घुमक्कड़ साक्षात्कार – जीवट जाट संदीप के साथ

घुमक्कड़ पर साक्षात्कार लेने के परंपरा बहुत पुरानी नहीं है | हालांकि हम हमेशा से मौके ढूँढ़ते रहे हैं की किस तरह से घुमक्कड़ों और विशेष तौर पर लेखकों से बात की जाए पर इस गतिविधि के पीछे कोई औपचारिक जामा नहीं था | कई साक्षात्कार कभी नहीं छापे गए और अगर छपे भी तो वो हमने घुमक्कड़ मुख्य पर नहीं प्रकाशित किये | शायद ये कार्य एक क्रमागत उन्नति का अंग था और जैसे जैसे हम आगे बढ़ते गए, इस प्रक्रिया को एक निर्दिष्ट आकार देना काफी प्राकृतिक सा महसूस हुआ | करीब इस वर्ष के मध्य से हमने ये साक्षात्कार महीने के अंतिम तारीख को घुमक्कड़ मुख्य पर छापना शुरू कर दिया | एक छोटा सा ढांचा इसके आस पास बुन दिया गया और यूँ कहें की एक आकार दे दिया गया और पूरी प्रक्रिया को संसाधित कर दिया गया | जुलाई २०११ में मैंने श्री मनीष कुमार से बात की थी और ये रहा उनसे हुई बातचीत का लिंक और मुझे इस बात का काफी अफ़सोस रहा की ये लेख अंग्रेजी में छपा | ये मलाल लेकर मैं काफी महीने जिया और जब नवम्बर २०११ के “Featured Author” संदीप पंवार उर्फ़ जाट देवता से बात करने का मुझे मौका मिला तो मुझे लगा की इससे सुन्दर भाग्य अवसर मुझे शायद दोबारा कब मिले और मैंने उसे हाथ से नहीं जाने दिया |

संदीप जी खुले, निडर और बे झिझक वक्ता हैं और उनसे बात करने में एक अलग ही अनुभव रहा | सीधी सपाट बात, काफी सरलता से कही गयी और बिलकुल सटीक | लीजिये, बिनी किसी और भूमिका के , संदीप पंवार जी का Interview घुमक्कड़ के साथ.

सन्दीप के बारे में
प्र १: अपने बारे में जो कुछ आपकी प्रोफ़ाइल में लिखा है उसके अलावा कुछ बताइये?
ज्यादा कुछ नहीं, बस घूमने का अत्यधिक जुनून है। आज तक कैसा भी नशा नहीं किया है आगे भी किसी भी हालत में नहीं करूँगा।

प्र २: जाटदेवता नाम आपको किसने दिया? इसके पीछे क्या रहस्य है?
जाट देवता नाम दोस्तों ने डाला, क्योंकि मैं जहाँ रहता हूँ व जहाँ पढता था वहाँ पर इकलौता जाट रहा हूँ। अब तक भारत के ज्यादातर तीर्थ मैं देख चुका हूँ, जिस कारण मुझे जानने वाले भी कहने लगे है कि देवता की छोडो जाट देवता के दर्शन कर लो समझो आपको अपने आप देवता के दर्शन हो जायेंगे।

लेह लद्धाख - चुम्बकीय पहाड़ी के पास


प्र ३: आपको घुमक्कड़ी का शौक़ कब से है? अपनी पहली यात्रा के बारे में कुछ बतायें? यह धरोहर आपको कहाँ से मिली?
मैं 1991 से घुमक्कड़ी कर रहा हूँ। मेरी पहली यात्रा देहरादून के पास पहाड की गोद में एक जगह से ट्रकों में पत्थर भरकर आते थे, एक दिन मैं भी मामा के ट्रक में सवार होकर खान तक चला गया, उस खान को देखने के चक्कर में मुझे ये रोमांचक लगाव शुरु हुआ, जो अब कई जन्म तक चलेगा।

प्र ४: हिन्दी भाषा के प्रति आपका लगाव दिल को छू जाता है। आप हिन्दी भाषा में अपनी यात्रा के विवरण के अलावा भी कुछ और लिखते हैं?
यात्रा विवरण के व घुमक्कडी के अलावा किसी और काम के लिये समय ही नहीं बचाता हूँ।

प्र ५: घुमक्कड़ पर आपके परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती। अपने परिवारजनों से भी परिचित कराऎं?
मेरे परिवार में मेरी माताजी है, जो कि मेरे साथ ही रहती है, मेरी तरह लम्बी तगड़ी पत्नी व छ: साल की बच्ची व चार साल का एक नन्हा शैतान/ऊपादी यानि हम दो हमारे दो। मेरा मुझसे दो साल छोटा भाई है जो कि मेरठ में रहता है। भाई के परिवार में पत्नी व दो बच्चियाँ है।

माताजी के साथ

अपनी अर्धांगनी के साथ

सन्दीप और घुमक्कड़
प्र १: एक परिवार आपका इन्टरनेट पर भी है यहाँ घुमक्कड़ पर. यहाँ आपका अनुभव कैसा है अभी तक?
इन्टरनेट पर अपना जो परिवार है वो किसी भी हालत में पराया नहीं है, सब अपने से लगते है, तभी तो सबसे मिलने का बहुत दिल करता है। अगर आप मिलवाओ तो?

प्र २: घुमक्कड़ तक आप कैसे पहुँचे? और अपनी पहली स्टोरी लिखने के बारे में कैसे सोचा?
इन्टरनेट पर कुछ तलाश करते हुए घुमक्कड़ तक पहुँचा था, मुझे लिखने का कोई खास शौक नहीं है, कुछ साथियों ने जब कहा कि आप भी अपने अनुभव नेट पर डालो ताकि लोगों को फ़ायदा हो।

प्र ३: आपकी लेह-लद्दाख वाली सीरीज़ पढ़ कर मज़ा आ गया और केदारनाथ वाली भी अच्छी चल रही है और कहाँ के बारे में लिखने वाले हैं ?
लिखने को तो बहुत सी सीरीज़ बन जायेगी, लगभग पचासों यात्रा में सौ से ज्यादा जगहों पर मैं अपनी हाजिरी बजा चुका हूँ। श्रीखण्ड महादेव, नैनीताल के आसपास के ताल, आठ देवी यात्रा, दक्षिण भारत की लम्बी यात्रा, आदि-आदि बहुत कुछ है लिखने को, लेकिन मुझे लिखने से ज्यादा घूमने में दिलचस्पी रहती है।

प्र ४:आपको किस तरह के गंतव्य ज्यादा भाते हैं?
जो भीड़ से अलग हो| मैं शिमला, मसूरी , नैनीताल से दूर रहता हूँ, मुझे पसंद आती है ऐसे जगहें जहाँ केवल प्रकृति हो जैसे हाल ही में श्री खंड महादेव की यात्रा की थी| जब में बाइक पर होता हूँ तो मुझे पसंद आता है रोमांच|

प्र ५: नवम्बर २०११ का फ़ीचर्ड ऒथर बनने के बाद कैसा महसूस कर रहें हैं?
फ़ीचर्ड ओथर बनने के बाद लगता है कि कुछ जिम्मेदारी बढ़ गयी है। अपना तो एक नियम है: सादा जीवन-साधा विचार।

प्र ६: अपने घुमक्कड़ साथियों को कुछ सन्देश देना चाहेंगें?
मैं सिर्फ़ यही कहना चाहता हूँ कि जब तक तन में साँस है तब तक घूमते रहने की आस बनी रहनी चाहिए, तभी हम अपने को घुमक्कड़ कह सकते है।

संदीप, आपसे बात करे बहुत ही सुखद अनुभूति हुई, मुझे आशा है की भविष्य में ऐसे कई मौके और लगेंगे| आपसे परस्पर जुड़े रहने और आपके और प्रेरणादायक लेख पढ़ते रहने की आशा के साथ, हार्दिक धन्यवाद हमसे बात करने के लिए |

– नंदन झा

35 Comments

  • नंदन जी आज आपका हार्दिक धन्यवाद, जो आपने एकदम सहज-सरल भाषा में मेरा साक्षात्कार सबके सामने दर्शाया है। अब आपसे आगे ऐसे ही उम्मीद रहेगी।

  • Mukesh Bhalse says:

    नंदन जी,
    आज घुमक्कड़ के पट खोलते ही हमारे सबसे पसंदीदा यात्रा वृत्तान्त लेखक संदीप भाई का साक्षात्कार देखा तो मन ख़ुशी से झूम उठा. यह साक्षात्कार पढ़कर संदीप भाई के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला. सबसे अच्छी बात तो यह थी की साक्षात्कार हिन्दी में था जिसकी वजह से पढने का आनंद दोगुना हो गया. आपको यह यह साक्षात्कार प्रकाशित करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. नंदन जी जैसे की संदीप भाई ने आपके एक प्रश्न के जवाब में कहा की उन्हें सारे घुमक्कड़ भाइयों से मिलने का मन करता है , अगर आप मिलवाओ तो, मैं भी कई दिनों से सोच रहा था की नंदन जी से गुजारिश करूँ की आप घुमक्कड़. कॉम के सभी सदस्यों को सम्मलेन के रूप में किसी सुरम्य जगह पर मिलवाने का प्रबंध करो, खर्चा हम सब आपस में मिलकर अदा कर देंगे. सच कह रहा हूँ बड़ा मज़ा आएगा, इस सम्मलेन को रोचक बनाने के लिए हम कुछ कार्यक्रमों की रुपरेखा भी तैयार कर सकते हैं जैसे घुमक्कड़ी पर व्याख्यान, कुछ मनोरंजक खेल इत्यादि. कृपया इस बारे में विचार कीजिये. जब आपने हमें इतना अच्छा मंच प्रदान किया है और कई दिल जोड़ने का पावन कार्य किया है तो हम सबको एक बार मिलवा भी दीजिये.

    संदीप भाई,
    नवम्बर माह का विशिष्ठ लेखक का सम्मान पाने पर मेरी ओर से आपको ढेरों बधाइयाँ. आपका साक्षात्कार पढ़कर बड़ा मजा आया. साक्षात्कार के द्वारा आपके बारे में और बहुत कुछ जानने को मिला. बस इसी तरह घूमते रहिये और हमें भी अपने वृत्तांतों के माध्यम से घुमाते रहिये.

    • मुकेश जी मैं जल्द ही आपसे मिलने आ रहा हूँ। इन्दौर में मेरे ताऊ जी रहते है अत: जल्द आपसे मुलाकात होगी।

    • मुकेश जी, आपका घुमक्कड मिलन का प्रस्ताव बहुत ही अच्छा है.

      जाट देवता संदीप जी को हार्दिक शुभकामनाएं !

  • ram dhall says:

    Sandeep ji,

    Heartiest congratulations on being the featured author of the month.

  • D.L.Narayan says:

    संदीपजी, हार्दिक शुभकामनाएं on being chosen as the featured author of the month. आप के सफरनामे मुझे बेहद पसंद है और आप के साहसिक अभियान बहुत ही प्रेरणात्मक हैं .

    नंदनजी, संदीप पंवार का साक्षात्कार पढ़ा, बहतु अच्छा लगा; I especially liked the title (जीवट जाट) you bestowed on the author of the month. लेकिन, यहाँ कई सारे लोग हैं जो हिंदी से अपरिचित हैं या मेरे जैसे जो थोडा बहुत हिंदी बोल लेते हैं मगर लिखने और पढने में दिक्कत महसूस करते हैं. मेरा सुझाव यह है की घुमक्कड़ को एक द्विभाषी जालस्थल (bilingual website, I know that this sounds hilarious but I can’t think of a suitable Hindi equivalent)) बनायें. Authors like Sandeep and Ashish deserve a wider audience.

  • Mahesh Semwal says:

    इस महीने का featured author बने पर हार्दिक मुबारकवाद | आप के लेख हम जेसे लोगों का काफ़ी उत्साह वर्धन करते हैं |

    @ नंदन जी हिन्दी में पहला साक्षात्कार पढ़ कर बड़ा आनंद महसूस हुआ , उस के लिए हम आप के अभारी रहेंगे |

  • Sahil Sethi says:

    Sandip Ji , Congratulations for becoming the Featured Author.

    Sahil

  • Devasmita says:

    Saakshatkaar padh le badaa achcha lagaa … saalon beet gaye hain Hindi bhasha se naata choottey huye …. Featured Author banne par dher saari badhaiyaan.

  • Ritesh Gupta says:

    bahut bahu badhai ho sandeep ji……

  • Manish Kumar says:

    संदीप के बारे में जानकर अच्छा लगा !

  • Nandan says:

    @ संदीप – मैं मात्र एक माध्यम हूँ संदीप :-) मुझे आपके कारण मौक़ा मिला हिंदी में लिखने का, धन्यवाद |

    @ मुकेश – ये विषय कई बार उठ चुका है पर एक ठोस कदम की कसर है , देखिये कब संभव हो पाता है | मैं पूरी उम्मीद बंधे हुआ हूँ :-)

    @ DL – We have been brooding over this idea for a while, at least for some stories. It has to be a manual translation because the auto-translation is really very poor in quality. I am sure some Ghumakkar can lend us a helping hand. On to Ms Editor. And please call me Nandan. Its more warm :-)

    • नन्दन जी आपके लिये धन्यवाद नहीं दूसरा शब्द है मेरे पास वो है “जाट देवता खुश हुआ”

    • Vibha says:

      सन्दीप जी, रोचक सक्षात्कार के लिये धन्यवाद। नन्दन, आपकी हिन्दी इतनी अच्छी है, यह नहीं जानती थी।
      DL – Yes you are right. There are so many beautiful stories on Ghumakkar who deserve to be present in both Hindi and English. We’ll have to figure out a scalable solution for this. We’ll discuss it in details in our next Editorial Meet.

      • Sanjay Kaushik says:

        यदि आप लोगों को कहीं पे भी लगे की ये नाचीज (पता नहीं क्यों लोग ऐसा कहतें हैं ?) इस घुमक्कड साईट के लिए कुछ ट्रांसलेशन कर सके तो, आप ये काम थोडा बहुत मुझे भी सोंप सकते हैं…

        मैं पूरा प्रयाश करूँगा, आपके द्वारा सोंपे हुए काम के साथ न्याय करने का :)

  • Nandan says:

    @ Mahesh – Thank you Sir.

  • jaishree says:

    “मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर
    लोग साथ आते गये और कारवाँ बनता गया

    नदी के उस पर सुबह की धूप में चमकती रेत की किरणए
    फिर बाहें पसार मुझको अपने पास बुलाती हैं

    पत्थर की राहों में बिखरे वो कुछ सूखे पीपल के पत्ते
    आज भी कानों के पास आकर कुछ कह जातें हैं”

    हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ.

  • Amit Kumar says:

    संदीप भाई इस महीने का featured author बनने पर आपको हार्दिक बधाइयां. आपकी लेह-लद्दाख यात्रा मेरे लिए हमेशा अविस्मरणिय रहेगी. भविष्य की यात्राओं के लिए आपको शुभकामनाएँ.

  • अमित कुमार भाई आपका दिल से आभार।

  • Smita Dhall says:

    संदीप जी को हार्दिक बधायी! आशा है आपके रोचक कारनामे हमे इसी तरह पढने को मिलते रहे।

    घुमक्कड़ Convention का समय आ गया है :)

  • स्मिता जी आपकी बात मानी जायेगी, मेरे रोचक/ रोमांचकारी कारनामे आते रहेंगे।

  • Sharma Shreeniwas says:

    आपकी जीवटता व हिन्दी में अपने अनुभव बाँटने के प्रति आपको आभार स्वरूप घुमक्कड़-परिवार द्वारा ‘इस महीने का featured author’ नवाजने के लिये आपको हार्दिक बधाई। यह केवल शुरुआत है आपके सरल व निश्छल वृतांतों की।

  • Sharma Shreeniwas says:

    आपकी जीवटता व हिन्दी में अपने अनुभव बाँटने के प्रति आपको आभार स्वरूप घुमक्कड़-परिवार द्वारा ‘इस महीने का featured author’ नवाजने के लिये आपको हार्दिक बधाई। यह केवल शुरुआत है आपके सरल व निश्छल वृतांतों के प्रति भावनाओं की।

  • AUROJIT says:

    Sandeep ji,

    बधाइयाँ .
    यह साक्षात्कार काफी रोचक थी. जाटदेवता के दर्शन का पूरा आनंद लिया.
    धन्यवाद.

    Auro

  • संदीप को यह सम्मान बहुत पहले मिलना था ….मुझे बहुत ख़ुशी हैं ..मैं उनको बहुत अच्छे से जानती हूँ ..जीतनी अच्छी उनकी घुमक्कड़ी हैं उतनी ही अच्छी उनकी पोस्ट भी हुआ करती हैं ..साधा जीवन जीने वाले संदीप में होंसला कूट -कूट के भरा हैं …मेरा दिल से आशीर्वाद हैं ..

  • बाह गुरु , सही जा रहेले बोस , अपुन भी आता है इधरीच

  • Sanjay Kaushik says:

    यदि आप लोगों को कहीं पे भी लगे की ये नाचीज (पता नहीं क्यों लोग ऐसा कहतें हैं ?) इस घुमक्कड साईट के लिए कुछ ट्रांसलेशन कर सके तो, आप ये काम थोडा बहुत मुझे भी सोंप सकते हैं…

    मैं पूरा प्रयाश करूँगा, आपके द्वारा सोंपे हुए काम के साथ न्याय करने का :))

    आप जो story translate करवाना चाहें, किर्पया मुझे मेल कर दें <kaushiksanjuu@gmail.com" पे, पूरी तरह translate कर दी जायेगी…

    धन्यवाद सहित …

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