पिछले कà¥à¤› दिनों से राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ का मौसम काफी गरà¥à¤® था. ऊपर से रोज -रोज à¤à¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° के नित नठजà¥à¤®à¤²à¥‡ और दिनांक 13 /7 का मà¥à¤‚बई धमाका दिल को काफी वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ कर दिया. सोंचा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने दो चार दिन के लिये राजधानी से दूर कहीं सà¥à¤•ून के पल विताऊà¤. परिवार के लोगों के बीच पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ रखा और सबों ने वैषà¥à¤£à¥‹ देवी जाने का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ पारित कर दिया. तदनà¥à¤°à¥‚प हमने अपने à¤à¤• अजीज मितà¥à¤° [शà¥à¤°à¥€ संजय सिंह] से इसकी चरà¥à¤šà¤¾ की और वे लोग à¤à¥€ हमारे साथ हो लिà¤.
अगले दिन अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ 14 /7 को हम लोग रातà¥à¤°à¤¿ 9 बजे वैषà¥à¤£à¥‹ देवी के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर गà¤. हमारी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ [समर सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤²] आनंद विहार टरà¥à¤®à¤¿à¤¨à¤² से रातà¥à¤°à¤¿ 11 .30 मिनट पर थी अतः हमने बदरपà¥à¤° से मेटà¥à¤°à¥‹ पकर कर सचिवालय à¤à¤µà¤‚ राजीव चौक होते हà¥à¤ 11 बजे रातà¥à¤°à¤¿ को आनंद विहार पहà¥à¤à¤š गà¤. मै पहली बार मेटà¥à¤°à¥‹ की सवारी कर रहा था. मेटà¥à¤°à¥‹ वाकई लाजबाब है. पहली बार à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हà¥à¤† कि दिलà¥à¤²à¥€ वासियों के लिठयह à¤à¤• बेहतरीन तौफा है. कà¥à¤¯à¤¾ बढ़िया सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ है. वैसे à¤à¥€ रातà¥à¤°à¤¿ का समय था और मेटà¥à¤°à¥‹ का तसà¥à¤µà¥€à¤° लेना वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ है अतः हमने कोई तसà¥à¤µà¥€à¤° नहीं ली.
आगे दिलà¥à¤²à¥€ से जमà¥à¤®à¥‚ तक के रासà¥à¤¤à¥‡ में हमें समर सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤² ने काफी रà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ और जैसे तैसे साम 3 बजे हम जमà¥à¤®à¥‚ तवी पहà¥à¤à¤š सके. अनà¥à¤¤à¤‚त सायं 5 .30 हम लोग कटरा पहà¥à¤š गà¤.
बस अडà¥à¤¡à¤¾ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही सबसे पहले माठवैषà¥à¤£à¤µà¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठयातà¥à¤°à¤¾ कूपन लिया. ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¥à¤¯à¤¾à¤¤ वहीठजमà¥à¤®à¥‚ à¤à¤µà¤‚ कशà¥à¤®à¥€à¤° परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ विà¤à¤¾à¤— के à¤à¤• होटल में कमरा बà¥à¤• कराया. होटल बढ़िया था à¤à¤µà¤‚ काफी अचà¥à¤›à¥€ साफ़ सफाई थी. हमलोग कà¥à¤² 8 लोग थे, 4 बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤µà¤‚ ४ बड़े. चà¥à¤•ी हमें रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® नहीं करना था अतः à¤à¤• कमरा ही काफी था.
यहाठà¤à¤• बात बताना à¤à¥‚ल गया कि हमारे समर सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤² टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में खाने-पिने की कोई वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ नहीं थी अतः हम सà¤à¥€ के पेट में चूहे दौर रहे थे. हमलोग जलà¥à¤¦ से जलà¥à¤¦ नहा धोकर तैयार हà¥à¤ à¤à¤µà¤‚ नजदीक ही à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤‚ट में पेट पूजा के लिठपहà¥à¤à¤š चà¥à¤•े थे. तक़रीबन 24 घंटे बाद ढंग का कà¥à¤› नसीब हà¥à¤† था फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प खाने का आनंद ही कà¥à¤› और था. रातà¥à¤°à¤¿ के 8 .30 बज चà¥à¤•े थे और अब हमलोग दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर चà¥à¤•े थे. मौसम साफ़ था. हलकी हवा चल रही थी. पूरà¥à¤£à¤®à¤¾à¤¸à¥€ का चाà¤à¤¦ [गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾] होने के वजह से वहां का दृशà¥à¤¯ काफी मनोरम लग रहा था. मेरे मितà¥à¤° का लड़का काफी छोटा है इसलिठहमने à¤à¤• पिठà¥à¤ ू à¤à¥€ कर लिया. ये अलग बात है की उस बचà¥à¤šà¥‡ ने कà¤à¥€ पिठà¥à¤ ू की सेवा नहीं ली. वैसे हमारा पिठà¥à¤ ू था à¤à¥€ गबरू जवान आप खà¥à¤¦ ही उसका फोटो देख लीजिये. परनà¥à¤¤à¥ वह था काफी वà¥à¤¯à¤¬à¤¹à¤¾à¤° कà¥à¤¶à¤². हमने उसे सिरà¥à¤« इस बात के लिठचà¥à¤¨à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसके साथी उसके कद काठी का मजाक बना रहे थे.
मै सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से काफी à¤à¥à¤²à¥à¤•à¥à¤•र हूà¤. साल में 4 -5 मोबाइल गà¥à¤® हो जाना आम बात है. अà¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ सà¥à¤°à¥ à¤à¥€ नहीं किया था कि अपना बà¥à¤²à¥ˆà¤• बेरी à¤à¤• जगह à¤à¥‚ल आया और काफी आगे निकल आया. सबके सब परेसान हो गठपरनà¥à¤¤à¥ पता नहीं मà¥à¤à¥‡ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ था कि हमें हमारा मोबाइल मिल जायेगा. तà¥à¤°à¤‚त ही मै अपने मितà¥à¤° संजय जी के साथ मोबाइल के खोज में निकल लिà¤. पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ में सà¤à¥€ दà¥à¤•ान à¤à¤• जैसी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती है अतः उस जगह विशेष को याद करना मà¥à¤¸à¥à¤•िल हो रहा था. आखिर हम उस जगह पहà¥à¤à¤š ही गठऔर à¤à¤• यातà¥à¤°à¥€ जिसे कि मेरा मोबाइल मिला था वो हमारा ही इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° कर रहा था. काफी सजà¥à¤œà¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ थे और हमने उनका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ किया और वापस यातà¥à¤°à¤¾ मारà¥à¤— पर आगे बढ़ गà¤.
रातà¥à¤°à¤¿ 12 .30 हमलोग अरà¥à¤§-कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ पहà¥à¤š चà¥à¤•े थे. वहां दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की अचà¥à¤›à¥€ खासी à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी और हम चाह कर à¤à¥€ अनà¥à¤¦à¤° गà¥à¤«à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ नहीं कर पाà¤. 12 -12 घंटे का वेटिंग चल रहा था. चà¥à¤•ि हमारे साथ बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥€ थे और समयाà¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ था अतः हमने आगे बढ़ने का फैशला किया. अरà¥à¤§à¥à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ से आगे बढ़ते ही बादलों ने अठखेलियाठकरना सà¥à¤°à¥ कर दिया. हवा सरà¥à¤¦ हो चà¥à¤•ि थी और हमलोग बादलों के बीच लà¥à¤•ा छिपी करते आगे बढ़ रहे थे. विदित हो कि बारिश का à¤à¤• बूà¤à¤¦ à¤à¥€ नहीं पड़ा. हम सà¤à¥€ लोग थकान à¤à¤µà¤‚ दरà¥à¤¦ को à¤à¥à¤²à¤¾à¤•र उस ख़ूबसूरत मौसम का आनंद ले रहे थे. ये रातà¥à¤°à¤¿ सायद मेरे जिंदगी का à¤à¤• बेहतरीन रातà¥à¤°à¤¿ था. कà¥à¤¯à¤¾ मौसम à¤à¤µà¤‚ कैसा मनोरम दृशà¥à¤¯? गहरी खाई, ऊंची पहाड़ी , सनसनाती सरà¥à¤¦ हवा, बीच – बीच में बादलों का à¤à¥à¤°à¤®à¥à¤Ÿ à¤à¤µà¤‚ साथ चल रहे सह यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का “जय मातादी” का जयकारा. हम लोग सायद ही उस पल को कà¤à¥€ à¤à¥‚ल पायें. लग रहा था जनà¥à¤¨à¤¤ की सैर कर रहे हों. हाà¤, बचà¥à¤šà¥‡ इस ठंढ को बरà¥à¤¦à¤¾à¤¸à¥à¤¤ नहीं कर पा रहे थे. फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प महिलायों ने अपनी-अपनी चà¥à¤¨à¥à¤¨à¥€ से बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को ढका और हम आगे बढ़ते रहे.
इस बीच हमलोग कब हिमकोटी पहà¥à¤à¤š गठपता ही नहीं चला. वहां सबों ने चाय की चà¥à¤¸à¥à¤•ी ली और थोरा सà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡ के बाद आगे बढ़ गà¤. रतà¥à¤°à¤¿ 3 .30 हमलोग à¤à¤µà¤¨ के नजदीक पहà¥à¤à¤š गà¤. माठका à¤à¥‹à¤—-पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¦ खरीदने के बाद दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठहमलोगों ने अपना नंबर लगा दिया जो कि 157 था. इस बीच सà¤à¥€ लोग सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने को चल दिà¤. उफ, कà¥à¤¯à¤¾ सरà¥à¤¦ पानी था. लग रहा था अगर और कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया तो यहीं पर राम नाम सतà¥à¤¯ समà¤à¥‹. खैर नितà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से निवृत होकर हमलोग अपना सामान लॉकर में रख कर माता के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठपकà¥à¤¤à¤¿à¤µà¤§ हो गà¤. सà¥à¤¬à¤¹ के 5 बज चूका था. तक़रीबन 5 .45 में हमलोग दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठगà¥à¤«à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर चà¥à¤•े थे. इस बीच अनà¥à¤¦à¤° माठके सà¥à¤¬à¤¹ की आरती की तैयारी चल रही थी और बाहर सूरज की लालिमा समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ परिदृशà¥à¤¯ को अलौकिक बना रहा था. मानो लग रहा था आज माठका साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ दरà¥à¤¶à¤¨ होगा. यहाठयह बताना जरूरी है कि माठका पट सà¥à¤¬à¤¹ 6 से 8 बजे के बीच आरती à¤à¤µà¤‚ साफ़ सफाई के लिठबंद रहता है. चà¥à¤•ि हम लोग अंतिम दरवाजा पर पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•े थे अतः हमें आगे बढ़ने दिया गया और बड़े ही शांति à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤•ून से हमने माठका दरà¥à¤¶à¤¨ किया. दरà¥à¤¶à¤¨ करके हमलोग धनà¥à¤¯ हो चà¥à¤•े थे और काफी आहà¥à¤²à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤«à¥à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¤ महसूश कर रहे थे.
सà¥à¤¬à¤¹ 6 .30 हम लोग मंदिर से बाहर आ गà¤. अब à¤à¥ˆà¤°à¥‹ नाथ के दरà¥à¤¶à¤¨ कि बारी थी. परनà¥à¤¤à¥ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने आगे कि चढ़ाई चढ़ने से इनकार कर दिया. वैसे à¤à¥€ साम के 4 .15 में जमà¥à¤®à¥‚ तवी से हमारी वापसी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ थी. फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प हमलोग निचे कटरा की ओर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर गà¤.

मेरे मितà¥à¤° à¤à¤µà¤‚ उनके परिवार के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ माठको वापसी में पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤®
वापसी में घोड़ों à¤à¤µà¤‚ खचà¥à¤šà¤°à¥‹à¤‚ ने काफी पड़ेसान किया. इनके बीच आम दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का चलना काफी दà¥à¤¸à¥à¤•र है. वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤•ों को इसकी सà¥à¤§ लेनी चाहिà¤. खैर 12 .15 बजे हमलोग नीचे पहà¥à¤à¤š गठऔर अपने होटल का बिल à¤à¥à¤—तान कर à¤à¤• टैकà¥à¤¸à¥€ [सà¥à¤®à¥‹] à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¥‡ पर लिया. पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¦, माला à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ चीजों की खरीदारी की à¤à¤µà¤‚ à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ 2 .25 में जमà¥à¤®à¥‚ के लिठरवाना हो गà¤. साम के 4 .05 मिनट पर हमलोग जमà¥à¤®à¥‚ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर थे और पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हे हमारी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ à¤à¥€ आ गयी. अब हमलोग वापसी दिलà¥à¤²à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ पर थे. ये यातà¥à¤°à¤¾ काफी à¤à¤¾à¤— दौर à¤à¤°à¥€ रही और हमलोग लगà¤à¤— 84 घंटे तक à¤à¤¾à¤—ते ही रहे. सà¥à¤¬à¤¹ 6.30 में दिलà¥à¤²à¥€ à¤à¤µà¤‚ 8 बजे पà¥à¤¨à¤ƒ मेटà¥à¤°à¥‹ से अपने घर शिवदà¥à¤°à¥à¤—ा विहार, सूरजकà¥à¤‚ड, फरीदाबाद पहà¥à¤à¤š गà¤. कà¥à¤² मिलाकर यातà¥à¤°à¤¾ काफी आनंद-दाई à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ से परिपूरà¥à¤£ रहा.
!!!!!जय मातादी!!!!!









Bahut bahut dhanyawad apna anubhav hummare sath share karne ke liye. Aapne kafi details mein likha hai , jo kaye logo ke kaam aayega words ka selection bhi achha tha laaga jaise koi upanyas padh raha huun , par hindi thodi zayada klisht ho gayi aur Google translator english mein sahi sahi convert nahi kar saka !
Dear Gaurav ji,
Namaskar !
Thanks for your kind words. There are two reasons to post the story in Hindi. First there are majority of authors who writes in English & secondly I can express myself better in Hindi.
Regards
Manoj
आप जैसे लोग हिन्दी में टाइपिंग सीखने की प्रेरणा देते हो! आपका अनुभव पढ के बहुत अच्छा लगा। मैं आज तक तीन बार वैष्णो देवी जा पायी हूं। हर बार वहां के मौसम ने नये ही रंग दिखाये हैं। मगर हर बार उस चढाई को पार कर के माता के दरबार में पहुंच कर जो खुशी मिलती है वो निराली ही होती है। क्रुपया अपनी यात्रा जारी रखें और हमें अपने अनुभवों को पढ्ने का आगे भी मौका दें।
बिभा जी,
जय मातादी !
आप जैसे सुधि पाठक जब हिंदी पढतें हैं और प्रतिउत्तर में दो शब्द लिखतें हैं तो दिल को खाफी सुकून मिलता है. जहाँ तक यात्रा के दौरान मौसम के मिजाज की बात है तो वह तो अलवेला है ही और सदैव रहेगा भी. साथ ही कस्ट से प्राप्त कोई भी चीज ख़ुशी देती ही है और मां के दर्शन के बाद खुश होना लाजिमी है.
निसंदेह भविष्य के यात्रा वृतांत को आपलोगों के समक्ष आगे भी लाता रहूँगा. इसी वादे के साथ
आपका शुभेछु
मनोज कुमार चौधरी
मनोज जी,
यात्रा वृत्तान्त बड़ा ही रोचक तथा जानकारी से परिपूर्ण था तथा फोटोग्राफ्स भी ख़ूबसूरत थे. सुबह सुबह माता के दर्शन कराने के लिए आपको सहस्त्र धन्यवाद्. यात्रा वृत्तान्त को अपनी मात्र भाषा में पढने का मजा ही कुछ और है. ईश्वर आपको ऐसी यात्राओं के लिए और अवसर प्रदान करे तथा आप अपने अनुभव हमारे साथ बांटते रहें.
धन्यवाद्
मुकेश जी,
जय मातादी !
यात्रावृतांत पढने एवं टिप्पणी करने के लिए कोटि-कोटि धन्यबाद. हमें भी मातृभाषा में लिखने एवं पढने में बहुत आनंद आता है.
निसंदेह भविष्य के यात्रा वृतांत को आपलोगों के समक्ष आगे भी लाता रहूँगा. इसी वादे के साथ
आपका शुभेछु
मनोज कुमार चौधरी
Jai Matadi,
kafi accha laga aapka yatra varnan.
Main bhi abhi picchle mahine hokar aaya hoon. bahut bheed thi.
Par bahut accha anubhav raha
भाई विनय,
नमस्कार !
भीड़ तो दिनानुदिन बढ़ते ही जायेगा. माँ वैष्णवी से प्रार्थना कीजिये कि यात्रा का आनंद भी दिन दूना रात चौगुना बढ़ता जाये.
धन्यबाद
मनोज
माँ वैष्णोंदेवी की यात्रा तो यादगार बन ही जाती है। कटरा में खाने में प्याज लहसुन का उपयोग सर्वथा वर्जित है और वहाँ का बिना प्याज लहसुन का खाना क्या स्वादिष्ट होता है ! यात्रा वृतांत लिखते रहें।
श्रद्धेय शर्मा जी,
प्रणाम !
आप जैसे लोग ही हमारे प्रेरणाश्रोत हैं. आप के द्वारा लिखे गए हिंदी पोस्ट ने हमें भी हिंदी लिखने को उत्प्रेरित किया. आपके लेखन शैली का तो कोई जबाब ही नहीं. कोसिस कर रहा अपना आशीर्वाद बनाये रखियेगा.
आपका
मनोज
धन्यवाद् मनोज जी | आपका यात्रा का प्रस्ताव पास होना ही था, यहाँ का मौसम ही आपके पक्ष में फैसला करवा देता | मैं एक ही बार वैष्णो देवी जा पाया हूँ, सन १९९८ में और तब मेरी यात्रा काफी रोमांचकारी रही और मुझे तब का एक एक वाक्या अभी तक याद है. मैंने अफरा तफरी में एक यात्रा वृत्तांत भी लिखा था, उसका लिंक यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ.
https://www.ghumakkar.com/2008/09/11/my-first-trek-to-ma-vaishno-devi/
आपके लेख के फोटो देखता हूँ तो लगता है की पिछले ११ वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है | ये बड़ी बड़ी इमारतें, व्यस्त बस अड्डा और मुख्या मंदिर में भी लगता है की कुछ न्याय भवन बने हैं, सच पूछें तो लगता है की commercialization ज्यादा हो गया | खैर |
आपकी और यात्राओं का इंतज़ार रहेगा
समादारनीय नंदन जी,
नमस्कार !
परिवर्तन प्रकृति का नियम है. सृष्टी का प्रत्येक चीज चलायमान है और आगे भी ऐसा होता ही रहेगा. आपका लेख पढ़ा.
निसंद्देह, व्यावसायिकरण हो गया है. मै 1996 से वहां जाता रहा हूँ. बहुत सारे अच्छे बदलाव हुयें हैं लेकिन कुछ अव्यवस्था भी देखने को मिलती है. यथा घोड़ों एवं खच्चरों का अतिसय प्रयोग. इसकी वजह से आम लोंगों का चलना काफी कष्टकर हो गया है. हमने माँ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से इसकी सिकायत भी की पर इस मुद्दे पर उनकी अकर्मण्यता साफ़ साफ़ दिखाई दिया. निकट भविष्य में कोई समाधान दिखाई नहीं देता है. खैर इन्तजार कीजिये किसी दुसरे जगमोहन की…..
आपका
मनोज
मनोज जी , बहुत ही आनंद आया आपकी यात्रा के बारे में पढ़ कर | वैष्णो देवी की यात्रा हमेशा ही बहुत आनंद और सुकून देती है | मैं पिछले साल गया था | सारी याद ताज़ा हो गयी |
साहिल
साहिल भाई,
नमस्कार !
पोस्ट पढने एवं सराहना करने के लिए बहुत बहुत धन्यबाद.
मनोज
लगे रहो, हमे भी दिखाते रहो।
संदीप जी,
धन्यबाद.
यथासंभव कोसिस करता रहूँगा.
मनोज
Dear Manoj Ji,
Many thanks for you are sharing your best experience about trip to Vaishno Devi.
Will try to join you for next trip to Vaishno Devi
Thanks and regards
Brajesh Kumar( Ramesh)
D2/185 SDV
Ramesh Ji,
Sorry, we missed you though we had 2 additional ticket. Nex time we will visit together.
Regards
Manoj
Dear Manoj ji,
Many thanks for your quick response.
Sanjay sir already asked me for this trip, but due to busy schedule I was not able to join this trip.
Will try to join for next trip.
Thanks and regards
Ramesh