नमसà¥à¤•ार  मितà¥à¤°à¥‹,
à¤à¤¸à¥‡ तो पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· 1-2 धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² की यातà¥à¤°à¤¾ करता रहता हॠऔर हालाकी ये नियम à¤à¥€ कà¥à¤› ही सालो से बनाया है तो कà¥à¤² मिलाकर घà¥à¤®à¤¨à¥‡ का शौक तो थोडा बहà¥à¤¤ है परनà¥à¤¤à¥ लेखकी मेरे सीमा से परे है तो पोसà¥à¤Ÿ नहीं कर पाया, मेरी यातà¥à¤°à¤¾à¤“ में फ़िलहाल सिरà¥à¤« धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² ही शामिल होते है परनà¥à¤¤à¥ जहा जाता à¤à¥€ हॠकोशिश करता हॠआसपास के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ार के दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• और à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ का दौरा कर सकॠ,
अà¤à¥€ जनवरी में साऊथ इंडिया का टूर किया तो तिरà¥à¤ªà¤¤à¤¿ , रामेशà¥à¤µà¤°à¤® ,मदà¥à¤°à¤¾à¤ˆ, और कनà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ , चेनà¥à¤¨à¤ˆ को कवर कर लिया , उससे पहले हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°,मथà¥à¤°à¤¾ वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ फिर उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ ओमà¥à¤•ारेशà¥à¤µà¤° इसपà¥à¤°à¤•ार ……….लेकिन फ़िलहाल 12 जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गो के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹ की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ मन में पà¥à¤°à¤¬à¤² है और जिनमे से 6 के दरà¥à¤¶à¤¨ की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ पूरà¥à¤£ à¤à¥€ हो गयी है ,फिर à¤à¥€ जब मन करता है तो, और ऊपर वाला डोर खिंच लेता है तो, कही à¤à¥€ निकल पड़ते है
कही à¤à¥€ जाने से पहले मैं घà¥à¤®à¤•à¥à¤•र के पोसà¥à¤Ÿ जरà¥à¤° देख लेता हॠतो मन की उतà¥à¤¸à¥à¤•ता और à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¬à¤² हो जाती है और सारी जानकारी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाती है , इस बार सोचा था की फैमिली के साथ चितà¥à¤¤à¥‹à¤°à¤—ढ़ के पास सांवलिया सेठजी (शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£) के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठचलते है और पास में ही उदयपà¥à¤° à¤à¥€ घूम लेंगे , सो हमेशा की तरह मैंने घà¥à¤®à¤•à¥à¤•र विजिट की और à¤à¤¾à¤ˆ मà¥à¤•ेश à¤à¤¾à¤²à¤¸à¥‡ जी की पोसà¥à¤Ÿ रीड की जो की उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ और शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी की विजिट पे लिखी थी , वो पोसà¥à¤Ÿ देख और पढ़ के मन में शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ की इचà¥à¤›à¤¾ बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¬à¤² हो गयी और बस मन बना लिया तà¥à¤°à¤‚त ही उनके दरà¥à¤¶à¤¨ का |शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी का इतिहास तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लिखा ही था की कैसे वो मथà¥à¤°à¤¾ वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ से यहाठआकर बसे,
हमलोग दरà¥à¤¶à¤¨ की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ मन में रखते हà¥à¤ जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 17, 2015 को पहले बारमेर से जोधपà¥à¤° और फिर सीधे बस दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जोधपà¥à¤° से शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी पहà¥à¤‚चे, शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ जोधपà¥à¤° से उदयपà¥à¤° वाले रसà¥à¤¤à¥‡ में उदयपà¥à¤° से 50 किलोमीटर पहले पड़ता है , जोधपà¥à¤° से पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ बस करीब 12 बजे निकली और शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी पहà¥à¤‚ची करीब शाम 5 : 30 बजे , नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से मंदिर करीबन 1 km दूर है और ऑटो से आप मंदिर तक पहà¥à¤à¤š सकते हो |

Sri_nathji , Courtesy Wikipidea

चलते चलते रासà¥à¤¤à¥‡ में कà¥à¤²à¥€à¤• किया हà¥à¤† à¤à¤—वान शिव का फोटो
आप चाहे तो धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾, कोटेज में रूम शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ की ऑनलाइन वेबसाइट से à¤à¥€ बà¥à¤• करवा सकते है मगर हमने अचानक ही पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाया था सो सीधे पहà¥à¤à¤š गये वहा , शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ में सà¤à¥€ बजट के होटल और धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ उपलबà¥à¤§ है तो रूम लेने में कोई परेशानी नहीं आई |
रूम बà¥à¤• करवा कर सोचा की शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ के शयन आरती के दरà¥à¤¶à¤¨ कर लेते है फिर सà¥à¤¬à¤¹ मंगला आरती के दरà¥à¤¶à¤¨ कर सांवलिया सेठके लिठनिकल चलेंगे , मंदिर गये तो बहà¥à¤¤ à¤à¥€à¤¡à¤¼ वहा थी और किसी ने कहा की अब तो दरà¥à¤¶à¤¨ बंद होने वाले है तो अति शीघà¥à¤° पीछे के रसà¥à¤¤à¥‡ से अनà¥à¤¦à¤° हो लिठ(हालाकि रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤• हो जाता है ) , मगर नहीं साहब à¤à¤²à¤¾ à¤à¤¸à¥‡ कोई दरà¥à¤¶à¤¨ देने वाले थे शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€, उनका तो पà¥à¤²à¤¾à¤¨ ही कà¥à¤› और था , खैर दरà¥à¤¶à¤¨ बंद हो चà¥à¤•े थे तो सोचा की सिरà¥à¤« मंगला आरती के ही दरà¥à¤¶à¤¨ कर निकल लेंगे अपने अगले पड़ाव पर |

11 मंदिर के रासà¥à¤¤à¥‡ में शà¥à¤°à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ की à¤à¥€à¤¡à¤¼
शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी का मंदिर हवेली नà¥à¤®à¤¾ है और इसे शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ की हवेली कहा जाता है मंदिर के पास बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ बाजार लगता है और खाने पिने की सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ार की चीज़े वहा आपको मिल जाà¤à¤à¤—ी | यॠतो नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में है लेकिन यहाठराजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¥€à¤¡à¤¼ आपको मिलेंगी ! à¤à¤¸à¥‡ तो मैं à¤à¥€ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ हॠलेकिन मेरा à¤à¤¸à¤¾ मानना है की गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ लोग थोड़े शांत सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ के होते है तà¤à¥€ तो वहा इतनी à¤à¥€à¤¡à¤¼ होते हà¥à¤ à¤à¥€ शांति जैसा अनà¥à¤à¤µ होता है ! खाने की चीजों में à¤à¥€ गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ पà¥à¤Ÿ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ देखने को मिलता है नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ में |
हमलोग शाम को जलà¥à¤¦à¥€ सो गये ये सोच के की सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठकर सबसे आगे लाइन में लग जायेंगे ताकि दरà¥à¤¶à¤¨ अचà¥à¤›à¥‡ से हो सके और इसके पीछे à¤à¤• बात और à¤à¥€ थी की मैंने à¤à¤• à¤à¤¾à¤ˆ साहब का पोसà¥à¤Ÿ यही घà¥à¤®à¤•à¥à¤•र पे à¤à¥€ पढ़ा था और मैंने उसमे कà¥à¤› नकारातà¥à¤®à¤•ता बाते अधिक देखी जैसे की “पंडित लोग दरà¥à¤¶à¤¨ अचà¥à¤›à¥‡ से नहीं करने देते तà¥à¤°à¤‚त धकà¥à¤•ा दे देते है , मंदिर सिरà¥à¤« 15 मिनिट के लिठखà¥à¤²à¤¤à¤¾ है , लोग पैसे लेके दरà¥à¤¶à¤¨ करवाते है इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ ….और उसके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से बिना अलारà¥à¤® के ही 3 बजे नींद खà¥à¤² गयी , खैर तैयार हà¥à¤ और मंदिर गये तो देखा पहले से कà¥à¤› लोग वहा मौजूद थे , à¤à¤¸à¥‡ हमारा रूम मंदिर के बिलकà¥à¤² पास था | यहाठà¤à¤• खास बात बताना चाहूà¤à¤—ा की मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ टाइम में थोडा बहà¥à¤¤ परिवरà¥à¤¤à¤¨ होता रहता है और दूसरी बात यहाठकोई धकà¥à¤•ा मà¥à¤•à¥à¤•ी हमने नहीं देखि और तीसरी बात कोई पैसा लेके दरà¥à¤¶à¤¨ करवाने की तकनीक यहाठअà¤à¥€ तक विकसित नहीं हà¥à¤ˆ और चौथी बात ये की मंदिर 15 मिनीटो से à¤à¥€ अधिक समय तक खà¥à¤²à¤¾ रहता है और हां ये दोनों बाते वहा बड़े बड़े अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ में लिखी à¤à¥€ हà¥à¤ˆ है !
खैर मंदिर के पट खà¥à¤²à¥‡ , और हम हो लिठअनà¥à¤¦à¤° दरà¥à¤¶à¤¨ हेतॠ, शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी के पà¥à¤°à¥à¤· और महिला दोनों की अलग अलग लाइन लगती है और मंदिर में मोबाइल ले जाने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ बिलकà¥à¤² à¤à¥€ नहीं है यदि गलती से ले गये तो आपको वही जमा करवाना होगा तà¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ कर सकते हो | खैर दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ में हमारा नंबर à¤à¥€ आ गया और जो दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤ उसे देखकर पारलोकिक सा अनà¥à¤à¤µ हà¥à¤† ,और कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना हो साहब कहते है की सिरà¥à¤« यही पे कृषà¥à¤£ लौकिक रूप में रहते है, बड़े आराम से मनमोहक मंगला à¤à¤¾à¤‚की के दरà¥à¤¶à¤¨ किये साहब ! मन आनंदित हो गया ! दरà¥à¤¶à¤¨ कर बाहर आये थोडा आराम किया और फिर लग गये दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ लाइन में शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार à¤à¤¾à¤‚की की à¤à¤²à¤• पाने को , सोचा जब शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी की मंगला à¤à¤¾à¤‚की के दरà¥à¤¶à¤¨ इतने आकरà¥à¤·à¤• थे तो उनके शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार à¤à¤¾à¤‚की की कà¥à¤¯à¤¾ बात होगी बस इसी उतà¥à¤¸à¥à¤•ता में हम वापिस करीब 7 :15 बजे फिर दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठलग गये और इस बार à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ ने हमको निराश नहीं किया …वाह कà¥à¤¯à¤¾ दरà¥à¤¶à¤¨ दिठ, यहाठसे निकलने को दिल ही नहीं कर रहा था | बाहर आये तो देखा पोहे और खमन से दà¥à¤•ाने सजी पड़ी है और à¤à¤• खास बात है दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ यहाठकी , और वो है यहाठकी पोदीने वाली चाय |

पोदीने वाली चाय
हमने à¤à¥€ à¤à¤¾à¤ˆ तीनो चीजों का लà¥à¤«à¥à¤¤ उठाया , वाकई पà¥à¤¦à¥€à¤¨à¥‡ की चाय तो कमाल की निकली यार ! अब तो हमने à¤à¥€ सिख ली साहब, चलो घर चल कर बनायेगे , à¤à¤¸à¤¾ सोच कर हम अपने अगले पड़ाव के लिठआगे बढे और वो था चितà¥à¤¤à¥‹à¤° के पास सांवलिया सेठका मंदिर , हम बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड के लिठसोच के निकल ही रहे थे की अचानक मन पलटी खा गया मन में विचार आया की कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हम रूम चेक आउट ना करे और दरà¥à¤¶à¤¨ कर शाम को वापिस यही आ जाये, और साहब मन की बात टालना इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ के बस की बात कहा ! रूम के लॉक लगाया और जरà¥à¤°à¤¤ का सामान लिया और चल दिठबस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड की और, रासà¥à¤¤à¥‡ में खà¥à¤¯à¤¾à¤² आया शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ के पà¥à¤²à¤¾à¤¨ का की वो जो शाम को उसने पट बंद कर दिठथे न और जलà¥à¤¦à¤¬à¤¾à¤œà¥€ में दरà¥à¤¶à¤¨ नहीं करने दिठउसके पीछे यही कला थी उनकी …………
बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से १० बजे की बस थी चितà¥à¤¤à¥‹à¤¡ की सो बैठगये उसमे सांवलिया सेठके लिअसांवलिया सेठचितà¥à¤¤à¥‹à¤¡à¤¼ से उदयपà¥à¤° के रसà¥à¤¤à¥‡ में मणà¥à¤¡à¤ªà¤¿à¤¯à¤¾ गाव में पड़ता है हाईवे से ठीक 7 km अंदर ,काफी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ à¤à¥€ है, और खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ à¤à¥€ इस मंदिर की और चढ़ावे के मामले में à¤à¤¾à¤°à¤¤ में इस मंदिर का नाम à¤à¥€ शायद ३-४ नंबर पर ही आता होगा जिस महीने में हम गये उस महीने में करीब 3 करोड़ का चढावा आया था जिसकी काउंटिंग करने के लिठआस पास बैंक के कमरà¥à¤šà¤¾à¤°à¥€ मंदिर में आते है ,  दो मंदिर है सांवलिया जी के à¤à¤• तो वही हाईवे पे ही बना है जोकि पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ और पà¥à¤°à¤¾à¤•टà¥à¤¯ सांवलिया जी के नाम से है और दà¥à¤¸à¤°à¥‡ अंदर जिसके मंदिर का काम à¤à¥€ अà¤à¥€ पà¥à¤°à¤—ति पे है | वैसे सांवलिया सेठके जाने के लिठउदयपà¥à¤° और चितà¥à¤¤à¥‹à¤¡à¤¼ से ही सही और सीधा रासà¥à¤¤à¤¾ पड़ता है लेकिन हमलोग शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी से गये थे तो थोडा कठिन हो जाता है कà¥à¤¯à¥à¤•ी पहले जाओ कपासन फिर वहा से बस बदलो और जाओ हाईवे तक जोकि रासà¥à¤¤à¤¾ कई गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ से होकर जाता है और खराब à¤à¥€ है , खैर जैसे तैसे पहà¥à¤‚चे सावरिया सेठजी के दर पर करीब शाम को 3 बजे | दरà¥à¤¶à¤¨ किये ही थे और बाहर निकले की जोरो की बारिश शà¥à¤°à¥‚ हो गयी और बारिश à¤à¥€ à¤à¤¸à¥€ की थमने का नाम ही नहीं ले रही थी 2 घंटे इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° किया मंदिर में ही फिर थोड़ी हलकी हà¥à¤ˆ तो बाहर निकले मंदिर से लेकिन साधनों की बहà¥à¤¤ कमी à¤à¥€ हो सकती है सेठके दरबार में à¤à¤¸à¤¾ यहाठकी गवरà¥à¤®à¥‡à¤‚ट ने साबित किया हà¥à¤† है , कà¥à¤² मिलाकर कà¥à¤› खास अरेंजमेंटà¥à¤¸ नहीं है, आखिर इतना चढावा आता है मंदिर में तो कà¥à¤› वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ तो सरकार को करना ही चाहिठ, खैर बारिश और सेठजी ने हमें रात वही बिताने पर मजबूर कर दिया, à¤à¤• रात वही रà¥à¤•े और सà¥à¤¬à¤¹ नहा धो कर निकले, वापसी पर रसà¥à¤¤à¥‡ में दà¥à¤¸à¤°à¥‡ वाले मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ लाठà¤à¥€ ले ही लिठजोकि शायद यदि नहीं रà¥à¤•ते शाम को तो संà¤à¤µ नही हो पाता | बहà¥à¤¤ à¤à¤µà¥à¤¯ मंदिर जिसमे अंदर से कांच की कारीगरी है |

Sanwaliaji , Courtesy Wikipidea

पà¥à¤°à¤¾à¤•टà¥à¤¯ सांवलिया जी के मंदिर का अनà¥à¤¦à¤° का दृशà¥à¤¯

सांवलिया सेठमंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण

सांवलिया सेठमंदिर में लगी à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹ की à¤à¥€à¤¡à¤¼

हाइवे से दीखता सांवलिया सेठमंदिर जाने का रासà¥à¤¤à¤¾
सà¥à¤¬à¤¹ चितà¥à¤¤à¥‹à¤¡à¤¼ से उदयपà¥à¤° की और जाने वाली बस से सीधे पहà¥à¤‚चे उदयपà¥à¤° और वहा किया à¤à¤• ऑटो उदयपà¥à¤° साईट सिन देखने के लिठ| ऑटो वाले मांगने को तो 600-700 रà¥à¤ªà¤ मांगते है पर 400 में सौदा तय हो गया और अचà¥à¤›à¥‡ से उसने करीब 12 जगह जोकि उसकी डिफ़ॉलà¥à¤Ÿ लिसà¥à¤Ÿ में शामिल थी घà¥à¤®à¤¾ दी …..नाव की सवारी , उड़न खटोला की सवारी और वहा के मौसम के आनंद ने पà¥à¤°à¥‡ सफ़र की थकान उतार दी |

उदयपà¥à¤° करणी माता मंदिर से

उडन खटोले से उदयपà¥à¤°
शाम होने को थी और उदयपà¥à¤° की जानकारी के काफी पोसà¥à¤Ÿ पहले से ही घà¥à¤®à¤•à¥à¤•र पे मौजूद है तो अपने पोसà¥à¤Ÿ को आगे बढ़ाते हà¥à¤ उदयपà¥à¤° से आपको फिर ले चलता हॠशà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी के दà¥à¤µà¤¾à¤° …….
शाम को फिर बस में सवार होकर हम चल दिठनाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की और २ घंटे में बस ने हमें वहा उतार à¤à¥€ दिया| हालाकि शाम को हम फिर न चाहते हà¥à¤ à¤à¥€ फिर लेट हो गये और शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी ने फिर वही किया अपने पट बंद कर लिठ| हम à¤à¥€ कहा मानने को तैयार थे पकà¥à¤•ा मन बना लिया की शयन आरती के दरà¥à¤¶à¤¨ कर के ही जायेंगे अब तो चाहे कितने ही दिन और रà¥à¤•ना पड़े | à¤à¤• नजर में आशिक – दीवाना बनाने की अगर कही à¤à¤¾à¤‚की है तो वो शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जी में है सच में वापिस आने का मन ही नहीं करता | रात हà¥à¤ˆ à¤à¥‚ख लगी तो मà¥à¤•ेश à¤à¤¾à¤ˆ के पोसà¥à¤Ÿ से पढ़ी हà¥à¤ˆ लाइन याद आ गयी की यहाठमंदिर टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ à¤à¥€ कही मिलता है , जानकारी जà¥à¤Ÿà¤¾à¤ˆ और पहà¥à¤à¤š गये हम à¤à¥€ , 20 रà¥à¤ªà¤ में à¤à¤°à¤ªà¥‡à¤Ÿ खाना मिलता है, लेकिन अधिक दिमाग नहीं लगाऊ तो à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ ये मंदिर टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ का काम नहीं लग कर à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤Ÿ टाइप का ही लगा जिसका टाई अप मंदिर के किसी पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ से हो बाकी की डिटेलà¥à¤¸ नहीं है मेरे पास (इशà¥à¤µà¤° माफ़ करे)

शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ की और से à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯
अब रà¥à¤•ना ही था तो सà¥à¤¬à¤¹ का पà¥à¤²à¤¾à¤¨ बनाया, की दिनà¤à¤° कà¥à¤¯à¤¾ किया जाये तो फिर मà¥à¤•ेश à¤à¤¾à¤ˆ की पोसà¥à¤Ÿ काम आ गयी और याद आया की गौशाला तो गये ही नहीं अà¤à¥€ तक, तो चलो à¤à¤• तो गौशाला और कहा जाया जाये ??
चितà¥à¤¤à¥‹à¤¡à¤¼ के पास जाके à¤à¥€ चितà¥à¤¤à¥‹à¤¡à¤—ढ का दà¥à¤°à¥à¤— नहीं देखा इसका मलाल तो था ही तो सोचा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना इसकी à¤à¤°à¥€ – पूरà¥à¤¤à¤¿ कà¥à¤®à¥à¤à¤²à¤—ढ़ के विशà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤¦à¥à¤§ किले से देख कर की जाये , बस फिर कà¥à¤¯à¤¾ बन गया पà¥à¤²à¤¾à¤¨ कल का रातोरात ….
सà¥à¤¬à¤¹ मंगला के दरà¥à¤¶à¤¨ किये और बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड गये वहा पता किया यदि कोई बस जाती हो तो , जी हां à¤à¤• बस जाती है नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ से 7:30 बजे केलवाडा तक जोकि कà¥à¤®à¥à¤à¤²à¤—ढ़ से केवल 7 km दूर है और यहाठसे पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ टेकà¥à¤¸à¥€ करनी पड़ती है | कà¥à¤®à¥à¤à¤²à¤—ढ़ जाने वालो के लिठसलाह ये ही रहेगी की यदि हो सके तो उदयपà¥à¤° से कोई टूर पैकेज में इसे शामिल करे अथवा कोई टैकà¥à¤¸à¥€ बà¥à¤• करले तो बेहतर रहेगा ,कà¥à¤¯à¥à¤•ी किले तक ले जाने और लाने के लिठकोई कोमन साधन वहा नहीं होता है ….मेरे केस में à¤à¤• तो अचानक पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनने से जानकारी का अà¤à¤¾à¤µ और ऊपर से मैं बजट कोंसियस à¤à¥€ ठहरा, तो पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ साधन तो मैं तब ही करता हॠजब कोई और विकलà¥à¤ª ना हो , अब किसी ने गà¥à¤®à¤°à¤¾à¤¹ कर दिया की 7 km दूर है और खूब साधन à¤à¥€ है तो बस निकल पड़े बस से हमलोग …….वहा पहà¥à¤‚चे तो पता चला की सिरà¥à¤« 7 km के टेकà¥à¤¸à¥€ वाले 300 रà¥à¤ªà¤ मांगते है तो थोडा खला à¤à¥€ | कà¥à¤› देर बमà¥à¤¶à¥à¤•िल 10 मिनिट ही रà¥à¤•े की à¤à¤• फेमिली और हमारी तरह आ गयी जोकि किला देखने जाना चाहती थी , बस फिर कà¥à¤¯à¤¾ हो गया अपना काम तो …फॉर वà¥à¤¹à¥€à¤²à¤° में बैठे हà¥à¤ और पहाड़ की हरियाली को देखते हà¥à¤ कब किला आ गया पता ही नहीं चला ! किले की दिवार को देख कर वाकई ताजà¥à¤¬à¥à¤¬ होता है की कैसे उस ज़माने में इतना कठिन काम राणा ने कैसे करवाया होगा केवल वो वकà¥à¤¤ ही जानता होगा या फिर राणा | दीवारे बहà¥à¤¤ मोटाई में है और करीब 36 km तक लमà¥à¤¬à¥€ है इसी खासियत की वजह से इस दà¥à¤°à¥à¤— का नाम गिनीज बà¥à¤• में दरà¥à¤œ है | कहते है की राणा का ये काम हो नहीं पा रहा था तो राणा किसी पवितà¥à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से मिले और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने राणा को सलाह दी की यदि कोई पवितà¥à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की बलि इस कारà¥à¤¯ के लिठदे तो ये काम पूरा हो सकता है तब किसी à¤à¤²à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की आहà¥à¤¤à¤¿ दी तब कही जाकर राणा ये निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ करवा पाने में सफ़ल हो सका |

कà¥à¤®à¥à¤à¤²à¤—ढ़ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शिव लिंग

कà¥à¤®à¥à¤à¤²à¤—ढ़ किले का निचे से लिया गया à¤à¤• फोटो

कà¥à¤®à¥à¤à¤²à¤—ढ़ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°
खैर किले को पूरा देख हम वापिस निचे आये तो फिर वही संकट साधनों का , अब वापिस निचे कैसे जाठकà¥à¤¯à¥à¤•ी वहा किले के सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड पे सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड वाले किसी वाहन को खड़े नहीं रहने देते तो वो वापिस निचे चले जाते है , हालाकि मैंने उस वकà¥à¤¤ उस डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° के मोबाइल नंबर तो ले लिठथे लेकिन उस असà¥à¤¤à¥à¤° का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— तो अंतिम कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में ही करना था न , तो सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड वाले à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ से बात ही कर रहा था की à¤à¤• कपल ने सà¥à¤¨ लिया जोकि वहा फोटो सैसेन कर रहा था , उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा की हम लोग बस अà¤à¥€ निचे जा रहे है आपको डà¥à¤°à¤¾à¤ª कर देंगे …….जय शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ की ……..केलवाडा से साधन की कोई पà¥à¤°à¥‹à¤¬à¥à¤²à¤® नहीं है बस मिल जाती है लेकिन निषà¥à¤•रà¥à¤· यही है की जब à¤à¥€ जाओ अपना साधन लेके जाओ ….
किला देखकर वापिसी में हम लोगो ने गौशाला जाने का विचार बनाया जोकि नाथदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से करीब 2 km दà¥à¤°à¥€ पर ही है तो अचà¥à¤›à¤¾ रहेगा की यही से ऑटो करके गौशाला चला जाये Rs 80 में आने जाने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® ऑटो वाले से सेट हà¥à¤† | गायो के लिठचारा à¤à¥€ ले लिया जोकि ऑटो वाला अपने आप दिलवा लाता है चारा मिकà¥à¤¸ होता है उसमे सब मिला हà¥à¤† होता है | गौशाला पहà¥à¤‚चे तो वहा बहà¥à¤¤ सारी गाये है लेकिन हमारी नजर à¤à¤• विशेष कामधेनॠगाय को खोज रही थी ये à¤à¥€ मà¥à¤•ेश à¤à¤¾à¤ˆ की पोसà¥à¤Ÿ से पढ़ा था | पूछने पर गà¥à¤µà¤¾à¤² ने मना कर दिया की वो सिरà¥à¤« शाम 6 बजे ही बाहर आà¤à¤—ी , काफी मिनà¥à¤¨à¤¤à¥‡ करने के बाद à¤à¥€ साहब वो तो नहीं माना, खैर वापिस आ गये साहब, बेमन से और करते à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤²à¤¾ | तो बात ये है की यदि कोई जाठतो या तो शà¥à¤¬à¤¹ या तो शाम को ही वहा जाये तो ठीक रहता है मगर जाठजरà¥à¤°|

गौशाला

गौशाला के अंदर खड़ी गाये
गौशाला से वापिस आने पर थोडा विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया और इस बार हम शाम के दरà¥à¤¶à¤¨ किसी à¤à¥€ कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते थे सो पहà¥à¤à¤š गये टाइम पर और खूब दरà¥à¤¶à¤¨ किये साहब , à¤à¤¾à¤µ विà¤à¥‹à¤° हो गये , जो आनंद की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ की शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में बताना असमà¥à¤à¤µ है | उसके बाद à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ मंदिर जो की विठà¥à¤ ल मंदिर के पीछे के गेट से निकलते ही है उसके दरà¥à¤¶à¤¨ किये , और फिर आये मदन मोहन जी के मंदिर में दरà¥à¤¶à¤¨ करने , सब पास पास में ही है |

मदन मोहन मंदिर के अंदर घूमते पालतू कछà¥à¤
दरà¥à¤¶à¤¨ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ थोडा विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया और शाम को निकले à¤à¥‚ख मिटाने तो रासà¥à¤¤à¥‡ में देखा की कà¥à¤› लोग दोने में कà¥à¤› लेके बैठे है पूछने पे पता चला की ये राजà¤à¥‹à¤— का पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¦ है और मंदिर के अंदर से आया है , बस à¤à¥‚ख मिटाने के लिठइससे अचà¥à¤›à¤¾ और हो à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ सकता था 20 रà¥à¤ªà¤ में उसने थोड़ी सी रबड़ी , मà¥à¤‚ग , दाल , और घी वाले चावल दिठजो की à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है यदि पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¦ के हिसाब से देखे तो |
खाना खा के हम वापिस अपने रूम पे आ गये और पà¥à¤²à¤¾à¤¨ बनाया सà¥à¤¬à¤¹ वापसी का , सोचा जाने से पहले कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना à¤à¤• बार फिर मंगला के दरà¥à¤¶à¤¨ किये जाये, सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठे रेडी हà¥à¤ और जलà¥à¤¦à¥€ से मंदिर पहà¥à¤‚चे तो देखा की आज की à¤à¤¾à¤‚की का समय है 6:15 का इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° किया,  दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤ फिर निकले बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड की और, बस में बैठे और पहà¥à¤à¤š गये अपने गनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पर à¤à¤• बार फिर यहाठआने की चाह लेकर….
तो इस पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤• à¤à¤µà¥à¤¯ नगरी और शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥à¤œà¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ कर हम धनà¥à¤¯ हà¥à¤ | मेरे हिसाब से हर वैषà¥à¤£à¤µ धरà¥à¤®à¥€ और शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ को इस नगरी में जरà¥à¤° पधारना चाहिठ, यकींन मानो बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ लगेगा | पोसà¥à¤Ÿ के अंत में मà¥à¤•ेश à¤à¤¾à¤ˆ को धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ जिनके पोसà¥à¤Ÿ से काफी महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ जानकारिया पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ | à¤à¤¾à¤·à¤¾ की अशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹ और गलतियों को नजरअंदाज करे , फिर मिलते है अगले पोसà¥à¤Ÿ में तब तक के लिठ“जय शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£à¤¾”
Dear Hemant – Good to see this published and apologies for the delay. I think you go to Nathdwara on your wish but return only when Krishna wants :-). But you made good of all the time you had.
I do hope that Mukesh gets to read this.
Dear Hemant
A very good post with nice pictures.
Thanks for sharing..
Hope to read more posts by you soon..
मेरी जिंदगी की पहली दिल को छू लेने वाली पोसà¥à¤Ÿ अब मेरा à¤à¥€ मन कर रहा है में कब दरà¥à¤¶à¤¨ के लाठले पाऊंगा, खेर आपकी पोसà¥à¤Ÿ से दरà¥à¤¶à¤¨ का लाठलिया बहोत à¤à¤¾à¤µà¥à¤• हो गया में
Good Post having lot of information and nicely captured pictures. Thanks for sharing.
Keep traveling and keep writing.
हेमंत जी
सुन्दर आलेख , आपने कई महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है।
श्रीनाथ जी की जानकारी आपने भ्रमित करने वाली दी है वहां कदम कदम पर पण्डे पुजारी दर्शनार्थियों को लुटते है।
दर्शन कुछ समय के लिए ही खोला जाता है और इस कारण वहां हमेशा ही न सिर्फ धक्का-मुक्की होती है बल्कि कई दर्शनार्थियों की जेब भी कट जाती है , इस अव्यवस्था में आज तक कोई सुधार नहीं हुवा है दर्शन के नाम पर वहां कई दलाल सक्रीय रहते है जो पैसे लेकर दर्शन करवाने का झूठा वादा करते है और पैसे लेकर भक्त को मंदिर में छोड़कर चम्पत हो जाते है। कुल मिलाकर श्रीनाथजी में धर्म के नाम पर पंडों पुजारी की लूट खुलेआम होती है मंदिर प्रबंधन से शिकायत का कोई असर नहीं होता है।
ओम प्रकाश जी,
जैसा मैंने वहा देखा और महसूस किया वही यहाँ बयाँ कर दिया। हालांकि आपकी इस बात से तो सहमत हु की वहा धक्का मुक्की हो सकती है अधिक भीड़ की वजह से परन्तु ये बात समय और परिस्थिति पर भी निर्भर करती है।
रही बात पंडो की तो शायद कुछ लोग होते होंगे जो धर्म के नाम पे लूटते होंगे परन्तु न तो मैंने वहा ऐसे लोगो को देखा और ना ही मैं इन पैसे देके दर्शन करने में विश्वास रखता हूँ इसीलिए शायद मेरा ध्यान इस और नहीं गया होगा।
परन्तु इतना तो था की मुझे श्रीनाथ जी ने बहुत ही अच्छे से दर्शन दिए और इस प्रकार की परेशानियो से दूर रखा। और दर्शन 15 मिनिट की जगह कुछ अधिक समय के लिए होते है ये बाते मन्दिर प्रबंधको ने वहाँ लिखी हुई भी है।
Eagerly waiting for this trip.