इस बार फरवरी का महीना मेरे लिये à¤à¤• सà¥à¤–द समाचार लेकर आया। बैंक में सà¥à¤à¤¾à¤µ मिला कि मà¥à¤à¥‡ अपनी इंदौर और धार शाखाओं की à¤à¥€ सà¥à¤§-बà¥à¤§ लेते रहना चाहिये ! मैने कहा, “तथासà¥à¤¤à¥â€Â और इससे पहले कि कोई बाधा आये, 14 फरवरी का अमृतसर – इनà¥à¤¦à¥Œà¤° à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ से आरकà¥à¤·à¤£ करा लिया। देहरादून – इनà¥à¤¦à¥Œà¤° और देहरादून – उजà¥à¤œà¤¯à¤¨à¥€ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ रेलवे ने कई महीने से कोहरे के नाम पर बनà¥à¤¦ कर रखी थीं। मà¥à¤à¥‡ समठनहीं आया कि जो टà¥à¤°à¥‡à¤¨ सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में दो दिन देहरादून से और दो दिन अमृतसर से, वाया सहारनपà¥à¤°, इनà¥à¤¦à¥Œà¤° / उजà¥à¤œà¤¯à¤¨à¥€ जाती है, उसे दो दिन कोहरा मिलता है और दो दिन नहीं – à¤à¤¸à¤¾ कैसे संà¤à¤µ है? कà¥à¤·à¤£ à¤à¤° के लिये अगर मान लें कि अमृतसर से सहारनपà¥à¤° आते हà¥à¤ कोहरा नहीं मिलता है तो जालंधर से नई दिलà¥à¤²à¥€ जाने वाली सà¥à¤ªà¤°à¤«à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿ à¤à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनà¥à¤¦ है? दूसरी ओर, अगर देहरादून से सहारनपà¥à¤° आते हà¥à¤ सà¥à¤¬à¤¹ कोहरा होता है तो देहरादून से तो और à¤à¥€ कई टà¥à¤°à¥‡à¤¨ आ रही हैं, उनको कोहरा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं मिलता ? पर छोड़िये, अपà¥à¤¨ बिज़ी आदमी हैं, रेलमंतà¥à¤°à¥€ से à¤à¤• मारने का अपà¥à¤¨ के पास कहां टैम है ! रेलवे वालों के तरà¥à¤• तो नीली छतरी वाला à¤à¥€ आज तक नहीं समठपाया, हम कà¥à¤¯à¤¾ समà¤à¥‡à¤‚गे?
आरकà¥à¤·à¤£ कराने से पहले घर पर शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी से पूछा था कि पांच दिन के लिये इनà¥à¤¦à¥Œà¤° – धार चल सकती हैं कà¥à¤¯à¤¾?  पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कह दिया कि मैं तो दिन à¤à¤° बैंक में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ रहूंगा, वह अकेली होटल में बैठी बोर होती रहेंगी अतः मैं अकेला ही चला जाऊं! “जो आजà¥à¤žà¤¾, देवि !â€Â कह कर हमने अपना सामान (वही à¤à¤• बैग कपड़ों का, à¤à¤• लैपटॉप और कैमरे का, à¤à¤• बैग खाने का जिसमें दो à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ें, बैंक की फाइलें आदि थीं।) पैक कर लिया और यातà¥à¤°à¤¾ की तिथि पर सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤‚च गये।
सहारनपà¥à¤° सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का आगमन और यातà¥à¤°à¤¾ आरंà¤
टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का समय सहारनपà¥à¤° से सà¥à¤¬à¤¹ 9.55 का था अतः अपनी इकलौती धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ को बाय-बाय करके सà¥à¤¬à¤¹ साà¥à¥‡ नौ बजे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर पहà¥à¤‚च गया। साइकिल रिकà¥à¤¶à¥‡ से पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® नं0 5 तक पहà¥à¤‚चते-पहà¥à¤‚चते खाने वाले बैग की à¤à¤• तनी टूट गई। जैसे तैसे उसे संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¥‡ हà¥à¤ पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर पहà¥à¤‚चा। पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ मिनट की देरी से टà¥à¤°à¥‡à¤¨ आई। टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में चà¥à¤¨à¥‡ हेतॠफिर बैग उठाया तो à¤à¤Ÿà¤•े से दूसरी तनी à¤à¥€ टूट गई। शायद बैग कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही à¤à¤¾à¤°à¥€ हो गया था। अब कà¥à¤¯à¤¾ करूं? जैसे कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ के पिलà¥à¤²à¥‡ को बगल में दबाते हैं, à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• बैग को बगल में दबाया, कैमरे / लैपटॉप वाले बैग को पीठपर पहले ही लटका लिया था, अटैची में पहिये थे, सो अपने टू-टीयर वातानà¥à¤•ूलित ककà¥à¤· में जा पहà¥à¤‚चा। कोच को देख कर दिल को बड़ा धकà¥à¤•ा सा लगा। कोच की आयॠस. मनमोहन सिंह जितनी ही रही होगी पर उनके सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ विपरीत, à¤.सी. की आवाज़ बहà¥à¤¤ थी!     वैसे हो सकता है, सरदार जी के अनà¥à¤¦à¤° से à¤à¥€ खरà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥‡ लेने की à¤à¤¸à¥€ ही आवाज़ें आती हों, मेरा उनके साथ कोई परà¥à¤¸à¤¨à¤² तज़à¥à¤°à¥à¤¬à¤¾ तो है नहीं !   दूसरी समसà¥à¤¯à¤¾ जो मà¥à¤à¥‡ सबसे अधिक परेशान कर रही थी वह ये कि इस कोच में मेरे लैपटॉप के लिये चारà¥à¤œà¤° नहीं लग पा रहा था। पà¥à¤²à¤— तो थे पर पà¥à¤²à¤— होने मातà¥à¤° से कà¥à¤¯à¤¾ होता है, उनमें करंट तो नहीं था ना ! à¤à¤¸à¥€ ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ थी कि कहने को देश में सरकार तो है, पर काम नहीं करती !  मैने सोचा कि लैपटॉप को तो अब बनà¥à¤¦ ही रहना है, मन लगाये रखने के लिये कà¥à¤› और इंतज़ाम देखा जाये।  अपना सामान वगैरा सैट किया, पà¥à¤¨à¥‡ के लिये किताब निकाल ली। पà¥à¤²à¤— न होने के कारण मोबाइल को à¤à¥€ किफायत से इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करना था अतः उसका इंटरनेट बनà¥à¤¦ किया।
मेरे सामने वाली बरà¥à¤¥ पर सिरà¥à¤« à¤à¤• ही वृदà¥à¤§à¤¾ महिला बैठी थीं जिनका वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बहà¥à¤¤ à¤à¤µà¥à¤¯ था। पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ जैसे कटे हà¥à¤ छोटे मगर चकाचक सफेद बाल, आंखों पर लगे हà¥à¤ सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ फà¥à¤°à¥‡à¤® के चशà¥à¤®à¥‡ के पीछे से à¤à¤¾à¤‚कती हà¥à¤ˆ सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ परिपूरà¥à¤£ आंखें, आलथी-पालथी मार कर बैठी हà¥à¤ˆ, घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‹à¤‚ पर à¤à¤• शॉल । शांत – गंà¤à¥€à¤° । जब टी.ई.टी. से बात की तो धà¥à¤†à¤‚धार अंगà¥à¤°à¥‡à¥›à¥€ में ! उनकी बरà¥à¤¥ मेरे ऊपर वाली थी पर सामने की बरà¥à¤¥ खाली थी अतः वहीं बैठगई थीं ।  कà¥à¤› देर में जींस-टॉप से सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ दो यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ मà¥à¤ से पूछने लगीं कि मेरे सामने की सीट पर और कोई बैठा तो नहीं है। मैने कहा कि होगा तो à¤à¥€ उसे à¤à¤—ा देंगे, आप आना चाहो तो आ जाओ!  वह अपना सामान आदि वहीं सैट कर सामने वाली सीट पर डट गईं।
सामान सजाने के बाद दोनों यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• ने अपना बैग खोला, मोबाइल चारà¥à¤œà¤° निकाला, बैग पà¥à¤¨à¤ƒ बनà¥à¤¦ किया, अपने गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€ रंग के मोबाइल में चारà¥à¤œà¤° लगाया, फिर दोबारा बैग खोला, बैग के अनà¥à¤¦à¤° से à¤à¤• और परà¥à¤¸ निकाला, परà¥à¤¸ खोला, उसमें से इयर फोन निकाला, परà¥à¤¸ बनà¥à¤¦ किया, परà¥à¤¸ को बैग में रखा, बैग बनà¥à¤¦ किया, बैग को सीट पर रखा, मोबाइल में ईयर फोन लगाया, अपनी ज़à¥à¤²à¥à¤«à¥‹à¤‚ को ठीक से सैट किया, ईयर फोन का दूसरा सिरा कानों में लगाया, मोबाइल को खाना खाने वाली साइड टेबिल पर रखा, चारà¥à¤œà¤° को पà¥à¤²à¤— में लगाया, मोबाइल में लाइट जली कि नहीं, चैक किया, पà¥à¤²à¤— को खूब हिलाया- डà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾, सà¥à¤µà¤¿à¤š को बार-बार ऑन-ऑफ किया, पà¥à¤¨à¤ƒ लाइट चेक की।   पर वह पà¥à¤²à¤— तो हमारी केनà¥à¤¦à¥à¤° सरकार हà¥à¤† बैठा था! à¤à¤²à¤¾ कैसे काम करता !
अपनी आंखों में ढेर सारा उलाहना लिये हà¥à¤ मेरी ओर मà¥à¤–ातिब होकर वह बोली, “आपने बताया नहीं कि ये पà¥à¤²à¤— खराब है।“ मैने à¤à¥€ कह दिया, “पà¥à¤²à¤— ही तो खराब है, मेरा दिमाग थोड़ा ही खराब है जो आपको ये बात पहले ही बता देता।  फिर ढाढस बंधाते हà¥à¤ उनको कहा, “यू.पी. में लाइट गायब ही रहती है, हो सकता है दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤‚च कर टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के पà¥à¤²à¤— में à¤à¥€ करंट आ जाये।“ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने फिर निराश होकर फोन टेबिल से उठाया, ईयर फोन पहले कान में से निकाला, फिर मोबाइल में से निकाला, अपने बाल पà¥à¤¨à¤ƒ ठीक किये, बैग खोला, बैग में से परà¥à¤¸ निकाला, बैग बनà¥à¤¦ किया, परà¥à¤¸ खोला, ईयर फोन लपेट कर उसमें रखा, परà¥à¤¸ बनà¥à¤¦ किया, बैग को पà¥à¤¨à¤ƒ खोला और परà¥à¤¸ को बैग में रखा, बैग को बनà¥à¤¦ किया। बाद में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि उनकी बरà¥à¤¥ पर तो पà¥à¤²à¤— था ही नहीं, यहां पà¥à¤²à¤— लगा हà¥à¤† देख कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इन बरà¥à¤¥ पर शिफà¥à¤Ÿ करने की योजना बनाई थी।  पर खैर, वह दोनों अपनी बरà¥à¤¥ पर वापिस नहीं गईं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनकी वाली बरà¥à¤¥ à¤à¤•दम दरवाज़े के पास वाली थी और लगातार दरवाज़ा खोले जाने – बनà¥à¤¦ किये जाने से उनको सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• रूप से असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ हो रही थी।
मà¥à¥›à¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र में à¤à¤• अधेड़ यà¥à¤—ल कोच में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हà¥à¤† और अपना नंबर पूछता – पूछता हमारे वाले ककà¥à¤· में आया।  जैसा कि बाद में टी.ई.टी. ने राज खोला, हमारी ये कोच मोहन जोदड़ो की खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ में निकली थी । उतà¥à¤¤à¤°à¥€ रेलवे ने काफी सोच – विचार के बाद उसे अमृतसर – इनà¥à¤¦à¥Œà¤° à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ में लगा दिया गया था। इस कोच में सीट और बरà¥à¤¥ के नंबर à¤à¥€ कहीं लिखे हà¥à¤ दिखाई नहीं दे रहे थे।  खैर, उन दोनों कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं ने अपने सà¥à¤µà¤° में परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मिठास घोल कर उस यà¥à¤—ल को अपनी ओरिजिनल वाली सीटों पर पहà¥à¤‚चा दिया और टी.ई.टी. से à¤à¥€ पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ करा दी।
यह आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ ही था कि यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ हमारी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ अमृतसर से आई थी पर इस के बावजूद उसमें à¤à¤• à¤à¥€ सरदार जी दिखाई नहीं दे रहे थे। मैदान साफ देख कर हम लोग संता-बनà¥à¤¤à¤¾ और रजनीकांत के चà¥à¤Ÿà¤•à¥à¤²à¥‡ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ – सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ दोपहर को लगà¤à¤— 1.45 पर हज़रत निज़ामà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ तक पहà¥à¤‚च गये।  उन वृदà¥à¤§ महिला ने हमारे चà¥à¤Ÿà¤•à¥à¤²à¥‹à¤‚ में सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¤¾à¤— तो नहीं लिया परनà¥à¤¤à¥ हां, सà¥à¤¨ कर धीमे – धीमे मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥€ रहीं ।   à¤à¥‚ख लगी तो अपनी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पैक कर के दिये गये खाने की याद आई। अपने पिलà¥à¤²à¥‡ की (मेरा मतलब है, तनी टूटे हà¥à¤ बैग की) चेन खोली और खाना निकाल लिया। मेरी सहयातà¥à¤°à¤¿à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने Comesum से थाली का आरà¥à¤¡à¤° कर दिया। हमारा लंच खतà¥à¤® होते न होते, टà¥à¤°à¥‡à¤¨ ने आगे की यातà¥à¤°à¤¾ आरंठकी। कई और सवारियां जिनका आरकà¥à¤·à¤£ दिलà¥à¤²à¥€ से था, आकर बैठगई थीं।
आगरा में टà¥à¤°à¥‡à¤¨ रà¥à¤•ी तो पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® पर उतर कर दूर से ही रितेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ का सà¥à¤®à¤°à¤£
खाना खाने के बाद मैने तो लंबी तान ली और ये तीनों महिलाà¤à¤‚ न जाने कà¥à¤¯à¤¾ – कà¥à¤¯à¤¾ गपशप करती रहीं। राजा की मंडी (आगरा) सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ आया तो अपने घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ à¤à¤¾à¤ˆ रितेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ की याद आई। सो अपने मोबाइल से ही सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ की à¤à¤• फोटो खींच ली।  उनसे सचà¥à¤šà¥€-मà¥à¤šà¥à¤šà¥€ वाली मà¥à¤²à¤¾à¤•ात तो आज तक नहीं हो पाई पर फेसबà¥à¤• पर गप-शप अकà¥à¤¸à¤° ही होती रहती है। मैने उनको इस टà¥à¤°à¥‡à¤¨ से जाने के बारे में सूचना नहीं दी हà¥à¤ˆ थी पर फिर à¤à¥€ न जाने किस आशा में, पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर उतरा, कà¥à¤› पल चहल-कदमी की और फिर वापिस टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में आ बैठा। बाहर अंधेरा होने लगा था और खिड़की से कà¥à¤› दिखाई नहीं दे रहा था, अतः सामने वालों पर ही धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ किया। सोचा, बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को कà¥à¤› जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की बातें बताई जायें। घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ का ज़िकà¥à¤° शà¥à¤°à¥ कर दिया और बताया कि अगर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वह वेबसाइट नहीं देखी तो समà¤à¥‹ ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में कà¥à¤› नहीं देखा। वहीं बैठे – बैठे रितेश, मनà¥, जाट देवता, डी.à¤à¤². अमितव, ननà¥à¤¦à¤¨, मà¥à¤•ेश-कविता à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡, पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ वाधवा आदि-आदि सब का परिचय दे डाला।  रेलवे को à¤à¥€ कोसा कि लैपटॉप नहीं चल पा रहा है, वरना उनको घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ साइट à¤à¥€ दिखा डालता।
रात हà¥à¤ˆ, खाना खाया, कà¥à¤› देर किताब पà¥à¥€, फिर सामान को ठीक से लॉक करके और कैमरे वाले बैग को अपनी छाती से लगा कर सो गया। गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° में उतर कर अंधेरे में अपने मोबाइल से à¤à¤•-दो फोटो खींचने का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किया पर कà¥à¤› बात कà¥à¤› बनी नहीं। सà¥à¤¬à¤¹ पांच बजे आंख खà¥à¤²à¥€ और टà¥à¤°à¥‡à¤¨ लगà¤à¤— 7 बजे इनà¥à¤¦à¥Œà¤° सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर आ पहà¥à¤‚ची।
इनà¥à¤¦à¥Œà¤° की पà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤¬à¤¹ – पà¥à¤°à¤¥à¤® गà¥à¤°à¤¾à¤¸à¥‡ मकà¥à¤·à¤¿à¤•ापात !
अपनी आदत से मज़बूर मैं सहारनपà¥à¤° में रहते हà¥à¤ गूगल मैप को देख-देख कर इनà¥à¤¦à¥Œà¤° का नकà¥à¤¶à¤¾ काफी कà¥à¤› अपने दिल-दिमाग में बैठा चà¥à¤•ा था। मेरा आरकà¥à¤·à¤£ धार और इनà¥à¤¦à¥Œà¤° में किस – किस होटल में कराया गया है, वहां तक का रासà¥à¤¤à¤¾ किस-किस पà¥à¤°à¤•ार से है, यह सब मà¥à¤à¥‡ रटा पड़ा था। मेरी योजना थी कि 15 फरवरी को इनà¥à¤¦à¥Œà¤° सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से सीधे धार के लिये पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ करना है। शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° और शनिवार को धार शाखा में निरीकà¥à¤·à¤£ – परीकà¥à¤·à¤£ – पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ के बाद 16 की सायंकाल को ही इनà¥à¤¦à¥Œà¤° वापसी की जायेगी। 17 फरवरी को रविवार है अतः हो सका तो उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ जाऊंगा और रात तक वापिस इनà¥à¤¦à¥Œà¤° के होटल में।  18 और 19 को इनà¥à¤¦à¥Œà¤° शाखा को धनà¥à¤¯ किया जायेगा और 19 को अपराहà¥à¤¨ में ही टà¥à¤°à¥‡à¤¨ पकड़ कर सहारनपà¥à¤° के लिये वापसी।
पर गूगल मैप की à¤à¥€ कà¥à¤› सीमायें हैं। मेरी गाड़ी जिस पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® पर आकर रà¥à¤•ी, वह सियागंज वाली साइड थी। जबकि मैं नकà¥à¤¶à¥‡ में पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® 1 से बाहर निकलने की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ लगाये बैठा था। जैसा कि मà¥à¤à¥‡ इनà¥à¤¦à¥Œà¤° जाकर पता चला, पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® नं० 1 व 2 मीटर गेज़ के पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® हैं। पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® 3, 4 व 5 broad guage वाले पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® हैं। गाड़ी 5 नंबर पर आकर रà¥à¤•ी और सामने ही Exit थी, अतः à¤à¤• आटो पकड़ कर उसे गंगवाल बस अडà¥à¤¡à¥‡ चलने को बोल दिया। गंगवाल बस अडà¥à¤¡à¤¾, यानि इनà¥à¤¦à¥Œà¤° से धार जाने के लिये (और à¤à¥€ न जाने कहां – कहां) निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ बस अडà¥à¤¡à¤¾, रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से लगà¤à¤— 4 किमी दूर है।
बस अडà¥à¤¡à¥‡ पर जाकर पूछा कि धार कौन सी बस जायेगी तो टका सा उतà¥à¤¤à¤° मिला, “कोई सी à¤à¥€ नहीं !”
“कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤ˆ, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? à¤à¤¸à¥€ दिल तोड़ने वाली बातें कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कह रहे हो?”
इस पर à¤à¤• कंडकà¥à¤Ÿà¤° महोदय बोले, “धार में तो दंगा हो गया है, अतः करà¥à¤«à¥à¤¯à¥‚ लगा हà¥à¤† है, सीमायें सील हैं।”
“कमाल है, मेरे पहà¥à¤‚चने से पहले ही दंगा? और वह à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ बिना बताये? बिना पूछे ? ”
मैने अपने धार शाखा पà¥à¤°à¤¬à¤‚धक को फोन लगाया तो पता चला कि धार में बसंतपंचमी को जिस मंदिर में सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पूजा होती है, उसके ही बगल में à¤à¤• मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ à¤à¥€ है। आज शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° की दोपहर की नमाज़ à¤à¥€ उसी समय होनी है अतः ये सारा पंगा पड़ रहा है, जिसकी वज़ह से धार पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ ने करà¥à¤«à¥à¤¯à¥‚ घोषित कर दिया है, धारा 144 लगा दी गई है, और धार जनपद का बाहर से सब संपरà¥à¤• काट दिया है।   फोन पर यह à¤à¥€ बताया गया कि बसें à¤à¤²à¥‡ ही न चल रही हों, आप टैकà¥à¤¸à¥€ से आ सकते हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि टैकà¥à¤¸à¥€ पर धारा 144 लागू नहीं होगी ।  पà¥à¤°à¤¬à¤‚धक ने यह à¤à¥€ कह दिया कि आप गंगवाल बस अडà¥à¤¡à¥‡ पर ही दस मिनट पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करें, मैं अà¤à¥€ आपके लिये à¤à¤• टैकà¥à¤¸à¥€ का पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध कर रहा हूं, आप उससे धार आ जायें। मैने उस दस मिनट में बस – अडà¥à¤¡à¥‡ के ठीक सामने अपना सूटकेस, कैमरे का बैग और ’पिलà¥à¤²à¤¾â€™ टिकाया। सड़क के इस पार सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• ढाबे से पानी मांगा, कà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ आदि करके बोतल में पानी पà¥à¤¨à¤ƒ à¤à¤°à¤¾ और पोहे का आरà¥à¤¡à¤° किया।  मैं चूंकि अपने घर में à¤à¥€ हफà¥à¤¤à¥‡ में २ दिन नाशà¥à¤¤à¥‡ में पोहा खाता ही हूं, अतः पोहा खाना मेरे लिये विवशता नहीं थी।
लगà¤à¤— २० मिनट में à¤à¤• इंडिका टैकà¥à¤¸à¥€ आकर मेरे पास रà¥à¤•ी जिसका नंबर ठीक वही था जिसका वरà¥à¤£à¤¨ पहले मà¥à¤à¥‡ दिया जा चà¥à¤•ा था। सामान गाड़ी में रख कर हम धार यातà¥à¤°à¤¾ पर निकल पड़े।  डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° के साथ मेरी बातचीत का सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤®à¥à¤– मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ करà¥à¤«à¥à¤¯à¥‚ ही था। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— 59 पर चलते चलते, जिसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ चल रहा है, हम बेटमा पहà¥à¤‚चे पर वहां पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने बैरियर लगाया हà¥à¤† था और हमें धार की ओर सीधे आगे बà¥à¤¨à¥‡ से रोक दिया गया। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने इस चौराहे से गाड़ी बाईं ओर घà¥à¤®à¤¾à¤ˆ ताकि पीतमपà¥à¤°à¤¾ इंडसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤² à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ पर जा निकलें और हाई वे से पà¥à¤¨à¤ƒ दायें चल कर हà¥à¤ कà¥à¤› किमी आगे पà¥à¤¨à¤ƒ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— 59 पर पहà¥à¤‚च जायें। उस हाई वे पर पहà¥à¤‚चे तो राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— 59 से कà¥à¤› किमी पहले से ही सड़क पर बैरियर खà¥à¤²à¤¨à¥‡ की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ में खड़े हà¥à¤ टà¥à¤°à¤•ों की अंतहीन लाइन दूर horizon तक नज़र आने लगी।   यहां तक कि सड़क पर रॉंग साइड में à¤à¥€ जाम लगा हà¥à¤† था। फिर दोबारा धार शाखा पà¥à¤°à¤¬à¤‚धक से डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° की बातचीत हà¥à¤ˆ और यह निशà¥à¤šà¤¯ हà¥à¤† कि आगरा – मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ राजमारà¥à¤— पर à¤à¥€ चल कर देख लें जो धà¥à¤²à¥‡ होते हà¥à¤ जाता है। परनà¥à¤¤à¥ इस मारà¥à¤— पर à¤à¥€ कई किलोमीटर आगे जाकर मानपà¥à¤° से जब धार के लिये दाईं ओर मà¥à¥œà¤¨à¤¾ चाहा तो पà¥à¤¨à¤ƒ बैरियर ने सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया और हमें रोक दिया गया। अब à¤à¤• ही उपाय था कि सीधे हैलीकॉपà¥à¤Ÿà¤° से धार में उतरें पर उसमें à¤à¥€ खतरा समà¤à¤¤à¥‡ हà¥à¤ हम वापिस चल दिये और धार शाखा को आदेश कर दिया कि मेरा धार के होटल में जो आरकà¥à¤·à¤£ था, उसे रदà¥à¤¦ करा दें व इनà¥à¤¦à¥Œà¤° के होटल पà¥à¤°à¥‡à¥›à¥€à¤¡à¥‡à¤‚ट में आज से ही आरकà¥à¤·à¤£ करा दिया जाये।
दस मिनट में इस कारà¥à¤¯ की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ फोन से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो गई तो हमने टैकà¥à¤¸à¥€ आर. à¤à¤¨. टी. मारà¥à¤—, इनà¥à¤¦à¥Œà¤° पर सीधी होटल पà¥à¤°à¥‡à¥›à¥€à¤¡à¥‡à¤‚ट के दà¥à¤µà¤¾à¤° पर रोकी।  यह ’लौट के बà¥à¤¦à¥à¤§à¥‚ घर को आये’ जैसी ही बात हो गई थी। नाशà¥à¤¤à¤¾ मैं आगरा – मà¥à¤‚बई राजमारà¥à¤— कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤‚क 3 पर मानपà¥à¤° से कà¥à¤› पहले सड़क किनारे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट में कर ही चà¥à¤•ा था (वही पोहा और जलेबी जिसका कविता à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡ गà¥à¤£ गाया करती हैं। ) इस समय तक दस बज चà¥à¤•े थे और टैकà¥à¤¸à¥€ वाला धार à¤à¤²à¥‡ ही न पहà¥à¤‚चा पाया हो, पर अपने 1500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ तो कमा ही चà¥à¤•ा था। उसे विदा करके होटल में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया। यह इनà¥à¤¦à¥Œà¤° के सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के होटल में न à¤à¥€ हो पर फिर à¤à¥€ लकà¥à¥›à¤°à¥€ होटल है और अपना कमरा देख कर निरà¥à¤®à¤² आननà¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆà¥¤ लिफà¥à¤Ÿ के माधà¥à¤¯à¤® से तीसरे तल पर, मेरा सामान (पिलà¥à¤²à¥‡ सहित) कमरे में पहà¥à¤‚चा दिया गया और मैं नहा-धोकर तैयार हो गया। हमारे बैंक की इनà¥à¤¦à¥Œà¤° शाखा का à¤à¤• अधिकारी मà¥à¤à¥‡ लेने के लिये होटल में 11 बजे आ गया था, अतः मेरी इचà¥à¤›à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° हम दोनों पैदल ही चलते हà¥à¤ लगà¤à¤— आधा किमी चल कर अपनी बैंक शाखा में पहà¥à¤‚च गये।
मà¥à¤•ेश à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡ का फोन यानि संजीवनी मिली
अब आज का दिन बैंक के नाम था, शाम को वापिस होटल आने के बाद कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ करूंगा, कà¥à¤› सोचा नहीं था। पर शाम को ही मà¥à¤•ेश à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡ का फोन आ गया। फोन कà¥à¤¯à¤¾ आ गया, मानों मेरी ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में उजाला आ गया।  उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि उनकी ऑफिशयल मà¥à¤‚बई यातà¥à¤°à¤¾ आगे सरक गई है और हमें मà¥à¤²à¤¾à¤•ात करनी ही करनी है। रविवार को हम सब à¤à¤• साथ कहीं घूमने के लिये निकल सकते हैं। अतः अचà¥à¤›à¤¾ रहेगा यदि 16 फरवरी यानि अगले दिन शनिवार को मैं बैंक के बाद इनà¥à¤¦à¥Œà¤° से उनके घर के लिये चल पड़ूं । बाकी कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® वहीं घर पर पहà¥à¤‚च कर बनाया जायेगा।
पर, ये कहानी अà¤à¥€ बाकी है, मेरे दोसà¥à¤¤ !