इंदौर – मध्य प्रदेश का कोहिनूर / ट्रेज़र आईलेंड में सैर सपाटा

सभी घुमक्कड़ साथियों को कविता का नमस्कार. एक लम्बे अंतराल के बाद घुमक्कड़ पर कुछ लिखने का मन हुआ तो मैंने सोचा की क्यों न आप लोगों को अपना शहर इंदौर घुमाया जाए, तो बस इंदौर के बारे में लिखने का मन पक्का कर लिया, क्योंकि वैसे भी घुमक्कड़ पर मध्य प्रदेश की शान यानी इंदौर के बारे में अब तक कुछ लिखा नहीं गया है.

वैसे हम लोग इंदौर से कुछ 30 किलोमीटर दूर रहते हैं फिर भी हफ्ते में एक दो बार इंदौर जाना हो ही जाता है, हर तरह की खरीदारी के लिए, मनोरंजन के लिए, रेलवे स्टेशन के लिए बच्चों के स्कूल आदि के लिए हमारा इंदौर आना जाना लगा ही रहता है. और वैसे भी इंदौर है ही इतना सुन्दर शहर की बस जब मन हुआ गाड़ी उठाई और चल दिए इंदौर की ओर.

काफी लम्बे समय से हम लोगों ने सिनेमा घर (थियेटर) में कोई पिक्चर नहीं देखी थी और बीते दिनों राउड़ी राठोड़ फिल्म का प्रचार भी बड़े जोर शोर से हो रहा था, तो हम सब आनेवाले संडे इंदौर जाकर राउड़ी राठोड़ देखने पर सर्वसम्मत हो गए. चूँकि इंदौर जा ही रहे थे और सन्डे होने से किसी बात की जल्दी भी नहीं थी तो कुछ खरीदारी और कुछ घुमने फिरने, कुछ मदिरों के दर्शन करने की योजना बना ली.

चूँकि दिनभर का प्रोग्राम था अतः सुबह जल्दी ही निकलने का मन बनाया था. बस फिर क्या था, मुकेश जी सुबह छः बजे उठते ही भिड़ गए अपनी स्पार्क (कार) को चमकाने में, बच्चों को हमारे इस कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी. सन्डे को बच्चों को स्कूल नहीं जाना होता है अतः वे देर तक सोने के मूड में होते हैं, जब मैंने संस्कृति एवं शिवम् को जगाना चाहा तो वे लोग उठने को बिलकुल तैयार नहीं थे और उन्होंने बिस्तर में से ही दो टुक जवाब दे दिया की हमें नहीं जाना इंदौर आप दोनों ही हो आओ. लेकिन जैसे ही मैंने कहा की आज पिक्चर भी देखेंगे तो दोनों फटाक से बिस्तर से बाहर आ गए और जाने के लिए तैयार होने लगे. वैसे इंदौर जाना बच्चों के लिए कोई विशेष बात नहीं थी लेकिन आज बड़े समय के बाद मूवी देखने का प्रोग्राम था इसलिए बच्चे कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे. मुकेश जी की गाड़ी साफ़ होने तक हम सब तैयार थे, और करीब सात बजे हम सब निकल पड़े इंदौर के लिए.

हम लोगों के घर से इंदौर जाने के लिए हमें इंदौर – अहमदाबाद रोड से जाना होता है. इंदौर अहमदाबाद रोड पर अभी पिछले दो वर्षों से इसे फोर लेन रोड में परिवर्तीत करने का कार्य चल रहा है. हमारे घर से कुछ 10 किलोमीटर इंदौर के रास्ते रोड के एकदम किनारे पर एक बहुत ही सुन्दर सा हनुमान जी का मंदिर है, इस मंदिर में हमारी बहुत आस्था है, जब कभी भी हम इधर से गुजरते हैं चाहे बाइक पर हों या कार से, यहाँ रूककर हनुमान जी के दर्शन करके ही आगे बढ़ते हैं. जब हम कुछ दिन पहले इस रोड से गुजरे थे तब हमें पता चला था की यह मंदिर फोर लेन सड़क निर्माण की चपेट में आ रहा है और अब यह मंदिर टूटने वाला है. यह खबर सुनते ही हमारे तो होश ही उड़ गए थे, जिस आस्था के केंद्र पर हम बरसों तक अपना माथा टेकते हैं, एक दिन अचानक यह पता चले की अब यह टूटने वाला है तो सोचिये आप पर क्या गुजरेगी, यह खबर सुनने के बाद हमने उस मंदिर में दर्शन किये यह सोचकर की शायद आखरी बार दर्शन कर रहे हैं, पता नहीं कब यह मंदिर टूट जाए.

आज जब हम पुनः उस रास्ते से कुछ पंद्रह बीस दिन बाद गुजर रहे थे तो मंदिर आने से कुछ दुरी पहले ही मुकेश ने बड़े ही भावुक होकर कहा की अब मंदिर तो टूट चूका होगा. और जब हम मंदिर के करीब पहुंचे तो हमने वहां अपनी गाडी खड़ी कर दी. हमारे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब हमने उस मंदिर के कुछ पंद्रह बीस फिट पीछे एक दम वैसा ही नया मंदिर देखा जो अभी निर्माणाधीन अवस्था में था, हम सब उस नए मंदिर को देखकर बहुत खुश हुए. कुछ ही देर में हमें सब समझ में आ गया की रोड निर्माण कम्पनी ने पुराने मंदिर को तोड़ने से पहले उसके पीछे एक सुन्दर सा नया मंदिर बनाने का निर्णय लिया है. यह देखकर बड़ा सुखद अनुभव हुआ की लोगों के दिलों में आज भी ईश्वर के प्रति प्रगाढ़ आस्था है.

खैर, गाड़ी के म्युज़िक सिस्टम में गाने सुनते सुनते कब एक घंटा हो गया और और हम कब इंदौर पहुँच गए पता ही नहीं चला. आइये अब मैं आपलोगों का इस सुन्दर शहर से एक छोटा सा परिचय करवाती हूँ.

इंदौर शहर की एक झलक

इंदौर के जनजीवन की एक झलक

भारतवर्ष के हृदयस्थल पर बसा है राज्य मध्य प्रदेश और मध्यप्रदेश के मालवा प्रान्त में स्थित है इंदौर जो मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है तथा करीब बीस लाख की जनसँख्या के साथ भारत के बड़े शहरों में चौदहवें क्रम पर विद्यमान है. इंदौर को एम.पी. की व्यावसायिक राजधानी भी कहा जाता है. इंदौर मध्य भारत का सबसे धनी तथा प्रगतिशील शहर है, इंदौर की प्रगतिशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इंदौर भारत का एकमात्र शहर है जहाँ हमारे देश के दोनों विश्वस्तर के शिक्षण संस्थान IIM (भारतीय प्रबंध संस्थान) एवं IIT (भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान) स्थित हैं. यहाँ की जीवनशैली मुंबई से मिलती जुलती होने के कारण इंदौर को यहाँ के स्थानीय निवासियों के द्वारा “मिनी मुंबई” के नाम से भी जाना जाता है.

भारतीय इतिहास की एक महान महिला शासिका रानी (देवी) अहिल्या बाई होलकर ने कई वर्षों तक इंदौर पर शासन किया है. वे इंदौर की महारानी थीं तथा उन्होंने अपने ससुर इंदौर के सूबेदार महाराजा मल्हार राव होलकर की मृत्यु के पश्चात सन 1767 से 1795 तक राज्य किया.  बाद में देवी अहिल्या बाई ने अपनी राजधानी को इंदौर से महेश्वर स्थानांतरित कर दिया.
पहले इंदौर नगर का नाम इन्द्रेश्वर था, जो की शहर में स्थित राजा भोज के द्वारा निर्मित इन्द्रेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर पड़ा. शहर का वर्तमान नाम इंदौर, इसके पुराने नाम इन्द्रेश्वर का ही बिगड़ा हुआ रूप है.

उस्ताद आमिर खान, जानी वाकर, लता मंगेशकर, एम. एफ. हुसैन, सलमान खान, स्वानंद किरकिरे, राहत इन्दौरी उन लोगों की लम्बी फेहरिस्त में से कुछ नाम हैं जिन्होंने इंदौर में जन्म लिया.

ये तो था एक छोटा सा परिचय इंदौर से अब आगे बढ़ते हैं हमारी यात्रा की ओर, आज छुट्टी का पूरा दिन हमें इंदौर में ही बिताना था और अब नाश्ते का समय हो चला था सो हमारे उदरों से भी हमें संकेत मिल रहे थे की सबसे पहले थोड़ी पेट पूजा की जाये फिर आगे बढ़ेंगे.

आपलोगों में से बहुत से लोग जानते होंगे की इंदौर में नाश्ते के तौर पर लोगों की पहली पसंद होती है पोहा जलेबी, और इंदौर में सुबह सात बजे से लेकर ग्यारह बजे तक हर गली नुक्कड़ पर, हर छोटे बड़े रेस्टोरेंट पर आपको पोहे का बड़ा सा कड़ाहा तथा गरमा गरम जलेबी बनती हुई दिखाई दे जायेगी और सोने पे सुहागे वाली बात यह है की हमारे मुकेश जी को भी पोहे दीवानगी की हद तक पसंद हैं. अगर इन्हें पोहे मिल जाएँ तो ये किसी और चीज़ की ओर देखना भी पसंद नहीं करते. करीब दो वर्ष पहले जब हम श्रीसैलम एवं तिरुपति की यात्रा के लिए आठ दस दिन के लिए आंध्र प्रदेश गए थे तो वहां कई दिनों तक लगातार इडली, संभार एवं डोसा, वडा खाकर मुकेश जी इतना उकता गए थे की आखिरी के दो दिन इन्होने खाना ही बंद कर दिया था और रट लगाए बैठे थे की अब तो भोपाल पहुंचकर पोहे ही खाऊंगा, और जब वापसी में हम भोपाल पहुंचे तो ट्रेन से उतरते ही इन्होने तीन प्लेट पोहे खाने के बाद ही दम लिया.

यम्मी पोहा………………

साथ में जलेबी

एक चुटकुला याद आ रहा है, एक बार इंदौर के एक अस्पताल में एक बच्चे ने जन्म लिया और पैदा होते ही उसने नर्स से पूछा की नाश्ते में क्या है? नर्स ने जवाब दिया पोहा जलेबी, यह सुनते ही बच्चा सर पकड़कर बोला………ओफ्फोह साला फिर इंदौर में पैदा हो गया.

तो ज़नाब, एक नुक्कड़ की दूकान से गरमा गरम पोहे जलेबी उदरस्थ करने के बाद अब हम बढ़ चले अपनी अगली मंजिल यानी उस माल की ओर जहाँ हमें PVR मल्टीप्लेक्स में मूवी देखनी थी और कुछ शौपिंग भी करनी थी. इंदौर में वैसे तो कई सारे छोटे बड़े मॉल्स  हैं लेकिन उनमें सबसे लोकप्रिय एवं सबसे बड़ा माल है एम.जी. रोड पर स्थित “ट्रेज़र आईलेंड” और अपने नाम के मुताबिक सचमुच यह एक खजाना ही है और इंदौर की शान है.
ट्रेज़र आईलेंड के मुख्य आकर्षणों में Max Retail, PVR, McDonalds, Pizza Hut आदि हैं, और ये सब मध्य प्रदेश में सबसे पहले यहीं यानी इंदौर के ट्रेज़र आईलेंड में ही शुरू हुए. हर बजट को सूट करती हुई शौपिंग के लिए इंदौर में ट्रेज़र आईलेंड से बढ़कर और कोई जगह नहीं है. इंदौर के युवाओं की तो यह जगह पहली पसंद है. लैंडमार्क ग्रुप ने भारत में अपने पहले रिटेल स्टोर की शुरुआत ट्रेज़र आईलेंड इंदौर से ही की थी. यह मॉल नॉएडा तथा गुडगाँव के मॉल्स की टक्कर का है. सभी उम्दा ब्रांड्स के शोरूम्स से सजे धजे इस मॉल में स्टेट ऑफ़ आर्ट एस्केलेटर्स भी लगे हैं. यह इंदौर ही नहीं समूचे मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मॉल है. इंदौर के लोगों के लिए तो ट्रेज़र आईलेंड किसी टूरिस्ट स्पॉट से कम नहीं है.

ट्रेज़र आईलेंड बाहर से

टी. आई. में बाइक की सवारी

A view of mall and lift.

Way to Scary House

टी. आई. में आनंद के क्षण

मॉल

PVR मल्टीप्लेक्स जहां हमने मूवी देखी

लिफ्ट

एक और नज़ारा

वस्त्रों का एक शोरुम

एक अन्य द्रश्य

चहल पहल

बच्चों की मनपसंद जगह

The Beautiful Treasure Island

The real treasure…..

Bye….Bye…..TI

कुछ देर मॉल में घुमने और थोड़ी बहुत शौपिंग करने के बाद करीब दस बजे हम कुछ पोपकोर्न्स के पेकेट वगैरह साथ में लेकर हम PVR में राउड़ी राठोड मूवी देखने के लिए घुस गए. जब हम मूवी देखकर बाहर निकले तो हम सब के चेहरों की मुस्कान देखने लायक थी, हम सब अति प्रसन्न थे क्योंकि यह फिल्म थी ही इतनी मनोरंजक.

मूवी देखने के बाद अब बारी थी कुछ पेट पूजा की सो मॉल में ही स्थित एक रेस्टोरेंट से कुछ चाइनीज़ व्यंजन खाने के बाद हमने आइसक्रीम का आनंद लिया. कुछ बच्चों के लिए तथा कुछ अपने लिए खरीदारी करने के बाद करीब ढाई बजे हम ट्रेज़र आईलेंड से बाहर निकल आये……………

आज के लिए बस इतना ही, आगे की कहानी सुनाने के लिए एवं आपको इंदौर के और भी नज़ारे के दिखाने के लिए ज़ल्दी ही लौट कर आउंगी इस श्रंखला के अगले भाग के साथ…………….

39 Comments

  • SilentSoul says:

    कविताजी बड़े लम्बे समय के बाद वापसी के लिये स्वागतम्

    बड़ा अच्छा विवरण दिया इंदौर का…अगले भाग में कुछ दर्शनीय स्थल भी दिखा देना,

    एक बात समझ में नही आई..चित्र नं 2 में सब लड़कियों ने चेहरे को डाकूओं की तरह क्यो ढका है???

    • kavita Bhalse says:

      साइलेंट जी,
      हाँ घुमक्कड़ से कुछ ज्यादा ही लगाव है, सो वापसी तो करनी ही थी.पोस्ट को पसंद करने का शुक्रिया. जी हाँ अगली पोस्ट में आपको कुछ दर्शनीय स्थलों की सैर अवश्य करवाउंगी. लड़कियों के चेहरों पर बंधे इस तरह के रंग बिरंगे स्कार्फ इंदौर में आजकल बहुत प्रचलन में है. वैसे तो ये स्कार्फ सूर्य की किरणों से चेहरे को बचाने के लिए होते हैं लेकिन कई बार बॉयफ्रेंड के साथ बाइक पर घूमते हुए पेरेंट्स की आँखों में धुल झोंकने के काम भी आते हैं.

      थैंक्स.

      • rajesh priya says:

        bilkul sahi,ye baat patna me bhi puri tarah chalan me hai,mujhe lagta hai suntan se kam ye apne maa baap ke aankh me dhul jhonkne ke lie hi hai

  • Neeraj Jat says:

    मुझे लगा कि कोई आइलैण्ड मतलब कुदरती जगह पर जाना होगा। इन्दौर में वैसे तो समुद्र नहीं है आइलैण्ड के लिये, तो किसी नदी पर कोई टापू होगा- ऐसा मैंने सोचा था।
    मॉल में घुमक्कडी- नया कॉन्सेप्ट है।

    • kavita Bhalse says:

      अफ़सोस नीरज जी ……….आपको कोई द्वीप (आईलेंड) नहीं घुमा सके. जी हाँ यह एक नया कोन्सेप्ट तो है, इंसान को कुछ न कुछ नया करते रहना चाहिए. हमने सोचा जब होटल रिव्यू हो सकता है, रोड रिव्यू हो सकता है तो माल रिव्यू क्यों नहीं.

  • Surinder.Sharma says:

    नमस्कार जी,
    बहुत अच्छा वर्णन है. फोटो बहुत सुंदर हैं. पोहा जलेबी इतना अच्छा वर्णन. माल के फोटो बहुत सुन्दर हैं. अभी पढ़ ही रहा था कि अचानक पोस्ट खत्म हो गई. जल्दी नेक्स्ट पार्ट लिखना शुरू करें. एक बात और मध्य परदेश में हिंदी बोलने का सलीका अत्यंत सुंदर है. अच्छे लोग ही अच्छी और मीठी वाणी बोल सकते हैं.
    बहुत बहुत धन्यवाद .

    • kavita Bhalse says:

      सुरिंदर जी,
      पोस्ट पढने तथा पसंद करने के लिए धन्यवाद. हाँ मध्य प्रदेश की आधिकारिक राजकीय भाषा हिंदी होने से यहाँ हिन्दी का स्वरुप बहुत अच्छा है. वैसे सबसे अच्छी हिन्दी उत्तर प्रदेश में बोली जाती है. और मैं भी आपकी इस बात से सहमत हूं की अच्छे लोग ही मीठी वाणी बोल सकते हैं.

  • कविता जी, प्रणाम !

    इन्दौर के बारे में जानकारी बहुत सामयिक रही । हमारे बैंक ने इंदौर के एक बैंक को खरीदने का सौदा कर लिया है। दो-तीन महीने में सारी औपचारिकतायें पूर्ण करके हमारे बैंक का बोर्ड टंग जायेगा पुराने बैंक की शाखा पर । उसके बाद मध्यप्रदेश की इस व्यवसायिक राजधानी में मुझे भी जाना हुआ करेगा जिसके लिये मैं बहुत समय से उत्सुक हूं ! आपका treasure island जरूर देख कर आऊंगा। आपके फोटोग्राफ्स बहुत आकर्षक हैं और भाषा शैली भी सरल एवं सहज ! अच्छा लगा ।

    • kavita Bhalse says:

      सुशांत जी,
      आप जैसे उत्कृष्ट लेखक के मुंह से अपनी भाषा शैली की प्रशंसा सुनकर बड़ा अच्छा लग रहा है. अब आपका अपने ऑफिस के काम से इंदौर आना लगा ही रहेगा, आप जब भी आयें तो यहाँ पोहा जलेबी ज़रूर खाइएगा. और ट्रेज़र आईलेंड तो आप जायेंगे है जैसा आपने कहा है.

  • D.L.Narayan says:

    It is great to see you posting an article after a longtime, Kavita ji.
    Thanks a lot for taking us around Indore. It does look like a mini-Mumbai, but far cleaner and less congested. The ambience inside Treasure Island is truly world-class.

    • kavita Bhalse says:

      डी.एल. जी,
      हाँ लंबा समय तो हो गया था घुमक्कड़ पर लिखे, पर अब लौट आई हूं तो लिखती रहूंगी. जी, इंदौर मुंबई की तुलना में तो एक छोटा शहर ही है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं की यह सचमुच एक हरा भरा, साफ़ सुथरा तथा सुन्दर शहर है.

  • YADVINDER BHARTI says:

    Kavitaji gud Mornining. I am Yadvinder Bharti from Chandigarh. I got my eyes operated from Dr. P.S. Hardia way back in 1992. After reading your article I am reminded of the past memories of that time. Though I couldn’t much time in Indore but I still remember the weather in late June. My wife also visited Indore in Sep. 1994 for Science fair. She still misses BAZAARS of Indore. Me and My Father both enjoyed Poha and after reading I am feeling the taste right now. Please write about the places of Tourist interest in Indore and around. Me and my wife have a desire to do Kashmir Se Kanyakumari on our Thunder Bird and want to have a break at Indore. Waiting-Yadvinder Bharti

    • kavita Bhalse says:

      यादविंदर जी,
      घुमक्कड़ पर आपका स्वागत है. जी हाँ, इंदौर के बाज़ार खासकर राजवाड़ा के आसपास काफी देखने लायक हैं. ईश्वर से कामना करती हूं की आपकी यह कश्मीर से कन्याकुमारी की यात्रा जल्द ही हो और आप इंदौर के पोहे का आनंद उठा पाओ. इसी तरह अपनी उम्दा प्रतिक्रियाओं के माध्यम से घुमक्कड़ एवं हम सब से जुड़े रहिये.

  • वाकई में बढिया कांसेप्ट है कविता जी , माल तो सब शहरो में होते हैं जैसे गाजियाबाद में भी है पर जो माल इंदौर में है ऐसा हमारे यहां तो नही ………इसी बहाने इंदौर का भ्रमण भी हो जायेगा आपके साथ ……..मै तो एक लम्बी घुमक्क्डी की यात्रा जो कि अभी पूरी नही लिखी है में उज्जैन गया था तो इंदौर को होकर निकले थे । ये वाकई मिनी मुम्बई है …..कविता जी आपसे एक रिक्वैस्ट है लोग बाहर से घूमने आते हैं आप वहीं पास में हो तो चाहे कोई छोटा मंदिर हो या बडा या कोई वहां की पुरानी ऐतिहासिक इमारत इस लेख में इंदौर को ऐसा घुमाओ कि कोई कसर ना रहे ….बाकी ये लेख् भी तारीफ के काबिल है अगले भाग के इंतजार में

  • kavita Bhalse says:

    मनु जी ,
    इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार. बिलकुल, मैं आपको इंदौर के सारे दर्शनीय स्थलों की समय समय पर सैर कराती रहूंगी. अभी तो अगली पोस्ट में इंदौर की सबसे बड़ी पहचान “राजवाड़ा” लेकर चलूंगी.

  • Nandan Jha says:

    मुझे ठीक से नाम याद नहीं पर जब इंदौर गए तो तो एक दिन सराफा मार्केट का प्रोग्राम बना था सुबह नाश्ते के लिए, वहां पर पोहा जलेबी का सेवन हुआ था | पोस्ट छोटी रह गयी, माल की कई फोटोस देख कर सोचा की अब घुमक्कड़ी शुरू होगी तो पोस्ट ख़तम हो गयी, जल्दी ही पढवाएं अगला भाग और घुमक्कड़ पर बने रहे कविता जी |

    • Kavita Bhalse says:

      नंदन जी,
      प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद. इंदौर का सराफा मार्केट खाने पीने की चीजों के लिए बहुत मशहूर है. रात आठ बजे के बाद सराफा बाज़ार में आभूषणों की दुकानें बंद हो जाती हैं और फिर सराफा बाज़ार खाऊ बाज़ार में तब्दील हो जाता है, देखते ही देखते यहाँ इंदौर के सैकड़ों चटोरों का जमावड़ा हो जाता है.

  • anjan says:

    सुन्दर फ़ोटोज़, बड़ा अच्छा विवरण.

  • Mahesh Semwal says:

    Official kam se kai bar Indore jana hua hai .

    AB road or Ahmadabad road ek hi hai ?

    Treasure island yadi mein galath nahi hun tho shayad station jani wali road pe hi hai , yadi mein sai hun tho is mall ke pass hi Indore ki sab se jayada khane pine ki dukane hain , jagah ka nam bhi “Chapan Dukan hai”

    Lunch /dinner ke liye pass mein hi hotel chottiwala bhi hai.

    Hospitals ke alawa Indore mein kuch dekha nahi hai is liye agle post ka intazar rahega.

    • Kavita Bhalse says:

      महेश जी,
      प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद. नहीं AB रोड और इंदौर अहमदाबाद रोड एक नहीं है, AB रोड राष्ट्रिय राजमार्ग नं. 3 को कहते हैं.

      अरे महेश जी ऐसा लगता है आप तो इंदौर शहर से अच्छे से परिचित हैं. आपने बिलकुल सही कहा ट्रेज़र आईलेंड स्टेशन रोड पर ही है और पास में छप्पन दूकान भी है और चोटीवाला रेस्टोरेंट भी नजदीक ही है (साउथ तुकोगंज, नाथ मंदिर रोड).
      धन्यवाद.

  • Ritesh Gupta says:

    कविता जी….
    इंदौर का नाम तो बहुत सुना हैं …आज पहली बार इंदौर के बारे में जान भी लिया …..|
    लेख का कांसेप्ट अच्छा लगा ……एक दिन के छुट्टी में मॉल का भ्रमण और साथ में फ़िल्म का भी मजा …..| बहुत अच्छा लिखा हैं आपने….| फोटो बहुत अच्छे और सजीव लगे…..|
    धन्यवाद

    • Kavita Bhalse says:

      रितेश जी,
      लेख तथा तस्वीरों को पसंद करने के लिए आपका शुक्रिया. आपको ये कांसेप्ट पसंद आया, मेरे लिए ख़ुशी की बात है.
      थैंक्स.

  • Anand Bharti says:

    कविताजी, आज घुमक्कड़ साईट पर जाते ही देखा कि आपने इंदौर के बारे में पोस्ट लिखी है. तुरंत ही पढने लगा. इंदौर के बारे में बताने के लिया क्या आगाज किया है. मुझे इंदौर में दो बार पोस्टिंग का मौका मिला है. एक बार १९९१ में दूसरी बार १९९९ में. इंदौर में करीब छह वर्षों तक रहने का मौका मिला. कितना अच्छा शहर है. मेरे दोनों बच्चों कि शुरुआती शिक्षा भी इंदौर में हुई है. मुझे दो इतना अच्छा शहर लगा कि अपना एक छोटा सा आशियाना भी वहीँ बना लिया. फोटो बहुत ही अच्छे हैं. इंदौर का नाश्ता पोहा जलेबी हम लोग यहाँ आकर भी नहीं भूले हैं. उम्मीद है इंदौर की इस पोस्ट में आगे सभी घुमक्कड़ पाठकों को इंदौर का राजवाडा, लाल बाग़ पैलेस, कांच मंदिर, बड़ा गणपति, सराफा बाजार की मिठाई और छप्पन दूकान के व्यंजनों के बारे में जानकारी मिलेगी. लड़कियों के चेहरे ढकने का राज आपने बिलकुल सही बताया है. मैं समझता हूँ कि इंदौर भारत का ऐसा शहर होगा जहाँ सबसे ज्यादा महिलाएं दो पहिया वाहन चलाती हैं.

    • Kavita Bhalse says:

      आनंद भारती जी,
      सबसे पहले तो आपका हार्दिक धन्यवाद पोस्ट को पढने तथा सराहने के लिए. आप इंदौर में रह चुके हैं यह तो ख़ुशी की बात है और इंदौर में आपका घर भी है यह और भी ख़ुशी की बात है. और सबसे ज्यादा ख़ुशी की बात है की इंदौर अब भी आपकी स्मृतियों में जीवित है. आपने इंदौर के लगभग सभी दर्शनीय स्थलों के नाम सुझा दिए हैं और मेरा प्रयास रहेगा की आनेवाली पोस्ट्स के माध्यम से इन सभी जगहों के दर्शन करवा सकूँ.
      धन्यवाद.

  • AUROJIT says:

    कविताजी,

    इंदौर का वर्णन पढने में काफी आनंद आया. मेरे बचपन की यादे मध्य प्रदेश से जुड्री हुई है. भोपाल में जाना होता था और पोहा जलेबी की संयुक्तता का परिचय वही हुआ. इस आशय का चुटकुला मजेदार था.

    इंदौरवासी उन दिनों बड़े चाव से कहते थे कि भविष्य में इंदौर भारत की राजधानी बनेगी.

    धन्यवाद.
    Auro

    • Kavita Bhalse says:

      औरोजित जी,
      सबसे पहले तो मैं आपकी हिन्दी लेखन में दक्षता की प्रशंसा करना चाहती हूँ, आप बहुत अच्छी हिन्दी लिखते हैं. आपकी पोस्ट्स हमेशा इंग्लिश में ही होती है और आप पश्चिम बंगाल से सम्बन्ध रखते हैं अतः आपसे इतनी अच्छी हिन्दी की मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी. खैर, इतने मधुर शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद. हाँ इंदौर के अलावा भोपाल में भी नाश्ते के रूप में पोहा ही सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.

  • Rakesh Goel says:

    Post was good, as always. But , was ,somewhat not in line with the usual contents of Ghumakkar.This site is not commercial. Hope, it does not come down to a single shop or cinemahall.

    • Kavita Bhalse says:

      राकेश जी,
      आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रया के लिए आपको धन्यवाद. आप शायद घुमक्कड़ पर नए हैं, पिछले तीन वर्षों से घुमक्कड़ के नियमित पाठक एवं लेखक होने के नाते हमें बहुत अच्छी तरह से पता है की घुमक्कड़ पर लेखों की विषयवस्तु क्या होनी चाहिए और उन्ही सब चीजों को ध्यान में रखते हुए मैंने यह पोस्ट लिखी है.
      ट्रेज़र आईलेंड एक सिंगल शॉप नहीं है, यह एक संस्कृति है. विश्राम, मनोरंजन एवं मनबहलाव का एक बेहतरीन विकल्प है और इंदौर के निवासियों के लिए किसी टूरिस्ट स्पॉट से कम नहीं है.
      और इसमें व्यावसायिकता (Commercial) का कोई सवाल ही नहीं है, हमारे मेंटर और घुमक्कड़ के संस्थापक भी लेखकों को होटल रिव्यू लिखने के लिए प्रेरित करते हैं तो क्या वे ये सब कमर्शियल सोच लेकर करते हैं, जी नहीं वे ये सब भावी घुमक्कड़ों की सुविधा तथा सहूलियत के लिए करते हैं.
      ट्रेज़र आईलेंड इंदौर में तथा मध्य प्रदेश में इतना मशहूर है की कई बार अत्यधिक भीड़ की वजह से यहाँ के प्रबंधन को प्रवेश बाधित करना पड़ता है, अतः इसे कमर्शियल प्रमोशन की कतई आवश्यकता नहीं है.
      धन्यवाद.

    • Sanjay Kaushik says:

      गोयल साहब,
      ऐसा कुछ मत कहो कि आपकी बात “घुमक्कडों” को बुरी लग जाये और उस चक्कर मैं “घुमक्कडों” का बुरा हो जाये.

      नहीं समझ पाए ना ? आपने थोडा घुमा के कहा इसीलिए मैंने थोडा ज्यादा घुमा के कह दिया. लो अब दोनों को सीधा सीधा कहता हूँ…

      आपके अनुसार कविता जी ने जो Treasure Island के बारे मैं कहा, कही तो उसकी ADVERTISEMENT तो नहीं, कविता जी कही उसे “इस” प्लेटफोर्म के थ्रू प्रोमोट तो नहीं कर रही… ??? यही मतलब था न आपका ?

      अब मैं अपना मतलब समझा देता हूँ, अगर घुमक्कड साथियों को आपकी बात चुभ गई तो वे आइन्दा ऐसे किसी आरोप से बचने के लिए किसी भी होटल, रेस्तौरांत, Rest House, Dharamshala आदि के फोन नम्बर या पते देते बंद कर देंगे, फिर इससे अपने घुम्मकड साथियों का कितना बुरा होगा ??? समझ रहे हैं ना आप मैं क्या कह रहा हूँ… ???

      जय राम जी कि…..

  • कविता जी, घुमक्कड़ परिवार को कृष्णमय तथा शंकरमय् करने के लम्बे अंतराल बाद पोस्ट पर आपका स्वागत/धन्यवाद. बहुत पुरानी यादें ताजा करवा दी. 1968 में कुछ समय रेडियो कलौनी, इंदौर के सरकारी आवास जो कि शहर से काफी दूरी पर था रहने का मौका मिला, उस समय इक्के-टाँगें शहर ले जाते थे, खासियत यह थी कि इनमें बड़े सुंदर तकिये लगे होते थे जिनमें बैठकर ख़ुद को एक सामंती/नवाबी एहसास होता था, उस समय भी शहर में 16 सिनेमाघर थे, शहर जाते समय रास्ते में न जाने कितने पोहे तथा बॉम्बे के मश्हूर मिक्सचर और गन्ने के रस कि दुकानें जिनके बाहर सरकनडे के मुड़े पड़े होते थे, बहुत ही साफ़ सुथरा व खुला-खुला शहर. अजायबघर, शीश्महल व कंपनीबाग. आज आपने आधुनिक इंदौर दर्शन, माल/पी वी आर दिखाए. अगले लेख में इंदौर कि बाकी धरोहरों तथा दर्शनीय स्थलों की सैर करवाना. चित्र बहुत सुंदर हैं.

    धन्यवाद. .

  • Kavita Bhalse says:

    त्रिदेव चरण जी,
    सुन्दर शब्दों में प्रतिक्रिया प्रदर्शित करने तथा मनोबल बढाने के लिए के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद्. आपने तो इंदौर की ऐतिहासिक तस्वीर प्रस्तुत कर दी (करीब 44 साल पहले) जिसे पढ़कर बहुत अच्छा लगा.

    धन्यवाद.

  • rajesh priya says:

    poha kya chura ka bana hota hai? bura na manengi kavitaji,magar khane ki cheejo ke photographs mat lagae,dekhkar lalach hota hai munh me paani bhar jaata hai.ab savere to jalebi khani hi paregi

    • Nandan Jha says:

      चुड़ा ही है राजेश जी | चुड़ा को हल्का गीला करके थोडा भून लिया जाता है , फिर उसमे प्याज, हरी मिर्च वगैरह और परोसते वक़्त थोडा सेव ऊपर से | beaten rice.

  • Kavita Bhalse says:

    राजेश जी,
    आपकी जानकारी के लिए बताना चाहती हूँ, पोहा चावल से बनता है. जलेबी खाकर अपना तथा अपनों का मुंह मीठा कराइए, खुश रहिये और खुशियाँ बांटिये, इससे बढ़कर और कोई ख़ुशी हो ही नहीं सकती.
    धन्यवाद.

  • rathore says:

    badi aachi post he aap bhut aacha likhati he or foto to he hi jordar mene aap ki sari posts padi he

  • kumar says:

    आपकी यह जानकारी सरासर गलत और हास्यास्पद है, शायद आपने भोपाल का डीबी मॉल नहीं देखा। और गुडगांव व नोएडा के मॉल्स से टीआई का कोई मुकाबला ही नहीं है। वहां के माॅल्स की तुलना में ये बड़ा सा शॉपिंग काम्पलेक्स है। साफ-सफाई के नाम पर यह जीरो है। पिछले दो साल से दो मेंटनेंस भी नहीं किया जा रहा।

    यह मॉल नॉएडा तथा गुडगाँव के मॉल्स की टक्कर का है. सभी उम्दा ब्रांड्स के शोरूम्स से सजे धजे इस मॉल में स्टेट ऑफ़ आर्ट एस्केलेटर्स भी लगे हैं. यह इंदौर ही नहीं समूचे मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मॉल है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *