हम लोग सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ ही नहा धोकर के तैयार हो जाते हैं. नाशà¥à¤¤à¤¾ आदि करके चलने की तैयारी करते हैं. à¤à¤• टाटा सà¥à¤®à¥‹ वाले से बात की,  उसे अपना कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बताया, वह 1000 रूपये में तैयार हो गया. हमारा कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® इस तरह से था. सबसे पहले बाबा धनसर, फिर नो देवियों की गà¥à¤«à¤¾, फिर à¤à¤œà¥à¤œà¤° कोटली, इसके बाद कौल कंडोली, आखिर में जमà¥à¤®à¥‚ होटल तक.
बाबा धनसर
हम लोग करीब नो बजे कटरा से १ॠकिलोमीटर का सफर तय करके बाबा धनसर पहà¥à¤à¤š जाते हैं. सड़क से करीब २०० मीटर  पैदल उतराई करके हम लोग बाबा धनसर के धाम पहà¥à¤à¤š जाते हैं. यह कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤°à¤®à¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पहाडियों के बीच जंगल से घिरा हà¥à¤† हैं. à¤à¤• छोटी सी à¤à¥€à¤² हैं जिसमे à¤à¤• à¤à¤°à¤¨à¤¾ लगातार गिरता रहता हैं. à¤à¤• और à¤à¤• गà¥à¤«à¤¾ बनी हà¥à¤ˆ हैं जिसमे शिव लिंगम के रूप में à¤à¤—वान शिव विराजमान हैं. à¤à¥€à¤² में कहा जाता हैं की साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ शेषनाग वासà¥à¤•ी विराज मान हैं. यंही पर ही उनका à¤à¤• मंदिर à¤à¥€ बना हà¥à¤† हैं.पौरौनिक विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हैं की जब à¤à¤—वान शिव, माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ के साथ, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अमर कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठअमरनाथ  जी की गà¥à¤«à¤¾ की और जा रहे थे, तब à¤à¤—वान शिव ने अपने नागराज वासà¥à¤•ी को यंही पर छोड़ दिया था. नागराज वासà¥à¤•ी à¤à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ के रूप में यंही पर रहने लगे थे. उनका नाम वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ था. बाबा धनसर इनà¥à¤¹à¥€ वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ के पà¥à¤¤à¥à¤° थे. कंही से à¤à¤• राकà¥à¤·à¤¸ यंहा पर आ गया था. और इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के लोगो को परेशान करने लगा था. तब बाबा धनसर ने à¤à¤—वान शिव की तपसà¥à¤¯à¤¾ की थी. à¤à¤—वान शिव ने उनकी तपसà¥à¤¯à¤¾ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर यंहा पर उस राकà¥à¤·à¤¸ का संहार किया था. बाबा के आगà¥à¤°à¤¹ पर à¤à¤—वान शिव यंही पर विराजमान हो गठथे. यंहा पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¥€à¤² पवितà¥à¤° मानी जाती हैं. à¤à¤•  à¤à¤°à¤¨à¤¾ लगातार पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होता रहता हैं. इस à¤à¥€à¤² में नहाना शà¥à¤ नहीं माना जाता हैं. कà¤à¥€ कà¤à¥€ इस à¤à¥€à¤² के सà¥à¤µà¤šà¥à¤› जल में नागों की आकृति à¤à¥€ दिखाई देती हैं. हर वरà¥à¤· यंहा पर, महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ के अवसर पर à¤à¤—वान शिव और धनसर बाबा की याद में à¤à¤• वारà¥à¤·à¤¿à¤• महोतà¥à¤¸à¤µ व मेले का आयोजन होता हैं .

बाबा धनसर जाते हà¥à¤ हमारा परिवार

धनसर बाबा में शिव गà¥à¤«à¤¾

जल पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ – à¤à¤°à¤¨à¤¾

सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सà¥à¤°à¤®à¥à¤¯ वातावरण और हम
यंहा का वातावरण इतना सà¥à¤°à¤®à¥à¤¯ और मनमोहक हैं की मन को मोह लेता हैं.

à¤à¤—वान शिव व माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€

नागराज और उनके परिवार की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¯à¥‡
यंहा पर à¤à¤• छोटा सा मंदिर बना हà¥à¤† हैं, जिसमे नागराज और धनसर  बाबा की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¯à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हैं.

सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° घाटी और बहता हà¥à¤† à¤à¤°à¤¨à¤¾
यंहा पर नाशà¥à¤¤à¤¾ पानी करने की à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ हैं. धनसर बाबा के धाम से थोड़ा आगे ही चिनाब नदी का पà¥à¤² पड़ता हैं. हमारा डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° कहने लगा की थोड़ी दूर ही तो हैं वह à¤à¥€ दिखा देता हूà¤. करीब १५ मिनट बाद हम लोग चिनाब के पà¥à¤² पर आजाते हैं. यंहा से नदी का विकराल  पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दिख रहा था.
चिनाब नदी
नो देवियों की गà¥à¤«à¤¾Â
यंहा से हम लोग वापिस चल पड़ते हैं, कटरा से थोड़ा पहले ही à¤à¤• नो देवियों की गà¥à¤«à¤¾ वाला मंदिर पड़ता हैं. मà¥à¤–à¥à¤¯ सड़क से नीचे १०० सीढिया उतरने के बाद à¤à¤• छोटी नदी के किनारे à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤«à¤¾ हैं. इसमें माठशकà¥à¤¤à¤¿ साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ नो रूपों में विराजमान हैं. पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ लेकर के हम लोग लाइन में लग जाते हैं. करीब आधे घंटे बाद हम लोग गà¥à¤«à¤¾ के अंदर पहà¥à¤à¤š जाते हैं और माता के दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं. यंहा पर अंदर फोटो लेना वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ हैं.

नो देवियों की गà¥à¤«à¤¾

नो देवियों के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठपंकà¥à¤¤à¤¿à¤¬à¤¦à¥à¤§

गà¥à¤«à¤¾ के नीचे बहता हà¥à¤† à¤à¤°à¤¨à¤¾
बादल उतर कर  नीचे आ गये
हमारे जैन साहब हलवाई का काम करते हà¥à¤
हमारे साथ हमारे दोसà¥à¤¤ कà¥à¤®à¤°à¥‡à¤¶ जैन  जी à¤à¥€ थे. à¤à¤• जगह जब नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के लिठरà¥à¤•े तो जनाब खà¥à¤¦ हलवाई का काम करने लगे. इनके à¤à¤¾à¤ˆ साहब की मà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र में, नयी मंडी में जैन सà¥à¤µà¥€à¤Ÿà¥à¤¸ के नाम से मशहूर दà¥à¤•ान हैं.
à¤à¤œà¥à¤œà¤° कोटलीÂ
यंहा से हम लोग कटरा होते हà¥à¤ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र हाइवे पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤œà¥à¤œà¤° कोटली परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² पर पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हैं. यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ जमà¥à¤®à¥‚ कटरा मà¥à¤–à¥à¤¯ सड़क से थोड़ा हट कर शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र हाइवे पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं. यंहा पर बहà¥à¤¤ लोग पिकनिक के लिठआते हैं. à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° à¤à¤°à¤¨à¤¾ नदी के रूप में बह रहा हैं. यंहा पर पानी की गहराई मà¥à¤¶à¥à¤•िल से २ या ३ फीट हैं. और आराम से नहाया जा सकता हैं.  बचà¥à¤šà¥‡ यंहा पर  नहाने का आनंद लेते हैं. इसके किनारे पर ही à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° बगीचा बना हà¥à¤† हैं. जिसमे से नदी का सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° रूप दिखाठदेता है.
à¤à¤œà¥à¤œà¤° कोटली का सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दृशà¥à¤¯
वाह कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² हैं.

à¤à¤œà¥à¤œà¤° कोटली à¤à¤°à¤¨à¥‡ में इशांक
à¤à¤°à¤¨à¥‡ में मसà¥à¤¤à¥€ करते हà¥à¤ बचà¥à¤šà¥‡
सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² बनना कर फोटो खिचाते हà¥à¤ बचà¥à¤šà¥‡
जैन साहब कà¥à¤¯à¤¾ सोच रहे हैं?
कोल कंडोली मंदिरÂ
à¤à¤œà¥à¤œà¤° कोटली में थोड़ा देर रà¥à¤•ने के बाद हम लोग जमà¥à¤®à¥‚ के लिठचल पड़ते हैं. जमà¥à¤®à¥‚ से १० किलोमीटर पहले नगरोटा में माता कोल कंडोली का मंदिर आता हैं. इस मंदिर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ पांडवो ने की थी, यह मंदिर अति पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ हैं. कहते हैं की पांडवो ने अपने अजà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤µà¤¾à¤¸ में यंहा पर रह कर माता की तपसà¥à¤¯à¤¾ की थी . माता ने पà¥à¤°à¤•ट होकर के पांडवो को वरदान दिया था. और यंही पर सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो गयी थी. अब इस मंदिर की देख रेख सेना के हवाले हैं. इस मंदिर को माता के पà¥à¤°à¤¥à¤® दरà¥à¤¶à¤¨ माना जाता हैं.
कोल कंडोली मंदिर का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°
कोल कंडोली मंदिर
जय माठकोल कंडोली
यंहा पर मैंने माता की तसà¥à¤µà¥€à¤° पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿  से ली थी. यंहा पर फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ कर सकते हैं.
इशांक बाबू की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾
जोर से घंटा बजा लूं
मंदिर का पà¥à¤°à¤¾à¤‚गन बहà¥à¤¤ विशाल हैं. और इसमें कई और मंदिर à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हैं. मंदिर से निकलकर हम लोग जमà¥à¤®à¥‚ पहà¥à¤à¤š जाते हैं. यंहा पर रघà¥à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर के पास अपने फेवरिट होटल रघà¥à¤¨à¤¾à¤¥ में डेरा  डाल देते हैं.
प्रवीणजी बहुत अच्छी पोस्ट रही… धनसर बाबा के बारे में शायद पहली बार पढ़ रहा हूं… कई बार वैष्णों देवी जाना हुआ पर इसके बारे में पता नही था. ये कटरा से जम्मू वापसी के रास्ते में है या अलग कोई रास्ता है कटरा से.
चित्र भी मनमोहक थे
धन्यवाद श्रीमान जी, बाबा धनसर कटरा से शिवखोड़ी जाने वाली सड़क पर १०-१२ किलोमीटर पड़ता हैं.
All places are very new to me. It is a very good post and the way you presented it here is very tempting to visit this place.
pl. keep writing.
Thankyou Praveen ji….
प्रवीण जी,
काफी इंतजार के बाद इतनी सुंदर पोस्ट और फोटो देखने को मिले। बहुत अच्छा वर्णन है। झरना बहुत सुंदर दिख रहा है।
धन्यवाद
शर्मा जी बहुत बहुत धन्यवाद, वन्देमातरम…
sabhi jagah mere liye nayi hain.
Kabhi avsar mila to jarur jaunga yahan.
bahut accha lekh tha
Thankyou Vinay Ji…
प्रवीण जी , काफी समय के बात अगली कड़ी पढने को मिली । इस विलम्ब में थोडा दोष सम्पादकीय मंडल का भी है । एक दो बार तिथि बदलनी पडी प्रकाशन की । आशा है अगला लेख जल्द ही उपस्थित हो ।
धनसर बाबा के बारे में नयी जानकारी थी । फोटोज बहुत ही साफ़ और ब्राइट हैं, इस कारण से पढने में और मज़ा आता है ।
नंदन जी धन्यवाद, नंदन जी मैं तो लेट लतीफ़ हूँ ही, आप लोग भी अब बहुत देरी से प्रकाशन करते हो…
प्रवीण जी – अगला लेख आपके सबमिट करने के दो-तीन दिन में ही प्रकाशित होगा । :-)
श्री माता वैष्णो देवी के सान्निध्य पवित्र स्थल में नई जगहों से परिचय कराने के लिए आपका धन्यवाद…वन्देमातरम
रितेश जी धन्यवाद बहुत बहुत…
प्रवीण जी , काफी दिनों के बाद आये . एक अंतराल के बाद आपका फिर से स्वागत है . यह सब नयी जगह है मेरे लिए . बहुत सुन्दर है सब. अगली बार यहाँ जाऊँगा तो जरूर इन्हें देखने कि कोशिष करूँगा . यात्रा में जब तक किसी नदी झरन या कोई कुण्ड में स्नान न हो तो मजा नहीं आता मुझे . कोल कंडोली माता का मंदीर और उनकी मूर्ती बहुत भव्य है . शेर करने के लिए धन्यवाद .
विशाल जी बहुत बहुत धन्यवाद…
Praveen ji, a post from you after quite some time. Thank you for introducing the Baba Dhansar and Kol Kandola shrines. The photographs are also quite good. Hope that we do not have to wait very long for the next blog.
Narayan ji, very thankyou.