साथियों, इस शà¥à¤°à¤‚खला की पिछली पोसà¥à¤Ÿ में मैंने आपको हमारे बृज पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ (मथà¥à¤°à¤¾ तथा गोकà¥à¤²) के परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ तथा à¤à¥à¤°à¤®à¤£ की जानकारी दी थी और अब इस पोसà¥à¤Ÿ के माधà¥à¤¯à¤® से मैं आपको मथà¥à¤°à¤¾ के निकट सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• अनà¥à¤¯ मनोहारी सà¥à¤¥à¤² वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ लेकर चलूà¤à¤—ा। वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है जहाठà¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने अपनी किशोरावसà¥à¤¥à¤¾ वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ की थी तथा अपनी पà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸à¥€ राधारानी तथा अनà¥à¤¯ गोपियों के साथ रास लीला रचाई थी।
आप लोगों को पता ही है की मथà¥à¤°à¤¾ में हमने दो दिनों के लिठà¤à¤• होटल में à¤à¤• चार बिसà¥à¤¤à¤° वाला हॉल बà¥à¤• करवाया था à¤à¤µà¤‚ पहले दिन मथà¥à¤°à¤¾ और गोकà¥à¤² की सैर का आनंद लिया और अब दà¥à¤¸à¤°à¥‡ दिन हमें वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ जाना था। यह पूरा दिन हमने सिरà¥à¤« वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के लिठही रखा था, अतः हमने सोचा सà¥à¤¬à¤¹ थोडा देर से à¤à¥€ निकलेंगे तो बड़े आराम से वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ घूम लेंगे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मथà¥à¤°à¤¾ से वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ सिरà¥à¤« बारह किलोमीटर की ही दà¥à¤°à¥€ पर है।
गोकà¥à¤² से लौटने तथा थोड़ी देर आराम करने के बाद मैंने सोचा की कल के वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के लिठगाडी की बात अà¤à¥€ से कर ली जाठतो ठीक रहेगा। पहले मैंने जायजा लेने के लिठअपने गेसà¥à¤Ÿ हाउस के आस पास खड़े à¤à¤• दो ऑटो वालों से बात की तो पता चला की कोई à¤à¥€ ऑटो वाला सात सौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ से कम में बात ही नहीं कर रहा था, मैंने सोचा की ऑटो वाले को सात सौ देने के बजाय à¤à¤• बार वेन वाले से बात की जाठतो मैंने उसी वेन वाले को फोन लगाया जो हमें रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से गेसà¥à¤Ÿ हाउस तक छोड़ कर गया था, मैंने उसका नंबर सेव करके रखा था।
मेरी à¤à¤• आदत है मैं किसी का à¤à¥€ नंबर लेने तथा उसे सेव करने में कà¤à¥€ कंजूसी नहीं करता, कà¥à¤¯à¤¾ पता किसकी कब जरà¥à¤°à¤¤ पड़ जाठजैसे ऑटो वाला, दूध वाला, सà¥à¤•à¥à¤² बस वाला,सबà¥à¤œà¥€ वाला, केबल वाला आदि आदि …। मेरी इस आदत से कई बार मà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ फायदा हà¥à¤† है, और वैसे à¤à¥€ नंबर की लिसà¥à¤Ÿ का वजन मà¥à¤à¥‡ तो ढोना नहीं पड़ता है। इतने सारे नंबर रखने के बाद à¤à¥€ मोबाइल की फ़ोन लिसà¥à¤Ÿ की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ का आधा à¤à¥€ उपयोग नहीं हो पाता है।
तो साहब हम बात कर रहे थे वेन की, मैंने वेन वाले को फ़ोन लगाया और उससे वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ साईट सीइंग का चारà¥à¤œ पूछा तो उसने आठसौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ बताया और थोडा सा मोल à¤à¤¾à¤µ करने के बाद वह साढ़े सात सौ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में माना और इस तरह से इस वेन वाले के साथ हमारा वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ जाना तय हà¥à¤† और उसने सà¥à¤¬à¤¹ आठबजे आने के लिठकहा। सà¥à¤¬à¤¹ हम लोग थोड़ा आराम से ही जागे और करीब आठबजे वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के लिठतैयार हो गà¤, अब तक वेन वाला नहीं आया था अतः कà¥à¤› देर इंतज़ार करने के बाद मैंने उसे फ़ोन लगाया तो उसने मà¥à¤à¥‡ आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ किया की वह पंदà¥à¤°à¤¹ मिनट में पहà¥à¤à¤š रहा है।
हम लोग वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के लिठकरीब साढ़े आठबजे निकले, सà¥à¤¬à¤¹ का समय था अतः सफ़र में आनंद आ रहा था। सबसे पहले हम लोग पहà¥à¤‚चे पागल बाबा के मंदिर में, यह à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही विशाल, सफ़ेद रंग में नहाया à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ का बड़ा ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मंदिर है जो की मथà¥à¤°à¤¾ की ही बाहरी सीमा में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं तथा जिसे पागल बाबा (शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ 1008 लीलानंद ठाकà¥à¤° महाराज) के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ करवाया है। यह à¤à¤• दो मंजिला मंदिर है तथा इसकी दीवारों पर संपूरà¥à¤£ शà¥à¤°à¥€ मद à¤à¤¾à¤—वत गीता उकेरी हà¥à¤ˆ है।
पागल बाबा मंदिर दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद अब हम पहà¥à¤‚चे शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® परम धाम मंदिर में। यह à¤à¥€Â बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मंदिर था तथा यहाठपर सशà¥à¤²à¥à¤• यनà¥à¤¤à¥à¤° चालित à¤à¤¾à¤‚कियां à¤à¥€ थीं, हमने à¤à¥€ à¤à¤¾à¤‚कियां देखीं, कृषà¥à¤£ à¤à¤—वान के जीवन पर आधारित ये à¤à¤¾à¤‚कियां बड़ी ही मनमोहक थी, बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को तो यह शो इतना पसंद आया की वे मंदिर से बाहर निकलने को राजी ही नहीं हो रहे थे। अब हम फिर अपने वाहन में सवार हो गठथे, ये दोनों मंदिर तो मथà¥à¤°à¤¾ के ही बाहरी इलाके में थे अतः मैं सोच रहा था की अब शायद मथà¥à¤°à¤¾ की सीमा समापà¥à¤¤ होगी और फिर कà¥à¤› देर के बाद वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ शà¥à¤°à¥ होगा, लेकिन मेरा सोचना गलत साबित हà¥à¤†, अà¤à¥€ मथà¥à¤°à¤¾ समापà¥à¤¤ ही नहीं हà¥à¤† था और डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° ने कहा की वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ आ गया। मà¥à¤à¥‡ बड़ा आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ हो रहा था की à¤à¤¸à¥‡ कैसे वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ आ गया।

मंदिर परिसर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गोवरà¥à¤§à¤¨ परà¥à¤µà¤¤ की सà¥à¤°à¤®à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤‚की
दरअसल मथà¥à¤°à¤¾ à¤à¤µà¤‚ वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ अलग जगहें हैं लेकिन à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ से पूरी तरह से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हà¥à¤ हैं, हमें à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ ही नहीं होता की कब मथà¥à¤°à¤¾ गया और कब वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ आया। वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के बस सà¥à¤Ÿà¥‰à¤ª पर हम वेन से जैसे ही निचे उतरे, à¤à¤• गाइडनà¥à¤®à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अचानक से हमारे सामने पà¥à¤°à¤•ट हो गया, और कहने लगा की साहब सारे मंदिर जानकारी सहित बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ से दरà¥à¤¶à¤¨ करवा दूंगा मैंने चारà¥à¤œ पूछा तो वह बोला की जो आपकी इचà¥à¤›à¤¾ हो दे देना, मैंने कहा ठीक है चलो, वैसे à¤à¥€ गोकà¥à¤² के गाइड का हमारा अनà¥à¤à¤µ ठीक ही रहा था। सो वह आगे आगे और हम उसके पीछे हो लिये।
वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ मथà¥à¤°à¤¾ से 12 किलोमीटर की दूरी पर उतà¥à¤¤à¤°-पशà¥à¤šà¤¿à¤® में यमà¥à¤¨à¤¾ तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है । यह कृषà¥à¤£ की लीलासà¥à¤¥à¤²à¥€ है । हरिवंश पà¥à¤°à¤¾à¤£, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤¾à¤—वत, विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤£ आदि में वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ की महिमा का वरà¥à¤£à¤¨ किया गया है । शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤¾à¤—वत के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° गोकà¥à¤² से कंस के अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° से बचने के लिठनंद जी कà¥à¤Ÿà¥à¤‚बियों और सजातीयों के साथ वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ निवास के लिठआये थे।
सबसे पहले गाइड हमें लेकर गया शà¥à¤°à¥€ रंगजी मंदिर में। दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¡à¤¼ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ शैली (दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ शैली) में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ यह मंदिर बहà¥à¤¤ विशाल बड़ा ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है। शà¥à¤°à¥€ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• रामानà¥à¤œà¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ के विषà¥à¤£à¥-सà¥à¤µà¤°à¥‚प à¤à¤—वान रंगनाथ या रंगजी के नाम से रंग जी का मनà¥à¤¦à¤¿à¤° सेठलखमीचनà¥à¤¦ के à¤à¤¾à¤ˆ सेठगोविनà¥à¤¦à¤¦à¤¾à¤¸ और राधाकृषà¥à¤£ दास दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कराया गया था। उनके महान गà¥à¤°à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रंगाचारà¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिये गये मदà¥à¤°à¤¾à¤¸ के रंग नाथ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की शैली के मानचितà¥à¤° के आधार पर यह बना था। इसकी लागत पैंतालीस लाख रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ आई थी। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤° का गोपà¥à¤° काफ़ी ऊà¤à¤šà¤¾ है। à¤à¤—वान रंगनाथ के सामने साठफीट ऊà¤à¤šà¤¾ और लगà¤à¤— बीस फीट à¤à¥‚मि के à¤à¥€à¤¤à¤° धà¤à¤¸à¤¾ हà¥à¤† तांबे का à¤à¤• धà¥à¤µà¤œ सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ जिस पर सोने की परत लगाईं गई है, बनाया गया। इस अकेले सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ की लागत उस ज़माने में दस हज़ार रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ आई थी। मंदिर के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤—वानॠविषà¥à¤£à¥ की बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° मूरà¥à¤¤à¤¿ विराजमान है। मंदिर परिसर में ही à¤à¤• सोने तथा चांदी से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पशॠतथा पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤“ं की पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ लगी हà¥à¤ˆ है, जहाठपर तीन रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का टिकिट लेकर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ लिया जा सकता है। ये मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ मंदिर के निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समय समय पर मंदिर में à¤à¥‡à¤‚ट की गई थीं।

शà¥à¤°à¥€ रंगजी मंदिर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पीतल का सà¥à¤¤à¤®à¥à¤
शà¥à¤°à¥€ रंग नाथ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ गाइड हमें शà¥à¤°à¥€ बांके बिहारी मंदिर लेकर गया, यह à¤à¥€ बड़ा ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° तथा विशाल मंदिर था। यहाठदरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पंडित जी हमें 1100 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ परिवार दान करने के लिठदबाव डाल रहे थे लेकिन हम चूà¤à¤•ि घर से सैंकड़ों किलोमीटर दूर दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठआये हà¥à¤ थे तथा पैसों की आवशà¥à¤¯à¤•ता कà¤à¥€ à¤à¥€ हो सकती थी अतः हम यहाठदान करने के इचà¥à¤›à¥à¤• नहीं थे और हम लोग मंदिर से बाहर आ गà¤, बस इसी बात से हमारे गाइड महोदय हमसे नाराज हो गठतथा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा की बस हो गया मैंने आपको सारे मंदिर घà¥à¤®à¤¾ दिठऔर अब आप  मेरे पैसे दे दीजिये। मैंने à¤à¥€ तà¥à¤°à¤‚त उसे 100 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ देकर विदा किया, लेकिन इस घटना के बाद यह समठमें आ गया की मंदिर के पंडितों से इन गाइडों की à¤à¥€ जबरदसà¥à¤¤Â सेटिंग रहती है।
खैर, अब हम अनमने से बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ड की और बढे जहाठहमारी वेन खड़ी थी, रासà¥à¤¤à¥‡ में हमें शà¥à¤°à¥€ गोविनà¥à¤¦ देव मंदिर दिखाई दिया, चूà¤à¤•ि मैं पहले से घर से ही यहाठके सारे मंदिरों की लिसà¥à¤Ÿ इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ से निकाल कर लेकर गया था, अतः गोविनà¥à¤¦ देव मंदिर लिखा देखते ही पहचान गया की यह à¤à¥€ वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ मंदिरों में से à¤à¤• है। गाइड तो नाराज होकर जा ही चूका था अतः मंदिर के बाहर लगे ASI के बोरà¥à¤¡ से ही इस मंदिर की जानकारी पढ़ी तथा मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया।
गोविनà¥à¤¦ देव जी का मंदिर ई. 1590 में बना । मंदिर के शिला लेखसे यह जानकारी पूरी तरह सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ हो जाता है कि इस à¤à¤µà¥à¤¯ देवालय को आमेर (जयपà¥à¤° राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨) के राजा à¤à¤—वान दास के पà¥à¤¤à¥à¤° राजा मानसिंह ने बनवाया था । जेमà¥à¤¸ फरà¥à¤—ूसन ने लिखा है कि यह मनà¥à¤¦à¤¿à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ में बड़ा शानदार है। मंदिर की à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ इस उदà¥à¤§à¤°à¤£ से लगाया जा सकता है ‘औरंगज़ेब ने शाम को टहलते हà¥à¤, दकà¥à¤·à¤¿à¤£-पूरà¥à¤µ में दूर से दिखने वाली रौशनी के बारे जब पूछा तो पता चला कि यह चमक वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के वैà¤à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ मंदिरों की है। औरंगज़ेब, मंदिर की चमक से परेशान था, समाधान के लिठउसने तà¥à¤°à¤‚त कारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¹à¥€ के रूप में सेना à¤à¥‡à¤œà¥€à¥¤ मंदिर, जितना तोड़ा जा सकता था उतना तोड़ा गया और शेष पर मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ की दीवार, गà¥à¤®à¥à¤®à¤¦ आदि बनवा दिठ। मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में 5 से 10 वरà¥à¤· लगे और लगà¤à¤— à¤à¤• करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ ख़रà¥à¤šà¤¾ बताया गया है। अपने पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• दौर में यह मंदिर सात मंजिला था लेकिन अब इसकी केवल चार मंजिलें ही बची हैं।
शà¥à¤°à¥€ गोविनà¥à¤¦ देव मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद अब हम अपनी वेन के पास पहà¥à¤‚चे तथा वेन में सवार हो गठऔर जैसे ही वेन कà¥à¤› दूर पहà¥à¤‚ची मैंने वेन वाले वाले से कहा की à¤à¤¾à¤ˆ अब हमें बाकी की जगहें à¤à¥€ दिखाओ, तो उसने कहा की अब कà¥à¤¯à¤¾ छà¥à¤Ÿ गया है, गाइड ने आपको सबकà¥à¤› तो दिखा दिया होगा। मैंने उसे गाइड के बारे में बताया की वह हमें बीच में ही छोड़ गया। मैंने चूà¤à¤•ि निधि वन के बारे में काफी सà¥à¤¨ रखा था अतः वेन वाले से कहा की हमें निधि वन लेकर चलो तो उसने कहा की निधि वन तो उसी तरफ था जहां से आप अà¤à¥€ घूमकर आ रहे हैं। मैंने उसे वेन वापस पलटाने को कहा, उसने गाडी को वापस मोड़ा तथा फिर से उसी जगह गाडी पारà¥à¤• करके वह रासà¥à¤¤à¤¾ बताने के लिठहमारे साथ हो लिया।
हम सà¤à¥€ लोग निधि वन की तरफ पैदल ही चले जा रहे थे, अधीक दà¥à¤°à¥€  तथा संकरी गलियाà¤Â होने की वजह से हम समूह बना कर नहीं चल नहीं पा रहे थे तथा आगे पीछे चल रहे थे। जैसे ही हम निधि वन के दà¥à¤µà¤¾à¤° पर पहà¥à¤‚चे और सब इकटà¥à¤ े हà¥à¤ तो पता चला की कविता के पापा कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे, कà¥à¤› देर आस पास देखने के बाद पता चला की वे हमसे बिछड़ गठथे। उनसे फ़ोन पर संपरà¥à¤• किया तथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ निधि वन का रासà¥à¤¤à¤¾ बताने की बहà¥à¤¤ कोशिश की लेकिन वे हम तक नहीं पहà¥à¤à¤š पाà¤, अंत में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें कहा की वे वेन के पास ही हमारा इंतज़ार करेंगे। यह सà¥à¤¨à¤•र हमें थोडा सà¥à¤•ून मिला तथा अब हमने निधि वन में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया।
निधिवन, वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ का à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ जो शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ की महारास सà¥à¤¥à¤²à¥€ माना जाता है।सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिदास इस वन में कà¥à¤Ÿà¥€ बनाकर रहते थे। यहीं पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शà¥à¤°à¥€ बाà¤à¤•े बिहारी जी को पà¥à¤°à¤•ट किया। कहा जाता है कि वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के बिहारी जी के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ मंदिर की मूरà¥à¤¤à¤¿ हरिदास को निधिवन से ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ थी। किंवदंती है कि यहाठपर शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ à¤à¤µà¤‚ राधा आज à¤à¥€ रातà¥à¤°à¤¿ में रास रचाते हैं, और जो कोई à¤à¥€ उनकी इस रास लीला को देख लेता है वह अंधा या पागल हो जाता है, अतः यहाठपर रात को आठबजे के बाद किसी को à¤à¥€ तथा किसी à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ नहीं दिया जाता है। निधि वन के बारे में आज तक चैनल पर हम à¤à¤• विशेष कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® देख चà¥à¤•े थे अतः इस सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° जगह को साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ देखने में बड़ा आनंद आया। इसी लिठहम इस जगह को छोड़ने के बिलकà¥à¤² मूड में नहीं थे। खैर यहाठà¤à¥€ हमें सà¤à¥€ जगहों के बड़े अचà¥à¤›à¥‡ दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤à¥¤

निधि वन की जानकारी देते हà¥à¤ हमारे मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤• (गाइड) पंडित जी

वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ जहाठà¤à¤—वान कृषà¥à¤£ राधा रानी तथा गोपियों के साथ रास लीला किया करते थे
अब हम सब वापस अपनी वेन में आकर बैठगये। वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ड से बाहर निकलते ही मैंने डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° से पूछा की अब कहाठले जा रहे हो तो उसने कहा की बस हो गया अब मैं आपको मथà¥à¤°à¤¾ आपके होटल छोड़ देता हूà¤, जबकि अà¤à¥€ हमने वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ का मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ यानी की इसà¥à¤•ॉन मंदिर जिसे यहाठसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोग अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ का मंदिर à¤à¥€ कहते हैं, तथा कृपालॠजी महाराज का पà¥à¤°à¥‡à¤® मंदिर तो देखा ही नहीं था। मैंने वेन वाले से कहा की à¤à¤¾à¤‡ आपने तो हमें वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के सारे मंदिर दिखाने का कहा था, अब यहाठउस वेन वाले ने हमें अपना असली रंग दिखाया तथा और मंदिरों के दरà¥à¤¶à¤¨ करने से साफ़ मà¥à¤•र गया। उसका कहना था की ये दोनों मंदिर थोड़े दूर हैं तथा उसके लिठआपको à¤à¤•à¥à¤¸à¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾ पैसे (200 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡) देने होंगे।
काफी माथा पचà¥à¤šà¥€ à¤à¤µà¤‚ वाद विवाद के बाद वह हमें 100 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ à¤à¤•à¥à¤¸à¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾ लेकर ये दोनों मंदिर ले जाने को राजी हà¥à¤†à¥¤ पहले वह हमें इसà¥à¤•ॉन मंदिर ले कर गया, लेकिन दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¶ जब तक हम वहां पहà¥à¤‚चे मंदिर बंद हो चà¥à¤•ा था। बाहर से ही मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के अलावा हमारे पास और कोई चारा नहीं था, अतः कà¥à¤› दो चार मिनट में ही वेन वाले को कोसते हà¥à¤ हम वापस गाडी में सवार हो गठपà¥à¤°à¥‡à¤® मंदिर के लिà¤, लेकिन दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ने हमारा यहाठà¤à¥€ पीछा नहीं छोड़ा ………ओफà¥à¤«à¥‹à¤¹ यह मंदिर à¤à¥€ बंद हो चूका था।
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दरअसल यहाठमथà¥à¤°à¤¾ तथा वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ में दोपहर में कà¥à¤› दो तीन घंटों के लिठमंदिर बंद हो जाते हैं तथा फिर शाम को ही खà¥à¤²à¤¤à¥‡ हैं। इस मंदिर के à¤à¥€ बाहर से ही दरà¥à¤¶à¤¨ हो पाà¤à¥¤ वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय के à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ शà¥à¤°à¥€ कृपालॠजी महाराज के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाया गया यह आधà¥à¤¨à¤¿à¤• तथा नया मंदिर सचमà¥à¤š इतना सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है की इसे देखते ही रहने की इचà¥à¤›à¤¾ होती है। मैं तो इस मंदिर को बाहर से ही देखकर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो गया। अंततः à¤à¤• होटल में खाना खाते हà¥à¤ हम शाम चार बजे तक अपने गेसà¥à¤Ÿ हाउस पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤
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खाना तो खा ही चà¥à¤•े थी अतः अब सबकी इचà¥à¤›à¤¾ थी मथà¥à¤°à¤¾ की पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ लसà¥à¤¸à¥€ पीने की। आज मथà¥à¤°à¤¾ में हमारा अंतिम दिन था अतः à¤à¤• बार फिर से शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤à¥‚मि मंदिर दरà¥à¤¶à¤¨ की इचà¥à¤›à¤¾ हो गई तो हमने सोचा की शाम को à¤à¤• बार फिर से बाहर निकलते हैं तो शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤à¥‚मि के दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ हो जायेंगे और लसà¥à¤¸à¥€ à¤à¥€ पी लेंगे, अतः हम साइकिल रिकà¥à¤¶à¥‡ लेकर चल दिठमंदिर की और।
चूà¤à¤•ि आज आखिरी दिन था अतः हमने दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद मंदिर के सामने की दूकान से घर के लिठमथà¥à¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पेड़े à¤à¥€ ले लिà¤à¥¤ शाम करीब सात बजे तक हम पà¥à¤¨à¤ƒ अपने गेसà¥à¤Ÿ हाउस पहà¥à¤‚चे तथा कà¥à¤› देर गेसà¥à¤Ÿ हाउस के बाहर बैठने के बाद सोने के लिठचल दिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ ही हमें आगरा पहà¥à¤‚चना था।
अब मैं अपनी इस पोसà¥à¤Ÿ को यहीं पर समापà¥à¤¤ करता हूठतथा अगली पोसà¥à¤Ÿ में आपको लेकर चलूà¤à¤—ा ताज महल के शहर आगरा जहाठदेखेंगे ताज महल तथा आगरा का लाल किला, वो à¤à¥€ à¤à¤• दो नहीं चार घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ à¤à¤• साथ, जी हाठअगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ हमें हमारे चहेते, महान घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ जाट देवता संदीप पंवार à¤à¥€ अपने परिवार सहित मिलने वाले हैं। रितेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾, जाट देवता, मà¥à¤•ेश à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡ तथा कविता à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡ à¤à¤• ही जगह पर साथ साथ …………..आगरा में ताज महल में ………………अगले रविवार यानी 16 दिसंबर। तब तक के लिठबाय बाय ……………………….















मुकेश जी,
नमस्कार , पहले कृष्ण की जन्म लीला ,अब उनकी रास लीला स्थली के बारे में एक विस्तृत जानकारी पढकर अच्छा लगा ?
प्रेम मन्दिर ,और माँ वैष्णो देवी मन्दिर हाल ही में बने है , जो की बाकिय में बहुत खुबसूरत है , पर दुर्भाग्यवश आप दोनों मन्दिर देख नहीं पाए, भगवान कृष्ण , राधा रानी तथा गोपियों की रास लीला स्थली पे आपका युगल चित्र बहुत खुबसूरत है ,और आगरा के ताज महल के साथ कुछ ऐसे ही युगल चित्र के इन्तजार में
किशन (यात्रा द यादे )
किशन जी,
आपकी इस सुन्दर प्रतिक्रया के लिए आपको ढेरों धन्यवाद। आपको हमारा युगल चित्र पसंद आया उसके लिए एक बार फिर धन्यवाद। अगले रविवार आगरा की सैर पक्की …………………………………..
मुकेश जी…..राधे-राधे.!
वृन्दावन यात्रा अपने सचित्र वर्णन बहुत अच्छे ढंग से किया हैं….आपके साथ वृंदावन तो जा नही पाए थे पर आपके लेख से आपकी यात्रा का सजीव वर्णन पढ़कर अच्छा लगा…| एक बात तो दुनिया भर में मशहूर की वृन्दावन के मंदिर बहुत ही खूबसूरत हैं…|
एक बात और कि पागल बाबा का मंदिर सात मंजिला हैं, हर मंजिल अपनी पहली मंजिल से छोटी हैं , हर मंजील के मंदिर में भगवान विराजमान हैं…उनके दर्शन करने के पश्चात प्रसाद के रूप में जल मिलता हैं…जिसका स्वाद हर मंजील पर अलग-अलग मिलता हैं…| श्री रंग जी के मंदिर को सोने के ख्म्मे वाला मंदिर भी कहते हैं..| इस्कान मंदिर (अंग्रेजो के मंदिर) में प्रभु श्री कृष्ण मंदिर की सजावट विदेशी फूलो से होती हैं , भगवान के सजावट से युक्त उनके रूप को एक बार देख लिया तो नजरे नहीं हटती हैं…जय श्री कृष्णा ! प्रेम मंदिर यहाँ क सबसे आधुनिकतम मंदिर हैं यह मंदिर जनता हेतु सन 2012 से ही खोला गया हैं….मंदिर की आंतरिक और बाहरी सजावट वाकई में कमाल की हैं….इस मंदिर में प्रभु के दर्शन करने के बाद हकीकत में आपको प्रभु से प्रेम हो जाएगा…..|
वैन वाले और गाइड के द्वारा ठगने और प्रेम और इस्कान मंदिर के दर्शन न हो पाने क मुझे बहुत अफ़सोस हुआ…| निधि वन में घुमना वाकई में अपने-आप में एक सुखद अनुभव होता हैं….आप लोगो ने जो भी मंदिर घूमे उसकी जानकारी आपने काफी अच्छे से दी हैं …उसके लिए धन्यवाद..! लेख के फोटो बहुत अच्छे लगे पर कुछ फोटो धुधले से हैं……अंतिम फोटो प्रेम मंदिर का बहुत अच्छा लगा….|
चलिए मिलते अगले में भारत की शान ताजमहल और लाल किले पर……तब तक के लिए आपको भी धन्यवाद…..|
रितेश जी,
सही कहा आपने हम लोग वृन्दावन साथ नहीं जा पाए, लेकिन आपके साथ जितना भी वक़्त गुजारा सचमुच बड़ा यादगार था। वृन्दावन के मंदिरों के बारे में आपके द्वारा दी गई अतिरिक्त जानकारी रोचक एवं ज्ञानवर्धक थी, उसके लिए आपको शुक्रिया। अगले रविवार आगरा में मिलेंगे ……………….तब तक के लिए बाय।
Mukehs Ji
Like always, you post is a complete travel guide to Mathura.
I always wait for your next one.
pw
Praveen ji,
Thank you very much for appreciating, that too in such sweet words.
Thanks.
मुकेश जी ,
जय श्री कृष्ण, बहुत सुंदर वर्णन है, यह सब अत्यंत बार भगवन कृष्ण की कथा में सुना है, आज फोटो देख कर बहुत अच्छा लगा, धन्यवाद
जय श्रीकृष्ण शर्मा जी,
आपको पोस्ट पसंद आई, आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत सुन्दर तथा भक्तिमय वर्णन, फ़ोटोज़ भी अच्छे लग रहे हैं। वृन्दावन सचमुच बहुत ही सुन्दर जगह थी, फिर भी कुछ सुन्दर मंदिर देखने से वंचित रह गये जिसका मलाल रहेगा।
आगरा और ताज महल का इंतज़ार है।
पोस्ट पढने तथा पसंद करने के लिए आपको भी धन्यवाद।
Mukesh ji,
Very nice post.very well described. Reading Ghumakkar’s post after long 20-25 days gap because I was out of Chennai. For our Family (Parent’s side) visiting Bankey Bihari at Vrindavan is must every year else they feel incomplete. My dad is an astrologer , but he says whatever he predicts is due to Bankey Bihari’s grace. So for us Vrindavan means a lot. When I was in Delhi we visited Vrindavan many times. A small information to all the future visitors to Vrindavan. There is a Dharamshala by name “Shri Krishna Sudama Dham” opposite to JagatGuru temple . It is the very good place to stay, reasonably charged, clean ,hygienic ,safe and a very tasty food.Phone number is 0565-2540851,3093861,62.Hope this will help to someone in future.
Waiting for next…
Abhee,
Thank you very much for reading, liking and commenting on the post. A special thanks for providing information about the Dharmashala in Vrindavan, many people planning to visit Vrindavan will get benefited.
Thanks.
Dear Mukesh Ji
Etana badiya lekh pad kar maja aa gaya. abhi 14 nov se 19 nov tak me apane kutumb ke sath (26 member) Dwarka aur Somnath ke darshan karke aaye hai aur Ghumakkar’s post se mera parichay abhi hal me hi hua hai karib ek week pahle.
aapka ye yatra vivran pad kar me apane aapko abhiboot mehsoos kar raha hoo. sath hi mene nishchay kar liya hai ko parivar ki agali yatra mathura/aagra ki ji karni hai.
kripaya hotel aur dharmshala ki bji jankari mil jaye to hamare jese naye vyaktiyo ke liye planning thodi aasan ho javegi.
aant me yah puchana chata hoo ki hindi me kese likha jata hai aur blog post kese kiya jata hai.
bhupendra
भूपेंद्र जी,
आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर मैं तो अभीभूत हो गया। इस प्रशंसा के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। जहाँ तक होटल एवं धर्मशाला की बात है, अभीरुची जी ने अपनी कमेन्ट में वृन्दावन की एक अच्छी धर्मशाला की जानकारी दी है “श्री कृष्ण सुदामा धाम – फ़ोन नंबर – 0565-2540851,3093861,62”.
हिन्दी टाइप करने के लिए आप http://www.google.com/transliterate पर क्लिक करें तो एक टाइपिंग पेड खुलेगा जहाँ आप रोमन इंग्लिश में कोई भी शब्द लिख कर स्पेस का बटन दबायेंगे तो वह हिंदी में बदल जाएगा।
घुमक्कड़ पर पोस्ट लिखने के लिए आप अपना लेख तथा उससे सम्बंधित कुछ फ़ोटोज़ इस पते पर भेज दें – nandan@ghumakkar.com, कुछ आवश्यक सम्पादन के बाद कुछ ही दिनों में आपकी पोस्ट घुमक्कड़ पर प्रकाशित हो जायेगी।
धन्यवाद।
Dear Mukesh
This post has very good description . I loved it. It will be very useful guide to me in my trip to Mathura and Vrindavan once again. You didn’t add Banke Bihari Temple photo ??? I was expecting that.
Setting of pundits with the guide was very unfortunate and these types of settings are everywhere in every places , hence we don’t perform vidhis and poojas.
Waiting for TAJ with JATDEVTA & RITESH GUPTA
Vishal,
Thank you very much for your lovely comment. Have you been to Mathura and Vrindavan? When? Yes Banke Bihari temple photos were missed.
Thanks.
वृदावन की पोस्ट पढ़कर बहोत ही खुशी हुई, मै भी जब वृंदावन गया था तो मेरे साथ भी ऐसी ही स्थिति बनी थी, पहले तो गाइड ने बड़े अच्छे ढंग से गोविंद देव मंदिर, विधवा आश्रम और निधि वन के दर्शन करवाए फिर मुझे भी बांके बिहारी मंदिर (जहाँ तक मुझे याद है) ले गया. मुझे वहाँ बिठाया गया फिर संकल्प करवाया गया कि मै इतने रुपये दान मे दुं. उस समय तो मै ठिठक गया, ना जाने क्यो डर गया कि अब मै क्या करूँ, …… फिर मैने संकल्प लेते हुए उस राशि के बजाए अपनी योग्यता के अनुसार दान देने का संकल्प किया, किंतु पंडित जी नहीं मान रहे थे पता नहीं कहाँ-कहाँ की बाते करने लगे, अंततः मेरे बहोत समझाने पर कि मै एक विद्यार्थी हूँ और मुझे वापस इंदौर भी जाना है. तब जाकर वो दबे मन से माने. उसके बाद मुझे एक रसीद दी गयी. जिस पर लिखा था कि ये राशि किसी भी प्रकार की जबरदस्ती से नही ली गयी है……. फिर क्या था मेरा गाइड भी मुझे ऑटो स्टैण्ड पर छोड़कर चलते बना मैने उसे शायद २० रुपये दिये थे.
मेरा भी मन दुखी हो गया….. मै और कई मंदिर देखना चाहता था पर कुंज गलीयों और बंदरो के डर से कि कही ये मेरा चश्मा लेकर उड़न छू ना हो जाएँ , मै टैंपो मे बैठकर वापस मथुरा चला गया. मन में दान को लेकर तरह-तरह की बाते चल रही थी, क्योकि वहाँ के पंडित जी ने कुछ ऐसी बाते बोल दी थी कि वो दिमाग में भय कर गयी थी.
वैसे बाद में मुझे अफसोस भी हुआ कि मुझे सारे पैसे दान कर देने थे क्योकि कि ताजमहल को देखकर वापस आते समय स्टेशन पर मेरा पर्स किसी ने पार कर दिया जिसमें वापसी के टिकट भी रखे हुए थे……..
इतनी सुंदर पोस्ट के लिये धन्यवाद.
आपके अगले लेख के इंतजार में……….
आशीष मिश्रा
आशीष,
आपकी इस सुन्दर कमेन्ट को पढ़कर मन प्रफुल्लित हो गया। आपका अनुभव भी गाइड्स के बारे में लगभग हम जैसा ही रहा। आगरा में आपका पर्स चोरी हो जाने के बारे में पढ़कर दुःख हुआ। खैर, कई बार जीवन में इस तरह की परिस्थितियों से दो चार हो जाना आम बात है।
धन्यवाद।
इसी वर्ष मार्च में ,मैं भी अपने परिवार के साथ मथुरा , वृन्दावन और आगरा की यात्रा पर गया था . हम लोग दो दिन मथुरा में रुके थे और एक रात आगरा में .लगभग यह सभी स्थान जो अपने अपनी पोस्ट में लिखें हैं , उन स्थानों पर हम भी घुमे थे .आपकी इस पोस्ट से सभी यादें ताजा हो गयी हैं. पोस्ट और सुंदर तस्वीरों के लिए धन्यवाद /..राधे राधे ..जय श्री कृष्ण..
प्रिय मुकेश,
यदि अपने गाइड नहीं किया होता तो आप मंदिर भी अधिक देख पाते और मंदिरों में दान के लिए भी कोई नहीं कहता ..मंदिरों के पुजारी गाइड को देख कर , भक्तों को दबाब डालते हैं . यह जान कर अफ़सोस हुआ की आप इस्कोन और प्रेम मंदिर अन्दर से नहीं देख पाए . प्रेम मंदिर तो बहुत सुंदर है .इसकी दीवारों और सतम्भो पर जो अदाकारी की हुई है वो शब्दों में बयां नहीं की जा सकती .मुझे एक बात समझ नहीं आई की आप इतनी जल्दी वापिस होटल क्यों लोट आये ,यदि आप थोरी देर और रुकते, लंच करते ,तो शाम को चार बजे मंदिर दोबारा खुल जाते और आप उन्हें देख पाते .आप को कुछ ऐसे प्लान करना चहिये था की दोपहर को आप निधि वन और केसी घाट (मथुरा – वृन्दावन का सबसे सुंदर घाट ) घूम लेते .दोनों पास पास हैं और दिन में बंद नहीं होते . वृन्दावन के इतिहासिक और पुराने मंदिर छोटी-छोटी गलिओं में हैं और व्हाँ वैन नहीं जा सकती.
ब्रज चोरासी पूरा घूमना हो तो कम से कम चार पाँच दिन चाहिए . मैं भी अपनी छोटी यात्रा से संतुस्ठ नहीं हूँ दोबारा जाऊंगा . फ़िलहाल तो २० दिसम्बर को उज्जैन और ओम्कारेश्वर जा रहा हूँ.. जय भोले की,,
राधे राधे..जय श्री कृष्ण ..
नरेश जी,
आपकी कमेन्ट पढ़कर अब सचमुच में अपने निर्णय पर अफ़सोस हो रहा है की यदि शाम तक रुक जाते तो मंदिरों के दर्शन भी हो जाते और शाम का खाना वृन्दावन में ही खाकर देर शाम तक मथुरा वापस लौट आते। यदि वेन वाला जल्दी करता तो उसके पैसे देकर उसे रवाना करके दुसरे साधन से मथुरा पहुंचा जा सकता था। अब पछताए होत का …….जब चिड़िया चुग गई खेत …….
खैर, ईश्वर ने चाहा तो एक बार फिर हो आयेंगे ………………………..और आपके मध्य प्रदेश आगमन पर आपका अग्रिम स्वागत……………….
मुकेश , बहुत ही बढ़िया और संपूर्ण विवरण । हालाँकि वेन वाले ने और गाइड ने थोड़ी बदमाशी की पर इस क्षेत्र में ऐसा होना कोई नई बात नहीं है , हम लोग सचेत रहने की पूरी कोशिश करतें है पर फिर भी कुछ न कुछ हो ही जाता है । वृन्दावन के प्रेमियों के लिए एक लिंक छोड़े रहा हूँ – https://www.ghumakkar.com/2008/03/10/vrindavan-–-jai-shri-radhe/ .
Nandan,
Thank you very much for your kind and appreciating words.
मुकेसभाई… बहुत बढ़िया विवरण… प्रेम मन्दिर का चित्र तो लाजवाब है… दिल्ली के इतना नजदीक आकर भी आप दिल्ली नही आये ..क्या कारण है ??
mukesh ji, Aapki vindravan yatra bhi bhut achchi rhi aapki lekhan shaili ke bare mai kya kahna . Aap mandir ki sundarta ke sath- sath unse juri bhut sari baten bhi bta dete hai jisase lekh aur bhi sunder ban jata hai. mujhe do shaal pahle mathura-vindravan jane ka saubhagya prapt hua tha per Aapki post ko parkar lagta hai meri yatra adhuri thi. Aapne Gaide aur van wale ki bat khi mera bhi anubhav kuch aisa hi rha hai mera v mere sathi ka mobile ‘gaide’ lekar champat ho gya tha. aapne jo sunder chitron ke sath yatra varnan kar yarta ka sajeev anubhav karaya uske liye aapko dhanyvad.
Mukeshji, Excellent write up. It brought my memories back of July, 2005 trip. I visited Gokul/Mathura/Vrindavan, Govardhan(parikrama of Goverdhan by car), Barsana, Nand Gaon. Krishna Janma Bhumi and Gokul touched my heart so I visited them again in July 2008. I also liked “Raman Reti” near Gokul which I’ll visit in future again.
About guide…Exactly the same experience as yours and at the same temple in July 2005. We hired a local guide who kept telling us not to donate any money anywhere until we reached Banke Bihari Temple. On the way to temple, guide kept telling us…look at this Birla Temple, how great there kids are that they built the temple on parents name, they are immortal now and few other stories which I hardly understood as he was chewing tobacco while talking.
Now we reached to temple and drama started….Panditji started…”Yajman…Aaap bahut hi Bhagyashali ho…Aaj Yashoda Mata ka Janm Din Hai(really-? How come he only knew and rest of the world did not..I knew he made that up while my wife felt fortunate…said wow!)”. I kept smiling. I saw that my guide, unlike other places, was sitting right behind us. Pandit started by telling us that we should donate Rs. 5500 on my parents name and have their name placed on temple wall..I said – No and smiled. ok…then you should donate Rs. 3100 to feed brahmins for the day…I said No. Ok..How about Rs. 2100 to feed the cows for the day…No….With my every No..Pandit was raising his voice and I just kept smiling and telling him No calmly…Now guide joins the negotiation and tells me that I should at least do this….Why..they both teamed up and started negotiating together.. Rs 1100? 500? Pandit gave up and ask me how much you want to give..I said 100. He got mad, closed the curtain and moved away from there. How pathetic was this for Pandit/Guide to do this drama on the name of god’s mother and that too in front of almighty himself! I put Rs. 100 and left the temple. Guide left me half way and handed me over to his friend to take me to Gokul – and the same thing got repeated there. Later in the evening I told this story to my driver and he said — saab…pandit aur guide me setting hota hai..guide gets 40% of what you donate.
dhanyawad….. aisa laga hum yatra kar rahe hai…
महोदय,
मैं मार्च में सपरिवार कटरा (वैष्णो देवी ), अमृतसर, मथुरा तथा वृन्दावन घूमने का योजना बनाया हूँ । मुझे इन जगहों पर ठहरने के लिए गेस्ट हाउस या बजट होटल का डिटेल चाहिए । सही लोकेशन में तथा सुरक्षित होने के साथ खाने पीने की सुविधा पास में हो, इन सुविधाओं वाला धर्मशाला भी चलेगा । दो डबल बेड रूम या एक चार बेड रूम हो ।आप लोग, जो इन जगहों जा चुके हो वो मेरी मदद कर सकते है । मुझे ई मेल से उक्त जानकारी प्रदान करने की कृपा करे । धन्यवाद
A K Shrivastava
Jai shree krishan