अपà¥à¤°à¥ˆà¤² का महिना शà¥à¤°à¥‚ हो गया था और कही घूमे हà¥à¤ à¤à¥€ ५ महीने हो गठथे इसलिठसोचा कि कोई कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बनाया जाठऔर फिर अचानक ही शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को निशà¥à¤šà¤¯ हà¥à¤† कि रामनगर चला जाठबाकी वही जाकर सोचा जाà¤à¤—ा कि कैसे २ दिन गà¥à¤œà¤¾à¤°à¥‡ जाà¤à¥¤ हम चार लोग जाने के लिठतैयार थे जिनमे मै, à¤à¤—वानदास जी, मनमोहन और उदय थे। उदय ने पिछली कंपनी मे हमारे साथ चार साल काम किया था लेकिन पहली बार ही हमारे साथ जा रहा था। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® अचानक ही बना था लेकिन जाने की तेयारी पूरी थी। चार लोगो के हिसाब से हमने इंडिका बà¥à¤• कर दी थी जो कि हमारी गलती थी और रहने के लिठकà¥à¤®à¤¾à¤Š विकास मंडल का गेसà¥à¤Ÿ हाउस जो कि ढेला मे है बà¥à¤• कर दिया। ये गेसà¥à¤Ÿ हाउस नया ही बना था इसलिठसोचा कि नई जगह à¤à¥€ हो जायेगी। ढेला जाने के लिठरामनगर से पहले ही उलटे हाथ पर रासà¥à¤¤à¤¾ कटता है, जहा से ये गेसà¥à¤Ÿ हाउस लगà¤à¤— १५ किलोमीटर है। वैसे तो रामनगर जिम कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ नेशनल पारà¥à¤• के लिठपà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ है लेकिन इस बार अà¤à¥€ तक कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं सोचा था कि जिम कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ जायेगे ये नहीं।
शनिवार को सà¥à¤¬à¤¹ ६ बजे निकलने का समय निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ हà¥à¤† और सबसे आखिरी मे मà¥à¤à¥‡ लेना था जिसमे ॠबजने थे। रासà¥à¤¤à¥‡ के लिठखरीदारी हमने शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° शाम को ही कर ली थी, इस बार गरà¥à¤®à¥€ की वजह से ४ बीयर à¤à¥€ ले ली सोचा कि ये à¤à¥€ देख लेते है। घर पर à¤à¥€ शाम को ही पता लगा की अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ हम जा रहे है तो किसी को आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ नहीं हà¥à¤† कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि हमारे कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® à¤à¤¸à¥‡ ही बनते है बस माताजी ने और पतà¥à¤¨à¥€ जी ने थोड़ा बहà¥à¤¤ कहकर मन की à¤à¤¡à¤¼à¤¾à¤¸ निकाल ली जो कि हमने बहà¥à¤¤ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से सà¥à¤¨à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि वापिस घर ही आना था और फिर पà¥à¤¯à¤¾à¤° से पतà¥à¤¨à¥€ जी को बैग पैक करने के लिठबोल दिया जो कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कर à¤à¥€ दिया।
गाड़ी सà¥à¤¬à¤¹ सही समय ॠबजे मेरे पास थी और मै à¤à¥€ बिलकà¥à¤² तैयार था। इस यातà¥à¤°à¤¾ मे सबसे बढ़िया बात हà¥à¤ˆ की पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª जो इस बार हमारा डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° था हमारे साथ था। पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª हमारी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ कंपनी मे चार साल हमारे साथ ही था इसलिठउससे बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है और वो à¤à¥€ हम सà¤à¥€ का बहà¥à¤¤ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करता है इसलिठयातà¥à¤°à¤¾ का मजा शà¥à¤°à¥‚ मे ही दà¥à¤—ना हो गया। अपनी पसंद के गाने मैंने और मनमोहन ने पहले ही पेन डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ मे लिठहà¥à¤ थे जिससे कि रासà¥à¤¤à¥‡ मे बोरियत न हो। उदय पहली बार हमारे साथ था लेकिन वो à¤à¥€ जानता था कि आनंद तो पूरा आना है यातà¥à¤°à¤¾ मे। रासà¥à¤¤à¥‡ मे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• नहीं मिला और २ घंटे मे ही हम गजरौला पहà¥à¤š गठजहा पर हमने चाय पीने के लिठगाड़ी रोकी और आधा घंटा चाय पीने मे लगाया, उसके बाद यातà¥à¤°à¤¾ फिर से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¥¤ अà¤à¥€ चले हà¥à¤ आधा घंटा ही हà¥à¤† होगा कि मनमोहन ने बीयर निकालने के लिठबोल दिया जो कि हमने गाड़ी में बैठते ही चिलर बॉकà¥à¤¸ में रख दी थी। हमने मना किया कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि अà¤à¥€ १० ही बजे थे लेकिन मनमोहन बोला कि लाये किसलिठहै फिर गरà¥à¤®à¥€ à¤à¥€ बहà¥à¤¤ है बाहर, बात सही à¤à¥€ थी लेकिन फिर à¤à¥€ हमने मना कर दिया। मनमोहन ने १० – १५ मिनट इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° किया लेकिन फिर अपनी बियर निकाल ली जो कि काफी ठंडी हो चà¥à¤•ी थी और १५ मिनट मे खतà¥à¤® à¤à¥€ कर दी। उसके आधे घंटे बाद हमें à¤à¥€ लगा कि समय हो गया है तो हमने à¤à¥€ बाकी बियर निकाल ली जो कि इस वक़à¥à¤¤ बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ठंडी थी। अब मजे लेने की बारी हमारी थी, मनमोहन ने हमारी तरफ देखा और बोला ये ठीक नहीं है अब रासà¥à¤¤à¥‡ से à¤à¤• और लो लेकिन हम à¤à¥€ मसà¥à¤¤à¥€ मे थी इसलिठमना कर दिया। पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª ने à¤à¥€ गाड़ी चलाते हà¥à¤ हमारी तरफ देखा लेकिन हम बोले बेटा तू तो à¤à¥‚ल जा और आराम से गाड़ी चला।
वैसे तो पूरा रासà¥à¤¤à¤¾ अचà¥à¤›à¤¾ है लेकिन काशीपà¥à¤° के पास लगà¤à¤— किलोमीटर का रासà¥à¤¤à¤¾ काफी ख़राब था जिसमे थोड़ी सी दिकà¥à¤•त हà¥à¤ˆà¥¤ रामनगर पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ से पहले हमने धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा कही ढेला वाला रासà¥à¤¤à¤¾ छूट न जाठलेकिन उसमे कोई दिकà¥à¤•त नहीं हà¥à¤ˆ कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि बोरà¥à¤¡ लगा हà¥à¤† था। उस रासà¥à¤¤à¥‡ पर शà¥à¤°à¥‚ के पाà¤à¤š – छ किलोमीटर तो आबादी थी लेकिन उसके बाद का रासà¥à¤¤à¤¾ सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ था जिसके दोनों तरफ जंगल था। à¤à¤¸à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ पर पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ ही रोमांच अपने आप अनà¥à¤¦à¤° आ जाता है लेकिन धूप इतनी तेज थी कि कोई जानवर दिखने का मतलब ही नहीं था। आगे जाकर हम बोरà¥à¤¡ देखकर और लोगो से पूछकर कर गेसà¥à¤Ÿ हाउस तक पहà¥à¤š गठजो कि गाà¤à¤µ से होते हà¥à¤ था और उसके आस पास कà¥à¤› और गेसà¥à¤Ÿ हाउस à¤à¥€ थे और बाकी तरफ खेत ही खेत थे। बिलकà¥à¤² शांति थी वहा, पहà¥à¤šà¤¤à¥‡ ही मन पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो गया। बचपन मे जब गाà¤à¤µ जाते थे तो ये नज़ारे देखने को मिलते थे। इतनी शांति थी वहा जो मन को अजीब सा सà¥à¤•ून दे रही थी। इतनी तेज धà¥à¤ª होने के बावजूद हवा की ठंडक शरीर को ताजगी दे रही थी। तेज हवा मे गेहू की बालिया जोर जोर से हिल रही थी और उसकी आवाज दिमाग को सà¥à¤•ून दे रही थी।
जैसे ही हमने गाडी खड़ी की à¤à¤• लड़का दौड़कर हमारे पास आ गया। मैंने उससे बà¥à¤•िंग के बारे मे पà¥à¤›à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि बà¥à¤•िंग मेरे ही नाम से थी तो उसने पूछा सर आप दिलà¥à¤²à¥€ से है ना और तà¥à¤°à¤‚त ही कनà¥à¤«à¤°à¥à¤® à¤à¥€ कर दिया। उसने तà¥à¤°à¤‚त किसी दà¥à¤¸à¤°à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को आवाज लगाई सामान उठाने के लिठऔर आगे आगे चल दिया हमारे कमरे दिखाने के लिà¤à¥¤ इस समय वहा कोई à¤à¥€ नहीं था सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« के सिवाय। हमने उससे पà¥à¤›à¤¾ तो उसने बताया कि थोड़ी देर पहले ही à¤à¤• परिवार ने चेक आउट किया है बाकी आज सिरà¥à¤« हमारी ही बà¥à¤•िंग है। अचà¥à¤›à¤¾ ही था हमें और à¤à¥€ आजादी मिल गयी। उसने हमें आमने सामने के दो कमरे दे दिà¤, कमरों के सामने ही लहलहाते हà¥à¤ खेत थे जिनको देखकर मन पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो रहा था। कमरे अनà¥à¤¦à¤° से à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥‡ थे, उसमे छोटे से डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤‚ग रूम के साथ सारी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤ थी। हम थके हà¥à¤ थे इसलिठजाते ही बिसà¥à¤¤à¤° पर गिर गà¤à¥¤ थोड़ी देर बाद ही उनका मà¥à¤–à¥à¤¯ रसोइया हमारे पास आया, आते ही उसने à¤à¥€ हमें पहचान लिया कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि कई बार हम रामनगर वाले गेसà¥à¤Ÿ हाउस मे रà¥à¤•े थे तो उसकी नियà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ वहा पर थी अब उसका सà¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤£ कर दिया गया था। उसने पà¥à¤›à¤¾ सर कà¥à¤¯à¤¾ लेगे दोपहर के खाने मे तो हमने à¤à¥€ उसको कà¥à¤› हलà¥à¤•ा ही बनाने के लिठबोल दिया। उसने बोला कि सर दाल, रोटी, सबà¥à¤œà¥€ और चावल बना देता हूà¤à¥¤ इससे अचà¥à¤›à¤¾ हमारे लिठकà¥à¤¯à¤¾ हो सकता था कि बाहर रहकर घर जैसा खाना।
लगà¤à¤— १ घंटे बाद ही खाना तैयार होने की सूचना आ गयी जिसके लिठहमें डाइनिंग रूम मे जाना था। वहा à¤à¤• संयà¥à¤•à¥à¤¤ डाइनिंग रूम था और वही पर ही खाना और नाशà¥à¤¤à¤¾ करना होता था, कमरों मे वो लोग नहीं देते थे। अचà¥à¤›à¤¾ ही था इससे सफाई à¤à¥€ रहती थी और किसी तरह की दिकà¥à¤•त à¤à¥€ नहीं होती थी। हम जलà¥à¤¦à¥€ से डाइनिंग रूम मे पहà¥à¤š गà¤, वो लोग à¤à¥€ हमारा ही इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° कर रहे थे। गरमागरम खाना खा कर मजा आ गया। उसके बाद हम अपने कमरों मे वापिस आ गà¤, इस समय साढ़े तीन बज रहे थे इसलिठसà¤à¥€ ने कà¥à¤› देर सोने का निशà¥à¤šà¤¯ किया कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि धà¥à¤ª मे बाहर जाने से कोई फायदा नहीं था। जलà¥à¤¦à¥€ ही सà¤à¥€ बिसà¥à¤¤à¤° पर गिर गठलेकिन अब मे कà¥à¤¯à¤¾ करू मà¥à¤à¥‡ दिन मे नींद ही नहीं आती इसलिठकà¥à¤› देर तो मे लेटा रहा लेकिन उसके बाद बाहर आकर टहलने लगा, वहा घूमना वाकई मे बड़ा अचà¥à¤›à¤¾ लग रहा था। जैसे ही पाà¤à¤š बजे मैंने सà¤à¥€ को उठा दिया और सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« को चाय के लिठबोल दिया। उठकर सà¤à¥€ तैयार हà¥à¤ और चाय पीने के बाद बाहर की ओर चल दिà¤à¥¤ जाते हà¥à¤ वहा के मà¥à¤–à¥à¤¯ रसोइया ने रात के खाने के लिठपूछा। दिन मे तो दाल रोटी हो गयी थी लेकिन रात को कà¥à¤› और चाहिठथा। पहाड़ो पर जाने के बाद हम लोग सà¤à¥€ अपने से बड़े लोगो को दाजू कहते है, मनमोहन के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ये समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ शबà¥à¤¦ है। रसोइया à¤à¥€ अब दाजू’बन चà¥à¤•ा था। उसने बोला कि साहब दाल रोटी सबà¥à¤œà¥€ का इंतजाम तो है बाकी कà¥à¤› और चाहिठतो आप बाहर जायेगे तो लेते आइयेगा हम पका देगे। अंधा कà¥à¤¯à¤¾ चाहे दो आà¤à¤–े। हम पांचो मे सिरà¥à¤« मे ही शाकाहारी हूठइसलिठबाकियों ने तो अपना मेनà¥à¤¯à¥ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ कर लिया।
गेसà¥à¤Ÿ हाउस से बाहर आकर हम सड़क पर आ गठतो सामने से आती हà¥à¤ˆ गाड़ी ने हमें सचेत किया कि आगे हाथियों का à¤à¥à¤£à¥à¤¡ है, आराम से जाना। वाह, कà¥à¤¯à¤¾ बात है जंगल के बाहर ही हाथियों के दरà¥à¤¶à¤¨à¥¤ हम थोड़ा ही आगे गठथे तो चार पाà¤à¤š हाथी सड़क पर ही थे, हमने गाड़ी पीछे ही रोक दी, कà¥à¤› देर वो हाथी सड़क पर रहे और फिर वापिस जंगल मे चले गà¤à¥¤ कà¥à¤› आगे निकले तो हिरन à¤à¥€ दिख गà¤à¥¤ उसके बाद घà¥à¤®à¤¤à¥‡ हà¥à¤ हम रामनगर पहà¥à¤š गà¤, वहा वैसे तो घूमने को कà¥à¤› है नहीं इसलिठà¤à¤¸à¥‡ ही गाडी दौड़ाते रहे। रामनगर से रात के लिठसामान ख़रीदा और वापिस हो लिà¤à¥¤ अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हो चà¥à¤•ा था इसलिठजब हम ढेला पहà¥à¤šà¥‡ तो बिलकà¥à¤² सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ हो चà¥à¤•ा था। हमने कà¥à¤› देर गाड़ी रासà¥à¤¤à¥‡ मे खड़ी कर दी कि हो सकता है कà¥à¤› दिख जाठकà¥à¤¯à¥‹à¤•ि आवाजे तो आ रही थी। इस वक़à¥à¤¤ वाकई मे लग रहा था कि जंगल के बीच मे है। गाड़ी से बाहर निकलने की हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं थी। कà¥à¤› देर वहा रहे फिर वापिस गेसà¥à¤Ÿ हाउस आ गठऔर सारा सामान दाजू को दे दिया की रात के खाने की तयà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ करे लेकिन ये à¤à¥€ बोल दिया की खाना गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ के बाद ही खायेगे। लगà¤à¤— साढ़े गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ बजे हम फà¥à¤°à¥€ हà¥à¤ तो कमरों से बाहर आ गà¤à¥¤ वाह, मजा आ गया। बाहर आकर इतना अचà¥à¤›à¤¾ लगा कि बà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं किया जा सकता। ठंडी ठंडी हवा बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ लग रही थी, हम डाइनिंग रूम मे पहà¥à¤šà¥‡ और खाना तैयार करने को बोलकर वापिस बाहर आ गà¤à¥¤ सोचा कि à¤à¤• गोल चकà¥à¤•र गेसà¥à¤Ÿ हाउस का ही लगा ले। à¤à¤¸à¥‡ पलो को शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ मे बयाठकरना बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•िल होता है सिरà¥à¤« महसूस किया जा सकता है, हलà¥à¤•ा हलà¥à¤•ा सà¥à¤°à¥‚र तो था ही। हमें घà¥à¤®à¤¤à¥‡ हà¥à¤ वहा के गारà¥à¤¡ ने बोला कि सर यहाठसे बाहर मत जाइà¤à¤—ा, इस चारदीवारी की अनà¥à¤¦à¤° ही रहना और पीछे के रासà¥à¤¤à¥‡ से तो बाहर निकलना ही मत। हमने पà¥à¤›à¤¾ कि यहाठà¤à¥€ डर है कà¥à¤¯à¤¾ तो उसने बोला साहब जी à¤à¤• शेर तो रोज ही पीछे वाले रासà¥à¤¤à¥‡ से जाता था और हाथी तो कई बार इन खेतो मे घà¥à¤¸ चà¥à¤•े है। जोश मे तो थे ही तà¤à¥€ सोच लिया कि खाना खाकर à¤à¤• चकà¥à¤•र तो लगायेगे बाहर का। हम जलà¥à¤¦à¥€ से डाइनिंग रूम मे पहà¥à¤šà¥‡, खाना तैयार था, दाजू ने तà¥à¤°à¤‚त लड़को को परोसने का आदेश कर दिया। खाना मजेदार था। खाना खाकर हम वापिस कमरों मे आ गठऔर दाजू को à¤à¥€ अनà¥à¤¦à¤° आने के लिठबोला। अनà¥à¤¦à¤° आने पर हमने पूछा कि बाहर कहा तक जाया जा सकता है। वो पकà¥à¤· मे नहीं थे लेकिन हमने à¤à¥€ बोला कि हम अनà¥à¤¦à¤° जंगल मे नहीं जायेगे सिरà¥à¤« बाहर सड़क तक तो जा सकते है और वैसे à¤à¥€ गाड़ी से बाहर तो निकलना नहीं था। । तब जाकर वो तैयार हà¥à¤†à¥¤
बारह से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ का समय हो रहा था और हम बाहर गाड़ी मे बैठे थे। आधा घंटा हम सड़को पर गाड़ी दौड़ाते रहे। वहा पेड़ो के बीच कचà¥à¤šà¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ था जो दिन मे शोरà¥à¤Ÿà¤•ट के रूप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होता था, उस रासà¥à¤¤à¥‡ से जब निकले तो रोंगटे खड़े हो गठबिलकà¥à¤² सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨, सड़क à¤à¥€ कचà¥à¤šà¥€, डर लग रहा था कि अगर गाड़ी फस गयी तो निकालनी मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो जायेगी कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि छोटी गाड़ी थी, अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ मे हिरनों के à¤à¥à¤£à¥à¤¡ à¤à¥€ दिखे जिनकी सिरà¥à¤« आखे चमक रही थी। वो अà¤à¥€ तक के सबसे यादगार और रोमांचक कà¥à¤·à¤£ थे, शायद à¤à¤¸à¤¾ रोमांच कà¤à¥€ जंगल मे à¤à¥€ नहीं आया था। पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª का मन तो वापिस आने के लिठकर ही नहीं रहा था। à¤à¤• बजे हम वापिस आये तो थोड़ी देर कमरों के बाहर ही बैठगठकि कल कहा जाà¤à¥¤ जिम कॉरà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ के बिजरानी गेट से तो पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ मिल सकता था लेकिन जो जानवर अनà¥à¤¦à¤° दिखते थे वो बाहर ही दिख गठथे फिर à¤à¤¸à¤¾ रोमांच à¤à¥€ हो गया था। इसलिठचार हजार रूपये खरà¥à¤š करना अकà¥à¤²à¤®à¤‚दी नहीं लगी। पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª ने बोला कि सर कल मे आपको मरचà¥à¤²à¤¾ लेकर चलूगा, आपको जगह पसंद आà¤à¤—ी। मरचà¥à¤²à¤¾ के बारे मे हमने कà¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾ नहीं था लेकिन कही तो जाना था इसलिठवही सही। जगह पकà¥à¤•ी हो गयी तो हम à¤à¥€ अपने कमरों मे आ गठसोने के लिà¤à¥¤
अà¤à¥€ कल का दिन बाकी है इसलिठबाकी की कहानी अगले पोसà¥à¤Ÿ मे लिखना ही सही रहेगा।
Very nice Saurabh Ji,
Gar se nikalte samaye mata ji aur shrimati ji ki to sunni hi padti ahi… Chup chap sunnye me hi bhalai hai kyonki jaisa aapne kaha…wapas to ghar hi aana hota hai…
Agle bhag ka intezaar rahega…
Thanks for the appreciation Bhatt Saab.
Hope everything is fine with you now as commented by Vipin bhai you was injured in ranthambore.
We are waiting for the post from you on your this year experience of Ranthambore.
This is what I call my style of enjoy.
Thanks a lot Wadhwa Ji. It’s a big compliment for us.
Saurabh Ji, bahut achha likha hai, dosto ke saath ghumakkadi ka to maja hi alag hai….jungle ki photo ki kami khali is lekh mein, baki sab achha laga…
Thanks Pradeep Ji. It’s always a big enjoyment when we go with friends. This time we have not go inside the jungle so not taken the pics of elephants/deers seen on road. Earlier I have posted on Jim Corbett & Ranthambore with the pictures.
Saurabh Ji,
Nice Post. Good enjoy.
Why you have not taken pictures of Elephants and Deer which you have seen?
Thanks Naresh Ji.
We have not taken the camera with us because we are going to market only for purchasing. not expected the animals on road. Uday has taken few pictures in his mobile.
travel is meant for enjoyment and your post justifies it.
Thanks Ashok Ji. Enjoyment was definitely unlimited…….
Nice post Saurabh. Enjoyed thoroughly your trip with friends.
‘ll look forward to the next post.
Thanks Amitva Ji.
Trip with friends is always enjoyable. From the last 2 days I was at Jaipur with friends and again experience was great.
Glad to read that you didn’t mix drink and drive. Good.
What are the charges for Dhela Guest house ? Never heard about it. Elephant is more dangerous then any other animal in a jungle. Marchula is a nice quiet place though it got badly ravaged 2 years back, in floods.
Thanks Nandan Ji. We never allow driver till he is on driving seat because we know the value of life.
Charges of Dhela Guest House was around Rs. 2000/-per room including breakfast. It is new and not so famous as Mohaan’s guest house but definitely a nice place and once can be stayed there.
Machula is realla peaceful place and we enjoyed a lot there.
Hello Saurabh,
nice inputs on Dhela KMVN outpost.
Your description about Jim Corbette is equally interesting.
Thanks.
Thanks Auro Ji.
Place was good and we enjoyed a lot there.
Hay ! Where has my comment gone? :(
precious comment is lost…………..
Thanks sir ji for going through the post…..
Hi Saurabh,
Enjoyed the visit to Corbett with you.
Are these the same friends you went to Bhangarh with?
Thanks a lot Nirdesh Ji.
Bhagwan Das Ji & Manmohan are common in my every frinds trip………… They both were also with in our Bhangarh trip.