माता सà¥à¤°à¤•ंडा देवी मंदिर हम दो साल से लगातार जा रहे थे. पिछली बार à¤à¤• मनौती मांगी थी, जो मैयà¥à¤¯à¤¾ ने पूरी कर दी थी, इसलिठ पà¥à¤°à¥‡ परिवार के साथ माता के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठचलने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बन गया. दस अपà¥à¤°à¥ˆà¤² के दिन जाने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® तय हà¥à¤†, à¤à¤• अपनी बड़ी गाड़ी बलेरो और à¤à¤• किराठकी गाड़ी इंडिका विसà¥à¤Ÿà¤¾ तय करली. मैं मà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र से सà¥à¤¬à¤¹ चार बजे विसà¥à¤Ÿà¤¾ को लेकर बचà¥à¤šà¥‹ के साथ अपने कसà¥à¤¬à¤¾ चरथावल पहà¥à¤à¤š गया. वंहा से बाकी परिवार के लोग बोलेरो गाड़ी लेकर के तैयार थे.
वंहा से रोहाना, देवबंद, लखनौती चौराहा, इकबालपà¥à¤° होते हà¥à¤ पहला सà¥à¤Ÿà¥‡ हमने बिहारी गढ़ में  लिया. बिहारी गढ़ की चाय व मà¥à¤‚ग की डाल के पकोडे बहà¥à¤¤ मशहूर हैं. हर सरकारी बस व आने जाने वाली गाड़ी वंहा जरà¥à¤° रूकती हैं, और यातà¥à¤°à¥€ गण लज़ीज़ पकोडो का आनंद लेते हैं. यंहा से चल कर  हम डाट वाले मंदिर पर रà¥à¤•ते हैं और माता के दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं. सà¥à¤°à¤‚ग को पार करके हम लोग दून घाटी मैं पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर जाते हैं. और देहरादून नगर को पार कर के सीधे मसूरी मारà¥à¤— को पकड़ लेते हैं. चढाई शà¥à¤°à¥‚ होने से पहले मà¥à¤–à¥à¤¯ मारà¥à¤— पर ही पà¥à¤°à¤•ाशेशà¥à¤µà¤° महादेव मंदिर पड़ता हैं. यह मंदिर बहà¥à¤¤ ही शानदार बना हà¥à¤† हैं. यंहा पर चोबीस घंटे à¤à¤‚डारा चलता रहता हैं. हमने à¤à¥€ यंहा  पर रूककर à¤à¤‚डारे का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया. यंहा पर कà¥à¤› à¤à¥€ दान चढाना बिलकà¥à¤² मना हैं. और यह à¤à¤‚डारा कई साल से लगातार चल रहा हैं, सब पà¥à¤°à¤à¥ की कृपा है.
शà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤•ाशेशà¥à¤µà¤° महादेव मंदिर
मंदिर से हम लोग आगे की यातà¥à¤°à¤¾ पर निकल पड़े. मसूरी के रासà¥à¤¤à¥‡ मैं सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पहाडिया व घाटिया पड़नी शà¥à¤°à¥‚ हो गयी थी. मसूरी से पांच किलोमीटर पहले नगरपालिका चेकपोसà¥à¤Ÿ पर हमारा à¤à¤—ड़ा पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वालो से होते होते बचा. हम टैकà¥à¤¸ की परà¥à¤šà¥€ कटवाने के लिठअपनी गाड़ी को रोक ही रहे थे की à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले ने बोलेरो पर डंडा मार दिया. फिर कà¥à¤¯à¤¾ था सà¤à¥€ लोग गाड़ी से उतर कर उस पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले से à¤à¤¿à¤¡ गà¤. पà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ को अपनी गलती का अहसास हà¥à¤† और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने फिर माफ़ी मांगी. पà¥à¤²à¤¿à¤¸ सब जगह à¤à¤• सी होती हैं, उनमे मानवता नाम की कोई चीज नहीं होती हैं. खैर टैकà¥à¤¸ जमा करने के बाद हम वंहा से निकले. मसूरी से चार किलोमीटर पहले à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ बांये को सीधे मसूरी चला जाता हैं, और दाई और से धनौलà¥à¤Ÿà¥€, सà¥à¤°à¤•ंडा देवी व चमà¥à¤¬à¤¾ की और चले  जाते हैं. यंहा से धनौलà¥à¤Ÿà¥€ २९ किलोमीटर व सà¥à¤°à¤•ंडा देवी ३४ किलामीटर पड़ता हैं. मसूरी तक डबल रोड बनी हà¥à¤ˆ हैं, लेकिन यंहा से सिंगल रोड शà¥à¤°à¥‚ हो जाती हैं, लेकिन सड़क बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ बनी हà¥à¤ˆ हैं.
सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पहाडिया
सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°  पहाडियों का व सफर का आनंद लेते हà¥à¤ हम लोग आगे बढते रहे. आगे चलने पर à¤à¤• छोटा सा होटल नज़र आया, यंह पर रूककर थोडा विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बचà¥à¤šà¥‹ को चकà¥à¤•र आने लगे थे. यंह पर थोड़ी देर रà¥à¤• कर चाय, ठंडा पीकर के हम लोग आगे चल पड़े.
सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दृशà¥à¤¯ होटल का
इसी होटल के पास पहाड़ी पर à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मंदिर नज़र आया, हमने होटल वाले से उस मंदिर के बारे मैं पूछा तो उसने बताया की यह मंदिर छोटा सà¥à¤°à¤•ंडा देवी का मंदिर हैं. हमने इस मंदिर को नीचे से ही शीश à¤à¥à¤•ाया.
छोटा सà¥à¤°à¤•ंडा देवी मंदिर
इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से आगे निकलते ही घने बà¥à¤°à¤¾à¤‚श के और देव दार के जंगल शà¥à¤°à¥‚ हो जाते हैं. और गढ़वाल की ऊà¤à¤šà¥€ चोटियों के à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ हो सकते थे पर  उस ओर कोहरा छाया हà¥à¤† था. यह कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° बà¥à¤°à¤¾à¤‚शखंडा के नाम से à¤à¥€ मशहूर हैं. बà¥à¤°à¤¾à¤‚श के पेड़ यंहा पर बहà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¤¤ पाठजाते हैं. बà¥à¤°à¤¾à¤‚श का फूल उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड का राजकीय फूल हैं. इससे  जैम, जैली, शरबत, व विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• दवाठबनायी जाती हैं. इन दिनों उतà¥à¤¤à¤°à¤–ंड की पहाडिया इन फूलो से à¤à¤°à¥€ रहती हैं.
बà¥à¤°à¤¾à¤‚श का वृकà¥à¤·
धनौलà¥à¤Ÿà¥€ होते हà¥à¤ हमारी गाडिया कदà¥à¤¦à¥ खाल पहà¥à¤à¤š जाती हैं. कदà¥à¤¦à¥ -खाल  सà¥à¤°à¤•ंडा देवी जाने के लिठबेस हैं. यंही से ही पैदल या घोड़े पर २ किलोमीटर की कड़ी चढाई होती हैं. गाडिया पारà¥à¤• करके हम लोग चढाई शà¥à¤°à¥‚ कर देते हैं. मौसम बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ था, ना तो गरà¥à¤®à¥€ थी ना ही ठंडा.
माठसà¥à¤°à¤•ंडा देवीÂ
माठसà¥à¤°à¤•ंडा देवी का धाम जनपद टिहरी में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं. यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ धनौलà¥à¤Ÿà¥€ से आठ किलोमीटर हैं. चमà¥à¤¬à¤¾ से बाईस किलोमीटर पड़ता हैं. इस धाम की समà¥à¤¦à¥à¤° तल से ऊंचाई 2757 मीटर है. माता का धाम इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की सबसे ऊंची चोटी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं. यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ चारों ओर से देवदार के जंगलो से घिरा हà¥à¤† हैं. माता के मंदिर से चारो तरफ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° और हसींन  वादियों का बड़ा सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दृशà¥à¤¯ दिखाई देता हैं. यदि मौसम साफ़ हो तो हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, देहरादून, मसूरी, और बरà¥à¤« से ढंकी हिमालया की चोटिया साफ़ दिखाई देती हैं. यंहा के बारे मैं ये कहा जाता हैं की जब माता सती, दकà¥à¤· पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ के यजà¥à¤ž में अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की आहà¥à¤¤à¤¿ दे देती हैं. और à¤à¤—वान शिव उनकी पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ देह को उठा कर बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤¾à¤‚ड में घूमते हैं, तो à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ अपने सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ माता सती के ५१ अंश कर देते हैं,  ये अंश हमारे आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ में जंहा जंहा पर गिरे वंही पर शकà¥à¤¤à¤¿ पीठकी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¤—वान शिव ने की थी. यंहा पर माता का शीश गिरा था. हर शकà¥à¤¤à¤¿ पीठमें माठशकà¥à¤¤à¤¿ के साथ साथ, à¤à¤—वान शिव के अवतार à¤à¥ˆà¤°à¤µ à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हैं. इन शकà¥à¤¤à¤¿ पीठो के बारे में कहा जाता हैं की माता अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹ की सà¤à¥€ इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं को पूरा करती हैं. बोलो जय माता की.
सà¥à¤°à¤•ंडा देवी की चढाई
और ये मैं
हमारी माताजी
हमारे पिताशà¥à¤°à¥€
मंदिर तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ तक आखिर की कठिन चढाई थका देती हैं. पर जैसे ही मंदिर के पास पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हैं मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ करके सारी थकान दूर हो जाती हैं.
मंदिर से पहले की कड़ी चढाई
जय माता की
मंदिर परिसर में हमारे साथ à¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¤ वाकया हà¥à¤†, जब हम मंदिर पहà¥à¤‚चे तो उस समय मंदिर के कपाट बंद थे. करीब à¤à¤• घंटे बाद दà¥à¤µà¤¾à¤° खà¥à¤²à¤¨à¥‡ थे. हमने पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी से दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठकहा, पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी बोले दरà¥à¤¶à¤¨ तो अà¤à¥€ थोड़ी देर बाद हो पायेगे, आप लोग मेरे साथ यजà¥à¤ž कर लीजिà¤. पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी ने केवल हमारे परिवार को मंदिर में माता की मूरà¥à¤¤à¥€ के सामने बैठाया, और दरवाजे बंद करके यजà¥à¤ž शà¥à¤°à¥‚ कर दिया. कितना अदà¥à¤à¥à¤¤ था माठकी शकà¥à¤¤à¤¿ पीठमें माता के चरणों में बैठकर हम लोग यजà¥à¤ž कर रहे थे और आहà¥à¤¤à¤¿ डाल रहे थे. यजà¥à¤ž पूरा होने के बाद हमने अपनी मनौती पूरी होने के उपलकà¥à¤· में माता को जोड़ा चढाया  और à¤à¥‡à¤‚ट चढाई. माता की मूरà¥à¤¤à¤¿ का फोटो लेने नहीं देते हैं, इसलिठमाता का चितà¥à¤° मै यंहा पर नहीं दे पा रहा  हूà¤.
जय कारा वीर बजरंगे
मै और तरà¥
हर हर महादेव
पहाडो पर बने ख़ूबसूरत खेत और देवदार के जंगल
गढवाल की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° वादियां
आप इस ऊपर वाले  चितà¥à¤° को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से देखिये, नीचे दूर कदà¥à¤¦à¥ खाल दिखाई दे रहा हैं, और साथ में पारà¥à¤• की  हà¥à¤ˆ गाडिया कितनी छोटी छोटी दिख रही हैं.
बचà¥à¤šà¥‡ मसà¥à¤¤à¥€ में
मंदिर का à¤à¤• और दृशà¥à¤¯
मंदिर परिसर में करीब दो घंटे बिताने के बाद हम लोग वापिस चल पड़े.
हमारा परिवार
माता का मंदिर का चितà¥à¤° नीचे कदà¥à¤¦à¥‚ खाल से
कदà¥à¤¦à¥‚ खाल में à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट बना हà¥à¤† हैं, उसमे खाना सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ बनता हैं. हम लोगो ने वंही पर खाने का आनंद लिया.
खाना खाकर हम लोग धनौलà¥à¤Ÿà¥€ की और निकल पड़े.
धनौलà¥à¤Ÿà¥€
धनौलà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¤• छोटा सा खूबसूरत, देवदार के जंगलो से घिरा हà¥à¤† हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ हैं. शांत, सà¥à¤°à¤®à¥à¤¯, मन को मोहने वाला, यंहा  से दिखाई देने वाली हिमालय की बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ चोटिया, बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दिखती हैं. यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤¡ से दूर, मन को सकून देने वाला सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ हैं. मसूरी की à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤¡à¤¼ से घबराकर जब परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• यंहा पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हैं. तो उनका दिल खà¥à¤¶ हो जाता हैं. यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मसूरी से काफी ससà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ हैं. यंहा के मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ यंहा पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ दो इको पारà¥à¤• हैं. यह पारà¥à¤• पिकनिक के  लिठà¤à¤• आइडियल सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ हैं. इस पारà¥à¤• में घà¥à¤¸à¤¨à¥‡ से पहले टिकट लेना पड़ता हैं. à¤à¤• ओर à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट à¤à¥€ बना हà¥à¤† हैं, जिसमे खाने पीने का आनंद लिया जा सकता हैं. इस पारà¥à¤• में बचà¥à¤šà¥‹ के लिठà¤à¥‚ले, ओर राईडिंग बनी हà¥à¤ˆ हैं. जिस पर बचà¥à¤šà¥‡ अपना मनोरंजन कर सकते हैं.
इको पारà¥à¤•, धनौलà¥à¤Ÿà¥€ का मà¥à¤–à¥à¤¯ गेट
इको पारà¥à¤•
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शानदार देवदार का जंगल
पारà¥à¤• में खूबसूरत पगडणà¥à¤¡à¥€
पारà¥à¤• में à¤à¥‚ला
वन हमारे साथी
देवदार के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की गोद में à¤à¤• होटल का सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दृशà¥à¤¯
खूबसूरत कोहरे से ढंकी पहाडिया
धनौलà¥à¤Ÿà¥€ करीब दो ढाई घंटे घूमने के बाद हम लोग वंहा से चल दिà¤, मसूरी के बाहरो बाहर निकल कर हम लोग  सीधे महादेव मंदिर पर आकार रà¥à¤•े, जंहा पर à¤à¤• बार फिर à¤à¤‚डारे के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦, चाय और खिचड़ी का आनंद लिया.   देहरादून से  बाई पास होते हà¥à¤ हम लोग हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की और निकल गà¤. हरीदà¥à¤µà¤¾à¤° में कà¥à¤®à¥à¤ का मेला चल रहा था.   सोचा इस बहाने कà¥à¤®à¥à¤ में à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर लिया जाà¤. हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° दà¥à¤²à¥à¤¹à¤¨ की तरह सजा हà¥à¤† था.हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की मैं केवल à¤à¤• तसà¥à¤µà¥€à¤° डाल रहा हूà¤. कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° ऋषिकेश यातà¥à¤°à¤¾ के बारे में में पहले अपनी पोसà¥à¤Ÿ में  लिख चà¥à¤•ा हूà¤.
कà¥à¤®à¥à¤ मेले में रात के समय सजा हà¥à¤† हर की पौड़ी, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°Â हर की पैडी पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के बाद, थोडा देर बाजार आदि में घूमने के बाद हम लोग करीब १२ बजे अपने क़सà¥à¤¬à¤¾ चरथावल पहà¥à¤à¤š गà¤.
धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦  – वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤®
प्रवीण जी,
बहुत सुंदर वर्णन किया है. माता के दर्शन साथ में प्रकृति का आनंद, भारत में ही यह संभव है.
बहुत बहुत धन्यवाद
वन्देमातरम
सराहना करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शर्मा जी. वन्देमातरम.
5 star
thank you umesh ji.
Khubsoorat chitro se saja hua achche post.
maa Surkanda isi tarah aapki manokamna puri karti rahein
विनय जी बहुत बहुत धन्यवाद.
jahan jana chahta hun wahin ke baare me itni achchhi jankari aapne di hai.wakai maza aa gaya.ye post padhne ke baad ab to tay kar lia hai maa ke darshan karne hi hain.dhanywaad aapko sundar viwarav ke liye.
Thankyou Sir..
धनौल्टी और सुरकंडा देवी मंदिर काफ़ी बार गया हूँ , पूरा बेल्ट (देहरादून , मसूरी ,धनौल्टी, सुरकंडा देवी, चम्बा , न्यू टेहरी) ही काफ़ी सुंदर है|
छोटा सुरकंडा देवी कभी नही देखा , ये किधर है ?
बुरांस का शरबत सब थकान उतार देता है |
महेश जी छोटा सुरकंडा देवी मंदिर धनौल्टी से पांच छह किलोमीटर पहले पड़ता हैं.
प्रवीण जी,
सुबह सुबह आपकी पोस्ट के माध्यम से देवी माँ के दर्शन करके हम तो धन्य हो गए. आपको धन्यवाद. सुन्दर लेखन तथा अतिसुन्दर छायाचित्र. “कद्दू खाल” (Pumpkin Skin ) जगह का नाम बड़ा ही मनोरंजक लगा…………..लगे रहिये……….
पोस्ट की सराहना के लिए धन्यवाद, मुकेश जी.
@ Mukesh — In local language “Khal” means village covered by mountains. You will find many such villages with suffix ” Khal” in Uttrakhand , like Jamnikhal , Hindolakhal , Kaddukhal etc
जानकारी के लिए धन्यवाद महेश जी..
Short, sweet and invigorating …
Deepak ji Thank you.
प्रवीन जी, एक दिन की यात्रा का इतना अच्छा यात्रा वृतांत, बहुत खूब, क्या सुरकंडा मंदिर के पास ठहरनें की कोई व्यवस्था है. २ किलोमीटर की चढाई में लगभग कितना समय लगता है?. माता रानी आपकी हर मनोकामना पूरी करे. जय माता दी.
आनंद जी बहुत बहुत धन्यवाद. सुरकंडा देवी के पास ही धनौल्टी पांच किलोमीटर पड़ता हैं. जंहा पर कई सारे होटल और गेस्ट हाउस हैं. इस दो किलोमीटर की चढाई में करीब एक घंटा लगता हैं. जय माता की, वन्देमातरम..
गुप्ता जी माता सुरकंडा देवी तथा धनोल्टी की यात्रा करवाने के लिए धन्यवाद, चित्र बहुत सुन्दर हैं अप्रैल-जुलाई,2010 में ईको पार्क में बंदरों का बड़ा आतंक था मगर चित्रों में एक भी बंदर दिखाई नहीं दे रहा. माता-पिता को तीर्थ कराने में एक अलग ही आनंद व शांति कि प्राप्ति होती है.
धन्यवाद त्रिदेव जी, हमें इको पार्क में कोई भी बन्दर नहीं दिखाई पड़ा था. आप ने ठीक कहा हैं, माता पिता की सेवा तो भगवान से भी बढ़कर है.
3 baar jana hua kaddu khal se par Mata Surkanda ke darshan nahin ho paye.
Dhanyavad darshan karane ke liye
Dhanyawaad Ji..
प्रवीन जी…..राम राम…! जय माँ सुरकंडा देवी की….!
आपकी माँ सुरकंडा देवी और धनौल्टी की यात्रा वर्णन और फोटो बहुत अच्छी लगी…|माँ सुरकुंडा देवी के बारे में हमारी कोई जानकारी नहीं आज आपके लेख के माध्यम एक अच्छे और पवित्र स्थान का पता चला |
धनौल्टी का इको पार्क अच्छा लगा ऐसा ही एक पार्क अब कौसानी में बन रहा हैं | जब हम कौसानी की यात्रा पर थे उस समय हमने अनाशक्ति आश्रम से ऊपर एक गेट और उस पर एक बोर्ड लगा देखा था और इसकी आधारशिला भी १६जून२०१२ को रखी गयी थी…|
बहुत बढ़िया लेख ….
धन्यवाद!
रितेश जी बहुत बहुत धन्यवाद..जय माता की ..ऐसे इको पार्क तो सभी हिल स्टेशन पर होने चाहिए..
बढ़िया लेख प्रवीण जी | हालांकि पुलिस के मामले में आपकी राय ठीक है पर मेरा व्यक्तिगत अनुभव ये रहा है की उत्तराखंड की पुलिस बहुत सभ्य और सुलभ है | दिल्ली, ऊ. प. , हरियाणा , पंजाब से तो बहुत बेहतर, ऐसा मेरा मानना है |
फोटोस बहुत अच्छे बन आये हैं | धन्वायद दर्शन और यात्रा के लिए | माता पिता के साथ देख कर अच्छा लगता है :-) | आपकी अगली पोस्ट के प्रतीक्षा में |
धन्यवाद नंदन जी..
nice post , good pics.
Very Very Thankyou Ashok Ji.
हम लोग अभी मसूरी और धनौल्टी की यात्रा कर के आये हैं. आपकी पोस्ट पढ़ कर सब कुछ एक बार फिर आखों के सामने से गुजर गया. धन्यवाद.
दीपेंद्र जी धन्यवाद बहुत बहुत, जय माता की, वन्देमातरम
Praveen Ji…Mazaa aa gaya aapka post pad ke. Mera gaon Chamba ke paas hai isliye Mata Surkanda Devi ke mandir bahut baar jana hua hai… Aapne purani yaaden taaza kar di… Poho bhi bahut achche hai… Thank you for sharing…
हरीश जी जय माता की. पोस्ट की सराहना करने के लिए धन्यवाद, वन्देमातरम.
सुन्दर वर्णन और बेहतरीन तस्वीरें, प्रवीन भाई, मज़ा आ गया.
कहीं पर लिखा था “वन हमारे सच्चे साथी हैं” वन हमारे साथी ही नहीं, बल्कि हमारे हिफाज़त करते हैं, इसीलिए हमारे माता-पिता के समान हैं.
सबसे अच्छा यह बात लगा की आपने अपने मतजी और पिताजी को साथ लेके चले थे इस यात्रा पर. माता पिता के आदर करना हरेक व्यक्ति का कर्त्तव्य है.
जय माता की नारायण जी, बहुत बहुत धन्यवाद. नारायण जी माता पिता के चरणों में तो भगवान का वास होता हैं. वन्देमातरम..
नारायण जी किसी ने ठीक कहा हैं, वन है तो जीवन हैं, जैसे हमारे माता पिता हमें जीवन देते हैं, वैसे ही पेड़ पौधे, जंगल से हमें प्राण वायु मिलती हैं.
जय सुरकंडा माता की
जय माता की, वन्देमातरम
गुप्ता जी आपका लेख व फोटो बहुत अच्छे लगे। एक बात का दुःख है कि आप पुलिस को चावल के दाने के समान तोलते हो। अगर एक पुलिस वाला गलत है तो सभी गलत। अगर पुलिस वालों में मानवता न होती तो लाखों जानें जो दुर्घटनाओं में पुलिस वाले बचाते हैं वह न बचती। आम आदमी घायल को हाथ नहीं लगातेृ वहां पुलिस ही काम आती है। यदि मेरे विचार से सहमत न हों तो उपरोक्त ई-मेल आई0डी0 पर अपने विचार भेजें।
A good post and a complete travel guide to this region.