साथियों,
इस शà¥à¤°à¤‚खला की पिछली पोसà¥à¤Ÿ में मैने आप लोगों को हमारे ओंकारेशà¥à¤µà¤° टूर के बारे में बताया था, करीब सात बजे हम लोग अपनी शेवरोले सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥à¤• से ओंकारेशà¥à¤µà¤° पहà¥à¤‚च गये। हमेशा की तरह इस बार à¤à¥€ हम लोग शà¥à¤°à¥€ गजानन महाराज संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में ही रà¥à¤•े, कà¥à¤› देर आराम करने के बाद हमने संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ में सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ खाना खाया और निकल पड़े à¤à¤—वान ओंकार की शयन आरती में शामिल होने के लिये। शयन आरती से आने के बाद हम अपने कमरे में आकर लेट गये।
हम लोग साल में कम से कम दो बार तो ओंकारेशà¥à¤µà¤° जाते ही हैं, लेकिन अब तक हमने कà¤à¥€ ओंकार परà¥à¤µà¤¤ की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के बारे में नहीं सोचा था, बस हमेशा से सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ आ रहे थे की यह परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ बहà¥à¤¤ फ़लदायी होती है तथा ओंकारेशà¥à¤µà¤° दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये पधारे सà¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को इस परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ का लाठउठाना ही चाहिये, पर इस बार मैं घर से सोच कर ही आई थी की इस बार कैसे à¤à¥€ यह परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करनी ही है। अब तक हम लोग बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की वजह से परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के बारे में सोच ही नहीं पाठथे.
हमारी गà¥à¥œà¤¿à¤¯à¤¾ तो बड़ी है लेकिन शिवम अà¤à¥€ छोटा है अत: हमें यही डर था की शिवम सात किलोमीटर की यह परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ पैदल कर पायेगा की नहीं। मैनें रात को सोने से पहले शिवम से पà¥à¤›à¤¾ की हम लोग सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ जागकर पैदल परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ करने जायेंगे, तà¥à¤® हमारे साथ चल पाओगे? चà¥à¤‚कि उसे रासà¥à¤¤à¥‡ की लंबाई का à¤à¤¹à¥à¤¸à¤¾à¤¸ नहीं था अत: उसने बड़े उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से हामी à¤à¤° दी।
अनà¥à¤¤à¤¤: मà¥à¤•ेश ने तथा मैनें à¤à¥€ यह निरà¥à¤£à¤¯ ले ही लिया कि शिवम अगर पैदल नहीं à¤à¥€ चल पाया तो धीरे धीरे कैसे à¤à¥€ करके उसे गोद में उठा कर परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¥€ करेंगे, जब निरà¥à¤£à¤¯ हो गया तो सà¥à¤¬à¤¹ पाà¤à¤š बजे का अलारà¥à¤® à¤à¤° कर हम सो गये, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¥-८ किलोमीटर पैदल चलना था अत: सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ ठंडे मौसम में परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ हो जाये तो ठीक रहेगा वरà¥à¤¨à¤¾ दोपहर में गरà¥à¤®à¥€, थकान और पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ से बà¥à¤°à¤¾ हाल हो जाता।
सà¥à¤¬à¤¹ अलारà¥à¤® बजते ही मà¥à¤•ेश जी उठखड़े हà¥à¤ और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को जगाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने लगे। ठंड के मौसम में बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को जगाना वैसे ही मà¥à¤¶à¥à¤•िल होता है, फिर वो à¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ ५ बजे ………सचमà¥à¤š बड़ी टेढी खीर थी लेकिन आखीर हो ही गया।
फ़टाफ़ट तैय़ार होकर हम सब निकल पड़े, पहले हम à¤à¤—वान ओंकारेशà¥à¤µà¤° के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पहà¥à¤‚चे, सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¥€à¥œ बिलà¥à¤•à¥à¤² à¤à¥€ नहीं थी अत: ओंकारेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग के बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ से दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤, दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद करीब साढे छ: बजे हम लोग परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— की ओर चल दिये, थोड़ा पैदल चलकर अब हम नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के किनारे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर पहà¥à¤‚च गये जहां से ओंकार परà¥à¤µà¤¤ की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहोती है।
ओंकार परà¥à¤µà¤¤ परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के बारे में:
वसà¥à¤¤à¥à¤¤:ओंकारेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग मनà¥à¤¦à¤¿à¤° à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤ की तलहटी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है, इस परà¥à¤µà¤¤ को ओंकार परà¥à¤µà¤¤ कहा जाता है, यह परà¥à¤µà¤¤ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के बीच में à¤à¤• दà¥à¤µà¤¿à¤ª (टापà¥) के रà¥à¤ª में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है तथा “॔ आकार का है इसीलिये इसे ओंकार परà¥à¤µà¤¤ तथा मनà¥à¤¦à¤¿à¤° को ओंकारेशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° कहा जाता है। सदियों से ओंकारेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के साथ ही ओंकार परà¥à¤µà¤¤ की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ का à¤à¥€ बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µ बताया जाता है, कहा जाता है की ओंकार परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के बिना ओंकारेशà¥à¤µà¤° यातà¥à¤°à¤¾ अधà¥à¤°à¥€ होती है। यह परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— लगà¤à¤— आठकिलोमिटर लंबा है तथा इसे à¤à¤•à¥à¤¤à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को पैदल ही पूरा करना होता है, इसे पूरा करने में सामानà¥à¤¯à¤¤: तीन घनà¥à¤Ÿà¥‡ लगते हैं। परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कई पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¿à¤¨ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° इस बात के गवाह हैं कि इस परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ का ईतिहास à¤à¥€ उतना ही पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है जितना कि ओंकारेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग का।

परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहोने के कà¥à¤› ही देर बाद रासà¥à¤¤à¥‡ में आता है यह सà¥à¤‚दर मंदिर

परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— से दिखाई देता नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ किनारे à¤à¤• मंदिर
आइये पà¥à¤¨:चलते हैं हमारे यातà¥à¤°à¤¾ वरà¥à¤£à¤¨ की ओर:
ठीक सात बजे हमारी यह परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहà¥à¤ˆ, इस समय पूरी तरह से सà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ à¤à¥€ नहीं हà¥à¤† था और हलà¥à¤•ा सा अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ था अत: ठंड à¤à¥€ बहà¥à¤¤ लग रही थी, थोड़ा ठिठà¥à¤°à¤¤à¥‡, थोड़ा सिहरते लेकिन उमंग, उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और जोश से à¤à¤°à¥‡ हम चारों चलते ही जा रहे थे। हमारे परिवार के अलावा इस समय परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ पथ पर à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² से आया कौलेज के सà¥à¤Ÿà¥à¤¡à¥‡à¤¨à¥à¤Ÿà¥à¤¸ का à¤à¤• गà¥à¤°à¥à¤ª à¤à¥€ था।
हम दोनों को शिवम की चिनà¥à¤¤à¤¾ हो रही थी कि पता नहीं कब गोद में लेने की जिद करने लगे, लेकिन शिवम को तो जैसे à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा ने पंख लगा दिये थे वह तो बिना थके बिना हम लोगों की परवाह किये अपनी मसà¥à¤¤à¥€ में मसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥‡ जोश के साथ कà¤à¥€ चल रहा था तो कà¤à¥€ दौड़ लगा कर बस चले ही जा रहा था।
हम तीनों में à¤à¥€ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और उमंग की कोई कमी नहीं थी, कई सालों के बाद आज हमारा इस परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ का सपना पà¥à¤°à¤¾ होने जा रहा था। सà¥à¤¬à¤¹ का सà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ मौसम और यातà¥à¤°à¤¾ मारà¥à¤— का नैसरà¥à¤—ीक सौंदरà¥à¤¯, बीच बीच में दिखाई देती सà¥à¤‚दर, पावन और निशà¥à¤›à¤² मां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ ………..सबकà¥à¤› बिलà¥à¤•à¥à¤² à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ की तरह लग रहा था। जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था, ठंड कम होती जा रही थी और सà¥à¤°à¥à¤¯ की कोमल किरणें वातावरण में गरà¥à¤®à¤¾à¤¹à¤Ÿ का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° कर रहीं थीं।

पà¥à¤°à¥‡ परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— पर शिलालेखों के रà¥à¤ª में मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ विà¤à¤¾à¤— की ओर से गीता के शà¥à¤²à¥‹à¤• उकेरे गये हैं.

ननà¥à¤¹à¥‡ शिवम ने सात किलोमिटर की यह परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ पैदल चलकर पà¥à¤°à¥€ की

परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के दौरान पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤šà¥€à¤¤à¥à¤¤ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में शिवम
यातà¥à¤°à¤¾ मारà¥à¤— के बीच में à¤à¤• से à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° छोटे, बड़े मनà¥à¤¦à¤¿à¤° आ रहे थे कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¿à¤¨, कà¥à¤› नवनिरà¥à¤®à¤¿à¤¤, हम हर à¤à¤• मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के दरà¥à¤¶à¤¨ बड़े ही मनोयोग से करते हà¥à¤ अपनी राह पर आगे बढते चले जा रहे थे। à¤à¤• जगह तो à¤à¤—वान शिव की à¤à¤• अति विशाल मà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ थी जिसे हम वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से लेकिन दà¥à¤° से देखते चले आ रहे थे लेकिन आज उस मà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ को करीब से देखने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ मिला था, इस मà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ के निचे à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सा मनà¥à¤¦à¤¿à¤° था जिसके दरà¥à¤¶à¤¨ करके हम आगे बढे।
कौलेज के उन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¥à¤ª और हमारे बीच à¤à¤• अनà¥à¤œà¤¾à¤¨à¥€ सी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—ीता सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो गई थी, कà¤à¥€ वे हमसे आगे निकल जाते तो कà¤à¥€ हम उनसे. अब तक हम इस परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— का आधा हिसà¥à¤¸à¤¾ तय कर चà¥à¤•े थे, लेकिन शिवम ने à¤à¤• बार à¤à¥€ गोद में उठाने के लिये जिद नहीं की, वह अब à¤à¥€ उसी उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ के साथ चले जा रहा था, उसके चेहरे पर थकान का लेश मातà¥à¤° à¤à¥€ संकेत नहीं था, यह बात हमारे लिठकिसी आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• घटना से कम नहीं थी।

गौरी सोमनाथ मंदिर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ विशाल शिवलिंग
रासà¥à¤¤à¥‡ में किसी मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के सामने पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के रà¥à¤ª में चावल की गरà¥à¤®à¤¾à¤—रà¥à¤® खिचडी मिल रही थी, मà¥à¤•ेश तथा दोनों बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने बड़े चाव à¤à¤• à¤à¤• दोने में खिचड़ी खाई, मेरा वà¥à¤°à¤¤ होने कि वजह से मैं नहीं खा पाई, पास में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पà¥à¤¯à¤¾à¤Š से पानी पीकर हम फिर चल पड़े अपनी राह पर। अब हम लोग इस परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ का लगà¤à¤— असà¥à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ हिसà¥à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¾ कर चà¥à¤•े थे, शिवम अब à¤à¥€ थका नहीं था और हम अब और à¤à¥€ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•ित थे। पà¥à¤°à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ में कà¥à¤› छोटी बड़ी खाने, पीने की दà¥à¤•ानों के अलावा अनà¥à¤¯ सामानों की दà¥à¤•ानें à¤à¥€ मिलती रहीं।
मà¥à¤•ेश जी ने à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से पà¥à¤›à¤¾ कि अब और कितना रासà¥à¤¤à¤¾ बाकि है तो उसने बताया कि बस अब कà¥à¤› à¤à¤• डेढ किलोमिटर ही बचा है, सà¥à¤¨à¤•र हमारी खà¥à¤¶à¥€ का ठिकाना ही नहीं रहा, हमारी मंज़िल अब हमसे कà¥à¤› ही मिनट दà¥à¤° थी, और शिवम ने अब तक उठाने के लिये à¤à¤• बार à¤à¥€ नहीं कहा था।
अनà¥à¤¤ में à¤à¤• मनà¥à¤¦à¤¿à¤° (नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव मनà¥à¤¦à¤¿à¤°) आया और उसके बाद हमारे सामने थीं कलकल करती मां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ यानी इसका मतलब था की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾ का अनà¥à¤¤à¤¿à¤® छोर हमारे सामने था, यानी हमने यह परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¥€ कर ली थी.

ओंकार परà¥à¤µà¤¤ परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— से दिखाई देती नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ à¤à¤µà¤‚ ओंकारेशà¥à¤µà¤°

लगà¤à¤— समापà¥à¤¤ होता परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— à¤à¤µà¤‚ ओमà¥à¤•ारेशà¥à¤µà¤° का मोहक दà¥à¤°à¤¶à¥à¤¯
“आप सोच सकते हैं छ: साल का वह बचà¥à¤šà¤¾ जो पाà¤à¤š मिनट से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पैदल चलना पसनà¥à¤¦ नहीं करता, आज पà¥à¤°à¥‡ सात-आठकिलोमिटर के उबड़ खाबड़, पथरीले और पहाड़ी रासà¥à¤¤à¥‡ पर तीन घंटे लगातार पैदल चलता रहा और à¤à¤• बार à¤à¥€ गोद में उठाने की जिद नहीं की ?? हमारे लिये तो यह घटना किसी आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ से कम नहीं”।
तो इस तरह से हमारी यह ओंकार परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤£ हà¥à¤ˆ, बिना किसी रà¥à¤•ावट या अवरोध के खà¥à¤¶à¥€ खà¥à¤¶à¥€ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹, जोश और उमंग के साथ.
अब परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के बाद मेरी इचà¥à¤›à¤¾ हà¥à¤‡ कि नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤£à¥€ घाट पर जा कर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के जल से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया जाये अत: à¤à¤• नाविक से बात करके १५० रà¥. में हम तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤£à¥€ संगम पर पहà¥à¤‚च गये, चà¥à¤‚कि हम सà¥à¤¬à¤¹ यातà¥à¤°à¤¾ पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करके ही निकले थे और नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ क पानी बहà¥à¤¤ ठनà¥à¤¡à¤¾ à¤à¥€ था अत: यहां मà¥à¤‚ह हाथ धोकर शरीर पर जल छिंटे मारकर पवितà¥à¤°à¤® पवितà¥à¤°à¤® कर लिया और वपस नाव में बैठकर ममलेशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° वाले किनारे पर पहà¥à¤‚च गये.

परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ मारà¥à¤— का अनà¥à¤¤à¤¿à¤® छोर……..हà¥à¤°à¥à¤°à¥‡…हमारी परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ
ममलेशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में ओंकारेशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में à¤à¥€à¥œ बहà¥à¤¤ कम होती है तथा यहां जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग का सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ तथा अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• à¤à¥€ किया जा सकता है जबकी ओंकारेशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग का दिन ब दिन कà¥à¤·à¤°à¤£ होने की वजह से उस पर अब कांच का आवरण चढा दिया गया है। ममलेशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में हमने शानà¥à¤¤à¤¿ से बैठकर अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• तथा रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤•म का पाठकिया तथा कà¥à¤› समय बिताने के बाद मनà¥à¤¦à¤¿à¤° से बाहर आ गये.
पिछले कà¥à¤› दिनों से à¤à¤• टी.वी. चेनल पर लगातार दिखाया जा रहा था की ओंकारेशà¥à¤µà¤° में à¤à¤• पतà¥à¤¥à¤° के करीब से अपने आप ही à¤à¤• तेज धार के रà¥à¤ª में लगातार पानी निकल रहा है, कहां से और कैसे यह किसी को नहीं मलूम था। अचानक मà¥à¤à¥‡ उस चैनल की वह नà¥à¤¯à¥à¤œ याद आ गई अत: हमने à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯ दà¥à¤•ानदार से इस बारे में पà¥à¤›à¤¾ तो उसने हमें इशारे से वह जगह बता दी, और जब हम उस पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• पानी के सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤ के करीब पहà¥à¤‚चे तो हमारे आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ का ठीकाना ही नहीं रहा सचमà¥à¤š यह à¤à¤• अदà¥à¤à¥‚त नज़ारा था. अब लोगों ने वहां पर à¤à¤• गोमà¥à¤– बना दिया है तथा जलधारा के निचे à¤à¤• शिवलिंग सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया है, चौबिसों घंटे चारों पहर इस शिवलिंग पर पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• जलधारा से शिव का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• होता रहà¥à¤¤à¤¾ है.
आप à¤à¥€ इस चमतà¥à¤•ार के दरà¥à¤¶à¤¨ कर लिजिये.

à¤à¥‹à¤²à¥‡ का चमतà¥à¤•ार – इस पानी के सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤ का कोई अता पता नहीं है…….
ओंकारेशà¥à¤µà¤° से कà¥à¤› दस किलोमीटर आगे रासà¥à¤¤à¥‡ में शिवकोठी नामक à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है जहां पर ॠनम: शिवाय मिशन नामक à¤à¤• आशà¥à¤°à¤® है, जिसकी देख रेख सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शिवोहम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ करते हैं, यहां पर मिशन के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• नम: शिवाय मनà¥à¤¤à¥à¤° बैंक सनà¥à¤šà¤¾à¤²à¤¿à¤¤ की जाती है इस बैंक में शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ अपने घर पर   मनà¥à¤¤à¥à¤° लेखन पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤•ाओं में ॠनम: शिवाय मनà¥à¤¤à¥à¤° क लेखन करके यहां जमा कराते हैं, यह à¤à¥€ à¤à¤• तरह की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ ही है और मैं à¤à¥€ इस मिशन तथा मनà¥à¤¤à¥à¤° बैंक की सदसà¥à¤¯ हà¥à¤‚। यहां सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शिव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में पिछà¥à¤²à¥‡ १५ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से अनवरत ॠनम: शिवाय धà¥à¤¨ लगातार कà¥à¤› à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ लोगों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गाई जा रही है जिसका कà¥à¤°à¤® कà¤à¥€ à¤à¥€ नहीं टूटता है।

शà¥à¤°à¥€ नम: शिवाय मिशन शिवकोठी – ओंकारेशà¥à¤µà¤°
हम लोग जब à¤à¥€ ओंकारेशà¥à¤µà¤° आते हैं तो यहां कà¥à¤› देर के लिये जरूर रà¥à¤•ते हैं, यहां पर सà¤à¥€ के लिये नि:शà¥à¤²à¥à¤• à¤à¥‹à¤œà¤¨ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ रहती है। कà¥à¤› देर यहां बिताने के बाद हमने अपने घर की ओर रà¥à¤– किया।
आज के लिये बस इतना ही, इस शà¥à¤°à¤‚खला की अगली कड़ी के रूप में जलà¥à¤¦ ही मैं आपलोगों को रà¥à¤¬à¤°à¥‚ कराउंगी ओंकारेशà¥à¤µà¤° में ठहरने के सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® साधन के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ शà¥à¤°à¥€ गजानन महाराज संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से………..तब तक के लिये बाय.
यहाँ बैठे बैठे ओंकार पर्वत की परिक्रमा कराने के लिए धन्यवाद कविता जी। ये शिवम् की हिम्मत ही है कि 7 किलोमीटर का रास्ता पैदल पार कर लिया। वानर भोजनालय के बारे मे पहली बार ही सुना और देखा। मंदिरों के फोटो अच्छे है।
सौरभ जी,
इस सुन्दर तथा भावपूर्ण टिप्पणी के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद।
Nicely composed, nice photos, lots of information, thanks for sharing.
Regards
Anupam Mazumdar
Anupam ji,
Nice comment, nice words. Thanks for this lovely comment.
कविताजी सप्रेम आशीर्वाद.
ओम्कारेश्वरजीके दर्शन करानेकेलिए धन्यवाद.शिवम तुसी ग्रेट हो.मैने हालहीमे नर्मदामैय्याकी पैदल परिक्रमा पुरी की है.२५ऑक्टोबर २०१२ से २५ मार्च२०१३. बहुत सुन्दर अनुभव था.आप मध्यप्रदेशके लोग बहुतही आतिथ्यशील ,प्यारे हो. परिक्रमावासीको इतना मानसन्मान देते हो आपकी वजहसेही हमारी ये कठीण यात्रा सफल हो सकी.
वन्दना जी,
सबसे पहले तो देरी से प्रत्युत्तर देने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। इतने मधुर शब्दों में कमेन्ट भेजने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपके द्वारा की गई माँ नर्मदा परिक्रमा के आगे हमारी यह छोटी सी परिक्रमा तो कुछ भी नहीं है।
आप अपनी इस परिक्रमा के बारे में घुमक्कड़ पर लिखें तो बहुत अच्छा होगा, हम सबको भी नर्मदा परिक्रमा तथा मार्ग की जानकारी मिल जायेगी।
धन्यवाद.
बहुत बढ़िया , कदम से कदम, निर्देशित लेख । पढ़ लेने भर से लगता है थोडा बहुत हमने भी कर लिया । शिवम् को आशीर्वाद पर साथ साथ संस्कृति, मुकेश और आपको भी बधाई , 7-8 किलोमीटर किसी के लिए भी कोई कम दूरी नहीं है । गजानन संसथान के बारे में मेरे ख्याल से मुकेश लिख चुकें हैं पर आपके वर्जन का इंतज़ार रहेगा ।
नंदन जी,
इतनी सुन्दर कमेन्ट के माध्यम से मनोबल बढाने का शुक्रिया, शिवम् तथा संस्कृति को आशीर्वाद तथा हमें बधाई देने के लिए भी आपका शुक्रिया।
जी हाँ मुकेश जी पहले भी गजानन महाराज संस्थान के बारे में लिख चुके हैं लेकिन वो गजानन महाराज संस्थान शेगांव का वर्णन था और मैं यहाँ गजानन महाराज सेवा संस्थान ओम्कारेश्वर का जिक्र कर रही हूँ .
कविता जी, बहुत बढ़िया विवरण है … चित्रों की गुणवत्ता में बहुत फरक पड़ा है
sorry for delayed response.
कविता जी….
आपके से ओंकारेश्वर जी परिक्रमा करके हम तो धन्य हुए….बहुत सुंदर वर्णन…| वो कहते है न की बच्चो में भगवान बसता है….और बच्चो के मूड का कुछ पता नहीं …..वैसे ही लगता है कि भगवान भोले नाथ जी नन्हे शिवम को कोई शक्ति दे दी जिस कारण आपने उनके धर्म स्थल परिक्रमा सफलता पूर्वक बिना किसी परेशानी के पूरी कर ली….
फोटो बहुत अच्छे लगे…….
धन्यवाद…..और माफ़ी देर से टिप्पणी के लिए…..
श्रीराम…..
नर्मदे हर ,नर्मदे,हर,नर्मदे हर …….
श्री ओंकारेश्वर कि परिक्रमा वर्णन -फोटो बहुत प्रभावी है. श्री मय्याजी कि परिक्रमा हमारी बस से
२० दिन मे २०१३ मे मां-नर्मदा और सदगुरु कि कृपासे पुरी हुई .
आगे चाल के श्री-ओंकारेश्वर जी कि छोटी परिक्रमा करणे कि मनीषा आपके यह पोस्ट से सजीव
हो गई . आपको बहुत धन्यवाद . छोटे बाबू कुमार शिवम को ढेर सर प्र्यार और आशीर्वाद .
मुकुंद कुलकर्णी धुलिया महाराष्ट्र से
Nice post very very thankyou for information mujhe bhi Jana hai sawan me 2016 kripya rasta bataye Varanasi s hoon lokesan de please how can I reach there bus or train. Please