पिछली पोसà¥à¤Ÿ में मैंने आपको मà¥à¤‚बई के फ़िलà¥à¤®à¥€ सितारों के घर, मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव मंदिर, जà¥à¤¹à¥‚ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ इसà¥à¤•ॉन मंदिर, तथा सिदà¥à¤§à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¾à¤¯à¤• मंदिर के बारे में बताया था. अब आज की यह पोसà¥à¤Ÿ इस मà¥à¤‚बई टूर सिरीज़ की अंतिम पोसà¥à¤Ÿ है जिसमें मैं आपको बाबà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ महादेव मंदिर, तारापà¥à¤°à¤µà¤¾à¤²à¤¾ à¤à¤•à¥à¤µà¥‡à¤°à¤¿à¤¯à¤®, à¤à¤‚टीलिया, ताज महल होटल à¤à¤µà¤‚ गेट वे ऑफ़ इंडिया लेकर चलता हूà¤.
मैंने मà¥à¤‚बई में à¤à¤• चीज देखी की यहाठकी à¤à¤¾à¤—मà¤à¤¾à¤— à¤à¤°à¥€ ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में लोग कई बार खाने को à¤à¥€ नज़र अंदाज़ कर देते हैं और शायद इसी वजह से मà¥à¤‚बई में फासà¥à¤Ÿ फ़ूड का चलन बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है. फासà¥à¤Ÿ फ़ूड à¤à¥€ मà¥à¤‚बई के लोगों ने अपनी आवशà¥à¤¯à¤•ता à¤à¤µà¤‚ रूचि के अनà¥à¤°à¥‚प विकसित कर लिठहैं जैसे हेमबरà¥à¤—र,पिज़à¥à¥›à¤¾ और हॉट डॉग के बजाय यहाठà¤à¤• बड़ा वरà¥à¤— वडापाव, सेव पूरी, à¤à¥‡à¤² पूरी, पाव à¤à¤¾à¤œà¥€ आदि खाना पसंद करते हैं. मैंने तो महसूस किया की मà¥à¤‚बई में लोगों को रोटी बनाने और खाने की फà¥à¤°à¥à¤¸à¤¤ ही नहीं है, आधी मà¥à¤‚बई वडा पाव खा कर जिंदा रहती है. मà¥à¤à¥‡ लगता है मà¥à¤‚बई की बेकरियां ही इस शहर की अनà¥à¤¨à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ हैं.
मैंने पिछले कई सालों से मà¥à¤‚बई के देसी फासà¥à¤Ÿ फ़ूड वडा पाव का नाम बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨ रखा था लेकिन हमारे à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ न होने की वजह से इसका सà¥à¤µà¤¾à¤¦ कà¤à¥€ नहीं चख पाठथे, और आज हम सà¥à¤¬à¤¹ घर से नाशà¥à¤¤à¤¾ करके à¤à¥€ नहीं निकले थे अतः सोचा की चलो आज वडा पाव खा ही लिया जाठतो जी हमने à¤à¤• छोटी सी दूकान से वडा पाव लेकर खाया जो मà¥à¤à¥‡ इतना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पसंद आया की वहां से आने के बाद आज तक मैं वडा पाव ढूंढ़ रहा हूà¤, सोचता हूठइंदौर में मिलता तो होगा लेकिन कहाठयह नहीं मालूम.
खैर वडा पाव का आनंद लेने के बाद हम चल पड़े अपनी मà¥à¤‚बई घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी पर, मà¥à¤‚बई के दादर सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से उतर कर हमें ऑटो लेकर आगे जाना था, इसी सिलसिले में हम दादर के सबà¥à¤œà¥€ मारà¥à¤•ेट से होकर गà¥à¤œà¤°à¥‡. यह सबà¥à¤œà¥€ मारà¥à¤•ेट इतना बड़ा था की हम यहाठकà¥à¤› देर रà¥à¤•े बिना नहीं रह सके. जब मैंने सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤µ पूछा तो मà¥à¤à¥‡ बड़ा अचà¥à¤›à¤¾ लगा, इतने बड़े महानगर में इस मारà¥à¤•ेट में मà¥à¤à¥‡ सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¤¾à¤µ काफी ससà¥à¤¤à¥‡ लगे. सबकà¥à¤› था इस विशाल सबà¥à¤œà¥€ मंडी में, हर तरह की à¤à¤•दम ताज़ा सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, फल, फà¥à¤², गजरे, मालाà¤à¤‚ और सब कà¥à¤› बिलकà¥à¤² रियायती à¤à¤¾à¤µ में.
à¤à¤• बात मैंने देखी है, लोग जितना मà¥à¤‚बई की महंगाई का हौवा बनाते हैं वासà¥à¤¤à¤µ में मà¥à¤‚बई उतनी महंगी है नहीं, हाठमà¥à¤‚बई में रहने के लिठज़मीन तथा मकान का किराया या अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥‹à¤ªà¤°à¥à¤Ÿà¥€ ज़रूर महंगी हो सकती है लेकिन बाकी चीजों में मà¥à¤‚बई मà¥à¤à¥‡ ससà¥à¤¤à¥€ ही लगी. यहाठहर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤°à¥‚प संसाधन उपलबà¥à¤§ हैं, अगर कà¥à¤› लकà¥à¤œà¤¼à¤°à¥€ की बात छोड़ दी जाठतो à¤à¤• आम मधà¥à¤¯à¤® वरà¥à¤—ीय वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठयहाठउसकी जेब के हिसाब से सारे साधन मौजूद हैं.
अगर मैं इंदौर जैसे मधà¥à¤¯à¤® शहर की à¤à¤• छोटी सी तà¥à¤²à¤¨à¤¾ मà¥à¤‚बई से करूठतो कà¥à¤› यूठसमठमें आता है – मà¥à¤‚बई में 2 से 3 किलोमीटर की दà¥à¤°à¥€ ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾ से 11 रà¥. में या टेकà¥à¤¸à¥€(कार) से 17 रà¥.में की जा सकती है जबकि आप इंदौर में 30 रà¥. से कम में ऑटो में बैठही नहीं सकते हैं. मà¥à¤‚बई में à¤à¤• वडा पाव जिसमें à¤à¤• आलà¥à¤¬à¤¡à¤¾ और à¤à¤• पाव तथा चटनी होती है 6 से 7 रà¥. में मिल जाता है जबकि अकेला आलà¥à¤¬à¤¡à¤¾ इंदौर में 8 रà¥. से कम में नहीं मिलता है. निमà¥à¤¬à¥‚ पानी à¤à¤• गà¥à¤²à¤¾à¤¸ मà¥à¤‚बई में 4 रà¥. का उपलबà¥à¤§ है जबकि यही इंदौर में 8 से 10 रà¥. में मिलता है. पाव मà¥à¤‚बई में 1 रà¥. का à¤à¤• मिलता है यही इंदौर में 2 रà¥. से कम कहीं नहीं है.मà¥à¤‚बई के à¤à¤• सà¥à¤ªà¤° मॉल में तरबूज 8 रà¥. पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•िलो मिल जाता है जबकि यही तरबूज इंदौर में 15 रà¥. किलो मिलता है.à¤à¤¸à¥€ और à¤à¥€ बहà¥à¤¤ सी चीजें मैंने देखी जो मà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ ससà¥à¤¤à¥€ लगीं. पता नहीं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लोग मà¥à¤‚बई को नाहक बदनाम करते रहते हैं? और हाठà¤à¤• चीज़ तो à¤à¥‚ल ही गया मà¥à¤‚बई लोकल में 8 से 10 किलोमीटर का सफ़र मातà¥à¤° चार रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में तय किया जा सकता है. खैर चलिठचलते हैं हमारे अगले डेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨à¥‡à¤¶à¤¨…….बाबà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर.
बाबà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर:
बाबà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर मà¥à¤‚बई में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शिव मंदिर है. मंदिर à¤à¤• पहाड़ी पर समà¥à¤¦à¥à¤° तल से लगà¤à¤— 1000 फिट की दà¥à¤°à¥€ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. मंदिर पर लिफà¥à¤Ÿ से à¤à¥€ जाया जा सकता है, लेकिन लिफà¥à¤Ÿ समय सारणी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° चलती है. हम लोग जब मंदिर पहà¥à¤‚चे तब लिफà¥à¤Ÿ चल रही थी अतः हम सब लिफà¥à¤Ÿ से ही मंदिर पहà¥à¤‚चे.
कहा जाता है की बाबà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ शिवलिंग तथा मूरà¥à¤¤à¤¿ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ सबसे पहले 12 वीं शताबà¥à¤¦à¥€ में उस समय के हिनà¥à¤¦à¥‚ राजा à¤à¥€à¤®à¤¦à¥‡à¤µ ने की थी. सदियों पहले यह शिवलिंग तथा मूरà¥à¤¤à¤¿ समय के गरà¥à¤¤ में समा गईं थीं तथा बाद में सन 1700 से 1780 के बीच में इन मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤¨à¤ƒ खोजा गया. पहला मंदिर सन 1780 में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हà¥à¤†.

बाबà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर से दिखाई देती à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सबसे ऊà¤à¤šà¥€ जà¥à¥œà¤µà¤¾à¤ बिलà¥à¤¡à¤¿à¤‚ग “इमà¥à¤ªà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤² टॉवरà¥à¤¸”
बाबà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ के पहले मंदिर की देख रेख तथा पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ समाज के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया जाता था. 1890 में यहाठगà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने पैसा इकठà¥à¤ ा करके तथा बड़ोदा के महाराजा सयाजी राव गायकवाड के सहयोग से नया मंदिर बनाया तथा अà¤à¥€ जो मंदिर यहाठसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है वह 1890 में बनवाया गया है. 1980 तक बाबà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर मà¥à¤‚बई का सबसे ऊà¤à¤šà¤¾ मंदिर था.
आज के समय में यह मà¥à¤‚बई का सबसे सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मंदिर है तथा हर सोमवार को महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ पर यहाठà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की à¤à¥€à¥œ उमड़ती है. बाबà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के बाद अब हमारी अगली मंजिल थी……..तारापà¥à¤°à¤µà¤¾à¤²à¤¾ à¤à¤•à¥à¤µà¥‡à¤°à¤¿à¤¯à¤®.
तारापà¥à¤°à¤µà¤¾à¤²à¤¾ à¤à¤•à¥à¤µà¥‡à¤°à¤¿à¤¯à¤®:
तारापà¥à¤°à¤µà¤¾à¤²à¤¾ मछलीघर मà¥à¤‚बई शहर का à¤à¤•मातà¥à¤° à¤à¤•à¥à¤µà¥‡à¤°à¤¿à¤¯à¤® है जिसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सन 1951 में आठलाख रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की लागत से हà¥à¤† था. यहाठपर समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ तथा सà¥à¤µà¤šà¥à¤› पानी की 100 से à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ की मछलियाठऔर पानी के अनà¥à¤¯ जीव जैसे कछà¥à¤, à¤à¥€à¤‚गे, इल, सà¥à¤Ÿà¤¾à¤° फिश आदि पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ किये गठहैं. à¤à¤• अलग ककà¥à¤· में बोतलों में समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ तथा पानी के जीवों के जीवाशà¥à¤® तथा मछलियों को संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करके रखा गया है. यह à¤à¤•à¥à¤µà¥‡à¤°à¤¿à¤¯à¤® पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ मरीन डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ के नजदीक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. इसका नाम à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ समाजसेवी के नाम पर रखा गया है जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसके निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लिठदो लाख रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का दान में दिठथे.
आज के हमारे à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के दौरान हमें विशाल जी ने à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही नायाब चीज़ के दरà¥à¤¶à¤¨ करवाà¤, और वो है “à¤à¤‚टीलिया” पहचाना आपने? विशà¥à¤µ का सबसे महंगा घर “à¤à¤‚टीलिया”. पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ उदà¥à¤¯à¥‹à¤—पति मà¥à¤•ेश अमà¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ का घर “à¤à¤‚टीलिया”. तो आइये हो जाये कà¥à¤› जानकारी इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सबसे महंगे घर के बारे में.
à¤à¤‚टीलिया- मà¥à¤•ेश अमà¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ का निवास:
à¤à¤‚टीलिया दकà¥à¤·à¤¿à¤£ मà¥à¤‚बई में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• सतà¥à¤¤à¤¾à¤ˆà¤¸ मंजिला à¤à¤µà¤¨ है (उंचाई के हिसाब से साठमंजिल के बराबर) जो की रिलायंस उदà¥à¤¯à¥‹à¤— के अरबपति चेयरमेन मà¥à¤•ेश अमà¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ का निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है. इस घर की देख रेख के लिठपà¥à¤°à¥‡ 600 का सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« है और इसी वजह से इसे विशà¥à¤µ का सबसे महंगा घर करार दिया गया है. इसे 21 वीं सदी के à¤à¤¾à¤°à¤¤ का ताज महल à¤à¥€ कहा जाता है.
इस घर में मà¥à¤•ेश अमà¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ उनकी पतà¥à¤¨à¥€ नीता अमà¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€, उनके दो बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤µà¤‚ उनकी माठकोकिला बेन अमà¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ रहते हैं.

मà¥à¤•ेश अमà¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ के घर के सामने मà¥à¤•ेश à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡
à¤à¤‚टीलिया की विशेषताà¤à¤‚:
1. 40000 सà¥à¤•े. फीट रहने की जगह.
2. 168 कारों के लिठपारà¥à¤•िंग की जगह.
3. à¤à¤• पूरी मंजिल वाहनों की मरमà¥à¤®à¤¤ तथा रख रखाव के लिà¤.
4. 9 लिफà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ तथा 3 हेलीपेड.
5. 50 लोगों के बैठने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ वाला थियेटर आठवें माले पर.
इस दà¥à¤°à¥à¤²à¤ घर को हर कोण से निहारने के बाद हम चल पड़े अपनी अगली मंजिल ताज महल होटल à¤à¤µà¤‚ गेट वे ऑफ़ इंडिया की ओर.
ताज महल होटल:
ताजमहल होटल मà¥à¤‚बई के कोलाबा इलाके में गेट वे ऑफ़ इनà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ के सामने सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤‚त ख़ूबसूरत पांच सितारा होटल है तथा अपने à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ विशिषà¥à¤Ÿ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कला की वजह से मà¥à¤‚बई के कà¥à¤› चà¥à¤¨à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤¾ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• à¤à¥€ है.यह होटल पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक समूह टाटा गà¥à¤°à¥à¤ª की संपतà¥à¤¤à¤¿ है.
लगà¤à¤— 109 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ इस होटल ने अब तक विशà¥à¤µ à¤à¤° की कई पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ हसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की मेहमान नवाजी की है उनमें से कà¥à¤› हैं बिल कà¥à¤²à¤¿à¤‚टन, नोरà¥à¤µà¥‡ के रजा और रानी, डà¥à¤¯à¥‚क ऑफ़ à¤à¤¡à¤¿à¤¨à¤¬à¤°à¥à¤—, पà¥à¤°à¤¿à¤‚स ऑफ़ वेलà¥à¤¸, à¤à¤‚जेलिना जोली, बà¥à¤°à¥‡à¤¡ पिट, हिलेरी कà¥à¤²à¤¿à¤‚टन, बराक ओबामा, ओपà¥à¤°à¤¾ विनफà¥à¤°à¥€ और à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आनेवाली कई देशों की कà¥à¤°à¤¿à¤•ेट टीमें आदि. होटल में कà¥à¤² 565 कमरे हैं.
होटल का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ 16 दिसंबर 1903 में हà¥à¤† था, कहा जाता है की जमशेद जी टाटा को उस समय के मà¥à¤‚बई के à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ होटल वाटसन होटल में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ नहीं करने दिया गया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह होटल सिरà¥à¤« गोरे फिरंगियों को ही पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ देता था तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उसी समय निरà¥à¤£à¤¯ लिया की मैं इससे à¤à¥€ बड़ा होटल बनवाऊंगा.
इस होटल के वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• वासà¥à¤¤à¥à¤µà¤¿à¤¦ थे सीताराम खंडेराव वैदà¥à¤¯, अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° और डी.à¤à¤¨.मिरà¥à¥›à¤¾ लेकिन इस परियोजना को पूरà¥à¤£ किया अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ इंजिनियर डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚. à¤. चेमà¥à¤¬à¤°à¥à¤¸ ने.
गेट वे ऑफ़ इंडिया तथा समà¥à¤¦à¥à¤° तट से जो हिसà¥à¤¸à¤¾ इस होटल का दिखाई देता है वह वासà¥à¤¤à¤µ में इसका पिछवाडा है और सामने का हिसà¥à¤¸à¤¾ इसकी विपरीत दिशा में है.
à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है की इस होटल के वासà¥à¤¤à¥à¤µà¤¿à¤¦ (आरà¥à¤•िटेकà¥à¤Ÿ) ने गलती से समà¥à¤¦à¥à¤° (हारà¥à¤¬à¤°) की ओर इसका पिछला हिसà¥à¤¸à¤¾ बना दिया जबकि इस ओर अगला हिसà¥à¤¸à¤¾ होना था. होटल बन जाने के बाद उसे लोगों बार बार यह कहा की इतने सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° तथा महंगे à¤à¤µà¤¨ को आपे उलà¥à¤Ÿà¤¾ बना कर उसकी पूरी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ नषà¥à¤Ÿ कर दी. लोगों ने उसे इस बात पर इतना कोसा की वह मानसिक रूप से विकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ हो गया और उसने आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ कर ली.
लेकिन होटल पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन का मत है की सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ यह नहीं है, सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ यह है की à¤à¤¸à¤¾ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ जान बà¥à¤ कर किया गया है. à¤à¤¸à¤¾ संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ इसलिठकिया गया की घोडा गाड़ियाठजो शहर के अनà¥à¤¯ हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ से यहाठतक मेहमानों को लेकर आती थी उनकी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के लिठसमà¥à¤¦à¥à¤° से विपरीत दिशा में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° बनाना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤• था. (अब सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ कà¥à¤¯à¤¾ है यह à¤à¤—वान ही जानता है)
गौरतलब है की 26 नवमà¥à¤¬à¤° 2008 को इस होटल पर à¤à¤• जबरदसà¥à¤¤ आतंकवादी हमला हà¥à¤† था जिसके बारे में हम सà¤à¥€ जानते है.
गेट वे ऑफ़ इंडिया:
गेटवे ऑफ़ इंडिया à¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• है जो की होटल ताज महल के ठीक सामने सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. यह सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• साउथ मà¥à¤‚बई के अपोलो बनà¥à¤¦à¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अरब सागर के बंदरगाह पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. यह à¤à¤• बड़ा सा दà¥à¤µà¤¾à¤° है जिसकी उंचाई 26 मीटर (85 फीट) है. अरब सागर के समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ मारà¥à¤— से आनेवाले जहाजों आदि के लिठयह à¤à¤¾à¤°à¤¤ का दà¥à¤µà¤¾à¤° कहलाता है तथा मà¥à¤‚बई के कà¥à¤› टॉप टूरिसà¥à¤Ÿ सà¥à¤ªà¥‹à¤Ÿà¥à¤¸ में से à¤à¤• है.
यह सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• किंग जोरà¥à¤œ पंचम तथा कà¥à¤µà¤¿à¤¨ मेरी के सन 1911 में समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ मारà¥à¤— से à¤à¤¾à¤°à¤¤ आगमन पर उनके सà¥à¤µà¤¾à¤—त के लिठबनवाया गया था.
यह हमारे मà¥à¤‚बई à¤à¥à¤°à¤®à¤£ का आखिरी दिन था. अगले दिन रात को हम पंजाब मेल à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ से अपने घर पहà¥à¤à¤š गà¤. अब इस शà¥à¤°à¤‚खला को मैं यहीं समापà¥à¤¤ करता हूठऔर अलविदा कहता हूठअपने साथियों से……………कà¥à¤› समय बाद उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होऊंगा अपनी अगली पोसà¥à¤Ÿ के साथ. तब तक के लिठहैपà¥à¤ªà¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी……………
























मुकेश भाई जोरदार लेखन के साथ समापन, इस पूरी बोम्बे वाली सीरिज में काफ़ी कुछ दिखाने की आपने कोशिश की है, बोम्बे में होते हुए विशाल ने आपको बोम्बे पूरा नहीं घुमाया जहाँ तक मुझे याद है कि उसने सिर्फ़ लोकल में ही घुमाया, यह तो उसकी अच्छी बात नहीं लगी, जैसा की आपने शुरु में बताया था कि आप उसके घर रुके उसके बाद उसकी नैतिक जिम्मेदारी बनती थी कि आपको स्वयं बोम्बे घुमाता, वैसे यह भी ठीक रहा कि आपके बताये अनुसार टैक्सी में बैठ कर अपने आप ही ज्यादातर जगहों पर घूम आये। विशाल से यह उम्मीद नहीं थी,
पहले मेरा इरादा विशाल के साथ बोम्बे घूमने का था लेकिन मुझे लग रहा है मुझे आने वाला वो ट्रिप अकेले ही करना पडेगा,
सबसे अच्छा लगा, मुकेश अम्बानी के घर के सामने व मुकेश भालसे वाला चित्र।
नई सीरिज कौन सी ला रहे हो?
संदीप भाई,
बहुमूल्य टिप्पणी के लिए आपको धन्यवाद. मैं ऐसा नहीं कहूँगा की विशाल ने हमें ठीक से घुमाया नहीं, विशाल हर जगह हमें अपने साथ ही लेकर गया था और इतनी जगहों में से एक भी जगह हम अकेले नहीं गए थे, क्योंकि हमें मुंबई की कोई जानकारी नहीं थी. आज के समय में मुंबई जैसे महानगर में एक अनजान परिवार को तीन दिन के लिए अपने घर में मेहमान नवाजी करवाना और अपने साथ घुमाना अपने आप में बहुत बड़े दिल वाली बात है इसलिए मुझे इस मामले में विशाल से कोई शिकायत नहीं है बल्कि मैं उसका शुक्रगुज़ार हूँ. शायद आपको इस मामले में कुछ ग़लतफ़हमी हुई है.
आमची मुंबई का ये सफ़र बहुत ही सुहाना रहा | कुछ महीने पहले एक विदेशी मेहमान official ट्रिप पे आए ,दिल्ली का काम ख़तम करने के बाध हम चल दिए मुंबई | जसलोक हॉस्पिटल अंतिला के पास ही है , जब मेने उनको अंतिला दिखाया तो उनके मुह से एक ही बात निकली ” its a wastage of money ” , पाँच लोगों के लिए 27 मंज़िला घर , 600 लोग सेवा के लिए |
महेश जी,
प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया. वैसे बात तो उस फिरंगी की सही ही है, हमारे जैसे देश के लिए इतना खर्चीला आवासीय भवन सचमुच दौलत का दिखावा ही है और कुछ नहीं.
चलिए सीरीस खतम करने पर बधाई . मुझे नहीं लगता किसी ने घुमाक्कर पर पहले मुंबई के ऐसे दर्शन करवाए. वडा पाँव मुंबई कि जान है . आपको हर एक गली में एक वडा पाँव बेचने वाला मिल ही जयीगा और बहुत स्वादिस्ट होता है और और खाने के मुकाबले सस्ता भी. अब जम्बो वडापाव करके एक दूकान है जिन्होंने हर एक स्टशन के सामने दुकानों कि चैन खोली है.
बाबुलनाथ मंदिर बहुत शांत जगह है थोडा ट्राफिक से दूर ऊपर एक छोटे पहाड़ पर और शिवलिंग बहुत सुन्दर है , आपने शिवलिंग का फोटो तो लिया था . लगाया क्यूँ नहीं ?????
एंटीलिया की कहानी में सबसे बड़ा मजाक यह है की मुकेश अम्बानी वहा पर रहते ही नहीं क्यूंकि उसमे वास्तु दोष है और यह उसे बादमे पता चला. अब उनका परिवार वह घर में पार्टी करता है और चला जाता है. इतना खर्चा करने के बाद ऐसी हालत . भोगी के पास वास्तु है लेकिन उसे भोग नहीं सकता.LOL.५००० करोड रू का घर और रहते है मुकेश अम्बानी के नौकर .LOL.
ताज महल होटल फिरभी बहुत बड़ा स्मारक है . सोचो पाकिस्तानियों ने इसे चुना था हमलों के लिए.लगातार साडे तीन दिन तक यहाँ बमबारी और गोलीबारी की थी.
लोगोको मुंबई दर्शन कराने के लिए धन्यवाद.
कमेन्ट के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद. वड़ा पाव मुझे भी बहुत पसंद आया, और सबसे अच्छा वड़ा पाव मुझे लगा था मडगांव रेलवे स्टेशन का. शिवलिंग का फोटो लगाना मुझसे छुट गया, अब लगा दूंगा.
क्या बात हैं मुकेश भाई अन्तिलिया के बाहर खड़े हुए बिलकुल अम्बानी लग रहे हो. ये भारत के लिए गौरव कि बात हैं कि जो दुनिया का सबसे महंगा घर मुंबई मैं मुकेश अम्बानी का हैं. और भाई आपका बटाटा बड़ा पाव देखकर तो ऐसा लगता हैं कि काश यह कंप्यूटर से निकल कर हमारे मुह मैं आ जाए. यह तो मुंबई का राष्ट्रीय खाना हैं. गेटवे ऑफ इंडिया तो मुंबई कि शान हैं ही, साथ साथ होटल ताजमहल भी. आपके साथ हम भी अक्खा मुंबई घूम लिए धन्यवाद.
क्षमा चाहता हूँ प्रवीण जी मै ऐसे कमेन्ट कभी नहीं करता जिससे लोगो को ठेस पहुचे लेकिन यह कोई गौरव की बात नही कि दुनिया का सबसे मेहेंगा घर मुंबई में भारत में है . भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा भूखे बच्चे है जिससे हम malnutrition कहते है .उसपर ऐसी टिपण्णी ठीक नहीं. यह बात तो भारत के और दुनिया के बड़े लोगो ने कही है इस आलिशान घर के बारे में.तो फिर किस बात का गौरव ?
इसके देखा देखी अनिल अम्बानी ने bandra में कार्टर रोड पर अपना आशियाना बनाना शुरू किया . यानी यह उससे भी मेहेंगा होगा .
और हाँ वडा पाँव मुंबई का राष्ट्रीय खाना है , यह बात समज में नहीं आई . मुंबई का राष्ट्रिय क्या होता है राष्ट्रीय भारत का होता है. आप यह कह सकते है मुंबई का पसंदीदा खाना कह सकते हो . और गेटवे ऑफ इंडिया भारत की शान है क्यूंकि वोह गेटवे ऑफ इंडिया है गेटवे ऑफ मुंबई नहीं.
धन्यवाद.
rastriya nahi bada paw mumbai ka rajkiya khana hai.
विशाल जी मैंने ये बात किसी को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं की, मुकेश जी का नाम मुकेश अम्बानी से मिलता हैं मैंने इसलिए कंहा था. रही बात अन्तिलिया की वो चाहे ६००० करोड में बना हो या फिर १०००० करोड में बना हो, उसमे हमें और आपको तो रहना नहीं हैं, हाँ ये बात है की जिस भारत को विदेशो में भूखा नंगा कहा जाता हो यदि उसके लोग ऐसे शानदार घर बनवा रहे हो तो उसमे दिक्कत क्या हैं, चाहे उसमे मुकेश अम्बानी हो या फिर लक्ष्मी मित्तल हो, ये लोग हमारे देश की प्रगति के प्रतीक हैं, ना की ये ठग नेता, जिन्होंने कई लाख करोड स्विस बैंको में भर दिए हैं. रही बात गेटवे ऑफ इंडिया की मैं अपनों बात में सुधार करते हुए इसे भारत की गुलामी की निशानी कहूँगा. बड़ा पाँव को राष्ट्रीय कहलो, राजकीय कहलो, है तो मुंबई का खाना, जिसे अमीर हो या गरीब सभी बड़े चाव से खाते हैं.
प्रवीण जी नमस्कार,
जब हमारे देश में प्रगति कर रहे हो और भारत के लोगो द्वारा और भारत के संसाधन इस्तमाल करके तो भारत देश और उसके लोगो का भी सोचना चाहिए . मै उनके पास के धन कि अपेक्षा किसी को दान या सेवा में लगाने कि नहीं कर रहा हूँ. लेकिन मै आपको केवल एक उदाहरण देना चाहता हूँ. मुंबई और दिल्ली में ऐसे कई घर जिसमे केवल बाथरूम कि लाइट जलाने के लिए ६ से ७ बल्ब और फोकस इस्तेमाल करते है और उनके घर पर light sensors है जो दिन हो या रात हो यह देखे बार ही कोई उधर से गुजरता है तो लाइट on हो जाती है और उसको हाथो से चला नहीं सकते. हमारे मुकेश अंबानी उस घर में रहते नहीं है क्यूंकि वास्तु दोष है लेकिन पूरे दिन पूरी रात उनके २७ माले कि बिजली जलती है. उनका घर जितनी बिजली इस्तमाल करता है उनसे मेरे घर के जैसे कम से कम ५०००० घर तो जल सकते है . ऐसे बहुत सारे घर है मुंबई जो ऐसे है. आजकल फ्लेट के हाल में फ़ाल्स सीलिंग लगाकर एक ट्यूब लाईट कि जगह १० – १२ लाईट लगाते है .
इसकी वजह से मुंबई के बहार वाले छोटे छोटे शहर में ” लोड शेडिंग ” होता है . बेचारे पैसे भरने कि योग्यता होने बावजूद ७ – ८ घंटे बिना बिजली के रहते है . यह हाल कल्याण , बदलापुर , अम्बरनाथ , नवी मुंबई आदि शहरों में है . इसके वजह से उन करोडो लोगो कि आर्थिक , मानसिक और भाव्तिक नुकसान होता होती है.
मेरे ख़याल से दिल्ली के आजू बाजू के शहर में येही हाल है कि बिजली कि कमी है. घाजियाबाद , मीरट , मुज्ज़फर्नगर . आदि .है ना ?
फिर बिजली कि कमी के कारण प्राइवेट कंपनी अपने बिजली के tariff बढ़ाती है .
और रही बात नेताओं कि, आपको क्या लगता नेता के साथ यह व्यह्पारी लोग नहीं मिले है . नेता लोग देश कि पोलिसी इनके फायदे के हिसाब से ही बनाते है. क्या यह आपको नहीं पता ?
यह तो केवल एक उदाहरण है और ऐसी सब वजहों से भारत में इतनी मेहेंगाई कि मार हम आप जैसे आम जनता को ही सहनी पड़ती है , उनको तो कोई फरक नहीं पड़ता. और यह पैसे आम जनता कि है जो बिजली कंपनी ( रिलाइंस एनर्जी ) को ही जाता है . जनता के पैसे उनके पास जाते है और जनता को पता ही नहीं होता .और आप उनको ही भारत का गौरव कहते हो. अगर भारत का गौरव कहना है तो गाँधी, मथर टेरेसा ,तिलक,पटेल ऐसे बहुत से लोग है जिन्हें आप कह सकते हो. और आप business icon या परगति का प्रतिक संमजते हो तो धीरूभाई अम्बानी को कह सकते हो जिन्होंने शुन्य से शिखर तक प्रगति कि है. वे चाहते तो ऐसा घर बना सकते थे .लेकिन भाई उन्होंने दुनिया देखी थी.
वैसे मै भी कोई विवाद नहीं चाहता बस केवल आपको यह चीज़े बताना चाहता हूँ. धन्यवाद .
विशाल जी मैं आपकी बात से सहमत हूँ, धन्यवाद.
I agree with Vishal ji. Any how Mukesh ji have bring Mumabi in this blog in a very interesting manner. I have been in Mumbai but couldn’t saw babulnath temple. Thanks for providing the details and photographs.
I would say that there is every right to Mukesh Ambani to spend his money. But,any wastage of resources should be avaoided. You can spend luxury life but please don’t make a mockery of millions indians by showing off in such wastage of money. Antilla is not an architectural marvel, nor it is a milestone for any building design. it shows the bad taste and bad aesthetic sense of the owners. It even doesn’t represents the progress of India.
bilkul sahi, sachhi aur kadvi baat kahi hai aap ne bhai sahab!!
@ प्रवीण जी,
बहुत बहुत धन्यवाद इस प्रयास को पसंद करने के लिए, आगे भी कोशिश रहेगी ऐसा ही कुछ अच्छा लेकर आने की.
बहुत बढ़िया … एक सुन्दर सहर का सुन्दर वर्णन .. मरीन drive मुंबई की एक ख़ूबसूरत और मेरी पसंदीदा जगह है … रात को १२ बजे के बाद आप मरीने drive जायेंगे तो तो अलग ही माहौल रहता है … इस जगह पर बैठ कर बहुत लोगो ने सपने देखे हैं और वो पुरे भी हुए हैं … एक यात्रा का वर्णन ख़तम हुआ ताकि दूसरी यात्रा की जाये और फिर उसके बारे में सबको बताया .. और हमारी जिंदगी की तरह ये कभी रुकना नहीं चाहिए..
सुबोध,
आपके द्वारा निरंतर उत्साहवर्धन और सपोर्ट के लिए मैं आभारी हूँ. क्या आपने कोई सपना देखा है, मेरिन ड्राइव पर बैठकर? अब अगला टूर तो सुबोध जी, कुछ सितम्बर अक्तूबर में प्लान कर रहे हैं. बिच में कोशिश करूँगा आपको मेरे आस पर की कुछ जगहों की सैर कराने की.
Dear Mukesh ,
If I am not wrong , Hotel Taj Mahal is India’s first five star hotel.
Mahesh ji,
There is a controversy between hotel Sun and Sand Mumbai and Hotel Tajmahal on being first 5 Star hotel in India, Also Hotel Ashoka Delhi claims for the same. If someone knows the fact please share.
Taj Mahal Hotel was inaugurated in 1903, making it the first luxury hotel in India. Monarchs, Heads of Government and Heads of State have stayed here. It is the first choice for those who can afford it.
Star rating of hotels was not done in those days. The Ashoka and Sun n Sand were built in the post Independence era so while they might have applied for a star rating from an accreditating agency and acquired such a rating, they can in no way be compared with the Taj which is one of the best in the world.
The story goes that J.N.Tata was refused entry into a British run luxury hotel since Indians were not allowed as guests. This made him decide to build the finest hotel in India in Mumbai. Though it is over a century old and was subjected to a dastardly terrorist attack, it remains India’s finest hotel by far.
very good and informative post about mumbai. nice photos.
@mukesh- intend no harm, in my personal opinion family photos should be less on a public forum.
@ vishal- every one want to show his wealth, so nothing wrong in antilia. your pakistan attack example is very bad. i am agree with you about vada pao and gateway of india.
@ mahesh- ambanis are a example for every indian. if he have 600 people in his staff, whats wrong ?. he is a big businessman.
i am not a spokesperson from reliance or mukesh ambani. but, once i read somewhere in ghumakkar.com from nandan – we should refrain from personnel comments.
once again, thanx mukesh bhalse for a trip of mumbai- dream city of every indian.
thanx
Lakshay,
Thanks for your encouraging words.
मुंबई एक मात्र शहर नहीं, एक सम्पूर्ण तंत्र है :-) | ना जाने कितने लोगो का प्रेरणादायक बना है, कितने ही गाने, कितनी ही फिलिम | मैं मुंबई कम से कम ६-८ बार गया हूँ पर कभी भी पयर्टन के दृष्टि से नहीं घूम पाया | मुकेश, बहुत ही विस्तार और तन्मयता से आपने मुंबई के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया , साधुवाद |
क्या सही है, क्या ग़लत , ये एक बहुत बड़ा सवाल है | हर आदमी अपनी सूझ बूझ से सही करने की कोशिश करता है | घुमक्कड़ घुमक्कड़ी पर फोकस्ड रहे तो सबसे बढ़िया, जय घुमक्कड़ी |
धन्यवाद नंदन, प्रयासों की सराहना के लिए.
समुद्र तट पर स्थित होने होना भी इस शहर की खूबसूरती का एक अहम् कारण है. जब हम मुंबई घूम रहे थे, हमें आश्चर्य होता था की कहीं से भी घूम घाम कर जाओ कहीं न कहीं समुद्र मिल ही जाता है.
I do agree that we shouldn’t make personal comments. But, we all are human beings and sometimes emotinal. We can’t be a Ghumakkar with our mind closed and mouth shutted. Ghumakkar is a large family and we should respect each other comments and views and there should be the freedom to express the way we think. We all are sensible enough to know where to stop any open ended argument.
Ghumakkare Jindabad. Jai Ghumakadi.
मुकेश जी…..
आपने भारत की आर्थिक राजधानी, करोड़ो लोगो का सपनो का शहर “मुंबई” के बारे काफी अच्छे और जानकारी युक्त वर्णन किया हैं |
मुंबई के बारे में इस सुन्दर श्रृंखला के समापन पर आपको बहुत-बहुत बधाई….|
आपने अपने लेख में बड़ा पाव का जिक्र किया बहुत अच्छा लगा जानकार ….बड़ा पाव मुंबई के आलावा गोवा में भी बहुत प्रसिद्ध हैं …अपनी गोवा यात्रा (पण जी) में हम नाश्ते सुबह-शाम “बटाटा बड़ा पाव” और “मिर्ची पाव” ही खाते थे और हमें तो बहुत ही स्वादिष्ट लगे थे…गोवा में भी ज्यादातर बड़ा पाव का ही चलन हैं |
मुंबई के बाबुलनाथ महादेव मंदिर, तारापुरवाला एक्वेरियम, एंटीलिया, ताज महल होटल एवं गेटवे ऑफ़ इंडिया के बारे में काफी कुछ जानने को मिला और इन सभी जगह के फोटो भी बहुत अच्छे लगे.. |
अंत में आपके साथ लेख के माध्यम से मुंबई घूम कर बहुत अच्छा लगा….|
धन्यवाद
रितेश,
आपकी कमेंट्स के तो हम शुरू से मुरीद हैं, सीधा सच्चा और सटीक आकलन.
धन्यवाद.
This was great series Mukesh ji. I have seen only Gateway of India, during all my visits to Mumbai
thanks for showing Bombay in details. you have taken care of minute details.
I was surprised to know that Bombay is cheaper than Indore this is unbelievable, yet true as per your account.
So your Name sake Mukesh has gifted such costly house to his wife…by taking cue from him you should also gift something similar to Kavitaji.
I enjoyed the series.
Silent sol ji,
Thank you very much for your heartening comment. Yes sir, Mumbai takes care of people of all financial standings from richer to poorer.
And yes Kavita’s Birth day is coming on 26th of this month (4 days later) so…………………..गिफ्ट तो बनता है.
Some remarkable quotes about Antilia, Sourse- Wikipedia.
-“ It’s a stupendous show of wealth, it’s kind of positioning business tycoons as the new maharajah of India” — Hamish McDonald, author of Ambani & Sons: A History of the Business.
-Recently Ratan Tata said that “It’s sad Mukesh Ambani lives in such opulence”
-Some Indians are proud of the “ostentatious house”, while others see it as “shameful in a nation where many children go hungry. ” Dipankar Gupta, a sociologist at New Delhi’s Jawaharlal Nehru University, opined that “such wealth can be inconceivable” not only in Mumbai, “home to some of Asia’s worst slums,” but also in a nation with 42 percent of the world’s underweight children younger than five.
पहला फोटो बड़ा पाव का देखकर मुंह में पानी आ गया.
भगत सिंह जी,
वडा पाव सचमुच बड़े काम की चीज है, स्वाद तो लाजवाब है ही, दो खा लो तो पेट भी भर जाता है. इंदौर में तो नहीं मिलता, भोपाल में मिलता है क्या?
Thank you, Mukesh, for a wonderful series on Mumbai. Truly loved it and enjoyed it. You have showcased all the facets of Mumbai from shrines to star homes and everthing in between.
It felt nice to see you posing in front of a white elephant called Antilia. While I wish that one day you too will become as rich as your namesake, the Chairman of RIL, I am sure that you will live in a simple house and spend the rest on charity.
DL (It happens very tough for me to write only DL, but to take care of your wish I am bound to),
Thanks you sir for your appreciation and encouragement. You are absolutely right, If I will be blessed with such huge amount of wealth I’ll definitely live in a simple home and will spend the rest for welfare of unprivileged.
Thanks.
मुकेश अम्बानी के घर के सामने मुकेश भालसे
शानदार कैप्शन। हंसी रुक नहीं रही है।
आज आपने एक प्रयोग किया है, मुझे बहुत अच्छा लगा। आपने कविता जी के साथ खुद को भी दिखाना शुरू कर दिया है। आपकी जोडी अच्छी लगती है।
जाट महाराज,
आज पहली बार आपके मुंह से अच्छी बातें सुनकर मैं धन्य हुआ. ईश्वर से कामना करूँगा की आपको भी जल्द ही बड़ी अच्छी सी, सुन्दर सी जाटनी मिले, और आपकी जोड़ी भी खूब जमें.
मुकेश जी, आपको अन्दाजा नहीं होगा कि मैंने ऊपर वाले कमेण्ट की पहली लाइन लिखने में कितनी मेहनत की। मुझे वो कैप्शन अच्छा लगा, और मुझे उसका जिक्र जरूर करना था, लेकिन साथ ही यह भी डर था कि कहीं आप इसे कटाक्ष ना समझ बैठें। कई बार लिखा और मिटाया, लिखा और मिटाया, हर बार यही लगता था कि मुकेश इसे कटाक्ष समझेंगे। कहां अम्बानी और कहां भालसे- कुछ इस तरह का कटाक्ष। आखिरकार लिख ही दिया।
मैं तो हमेशा से अच्छी बातें ही कहता था, तभी तो आप हमेशा मानते थे। अगर मैं उस दिन कविता जी को ना हटवाता, तो आज आपकी जोडी नहीं दिखाई देती। सारा आकर्षण कविता जी ही ले जाती थीं।
मुकेश जी बहुत अच्छा वर्णन आप ने मुंबई के बारे में किया है. वडा पाँव बहुत बढिया, आयल फ्री डिश है और हर सब्जी मिक्स होती है. मुंबई को छोड़ कर बहुत कम लोग जा पाते हैं, खुदा जाने समुदर से घिरे टापू में ऐसी कौन शक्ति है . धन्यवाद.
शर्मा जी,
आपको वर्णन पसंद आया, मेरे लिए बड़े ही हर्ष की बात है. मुंबई में आकर्षण है इसीलिए तो इसे मायानगरी कहते है. और वडा पाव की तो बात ही निराली है. पिछले दो तीन दिनों में वडा पाव का इतना जिक्र जेहन में आया है की बस अब तो खाने का मन हो रहा है.
मैं अभी तक मुंबई नहीं गया हूँ , लेकिन आपकी मुंबई सीरीज के माध्यम से काफी जगह देख ली. आपने पूरी तसल्ली और तन्मयता के साथ छोटी से छोटी चीज़ों का विवरण लिखा है. मुंबई दर्शन कराने के लिए धन्यवाद.
दीपेन्द्र,
सुन्दर शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर करने के लिए धन्यवाद.
मुकेश जी बडा पाव खाया बढिया लगा पर भेलपूरी हमें बढिया नही लगी । आपने बहुत बढिया मुम्बई दर्शन कराये । मजेदार सीरीज जिसमें मै रेगूलर जबाब नही दे पाया बाहर होने के कारण
मनु,
उम्मीद है आपकी यात्रा यादगार रही होगी. कब दिखा रहे हैं इस यात्रा की झलकियाँ?