हरि का द्वार हरिद्वार – भाग २..

हरिद्वार – ऋषिकेश
अपने होटल से हम गंगा स्नान करने के इरादे से हर की पौड़ी जैसे ही पहुंचे, हमारे होश उड़ गए, वंहा पर भयंकर भीड़ देखकर. फिर विचार किया कि ऋषिकेश स्वर्गाश्रम चला जाए, वंही पर माँ गंगा में डुबकी लगायेगे. हरकी पौड़ी और गंगा जी को पार करके हम ऋषिकेश मार्ग पर पहुंचे. एक थ्रीव्हीलर में बैठकर हम लोग सीधे स्वर्गाश्रम पर पहुँच गए. करीब ३५-४० मिनट का समय हम लोगो को लगा. और करीब २० रूपये सवारी के हिसाब से हमने किराया दिया. हम लोग शिवानंद झूला या फिर राम झूला पार करके स्वर्गाश्रम पर पहुँच गए. फिर हमने और बच्चो ने माँ गंगा में डुबकी लगाई. माँ गंगा में स्नान करके मन पवित्र हो गया. पता नहीं क्या बात हैं कि माँ गंगा में कितनी बार भी स्नान करो मन नहीं भरता हैं. और एक खास बात ओर हैं कि कितनी ही गर्मी क्यों न हो, गंगा जी में स्नान करके सुड़की आ जाती है.
ऋषिकेश हरिद्वार से करीब २५ किलोमीटर दूर हैं. इसको हिमालय का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है. ऋषिकेश हिन्दुओ के सबसे पवित्र स्थलों में से एक हैं. ऋषिकेश को केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री आदि का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. यह कहा जाता हैं कि यंहा पर भगवान विष्णु ऋषिकेश अवतार में प्रकट हुए थे. इसलिए इस स्थान का नाम ऋषिकेश हैं. वैसे तो ऋषिकेश में सैकड़ो मंदिर आश्रम हैं, पर समय अभाव के कारण में कुछ ही मंदिरों और आश्रमो में जा सका.
यंहा स्वर्गाश्रम पर गंगा जी का बहाव बहुत तेज हैं, गहराई बहुत है, तो स्नान करते समय एक तो किनारे पर ही नहाये, और यंहा पर जंजीरे भी पड़ी हुई हैं, जिन्हें पकड़कर स्नान कर सकते है. बच्चो को स्नान कराते समय बच्चो का ध्यान रखे, उन्हें आगे मत जाने दे. एक बात का और ध्यान रखे कि यंहा पर अपने सामान का ध्यान रखे, यदि एक मिनट को भी आप कि नज़र चूक गयी तो आपका सामान गायब हो जाएगा. ये गलती हमारे से हुई थी. मेरी पत्नी नीलम का पर्स साफ़ हो गया था.

नहा धोकर फोटो भी जरा फोटो भी खिचवाले


एक नौका के सहारे दोनों भाई

स्नान करने के बाद भूख बहुत जोर कि लगती हैं. खाना खाने के लिए यंहा के मशहूर चोटीवाला होटल में पहुँच गए. चोटीवाला होटल यंहा पर, और बहुत ही मशहूर होटल है. यंहा के खाने का ज़वाब नहीं है. खाना थोडा सा महंगा जरूर हैं, पर स्वादिष्ट है. यंहा कि खास बात हैं कि चोटीवाला का प्रतीक स्वरुप एक व्यक्ति होटल के मेंन गेट पर बैठा रहता हैं, जिसका चित्र मैंने नीचे दिया हैं. इस होटल में बड़े बड़े फिल्मस्टार भी खाना खा चुके हैं. वैसे खाने पीने के लिए यंहा पर बहुत सारे होटल हैं. तीर्थ यात्री अपने बज़ट के हिसाब से उनमे खाना खा सकते है.

चोटीवाला होटल का एक जीता जागता प्रतीक

भोजन करने के बाद हम वंहा पर स्थित विभिन्न मंदिरों और आश्रमो के दर्शन करने के लिए निकल पड़े. सबसे पहले स्वर्गाश्रम के दर्शन किये. इसका निर्माण बिरला परिवार ने करवाया हैं. इस आश्रम में ठहरने के लिए कमरे आदि बने हुए हैं, जिनमे दूरदराज से आने वाले यात्री ठहरते है. एक समस्या यंहा पर बहुत लगी कि किसी भी आश्रम या फिर धर्मशाला में क्लोक रूम् का सिस्टम नहीं हैं. जिससे यात्रियों को अपना सामान रखने कि बहुत समस्या आती हैं. हमारे जैसे यात्री जिनके साथ थोडा बहुत बैग आदि होते हैं, वो परेशान हो जाते हैं, और अपना सामान उठाये हुए घूमना पड़ता हैं.

स्वर्गाश्रम पर गंगा जी के किनारे एक टावर


स्वर्गाश्रम के बराबर में ही गीता भवन आश्रम हैं, जंहा से आप गीता प्रेस गोरखपुर कि पुस्तके खरीद सकते हैं. यंही से आप लोग गीता भवन वालो कि आयुर्वेदिक दवाईया भी खरीद सकते हैं. गीता प्रेस कि स्थापना सेठ हनुमान प्रसाद पोद्दार ने कि थी. और जितना कार्य गीता प्रेस गोरखपुर ने हिंदू धर्म के लिए किया हैं, शायद ही किसी ने किया हैं. इस प्रेस ने हिंदू धर्म के पर उपलब्ध पुस्तकों का प्रकाशन किया हैं. आज तक करीब ५ करोड पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं. जो कि एक वर्ल्ड रिकार्ड है.

गंगा जी और दूसरे किनारे का एक दृश्य

भगवान शिव ध्यान मुद्रा में

भगवान शिव कि यह मूर्ति गंगा जी के अंदर परमार्थ निकेतन के सामने स्थापित हैं. परमार्थ निकेतन एक बहुत ही बड़ा और भव्य आश्रम हैं. इस के प्रांगन में बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं. इस आश्रम के संस्थापक और संरक्षक स्वामी चिदानंद जी महाराज हैं. स्वामी चिदानंद जी फिल्म स्टार विवेक ओबेराय और उनके परिवार के कुलगुरु भी हैं. ये लोग हर साल इनके पास जरूर आते हैं और कुछ दिन जरूर बिताते हैं. यंहा पर नित्य गंगा आरती का आयोजन होता हैं, जो कि देखने वाला दृश्य होता हैं. परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में स्थित सबसे भव्य और शानदार आश्रम है.

परमार्थ निकेतन का मुख्य द्वार

प्रभु को प्रणाम

 

परमार्थ निकेतन में ही एक और सुन्दर कृति

राणा के साथ महाराणा अमन


भगवान शिव की एक और मूर्ति

भगवान श्री कृष्ण अपनी गाय के साथ


आज के दिन एक परेशानी वाली बात और थी कि, गर्मी बहुत पड़ रही थी. और गर्मी कि वजह से हालत खराब थी सब लोग भगवान जी से ये दुआ कर रहे थे कि ठंडा मौसम हो जाए, तभी भगवान जी ने म्हारी सुन ली और बड़े जबरदस्त बादल घुमड़ आये. और आंधी तूफ़ान आना शुरू हो गया. ज़बरदस्त बारिश शुरू हो गयी थी. मौसम बहुत ही सुहावना हो गया था. एक और ऊंचे पहाड़ और दूसरी और माँ गंगा क्या दृश्य था.

आसमान में घटाये और भगवान जी

पेड़ के ऊपर गणेश जी की आकृति


यह पीपल का पेड़ परमार्थ निकेतन परिसर में स्थित हैं. इस पीपल के पेड़ पर ध्यान से देखिये, आपको भगवान श्री गणेश कि आकृति बनी नज़र आएगी. है ना भगवान का चमत्कार..

करीब एक घंटा बारिश होती रही. और हम लोग आश्रम में विश्राम करते रहे. बारिश रुकते ही हम लोग आश्रम से निकलकर नाव में जा बैठे, सोचा कि नाव कि सवारी भी हो जायेगी और दूसरी ओर भी पहुँच जायेंगे. ऊपर बादल थे, ठंडी हवाए चल रही थी, और गंगा जी में नाव में बैठ कर अलग ही आनंद का अनुभव हो रहा था.

इस तरह से हम दुसरे किनारे पर पहुँच गए. मौसम बहुत ही सुहावना हो गया था. वंही सामने ही हम लोग सीढियों पर बैठ कर मौसम का आनंद लेने लगे. तभी सामने से रिवर राफ्टिंग करने वालो कि बोट आ गयी. यह एक बहुत ही खतरनाक खेल हैं. ऋषिकेश से ऊपर शिव पुरी से ये लोग बोट के द्वारा गंगा जी कि खतरनाक लहरों और बड़ी बड़ी चट्टानों से जूझते हुए, ऋषिकेश तक पहुँचते है. इस खेल में कभी कभी जान पर भी बन जाती है. बच्चे उन लोगो कि तरफ हाथो से इशारा करके उन्हें विश् करने लगे, उन लोगो ने भी जवाब में विश् किया.

गंगा जी में राफ्टिंग

गंगा जी के दूसरे किनारे से लिया गया फोटो

शिवानंद झूला और गंगा जी

यह पुल स्वामी शिवानंद और शिवानंद आश्रम के कारण शिवानंद झूला कहलाता हैं. हम लोग समय अभाव के कारण इससे थोड़ी ही दूर लक्ष्मण झूला नहीं जा पाए थे.

गंगा जी में एक नाव यात्रियों को ले जाती हुई

गंगा जी स्वर्गाश्रम और पीछे नीलकंठ पर्वत

दिन में ही अँधेरा हो गया


बादल इतने जबरदस्त थे कि दिन में ही अन्धकार सा हो गया था. काफी थक चुके थे, और सीढियों पर बैठकर विश्राम करने लगे, वंही पर एक चाय वाला, एक भेलपुरी वाला , और एक छोले वाला खड़ा था. एक एक कप चाय, और भेलपुरी, छोले आदि मंगा लिए, और चाय कि चुस्की के साथ माँ गंगा कि लहरों का, और मौसम का मज़ा लेने लगे.

इसके साथ ही हमारी हरिद्वार ऋषिकेश यात्रा पुरी हो चुकी थी. थ्री व्हीलर में बैठ कर हरिद्वार कि और चल दिए. और बस में बैठ कर रात ९ बजे तक मुज़फ्फ़र्नगर आ गए. वन्देमातरम.

14 Comments

  • JATDEVTA says:

    गजब के फोटो है गुप्ता जी,
    विवरण तो अभी नहीं पढ़ा है, बाद में पढूंगा, तब बताऊंगा

  • ritesh says:

    राम राम प्रवीन जी…..
    बहुत अच्छा लगा आपकी हरिद्वार यात्रा पढ़ कर….फोटो बहुत शानदार लगे…|
    दो तीन बार हरिद्वार ऋषिकेश जा चुका काफी कुछ याद हो आया आपके लेख से , आपकी बताई सभी जगह घूम चुका हूँ | क्या आप ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट नहीं गए थे ? चित्रों से मालूम पड़ता हैं की ऋषिकेश में काफी कुछ बदल गया हैं |
    ऋषिकेश में गंगा किनारे बैठकर मन को जो शांति मिलती हैं उसका वर्णन नहीं किया जा सकता ….|

    कल में मैं अपनी अगली यात्रा पर निकल रहा हूँ….कुमाऊ की तरफ (नैनीताल, अल्मोड़ा, जागेश्वर और समय मिला तो पाताल भुवनेश्वर भी )

    आपका लेख मुझे बहुत पसंद आया ….धन्यवाद!

  • Surinder Sharma says:

    प्रवीण जी,
    बहुत अच्छा यात्रा वृत्तांत लिखा है. बढ़िया फोटो. गंगा जी कलयुग का महान तीर्थ है . चोटीवाला का प्रतीक स्वरुप व्यक्ति हमने भी देखा था पर होटल के अन्दर नहीं जाना हुआ. आप ऐसे ही अपना यात्रा वृत्तांत लिखते रहें .

    शुक्रिया

  • JATDEVTA says:

    विवरण भी फोटो के जैसा बेहतरीन लगा, शीर्षक में थोड़ा अजीब लगा कि ऋषिकेश का नाम क्यों नहीं लिखा?

    • दरअसल यह यात्रा वृत्तान्त हरिद्वार और स्वर्गाश्रम का हैं. इस यात्रा मैं हम ऋषिकेश मैं नहीं रुके थे. इसलिए ऋषिकेश के किसी भी स्थान के बारे मैं नहीं बताया हैं. वैसे ऋषि केश को भी हम हरिद्वार का ही अंग समझते हैं. यह पूरा क्षेत्र कुम्भ मेला क्षेत्र कहलाता हैं. पर यह चार जिलो मैं बंटा हुआ हैं. हरिद्वार जिला, ऋषिकेश देहरादून जिले मे, मुनि की रेती टिहरी जिले मैं, और स्वर्गाश्रम पौड़ी जिले मैं आते हैं.

  • ऋषिकेश के बहुत ही अच्छे फोटो हैं. चोटीवाला का नाम सुना था आपने फोटो भी दिखा दिए.

  • प्रवीण जी बहुत ही अछे फोटो है खास करके गंगा जी के. संदीप भाई कि बात बराबर है हरिद्वार कि जगह ऋषिकेश होना चाहिए था, विवरण भी बहुत बढ़िया है. गंगा जी में आप डूबकी लगा रहे हो और मजा हमें आ रहा है . सच में मुझे हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा में स्नान करने कि भी बहुत इच्छा है.

    बनारस में तो नहीं नहाया . प्रयाग में थोडा संगम पर स्नान किया था . लेकिन अब भी मन तृप्त नहीं हुआ है.
    दर्शन कराने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद.

  • D.L.Narayan says:

    बहुत ही सुन्दर वर्णन और खूबसूरत तस्वीरें, प्रवीण भाई.
    वाकई, मज़ा आ गया, धन्यवाद.

  • Sanjay Kaushik says:

    बहुत अच्छे गुप्ता जी,

    सभी कुछ बहुत हे सुंदर, थोड़ी सी और सुंदरता बढा दूँ ?

    मैं खुद हर महीने हरिद्वार गंगा स्नान के लिए जाता हूँ, लेकिन “समय हो तो” स्नान के लिए, ठहरने के लिए और खाने के लिए मैं हमेशा ऋषिकेश को तवज्जो देता हूँ.

    खाने के मामले में आपने “गीता भवन” का जिक्र नहीं किया ? चोटी वाला तो एक नाम है जो बिकने लगा है, अगर एक बार आप “गीता भवन” की दूकान मैं पहुँच जाओगे, तो खाए बिना तो क्या बिना परोसा लिए बहार नहीं आ पाओगे. यहाँ शुद्ध देसी घी की मिठाइयाँ और पूरी सब्जी मिलती है. बहुत हे जायज रेट. हम तो यहाँ उस समय से खाते आ रहे हैं जब पूरी 17 रु. किलो मिलती थी. चोंकिये मत यहाँ “पूरी” पहले तोल में ही मिलती थी. अब शायद 12 रु. की चार मिलती हैं, सब्जी फ्री :), स्वाद ऐसा जैसे की भंडारे में बैठ के खा रहे हों (घबराओ मत निचे नहीं बैठना पड़ेगा टेबल कुर्सी, बिलकुल साफ़ सुथरे लगे मिलेंगे). ये दुकान गीता भवन वालों की है जिसे तो धर्मार्थ “No Profit No Loss” पे चला रहे हैं. यहाँ से आते टाइम आप काजू की बर्फी, गूंद के लड्डू, मेथी के लड्डू, भाई और क्या लिखू मुंह में तो पानी आ गया याद करके, हाँ देसी घी की जलेबी, नमकीन में समोसे, कचोरी सब मिलता है, मैं नहीं समझता की जो एक बार यहाँ चला जायेगा कहीं और कुछ खा पायेगा.

    बाकि सचमुच बहुत हे बढ़िया हैं, नीलकंठ की कसर रह गई बस, लेकिन जब आप लक्ष्मण झूला ही नहीं जा पाए तो मैं समझ सकता हूँ समय की कितनी मारामारी रही होगी….

    जय राम जी की..

    • संजय जी गीता भवन की इस दुकान के बारे में हमें मालुम नहीं था, अबकी बार जायेंगे तो जरूर खाने का आनंद लेंगे. धन्यवाद बहुत बहुत..

  • Monty says:

    ओहो गंगा जी के पास बारिश हो जाये तो भाई साहब सोने पे सुहागा

    बहुत अच्छा सुनाया है ….. और भाई सुड़की तो आयेगी ही ग्लेशियर का ताज़ा-ताज़ा पानी होता है भाई….

    मज़ा आ गया ….

  • Nandan says:

    ऋषिकेश के बारे में अच्छी जानकारी प्रवीण जी और गीता भवन के बारे में , धन्यवाद् कौशिक जी, भी बहुत अच्छी जानकारी है | अगर आप थोडा बाहर के खाने के इच्छुक है तो एक जगह है, गंगा कैफे , (नीलकंठ महादेव रास्ते पर) , वहां पर पहले मंजिल पर बैठ कर गंगा के दर्शन करते हुए बढ़िया खाना मिलता है |

  • अभी 22 ता0 को रिषीकेश में था 23 को हम लोगो ने भी रिवर ​राफिटंग की । बडा मजा आया । पहले मै भी इन लोगो के लिये हाथ हिलाता था अब देखा लोग राम झूला और लक्ष्मण झूला से हमारे लिये हाथ हिला रहे थे

    बढिया दर्शन

    अपन तो रिषीकेश में हों तो त्रिवेणी घाट के सामने मेन रोड पर राजस्थानी का खाना खाना नही भूलते । इस बार नीलकंठ के रास्ते पर कोयल रेस्टोरेंट में खाया वो भी बढिया था

  • प्रवीण जी,
    मुझे तो इस पोस्ट में सबसे अच्छा लगा- पेड़ पर गणेश जी की आकृति, चोटीवाला का जीता जगता प्रतीक और शिव जी की श्वेत मूर्ति. बाकी आपका वर्णन तो निर्विवाद रूप से लाजवाब था ही.

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