अब यहाठसे वापस लौटना था. समान पैक कर के निकलते हà¥à¤ 1 बज गया था. लौट कर वापस मसूरी पहà¥à¤‚चे, सà¤à¥€ का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® केमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फाल देखने का था, पर डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने लौटती हà¥à¤ˆ गाड़ी के डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤°à¥‹ से पता कर बताया, केमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फाल पर जाम लगा हà¥à¤† है, बहà¥à¤¤ à¤à¥€à¤¡à¤¼ है, बस को 2 किलोमीटर पहले ही आप लोगो को छोड़ना पड़ेगा और लौटते समय तक जाम के कारण अंधेरा हो जायेगा. तब आपको यहीं रà¥à¤•ना पड़ेगा. अब लगा, केमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फाल का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® कैंसिल करना पड़ेगा |

पिछले टूर पर ली गयी की मसूरी के हसीं फोटो
डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ चलने के लिये बोला. सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर देखा यहाठपर à¤à¥€ काफी à¤à¥€à¤¡à¤¼ है. बस करीब à¤à¤• किलोमीटर पहले ही रोक दी गयी. यहाठसे हम लोग पैदल सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ के किनारे किनारे आगे के लिये चल दिये. देख कर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नही हो रहा था कि यह वही जगह है जहां हम 3-4 साल पहले आये थे. अब तो यहाठकà¥à¤› à¤à¤• होटेल बन गये थे. सड़क के दोनो तरफ लाइन से दà¥à¤•ाने, रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤Ÿ बने हà¥à¤ थे. à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था, जैसे मेला लगा हà¥à¤† है. पिछली बार जब हम लोग आये थे उस समय दो- तीन à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€à¤¨à¥à¤®à¤¾ दà¥à¤•ाने यहाठबनी हà¥à¤ˆ. तब हम लोग टॅकà¥à¤¸à¥€ से आये थे , हमारी टॅकà¥à¤¸à¥€ आखिर तक चली गयी थी. à¤à¤•दम शांत वातावरण था यहाठका. कितनी तेजी से बदलाव आता है यह जो पहले यहाठआ चà¥à¤•ा है उसी को मालूम होता है. à¤à¤• बात थी इस समय सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ मे काफी पानी था पर बरसात के करण मटमैला,. साथ के कà¥à¤› लोग नहाने का आननà¥à¤¦ लेने लगे. दो- तीन घंटे यहाठबिताकर वापस लौटे.

4 वरà¥à¤· पहले जब हम लोग सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ आये थे.
अब हमारा पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® ऋषिकेश जाने का था. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को ऋषिकेश चलने के लिये बोला. ऋषिकेश पहà¥à¤‚चते हà¥à¤ रात के 8 बज गये. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बस को सड़क के किनारे खड़ा कर दिया. अब फिर होटेल ढूढने दो- तीन चल दिये. घंटे à¤à¤° बाद आ कर बोले होटेल नही मिल रहा है. अब मै उन पर नाराज हो रहा था, जानबूठकर मसà¥à¤¤à¥€ मे सारे काम करते हो. सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ मे इतनी देर लगाने की कà¥à¤¯à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤•ता थी. करता कà¥à¤¯à¤¾ अब मै बस से उतरकर होटेल ढूढने चल दिया. उन लोगो को बोला, जब तक मै होटेल पता करता हूठतब तक बाकी लोग खाना खा लो. पता लगे खाना à¤à¥€ खतà¥à¤® हो गया, और हà¥à¤† à¤à¥€ यही जब तक यह लोग रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤Ÿ खाना खाने पहà¥à¤‚चे तब तक आस-पास के रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤Ÿ मे थोड़ा बहà¥à¤¤ ही खाना बचा था.
à¤à¤• बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ दà¥à¤•ानदार से बात की , उनà¥à¤¹à¥‡ अपनी परेशानी बताई तो à¤à¤• थà¥à¤°à¥€ वà¥à¤¹à¥€à¤²à¤° वाले को बà¥à¤²à¤¾ कर उन सजà¥à¤œà¤¨ ने समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ कि किसी तरह से इनà¥à¤¹à¥‡ होटेल यहाठदिलवा दो. अब वह थà¥à¤°à¥€ वà¥à¤¹à¥€à¤²à¤° वाला मà¥à¤à¥‡ लेकर ऋषिकेश की सडको पर à¤à¤• से दूसरे और दूसरे से तीसरे होटेल ले जाता, पर रात इतनी हो चà¥à¤•ी थी कि सारे होटेल फà¥à¤² हो गये थे. किसी à¤à¤• मे अगर à¤à¤•- आध कमरा मिल à¤à¥€ रहा था तो उससे कोई काम नही चलना था. रात 11 बजे तक होटेल ढूढने के बाद à¤à¥€ जब होटेल नही मिला, तब ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾ वाला वापस मà¥à¤à¥‡ बस के पास छोड़ अपने पासे ले कर चला गया. सबके सामने समसà¥à¤¯à¤¾ थी अब कà¥à¤¯à¤¾ करे. इस बीच मे बाकी लोग खाना खा चà¥à¤•े थे. बस मे बैठे होटेल मिलने का इंतजार कर रहे थे. मेरे लिये आलू के पराठे पैक करा कर ले आये थे. सà¤à¥€ बस मे बैठे हà¥à¤ सोने की कोशिश कर रहे थे. तà¤à¥€ कà¥à¤› को लगा यहाठसड़क के किनारे बस मे सोने से अचà¥à¤›à¤¾ है हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° चला जाय. वहीं गंगा के किनारे रात गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¤à¥‡ हैं, अब डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° जो कि सो गया था उसे जगाया गया. कहा गया बस को हर की पोड़ी के पास ले चलो. इस बीच मे मà¥à¤à¥‡ तो à¤à¤ªà¤•ी आ गयी. बस कब हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤‚ची पता ही नही लगा. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बस को हर की पोड़ी के सामने मैदान मे ला कर खड़ा कर दिया. कà¥à¤› लोग तो बस मे ही सोते – जागते रहे. दो-चार लोग हर की पोड़ी घूम कर आ गये. आकर मेरे से बोले हर की पोड़ी पर चलो वहां पर यहाठसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अचà¥à¤›à¤¾ है . मै à¤à¥€ उनके साथ हर की पोड़ी के सामने के Tairas पर पहà¥à¤‚च गया. रात के 2 बज रहे थे पर इस समय à¤à¥€ यहाठपर चहल-पहल थी. बहà¥à¤¤ से लोग इस Tairas पर सो रहे थे हमारे साथ गये लोगो ने à¤à¥€, वहां पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• की पनà¥à¤¨à¥€ बेच रहे लोगो से खरीदकर गंगा के किनारे विछा कर लेट गये. यहाठआकर लगा थकान आदमी को कहीं à¤à¥€ सो जाने को मजबूर कर देती है. मै à¤à¥€ सà¤à¥€ के साथ à¤à¤• पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• की पनà¥à¤¨à¥€ बिछाकर लेट गया. नींद तो आ नही सकती थी, लेटे हà¥à¤† दिन à¤à¤° की घटनाठदिमाग मे घूम रही थी, तà¤à¥€ देखता हूठमेरे साथ गये सहकरà¥à¤®à¥€ अमित की लड़की जो कि 8-9 महीने की होगी, उठकर घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹-घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹ चलने लगी. मै जोर से चिलà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ अमित देख तेरी लड़की कहाठघूमने जा रही है. तब उसने पकडकर उसे जबरदसà¥à¤¤à¥€ अपने पास लेटाया. मà¥à¤à¥‡ बचà¥à¤šà¥‡ की शरारत देखकर हंसी आ रही थी.
रात की नीरवता मे गंगा की लहरो की तट की पैकडियो से टकराने की आवाज आ रही थी. इसी बीच मेरी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ढà¥à¤¢à¤¤à¥€ हà¥à¤ˆ आ गयी. आते ही बोली यहाठकहाठलेटे हो, मै बोला कà¥à¤¯à¤¾ करू यहाठपर ठंडक है इसलिये इन सबके साथ यहीं लेट गया हूठपर नींद तो आ नही रही है. बोली चलो बस मे ही आरम करना. यहाठके ठंडे फरà¥à¤¶ पर लेटे रहे तो कमर अकड जायगी. अब मà¥à¤à¥‡ लगा, इससे तो अचà¥à¤›à¤¾ वापस दिलà¥à¤²à¥€ चलते हैं, यहाठपरेशन होने से कà¥à¤¯à¤¾ फायदा. इतनी रात मे à¤à¥€ कई लोग गंगा नहा रहे थे. मैने गंगा का जल अपने उपर छिड़का और बस मे पहà¥à¤‚चकर जब सबसे वापस दिलà¥à¤²à¥€ चलने के लिये कहा तो कà¥à¤› लोग बोले जब इतना परेशान हो ही चà¥à¤•े हैं तो अब कल गंगा नहाकर ही चलेंगे. मैने कहा ठीक है जैसी तà¥à¤® सबकी मरà¥à¤œà¥€. बस मे बैठे हà¥à¤ पता नही कब नींद लग गयी. दिन निकल आने के बाद ही नींद खà¥à¤²à¥€. अब सà¤à¥€ हर की पोड़ी पर चल दिये. तà¤à¥€ हमारे साथ के मनोज जी हर की पोड़ी के सामने बने धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ मे दो कमरे तय कर आये. बोले 500-500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मे मिल रहे हैं लेना है. मैने कहा ले लो à¤à¤ˆ थोड़ी देर के लिये ही सही बरसात के करण गंगा का पानी मटमैला था कà¥à¤› लोग नखरे करने लगे. पर बाकी सà¤à¥€ ने तो गंगा मे ढंग से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया. . नहा कर तैयार होने मे ही सà¤à¥€ को दस बज गये. अब à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤• तैयार नही हà¥à¤ थे, मैने कहा मै तो नाशà¥à¤¤à¤¾ कर के बस मे बैठने जा रहा हूठतà¥à¤® सब लोग à¤à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ से आ जाओ. जब इतने सारे लोग होते हैं तब सारे अपनी- अपनी मरà¥à¤œà¥€ चलाते हैं. करीब 12 बजे बस मे पहà¥à¤‚चे. अब वापस दिलà¥à¤²à¥€ लौटना था.
लेकिन रासà¥à¤¤à¥‡ मे टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¿à¤• जाम होने के करण मोहन नगर पहà¥à¤‚चते हà¥à¤ ही मà¥à¤à¥‡ 10 बज गये थे, अनà¥à¤¯ जो दिलà¥à¤²à¥€ रहते थे बारह बजे तक जाकर पहà¥à¤‚चे.
इससे पहले और इसके बाद à¤à¥€ हम लोगो ने कई टूर किये पर जब à¤à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ होती है तो इसी टूर की होती है. बहà¥à¤¤ सारी परेशानियो à¤à¤°à¤¾ यह टूर था पर फिर à¤à¥€ जो लोग साथ गये थे वह आज à¤à¥€ यही कहते हैं कि कà¥à¤› à¤à¥€ हो à¤à¤• अलग ही मजा था इस टूर मे.
Hi Rastogi jee.. nice account…
Not just in your story but in other story also ( Mystery of Shlajit by Praveen Wadhwa),,,,, one theme keep on emerging and that is lack of infrastructure in our hill stations…. due to which tourists have to go through a lot of hardship and at times even by paying money you do not get a good accommodation or even a decent lunch….
I wonder when these facilities will improve…it is not that we can not do it… Kerala and Rajasthan have some very good facilities for all budgets…
मे तो यही कहूँगा कि समय की बात थी वर्ना ऐसा ना पहले कभी हुआ था और ना ही उसके बाद हुआ. हम राजस्थान या केरला से यहाँ की तुलना नही कर सकते. क्योकि यह पहाड़ी इलाके हैं सीजन मे तो खूब भीड़ होती है वर्ना होटेल खाली ही पड़े रहते हैं. अभी 15 दिन पहले मे मसूरी कुछ काम से गया था शनिवार का दिन था यानी वीकेंड पर 200-300 रुपये मे वह होटेल मिल रहे थे जो कि सीजन मे 2000/ मे मिलते हैं.
Very rightly said in above comment. I liked your post. Meri Mussorie, Hridwar, rishikesh i saari yaadein taaji ho gayi…Thanks for sharing
Thanks Abhee
सुंदर चित्र ..
बढिया यात्रा विवरण
धन्यवाद
रस्तोगी जी हम लोग कभी कोलेज के टूर में सहस्त्रधारा गए थे. आपके लेख और चित्रों ने वंहा की यादे ताज़ा कर दी हैं. धन्यवाद…वन्देमातरम..
http://praveengupta2010.blogspot.in
हमारा वैश्य समाज – HAMARA VAISHYA SAMAJ
dear praveen
कालेज के दिनो की तो बात ही कुछ और होती है. उस समय तो खूब मस्ती की होगी. चलिये इस बहाने पुराने दिनो की याद तो ताजा करवा ही दी.
any how I like guchu pani (robber’s cave ) than sahastradhara.
dear mahesh ji
हाँ मैने आपके गुच्चु पानी के फोटो देखे हैं. हर जगह का अपना अलग मजा है. आप दोनो जगह गये हुए हैं मेरा जाना नही हुआ. अब जब आप इतनी तारीफ कर रहे हैं तो अगली बार यह जगह भी हो आयेंगे.
kabhi samye mile tho dehradun pe ek puri series likhi hai use padiyega , kafi kuch hai wahn dekhne ke liye.
आपने जो अंत में कहा वो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि आप सभी लोग ऑफिस में काफी समय साथ बिताते है, अगर इन परेशानियों के कारण सभी लोग एक दुसरे तो अच्छे से समझने लगें हैं तो परेशानी काम आयी |
सही कह रहे हैं एक तरह से आफिस मे जो थोड़ी बहुत दूरी होती है वह इस तरह के टूर होने पर निकटता मे बदल जाती है. एक अच्छी understanding.
सही रही रस्तोगी जी
सहस्त्रधारा के बारे में सुना जरूर था जाटदेवता की पोस्ट पर . पर उनकी पोस्ट पर चित्र नहीं थे . आपकी पोस्ट पर सहस्त्रधारा के दर्शन किये , इसलिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
hi vishal
यौं देखा जाय तो सहस्त्रधारा कोई विशेष घूमने की जगह नही है. यहाँ पर एक तरफ के पहाड़ो से पतली – पतली धाराए गिर रही हैं. और उन धाराओ के पानी को रोक कर पहले तो छोटे – छोटे से तालाब से बनाये हुए थे जिनमे लोग नहाते थे. इन पतली – पतली धाराओ को अगर गिना जाय तो शायद सहस्त्र धाराये बनती होंगी. उसी पर्वत पर कुछ गुफाए भी हैं. इनमे से किसी एक गुफा मे आचार्य द्रोणाचार्य ने तप भी किया था ऐसा बताते हैं.
Hi रस्तोगीजी,
बस में कुछ सोये…….वाली तस्वीर बड़ी मज़ेदार है.
आपके पोस्ट को पढ़कर बड़ा आनंद आया,
धन्यवाद
Auro.
hi auro
thanks for appreciation
Rastogiji,
Nice account and thanks for refreshing memories of long ago.
Nirdesh
hi nirdesh
thanks