेशà¥à¤µà¤° पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि के साथ मेरी तसà¥à¤µà¥€à¤°
नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में ओंकारेशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तीरà¥à¤¥ है। ओंकारेशà¥à¤µà¤° तीरà¥à¤¥ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में चौबीस अवतार, माता घाट (सेलानी), सीता वाटिका, धावड़ी कà¥à¤‚ड, मारà¥à¤•णà¥à¤¡à¥‡à¤¯ शिला, मारà¥à¤•णà¥à¤¡à¥‡à¤¯ संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ आशà¥à¤°à¤®, अनà¥à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤®, विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ शाला, बड़े हनà¥à¤®à¤¾à¤¨, खेड़ापति हनà¥à¤®à¤¾à¤¨, ओंकार मठ, माता आनंदमयी आशà¥à¤°à¤®, ऋणमà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव, गायतà¥à¤°à¥€ माता मंदिर, सिदà¥à¤§à¤¨à¤¾à¤¥ गौरी सोमनाथ, आड़े हनà¥à¤®à¤¾à¤¨, माता वैषà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥‡à¤µà¥€ मंदिर, चाà¤à¤¦-सूरज दरवाजे, वीरखला, विषà¥à¤£à¥ मंदिर, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° मंदिर, शेगाà¤à¤µ के गजानन महाराज का मंदिर, काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥, नरसिंह टेकरी, कà¥à¤¬à¥‡à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव, चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¥‹à¤²à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव के मंदिर à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ हैं।
ओंकारेशà¥à¤µà¤° लिंग किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गढ़ा, तराशा या बनाया हà¥à¤† नहीं है, बलà¥à¤•ि यह पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक शिवलिंग है। इसके चारों ओर हमेशा जल à¤à¤°à¤¾ रहता है। पà¥à¤°à¤¾à¤¯: किसी मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में लिंग की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ गरà¥à¤ गृह के मधà¥à¤¯ में की जाती है और उसके ठीक ऊपर शिखर होता है, किनà¥à¤¤à¥ यह ओंकारेशà¥à¤µà¤° लिंग मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के गà¥à¤®à¥à¤¬à¤¦ के नीचे नहीं है। इसकी à¤à¤• विशेषता यह à¤à¥€ है कि मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के ऊपरी शिखर पर à¤à¤—वान महाकालेशà¥à¤µà¤° की मूरà¥à¤¤à¤¿ लगी है। कà¥à¤› लोगों की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि यह परà¥à¤µà¤¤ ही ओंकाररूप है। परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त बहà¥à¤¤ से मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ के विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ होने के कारण à¤à¥€ यह परà¥à¤µà¤¤ ओंकार के सà¥à¤µà¤°à¥‚प में दिखाई पड़ता है। à¥à¤•ार में बने हà¥à¤ चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¬à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¥ का जो सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है, वही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ओंकार परà¥à¤µà¤¤ पर बने ओंकारेशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का है। â€

नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ पà¥à¤² से लिया हà¥à¤† à¤à¤• अनà¥à¤¯ मंदिर का चितà¥à¤°
ओंकारेशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤°Â में दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद हम लोग ममलेशà¥à¤µà¤° मंदिर की ओर चल दिà¤à¥¤
(कà¥à¤› तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ में कैमरे में गलत सेटिंगà¥à¤¸ के कारन मास और वरà¥à¤· गलत है।सà¤à¥€ तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ 2013 की हैं।  जिन तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ में वरà¥à¤· 2012 है उन में मास और वरà¥à¤· में à¤à¤• जोड़ लें। समय व तिथि ठीक है। धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤)












रोचक वर्णन तथा बहुत सुन्दर चित्रण. घर के समीप होने की वजह से वर्ष में दो बार तो ओंकारेश्वर जाना हो ही जाता है. बहुत ही सुन्दर तथा पावन स्थान है.
Thanks Mukesh Ji..
twice a year………Lucky person !!
good one !waiting for next post.
Thanks Mahesh Ji for your Kind words..
Thank you Naresh for calling out the lack of pilgrim-management-system. Recently there was an unfortunate incident near Datia, MP.
It seems that photography is allowed inside the temple. Thank you for sharing. The pics of Ma Narmada are refreshing.
Thanks Nandan Ji..
Photography is not allowed inside the temple.. but I clicked few with mobile..Chori-chori, chupke-chupke..
नर्मदा का इतना स्वच्छ और साफ पानी देख कर बहुत अच्छा लगा..कोई तो एसी नदी दिखी जो शहरी भागो से गुज़रते हुए भी इतनी निर्मल और साफ है…पहला चित्र बहुत ही खूबसूरत आया है..
Thanks Rakesh Kush ji..
Hi Naresh ji
Nice post with equally supporting pics. I must say, you could do this trip, because your desire was so strong… that is why circumstances had to change in your favor.
Some times, traveling with friends is also a great fun… (छड़ेयाँ दी तरां….)LOL
Thanks Avtar Singh Ji..
Traveling with friends is a great fun..always..
Hi Naresh,
Thanks for sharing all the information on Onkareshwar.
It is the unmanaged jostling crowds that scare me the most in temples. At Trimbakeshwar there was a mile long queue outside and I didnt even dare to go inside. A month later in Aurangabad there was nobody at Grishneshwar and I was so happy.
Narmada is indeed clean and pretty.
Keep writing!
Thanks Nirdesh Ji.
This year in June when we visited Trimbakeshwar, we waited for an hour in queue for Darshan and next day at Grishneshwar , there was no rush. We were among few pilgrims.
Very good log dear Naresh… fotos and text both are enchanting
thanks for sharing
Thanks Tiwari Ji..
I was really shocked to see Narmada’s clean water… Kaash hamari baki nadiyan bhi aisi rakhi jaati
We were too shocked after seeing Narmada’s clean water . Usually this type of clean water in Rivers is found in Hilly area,where there is no or very less pollution.
नरेश जी, सबसे पहले तो एक और खूबसूरत यात्रा लेख साझा करने के लिए धन्यवाद ! उपयोगी जानकारी के साथ-2 बहुत ही अच्छे से वर्णन किया है आपने इस लेख में ! मुझे सबसे पहले वाला और डैम वाला चित्र बहुत पसंद आया !
Thanks Pardeep Ji for liking the post..
Good Post Naresh Ji,
Photos are brilliant specially of Narmada river.
Thanks saurabh Ji..