
शà¥à¤•देव जी मंदिर परिसर का रासà¥à¤¤à¤¾
शà¥à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤² पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के मà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र जनपद में गंगातट के निकट सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ वह तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤² है जहाठअब से पांच हजार वरà¥à¤· से à¤à¥€ पूरà¥à¤µ संत शà¥à¤• देव जी ने राजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ को जीवन-मृतà¥à¤¯à¥ के मोह से मà¥à¤•à¥à¤¤ करते हà¥à¤ जीते जी मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया था.
महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ में अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥‚ वीरगति को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ के गरà¥à¤ को नषà¥à¤ŸÂ करने के लिये अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°Â छोड़ा, परंतॠशà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ ने सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ चकà¥à¤° से उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करने पर उसके गरà¥à¤ की रकà¥à¤·à¤¾ की. उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ के गरà¥à¤ में जो शिशॠपल रहा था वह परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ था जो आगे चलकर राजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ के रूप में विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤†. गरà¥à¤à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में ही पà¥à¤°à¤à¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ होने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ मातà¥à¤° परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ जी को ही बताया जाता है.
à¤à¤• बार राजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ जंगल में शिकार खेलने गये. शिकार की तलाश में घूमते-घूमते वे à¤à¥‚ख-पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ से पीड़ित हो गये. पानी तलाश करते-करते वे शमीक मà¥à¤¨à¤¿ के आशà¥à¤°à¤® में पहà¥à¤à¤šà¥‡ जहां पर मà¥à¤¨à¤¿ समाधिसà¥à¤¥ थे. राजा ने कई बार मà¥à¤¨à¤¿ से पानी की याचना की, परंतॠकोई उतà¥à¤¤à¤° न मिलने पर, राजा ने à¤à¤• मरे हà¥à¤ साà¤à¤ª को धनà¥à¤· की नोंक से उठाकर, शमीक मà¥à¤¨à¤¿ के गले में डाल दिया, परंतॠशमीक मà¥à¤¨à¤¿ को समाधि में होने के कारण इस घटना का कोई à¤à¤¾à¤¨ ही नहीं हà¥à¤†.
शमीक मà¥à¤¨à¤¿ के पà¥à¤¤à¥à¤° शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गी ऋषि को जब यह पता लगा तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤¸à¥à¤¸à¥‡ से हाथ में जल लेकर राजा को शाप दे दिया कि जिसने à¤à¥€ मेरे पिता के गले में मरा हà¥à¤† साà¤à¤ª डाला है आज से सातवें दिन इसी सांप (तकà¥à¤·à¤•) के काटने से उसकी मृतà¥à¤¯à¥ हो जायेगी. वह अपने पिता के गले में मरा हà¥à¤† सांप पड़ा देखकर जोर- जोर से रोने à¤à¥€ लगे. रोने की आवाज सà¥à¤¨à¤•र शमीक मà¥à¤¨à¤¿ की  समाधि खà¥à¤²à¥€ और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सब समाचार विदित हà¥à¤. मà¥à¤¨à¤¿ ने शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गी से दà¥à¤ƒà¤–पूरà¥à¤µà¤• कहा कि वह हमारे देश का राजा है और समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ कि राजा के पास सतà¥à¤¤à¤¾ का बल होता  है. राजा उस सतà¥à¤¤à¤¾ के बल का दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— कर सकता है, परंतॠऋषि के पास साधना का बल होता है और ऋषि को साधना के बल का दà¥à¤°à¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— नहीं करना चाहिà¤. अत: राजा को तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ शाप नहीं देना चाहिठथा.

वह अकà¥à¤·à¤¯ वट वृकà¥à¤· जिसकी छाया में बैठकर राजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ को मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का रासà¥à¤¤à¤¾ बताया गया था
राजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ को जब शà¥à¤°à¤¾à¤ª के बारे में पता लगा तब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी गलती का à¤à¤¾à¤¨ हà¥à¤†. वे अपने पà¥à¤¤à¥à¤° जनमेजय को राजपाट सौंपकर हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° से शà¥à¤•ताल पहà¥à¤à¤š गये. गंगा जी के तट पर वट वृकà¥à¤· के नीचे बैठकर राजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ à¤à¤—वान का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने लगे. वहीं परम तेजसà¥à¤µà¥€ शà¥à¤•देव जी पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ और अनेक ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के मधà¥à¤¯ à¤à¤• शिला पर आकर बैठगये. मातृ-शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿(माता के कà¥à¤² की महानता), पितृ-शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ (पिता के कà¥à¤² की महानता), दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯-शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ (समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤—) अनà¥à¤¨-शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ और आतà¥à¤®-शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ (आतà¥à¤®à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ की जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾) à¤à¤µà¤‚ गà¥à¤°à¥ कृपा के कारण ही परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ जी à¤à¤¾à¤—वत कथा सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के अधिकारी हà¥à¤. परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ को सात दिनों में मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯ था. सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ के सात दिन होते हैं. किसी न किसी दिन हमारी à¤à¥€ मृतà¥à¤¯à¥ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ है. परंतॠये सात वार हमारे जीवन का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं. यदि सकारातà¥à¤®à¤• रूप से देखें तो हमको इन सात वारों से सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° शिकà¥à¤·à¤¾ मिलती है. राजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¤¾à¤ª मिलते ही मरने की तैयारी करने लगते हैं. इस बीच उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤œà¥€ उनकी मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठशà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤¾à¤—वतà¥à¤•था सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ हैं. वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बताते हैं कि मृतà¥à¤¯à¥ ही इस संसार का à¤à¤•मातà¥à¤° सतà¥à¤¯ है.

राजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ शà¥à¤•देव जी से मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की कथा सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हà¥à¤ यह पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤‚ परिसर के मंदिर की मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤‚ है.
दिलà¥à¤²à¥€ से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° या देहरादून जाते समय लगà¤à¤— १२० किलोमीटर पर आपको मà¥à¤œà¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र बाई पास से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ होता है. इस रूट पर मोरना-बिजनोर की सड़क पर चलते हà¥à¤ कà¥à¤² २६ किलोमीटर की यातà¥à¤°à¤¾ में आप शà¥à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤² पहà¥à¤à¤š सकते हैं. यहाठपहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिठगूगल मैपà¥à¤¸ के à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ ना रहें कà¥à¤¯à¥‚ंकि मैप में शà¥à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤² को लोकेट नहीं किया जा सकता. वैसे रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ सरल है और मà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र बाई पास से मातà¥à¤° ३५ मिनट में सà¥à¤—मतापूरà¥à¤µà¤• आप शà¥à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤² पहà¥à¤à¤š सकते हैं. गंगा तट के किनारे बसा यह पौराणिक सà¥à¤¥à¤² पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ का à¤à¤• विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ आसà¥à¤¥à¤¾ का केंदà¥à¤° है. पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· कारà¥à¤¤à¤¿à¤• पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ पर यहाठबड़ा मेला आयोजित होता है जिसमे लाखों की संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते हैं और पौराणिक आयोजनों में à¤à¤¾à¤— लेते हैं.
शà¥à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤² में जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर शà¥à¤• देव जी ने राजा को कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ थी, वह अकà¥à¤·à¤¯ वट वृकà¥à¤· आज à¤à¥€ अपनी विशाल जटाओं को फैलाये खड़ा है. अदà¥à¤à¥à¤¤ रूप से फैली यह जटाà¤à¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ लोग पूजते हैं और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के मोकà¥à¤· की अपेकà¥à¤·à¤¾ में समय-समय पर आयोजित होने वाली à¤à¤¾à¤—वत कथाओं के आयोजन में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ होते हैं. पूरा परिसर à¤à¤• तीरà¥à¤¥ के रूप में जाना जाता है जहाठअनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मंदिर, धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, समागम सà¥à¤¥à¤² सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हैं. उस समय नदी का पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ निकट ही था परनà¥à¤¤à¥ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में इसने अपना रासà¥à¤¤à¤¾ बदल लिया है और नदी वहां से काफी दूर हो गई है. मंदिर में जाने के लिठकाफी सीढ़ियां चढ़कर ऊपर जाना होता है.

पांच हज़ार से अधिक वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ का महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ कालीन वट वृकà¥à¤·
शà¥à¤•देव जी मंदिर परिसर से थोड़ी दूर पर ही à¤à¤•ादश रूदà¥à¤° शिव मंदिर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है जिसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सन १४०१ में हà¥à¤† था. अà¤à¥€ à¤à¥€ मंदिर परिसर में उकà¥à¤¤ समय की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤, à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤° तथा संरचना विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है. कहते हैं कि लाला तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤°à¤¾à¤® जी के पूरà¥à¤µà¤œ रोशनलाल जी जब à¤à¤•ादश रूदà¥à¤° शिव मंदिर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करा रहे थे तब अचानक ही गंगा मैया का पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ मंदिर की ओर हो गया. उस समय à¤à¤•à¥à¤¤ रोशनलाल जी ने गंगा मैया की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की तथ उनसे अपना पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ सà¥à¤¥à¤² बदलने की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की. à¤à¤•à¥à¤¤ रोशनलाल जी की विनती सà¥à¤¨à¤•र गंगा मैया ने अपना पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ सà¥à¤¥à¤² बदल लिया. रोशनलाल जी ने शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• शिव मंदिर के साथ गंगा मंदिर का à¤à¥€ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कराया. उस समय à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हà¥à¤† कि मानो गंगा मैया à¤à¤—वान शिव से मिलने आई थी.

सन १४०१ में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ à¤à¤•ादश रूदà¥à¤° शिव मंदिर तथा उसमे सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ शिवलिंग, मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ व पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¿à¤¤à¤¿à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤°

सन १४०१ में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ à¤à¤•ादश रूदà¥à¤° शिव मंदिर तथा उसमे सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ शिवलिंग, मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ व पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¿à¤¤à¤¿à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤°

सन १४०१ में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ à¤à¤•ादश रूदà¥à¤° शिव मंदिर तथा उसमे सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ शिवलिंग, मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ व पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¿à¤¤à¤¿à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤°

परिसर में बाद में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ गंगा मंदिर
शà¥à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤² में विशà¥à¤µ की सबसे बड़ी हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी की मूरà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ होने का à¤à¥€ रिकॉरà¥à¤¡ है जो चरण से मà¥à¤•à¥à¤Ÿ तक लगà¤à¤— ६५ फीट १० इंच तथा सतह से à¥à¥ फीट है. सन १९८ॠमें सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की गई हनà¥à¤®à¤‚धाम परिसर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ इस मूरà¥à¤¤à¤¿ की à¤à¤• अनà¥à¤¯ विशेषता यह है कि इसके à¤à¥€à¤¤à¤° कागज पर विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ लिपियों में राम नाम लिखे à¥à¥¦à¥¦ करोड़ à¤à¤—वनà¥à¤¨à¤¾à¤® समाहित हैं. इसमें पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ कागज का कà¥à¤² वजन १४ टन तथा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² १००५० घन फà¥à¤Ÿ है जिसे विशेष आवरण में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करके संजोया गया है. परिसर में इस मूरà¥à¤¤à¤¿ के आस पास विशà¥à¤µ में पाई जाने वाली वानरों की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की गयी हैं. यहाठसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी के मंदिर में दूर-दूर से लोग दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ को आते हैं. समय-समय पर पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ आयोजन किया जाता है. निकट ही à¤à¤• परिसर में ३५ फीट की गणेश पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ की à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गई है.
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शà¥à¤•देव मंदिर परिसर से हनà¥à¤®à¤‚त धाम में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी की विशाल मूरà¥à¤¤à¤¿ के दृशà¥à¤¯

शà¥à¤•देव मंदिर परिसर से हनà¥à¤®à¤‚त धाम में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी की विशाल मूरà¥à¤¤à¤¿ के दृशà¥à¤¯

शà¥à¤•देव मंदिर परिसर से हनà¥à¤®à¤‚त धाम में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी की विशाल मूरà¥à¤¤à¤¿ के दृशà¥à¤¯

हनà¥à¤®à¤‚त धाम से लिठगठहनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी की विशाल पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾

हनà¥à¤®à¤‚त धाम से लिठगठमंदिर के चितà¥à¤°

मंदिर
आज à¤à¥€ मà¥à¤œà¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र से शà¥à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤² जाने वाले रासà¥à¤¤à¥‡ पर कोई विशेष टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• नहीं मिलता. इसीलिठसूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ के बाद इस रासà¥à¤¤à¥‡ से जाना सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं माना जाता. शà¥à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤² में à¤à¥€ सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ के बाद सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ छा जाता है. केवन मंदिर के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€, उनके शिषà¥à¤¯ तथा कारà¥à¤¯à¤•रà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ ही वहां विचरण करते दिख सकते हैं. शà¥à¤•देव मंदिर परिसर में गीता पà¥à¤°à¥‡à¤¸ गोरखपà¥à¤° का पà¥à¤°à¤•ाशित धारà¥à¤®à¤¿à¤• साहितà¥à¤¯ तथा सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ चिनà¥à¤¹ वॠपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की कà¥à¤› दà¥à¤•ानें है, इसी पà¥à¤°à¤•ार हनà¥à¤®à¤‚धाम में à¤à¥€ यह दà¥à¤•ानें मिल जायेंगी जहाठसे à¤à¤—वान जी को à¤à¥‹à¤— लगाया जा सकता है तथा यादगार के लिठकà¥à¤› खरीददारी की जा सकती है.

साहितà¥à¤¯ के कà¥à¤°à¤¯ के लिठसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤²
प्रिय वर्मा जी
शुक्र ताल के बारे में पढ़ कर काफी जानकारी प्राप्त हुई. वर्णन सजीव था. चित्र भी सुन्दर और सटीक थे.
धन्यवाद.
Bahut hi alag or kuchh hat ke jankari mili jiske bare me Hume Aaj kuchh bhi nhi pata tha…. Thanks aisi hi jankariya or bhi layiye
बेहतऱीन.
मै खुद भी मुज़फ्फरनगर से हूँ, इसलिए शुक्रताल का महत्व जानता हूँ लेकिन इतने साल से देखने के बाद भी सरकार की तरफ से कोई कदम इसके प्रचार प्रसार में नहीं उठाया गया। बहुत शांत जगह है।
पोस्ट साझा करने के लिए धन्यवाद।
sir superb explaination ………..and sir thanks for creating this web page because this is only one appeal place in muzaffarnagar district …………but people don’t know about this place …………………….thanks sir
Can anyone tell me the schedule for shrimadbhagwan Katha in February end in Shukratal.We are willing to visit in February and want to stay for around 8 to 10 days
Great writing which revealed the inside story of this great site.
Thanks and Regards.
हमे आपकी यह पेज वहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ लगा जिसमे शà¥à¤•ताल के बिषय मे सà¤à¥€ जानकारी मिली सहधनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦