ritesh gupta

Ghumakkar Featured Author Interview – Presenting Romantic Ritesh Gupta

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घुमक्कड़ – आप घुमक्कड़ी का शौक कब से रखते हैं? यह बचपन से लगी हुई लत है या फिर आपने बड़े होने पर आपने इसे अपनाया है?
रीतेश –  वैसे तो बचपन से ही मैं अपने परिजनों के साथ पता नहीं कहाँ-कहाँ गया पर अपने होश में (उस समय भी काफी छोटा था) सर्वप्रथम मैं अपने माता पिताजी और उनके मित्रों के साथ वैष्णो देवी और उसके बाद हरिद्वार गया था । इस यात्रा से मैं बहुत प्रभावित हुआ और घूमने के भूत मेरे सर पर चढ़ गया, पर छोटा होने के कारण माता पिता के बिना नहीं जा सकता था । फिर इस यात्रा काफी साल बाद सन 1995 में अपने आठ मित्रों के साथ स्वछन्द रूप से मैं वैष्णो देवी और पत्नीटॉप अपने परिजनों के बिना गया । उसके बाद मैं अक्सर अपने मित्रों के साथ नई-नई जगह सोचकर जाने लगा । अब तक मैं देश की काफी नामी-गिरामी स्थल घूम चुका हूँ और आशा हैं की आगे भी घूमता रहूगा । आजकल यदि साथ में घूमने वाले मित्र जाए तो बहुत हैं अन्यथा मैं अपने परिवार के साथ ही घूमने जाता हूँ । वैसे नंदन जी ! घूमना यह कोई लत नहीं बल्कि मेरा शौक हैं, मैं अपना समय के अनुसार और पूर्ण सहूलियत से घूमता हूँ  ।

घुमक्कड़ – माफ़ कीजियेगा रीतेश जी, पर हर शक्स अपनी हर लत के बारे में ऐसा ही कहता है | हे हे | 
रीतेश – हे हे 

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