माता वैष्णोदेवी यात्रा भाग – ४ (माता का भवन और भैरो घाटी)

मनोकामना भवन से हम लोग तैयार होकर व नहा धोकर माता के दर्शन के लिए चल पड़े. उस समय रात्रि के करीब दस बज रहे थे. जब हम लोग सबसे पहली एंट्री पर पहुंचे तो कोई भी लाइन नहीं थी. बड़े आराम से अपनी तलाशी देने के बाद हम लोग आगे बढ़ गए. एक बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए, कि जब भी नहा धोकर दर्शन के लिए चलो तो अपने पास कोई भी चमड़े कि वस्तु, पर्स, बेल्ट, कंघा, मोबाइल, कैमरा आदि नहीं होना चाहिए. केवल प्रसाद और जो कुछ भी माता के दरबार में चढाना हो वह होना चाहिए. यात्रा कि पर्ची जरूर साथ में होनी चाहिए, क्योंकि पर्ची पहली एंट्री में चेक होती हैं. अपने जूते, चप्पल, आदि भी अपने कमरे या क्लोक रूम में ही रख कर आने चाहिए. खैर हम लोग नारियल जमा करने के स्थान पर पहुँच जाते हैं. वंहा पर हमारा नारियल जमा होकर के एक टोकन मिलता, जिससे दर्शन करने के बाद एक नारियल वापिस मिल जाता हैं. यह प्रकिया सुरक्षा कि द्रष्टि से की गयी हैं. धीरे धीरे चलते हुए हम लोग मुख्य गुफा के बाहर पहुँच जाते हैं. यंहा पर दर्शन करने के लिए दो गुफाए बनी हुई हैं, जिस कारण से जल्दी जल्दी दर्शन हो जाते हैं. सभी गुफाए माता की पिंडियो के सामने जाकर समाप्त होती हैं. वापिस आने के लिए अलग से गुफाए बनी हुई हैं. हम लोग माता की पिंडियो के पास पहुँच जाते हैं. और माता के दर्शन करके माथा टेकते हैं. माता के दर्शन करके ऐसा लगता हैं की जैसे हमने सब कुछ पा लिया हो. हमें सब कुछ मिल गया हो. जय माता की

माता की पवित्र पिंडिया (साभार : maavaishnodevi.org)


वैष्णो देवी मंदिर (हिन्दी: वैष्णोदेवी मन्दिर), शक्ति को समर्पित एक पवित्रतम हिंदू मंदिर है, जो भारत के जम्मू और कश्मीर में वैष्णो देवी की पहाड़ी पर स्थित है. हिंदू धर्म में वैष्णो देवी, जो माता रानी और वैष्णवी के रूप में भी जानी जाती हैं, देवी मां का अवतार हैं.
मंदिर, जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू जिले में कटरा नगर के समीप अवस्थित है. यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है. मंदिर, 5,200 फ़ीट की ऊंचाई औरकटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर स्थित है. हर साल लाखों तीर्थयात्री मंदिर का दर्शन करते हैं और यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ-स्थल है. इस मंदिर की देख-रेख श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मंडल द्वारा की जाती है. तीर्थ-यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए उधमपुर से कटरा तक एक रेल संपर्क बनाया जा रहा है.
कहते हैं पहाड़ों वाली माता वैष्णो देवी सबकी मुरादें पूरी करती हैं। उसके दरबार में जो कोई सच्चे दिल से जाता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है। ऐसा ही सच्चा दरबार है- माता वैष्णो देवी का।
माता का बुलावा आने पर भक्त किसी न किसी बहाने से उसके दरबार पहुँच जाता है। हसीन वादियों में त्रिकूट पर्वत पर गुफा में विराजित माता वैष्णो देवी का स्थान हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए आते हैं।
क्या है मान्यता
माता वैष्णो देवी को लेकर कई कथाएँ प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध प्राचीन मान्यता के अनुसार माता वैष्णो के एक परम भक्त श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर माँ ने उसकी लाज रखी और दुनिया को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया। एक बार ब्राह्मण श्रीधर ने अपने गाँव में माता का भण्डारा रखा और सभी गाँववालों व साधु-संतों को भंडारे में पधारने का निमंत्रण दिया। पहली बार तो गाँववालों को विश्वास ही नहीं हुआ कि निर्धन श्रीधर भण्डारा कर रहा है। श्रीधर ने भैरवनाथ को भी उसके शिष्यों के साथ आमंत्रित किया गया था। भंडारे में भैरवनाथ ने खीर-पूड़ी की जगह मांस-मदिरा का सेवन करने की बात की तब श्रीधर ने इस पर असहमति जताई। अपने भक्त श्रीधर की लाज रखने के लिए माँ वैष्णो देवी कन्या का रूप धारण करके भण्डारे में आई। भोजन को लेकर भैरवनाथ के हठ पर अड़ जाने के कारण कन्यारूपी माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को समझाने की कोशिश की किंतु भैरवनाथ ने उसकी एक ना मानी। जब भैरवनाथ ने उस कन्या को पकड़ना चाहा, तब वह कन्या वहाँ से त्रिकूट पर्वत की ओर भागी और उस कन्यारूपी वैष्णो देवी हनुमान को बुलाकर कहा कि भैरवनाथ के साथ खेलों मैं इस गुफा में नौ माह तक तपस्या करूंगी । इस गुफा के बाहर माता की रक्षा के लिए हनुमानजी ने भैरवनाथ के साथ नौ माह खेला। आज इस पवित्र गुफा को ‘अर्धक्वाँरी’ के नाम से जाना जाता है। अर्धक्वाँरी के पास ही माता की चरण पादुका भी है। यह वह स्थान है, जहाँ माता ने भागते-भागते मुड़कर भैरवनाथ को देखा था। कहते हैं उस वक्त हनुमानजी माँ की रक्षा के लिए माँ वैष्णो देवी के साथ ही थे। हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर एक बाण चलाकर जलधारा को निकाला और उस जल में अपने केश धोए। आज यह पवित्र जलधारा ‘बाणगंगा’ के नाम से जानी जाती है, जिसके पवित्र जल का पान करने या इससे स्नान करने से भक्तों की सारी व्याधियाँ दूर हो जाती हैं। त्रिकुट पर वैष्णो मां ने भैरवनाथ का संहार किया तथा उसके क्षमा मांगने पर उसे अपने से उंचा स्थान दिया कहा कि जो मनुष्य मेरे दर्शन के पशचात् तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा उसकी यात्रा पूरी नहीं होगी। अत: श्रदालु आज भी भैरवनाथ के दर्शन को अवशय जाते हैं।

भैरोनाथ मंदिर

जिस स्थान पर माँ वैष्णो देवी ने हठी भैरवनाथ का वध किया, वह स्थान आज पूरी दुनिया में ‘भवन’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस स्थान पर माँ काली (दाएँ), माँ सरस्वती (मध्य) और माँ लक्ष्मी पिंडी (बाएँ) के रूप में गुफा में विराजित है, जिनकी एक झलक पाने मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इन तीनों के सम्मिलित रूप को ही माँ वैष्णो देवी का रूप कहा जाता है।
भैरवनाथ का वध करने पर उसका शीश भवन से 3 किमी दूर जिस स्थान पर गिरा, आज उस स्थान को ‘भैरोनाथ के मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि अपने वध के बाद भैरवनाथ को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और उसने माँ से क्षमादान की भीख माँगी। माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को वरदान देते हुए कहा कि मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं माने जाएँगे, जब तक कोई भक्त मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा।
हिंदू महाकाव्य के अनुसार, मां वैष्णो देवी ने भारत के दक्षिण में रत्नाकर सागर के घर जन्म लिया. उनके लौकिक माता-पिता लंबे समय तक निःसंतान थे. दैवी बालिका के जन्म से एक रात पहले, रत्नाकर ने वचन लिया कि बालिका जो भी चाहे, वे उसकी इच्छा के रास्ते में कभी नहीं आएंगे. मां वैष्णो देवी को बचपन में त्रिकुटा नाम से बुलाया जाता था. बाद में भगवान विष्णु के वंश से जन्म लेने के कारण वे वैष्णवी कहलाईं. जब त्रिकुटा 9 साल की थीं, तब उन्होंने अपने पिता से समुद्र के किनारे पर तपस्या करने की अनुमति चाही.

त्रिकुटा ने राम के रूप में भगवान विष्णु से प्रार्थना की. सीता की खोज करते समय श्री रामअपनी सेना के साथ समुद्र के किनारे पहुंचे. उनकी दृष्टि गहरे ध्यान में लीन इस दिव्य बालिका पर पड़ी. त्रिकुटा ने श्री राम से कहा कि उसने उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार किया है. श्री राम ने उसे बताया कि उन्होंने इस अवतार में केवल सीता के प्रति निष्ठावान रहने का वचन लिया है. लेकिन भगवान ने उसे आश्वासन दिया कि कलियुग में वे कल्कि के रूप में प्रकट होंगे और उससे विवाह करेंगे.

इस बीच, श्री राम ने त्रिकुटा से उत्तर भारत में स्थित माणिक पहाड़ियों की त्रिकुटा श्रृंखला में अवस्थित गुफ़ा में ध्यान में लीन रहने के लिए कहा.रावण के विरुद्ध श्री राम की विजय के लिए मां ने ‘नवरात्र’ मनाने का निर्णय लिया. इसलिए उक्त संदर्भ में लोग, नवरात्र के 9 दिनों की अवधि में रामायण का पाठ करते हैं. श्री राम ने वचन दिया था कि समस्त संसार द्वारा मां वैष्णो देवी की स्तुति गाई जाएगी. त्रिकुटा, वैष्णो देवी के रूप में प्रसिद्ध होंगी और सदा के लिए अमर हो जाएंगी. समय के साथ-साथ, देवी मां के बारे में कई कहानियां उभरीं. ऐसी ही एक कहानी है श्रीधर की.

श्रीधर मां वैष्णो देवी का प्रबल भक्त थे. वे वर्तमान कटरा कस्बे से 2 कि.मी. की दूरी पर स्थित हंसली गांव में रहता थे. एक बार मां ने एक मोहक युवा लड़की के रूप में उनको दर्शन दिए. युवा लड़की ने विनम्र पंडित से ‘भंडारा’ (भिक्षुकों और भक्तों के लिए एक प्रीतिभोज) आयोजित करने के लिए कहा. पंडित गांव और निकटस्थ जगहों से लोगों को आमंत्रित करने के लिए चल पड़े. उन्होंने एक स्वार्थी राक्षस

‘भैरव नाथ’ को भी आमंत्रित किया. भैरव नाथ ने श्रीधर से पूछा कि वे कैसे अपेक्षाओं को पूरा करने की योजना बना रहे हैं. उसने श्रीधर को विफलता की स्थिति में बुरे परिणामों का स्मरण कराया. चूंकि पंडित जी चिंता में डूब गए, दिव्य बालिका प्रकट हुईं और कहा कि वे निराश ना हों, सब व्यवस्था हो चुकी है.उन्होंने कहा कि 360 से अधिक श्रद्धालुओं को छोटी-सी कुटिया में बिठा सकते हो. उनके कहे अनुसार ही भंडारा में अतिरिक्त भोजन और बैठने की व्यवस्था के साथ निर्विघ्न आयोजन संपन्न हुआ. भैरव नाथ ने स्वीकार किया कि बालिका में अलौकिक शक्तियां थीं और आगे और परीक्षा लेने का निर्णय लिया. उसने त्रिकुटा पहाड़ियों तक उस दिव्य बालिका का पीछा किया. 9 महीनों तक भैरव नाथ उस रहस्यमय बालिका को ढूँढ़ता रहा, जिसे वह देवी मां का अवतार मानता था. भैरव से दूर भागते हुए देवी ने पृथ्वी पर एक बाण चलाया, जिससे पानी फूट कर बाहर निकला. यही नदी बाणगंगा के रूप में जानी जाती है.

ऐसी मान्यता है कि बाणगंगा (बाण: तीर) में स्नान करने पर, देवी माता पर विश्वास करने वालों के सभी पाप धुल जाते हैं.नदी के किनारे, जिसे चरण पादुका कहा जाता है, देवी मां के पैरों के निशान हैं, जो आज तक उसी तरह विद्यमान हैं.इसके बाद वैष्णो देवी ने अधकावरी के पास गर्भ जून में शरण ली, जहां वे 9 महीनों तक ध्यान-मग्न रहीं और आध्यात्मिक ज्ञान और शक्तियां प्राप्त कीं. भैरव द्वारा उन्हें ढूंढ़ लेने पर उनकी साधना भंग हुई. जब भैरव ने उन्हें मारने की कोशिश की, तो विवश होकर वैष्णो देवी ने महाकाली का रूप लिया. दरबार में पवित्र गुफ़ा के द्वार पर देवी मां प्रकट हुईं. देवी ने ऐसी शक्ति के साथ भैरव का सिर धड़ से अलग किया कि उसकी खोपड़ी पवित्र गुफ़ा से 2.5 कि.मी. की दूरी पर भैरव घाटी नामक स्थान पर जा गिरी.

भैरव ने मरते समय क्षमा याचना की. देवी जानती थीं कि उन पर हमला करने के पीछे भैरव की प्रमुख मंशा मोक्ष प्राप्त करने की थी.उन्होंने न केवल भैरव को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्रदान की, बल्कि उसे वरदान भी दिया कि भक्त द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए कि तीर्थ-यात्रा संपन्न हो चुकी है, यह आवश्यक होगा कि वह देवी मां के दर्शन के बाद, पवित्र गुफ़ा के पास भैरव नाथ के मंदिर के भी दर्शन करें.इस बीच वैष्णो देवी ने तीन पिंड (सिर) सहित एक चट्टान का आकार ग्रहण किया और सदा के लिए ध्यानमग्न हो गईं.
इस बीच पंडित श्रीधर अधीर हो गए. वे त्रिकुटा पर्वत की ओर उसी रास्ते आगे बढ़े, जो उन्होंने सपने में देखा था.अंततः वे गुफ़ा के द्वार पर पहुंचे. उन्होंने कई विधियों से ‘पिंडों’ की पूजा को अपनी दिनचर्या बना ली. देवी उनकी पूजा से प्रसन्न हुईं.

वे उनके सामने प्रकट हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया. तब से, श्रीधर और उनके वंशज देवी मां वैष्णो देवी की पूजा करते आ रहे हैं.(साभार : विकी पेडिया)
माता की पवित्र पिंडियो के दर्शन करके, माता का आशीर्वाद पाकर के और गुफा से बाहर निकलकर हम लोगो ने माता के चरणों से निकलते पवित्र जल चरणामृत का पान किया और उसे अपने ऊपर छिड़का. माता से प्रार्थना की मैय्या जल्दी फिर से बुलाना. आगे चलकर टोकन वापिस करके प्रसाद का नारियल प्राप्त किया. यंही पर प्रसाद के रूप में हलवा भी मिलता हैं और माता के प्रसाद और खजाने से भरी हुई एक एक पुडिया भी मिलती हैं. यंहा से थोडा आगे चलकर नीचे की और उतरकर महादेव की गुफा भी हैं, जंहा जाकर के महादेव के पवित्र शिव लिंगम के दर्शन किये. कहा जाता हैं की जंहा जंहा शक्ति हैं वंही पर शिव विराजमान होते हैं
माता के दर्शन करके, और भगवान शिव के दर्शन करके हम लोग भोजनालय में आ जाते हैं. जंहा पर पहले कढ़ी चावल और फिर चाय का आनंद लिया . कढ़ी चावल, छोले चावल, छोले भठूरे की प्लेट २० रूपये में और चाय चार रूपये में मिलती हैं. खा पीकर हम लोग वापिस मनो कामना भवन में आकर के लंबी तान कर और घोड़े बेच कर सो जाते हैं.
सुबह ६ बजे आँख खुलती हैं. उठ कर अपने कम्बल जमा करा कर आते हैं. और नीचे भोजनालय में आकर के एक एक कप चाय पीकर भैरो देव की और चल पड़ते हैं. माता के भवन से भैरो देव की दूरी करीब २ किलोमीटर पड़ती हैं. बिलकुल खड़ी चढाई हैं. करीब साढ़े सात बजे हम लोग भैरो देव पर पहुँच जाते हैं. आरती के कारण से लाइन लंबी लगी हुई थी इसी लिए थोड़ी देर धूप में विश्राम करने बैठ जाते हैं.

माता का पवित्र भवन

भैरो देव से माता के भवन का चित्र

गुनगुनी धूप में भैरो देव के मंदिर के सामने बने प्लेटफार्म पर बैठ जाते हैं और थोड़ी देर विश्राम करते हैं. यंहा पर भी श्राइन बोर्ड की तरफ से प्रसाद की दुकान बनी हुई हैं. और एक भोजनालय भी बना हुआ हैं. थोड़ी देर बाद जब भीड़ कम हो जाती हैं तो भैरो नाथ के दर्शन करते हैं.


भैरो नाथ का मंदिर

एक और दृश्य


भैरो मंदिर से सुन्दर दृश्य


माता के द्वार को जाने के लिए बने मार्ग


सुन्दर पहाड़


भैरो मंदिर के सामने


भैरो मंदिर पर थोड़ी देर रुकने के बाद हम लोग नीचे की और चल पड़े. और थोड़ी देर में सांझी छत पहुँच जाते हैं. यंही पर हमें हमारे दूर के एक रिश्तेदार भी मिले, जो की बडौत , जिला बागपत (उ. प्र.) से आये हुए थे. मैं उनका फोटो नहीं ले पाया था. जिसका मुझे आगे जाकर के ध्यान आया.


सांझी छत से कटरा रेलवे स्थानक


ये ऊपर वाला चित्र कटरा में बन रहे रेलवे स्टेशन का हैं. जनवरी २०१३ से कटरा तक रेल पहुँच जायेगी. जिसका तीर्थ यात्रियों को बहुत आराम हो जायेंगा. समय भी बचेगा और पैसे भी बंचेगे.

सांझी छत से कटरा नगर

सांझी छत हेली पैड


सांझी छत का एक दृश्य


सांझी छत


अर्ध कुंवारी


हम लोग अर्ध कुंवारी पहुँच कर करीब आधा घंटा विश्राम करते हैं और कुछ खा पीकर के आगे की और नीचे कटरा चल पड़ते हैं. हम लोग करीब २ बजे बाण गंगा पहुँच जाते हैं. और बाण गंगा से टम्पू करके अपने होटल मालती पैलेस पहुँच जाते हैं. होटल में पहुँच कर घोड़े बेच कर सो जाते हैं. करीब छह बजे उठ कर नहा धोकर, कटरा में घूमने के लिए निकल पड़ते हैं. होटल में खाना खाने के बाद, बाज़ार घूमने के बाद करीब दस बजे हम लोग आकार के सो जाते हैं अगली सुबह हमें धनसर बाबा, झज्जर कोटली आदि के लिए जाना था. इसका वृत्तान्त आप लोग अगले भाग में पढेंगे |

23 Comments

  • Nandan Jha says:

    माँ वैष्णो देवी की मान्यता के बारे में काफी विस्तृत जानकारी थी |

    कतरा में जो रेलवे का स्टेशन बन रहा है, क्या उसे जम्मू से भी जोड़ा जाएगा या सिर्फ उधमपुर से | अगर सीधा रास्ता हो जाएगा तो शायद जम्मू पर कम प्रेशर रहेगा और यात्रियों को काफी आराम हो जाएगा | जय हिन्द |

    • नंदन जी राम राम, कटरा के लिए रेल जम्मू से वाया उधमपुर होकर के जायेगी. सीधा रास्ता नहीं हैं, हर ट्रेन जम्मू से होकर ही जायेगी.

  • JATDEVTA says:

    प्रवीण भाई माता के बारे में विस्तार से जानकारी देने का आभार,

    विशाल भाई के बाद आपका लेख माता के बारे बेहतरीन लेख माना जायेगा।

    नन्दन जी यह रेल मार्ग सिर्फ़ उधमपुर से ही जोडा जा रहा है। दिल्ली से सीधे कटरा देखते है कब? अपुन तैयार है तब तक?

    • संदीप जी जय माता की, बहुत बहुत धन्यवाद.., जम्मू से उधमपुर पहले ही जुड़ा हुआ हैं…जंहा तक है, जनवरी से कटरा तक रेल पहुँच जायेगी..

  • प्रवीण जी, आपके लेख से महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। विशेषकर कटरा रेलवे स्टेशन के बारे में तो मालूम ही नहीं था। अभी छः सात महीने पहले हम जब कश्मीर गये थे तब भी किसी ने ज़िक्र नहीं किया। श्रीनगर तक रेल लाइन की बात तो सामने आई थी । सांझी छत और अर्द्ध कुमारी के चित्र देख कर आभास हुआ कि यहां की सड़कें अब बहुत बेहतर स्वरूप प्राप्त कर चुकी हैं। हम एक बार दरबार गये थे तो गुफा में पानी में से लेट कर प्रवेश कर अंदर पहुंचे थे जो बड़ा ही रोमांचक था। अगली बार गये तो गुफा बनाई जा चुकी थी जिससे आराम से प्रवेश तो मिल गया पर रोमांच जाता रहा। पुजारी लोग मंदिर में दर्शन भी ठीक से नहीं करने देते हैं, बस दर्शनार्थियों को जल्दी से जल्दी बाहर भगाने की जल्दी रहती है।
    मंदिरों में फोटो खींचना मना है पर हां, अगर कोई फिल्म की शूटिंग के लिये यूनिट आ जाये तो उसके आगे ये ही पुजारी दंडवत करते नज़र आते हैं ! मंदिरों में भी यह सब व्यवसायिकता देख देख कर मन खट्टा हो जाता है। हम लोग कितनी भावनायें मन में संजोये, जैसे तैसे कर के माता के दरबार में पहुंचते हैं पर इन पुजारियों और प्रसाद बेचने वालों में धार्मिकता छू भी नहीं गई है। कटरा में भी ड्राई फ्रूट्स के बड़े से शो रूम में अखरोट के सैंपल दिखाये कोई और, मगर पैक कर के दिये गये कोई और ! सहारनपुर आकर जब देखे तो सब सड़े हुए थे। अब इस मानसिकता को धार्मिकता कैसे कहूं ?

    • सुशांत जी राम राम, सुशांत जी अच्छा ड्राई फ्रूट जम्मू में ही मिलता हैं, रघुनाथ बाज़ार में चुन्नी लाल अमरनाथ की मशहूर दुकान हैं, वंहा से हम हर साल खरीदारी करते हैं, पर आज तक कोई धोखा नहीं हुआ हैं. इसी सामने ही मुग़ल कश्मीर एम्पोरियम हैं जंहा से आप लोग शाल, गर्म कपडे, बर्फानी आदि खरीद सकते हैं, इसके अलावा बनिया सुपर मार्केट में सभी सामान वाजिब रेट पर मिल जाता हैं..यह सभी दुकाने रघुनाथ बाज़ार में रघुनाथ मंदिर के पास स्थित हैं…

  • Surinder Sharma says:

    प्रवीण जी,
    बहुत विस्तार से आपने माता के भवन का वर्णन किया है। फोटो भी अत्यंत सुंदर आये है। हेलिपैड काफी अच्छा दिख रहा है और रेलवे स्टेशन के बारे में जानकार अच्छा लगा। अब लोग जल्दी दर्शन कर सकेंगे।
    धन्यवाद

  • Vipin says:

    बढ़िया जानकारी प्रवीण जी, खासतौर पर कटरा तक प्रस्तावित ट्रेन के बारे में. फोटोज भी बड़े खुबसूरत हैं. स्वतन्त्र यात्राओं की शुरुआत मैंने वैष्णों देवी के पावन धाम से ही की थी, यादें ताज़ा कराने के लिए शुक्रिया!

  • Mahesh Semwal says:

    Jai Mata di !

    Pictures are too good , especially clicked from Sanjhi chath & Bhairav mandir.

  • Ritesh Gupta says:

    प्रवीन जी…. राम राम ….!
    जय माता दी….
    माता के दरबार में कई बार जा चुका हूँ पर जब भी श्री वैष्णो देवी की कथा और वहाँ की यात्रा के बारे में कितना भी पढ़ो हमेशा हमारा शीश माता के नमन में झुक जाता हैं और ह्रदय भक्ति भावना से भर जाता हैं…..| आज का आपका लेख पूर्णत भक्ति भावना से ओत-प्रोत और सम्पूर्ण विवरण से सारोबार लगा…. बहुत अच्छा लिखा आपने …फोटो भी बहुत अच्छे लगे…| आज कल यहाँ पर यात्रीयो हेतु काभी सुविधाएँ पहले के मुकाबले काफी अच्छी हो गयी हैं….|
    एक बार शिव खोरी जाते से यह कटरा क स्टेशन देख चुका हूँ…..यह स्टेशन शुरू हो जाने के बाद यहाँ के लिए काफी सुविधा हो जायेगी….
    धन्यवाद

  • Ritesh Gupta says:

    प्रवीन जी…. राम राम ….!
    जय माता दी….
    माता के दरबार में कई बार जा चुका हूँ पर जब भी श्री वैष्णो देवी की कथा और वहाँ की यात्रा के बारे में कितना भी पढ़ो हमेशा हमारा शीश माता के नमन में झुक जाता हैं और ह्रदय भक्ति भावना से भर जाता हैं…..| आज का आपका लेख पूर्णत भक्ति भावना से ओत-प्रोत और सम्पूर्ण विवरण से सारोबार लगा…. बहुत अच्छा लिखा आपने …फोटो भी बहुत अच्छे लगे…| आज कल यहाँ पर यात्रीयो हेतु काभी सुविधाएँ पहले के मुकाबले काफी अच्छी हो गयी हैं….|
    एक बार शिव खोरी जाते से यह कटरा का स्टेशन देख चुका हूँ…..यह स्टेशन शुरू हो जाने के बाद यहाँ के लिए काफी सुविधा हो जायेगी….
    धन्यवाद

    • रितेश जी जय माता की, धन्यवाद बहुत बहुत, हमारा बस चले तो माता के द्वार पर हर महीने चला जाए, पर हो नहीं पाता हैं…

  • Mukesh Bhalse says:

    प्रवीण जी,
    बहुत सुन्दर तथा विस्तृत वर्णन तथा तस्वीरें भी लाज़वाब। कटरा तक रेल मार्ग के बारे में जानकर बहुत प्रसन्नता हुई। अभी तक हम तो माता जी के दर्शन नहीं कर पाए हैं, लगता है अपनी पहली वैष्णो देवी यात्रा में ही कटरा तक ट्रेन में जाने की सुविधा का लाभ उठा पायेंगे। जानकारी के लिए धन्यवाद।

  • मुकेश जी धन्यवाद, जय माता की..

  • ankit says:

    प्रवीण जी नमस्ते,
    विस्तृत जानकारी एवं माता का इतिहास बताने के लिए धन्यवाद। आपकी जानकारी के लिए मैं घुमक्कड़ पे नया सदस्य हूँ तथा ये घुमक्कड़ पर मेरी पहली प्रतिक्रिया है। मैं 1 फ़रवरी को सपरिवार वैष्णोदेवी एवं शिव खोड़ी जा रहा हूँ और हाल ही में इंदौर से जम्मू का रिजर्वेशन करवाया है। ये मेरी पहली वैष्णोदेवी यात्रा हैं अतः आपकी पोस्ट पढ़ कर काफी उत्साहवर्धन हुआ और बहुत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई। वैसे तो आपने छोटी से छोटी बात का वर्णन अपनी पोस्ट में किया है परन्तु फिर भी मेरे जैसे पहली बार जाने वालों के लिए आपके सुझावों का स्वागत है।
    अगले भाग की प्रतीक्षा में।
    धन्यवाद्।

    • अंकित जी जय माता की. आपका घुमक्कड पर स्वागत हैं. बहुत अच्छी बात है की आप माता के दर्शन के लिए जा रहे हैं. इस समय भीड़ भी नहीं होगी. पर गर्म कपडे ले जाने का जरुर ध्यान रखना. आपका बहुत धन्यवाद, आपको पोस्ट अच्छी लगी.

      • Ankit says:

        प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद् प्रवीण जी। कृपया अपना फोन नंबर देने का कष्ट करें। अगर कमेंट के माध्यम से देने में संकोच हो तो मुझे ईमेल भी कर सकते हैं। मेरा ID है ankitgautam87@gmail.com
        जय माता दी।

  • vinay tiwari says:

    Jai Mata vaishno devi !
    Dear praveen ji,thanks for your ultimate information about mata de !
    I have booked my reservation on 26 to 31 march 2013 with my family frist time for Mata Vaishno Devi -mata ki kripa se
    but there getting error to registred at Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board for booking room at katra & manokamna bhawan

    if possible pls provide your mob no me on my mail id -svinay50@yahoo.com

    • विनय जी, राम राम, कटरा में और मनोकामना भवन में बुकिंग ३० दिन पहले खुलती हैं. और वो भी रात के बारह बजे बैठना पड़ता हैं. नहीं तो रूम बुक हो जाते हैं. क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ही बुक होते हैं. यदि यंहा से भी बुक ना हो तो सबसे पहले कटरा पहुँचते ही निहारिका भवन में जाकर बुक कराने से रूम मिलने की संभावना रहती हैं.

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