गतांक से आगे….
[ पिछले अंक तक आपने हमारी कैमà¥à¤ª रोकà¥à¤¸ के à¤à¥€à¤¤à¤° की गतिविधियों के बारे में जाना, अब आगे…. ]
रेणà¥à¤•ाजी à¤à¥€à¤² की दूरी कैमà¥à¤ª रोकà¥à¤¸ से 43 किमी के लगà¤à¤— है | नाहन की तरफ वापसी के रासà¥à¤¤à¥‡ पर, कोई 10 किमी पहले ही, बायीं और à¤à¤• सढ़क निकलती है जो कि आपको रेणà¥à¤•ाजी à¤à¥€à¤² की तरफ ले जाती है | धूप, बादल और बरसात इन तीनो की लà¥à¤•ा-छिपी आज à¤à¥€ यूठही जारी है, मगर रासà¥à¤¤à¤¾ साफ़ है, और सढ़क ठीक-ठाक | पूरा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° कà¥à¤¦à¤°à¤¤à¥€ खूबसूरती से सरोबार है, हालांकि सैलानी हिमाचल के इस पूरà¥à¤µà¥€ à¤à¤¾à¤— में अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•ृत कम ही नजर आते है | कम ऊंचाई और समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• के सीमित साधन समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ इसका कारण हो सकते है, अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ नाहन और उसके आस-पास का à¤à¥‚ à¤à¤¾à¤— किसी à¤à¥€ तरह से हिमाचल के दूसरे हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ से खूबसूरती में कम नही !  Â
यदि आप चाहें तो कैमà¥à¤ª रोंकà¥à¤¸ से मà¥à¤–à¥à¤¯ सढ़क तक का सफर पैदल à¤à¥€ तय कर सकते हैं
पैदल चलते यदि थक जाà¤à¤ तो मारà¥à¤— में आते à¤à¤¸à¥‡ चशà¥à¤®à¥‡ आपकी थकावट दूर कर देते हैं
रेणà¥à¤•ाजी पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से कà¥à¤› पहले, बडोलिया में, सहसा ही आप का सामना लगà¤à¤— 100 फीट ऊंचे à¤à¤• विशालकाय à¤à¤°à¤¨à¥‡ से होता है | दूर पहाढ़ की ऊंचाई से पूरे वेग के साथ गिरती अथाह जल धारा, जब वायॠके आवरण को चीर कर सैंकड़ों फीट नीचे धरती की सतह से टकराती है तो अपने आस-पास के वातावरण में à¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¤à¥ कमà¥à¤ªà¤¨ और गरà¥à¤œà¤¨à¤¾ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करती है, असंखà¥à¤¯ जल कण विखंडित हो कर अपने चारो तरफ कà¥à¤¹à¤¾à¤¸à¥‡ का à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾ मंडल बना देते है जो दूर से देखने à¤à¤° से à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ और अनà¥à¤ªà¤® हो जाता है, और आप कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के इस बेहतरीन नजारे को देखकर निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ ही समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ हो जाते हैं | इस à¤à¤°à¤¨à¥‡ के उदà¥à¤—म का तो पता नही, मगर जिस जगह से इसका जल नीचे गिरता है तथा फिर धरती की वह सतह जिसे यह छूता है, दोनों जगहों पर आपको à¤à¤• à¤à¤• मनà¥à¤¦à¤¿à¤° दिख जायेगा | à¤à¤²à¥‡ ही आप की मंजिल यह à¤à¤°à¤¨à¤¾ नही बलà¥à¤•ि रेणà¥à¤•ाजी à¤à¥€à¤² है, मगर आप इतने निषà¥à¤ à¥à¤° और संवेदनहीन नही हो सकते कि à¤à¤¸à¥‡ दà¥à¤°à¥à¤²à¤ दृशà¥à¤¯ को रà¥à¤•े बगैर, अपने कैमरे के लैंस के आगे से यूठही जाने दें |
रेणà¥à¤•ाजी की राह में आया यह à¤à¤°à¤¨à¤¾, à¤à¤• बोनस ही है
à¤à¤°à¤¨à¥‡ से गिरते पानी ने जिस खडà¥à¤¡ का रूप ले लिया है, उस पर बने इस पà¥à¤² को पार कर आप को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ करना है
आप चाहें तो हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की इस दूरदृषà¥à¤Ÿà¤¿ के लिये सराहना कर सकते हैं कि यहाठयहाठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤•ृति को अपने विलकà¥à¤·à¤£ रूप में पाया उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उसे सरà¥à¤µ सà¥à¤²à¤ और सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ बनाये रखने के लिये उस पर धरà¥à¤® का आवरण ओढ़ दिया, मगर शायद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ यह अंदाजा नही रहा होगा कि à¤à¤• दिन हम संखà¥à¤¯à¤¾ में इतने जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हो जायेंगे कि à¤à¤¸à¥‡ अदà¥à¤à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक नज़ारों को ही à¤à¤• दिन अपने सरंकà¥à¤·à¤£ के लाले पढ़ जायेंगे और फिर ऊपर से तथाकथित विकास और बाज़ार आधारित अंधाधà¥à¤‚ध औधोगिककरण, जिसके कारण आज सà¥à¤¦à¥‚र हिमालय की ऊंची चोटियों से लेकर समà¥à¤¦à¥à¤° और रेगिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ तक धरती का कोई à¤à¥€ कोना बिना धारà¥à¤®à¤¿à¤• आगà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ और पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण से बच नही सका है | हिमाचल का यह आखिरी पूरà¥à¤µà¥€ छोर कà¥à¤› हद तक तथाकथित विकास के इन सोपानो से बचा हà¥à¤† है, यह à¤à¤• बढ़ी राहत की बात है | जिस जगह पर विशाल जलराशी गिरती है, वहाठये पानी à¤à¤• छोटी नदी का रूप ले लेता है, इसी के मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ पर à¤à¤• छोटा सा मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है, जो समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ आस-पास के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में रहने वालों के लिये धारà¥à¤®à¤¿à¤• आसà¥à¤¥à¤¾ का केंदà¥à¤° है | इस नदी के ऊपर से बने à¤à¤• पà¥à¤² को पार करके आपको आगे रेणà¥à¤•ाजी à¤à¥€à¤² के लिये पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ करना है |
à¤à¥€à¤² शबà¥à¤¦ तो सà¥à¤µà¤¯à¤® में ही सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ लिंग है, इसलियें रेणà¥à¤•ा नाम तो अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ है, परनà¥à¤¤à¥ पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤° हमे जो à¤à¥€ साइन बोरà¥à¤¡ दिखे, सà¤à¥€ पर à¤à¥€à¤² का नाम रेणà¥à¤•ाजी लिखा हà¥à¤† है, हमे आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ तो है, परनà¥à¤¤à¥ इससे à¤à¤• अंदाजा à¤à¥€ लग जाता है कि समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ इसका कोई धारà¥à¤®à¤¿à¤• कारण अवशà¥à¤¯ होगा, परनà¥à¤¤à¥ इसके मिथकीय इतिहास से अà¤à¥€ तो हम सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž हैं, हमने तो केवल इतना à¤à¤° सà¥à¤¨à¤¾ था कि इसकी आकृति à¤à¤• लेटी हà¥à¤ˆ महिला सरीखी है और इसके काफी बढ़े हिसà¥à¤¸à¥‡ पर कमल के फूल खिलते हैं |
इधर हमारी यातà¥à¤°à¤¾ जारी है और अब जिस जगह पर पहà¥à¤‚चे हैं, वह परशà¥à¤°à¤¾à¤® और रेणà¥à¤•ाजी का मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है | à¤à¤• ही पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में रेणà¥à¤•ाजी के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के साथ ही परशà¥à¤°à¤¾à¤®à¤œà¥€ का मनà¥à¤¦à¤¿à¤°…, मसà¥à¤¤à¤¿à¤• से सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ का धà¥à¤‚धलका मिटने लगा, याद आया कि रेणà¥à¤•ा जी तो परशà¥à¤°à¤¾à¤® की माता जी थी, कà¥à¤› हमने याद किया, कà¥à¤› इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° से पता चला, तो कà¥à¤² मिलाकर जो जानकारी इकटà¥à¤ ी हà¥à¤ˆ, उसका सार कà¥à¤› इस पà¥à¤°à¤•ार है-
हिमाचल के इसी परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के जंगलो की कंदराओं में ऋषि जमदगà¥à¤¨à¤¿ अपनी पतà¥à¤¨à¥€ रेणà¥à¤•ा के साथ à¤à¤• आशà¥à¤°à¤® में रहते थे | असà¥à¤° सहसतà¥à¤°à¤œà¥à¤¨ की नीयत डोली और ऋषि पतà¥à¤¨à¥€ रेणà¥à¤•ा को पाने की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ में उसने ऋषि जमदगà¥à¤¨à¤¿ का वध कर दिया | रेणà¥à¤•ा ने अपने सत की रकà¥à¤·à¤¾ और दà¥à¤·à¥à¤Ÿ असà¥à¤° से बचने हेतॠसà¥à¤µà¤¯à¤®à¥ को जल में समाधिषà¥à¤ कर लिया, बाद में परशà¥à¤°à¤¾à¤® और देवतायों ने असà¥à¤° का वध किया, और ऋषि व रेणà¥à¤•ा को नव जीवन दिया और फिर ठीक उस जगह से à¤à¤• जल धारा फूटी जिससे इस à¤à¥€à¤² का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हà¥à¤† | मिथक कà¥à¤› à¤à¥€ हो, परनà¥à¤¤à¥ आस पास के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के निवासियों में इस जगह का धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤µ है और वह इस दंत कथा को मानते à¤à¥€ हैं इसका सबसे बढ़ा जà¥à¤µà¤²à¤‚त पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ तो यह ही है कि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासी जब इस à¤à¥€à¤² में नौका विहार के लिये जाते हैं तो अपने जूते-चपà¥à¤ªà¤² किनारे पर ही उतार देते हैं |
आखिर परशà¥à¤°à¤¾à¤® और रेणà¥à¤•ा मनà¥à¤¦à¤¿à¤° तक तो हम पहà¥à¤à¤š ही गठहैं
इस तीरà¥à¤¥ की पौराणिक गाथा बताता à¤à¤• पटल
मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण à¤à¤¸à¥‡ ही पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के कारण खà¥à¤¶à¤—वार है
रेणà¥à¤•ाजी मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के à¤à¥€à¤¤à¤° वरहा à¤à¤—वानॠकी मूरà¥à¤¤à¤¿
और इधर, इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के सामने जो विशाल ताल है, इसे परशà¥à¤°à¤¾à¤® ताल कहते है | इसमे पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤°à¤¾ में जलीय पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मौजूद हैं, तमाम तरह की मछलियों के अलावा, कछà¥à¤“ं की à¤à¥€ कà¥à¤› पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ आपको यहाठदिख जायेंगी और फिर ढेर सारी बतखें à¤à¥€ | निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ तौर पर यह मनà¥à¤¦à¤¿à¤° और इसके आसपास का वातावरण मनोहर हैं, रमणीक à¤à¥€ और सबसे अचà¥à¤›à¤¾ पकà¥à¤· à¤à¥€à¤¢à¤¼-à¤à¤¾à¤¢à¤¼ मà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¥€ है | यहीं से आपको जानकारी मिलती है कि रेणà¥à¤•ा à¤à¥€à¤² यहाठसे कà¥à¤› दूरी पर ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है, और आप अपनी गाढ़ी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वहां तक जा सकते हैं |
कà¥à¤› मिनटों में ही, इस ताल से कà¥à¤› दूरी पर ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रेणà¥à¤•ा à¤à¥€à¤² पर आप अपने को पाते हैं, जहाठआप का सामना कà¥à¤› सरकारी करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से होता है जो आपको बताते हैं कि यदि केवल à¤à¥€à¤² को देखना है तो आपके बायीं तरफ सारी à¤à¥€à¤² ही है और उसका कोई शà¥à¤²à¥à¤• नही, और यदि आप ने चिड़ियाघर à¤à¥€ देखना है तो उसका शà¥à¤²à¥à¤• 50/- रà¥à¤ªà¥ˆà¤¯à¤¾ है | बचà¥à¤šà¥‡ खà¥à¤¦ से ही फैसला कर लेते हैं कि वो तो जरूर देखना है, पैसों का à¤à¥à¤—तान करते ही आप के जाने के लिये गेट खोल दिया जाता है | अब आप सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° है, à¤à¥€à¤² के ही किनारे पर बने à¤à¤• छोटे से चिड़ियाघर को देखने के लिये जिसमे जानवरों के नाम पर केवल शेर, à¤à¤¾à¤²à¥‚ और तेदà¥à¤† ही है | वैसे यदि हिमाचल सरकार चाहे तो इस में अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•ार के जानवर रख कर इसे और à¤à¥€ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ बना सकती है, केवल इन तीन पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ के जानवरों के दम पर इसे मिनी जू का नाम देना कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¤à¥€ ही है, हाà¤, à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ पकà¥à¤· यह है कि कम लोग और कम जानवरों के कारण यहाठकोई रोक टोक नही, आप आराम से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ निहार à¤à¥€ सकते हो और अपने मन माफिक उनके चितà¥à¤° à¤à¥€ उतार सकते हो| सामने ही विशालकाय à¤à¥€à¤² है, इसमें कोई दो राय नही कि समà¥à¤¦à¥à¤° तल से 660 मीटर की ऊंचाई पर, और दिलà¥à¤²à¥€ से कà¥à¤² मिलाकर लगà¤à¤— साढ़े तीन सौ किमी की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ यह à¤à¥€à¤² अपनी परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ में ढाई किमी लमà¥à¤¬à¥€ है, जो शायद पूरे हिमाचल में सबसे बढ़ी है | इसकी सतह कई जगहों पर कमल के फूलों के दल से आचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ है, जो इसे आपलà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥à¤² कर à¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¤ दà¥à¤°à¤¶à¥à¤¯ संयोजन कर रहे हैं, निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ ही à¤à¤• नयनाà¤à¤¿à¤°à¤¾à¤® चितà¥à¤° आपकी आà¤à¤–ों के सामने हैं | अà¤à¥€ तक आपने जो सोचा, वैसा ही पाया, मगर इस à¤à¥€à¤² की महिला जैसी आकृति कैसे दिखे, इसके लिये आपको यहाठसे लगà¤à¤— 8 किमी और ऊपर की तरफ जामॠचोटी पर जाना पढ़ेगा, जिसके बारे में मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि ऋषि जमदगà¥à¤¨à¤¿ यहाठतपसà¥à¤¯à¤¾ करते थे, वहीं à¤à¤• छोटा सा मनà¥à¤¦à¤¿à¤° à¤à¥€ है, उस ऊंचाई से देखने पर आपको इस à¤à¥€à¤² की आकृति à¤à¥€ लेटी हà¥à¤ˆ महिला की à¤à¤¾à¤‚ति नजर आà¤à¤—ी और वहाठसे आप आसपास का नजारा à¤à¥€ देख सकते है | इस चिड़ियाघर के साथ ही लगा हà¥à¤† सरंकà¥à¤·à¤¿à¤¤ वनà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ है, यहाठआप सफारी à¤à¥€ कर सकते है और यदि à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हà¥à¤ तो कई पà¥à¤°à¤•ार के जंगली जानवरों को उनके पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक परिवेश में à¤à¥€ देख सकते हैं | मगर यदि आप परिवार के साथ हैं तो आपको कई पà¥à¤°à¤•ार के लोà¤à¥‹à¤‚ का दमन à¤à¥€ करना पड़ता है, अत: हमने इन दोनों ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤£ को फिलहाल के लिये सà¥à¤¥à¤—ित कर दिया |
और यह है रेणà¥à¤•ाजी à¤à¥€à¤²
यहाà¤-तहाठखिले कमल दल à¤à¥€à¤² की सतह को à¤à¤•रस होने से बचाते हैं
सजीव दृशà¥à¤¯ देखने में अधिक सà¥à¤‚दर हैं, जिसे कैमरा पकढ़ नही सकता
à¤à¥€à¤² के समीप ही बना मिनी जू
शेर तो निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ ही सबके आकरà¥à¤·à¤£ का केंदà¥à¤° होता ही है
इनको इतने करीब से देखने का रोमांच à¤à¥€ कम नही
अगर बीच में यह लोहे की जाली न हो तो…..
हमने सà¥à¤¨à¤¾ है कि, कारà¥à¤¤à¤¿à¤• की à¤à¤•ादश को जो समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ कैलेंडर के हिसाब से नवमà¥à¤¬à¤° में पढ़ती है, इस जगह पर à¤à¤• बहà¥à¤¤ बढ़ा मेला लगता है, जिसमे दूर दराज के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से आये लोग शामिल होते है और अपने आने वाले समय के लिठकोई मनौती मांगते है या फिर जिनकी कोई मनोकामना पूरी हो चà¥à¤•ी होती है, वो à¤à¥€ अपना शà¥à¤•राना अदा करने आते है |
दिन ढलने को है, जब हम यहाठसे निकलने का फैसला करते हैं कà¥à¤¯à¥‚ंकि अब तक à¤à¥‚ख का पà¥à¤°à¤•ोप à¤à¥€ हावी होना शà¥à¤°à¥‚ हो गया है, सफर में खाना आपको à¤à¤• उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¥€ उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने का कारक होता है, और इधर खाने को कà¥à¤› उपलबà¥à¤§ नही | हाà¤, हमने सà¥à¤¨à¤¾ है कि हिमाचल परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ विà¤à¤¾à¤— (hptdc) का à¤à¤• होटल है और रात बिताने वाले परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• वहाठरà¥à¤• सकते हैं परनà¥à¤¤à¥ हमारी मंजिल अà¤à¥€ और आगे है | राह में à¤à¤¸à¥€ कोई जगह नही यहाठपर आप परिवार के साथ रà¥à¤• कर कà¥à¤› खा पी सकें | वापिस ददाहू में आया जाता है, यहाठà¤à¤• छोटा सा बाज़ार है, वहीठकिसी हलवाई की दà¥à¤•ान से कà¥à¤› खाने का सामान लिया गया और किसी फलवाले से कà¥à¤› फल, कहीं से ढूंढ कर तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी जी किलो-दो किलो à¤à¤¸à¥‡ सेब ले आये जो कि शायद इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में ही पाठजाते हैं, रंग रूप में बेहद साधारण, परनà¥à¤¤à¥ इनका सà¥à¤µà¤¾à¤¦ जिवà¥à¤¹à¤¾ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आते ही अचà¥à¤›à¤¾ लग रहा था रसीला और हलà¥à¤•ा खटà¥à¤Ÿà¤¾à¤ªà¤¨ लिये हà¥à¤ ! à¤à¤• बार पेट पूजा हो जाने के बाद हमने सढ़क पर लगे साइन बोरà¥à¤¡à¥‹ को देखा, कà¥à¤› सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासियों से राह की ठोर ली और अपनी कार उस रासà¥à¤¤à¥‡ पर आगे बढ़ा दी, जिस पर हमसे आगे, पांवटा साहिब का बोरà¥à¤¡ लगाये हà¥à¤ à¤à¤• बस थी, जो अपने आप में ही तमाम यातà¥à¤°à¤¿à¤“ं के बोठतले दबी हà¥à¤ˆ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रही थी |
अब समय है, ददाहू से पांवटा साहिब का रासà¥à¤¤à¤¾ पकड़ने का
इन फिसलती चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को देखकर यूठकà¥à¤¯à¥‚ठलगता है कि दरअसल इनका निशाना तो आप थे
अब यह बस à¤à¥€ आपकी हमराह है
सरà¥à¤ªà¥€à¤²à¥€ सड़क पर रेंगती बस
वैसे, रेणà¥à¤•ा जी से पाà¤à¤µà¤Ÿà¤¾ साहिब जाने के लिये दो रासà¥à¤¤à¥‡ हैं, आप वाया नाहन जा सकते हैं, जिसकी दूरी लगà¤à¤— 80 किमी से ऊपर है या फिर उस रासà¥à¤¤à¥‡ को चà¥à¤¨ सकते हैं, जिसे हमने चà¥à¤¨à¤¾ और इस रासà¥à¤¤à¥‡ से कà¥à¤² दूरी 45 किमी के आस पास है, जाहिर है आप छोटा रासà¥à¤¤à¤¾ ही चà¥à¤¨à¥‡à¤—े, और वही हमने चà¥à¤¨à¤¾ à¤à¥€ | खैर, हमारी और इस बस की यातà¥à¤°à¤¾ à¤à¤• समान समय पर शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ और इससे पहले कि हम इस सफर का कà¥à¤› आनंद ले पाते, तारकोल की सड़क का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कचà¥à¤šà¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ ने ले लिया ! अब ये तो सरासर नाइंसाफी है कि आपने à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ चà¥à¤¨ लिया, कà¥à¤› किलोमीटर à¤à¥€ तय कर लिये और अब आपका सामना इन दà¥à¤°à¥à¤—म सीधी चढ़ाई वाले रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर कचà¥à¤šà¥€ सडक से हो जाये | मानसून का मौसम है, कई जगहों पर पानी के पोखर बीच रासà¥à¤¤à¥‡ पर हैं, कचà¥à¤šà¥‡ पतà¥à¤¥à¤° सढ़क पर छितरे पढ़े हैं जिन पर गाढ़ी का दबाव पढ़ते ही वो पीछे की तरफ सरकते हैं, सढ़क पर न रौशनी की कोई वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ न सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिये कोई रेलिंग, कचà¥à¤šà¥€ संकरी सढ़क, जिसके à¤à¤• तरफ पहाढ़ है तो दूसरी तरफ खाई और बीच बीच में आता कोई वाहन | यदि सढ़क पर नियमित रूप से दो तरफा टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• हो तो आप हर पल सजग रहते हैं परनà¥à¤¤à¥ यदि à¤à¤• वाहन के गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ के बाद दूसरे का कोई ठिकाना ही न हो तो आपके लिये कई बार अपनी à¤à¤•ागà¥à¤°à¤¤à¤¾ को लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक रख पाना मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो जाता है और फिर जिसकी वजह से आपकी यातà¥à¤°à¤¾ का जोखिम à¤à¥€ कई गà¥à¤£à¤¾ अधिक बढ़ जाता है और मारà¥à¤— में लगने वाला समय à¤à¥€ | हमारी चिंता इस रासà¥à¤¤à¥‡ को लेकर अब यह à¤à¥€ है कि यदि कहीं बरसात मिल जाये अथवा अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ जलà¥à¤¦à¥€ गहराने लगे तो इस राह पर यातà¥à¤°à¤¾ करना और à¤à¥€ अधिक दà¥à¤°à¥‚ह हो जायेगा |
ददाहू से और नाहन से जो रासà¥à¤¤à¤¾ पाà¤à¤µà¤Ÿà¤¾ साहिब की तरफ आता है, धौला कà¥à¤†à¤ के समीप आपस में मिल जाता है | इसके à¤à¤• तरफ यदि कालासर वाइलà¥à¤¡ लाइफ सेंचà¥à¤°à¥€ है तो दूसरी तरफ सिमà¥à¤¬à¤²à¥à¤µà¤¾à¤¡à¤¾ वाइलà¥à¤¡ लाइफ, और यहाठसे माजरा होते हà¥à¤ आपको उस राजमारà¥à¤— पर ले आता है, जिस पर पाà¤à¤µà¤Ÿà¤¾ साहिब सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है, 20 किमी के लगà¤à¤— का यह रासà¥à¤¤à¤¾ खतरनाक तो है, मगर रोमाà¤à¤š में à¤à¥€ कम नही, गिरी नदी से घिरी इस घाटी में, कई जगहों पर चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में किसी विशेष खनिज(मिनरल) की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के कारण बहते हà¥à¤ पानी का रंग यदि कहीं दूध की तरह धवल है, तो थोढ़ा और आगे जाने पर à¤à¤•दम से शà¥à¤¯à¤¾à¤® वरà¥à¤£ का कहीं, हलà¥à¤•ा हरा रंग लिये हà¥à¤ है तो कहीं किसी और रंग में… कहीं शà¥à¤·à¥à¤• और कठोर चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के मधà¥à¤¯ किसी दरार में अदà¥à¤à¥à¤¤à¥ फूल खिले हैं | शिवालिक की यह पहाड़ियाठवाकई में इस मायने में अदà¥à¤à¥à¤¤à¥ हैं कि à¤à¤• ही तरफ यहाठआपको चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ का रंग सà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¥€ मिलेगा तो किसी का सà¥à¤°à¤®à¤ˆ तो कहीं पीलापन लिये लाल | कचà¥à¤šà¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ के बाद à¤à¤• बार फिर से अपने आप को तारकोल में लिपटी सढ़क पर पाते हैं तो चालक सहित सà¤à¥€ के चेहरे पर à¤à¤• राहत की साà¤à¤¸ आती है | लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ यह हमारी परीकà¥à¤·à¤¾ का अंत है ? अà¤à¥€ तो हम बीच राह में ही हैं | हाà¤, लकà¥à¤·à¥à¤¯ हमारा सही है और इसकी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¥€ सही दिशा में | राह में मिलने वाले साइन बोरà¥à¤¡ और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासी à¤à¥€ हमारी यातà¥à¤°à¤¾ के मारà¥à¤— को सही दिशा में अगà¥à¤°à¤¸à¤° होने की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ कर रहे हैं | इस हिसाब से हमे अगले आधे घंटे में पांवटा साहिब पहà¥à¤à¤š जाना चाहिठ| शाम के पाà¤à¤š बज चà¥à¤•े हैं और सूरज बढ़ी तेजी के साथ असà¥à¤¤à¤¾à¤à¤šà¤² की तरफ बढ़ रहा है | à¤à¤• नई उमंग, और नठउतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ के साथ हम आगे बढ़ ही रहे हैं कि बीच मारà¥à¤— से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ वाली à¤à¤• बरसाती नदी ने हमारा मारà¥à¤— अवरà¥à¤¦à¥à¤§ कर दिया | नदी का वेग पà¥à¤°à¤¬à¤² तो है ही, ऊपर से बीच में बढ़े बढ़े गडà¥à¤¡à¥‡ à¤à¥€ हैं, यदि कहीं बीच गडà¥à¤¡à¥‡ या बालू में चकà¥à¤•ा फà¤à¤¸ गया तो ? नदी अपने तल से लगà¤à¤— तीन फीट ऊपर बह रही है, सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासी बता रहे हैं कि अà¤à¥€ का तो पता नही पर हाठअà¤à¥€ दो घंटे पहले à¤à¤• आलà¥à¤Ÿà¥‹ रà¥à¤• गयी थी, जिसे टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° से खिंचवा कर बाहर निकाला गया, दो पहिया वाहनों के लिये बगल में ही à¤à¤• पकà¥à¤•ा पà¥à¤² है, वो तो उस पर से गà¥à¤œà¤° कर पार जा रहे हैं और इधर कोई दूसरी गाड़ी à¤à¥€ नहीं, जिसे देख कर ही सही, उसका अनà¥à¤¸à¤°à¤£ किया जा सके | अनिशà¥à¤šà¤¯ और अनिरà¥à¤£à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में आधा घंटा गà¥à¤œà¤° गया है पाà¤à¤µà¤Ÿà¤¾ साहिब इस नदी को पार करते ही केवल दस-बारह किमी की दूरी पर रह जायेगा, इतना करीब और इतनी दà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ ! पीछे से à¤à¤• ओमनी आती है, हमे तसलà¥à¤²à¥€ होती है कि यदि ये सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासी हà¥à¤† तो हम à¤à¥€ इसका अनà¥à¤¸à¤°à¤£ कर लेंगे, मगर वो à¤à¥€ हमारे साथ ही आकर खड़ा हो गया और उलà¥à¤Ÿà¤¾ हमारे ही निरà¥à¤£à¤¯ लेने की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करने लग ! और, इधर हम तो खà¥à¤¦ ही अनिरà¥à¤£à¤¯ के à¤à¤à¤µà¤° में फंसे हैं, जिस बस ने हमारे साथ ही यातà¥à¤°à¤¾ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की थी, वो à¤à¥€ इस जगह पर पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•ी है और हमारे देखते ही देखते नदी में उतर गईं, मगर उसका गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ हमे और à¤à¥à¤°à¤® कि सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में डाल गया कà¥à¤¯à¥‚ंकि हमने महसूस किया कि बस के बड़े पहियों के बावजूद यह अंदाजा लगाना मà¥à¤¶à¥à¤•िल नही कि गडà¥à¤¡à¥‡ हमारे अंदाज से à¤à¥€ अधिक गहरे है |
इस बरसाती खडà¥à¤¡ को कैसे पार किया जाà¤, तल की गहराई का अंदाजा लगाते गà¥à¤£à¥€ जन
à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° वाला पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ करता है कि दौ सौ रà¥à¤ªà¤ˆà¤¯à¥‡ लेगा और रसà¥à¤¸à¥‡ से गाड़ी बाà¤à¤§ कर पार करवा देगा | à¤à¤• बार तो हाठकरने का जी करता है, आखिर अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ सामने मà¥à¤à¤¹ बाये खड़ा है और कोई राह सूठनही रही मगर असल समसà¥à¤¯à¤¾ तो पानी के सà¥à¤¤à¤° को लेकर है यदि इंजन में पानी मार कर गया तो? और अपने घर से इतनी दूर, कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ खतरा उठाना उचित होगा ? जब सही राह न सूà¤à¥‡ तो अरदास ही à¤à¤• मातà¥à¤° सहारा होती है “ गोबिनà¥à¤¦à¤¾ मेरे गोबिनà¥à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤£ आधारा मेरे गोबिनà¥à¤¦à¤¾ “हमे यूठअनिशà¥à¤šà¤¯ के à¤à¤à¤µà¤° में फà¤à¤¸à¤¾ देख à¤à¤• सà¥à¤²à¤à¤¾ हà¥à¤† सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ समीप आकर कहता है, आप यूठपरिवार के साथ खतरा मत उठाओ, तीन किमी पीछे जाकर à¤à¤• दूसरा रासà¥à¤¤à¤¾ आपको बाहर ले जायेगा और फिर à¤à¤• पà¥à¤² पार करके आप राज मारà¥à¤— पर आ जायोगे, जितने पैसे यहाठटà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° वाला ले रहा है उतने में आप वहाठपहà¥à¤à¤š जाओगे | पहली बार में ही उसका सà¥à¤à¤¾à¤µ जम जाता है, आखिर नई गाढ़ी के साथ अनजान शहर में इतना बढ़ा जोखिम मोल नही लिया जा सकता, à¤à¤Ÿà¤ªà¤Ÿ हमने कार घà¥à¤®à¤¾à¤ˆ और उलटे रासà¥à¤¤à¥‡ पर चल दिये, हमे देख ओमनी वाला à¤à¥€ हमारे पीछे हो गया है, रासà¥à¤¤à¤¾ जंगल में से हो कर है, मगर सडक साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¥€ और सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ | इधर सूरà¥à¤¯ ने अपना दिन à¤à¤° का सफर समापà¥à¤¤ किया तो उधर हमने à¤à¤• बार फिर राज मारà¥à¤— पकड़ लिया, परिवार के साथ à¤à¤¸à¥‡ कà¥à¤·à¤£ बहà¥à¤¤ तनाव और उलà¤à¤¨ à¤à¤°à¥‡ होते हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करना बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•िल है | अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ जब घिरने लगता है तो दृशà¥à¤¯ बहà¥à¤¤ तेजी के साथ आà¤à¤–ों के सामने से ओà¤à¤² होना शà¥à¤°à¥‚ हो जाते हैं | सफर खूबसूरत इतना है कि कई जगहों पर रà¥à¤•ने का मन करता है | मकई से लदे-फदे खेत है जिन पर टंगे हरे à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‡ सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥€ जà¥à¤²à¥à¤«à¥‹à¤‚ के साठतले आपको अपनी तरफ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर रहे हैं, मगर आप उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रà¥à¤• कर तोड़ना तो कà¥à¤¯à¤¾ निहारना à¤à¥€ गवारा नही कर सकते | वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠका यह अपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤® सौंदरà¥à¤¯ यूठहमारी आà¤à¤–ों के सामने से फिसला जा रहा है और हम à¤à¤• पल à¤à¥€ रà¥à¤•ने का जोखिम नही ले सकते | तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी जी की सखà¥à¤¤ ताकीद हैं कि पाà¤à¤µà¤Ÿà¤¾ साहिब पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ से पहले गाढ़ी नही रà¥à¤•ेगी और अंततः नही रà¥à¤•ी ! आखिर सà¤à¥€ बाधाओं से पार पाते हà¥à¤ हम उस राजमारà¥à¤— पर पहà¥à¤à¤š ही गये जहाठसे पाà¤à¤µà¤Ÿà¤¾ साहिब गà¥à¤°à¥‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ की दूरी अब महज 7 किमी की रह गयी है | सडक पर मारà¥à¤— दरà¥à¤¶à¤• साइन बोरà¥à¤¡ है और रौशनी à¤à¥€, अत: अब कोई दिकà¥à¤•त नही | शीगà¥à¤° ही हम पाà¤à¤µà¤Ÿà¤¾ साहिब गà¥à¤°à¥‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ के सामने विशाल खà¥à¤²à¥‡ मैदान की पारà¥à¤•िंग में अपनी गाढ़ी लगा रहे है | दिन à¤à¤° के रोमांचक सफर के बाद गà¥à¤°à¥ चरणों में सकूठके कà¥à¤› पलों को बिताने की आशा में कार के शीशे जैसे ही नीचे किये तो गà¥à¤°à¥‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ से आ रही कीरà¥à¤¤à¤¨ धà¥à¤µà¤¨à¥€ कानो में रस घोलने लगी | तय हà¥à¤† कि सामान अà¤à¥€ यहीं रहे पहले जा कर दरà¥à¤¶à¤¨ किये जाà¤à¤ और कमरों का इंतजाम |
और फिर आखिर हमने उस मंजिल को छू ही लिया ….
अब यह हमारी तलाश का अंत है या फिर à¤à¤• नये संघरà¥à¤· की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤, नही पता ! अà¤à¥€ तो मन में इचà¥à¤›à¤¾ है बस जलà¥à¤¦à¥€ से जलà¥à¤¦à¥€ जाकर उस गà¥à¤°à¥ के चरणों में शीश नवां दे जिसकी तलाश में हम घà¤à¤Ÿà¥‹ हिमाचल की अनदेखी, अनजानी वादियों की धूल फाà¤à¤•ते रहे, कई बार हà¥à¤¤à¥‹à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ à¤à¥€ हà¥à¤¯à¥‡ मगर मन में हर पल आस की इक डोर बंधी रही कि जो हमे यहाठतक खींच लाया है वो हमे अपने दीदार से आखिर कब तक महरूम रखेगा …. तो फिर मिलते हैं, यायावरों के à¤à¤• नये अनà¥à¤à¤µ के विवरण के साथ अगले अंक में ….. जलà¥à¤¦ ही ….. कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ