केदारनाथ से बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥
केदारनाथ से बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥
तीसरे दिन सà¥à¤¬à¤¹ 8 बजे सà¤à¥€ तैयार होकर बस मे बैठगये. अब हमारी मंज़िल बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम थी. मैने डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से पूछा अब किस रासà¥à¤¤à¥‡ से चलोगे. यहाठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने के लिठदो रासà¥à¤¤à¥‡ थे पहला कà¥à¤‚ड से चोपटा होते हà¥à¤ . दूसरा वापस रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से है. मै चोपटा होकर जाना चाहता था कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि चोपटा की पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤‚दरता के बारे मे काफ़ी कà¥à¤› पढ़ रखा था. पर बंगाली बाबू रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से चलने के लिठकह रहे थे. पर जब मैने उनà¥à¤¹à¥‡ समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ तो वह राज़ी हो गये.
तà¥à¤‚गनाथ से चमोली का रासà¥à¤¤à¤¾ हरे-à¤à¤°à¥‡ जंगलो से घिरा हà¥à¤† है. इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ वाहन नही चल रहे थे. हमलोग दोपहर दो बजे चमोली पहà¥à¤à¤š गये. यहाठडà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने à¤à¤• होटेल के सामने बस रोकते हà¥à¤ कहा की सब लोग जलà¥à¤¦à¥€ से खाना खा लो. अगर हम 4 बजे तक जोशीमठपहà¥à¤à¤š जाठतो बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने का मारà¥à¤— खà¥à¤²à¤¾ मिल जाà¤à¤—ा. फिर हमे रासà¥à¤¤à¥‡ मे कहीं ना रà¥à¤• कर सीधे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ पहà¥à¤à¤š जाà¤à¤à¤—े. सà¤à¥€ ने 15 मिनट मे दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया और बस मे बैठगये. चमोली से बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ का मारà¥à¤— काफ़ी चौड़ा था. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° तेज़ी से बस चला रहा था. गनीमत हà¥à¤ˆ की रासà¥à¤¤à¥‡ मे कोई बाधा नही आई और हम लोग 4 बजे जोशीमठपहà¥à¤à¤š गये. अà¤à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने का मारà¥à¤— खà¥à¤²à¤¾ था. हमारी बस के निकलने बाद ही बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने के लिठरासà¥à¤¤à¤¾ बंद कर दिया गया. जोशीमठसे आगे का मारà¥à¤— संकरा है इस कारण दो –दो घंटे के इंटरवल से जोशीमठसे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जाने का मारà¥à¤— खोला जाता है.
चमोली से कà¥à¤› आगे ही हमे सड़क के किनारे अलकनंदा पर कà¥à¤› अनà¥à¤¯ विददà¥à¤¤ परियोजनाओ पर काम चल रहा था. जोशीमठसे आगे बढ़ते ही हमे सड़क के किनारे लगे हà¥à¤ jaypee के सैकड़ो बोरà¥à¤¡ नज़र आने लगे. हर à¤à¤• बोरà¥à¤¡ पर बड़ा-बड़ा .†NO DREAM TOO BIG†jaypee लिखा हà¥à¤† था. à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था, अब हम किसी की पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ à¤à¤¸à¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ मे से होकर गà¥à¤œà¤° रहे है. जà¥à¤¯à¥‹-जà¥à¤¯à¥‹ हम विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— की ओर बढ़ रहे थे अलकनंदा मे जल कम होता जा रहा था. विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के पास तो अलकनंदा मे जल ही नही जज़र आ रहा था. विषà¥à¤£à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ पर पता लगा की यहाठपर jaypee ने अपनी विदूत परियोजना लगाई हà¥à¤ˆ है . इस कारण अलकनंदा का जल विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— मे रोक रखा था. चारो ओर jaypee..†NO DREAM TOO BIG†के बोरà¥à¤¡ लगे थे . à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था कि हम पर ठठाकर हंस रहा है और कह रहा है कि देखो किस तरह हम पà¥à¤°à¤•रà¥à¤¤à¥€ का दोहन कर के इतने बड़े हो गये है अफ़सोस कि यह लोग हम सबकी इस जल संपदा का दोहन कर के हमे ही चिढ़ा रहे है. इनà¥à¤¹à¥€ विचारो को लिठहà¥à¤ हम बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम पहà¥à¤à¤š गये. इस बार à¤à¥€ बाकी लोंगो ने तो उसी होटेल मे कमरा लिया जहाठपर डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बस रोकी थी पर हमने परमारà¥à¤¥ निकेतन मे 4 बेड का à¤à¤• कमरा 400 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन के हिसाब से ले लिया. समान कमरे मे रख कर हम सब मंदिर दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठचल दिà¤. रात हो चà¥à¤•ी थी मंदिर के बाहर लगी लाइटो से मंदिर पà¥à¤°à¤•ाशित हो रहा था. मंदिर मे à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¶à¤¾à¤² के रातà¥à¤°à¤¿ शयन की आरती होने जा रही थी . इसलिठमंदिर के अंदर नही जाने दे रहे थे. हम सब दूर से ही दरà¥à¤¶à¤¨ कर के वापस आ गये.

बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर
परमारà¥à¤¥ निकेतन की अपनी केंटिन है पर सीजन ना होने के कारण बंद थी. रात के खाने का इंतज़ाम करना था. परमारà¥à¤¥ निकेतन से बाहर कई होटेल रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट बने हà¥à¤ थे. पर अधिकतर खाली थे . à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट मे जाकर खाना पैक करवाया. जब तक वह खाना तैयार करने लगा मै वहीं बैठे à¤à¤• पंडा से बात करने लगा. बातो ही बातो मे पता लगा की वह वहीं पर à¤à¤• दूसरी धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ के caretaker है. बोले हम तो आपको 200 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मे कमरा दे देते. मैने कहा कोई बात नही. अब तो ले ही लिया है. वही सीजन के समय 2500 मे à¤à¥€ नही. मिलता है. बातो ही बातो मे इस धाम ( बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤§à¤¾à¤® ) की चरà¥à¤šà¤¾ होने लगी, मैने कहा सच तो यह है पंडित जी कि मà¥à¤à¥‡ लगता है कि यहाठतो केवल शà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤°à¤¦à¤¯ से à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठआने वाले ही आ सकते है. पापी लोग तो यहाठपहà¥à¤à¤š ही नही सकते. बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर से पहले देव दरà¥à¤¶à¤¨à¥€ है. यहाठसे मंदिर दिखने लगता है. देवदरà¥à¤¶à¤¨à¥€ के पास ही à¤à¤•ादशी का मंदिर है. कहते है माठà¤à¤•ादशी यहीं पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ˆ थी.
यहाठपहà¥à¤à¤š कर अचानक मन मे विचार आने लगे कि लोग कà¥à¤¯à¥‹ à¤à¥‚ठ, फरेब, धोखाधड़ी कर के पैसे कमाने की दौड़ मे लगे हà¥à¤ है. देखता हूठलोग 60, 70 और उससे à¤à¥€ अधिक उमà¥à¤° के हो गये हैं पर लगे हà¥à¤ हैं दौड़ मे. मै पूछता हूठअरे किसके लिठयह सब कर रहे हो. सच तो यह है की सब कà¥à¤› तो यहीं छोड़ कर जाना है. लेकिन नहीं, लगे हैं कैसे किसको टोपी पहनाà¤.
सà¥à¤¬à¤¹ चार बजे से ही कानो मे आस पास के मंदिरो मे हो रही आरती की आवाज़ गूंजने लगी. पर थकान के कारण सोते रहे. करीब 6 बजे सोकर उठे तो बाहर आ कर देखा हमारे चारो ओर विशालकाय परà¥à¤µà¤¤ खड़े हैं. इन पहाड़ो की चोटियो पर पड़ी वरà¥à¤«à¤¼ सूरà¥à¤¯ की रोशनी मे चमक रही थी. जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ तैयार होकर हम à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¶à¤¾à¤² के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठचल दिà¤. जैसी की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है कि दरà¥à¤¶à¤¨ से पहले मंदिर के नीचे बने हà¥à¤ तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया जाता है.

अलकनंदा पर बने इस पà¥à¤² से मंदिर जाते है.

नीचे बने हà¥à¤ तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड

मंदिर मे दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठदूर तक बना टीन शेड
हमारे लिठतो सब कà¥à¤› नया था. हम à¤à¥€ पूछते हà¥à¤ वहाठपहà¥à¤à¤šà¥‡. यह à¤à¤• छोटा सा टैंक था जिसमे कà¥à¤› लोग नहा रहे थे कà¥à¤› लोग बाहर बैठकर मग से तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड का पानी ले कर नहा रहे थे. तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड का जल काफ़ी गरà¥à¤® था. बाहर मौसम मे ठंडक थी पर फिर à¤à¥€ तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड का जल शरीर पर डाला नही जा रहा था. लोग इसके अंदर नहा रहे थे. तà¤à¥€ वहाठनहा रहे लोगो ने बताया की पहले जल को मग से अपने उपर डाले . जब शरीर सहने लायक हो जाय तो जलà¥à¤¦à¥€ से इस कà¥à¤‚ड मे उतर आà¤. मैने à¤à¤¸à¤¾ ही किया. वहीं लोगो ने बताया की गरà¥à¤® जल सर पर ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नही डालना चाहिठवरना तबीयत खराब हो सकती है.
सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के बाद पूजा की थाली ले कर हम पहले आदिकेदार के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठगये. कहते है , बदà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¶à¤¾à¤² के दरà¥à¤¶à¤¨ से पहले आदिकेदार के दरà¥à¤¶à¤¨ करना चाहिà¤. यह मंदिर तपà¥à¤¤ कà¥à¤‚ड से आगे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के मंदिर को जाते हà¥à¤ मंदिर के बाई ओर बना हà¥à¤† है. यहाठमंदिर मे पतà¥à¤¥à¤° पर शà¥à¤°à¥€ नारायण के पैरो के निशान बने हà¥à¤ थे. यहाठपूजा करके पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ जी से तिलक लगवा कर à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¶à¤¾à¤² के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठगये. à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¶à¤¾à¤² पदà¥à¤®à¤¾à¤¸à¤¨ मे धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ मे बैठे हà¥à¤ हैं. मंदिर मे à¤à¥€à¤¡à¤¼ नही थी. वरना तो फटाफट दरà¥à¤¶à¤¨ करो और बाहर निकलो. वहाठगदà¥à¤¦à¥€ पर बैठे रावल जी बताने लगे की à¤à¤—वान धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ मे है. विगà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ नही मंदिर à¤à¤—वान के ललाट पर हीरा लगा हà¥à¤† है. दाहिनी ओर कà¥à¤¬à¥‡à¤° और गणेश जी तथा बाई ओर उदà¥à¤§à¤µ जी, नर-नारायण, गरूण जी, नारद जी, है. उनके सामने उदà¥à¤§à¤µà¤œà¥€ हैं तथा उतà¥à¤¸à¤µà¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ है मसà¥à¤¤à¤• पर लगे हीरे को देख कर à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था की हरे रंग का ज़ीरो वाट का वलà¥à¤µ जल रहा हो हम लोग थोड़ी देर वहाठà¤à¤• टक निहारते रहे तà¤à¥€ à¤à¤• दंपति वहाठविशेष पूजा के लिठआà¤. रावल जी मंतà¥à¤°à¥‹à¤šà¤¾à¤° करने लगे. हमे लगा कि इससे पहले , हमको बाहर जाने के लिठकहे , बाहर चलना चाहिà¤. à¤à¤—वान के सामने से हट कर बाहर को निकालने लगा तà¤à¥€ मंतà¥à¤°à¥‹à¤šà¤° करते हà¥à¤ रावल जी ने इशारे से अपने पास बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ और माथे पर चंदन का लेप पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के रूप मे लगा दिया. मंदिर की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करके खड़ा हà¥à¤† था तà¤à¥€ à¤à¤• साधू ने आ कर पूछा à¤à¤—वान का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ लेंगे, मन मे आया नेकी और पूछ- पूछ , मैने कहा कà¥à¤¯à¥‹ नहीं महाराज साधॠने à¤à¤—वान बदà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¶à¤¾à¤² को चढ़ने वाले केसर यà¥à¤•à¥à¤¤ मीठे चावल का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ दिया. यहाठचरणामà¥à¤°à¤¤ केसरयà¥à¤•à¥à¤¤ मीठा था. बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर के दाहिनी ओर लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ जी, गणेश जी , हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी का मंदिर है.

बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर

बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर
मंदिर के पाट लगà¤à¤— छह माह बंद रहते है. बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर के पाट बंद होने के बाद नारद जी à¤à¤—वान की पूजा करते हैं. विशेष बात यह है बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर के पाट बंद करते समय जो जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ जलाई जाती है वह जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ पाट खोलते समय जलती हà¥à¤ˆ मिलती है.
बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ की आरती
शà¥à¤°à¥€ पवन मंद सà¥à¤—ंध शीतल , हेम मंदिर शोà¤à¤¿à¤¤à¤®à¥
निकट गंगा बहत निरà¥à¤®à¤² . शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ विशमà¥à¤à¤°à¤®à¥à¥¤
शेष सà¥à¤®à¤°à¤¿à¤¨ करत निशदिन , धरत धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ महेशà¥à¤µà¤°à¤®à¥
शà¥à¤°à¥€ वेद बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ करत सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ विशमà¥à¤à¤°à¤®à¥à¥¤
शकà¥à¤¤à¤¿ गौरी गणेश शारद ,नारद मà¥à¤¨à¤¿ उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£à¤®à¥
वेद धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अपार लीला ,शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ विशमà¥à¤à¤°à¤®à¥à¥¤
यकà¥à¤· किनà¥à¤¨à¤° करत कौतà¥à¤• ,जà¥à¤žà¤¾à¤¨ गनà¥à¤§à¤°à¥à¤µ पà¥à¤°à¤•ाशितमà¥
शà¥à¤°à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ कमला चंवर डोले ,शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ विशमà¥à¤à¤°à¤®à¥à¥¤
कैलाश में इक देवी निरंजन ,शैल शिखर महेशà¥à¤µà¤°à¤®à¥
राजा यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ र करत सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¥¤,शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ विशमà¥à¤à¤°à¤®à¥à¥¤
शà¥à¤°à¥€ बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के पंचरतà¥à¤¨ ,पढ़त पाप विनाशनमà¥
कोटि तीरà¥à¤¥ à¤à¤ पà¥à¤£à¥à¤¯à¥‹à¤‚ ,पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¥‡ फलदायकमà¥à¥¤
मंदिर से बाहर आकर पूजा की थाली दà¥à¤•ानदार को वापस की. धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आया बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•पाल चलते है. पूछने पर पता लगा मंदिर से करीब 100 गज पीछे अलकनंदा के किनारे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•पाल है. बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•पाल के बारे मे कथा है की जब शिव जी ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी का पाà¤à¤šà¤µà¤¾ सिर काट दिया तो उनà¥à¤¹à¥‡ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ लग गयी और वह सिर उनके हाथ मे चिपक गया. बहà¥à¤¤ कोशिश के बाद à¤à¥€ नहीं छूटा. शिव सारी पà¥à¤°à¥à¤¥à¤µà¥€ की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ कर के जब इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आठतो यहाठपर उनके हाथ से सà¥à¤µà¤¤à¤¾ सिर छूट गया और शिव बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® हतà¥à¤¯à¤¾ से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो गये. तब शिव जी ने कहा जो à¤à¥€ इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अपने पितरो का शà¥à¤°à¤¾à¤§ और पिंड दान करेगा उसकी सात पीढ़ी तक मोचà¥à¤› को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाà¤à¤à¤—ी. तà¤à¥€ से इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का नाम बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•पाल पड़ गया. कहते हैं. इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹ का शà¥à¤°à¤¾à¤§ करने से पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ बार-बार के जनà¥à¤® मà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥ के बंधन से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो कर मोचà¥à¤› को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाता है. यहाठपर शà¥à¤°à¤¾à¤§ मे पहले मीठे चावल के पिंड बना कर अरà¥à¤ªà¤£ à¤à¤• पंडा करवाते हैं , फिर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•पाल से नीचे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•à¥à¤‚ड के पास जल से दूसरे पंडा तरà¥à¤ªà¤£ करवाते हैं, इसके बाद शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिठवापस उपर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•पाल के पास जाकर हवन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤§à¤¿ à¤à¤• तीसरे पंडा करवाते हैं. पंडा ने बताया कि यहाठपर शà¥à¤°à¤¾à¤§ करने के बाद फिर कहीं à¤à¥€ शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ नही किया जाता है.

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•पाल के पास अलकनंदा

बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤•पाल के पास अलकनंदा
शà¥à¤°à¥€ नारायण अदृशà¥à¤¯ रूप से अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को देखते हैं व उनका कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करते हैं लेकिन इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर वही लोग जा सकते हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शà¥à¤°à¥€ हरि अपने पास बà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ हैं. बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम à¤à¤• पà¥à¤£à¥à¤¯ à¤à¥‚मि है कहते हैं यहाठजो à¤à¥€ ही शà¥à¤°à¤§à¤¾ से आता है वह मोचà¥à¤› को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाता है. इसलिठही इस à¤à¥‚मि को à¤à¥‚-वैकà¥à¤‚ठकहते है.. इस à¤à¥‚मि के बारे मे कहा गया है की यहाठपर à¤à¤• दिन के तप का लाठ10000 वरà¥à¤·à¥‹ के तप के बराबर मिलता है, कहते हैं दानव सहà¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤•वच ने सूरà¥à¤¯à¤¾ देव की तपसà¥à¤¯à¤¾ करके 1000 कवच पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किठथे. और à¤à¤• कवच को वही तोड़ सकता था जिसने 10000 वरà¥à¤· तप किया हो. इस तरह से वह तीनो लोक मे अजय हो गया. जब उसके कà¥à¤•रà¥à¤¤à¥à¤¯à¥‹ से मानव, देवता, ऋषि, मà¥à¤¨à¤¿ सà¤à¥€ तà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¿-तà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¿ करने लगे तब सà¤à¥€ à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ नारायण के पास पहà¥à¤à¤š, सहà¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤•वच को हराने के लिठयह ज़रूरी था कि आतà¥à¤®à¤šà¤¿à¤‚तन किया जाय शà¥à¤°à¥€ नारायण ने चिंतन कर के जाना की हिमालय पर केदार खंड मे यही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¤¸à¤¾ है जहाठà¤à¤• दिन तपसà¥à¤¯à¤¾ करके 10000 वरà¥à¤· का फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है. वह इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आ कर आतà¥à¤® चिंतन मे लीन हो गये. बाद मे नर, नारायण के रूप मे जनà¥à¤® लिया. अलकनंदा के à¤à¤• तट पर नर ने तपसà¥à¤¯à¤¾ की और अलकनंदा के दूसरे तट पर नारायण ने तपसà¥à¤¯à¤¾ की. जिस तट पर नर ने तपसà¥à¤¯à¤¾ की वह नर परà¥à¤µà¤¤ कहलाया और जिस परà¥à¤µà¤¤ के नीचे अलकनंदा के दूसरे तट पर नारायण ने तपसà¥à¤¯à¤¾ की वह नारायण परà¥à¤µà¤¤ कहलाता है. बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ का मंदिर नारायण परà¥à¤µà¤¤ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. सहà¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤•वच जब यà¥à¤¦à¥à¤§ के लिठआया तब à¤à¤• दिन नर यà¥à¤¦à¥à¤§ करते और उसका à¤à¤• कवच तोड़ देते दूसरे दिन नर तपसà¥à¤¯à¤¾ करने बैठजाते और सहà¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤•वच से नारायण यà¥à¤¦à¥à¤§ करते और उसका à¤à¤• कवच तोड़ देते . बारी-बारी से à¤à¤• à¤à¤¾à¤ˆ तप करता तो दूसरा à¤à¤¾à¤ˆ यà¥à¤¦à¥à¤§ करता. इस तरह से उसके 999 कवच तोड़ दिठतब सहà¥à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤•वच यà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¥‚मि से à¤à¤¾à¤— कर सूरà¥à¤¯ देव की शरण मे चला गया.
कहते हैं यहाठआकर à¤à¤¾à¤—वत कथा का शà¥à¤°à¤µà¤£ थोड़ी हो सके तो देर को à¤à¥€ करना चाहिà¤. मै जिस दिन बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम से चल रहा था उसी दिन परमारà¥à¤¥ निकेतन मे विशाल शामियाना शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा के लिठलगाया जा रहा था. करीब 300 लोगो के à¤à¤• सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ ठहरने और à¤à¤¾à¤—वत कथा शà¥à¤°à¤µà¤£ का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® था.इस बार तो इस संयोंग का लाठनही उठा पाया पर अगली बार अवशà¥à¤¯ .
वापस आकर हमने डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® पूछा तो बोला आज ही वापस चलना है. मैने कहा, आज तो चौथा दिन है पाà¤à¤š दिन का टूर है तो कल चलना. बोला अà¤à¥€ आपको माना गाà¤à¤µ ले चलता हूठउसके बाद वापस चलना है. à¤à¤• दिन मे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° नही पहà¥à¤à¤š सकते. बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से माना गाà¤à¤µ 3 किलोमीटर की दूरी पर अलकनंदा के किनारे बसा हà¥à¤† है. मà¥à¤¶à¥à¤•िल से 10-15 मिनट मे ही हम माना पहà¥à¤à¤š गये. और इतनी सी दूरी के डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने हमसे 60 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ सवारी के हिसाब से अलग से ले लिया.
मैने दà¥à¤•ानदार से पूछा, मैने तो पढ़ा है कि सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी यहाठसे निकल कर à¤à¥‚मिगत हो गयी है फिर यह अलकनंदा मे कैसे मिल गयी. दà¥à¤•ानदार ने बताया की केशव पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— मे बहà¥à¤¤ थोड़ा सा ही पानी अलकनंदा मे मिलता है बाकी सारा à¤à¥‚मिगत हो जाता है. वहीं पर à¤à¥€à¤® पà¥à¤² है. à¤à¥€à¤® पà¥à¤² के साथ मे à¤à¤• साधॠने धà¥à¤¨à¤¿ रमा रखी है. वहीं पर à¤à¤• छोटी सी जलधारा बह कर सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ मे मिल रही थी. वहाठपर लिखा था कि यह जलधारा मानसरोवर के जल की है. हमारे पास पानी की बोतल तो थी ही हम सबने पहले तो उस जल को पिया फिर बोतल मे à¤à¤° कर साथ ले आया. वहीं पर दो
यूरोपियन पà¥à¤°à¥à¤· गेरà¥à¤ वसà¥à¤¤à¥à¤° मे आठहà¥à¤ थे. उनसे बात करने लगा, बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¥€ हिनà¥à¤¦à¥€ वह लोग बोल रहे थे. बताने लगे जोध पूर मे वह लोग किसी मठमे रहते हैं.
वापस हम उसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आठजहाठसे गणेश गà¥à¤«à¤¾ जाने का मारà¥à¤— था. थोड़ा सा आगे ही गणेश गà¥à¤«à¤¾ है. कहते है यहाठपर बैठकर गणेश जी ने महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ गà¥à¤°à¤‚थ का लेखन किया था. रचनाकार वेद वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी थे. पहले तो यह पहाड़ के बीच मे गà¥à¤«à¤¾ थी पर अब वहाठपर à¤à¤• छोटा सा मंदिर बना दिया है. हम जब गà¥à¤«à¤¾ के अंदर पहà¥à¤à¤šà¥‡ वहाठसे पानी बह रहा था. गणेश गà¥à¤«à¤¾ से आगे वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ गà¥à¤«à¤¾ है. चढ़ाई चढ़ कर मै और मेरी लड़की वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ गà¥à¤«à¤¾ पहà¥à¤à¤šà¥‡. मेरी पतà¥à¤¨à¥€ और लड़का गणेश गà¥à¤«à¤¾ के पास ही रहे. कैमरा उनके पास था इस कारण फोटो नही खिच सका. वेद वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की गà¥à¤«à¤¾ के उपर à¤à¤• चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ है जिस पर वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ पोथी लिखा था. उसको देख कर à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था जैसे विशालकाय गà¥à¤°à¤‚थो का पà¥à¤²à¤¿à¤‚दा है. वहीं à¤à¤• शिलालेख पर लिखा था , वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी ने सतà¥à¤¤à¤°à¤¹ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹ की रचना की पर उनà¥à¤¹à¥‡ संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ नही मिली अंत मे उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ अठारवाठपà¥à¤°à¤¾à¤£ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत की रचना की थी. वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी के पà¥à¤¤à¥à¤° शà¥à¤•देव जी ने राजा परिचà¥à¤›à¤¤ को अंतिम समय मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ था. गà¥à¤«à¤¾ छोटी सी पर साफ है जिसमे वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है.
माना गाà¤à¤µ के लोग ऊन से तैयà¥à¤¯à¤¾à¤° किठहà¥à¤ तरह-तरह के सà¥à¤µà¥‡à¤Ÿà¤° , कालीन आदि बेंच रहे थे. वह यहाठखेती à¤à¥€ करते हैं, हमारे डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने तो à¤à¤• बोरा आलू का खरीद कर बस मे रख लिया था.

बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम

बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम
हम लोग दो बजे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से वापस धरà¥à¤® छेतà¥à¤° के बाद करà¥à¤® छेतà¥à¤° के लिठचल दिà¤. जाते समय ही हमने डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को गरूण गंगा पर रà¥à¤•ने को कहा था पर तब तो वह रà¥à¤•ा नही. मैने दोबारा उसे याद कराया, लौटते समय वहाठरà¥à¤• कर चलना है. पीपलकोटि से पाà¤à¤š किलोमीटर आगे
पास गरूण गंगा बहती है. यहाठपर गरूण जी का मंदिर है. कहते है à¤à¤—वान के बदà¥à¤°à¥€à¤µà¤¨ जाते समय गरूण जी यहीं रà¥à¤• गये कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि यहाठगरूण जी के पसंद का à¤à¥‹à¤œà¤¨ सरà¥à¤ª . बहà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¤¤ मे थे. कहते हैं अगर किसी को कोई विषैला जीव काट लेता है उसे गरूण जी कि पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ से सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करा दिया जाय तो उसका विष उतर जाता है. पढ़ा तो यह था , यहाठपर लोग सरà¥à¤ªà¥‹ के उन अवशेषो को जो कि पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ के रूप मे है. ढूदते रहते हैं जिनà¥à¤¹à¥‡ घर मे रखने से घर मे विषैले जीव-जनà¥à¤¤à¥ का ख़तरा नही रहता है. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने गरूण गंगा के पास बस रोकी. सड़क से नीचे गरूण गंगा बह रही थी. यहाठपर लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ का मंदिर है. उससे नीचे गरूण जी का मंदिर है. यहाठपर हमसे पहले आठहà¥à¤ à¤à¤• परिवार वालो को पंडित जी पूजा किठहà¥à¤ पतà¥à¤¥à¤° दे रहे थे. मैने à¤à¥€ उनसे लिà¤. हमारे साथ के बंगाली बाबू तो नदी के पास ढूंड कर कà¥à¤› पतà¥à¤¥à¤° ले आà¤.
हम जब नंद पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤šà¥‡ , अंधेरा ढल गया था. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने यहीं रà¥à¤•ने का निरà¥à¤£à¤¯ किया पर पता लगा पिछले 2 दिनो से पानी नही आ रहा है होटेल वालो ने ठहराने से मना कर दिया. अब 8 बजे के बाद ही हम करà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— पहà¥à¤à¤šà¥‡. यहाठसड़क के किनारे à¤à¤• होटेल मे केवल तीन कमरे ही खाली मिले दोनो बंगाली और à¤à¤• गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ à¤à¤¾à¤ˆ ठहर गये. मà¥à¤à¥‡ उस होटेल वाले ने सामने के रेसà¥à¤Ÿ हाउस मे 400 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मे à¤à¤• कमरा देकर ठहराया. जब हम कमरे मे पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो देख कर सà¥à¤–द आनंद आया कि साथ मे ही à¤à¤• नदी बह रही है. जिसकी कलकल की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ गूà¤à¤œ रही थी. सà¥à¤¬à¤¹ उठकर पता लगा कि यह तो पिंडर नदी है. होटेल से आगे ही अलकनंदा और पिंडर नदी का संगम था. सà¥à¤¬à¤¹ के समय यहाठसे à¤à¥€ दूर पहाड़ो पर वरà¥à¤«à¤¼ से ढकी चोटी दिख रहीं थी .

अलकनंदा और पिंडर नदी का संगम

अलकनंदा और पिंडर नदी का संगम
सब लोग तैयार होकर सà¥à¤¬à¤¹ 8 बजे हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के लिठचले. शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र से कà¥à¤› किलोमीटर पहले डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बस रोक दी. पता लगा, पिछले 2 दिनो से आगे पहाड़ो से पतà¥à¤¥à¤° टूट कर लगातार गिर रहे हैं रासà¥à¤¤à¤¾ बंद है. गाड़ियाठदूसरे रासà¥à¤¤à¥‡ से जा रही थी जो की नियमित रासà¥à¤¤à¤¾ नही था. हमारा डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° बोला में तो इस रासà¥à¤¤à¥‡ से कà¤à¥€ गया नही हू. काफ़ी ख़तरनाक रासà¥à¤¤à¤¾ है. हम लोगो ने कहा, जब सारे लोग अब उसी रासà¥à¤¤à¥‡ से जा रहे हैं तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ कà¥à¤¯à¤¾ परेशानी है. पता लगा परेशानी उसे यह थी की कà¥à¤› पैसे चाहिठथे. मतलब यह जो बोरा आलू का उसने खरीदा था वह उसे मà¥à¤«à¤¼à¥à¤¤ का पड़ जाय . कà¥à¤¯à¤¾ करते मजबूरी थी. हमे हाठकरनी पड़ी. रासà¥à¤¤à¤¾ काफ़ी संकरा था. सारा टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¿à¤• इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर आ जाने के कारण टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¼à¤¿à¤• जाम à¤à¥€ हो रहा था. इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर चलते हà¥à¤ डर à¤à¥€ लग रहा था. बहà¥à¤¤ उà¤à¤šà¥‡-उà¤à¤šà¥‡ पहाड़ो से होते हà¥à¤ हमारी बस जा रही थी, कई जगह तो सड़क à¤à¤•दम कचà¥à¤šà¥€ मिटà¥à¤Ÿà¥€ की थी , डर लग रहा था कि इतने टà¥à¤°à¥‡à¤«à¤¼à¤¿à¤• के वजन से अगर कहीं ढह गयी तो सीधे सैकड़ो फिट गहरी खाई मे जाà¤à¤à¤—े. हमने देखा की पहाड़ो को चोटी तक खेती हो रही है. विशालकाय पहाड़ो को सीढ़ी नà¥à¤®à¤¾ काट कर खेती की जा रही थी. इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर पेड़ तो बहà¥à¤¤ कम थे. वैसे à¤à¥€ जब पहाड़ो को काट-काट कर खेती की जाà¤à¤—ी तो पेड़ तो बचेंगे कहाठसे. कोई बड़ी बात नही कि पेड़ो की जगह खेती करने से यहा à¤à¥‚-सà¥à¤–लन ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ होता है. मà¥à¤à¥‡ लगता है कि इस तरह पहाड़ो को काट कर खेती करना à¤à¥€ ग़लत है. और पहाड़ो मे सà¥à¤°à¤‚ग बना कर बाà¤à¤§ बनाना à¤à¥€ à¤à¥‚-सà¥à¤–लन का बड़ा कारण है.
अब कà¥à¤› विशेष जानकारी बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ और केदारनाथ के बारे मे.
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से केदारनाथ 269 किलोमीटर है. हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से ऋषिकेश 24 किलोमीटर, ऋषिकेश से शिवपà¥à¤°à¥€ 13 किलोमीटर, शिवपà¥à¤°à¥€ से बà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ 4 किलोमीटर, बà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ से कौड़ियाला 17 किलोमीटर, कौड़ियाला से देव पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— 36 किलोमीटर, देव पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र 38 किलोमीटर, शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र से कैला सौर 10 किलोमीटर, कैला सौर से रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— 35 किलोमीटर, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से टिलवारा 9 किलोमीटर, टिलवारा से अगसà¥à¤¤ मà¥à¤¨à¤¿ 9 किलोमीटर, अगसà¥à¤¤ मà¥à¤¨à¤¿ से कà¥à¤‚ड 19 किलोमीटर, कà¥à¤‚ड से गà¥à¤ªà¥à¤¤ काशी 8 किलोमीटर, गà¥à¤ªà¥à¤¤ काशी से सोन पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— 28 किलोमीटर, सोन पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से गौरिकà¥à¤£à¥à¤¡ 5 किलोमीटर, गौरी कà¥à¤‚ड से रामबाड़ा की चढ़ाई 7 किलोमीटर, रामबाड़ा से केदारनाथ 7 किलोमीटर कà¥à¤² दूरी 269 किलोमीटर,
केदारनाथ धाम 11824 फिट की उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर है. गौरी कà¥à¤‚ड 6500 फिट की उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर है. लगà¤à¤— 5000 फिट की उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ 14 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ कर पूरी करनी होती है.
केदारनाथ से गोपेशà¥à¤µà¤° होकर बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ 230 किलोमीटर है.
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम की दूरी 302 किलोमीटर है,
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° से ऋषिकेश 24 किलोमीटर, ऋषिकेश से शिवपà¥à¤°à¥€ 13 किलोमीटर, शिवपà¥à¤°à¥€ से बà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ 4 किलोमीटर, बà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ से कौड़ियाला 17 किलोमीटर, कौड़ियाला से देव पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— 36 किलोमीटर, देव पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र 38 किलोमीटर, शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र से कैला सौर 10 किलोमीटर, कैला सौर से रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— 35 किलोमीटर, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से गौचर 10 किलोमीटर, गौचर से करà¥à¤£à¤ªà¤°à¤¯à¤¾à¤— 10 किलोमीटर, करà¥à¤£à¤ªà¤°à¤¯à¤¾à¤— से नंद पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— 21 किलोमीटर, नणà¥à¤¦à¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से चमोली 10 किलोमीटर, चमोली से पीपलकोटि 17 किलोमीटर, पीपलकोटि से जोशिमठ13 किलोमीटर, जोशिमठसे विषà¥à¤£à¥à¤ªà¤°à¤¯à¤¾à¤— 12 किलोमीटर, विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से गोविंद घाट 7 किलोमीटर, गोविंद घाट से पांदà¥à¤•ेशà¥à¤µà¤° 2 किलोमीटर, पांदà¥à¤•ेशà¥à¤µà¤° से बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ 23 किलोमीटर है
बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ धाम 11204 फिट की उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर है.