à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•ी पावन à¤à¥‚मि पर पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¤¦à¤¿à¤¶à¤¾ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ राजà¥à¤¯ है जो काफी लोगों के आसà¥à¤¥à¤¾ का केंदà¥à¤° है, à¤à¤¸à¥‡ गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के à¤à¤• छोटे से मगर बहोत ही खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ सौराषà¥à¤Ÿà¥à¤° की अगर बात करें तो सोमनाथ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•ा नगरी और गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ की सबसे ऊà¤à¤šà¥€ पहाड़ी गिरनार यह सब कà¥à¤› सौराषà¥à¤Ÿà¥à¤° को मिला है.
गिरनार परà¥à¤µà¤¤, जो जूनागॠशहर की सबसे खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत जगह में से à¤à¤• है यह à¤à¤•मातà¥à¤° ईà¤à¤¸à¤†à¤ˆ जगह है जहाठपर à¤à¤¸à¤¿à¤¯à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤• लायन (Asiatic Lion) पाठजाते है. गिरनार जो गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ की सबसे ऊà¤à¤šà¥€ पहाड़ी है और उसके सबसे ऊà¤à¤šà¥‡ शिखर जहाठपर à¤à¤—वन दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ जी की जगह है. बारिशके मौसम में यहाठका वातावरण बहोत ही खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ होता है और पूरा जंगल à¤à¤• नयी नवेली दà¥à¤²à¥à¤¹à¤¨ की तरह पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौंदरà¥à¤¯ से सजा हà¥à¤† दीखता है.
हम ॠदोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने वीकेंड पर गिरनार जाने का पà¥à¤²à¤¾à¤¨ तैयार किया इसमें जो लोग जà¥à¥œà¥‡ उनके नाम है: जीगर रतà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤°, पारस कालरिया, अंकित कालरिया, जय पटेल, पà¥à¤°à¥‹à¤¸à¥‹à¤¨à¥à¤œà¤¿à¤¤ मेपदर, यà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¤¸à¤¿à¤‚ह कंचवा और जैमिन. हम सब सà¥à¤¬à¤¹ ५ बजे राजकोट से जूनागॠजो की ११० किमी की दà¥à¤°à¥€ पर है वहां जाने के लिठ२ गाड़ियोंमें निकले. रसà¥à¤¤à¥‡ में गरमागरम चाय और सौराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤°à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ गांठिया का आनंद लिया. तक़रीबन सà¥à¤¬à¤¹ के à¥.३० बजे हम गिरनार की तलेटी पर पहोंचे, गाड़ीको पारà¥à¤• की और सीढियाठचड़ने की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की, तक़रीबन ४५०० सीढियाठचड़ने पर पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ जैन देरासर आते है और ५१०० सीढियोंके आसपास माठअंबाकी गà¥à¤«à¤¾/मंदिर आता है और फिर आगे सबसे ऊà¤à¤šà¥€ चोटी जोकि à¤à¤—वन दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ की है वह आती है, वहां तक पहोंचने के लिठ१०००० सीढियाठहै.
वैसे हमारा पà¥à¤²à¤¾à¤¨ गà¥à¤°à¥ दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ तक जाने का तो नहीं था, हम केवल घà¥à¤®à¤¨à¥‡ के परà¥à¤ªà¤œà¤¸à¥‡ ही गठथे तो जहाठतक चॠपाà¤à¤‚गे वहां तक जाà¤à¤‚गे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमको जूनागॠके और à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ देखने थे. बारिश की वजह से सीढियाठचà¥à¤¨à¥‡ में थोड़ी तकेदारी की जरà¥à¤°à¤¤ थी, तो हम थोडा संà¤à¤²à¤•र और पà¥à¤°à¤•ृति का लà¥à¤«à¥à¤¤ उठाते चल रहे थे. à¤à¤•दम खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ माहोल था वैसे में २ बार दतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤¯ तक गया हà¥à¤† हूठपर कà¤à¥€ बरसातके मौसम में नहीं गया. शायद हम १५०० सीढियाठही चà¥à¥‡ होंगे की अब हम बादलों से ऊपर थे हमने यह महसूस किया की जब à¤à¥€ कोई बदल हमको छà¥à¤‚ कर निकलता तो à¤à¤• हलकी सी ठणà¥à¤¡ का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ होता था और पानीकी कà¥à¤› बà¥à¤à¤¦à¥‡ हमारे शारीर को रोमांचित कर जाती थी.
यà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ जिसे हम पà¥à¤¯à¤¾à¤° से यà¥à¤µà¥€ कहते है वह और जैमिन दोनों धीरे धीरे हमसे बहोत आगे निकल गà¤. जबकि हम बाकी दोसà¥à¤¤ आराम से फोटो खींचते हà¥à¤ चॠरहे थे. बारिशके मौसम में बहोत कम लोग गिरनार की चà¥à¤¾à¤ˆ करते है इस वजह से à¤à¥€à¥œ बिलकà¥à¤² ही नहीं थी अगर ठणà¥à¤¡ के मौसम में आते हैं तो यहाठपर à¤à¥€à¥œ बहोत होती है. गिरनार के आसपास जंगल में ही काफी सरे महातà¥à¤®à¤¾à¤•ी गà¥à¤«à¤¾ और उनकी साधना करने की जगह à¤à¥€ है. जंगल का रासà¥à¤¤à¤¾ होने की वजह से और यहाठपर काफी मातà¥à¤° में शेर à¤à¥€ पाठजाते है इसलिठअगर कोई जानकर न हो तो बहोत अनà¥à¤¦à¤° जंगल में जाना नहीं चाहिà¤.
हम जब जैन देरासर तक पहोंचे तो थोड़े थक गठथे अब शरीर में पहले जैसी सà¥à¤«à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ नहीं थी यह मैंने महसूस किया. जैन देरासर पर पहोंचने पर लगा की बादलोंके नगर में हम आ गठहो यहाठसे थोड़े निचे ‘à¤à¥€à¤®à¤•à¥à¤‚ड’ है पर बादलों की वजह से दिख ही नहीं रहा था. यहाठपर ‘शà¥à¤°à¥€ पारà¥à¤¶à¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€â€™ का अदà¥à¤à¥à¤¤ मंदिर है. हम जब मंदिर में गठतो à¤à¤•दम शांत वातावरण था और जैसे ही आंखे बंद की तो हमको बहोत ही शà¥à¤•ून मिला, वाकहीमें हमने पाया की अगर सचà¥à¤šà¥‡ मन से इशà¥à¤µà¤° की आराधना करनी हो तो à¤à¤¸à¥€à¤¹à¥€ जगह पर जाना चाहिठजहाठपर अपना मन à¤à¤•दम शांत होकर इशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤®à¤°à¤£ में ही ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ रहे.
अब हम लोगों ने तय किया की सà¥à¤¬à¤¹ के करीबन ११ बजने को आठथे तो अगर हम यहाठसे अब निचे उतरना शà¥à¤°à¥‚ करते है तो à¤à¥€ १.३० घंटे के आसपास समय लग जाà¤à¤—ा. यà¥à¤µà¥€ और जैमिन का कोई संपरà¥à¤• नहीं हो पा रहा था इसीलिठहमने à¤à¤• मैसेज à¤à¥‡à¤œà¤¾ की हम निचे जा रहे है तो आप लोग जन निचे पहोंच जाओ तो हमारा संपरà¥à¤• करना. धीरे धीरे हम सावधानी पूरà¥à¤µà¤• नीचे उतरे और १ बजे तक तलेटी पर फिर पहोंच गà¤. अब सबको à¤à¥‚ख à¤à¥€ बहोत लगी थी तो हम जूनागॠशहर में जो मॉडरà¥à¤¨ की होटल है वहां पर खाना खाने गठऔर फिर वापस आये. अब सबको पानी के à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ में नहाना था, बारिश के बाद गिरनार में काफी जगह पानी के छोटे छोटे à¤à¤°à¤¨à¥‡ शà¥à¤°à¥‚ हो जाते है, इसलिठहमने सोचा की नजदीक में ही à¤à¤• बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ जगह है नहाने की ‘नारायण धरो’ वहां पर नहायेंगे. सब लोग वहां पर गà¤.
नारायण धरो के सामने ही ‘अशोक का शिलालेख’ है जो बहोत ही पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है और उसमे जो लिपि है वह आज à¤à¥€ कोई सोलà¥à¤µ नहीं कर पाया है. नारायण धरो पर पानी बहोत ही बढिया था तो सब दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को नहाने का बहोत मजा आ गया, पानी में नहाने के बाद सबकी थकान à¤à¥€ मानो दूर हो गई थी. नहाने के बाद मोबाइल में देखा तो यà¥à¤µà¥€ का मेसेज था की à¤à¤•ड़ घंटे में हम लोग निचे आ जाà¤à¤à¤—े. थोडा बहोत इधर उधर हम गठऔर छोटे छोटे मंदिर में à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ किये. यहाठपर सबसे पवितà¥à¤° और जो मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिर है वह है à¤à¤—वन शिव का ‘à¤à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर’. हर साल जब महा शिवरातà¥à¤°à¤¿ होती है तब नागा साधà¥à¤“की पूरी जमात यहाठपर आती है है और मंदिर के पास में ही à¤à¤• कà¥à¤‚द है जिसे ‘मृगी कà¥à¤‚ड’ कहते है वह है जोसमे वह लोग नहाते है और अपनी यातà¥à¤°à¤¾ को पूरà¥à¤£ करते है इस यातà¥à¤°à¤¾ को जिसे लोग रवाडी कहते है यह देखने के लिठदोपहर से लाइनमें बैठजाते है और यह रवाडी रातको बारह बजे निकलती है, तब तक लोग धीरज से यहाठपर अपना सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ले लेते है. यह अदà¥à¤à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ देखने लायक नजारा होता है, पà¥à¤°à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· मे से काफी साधू महातà¥à¤®à¤¾ इसमें हिसà¥à¤¸à¤¾ लेने के लिठआते है.
आतà¥à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव
जब यà¥à¤µà¥€ और जैमिन आ गठतो अब हम यहाठसे जंगल में à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° जगह है जहाठपर à¤à¤—वन शंकर का à¤à¤• छोटा सा मंदिर है जिसे ‘आतà¥à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव’ कहते है वहां जाने के लिठनिकले. अब आतà¥à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव जाने के लिठपहले à¤à¤• फोरेसà¥à¤Ÿ की चोकी आती है जहाठसे हमको परमिट लेनी पड़ती है. यह परमिट सà¥à¤¬à¤¹ ८ से लेकर शाम के ४ बजे तक ही मिलती है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मंदिर यहाठसे तक़रीबन ४ किमी अनà¥à¤¦à¤° जंगल में है तो शाम को ६ बजे से पहले यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को आ जाना पड़ता है, इसीलिठ४ बजे के बाद परमिट नहीं मिलती.  कैसे à¤à¥€ करके हमने परमिट ली और तà¥à¤°à¤‚त ही जंगल में चलना शà¥à¤°à¥‚ किया.
बारिशकी वजह से चारोतरफ देखने लायक नजारा था. हम थोडा आगे गठकी दो रसà¥à¤¤à¥‡ आये, à¤à¤• सीधा रासà¥à¤¤à¤¾ जो किसी गाà¤à¤µ तक जाता था और राईट साइड जाती हà¥à¤ˆ डगर आतà¥à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤•ी और थी. हम वहां पर मà¥à¥œà¥‡ तो कोने पर ही à¤à¤• बड़ा सा पानी से à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† गढà¥à¤¢à¤¾ दिखा. वहां पर आसपास थोड़े पशॠअपना खाना ढूंढ रहे थे. अब यहाठसे जंगल का घाना रासà¥à¤¤à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होता है. जैसे जैसे हम अनà¥à¤¦à¤° जाते गठतो रासà¥à¤¤à¤¾ संकरा होता जा रहा था. बिच बिच में बारिश की थोड़ी बà¥à¤à¤¦à¥‡ गिर रही थी. à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ à¤à¥€ जगह आई जहाठसे à¤à¤• छोटा सा पानी का à¤à¤°à¤¨à¤¾ बह रहा था, हम सब थोड़ी देर वहां पर बैठे फिर आगे निकल गà¤, सच में ही आतà¥à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ बहोत ही खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत था.
धीरे धीरे हम मंदिर तक पहोंच गà¤, मंदिर छोटा सा था और वहां पर पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी à¤à¥€ à¤à¤• छोटे से माकन में रहते है. सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° बगीचा बना हà¥à¤† है जहाठपर काफी पकà¥à¤·à¥€ दिखाई दे रहे थे. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमारा सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया और थोड़ी बातचीत à¤à¥€ की. मंदिर सामने à¤à¤• कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ है जहाठपर पहले à¤à¤• साधà¥à¤µà¥€à¤œà¥€ रहते थे जो à¤à¤—वान इशॠके à¤à¤•à¥à¤¤ थे. उनके गà¥à¤°à¥à¤¨à¥‡ उनको गिरनार के जंगलमें साधना करने को बोला था तो वह तक़रीबन १६ सालकी उमà¥à¤° से यहाठपर साधना कर रहे थे अà¤à¥€ उनकी उमà¥à¤° करीबन à¥à¥® के आसपास की है अब शारीर में थोड़ी कमजोरी à¤à¥€ है तो वह जूनागॠमें रहकर अपनी साधना को आगे बà¥à¤¾ रहे है.
दरà¥à¤¶à¤¨ करके फिर हम तà¥à¤°à¤‚त ही चोकी पर आने के लिठनिकले कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमको ६ बजे से पहले बहार आना था और ४.५० का समय हो गया था, हमने थोडे फोटो खींचे और लगà¤à¤— ६ बजे के आसपास ही वापिस आ गà¤. आतà¥à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° से आगे à¤à¤• और मंदिर है जिसका नाम ‘इनà¥à¤¦à¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव’ है वहां पर à¤à¥€ हम लोग गठऔर महादेव के आगे अपनी ख़à¥à¤¶à¥€ को वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किया.
अब हमने वापिस राजकोट जाने का सोचा, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जूनागॠमें इतने सारे देखने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है की आपको à¤à¤• हफà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ कम पद जाà¤. तो अब à¤à¤• और यादगार यातà¥à¤°à¤¾ बनाà¤à¤à¤—े और फिरसे वापिस आà¤à¤à¤—े à¤à¤¸à¥‡ बà¥à¤²à¤‚द होंसलोंके साथ हम गिरनार को अलविदा कहते हà¥à¤ उसकी पà¥à¤°à¥‡ दिन की यातà¥à¤°à¤¾ को अपने मन में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ हम राजकोट की ओर आगे बढे और जब पीछे देखा तो गिरनार धीरे धीरे घने बादलों से हमको जाता हà¥à¤† देख रहा था….     Â










बेहद खूबसूरत पोसà¥à¤Ÿ है। पà¥à¤¤à¥‡ पà¥à¤¤à¥‡ मैं इसमें पूरी तरह खो गया था। जगह की सà¥à¤‚दरता देखते ही बनती है। अचà¥à¤›à¤¾ दिन बिताया आप लोगों ने। इसी तरह परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ करते रहो। अगà¥à¤°à¤¿à¤® घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के लिठशà¥à¤à¤•ामनाà¤à¤‚।
जी धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦. और वाकही में गिरनार गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ का सबसे खूबसूरत परà¥à¤µà¤¤ है. यहां पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° से लोग सासन मे asiatic lion को देखने के लिठआते हैं. यहाठसे विशà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤§à¥à¤¦ सोमनाथ महादेव à¤à¥€ 60 km के आसपास है. आप का à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤—त है..
Nice describe for beauty of nature Big Brother SuperB Story
और à¤à¥€ आगे लिखते रहेंगे, वैसे अà¤à¥€ में à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिख रहा हूठउसके कà¥à¤› अंश यहाठपर रखूà¤à¤—ा
Nicely described all the events of journey.Best wishes for all of you.
जी धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦